"ऊव्व....!",इंदर के हाथ जैसे ही उसकी नंगी गंद से टकराए उसने उन्हे ज़ोर से दबा दिया & अपने नखुनो से उन रसीली फांको को खरोंच भी दिया.जवाब मे रजनी ने भी उसकी पीठ को हौले से नोच दिया.इंदर के दिल मे अपनी इस कठपुतली के नंगे जिस्म को देखने की हसरत पैदा हुई & उसने नाइटी को खींच उसके सर से उपर निकाल दिया.रजनी की साँसे तेज़ चल रही थी & उनकी वजह से किशमिश के दानो जैसे कड़े निपल्स से सजी उसकी चूचिया उपर-नीचे हो रही थी.इंदर ने नज़रे नीचे की तो देखा की उसकी झांतो से ढँकी चूत थोड़ी गीली सी लग रही थी.
इंदर की निगाहे उसके जिस्म मे जैसे आग लगा रही थी.उसे शर्म सी आई & वो आगे हो उसके सीने से लग गयी,"क्या देख रहे हो?"
"अपनी किस्मत पे यकीन नही आ रहा था.वही देख रहा था की तुम्हारे जैसा हीरा मुझे कैसे मिल गया."
रजनी के दिल मे इतनी खुशी भर गयी की उसका गला भर आया.उसने सर उपर किया & इंदर को पगली की तरह चूमने लगी.इंदर की बाजुओ की गिरफ़्त की वजह से दोनो के जिस्म बिल्कुल चिपके हुए थे & उसका पॅंट मे बंद लंड रजनी की नाभि के नीचे & उसकी चूत के उपर के पेट के हिस्से मे चुभ रहा था.रजनी का दिल अब बिल्कुल बेक़ाबू हो गया था & उसमे आज इंदर की प्यार भरी बात ने उसकी सारी शर्मोहाया मिटा के बस अपने प्रेमी के लिए ढेर सा प्यार & उसके जिस्म की चाहत छ्चोड़ दी थी.(ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक-कहानियाँ में पढ़ रहे है )
इंदर उसकी गंद मसल रहा था & उसके हाथ भी इंदर की गंद पे जम गये थे.इंदर झुका & उसने उसका बाया हाथ अपनी गंद से हटा के आगे ला अपने लंड पे रख दिया.पिच्छली बार की तरह इस बार रजनी ने हाथ पीछे नही खींचा बल्कि उसे हल्के-2 दबाने लगी.इंदर का जोश अब अपने चरम पे पहुँच गया.वो जल्दी-2 अपनी पॅंट उतारने लगा तो रजनी ने उसके हाथ हटाए & खुद उसके कपड़े निकालने लगी.
इंदर के नंगे होते ही दोनो फिर से 1 दूसरे की बाहो मे खो गये.थोड़ी देर चूमने के बाद इंदर उसे उसके कमरे मे ले गया & दोनो बिस्तर पे लेट गये.इंदर उसकी चूचिया चूस्ते हुए उसकी चूत मे उंगली कर रहा था & रजनी अपने दाए हाथ मे उसके लंड को मजबूती से पकड़े हिला रही थी.उसने सोचा भी नही था की वो इस तरह से 1 मर्द के लंड की ऐसी दीवानी हो जाएगी.लंड का 1 साथ मुलायम & सख़्त एहसास उसके दिल मे गुदगुदी पैदा कर रहा था.इंदर की उंगली ने उसे जन्नत तक पहुँचा दिया था & वो लंड को पकड़े हुए बेचैन हो कमर & बदन को हिलाते हुए आहे भरती झाड़ गयी. (ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक-कहानियाँ में पढ़ रहे है )
इंदर काफ़ी देर तक उसकी चूचियो से खेलता रहा.जब वो उठा तो रजनी की चूचिया उसके होंठो के निशानो से भरी पड़ी थी.इंदर ने धीरे से उसका हाथ अपने लंड से खींचा & फिर उसे सीधा लिटा दिया.रजनी ने सोचा की अब वो उसे चोद के शांत करने वाला है मगर उसने ऐसा कुच्छ नही किया बल्कि उसे हैरान करते हुए इंदर अपने घुटनो पे उसके सीने के बगल मे खड़ा हो गया & अपना लंड अपने बाए हाथ मे पकड़ उसके होंठो से सटा दिया.
रजनी उसका इशारा समझ गयी & उसने फ़ौरन अपने होंठ खोल दिए & लंड को अपने मुँह मे भर लिया.इंदर उसकी बाई तरफ था & उसने अपना बाया घुटना रजनी के सीने पे हल्के से इसतरह जमाया की उसकी मोटी छातिया उसके नीचे दब गयी.फिर तकियो की वजह से उठे हुए रजनी के सर को पकड़ के वो हौले-2 अपने लंड से उसके मुँह को चोदने लगा.
रजनी सर बाई तरफ घुमा अपने मुँह मे उसके लंड का स्वाद चख ते हुए अपने हाथो से इंदर की जंघे & गंद सहला रही थी.उसे बहुत मज़ा आ रहा था & उस से भी ज़्यादा खुद पे आश्चर्या हो रहा था की वो कैसे झट से लंड को मुँह मे लेने को राज़ी हो गयी!..और तो और अब वो लंड को तरह-2 से अपनी ज़ुबान & होंठो से छेड़ अपने प्रेमी को जोश मे पागल कर रही थी.इंदर का सचमुच बुरा हाल था.उसने अचानक रजनी के सर को ज़ोर से पकड़ लिया & लंड को उसके मुँह मे ठुसने लगा.8 इंच का लूंबा,मोटा लंड रजनी के हलक मे जाने की कोशिश करने लगा तो रजनी की सांस अटकने लगी.उसने इंदर के लंड के बगल मे पेट पे हाथ रख उसे जैसे लंड बाहर खींचने का इशारा किया.
"सॉरी...आहह..!",इंदर ने अपने दिल पे काबू रखा.आमतौर पे वो ऐसा नही करता था,उसके लिए औरत का जिस्म बस उसकी मर्दानी भूख को शांत करने का ज़रिया था लेकिन रजनी की बात और थी.उसे नाराज़ कर या उसके दिल मे शक़ पैदा कर वो अपने इंतकाम को ख़तरे मे नही डाल सकता था.उसने लंड आधा बाहर खींच लिया और उतने से ही रजनी के मुँह को चोदने लगा.(ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक-कहानियाँ में पढ़ रहे है ) रजनी भी उसकी गंद को थामे उसके धक्के सहती हुई अपनी जीभ से लंड को छेड़ रही थी.
"आहह..आहह..!",इंदर का लंड रजनी की ज़ुबान के आगे घुटने टेक रहा था & उसमे से उसका विर्य बलबला के निकलता हुआ रजनी के मुँह मे भर रहा था.हैरान इंदर ने देखा की रजनी उसके लंड को पकड़ हिला के उसका सारा पानी मानो निचोड़ रही है & उसे चाट-चाट के पी रही है.ये भोली सी लड़की बिस्तर मे कैसी बिंदास हो गयी थी!मगर उस से भी ज़्यादा हैरत हुई खुद रजनी को....कितना मज़ा आ रहा था उसे ये सब करने मे.उसने कभी सपने मे भी नही सोचा था की वो लंड मुँह मे लेगी & इस तरह चांट-पोंच्छ के उस से गिरता रस पिएगी.....लेकिन कितना मज़ा आ रहा था इस सब मे...कितनी मस्ती!उसकी चूत मे कसक सी उठने लगी थी.
इंदर ने लंड उसके मुँह से खींचा & उसके बगल मे लेट गया & उसे बाँहो मे भर लिया. (ये कहानी आप राज शर्मा के ब्लॉग कामुक-कहानियाँ में पढ़ रहे है ) थोड़ी देर दोनो बस 1 दूसरे से सटे लेटे रहे फिर रजनी ने ही पहल की.इंदर के सोए लंड को उसने अपने हाथो मे लिया & उसे जगाने लगी.थोड़ी ही देर मे लंड खड़ा हो गया तो इंदर ने उसे पीठ के बल लिटाया,उसके उपर चढ़ा & उसकी टाँगे फैला के लंड को उसकी इंतेज़ार करती चूत मे दाखिल करने लग.दोस्तो बाकी कहानी अगले पार्ट मे