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RE: Kamukta Story परिवार की लाड़ली
इस समय स्थिति कुछ इस तरह है: पापा उसी अवस्था में आधे बैठे और आधे लेटे हुए हैं, मयूरी अपनी दोनों गोरी और लम्बी टाँगों को, जो बिल्कुल नंगी और आकर्षक हैं, अपना पापा के दोनों तरफ किये हुए है, इससे अशोक अब मयूरी की दोनों टांगों के बीच में बैठा हुआ है और मयूरी उसके ठीक सामने खड़ी है. इस अवस्था में खड़े होने की वजह से अशोक का चेहरा मयूरी किए घुटनों के समीप है और मयूरी की स्कर्ट बहुत छोटी होने की वजह से उसकी जांघों और चूत के आस-पास की जगह का अशोक बड़े आराम से दर्शन कर पा रहा था.
मयूरी ने इस वक्त का नियंत्रण पूरी तरह से अपने हाथ में लिया हुआ था, उसको पता था कि अब उसके पापा उसके इस कामुक और आकर्षण शरीर के हवस जाल में पूरी तरह फंस चुके हैं. अगर ऐसा नहीं होता तो वो अब तक मयूरी को जोर से डाँट चुके होते उसकी ऐसी हरकतों के लिए. पर ऐसा कुछ हुआ नहीं है अब तक, मतलब वो अपने पापा को अपने प्रेमजाल में फंसाने में कामयाब रही है. इसी आत्मविश्वास के साथ वो आगे बढ़ी और अपना अगला साहसी कदम रखने लगी.
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RE: Kamukta Story परिवार की लाड़ली
वो अपने पापा के गोद में बैठने ही वाली ही थी कि जानबूझकर वो अपनी चूत वाली जगह और जाँघों को वो बैठने के क्रम में अपने पापा के मुँह के पास सटा देती है. उसने पैंटी नहीं पहनी हुई थी तो उसके अंतःअंगों का सीधा स्पर्श उसके पापा के होंठों और नाक से हो गया.
मयूरी के इस आघात का पापा पर सीधा असर पड़ा. उसकी चूत की खुशबू और स्पर्श जैसे ही पापा की मुँह और नाक पर पड़ी, वो मदहोश हो गए, एक क्षण के लिए उनको एक अलग ही रोमांच का अनुभव हुआ. अब तक वो अपनी बेटी की इस खूबसूरत काया और जवानी का पूरी तरह कायल हो चुका था. अब उसके अंदर का पिता पता नहीं कहा चला गया, वो अपने आप को जो महसूस कर पा रहा है वो है ‘बस एक मर्द’ जो इस वक्त बहुत ही ज्यादा कामुक हुआ पड़ा है. इस कामुकता की वजह से उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था और हर बार से कुछ ज्यादा ही टाइट था इस वक्त क्योंकि इस समय वो अपनी खुद की बेटी के शरीर को चोदने और भोगने का रोमांच अनुभव कर रहा था.
खैर, मयूरी अब पापा की गोद में बैठ गयी अपनी दोनों टाँगें अपने पापा के दोनों तरफ फैला कर. और वो अपने पापा की एकदम नजदीक बैठी है इसलिए जरा सा भी हिलने-डुलने पर उसकी चूचियां उसके पापा की चेहरे से टकरा रही थी.
उसने बातचीत शुरू की- पापा… मुझे बहुत अच्छा लग रहा है बहुत दिनों बाद आपकी गोद में बैठकर!
पापा- अच्छा?
मयूरी- हाँ पापा, अपने तो मुझे प्यार करना छोड़ ही दिया है.
पापा- अच्छा… सॉरी बेटा… आजकल मैं शायद काम में कुछ ज्यादा व्यस्त रहता हूँ.
मयूरी- वो तो ठीक है… पर आपको मेरे लिए भी वक्त निकालना चाहिए… वरना मुझे कौन प्यार करेगा?
पापा- एकदम सही बात… अच्छा… एक बात बताओ?
मयूरी- क्या पापा?
पापा- आप अपने पापा को प्यार करते हो?
मयूरी- हाँ पापा!
पापा- कितना?
मयूरी अपनी दोनों बांहें फैलाती हुई- इतना सारा… आ…
और ऐसा करते हुए उसने अपने पापा के चेहरे को अपनी बांहों में भर लिया. इससे अब पापा का चेहरा पूरी तरह से मयूरी की बांहों और चूचियों में कैद हो गया. मयूरी ने अपने पापा को अपनी बाँहों में जोर से दबा लिया और पापा ने उसकी चूचियों की कोमलता को एकदम नजदीक से महसूस किया. वो थोड़ी देर तक ऐसे ही बैठे रहे, फिर पापा ने भी अपने दोनों हाथ से बेटी को जोर से पकड़ लिया और मयूरी की गांड को जोर से दबा दिया. वो बहुत देर तक इसी अवस्था में रहे. दोनों को इस अवस्था में एक अलग ही सुख का अनुभव हो रहा था.
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RE: Kamukta Story परिवार की लाड़ली
तभी पापा ने पीछे से अपने हाथ से अपनी बेटी की गांड को धीरे-धीरे सहलाना चालू कर दिया. मयूरी को भी बड़ा मजा आने लगा और आनन्द में वो अपने मुँह से निकल रही आहों को रोक नहीं पाई- आ… आह… पापा…
पापा बेटी की गांड को सहलाते हुए- क्या हुआ बेटा?
मयूरी- कुछ नहीं पापा… बहुत अच्छा लग रहा है… आई लव यू पापा!
पापा- आई लव टू मेरा बच्चा…
और ऐसा कहते हुए पापा ने मयूरी की गांड की दरार में अपना हाथ डाल दिया. मयूरी की पकड़ और तेज़ हो गयी और उसने और जोर से अपने पापा को बांहों भींच कर दबा लिया. पापा समझ गए कि मयूरी को भी आनन्द आ रहा है और वो इस पापा के इस काम में राजी भी है.
मयूरी- आ… आह… पापा…
अशोक कुछ नहीं बोला और अपने हाथ की एक उंगली मयूरी की गांड की दरार से होते हुए उसकी गांड की छेद में डालने लगा. मयूरी को अब बहुत ज्यादा आनन्द आने लगा, उसने अपने होंठ पापा की होंठों पर रख दिए और जवाब में पापा ने भी अपने होंठों से उसके निचले होंठ को कैद कर लिया.
और इस तरह शुरू हो गया पहली बार एक प्रगाढ़ चुम्बन का दौर एक पिता और पुत्री के बीच …
दोनों बाप बेटी चुम्बन के दौर का पूरी तरह से आनन्द लेने में जुट गए.
इसी दौरान अशोक ने अपने एक साथ से मयूरी की गांड के एक उभार को छोड़ दिया और मयूरी की जादुयी चूचियों पर अपना हाथ फेरने लगा. मयूरी थोड़ा पीछे हटी और अपनी बांहों की पकड़ को थोड़ा ढीला करते हुए अपने पापा को उसने अपनी चूचियों को पकड़ने और मसलने का रास्ता दिया.
इसी बीच अशोक ने अपनी बेटी के टॉप के ऊपर से ही उसकी चूचियों का नाप ले लिया. और फिर उनको नायाब चूचियों को जो कि बड़ी-बड़ी और भारी-भारी होने के साथ-साथ उतनी ही कड़ी और टाइट थीं, को पहले तो दबाने और फिर जोर-जोर से मसलने में लगे.
मयूरी की आहें अब तेज़ हो गयी.
थोड़ी देर ऐसे ही मयूरी के टॉप के ऊपर से ही उसकी चूचियों को मसनले के बाद अशोक उसकी टॉप को थोड़ा ऊपर कर दिया पर उसको निकाला नहीं!
चूँकि मयूरी ने बिल्कुल ढीला-ढाला टॉप पहना हुआ था वो भी बिना ब्रा के तो इस हिसाब से उसके टॉप को निकलने की कोई जरूरत भी नहीं थी, थोड़ा सा ऊपर करते ही वो पूरी तरह दिख भी रहा था और पकड़ा भी जा सकता था, लगभग उसके उतार देने जैसी ही बात थी.
अब अशोक ने मयूरी की चूचियों को और जोर से पकड़ा और थोड़ी देर दबाने के बाद उसने अपने होंठों को मयूरी के होंठों से अलग कर उसकी चूचियों पर रख दिया. अशोक अब मयूरी की चूचियों को अपने होंठों से जोर-जोर से चूस रहा था. थोड़ी ही देर में उसने अपना दूसरा हाथ, जो बेटी की गांड के छेद में व्यस्त था, को वहां से आजाद कर उसको मयूरी की चूचियों पर लगा दिया, इस तरह से अशोक अब पूरी तरह अपना ध्यान उन विशाल और बहुत ही आकर्षक गोरी चूचियों को चूसने और मसलने में व्यस्त हो गया.
मयूरी की आहें अब और भी तेज़ हो रही थी पर वो अपने पर नियंत्रण रखे हुए थी क्योंकि वो अपनी आवाज़ को बाहर नहीं जाने देना चाहती थी. वैसे अगर घर को कोई सदस्य ये सब सुन ये देख भी लेता तो इस स्थिति में कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला था … पर वो फिर भी सावधानी से आगे बढ़ना चाहती थी.
करीब 15 मिनट तक मयूरी की चूचियों का आनन्द लेने और उनपर जुल्म ढाने के बाद अब अशोक पूरी तरह बेशरम और उत्तेजित हो चुका था. मयूरी इस समय उसकी गोद में बैठी हुई थी, उसका ढीला सा टॉप उसके गले तक ऊपर किया हुआ था जिससे वो अर्धनग्न अवस्था में थी. अशोक ने मयूरी को पीछे धकेल दिया जिस से वो पीछे की तरफ गिर गयी और अशोक ने अपने पैर खींच लिए.
अब मयूरी अशोक के सामने लेटी हुई थी, अशोक ने उसके स्कर्ट को थोड़ा ऊपर किया जिस से वो उसकी चूत के दर्शन कर पाए. मयूरी ने इसमें उसकी पूरी सहायता की और अपने दोनों पैर फैला कर उसका स्वागत किया.
अशोक के सामने अब उसकी बेटी बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी, हालाँकि उसने कपड़े तो पहने हुए थे पर वो मयूरी का शरीर का कोई भी भाग ढकने में कामयाब नहीं था. अशोक ने अपने हाथ से मयूरी की चूत को सहलाया और वो उसकी गुलाबी चूत को देखकर एकदम उस पर मोहित हो गया.
मयूरी की चूत अब तक बहुत गीली हो चुकी थी. उसकी चूत पर कोई बाल नहीं था और वो बहुत ही प्यारी लग रही थी.
अशोक ने मयूरी की चूत को धीरे धीरे सहलाते हुए पूछा- बेटा?
मयूरी- हाँ पापा… आह…
अशोक- क्या तुम्हारी इस प्यारी सी चूत में कभी किसी का लंड गया है या इसकी सील टूट चुकी है?
मयूरी- पापा… मुझे माफ़ कर दीजिये पर मेरी इस चूत की सील टूट चुकी है.
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RE: Kamukta Story परिवार की लाड़ली
अगले दिन सुबह में विक्रम जल्दी उठकर अपने कॉचिंग क्लास चला गया. मयूरी हॉल में बैठकर टीवी देख रही थी और रजत अपने कमरे में लेटा था. तभी शीतल झाड़ू लगाने के लिए उस कमरे में गयी.
रजत की नींद तो खुली थी पर उसने अपनी माँ को देखकर अपनी आँखें बंद कर ली और सोने का नाटक करने लगा. पर सुबह सुबह उसका लंड खड़ा था क्योंकि थोड़ी देर पहले ही वो रात वाली घटना के बारे में सोच रहा था. उसने जानबूझकर चादर के नीचे से अपना शॉर्ट्स खोल दी जिससे उसका लंड चादर में तम्बू बनाने लगा.
झाड़ू लगाते हुए जब शीतल रजत के बिस्तर के पास पहुँची तो देखा कि रजत सो रहा है पर उसका लंड चादर में खड़ा होकर तम्बू बना रहा है. उसने इधर-उधर देखा, आस-पास कोई और नहीं था. फिर उसने जिज्ञासा से उसकी चादर धीरे से उसके लंड पर से हटाई, जिससे रजत का फनफनाता हुआ खड़ा लंड बाहर निकल आया और शीतल को अपने छोटे बेटे के लंड के दर्शन हो गए.
पहले तो वो थोड़ा घबराई, फिर कामवासना की वजह से उसने अपने आप पर से नियन्त्रण खो दिया, धीरे से अपने हाथों से उसने अपने बेटे का लंड पकड़ा और उसको बड़े प्यार से सहलाने लगी. फिर थोड़ी देर तक उसको ऐसे ही सहलाने के बाद उसके टोपे की चमड़ी को थोड़ा पीछे किया और उसके लंड के ऊपर के भाग पर एक प्यार भरा चुम्बन दे दिया.
और अगले ही पल उसने बड़े से लंड को अपने मुँह में गपक लिया और उसको धीरे-धीरे चूसने लगी.
रजत अपने पर बड़ी देर तक नियन्त्रण नहीं रख पाया और उसके मुँह से आवाज़ निकलने लगी- आ… ह… आह..
और अब रजत का नियन्त्रण अपने पर से पूरा ही छूट जाता है और उसने अपने एक हाथ से शीतल को सर अपने लंड पर जोर से दबा दिया. फिर करीब दस मिनट की लंड चुसाई के बाद रजत के लंड ने वीर्य छोड़ दिया तो शीतल उसके वीर्य को पी गयी और अपना मुँह पौंछ कर रजत की तरफ देखकर मुस्कुराई और कमरे से बाहर चली गयी.
बाहर जाकर उसने मयूरी को सारी बात बताई तो मयूरी बड़ी खुश हुई- तो अपने बेटे के लंड का स्वाद कैसा लगा माँ?
शीतल- मुझे बहुत मजा आया यार… सच में…
मयूरी- बहुत बढ़िया… अब मेरी बात ध्यान से सुनो.
शीतल- हाँ बोलो… अब मैं तुम्हारी हर बात सुनूंगी… आखिर तुमने मुझे अपने बेटे का लंड चुसवाया है.
मयूरी- सिर्फ लंड चूसने के लिए नहीं होता. उसको अपने चूत में लेना है या नहीं?
शीतल- हाँ.. बिल्कुल लेना है… मैं तो अपने दोनों बेटों से चुदवाने के लिए मरी जा रही हूँ.
मयूरी- ठीक है… तो थोड़ी देर में पापा ऑफिस चले जायेंगे. और मैं कॉलेज… भैया कोचिंग से घर आ जायेगा और इस तरग घर में सिर्फ तुम तीनों लोग रहोगे.
शीतल- हाँ.. बिल्कुल.
मयूरी- तो यही मौका है… अपने बेटों का लंड अपने चूत में लेने का… छोड़ना मत…
शीतल- पक्का… तू तैयार हो और कॉलेज जा.
मयूरी छेड़ते हुए- बड़ी जल्दी है मुझे कॉलेज भेजने की?
शीतल- चल हट… माँ को छेड़ती है?
मयूरी- ये माँ भी तो अपने बेटों का लंड चूसती है.
मयूरी- और तू बड़ी सीधी है… कल रात ही अपने बाप से चुदी है.
फिर थोड़ी देर हंसी ठिठोली कर के मयूरी तैयार होकर कॉलेज चली गयी और अशोक अपने ऑफिस. कुछ ही देर में विक्रम घर आ गया. घर में मौजूद तीनों जिस्म एक साथ चुदने को मरे जा रहे थे, बात बस एक अच्छी से शुरुआत करने की थी.
खैर, सबको खाना खिलाने और साफ-सफाई करने के बाद शीतल नहाने के लिए बाथरूम में घुस गयी, दोनों लड़के हॉल में बैठकर टीवी देख रहे थे. रजत ने विक्रम और मयूरी को आज सुबह की अपनी माँ से लंड चुसाई वाली घटना के बारे में पहले ही बता दिया था.
तभी शीतल ने बाथरूम के अंदर से आवाज़ दी- रजत, विक्रम… कोई है क्या इधर?
विक्रम- हाँ माँ.
शीतल- मैं तौलिया लाना भूल गयी… जरा मुझे दे देना.
दोनों भाई एक-दूसरे की ओर देखते हैं.
रजत- भैया, तुम जाओ.
विक्रम- ओके…
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04-20-2019, 02:28 PM,
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RE: Kamukta Story परिवार की लाड़ली
और विक्रम ने शीतल के कमरे से तौलिया लेकर बाथरूम का दरवाजा खटखटाया- माँ… तौलिया ले लो.
शीतल- दरवाजा खुला है… अंदर आ के रख जा…
विक्रम ने बाथरूम का दरवाजा धीरे से खोला और अंदर गया. विक्रम ने देखा कि माँ ने सिर्फ पेटीकोट पहना हुआ है. शीतल का पेटीकोट उसकी चूचियों के ऊपर तक चढ़ा हुआ था और उसका नाड़ा शीतल ने अपने दांतों से पकड़ा हुआ है. इस अवस्था में उसकी जांघें और दोनों टाँगें बिल्कुल साफ दिखाई दे रही थी.
शीतल ने अपने एक साथ से साबुन और एक हाथ से लूफा (बदन को रगड़ कर साफ करने वाली चीज़) पकड़ी हुई थी, उसका पूरा शरीर भीगा हुआ था, उसका पेटीकोट भी भीगा हुआ था और उसके भीगे होने की वजह से वो शीतल के पूरे शरीर में चिपका हुआ था. शीतल इस अवस्था में बहुत ही कामुक लग रही थी. उसकी चूचियां और गांड कपड़े से ढके होने के वावजूद भी पूरी दिखाई दे रही थी.
विक्रम अपनी माँ का जिस्म देखकर अवाक् रह गया, फिर अपने आप को वापिस होश में लेकर अपनी माँ से पूछा- माँ… तौलिया कहा रखूं?
शीतल ने बाथरूम के खूंटी तरफ इशारा किया. विक्रम तौलिया रखकर बाहर जाने लगा तो शीतल बोली- अच्छा सुन बेटा!
विक्रम- हाँ माँ…
शीतल- अब जो तू अंदर आ ही गया है तो क्या मेरी पीठ में साबुन लगा देगा?
विक्रम- जरूर माँ…
विक्रम को शीतल ने साबुन दिया, पेटीकोट ऊपर तक होने की वजह से पीठ आधे से ज्यादा ढकी हुई थी. विक्रम ने ऊपर के थोड़े हिस्से जो खुले हुए थे, उनमें साबुन लगाया. उसको अपनी कामुक माँ की पीठ की त्वचा बहुत ही मुलायम लगी, उसको अपनी माँ को साबुन लगाने माँ बहुत मजा आया, वो बोला- माँ…
शीतल- हाँ बेटा?
विक्रम- आपकी पीठ तो ढकी हुई है, नीचे साबुन कैसे लगाऊं?
शीतल- अच्छा रुक… मैं पेटीकोट नीचे करती हूँ.
और शीतल ने अपना पेटीकोट के नाड़े को दांतों से छुड़ाकर हाथ से पकड़ लिया, उसको कमर तक नीचे सरकाया जिससे उसकी माँ की पीठ पूरी नंगी हो गयी. साथ ही साथ आगे से चूचियां भी नंगी हो गयी.
शीतल का चेहरा बाथरूम के शीशे की तरफ था और विक्रम शीतल के पीछे खड़ा था तो जब शीतल की चूचियां पूरी नंगी हो गयी तो वो सामने शीशे में शीतल की खुली चूचियों को साफ़ देख सकता था.
अब विक्रम का लंड उत्तेजना में खड़ा हो गया था. उसकी माँ उसके सामने लगभग नग्न खड़ी थी वो भी भीगी हुई. वो बहुत ही ज्यादा कामुक लग रही थी. शीतल ने उसको अपनी चूचियों को ताड़ते हुए देखा… फिर वो बोली मुस्कुराती हुई- ये तुम्हें बहुत अच्छी लग रही है क्या?
विक्रम हड़बड़ाते हुए- क.. क्या… माँ…
शीतल- यही जो तुम देख रहे हो?
विक्रम- म… मैं.. वो…
शीतल हँसती हुई- अरे कोई बात नहीं… घबरा क्यूँ रहे हो? मैं तुम्हारी माँ हूँ… तुमने इन्हें बहुत बार देखा है. मैं तो बस पूछ रही थी कि ये तुम्हें कैसी लगी?
विक्रम संभलते हुए- ऐसी कोई बात नहीं है माँ… ये अच्छी हैं… बहुत सेक्सी!
शीतल- अच्छा? चलो साबुन लगाओ.
और विक्रम साबुन लेकर अपनी माँ की नंगी पीठ में लगाने लगा, फिर अपने दोनों हाथों से शीतल का पीठ रगड़ने लगा. और वो कुछ देर में अपना हाथ धीरे से थोड़ा सा नीचे ले गया और शीतल की गांड को भी थोड़ा-थोड़ा मसल दिया.
शीतल ने उसको कुछ नहीं बोला तो उसका हौंसला बढ़ गया और वो फिर बड़े आराम से अपनी माँ की गांड में साबुन लगाने के बहाने उसको जोर-जोर से मसलने लगा. शीतल भी खूब आराम से अपने बेटे से अपनी गांड मसलवा रही थी.
फिर थोड़ी देर तक उसकी गांड में साबुन लगाते हुए बेटे ने अपनी एक उंगली माँ की गांड में डाल दी तो शीतल जैसे चिहुँक सी उठी, उसके हाथ से पेटीकोट का नाड़ा छूट गया और पेटीकोट नीचे गिर गया. ऐसी स्थिति में अब शीतल पूरी तरह से नग्न हो गयी थी.
विक्रम ने अपनी माँ को पूरी नंगी देखा तो बस देखता ही रह गया लेकिन उसने अपनी उंगली माँ की गांड से निकाली नहीं, बल्कि उसी क्षण अपना एक हाथ पीछे से शीतल की चूची पर रख दिया और उस पर साबुन लगाने के बहाने उसको भी मसलने लगा.
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