थोड़ी देर तक ऐसे ही चोदने के बाद अचानक वीरेन उसके उपर लेट गया & उसके सख़्त निपल्स को अपने दन्तो से काटने लगा.कामिनी के बदन मे तो जैसे करेंट दौड़ गया.वो छत-पटाती हुई आहे भरने लगी,"..हाईईईईईई...ऊओह....",वीरेन उसके निपल्स को छ्चोड़ अपने मुँह मे उसकी मानो पूरी छाती भर लेना चाहता था & उसे बस चूसे जा रहा था.कामिनी का उपरी जिस्म बिस्तर से उठ जैसे वीरेन के मुँह मे अपनी छाती को और धकेल रहा था.
उसकी चूत से रस की 1 नयी धार बह रही थी & बेचैनी से अपनी टाँगे हवा मे उठाए वो वीरेन के बदन को नोच रही थी.वीरेन ने उसकी चूचियो को अपने हाथो से मसला & दबाया & उनके निपल्स पे चिकोटी काटी.कामिनी ने जवाब मे अपनी टाँगे उसकी कमर पे बाँधी & अपने नखुनो से उसकी पीठ & गंद को छल्नी कर दिया.वीरेन उसे अपने बदन से पूरा दबाए हुए था & वो भी नीचे से अपनी कमर इतनी तेज़ी से उच्छाल रही थी की बिस्तर से 1-2 इंच उपर उठ जाती थी.
वीरेन ने अपने हाथ उसके बदन के नीचे ले जा उसे अपने आगोश मे भर लिया & अपने होठ वाहा पे लगाए जहा से उसके सीने पे चूचियो का उभार शुरू होता था.होत लगाके चूमने के बाद उसने इतनी ज़ोर से चूसा की कामिनी की सांस अटक गयी & उसने अपने नाख़ून वीरेन की पीठ मे और धंसा दिए.बिस्तर से उठती हुई वो उसके उस को पागलो की तरह चूमती 1 बार फिर झाड़ गयी.
उसके झाड़ते ही वीरेन अपने घुटनो पे बैठ गया & कामिनी की बाहे पकड़ उसे उठाया & अपने सीने से लगा उसे अपनी गोद मे बिठा लिया.कामिनी उसके गले मे बाहे डाल उस से चिपक के बैठ गयी.वीरेन की चुदाई से मिला चैन उसके चेहरे पे था.वो जानती थी की वीरेन अभी नही झाड़ा है & इसलिए गोद मे बैठते ही उसने कमर हिलाके फिर से चुदाई शुरू कर दी.वीरेन उसकी ज़ुल्फो को सँवारने लगा तो उसने उसके चेहरे को हाथो मे भर उसे चूम लिया.दोनो 1 दूसरे को चूमते सरगोशिया करते बहुत इतमीनान से चुदाई कर रहे थे.
"वीरेन..",कामिनी ने उसके बालो मे उंगलिया फिराई.
"ह्म्म..",वीरेन सर झुका के अपने बाए हाथ से उसकी दाई चूची को पकड़ के चूस रहा था.
"मैं आज दिन मे पंचमहल से बाहर जा रही हू....बॉमबे,1 केस के सिलसिले मे.काम मे 2 दिन भी लग सकते हैं..ऊओवववववव..!",वीरेन ने अपने दाए हाथ से उसकी गंद को बहुत ज़ोर से मसला था,"..& 4 दिन भी.तब तक तुम यही रहोगे.ठीक है."
"ठीक है.",कामिनी अब बहुत तेज़ी से कमर हिला रही थी & काफ़ी देर से उसकी चुदाई कर रहा वीरेन का लंड भी अब बहुत बेताब ही उठा था.अपनी बाहो मे भरे अपने सीने पे वीरेन के सर को दबाए कामिनी उसकी कमर पे टाँगे लपेटे बहुत ज़ोर से कमर हिला रही थी मगर इस पोज़िशन मे वीरेन मनचाही रफ़्तार से धक्के नही लगा पा रहा था.उसने फ़ौरन कामिनी को बिस्तर पे लिटाया & 1 बार फिर उसपे सवार हो उसे चोदने लगा.कामिनी का सर बिस्तर से नीचे लटक गया था & उसके नीचे उसके घने,लंबे बाल लहरा रहे थे.वीरेन उसके गले को चूमता आहे भरता ज़ोरदार धक्के लगा रहा था.कामिनी की चूत मे इतना ज़्यादा तनाव बन गया था की उसे तकलीफ़ होने लगी थी.उसने वीरेन के बदन को और भींच लिया & चीखने लगी.उसकी चूत की सिकुड़ने-फैलने की हरकत शुरू हो गयी थी जिसने वीरेन को मज़ा दिलाया जो उसे हर बार हैरान कर देता था.उसका बदन झटके खाने लगा & उसका गरम,गाढ़ा विर्य कामिनी की चूत मे भरने लगा.विर्य की फुहार से कामिनी की चूत भी झाड़ गयी & इस बार झड़ने की शिद्दत इतनी ज़्यादा थी की कामिनी की आँखो से आँसू निकल पड़े & गले से सिसकियाँ.