RE: Kamukta Story बदला
रात बीती जा रही थी & उसके जिस्म का लुत्फ़ उठमने के बजाय ये आदमी बस
अपनी कूची चलाए जा रहे था!..बेवकूफ़ कही का!कामिनी दीवान से उठी,"..अरे
बस थोड़ी देर और वैसे ही लेटी रहो ना!",वीरेन ने उस से गुज़ारिश की मगर
कामिनी उसे अनसुना कर उसके पास आ खड़ी हो गयी.
उसने वीरेन के गले मे बाहे डाली & उसके होंठो पे अपने होंठ कस दिए.वीरेन
समझ गया की अब इस रात वो उसे और अपिंटिंग नही करने देगी.उसने भी अपनी
बाहे उसकी कमर मे डाल दी & उसकी गंद की भारी-2 फांको को मसलते हुए उसकी
किस का जवाब देने लगा.जैस-2 किस की गर्मजोशी बढ़ रही थी वैसे-2 कामिनी के
उपर च्छाई खुमारी मे भी इज़ाफ़ा हो रहा था.वो अपने बदन को बेचैनी से
वीरेन के जिस्म से रगड़ रही थी.वीरेन का लंड भी अब उसकी चूत से मिलने को
बेचैन हो गया था.अब वीरेन ने और देर करना ठीक नही समझा.
वो थोड़ा झुका & कामिनी की बाई जाँघ को उठा लिया.कामिनी समझ गयी की अब
उसका इंतेज़ार ख़त्म हुआ,उसने अपनी बाहे उसके कंधो पे टीका दी.वीरेन ने
वैसे ही झुके हुए अपना लंड उसकी चूत मे घुसाया,"ओह्ह्ह...!",कामिनी को
हल्का दर्द हुआ.
उसके आँखे बंद कर अपने होंठ भींच लिए.उसकी चूत अभी वीरेन के लूंबे & बेहद
मोटे लंड की आदि नही हुई थी.लंड पूरा समाते ही वीरेन ने उसकी जंघे पकड़
अपनी गोद मे उठा लिया & उसे ले दीवान पे बैठ गया.बैठते ही कामिनी ने उसे
चूमते हुए अपनी कमर हिलाकर चुदाई शुरू कर दी.वीरेन के हाथ कभी उसकी कमर
से खेलते तो कभी गंद की फांको को दबाते.जब वो हाथ आगे ला उसके कड़े
निपल्स को मसल उसकी चूचिया दबाता तब उसके बदन मे जैसे बिजलिया दौड़ जाती.
वीरेन की गोद मे बैठी उस से चुद्ति कामिनी को उसका लंड सीधा अपनी कोख पे
चोट करता महसूस हो रहा था.जब भी ऐसा होता उसे बहुत मज़ा आता.काफ़ी देर तक
वीरेन वैसे ही बैठे उस से खेलता रहा.अब तक कामिनी कोई 3 बार झाड़ चुकी थी
& उसके बदन मे बिल्कुल भी ताक़त नही बची थी मगर वीरेन था की झड़ने का नाम
ही नही ले रहा था.ऐसा थकाने वाला प्रेमी उसे पहली बार मिला था मगर इस
थकान मे जो मज़ा था उसका कोई मुक़ाबला नही था.
"..आअन्न...आअननह...!",कामिनी झाड़ के पीछे दीवान पे गिर गयी.अब वीरेन ने
पैंतरा बदला & अपने घुटने मोड़ उनपे बैठ उसने उसकी टाँगे थाम ली.कामिनी
को पता था की अब वो झदेगा मगर जब तक वो 1 बार और ना झाड़ जाए.वीरेन के
धक्के शुरू हो गये & कामिनी की आहे भी.उसने अपना मुँह बाई तरफ फेर लिया &
अपना बाया हाथ उस के अपने होंठो पे रख लिया.वीरेन पूरा लंड बाहर खींचता &
फिर अंदर जड़ तक घुसा देता.उसके हाथ कभी उसकी चूचिया मसलते तो कभी चूत के
दाने को.उसके नर्म पेट से उसका दाया हाथ घूमता हुआ उसके चेहरे पे पहुँचा
& उसकी उंगलिया उसके होंठो को सहलाने लगी.
कामिनी सिहर उठी & उसने उन उंगलियो को अपने मुँह मे ले लिया & चूसने
लगी.वीरेन का लंड उसकी चूत को फिर से पागल कर रहा था & वो 1 बार फिर से
अपने मस्ती के अंजाम की ओर बढ़ रही थी.वो वीरेन के धक्को का पूरा लुत्फ़
उठा रही थी की तभी वीरेन ने लंड बाहर निकाल लिया,".आहह..क्या करते
हो?",उसके चेहरे पे नाराज़गी सॉफ झलक रही थी,"..जल्दी डालो ना..!"
वीरेन बस मुस्कुरा रहा था,"..ओह्ह..वीरेन..क्यू तड़पाते हो?!!..जल्दी से
डालो..प्लेआसीए!!!",कामिनी रुआंसी हो गयी.वीरेन ने लंड को दाए हाथ मे
लिया & उसकी चूत पे थपथपाया,"..ऊव्व..".कामिनी मस्ती मे पागल हो कमर
उचकाने लगी,"..आँह..आँह...डालो ना..",वो लंड को पकड़ने की कोशिश करने लगी
मगर उसका हाथ पकड़ के वीरेन ने उसे रोक दिया & उसके दाने पे लंड से मारने
लगा,"..ऊव्व..ऊव्व...आनंह..आँह...!"
कामिनी की आहे कमरे मे क्या पूरे बंगल मे गूँज रही थी.उसकी मस्ती अब उसके
सर पे पूरा चढ़ गई थी & जैसे ही वीरेन ने देखा की वोंझड़ने वाली है उसने
लंड अंदर घुसेड दिया & अपनी प्रेमिका के उपर लेट गया.कामिनी ने उसे अपनी
बाहो & टाँगो मे कस लिया & नीचे से बेचैनी से कमर हिलाने
लगी,"ओह्ह..वीरेन..हा..हां...करते..रा..हो..का..रते...रा..हो...आअनह...आनह...!",1
दूसरे से गुत्था-गुत्था दोनो प्रेमी ! दूसरे को चूमते 1 दूसरे मे सामने
की कोशिश करते हुए झाड़ गये.कामिनी की चूत आज वीरेन के लंड पे कुच्छ
ज़्यादा ही कस गयी थी & उसकी भी आहे निकल पड़ी थी.उसके लंड से उसके गाढ़े
वीर्या की धार काई पॅलो तक कामिनी की चूत मे छूटती रही.
आज से ज़्यादा मज़ा कामिनी को चुदाई मे कभी नही आया था.उसके दिल मे अपने
प्रेमी के लिया बहुत सारा प्यार उमड़ आया था.उसने उसके सर को थाम उसे चूम
लिया.चाहती तो थी की वो उसे अपने दिल मे उमड़ रही सारी बाते उस से कह दे
मगर उसकी थकान ने उसे इस लायक नही छ्चोड़ा था.उसकी आँखे मूंद गयी & वो
गहरी नींद मे सो गयी.
प्रसून सो रहा था & उसके बगल मे उसकी मा लेटी थी जिसकी आँखो मे नींद का
नामोनिशान नही था.कर्वते बदलती देविका को हर रात की तरह इस रात भी आने
वाले कल की चिन्ताओ ने आ घेरा था..क्या वो सब कुच्छ बखूबी संभाल
पाएगी?..क्या उसका बेटा उसके जाने के बाद भी महफूज़ रहेगा?..
तभी प्रसून नींद मे जैसे कराहने लगा.देविका उठके उसे देखने लगी,प्रसून का
बदन जैसे झटके खा रहा था & उसके मुँह से उउन्न्ह..उऊन्ह की आवाज़े आ रही
थी..वो बहुत घबरा गयी & वो प्रसून को झकझोरने ही वाली थी की तभी उसके
होंठो पे मुस्कान फैल गयी-प्रसून के पाजामे पे 1 गीला सा धब्बा उभर रहा
था जोकि पल-2 गहरा रहा था.उसका बेटा नींद मे झाड़ रहा था.
प्रसून की नींद खुल गयी थी.ये देख देविका ने फ़ौरन आँखे बंद कर ली & सोने
का नाटक करने लगी.प्रसून हैरत से अपने पाजामे को देख रहा था,उसे बहुत
शर्म आ रही थी.वो उठा & झट से बाथरूम मे घुस गया.देविका भी उसके पीछे-2
दबे पाँव गयी.
बाथरूम के अंदर पाजामा उतारे खड़ा प्रसून अचरज से अपने लंड को देख रहा
था.कुच्छ रोज़ से ये अजीब बात हो रही थी जोकि प्रसून को 1 बहुत बड़ी
बीमारी की निशानी लग रही थी.पहेल तो उसने सोचा था की वो नींद मे पेशाब कर
देता है मगर ये पेशाब नही था,ये तो अजीब सा चिपचिपा सा थूक...नही..थूक बस
गीला होता था..ये तो गोंद की तरह..नही..इतना भी चिपचिपा नही था..क्या था
ये?
देविका ने बेटे का लंड देखा,काली झांतो से घिरा उसका लंड उसके पिता से
कही ज़्यादा बड़ा था.प्रसून लंड धो रहा था तो देविका वैसे ही दबे पाँव
वापस लौट गयी.1 बात तो तय थी की प्रसून की मर्दानगी मे कोई कमी नही थी.अब
बस उसे ये समझना था की इस मर्दानगी का इस्तेमाल कैसे & क्यू करते हैं?
परेशान हाल प्रसून ने अपना पाजामा बदला & आके मा के बगल मे सो गया.उसका
दिल था तो बहुत घबराया हुआ,उसकी समझ मे नही आ रहा था की इस बारे मे किस
से बात करे.उस बेचारे को क्या खबर थी की उसकी मा को सब पता चल गया था &
वो कल ही उस से बात कर उसके मन के सभी शुबहे दूर करने वाली थी.
कोई और औरत होती तो अपने बेटे को नींद मे झाड़ते देख उस से कही ज़्यादा
शर्म मे डूब जाती & उस से बात करना तो दूर उस बात के बारे मे फिर कभी
सोचना भी नही पसंद करती मगर प्रसून कोई आम,समझदार लड़का तो था नही &
देविका तो कही से भी आम औरत नही थी.उस हौसलेमंद औरत ने ये फ़ैसला कर लिया
था की कारोबार के साथ-2 अपने बेटे की ज़िंदगी को भी सावरेंगी & इसके लिए
वो हर बात के लिए तैय्यार थी.
थोड़ी देर प्रसून फिर से नींद की गोद मे चला गया था मगर देविका भी भी
जागी हुई थी.तभी कमरे का दरवाज़ा खुला & शिवा अंदर दाखिल हुआ.देविका उसे
आते देख रही थी.वो आया & उसके बगल मे बैठ गया & उसका हाथ थाम लिया.देविका
ने भी अपने हाथ की उंगलिया उसकी उंगलियो मे फँसा दी.
"ठीक हो?",शिवा ने बड़े प्यार से अपनी प्रेमिका के सर पे हाथ फेरा.जवाब
मे देविका ने हा मे सर हिलाया.
"ज़रा भी परेशान मत होना,मैं हू ना.",शिवा धीमी आवाज़ मे बोल रहा था की
कही प्रसून जाग ना जाए.देविका को उसकी आँखो मे खुद के लिए प्यार & चिंता
नज़र आई.वो उसके हाथ थामे हुए उठी & दूसरे हाथ से उसके चेहरे को
सहलाया.दोनो प्रेमी 1 दूसरे की आँखो मे झाँक रहे थे.1 दूसरे की आँखो मे
झाँकते हुए कब दोनो 1 दूसरे के गले से लग गये उन्हे पता भी नही चला.
"श,शिवा..!",देविका की आँखो से आँसुओ की धार बह चली.
"नही,देविका,नही..चुप हो जाओ.",शिवा उसके खूबसूरत चेहरे को हाथो मे भर
उसके आँसुओ को चूम रहा था लेकिन उसकी हमदर्दी ने शायद देविका के अंदर का
बाँध तोड़ दिया था & उसकी रुलाई तेज़ हो रही थी.शिवा ने उसे गोद मे उठाया
& जल्दी से उस कमरे से निकल गया,अगर प्रसून उठ जाता तो बड़ी परेशानी
होती.कमरे से निकल वो देविका के कमरे की ओर जाने लगा तो उसने उसे रोक
दिया,"नही,वाहा नही.",अब वो फुट-2 के रो रही थी मगर शिवा ने उसकी बात नही
मानी & उसे वही ले गया.
उसके बिस्तर पे उसे बिठा के वो खुद भी उसकी दाई तरफ बैठ गया & उसे बाँहो
मे भर चुप करने लगा,"कब तक इस कमरे से भगोगी?जानता हू,तुम्हे कैसा लगता
होगा मगर इस तरह से भागने से तो नही होगा..हूँ..",आँसुओ से भीगे उसके
चेहरे को उसने अपनी बाँह से उठाया,"..तुम्हे बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी उठानी
है अभी & जानती हो अगर 1 बार भी कही कमज़ोर पड़ी तो फिर तुम्हारा दिल हर
बार तुम्हे पीछे खींचेगा..",देविका की रुलाई अब धीमी हो गयी थी.
"..& पीछे हटना बहुत आसान होगा.तुमको कोई परेशानी नही होगी मगर 1 दिन सब
कुच्छ तुम्हारे हाथ से निकल जाएगा & तुम पछ्तओगि.",उसकी बातो ने देविका
के उपर जादू सा असर किया..नही!ये सब वो खोने नही देगी..सब उसका है सिर्फ़
उसका!
"..इसलिए अब इस कमरे से भागना छ्चोड़ो.अगर प्रसून को साथ सुलाना है तो
उसे यहा बुलाओ मगर तुम यही सोयोगि.",शिवा उसकी आँसुओ से लाल आँखो मे झाँक
रहा था.वो झुका & उसने उसके गालो पे गिरे आसुओं को अपने लाबो से पोंच्छ
दिया.देविका को उस लम्हे उसपे बहुत प्यार आया.उसने उसे बाहो मे जाकड़
लिया & उसके चेहरे को बेतहाशा चूमने लगी,"आइ लव यू,शिवा!..माइ
डार्लिंग!..माइ जान.. आइ लव यू!"
दोनो प्रेमी 1 दूसरे मे खोने लगे.थोड़ी ही देर मे दोनो बिस्तर पे नंगे 1
दूसरे से गुत्थमगुत्था थे.देविका को अब याद भी नही था की बस चंद दीनो
पहले इसी बिस्तर पे उसके उपर,उसकी चूत मे लंड डाले उसका पति मर गया
था.उसे बस इस लम्हे का होश था जिसमे वो बिस्तर पे पड़ी थी & उसका
हटता-कटता प्रेमी उसकी टाँगो के बीच लेटा उसकी चूत चाट रहा था.
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क्रमशः...................
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