Kamukta Story घर की मुर्गियाँ
06-14-2021, 12:14 PM,
RE: Kamukta Story घर की मुर्गियाँ
किरण- चल अब बातें कम कर और बैटिंग पर ध्यान दे। तुझे आज पूरी सेंचुरी मारनी है।

समीर- "जी आँटी...” और समीर ताबड़तोड़ धक्के मारने लगता है।

किरण समीर का ये रूप देखकर हैरन हो गई- “आअहह... समीर वाओ... क्य... मस्त चुदाई कर रहा है तू... ऐसे ही मारता रह... तुझे कैसा लग रहा है?"

समीर- "बड़ा मजा आ रहा है आँटी..'

किरण भी नीचे से बराबर धक्के मार रही थी। कब तक धक्के मारते, आखीरकार किरण का फौवारा छूट गया “आहह... समीर बेटा मैं गईई..."

समीर- “आहह... आँटी मेरा भी होने वाला है..."

किरण- "बस बाहर निकाल्ल..." और किरण ने झट से समीर का लण्ड मुँह में ले लिया।

समीर मुँह में भी धक्के लगाने लगा। सारा पानी किरण के गले में उतार दिया। किरण भी सारा गटक गई, एक डकार के साथ, और कहा- "आज तो मजा आ गया.. तुझे कैसी लगी बैटिंग?"

समीर- आह... आँ
में तो स्वर्ग नजर आ गया।

किरण- चल अब जल्दी से फ्रेश हो जा। अंजली इंतजार करती होगी।

किरण और समीर दोनों घर पहुँच गये। नेहा और टीना घर को फूलों से सजा रही थी। अंदर का नजारा देखकर किरण अंजली से- “वाह क्या बात है, बड़ी तगड़ी तैयारी चल रही है..."

अंजली- बस आपका ही इंतजार हो रहा था भाभीजी। आपको किचेन में हेल्प करनी पड़ेगी ।

किरण- हाँ हाँ क्यों नहीं, बोलो क्या बनाना है?

अजय- भाभी कोई सब्जी बना दो।

अंजली- क्या सब्जी बनवाने को बुलाया है? मुझे तो भाभी से खीर बनवानी है।

किरण- कोई बात नहीं मैं खीर भी बना दूँगी, और भाई साहब के लिए सब्जी भी।

अंजली- तुम भी क्या इनकी बातों में आ गई। कभी इनकी फरमाइशें पूरी नहीं कर पाओगी।

किरण- कोशिश करती हूँ भाई साहब की फरमाइश पूरी कर पाऊँ। वैसे आज क्या खाना पसंद करेंगे आप भाई
साहब?

अजय के चेहरे पर शैतानी मुश्कान दौड़ गई, और कहा- “भाभी आज आप लौकी की सब्जी बना लो.."

अंजली- बस रहने दो जी, बहुत काम बाकी है। आज होटल से मंगा लो।

किरण- "क्यों भाभी आप भाई साहब को अपने हाथों से खिलाया करो। नहीं तो बाहर के खाने की आदत पड़
जायेगी इनको...”

अंजली- “इन्हें अब मेरे हाथ की सब्जी पसंद ही कहां आती है? ये हमेशा कुछ ना कुछ कमी बता देते हैं। जब आलू बनती हूँ तो कहते हैं बैगन की सब्जी बनाओ, कभी कहते है सलाद में मूली नहीं है, कभी कहते हैं खीरा नहीं है, गाजर नहीं है। बताओ अब ये खीरा मूली गजर कौन लायेगा मार्केट से?"

किरण- अजय भाई साहब क्यों परेशान करते हो भाभी को? एक काम करो, जब भी दिल करे बाहर का खाने को
मझे खबर कर दिया करो। मैं सब्जी तैयार रखेंगी। बस आपको सब्जी खाने मेरे घर तक आना पड़ेगा।

अंजली- हाँ किरण भाभी अब तो बस आप ही इनका होटल का खाना छुड़वा सकती हो।

किरण- क्यों भाई साहब, आप मेरी सब्जी खाने आओगे ना?

अजय- जरूर क्यों नहीं?
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RE: Kamukta Story घर की मुर्गियाँ - by desiaks - 06-14-2021, 12:14 PM

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