RE: Kamukta Story गदरायी लड़कियाँ
मैंऔर वो नहा धो कर अपने आपको तरोताजा महसूस कर रहे थे
सेठानी हमें देख कर कमरे से उठ कर चली गई और कुछ देर में ही खाना लेकर कमरे में आ गई . सेठानी ने हम दोनों के लिए खाना परोसा. और मुझसे लिपट कर मुझे प्यार से कई बार चूमा. मैने भी उसे अपने से लिपटा लिया और उसको किस करने लगा कुछ देर मे हम अलग हो गये फिर मैने उस कमसिन लोन्डिया को खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया. हम दोनों ने निवस्त्र अवस्था में एक दूसरे को प्यार से खाना खिलाया.
मेरे हाथ बड़ी मुश्किल से उसके गुदाज़ स्तनों से कुछ क्षणों के लिए ही से दूर जाते थे। उसके कोमल उरोज यों तो उसकी उम्र की तुलना से बड़े थे पर अभी भी अविकसित थे। मैने उन को रात भर और सुबह मसल, मरोड़, और उमेठ कर लाल नीले गुमटों से भर दिया था।
मैने उसकी दोनों चुचुक को भींच कर उसके गाल को चूम कर पूछा, "मेरी हसीन परी किस विचारों में खो गयी है?"
वो शर्मा कर लाल हो गयी, "मै वो अपनी चुदाई के बारे में सोच रही थी। आपने कितनी बेदरदी से मेरी चूचियों का मर्दन किया है? देखिये कैसी बुरी तरह से दागी हो गयी हैं?"
मैने उसको कस कर भींच लिया और शैतानी से हँसते हुए उसके उरोज़ों को और भी कस कर मसल दिया। वो भी दर्द से सिसकने के बाद हंस पड़ी। वो इस साधारण साधारण सी प्यार भरी चुल्ह्ढ़पन से रोमांचित हो गयी।
मैने चार गुलाब जामुन उसकी टाँगे चौड़ा कर उसकी चूत में भीतर तक भर भर दिए। वो मचल उठी, "मास्टर जी मेरी चूत तो यह नहीं खा सकती।"
"अरे बिटिया, आपकी चूत तो इन्हें और भी मीठा कर देगी। फिर हम इनका सेवन करेगें।"
"मुझे भी तो आपकी मिठास से भरी मिठाई चाहिए।" वो इठला कर बोली।
"यह तो आपकी समस्या है। हमारे पास तो हमारी जान की चूत है,"
मैं और सेठानी खुल कर हंस पड़े
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