कामिनी को तो जैसे ये एहसास ही नही था की शत्रुजीत का बाकी जिस्म भी वाहा है.वो अपने घुटनो पे बैठे झुकी हुई उसके आंडो को हाथो मे भरके दबाते हुए उसके लंड के सूपदे को जीभ से छेद रही थी.शत्रुजीत के लिए अब सहना मुश्किल था,उसनेकामिनी के बाल पकड़ के उसका सर लंड से उठाया & फिर उसके कंधे पकड़ उसे अपने उपर ले बाहो मे भर के चूमने लगा.उसके हाथ उसकी पीठ पे आए & ब्रा के हुक्स को खोल दिया.
थोड़ी हिदेर मे कामिनी की ड्रेस,ब्रा & पॅंटी कमरे के 1 कोने मे फेंके हुए थे & वो कालीन पे लेटी हुई थी & उसका प्रेमी उसके उपर चढ़ उसकी मोटी छातियो को दबाते हुए चूस रहा था.चंद्रा साहब भी उसे पूरी शिद्दत से चोद्ते थे मगर जो बात शत्रुजीत की चुदाई मे थी वो कामिनी ने अब तक किसी और के साथ महसूस नही की थी.शत्रुजीत उसकी चूचियो को अपने सख़्त हाथो मे मसले जा रहा था & उनके निपल्स को लगातार चूस रहा था.
कामिनी अब पूरी तरह से मस्त हो गयी थी.उसने उसे पलटा & उसके उपर सवार हो उसे चूमने लगी.कुच्छ देर चूमने के बाद शत्रुजीत ने उसकी कमर पकड़ के उसे उपर उठाया & 1 बार फिर उसकी चूचिया उसके मुँह मे थी,"..हाइईइ.....!",शत्रुजीत ने हल्के से उसकी बाई चूची पे काट लिया था.शत्रुजीत ने बाहो मे भर के उसके निपल को चूस्ते हुए करवट ली & 1 बार फिर कामिनी उसके नीचे थी.काफ़ी देर तक निप्पल को चूसने के बाद वो नीचे जाने लगा.कामिनी के चेहरे पे मुस्कान खिल गयी..बहुत जल्द उसकी प्यासी चूत मे वो अपनी जीभ फिराएगा..इस ख़याल से उसकी चूत ने कुच्छ ज़्यादा ही पानी छ्चोड़ना शुरू कर दिया.
शत्रुजीत उसके गोल पेट को चूम रहा था,उसकी उंगली कामिनी की नाभि की गहराइयो मे घूम रही थी & उसके होंठ उसके आस-पास उसके पेट पे.कामिनी अब उसके बालो को पकड़ के खींचे जा रही थी.शत्रुजीत और नीचे हुआ & उसकी गोरी,भारी जाँघो को चूमने लगा,उसने उन्हे फैलाया & उनके बीच लेट के उसकी चूत के ठीक उपर उसके पेट के निचले हिस्से पे चूमने लगा,"ऊन्न्ह्ह..!",कामिनी मस्त हो उसके सर को पकड़ नीचे धकेलने लगी,उसकी चूत मे आग लगी हुई थी & शत्रुजीत को मानो कोई परवाह ही नही थी!
शत्रुजीत उस से बेपरवाह बस वही पे चूमे जा रहा था & कामिनी बेचैन हुए जा रही थी.उसने उसका सर कुच्छ मज़बूती से पकड़ के नीचे ठेला,"..आन्न जीत...क्यू तड़पाते हो...?..नीचे जाओ ना.."
"नीचे कहा मेरी जान?",शत्रुजीत ने भोलेपन का नाटक किया.
जवाब मे कामिनी ने अपनी कमर उपर उचकाई & उसके सर को पकड़ के अपनी चूत पे भींच दिया.शत्रुजीत ने उसकी जाँघो को अपने कंधो पे रखा & अपनी ज़ुबान उसकी चूत से लगा दी,"..आअननह.....हान्न्न्न्न...ऐसे..ही...हाइईईईईईई....राआअम्म्म्म्म्म......!",शत्रुजीत की जीभ बिजली की तेज़ी से उसके दाने पे चल रही थी & कामिनी मस्ती मे पागल हो झाड़ रही थी.शत्रुजीत ने 1 उंगली उसकी चूत मे घुसा दी & इतनी तेज़ी से अंदर-बाहर करना शुरू किया की 1 बार झड़ने के बावजूद कामिनी फ़ौरन फिर से मस्त हो गयी.अब शत्रुजीत उसके दाने को चाटते हुए उसकी चूत को उंगली से मार रहा था & कामिनी इस दोहरे हमले को बिल्कुल भी नही झेल पा रही थी.उसकी गरम साँसे बहुत तेज़ हो गयी थी & गुलाबी होंठ खुले हुए थे मगर उनसे कोई आवाज़ नही आ रही थी.
अचानक वो बहुत तेज़ी से कमर उचकाने लगी & उसने शत्रुजीत के सर को अपनी चूत पे बिल्कुल दबा दिया.शत्रुजीत समझ गया था की वो फिर से झाड़ रही है,उसने फ़ौरन अपना मुँह उसकी चूत से उठाया & उपर होता हुए उसकी टाँगो को अपने कंधो पे चढ़ा के 1 ही झटके मे अपना तना लंड उसकी चूत मे पूरा का पूरा घुसा दिया,"हाआआआईयईईईईईईईईईईईई........!"
कामिनी की चीख कमरे मे गूँज उठी,इस लंड से ना जाने वो कितनी बार चूदी थी मगर इधर काफ़ी दीनो से उसने इसका स्वाद नही चखा था.कुच्छ इस वजह & कुच्छ उसकी चूत के कुद्रति कसाव ने उसे दर्द महसूस कराया मगर इस दर्द मे भी 1 अलग ही मज़ा था.उसकी टाँगे उसके प्रेमी के कंधो पे थी & गंद हवा मे उठ सी गयी थी & ऐसी हालत मे शत्रुजीत का लंड उसकी चूत मे जड़ तक घुसा हुआ था & उसके धक्के भी बड़े गहरे लग रहे थे.अपने हाथो पे अपने बदन का वजन संभाले शत्रुजीत के 5-6 ही धक्को मे कामिनी की चूत ने हथियार डाल दिए & वो झाड़ गयी लेकिन ये तो बस शुरुआत थी.