इंदर ने चूमते हुए रजनी को लिटा दिया,उसके बाया हाथ रजनी की पीठ के नीचे उसे थामे दबा पड़ा था & दाया उसकी कमीज़ को उपर उठा रहा था.अब रजनी भी उसे नही रोक रही थी.उसे हैरानी भी हुई कि वो पहली बार इस तरह से किसी मर्द के साथ थी & उसे अब ज़रा भी शर्म नही आ रही थी.इंदर उसके नुमाया हो चुके पेट को सहला रहा था.
इंदर ने अपना सर उसके चेहरे से उठाया & उसके पेट को देखा,अब रजनी को शर्म महसूस हुई & उसका दिल किया की अपने बदन को ढँक ले मगर तब तक इंदर उसके पेट पे झुक चुका था,"..हययाया...!",रजनी की आह निकल गयी,इंदर उसके पेट को चूम रहा था.उसने उसके बाल पकड़ के उसे वाहा से हाने की कोशिश की मगर इंदर की ज़ुबान तो अब उसकी नाभि मे उतर चुकी थी.बेचैन हो रजनी बिस्तर से उठती हुई इंदर के बाल खींचने लगी मगर उसके बदन मे मस्ती भरने लगी थी.उसकी चूत मे 1 अजब सा एहसास हो रहा था जोकि ना की उसे केवल तकलीफ़ दे रहा था बल्कि बहुत सा मज़ा भी.
वो करवट लेने की कोशिश कर रही थी मगर इंदर उसे मज़बूत से बिस्तर पे दबाए उसकी नाभि चाट रहा था.उसने अपनी टाँगे घुटनो से मोड़ के अपनी जंघे भींच ली...उसका दिल कर रहा था कि अपनी चूत को दबाके किसी तरह उसे शांत करे मगर इंदर था की उसे छ्चोड़ ही नही रहा था.तभी उसका दिल जैसे भर आया & चूत से पानी बड़े ज़ोरो से बहने लगा.उसका बदन अकड़ गया & उसके गले से सिसकिया निकालने लगी.इस से बेपरवाह अभी भी उसके पेट को चूमे जा रहा था.रजनी को अब उसके छुने से मानो तकलीफ़ हो रही थी & उसने सुबक्ते हुए उसे परे धकेला & बाई करवट पे हो अपना चेहरा बिस्तर मे च्छूपा के सुबकने लगी . इंदर उसके पीछे आ प्यार से उसके सर पे चुपचाप हाथ फेरता रहा.
"रजनी..",कुछ पलो बाद जब इंदर ने देखा की वो शांत हो गयी है तो उसने उसके बाल उसके चेहरे से हटा के उसके कान मे फुसफुसाया.रजनी वेस ही चुपचाप पड़ी रही....कितना मज़ा आया था उसे इतना की उसे दर्द होने लगा था...ये सब एहसास उसके लिए बिल्कुल नये थे. इंदर ने उसके चेहरे को अपनी ओर घुमाया तो रजनी ने पूरी करवट ले ली & उसके चेहरे को अपने हाथो मे भर लिया,"क्या हुआ,रजनी?तुम ठीक तो हो?",इंदर की आँखो मे चिंता झलक रही थी.
"हां..",रजनी ने उसके चेहरे को अपने चेरे के उपर झुका लिया.