03-08-2019, 02:04 PM,
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैं: फिर किसी दिन लीव ले लो….मैं तुम्हारे घर पर आ जाउन्गा….
नाज़िया: नही नही….ये गाओं है फ़ारूक़ है सिटी नही कि, किसी को पता नही होता कि किस के घर पर कॉन आया है कॉन नही…..
मैं: तो फिर मेरे पास जगह है वहाँ आ जाओ….
नाज़िया: नही फ़ारूक़ मुझे डर लगता है….मैं बॅंक से लीव भी नही ले सकती… बॅंक की लॅंडलाइन पर रोज मेरे शोहार फोन करते है….उनको क्या जवाब दूँगी के लीव क्यों ली और कहाँ पर हूँ….
मैं: अच्छा देखो मेरे पास एक प्लान है….अगर कहो तो बताऊ….
नाज़िया: हां बताओ….
मैं: हां बताओ….वैसे भी तुमने कॉन सा मानना है….
नाज़िया: फ़ारूक़ प्लीज़ समझा करो..हम औरतों के लिए सब तुम लड़को जैसा आसान नही होता कि, कही भी मुँह उठा कर चल पड़ें….सब कुछ देखना सोचना पड़ता है… अच्छा खैर बताओ तो सही फिर देखते है क्या करना है….
मैं: अच्छा ये बताओ कि तुम बॅंक से कब फारिघ् होती हो….
नाज़िया: 6 बज जाते है बॅंक में….
मैं: अच्छा सुन जिस दिन का भी प्रोग्राम बनाना हो…उस दिन बॅंक से 4 बजे छुट्टी ले लेना…कोई भी बहाना बना देना…
नाज़िया: अच्छा ठीक है फिर….
मैं: फिर बॅंक से निकल कर बस स्टॅंड पर आ जाना….नक़ाब कर लेना….मैं वहाँ से तुम्हे कार मे पिक कर लूँगा….और तुम्हे वहाँ से उसी जगह मैं ले चलूँगा….
नाज़िया: लेकिन वो जगह है कहाँ पर….और किसे ने देख लिया तो, अगर ज़्यादा देर हो गयी तो, मेरा सौतेला बेटा उसको क्या जवाब दूँगी….
मैं: कुछ नही होता…तुम्हारे गाँव के रोड के ठीक सामने जो रोड जाती है….
नाज़िया: हां वो जो **** गाओं की तरफ जाती है…
मैं: हां वही उसी रोड पर थोड़ा आगे जाकर राइट साइड को एक कच्चा रास्ता जाता है…. वहाँ कोई आता जाता नही है….वहाँ पर एक मकान है….वो खाली रहता है…हम वही जाएँगे….
नाज़िया: पर फ़ारूक़ मुझे पता नही क्यों डर लग रहा है….
मैं: देखो नाज़िया अब इतना तो रिस्क लेना ही पड़ेगा…आगे तुम्हारी मर्ज़ी… मैं अपना और ज़्यादा टाइम बर्बाद नही कर सकता…
नाज़िया: अच्छा जी तो तुम्हे लगता है कि, अगर मैं तुम्हे वो सब ना दूं जो तुम चाहते हो तो तुम्हारा टाइम बर्बाद हो रहा है….
मैं:हां हो ही रहा है…
नाज़िया: तो इसलिए तुम मेरे करीब आए थे…दिखा दिया ना तुमने कि सब मर्द एक जैसे होते है….
मैं: अच्छा तो क्या मैने तुम्हारे साथ कोई ज़बरदस्ती की थी….
नाज़िया: ओह्ह अब समझी तुम्हे मुझसे प्यार नही तुम तो जिन्सी हवस के शिकार हो….
मैं: हां हूँ मैं जिन्सी हवस का शिकार तुम नही हो….और तुमने क्या प्यार -2 लगा रखा है…..एक बात बताओ….चलो एक बार मान भी लेता हूँ कि, मैं तुमसे प्यार करता हूँ तो क्या तुम सब कुछ छोड़ कर मेरे पास आ जाओगी….. नही ना…क्योंकि तुम्हे तुम्हारी बदनामी का डर है….और तुम ही बताओ तुममे और मुझमे और क्या रिस्ता हो सकता है….बताओ…देखो नाज़िया प्यार के मायने अलग -2 होते है…अगर मुझे तुम्हारी ज़रूरत है….तो इसका मतलब ये नही कि तुम्हे मेरी नही है….तुम भी वही चाहती हो जो मैं चाहता हूँ….आगे तुम्हारी मरज़ी है….
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैने कॉल कट कर दी…..दरअसल मैं नाज़िया को उकसाना चाहता था कि, वो किसी तरह मेरे साथ उस मकान मे चलने को तैयार हो जाए…जिसमे मैने सबा को चोदा था…कॉल कट करके मैं लेटा ही था कि, फिर से मोबाइल बजने लगा…मैने देखा तो नाज़िया की कॉल थी….
नाज़िया: हेलो कॉल क्यों काट दिया….
मैं: ऐसे ही तुमने मूड जो खराब कर दिया था….
नाज़िया: ओह्ह अच्छा तो जनाब को गुस्सा भी आता है….आइ आम सॉरी फ़ारूक़….
मैं: सॉरी वरी छोड़ो….और बाथरूम से बाहर निकलो…कही तुम्हारे बॅंक वाले ये ना सोच रहे हो कि नाज़िया बैग अंदर ही सो गयी है….
नाज़िया: हाहाहा….अच्छा जाती हूँ..पहले पैंटी तो पहन लूँ…
मैं: क्या पैंटी पहननि है….
नाज़िया: और नही तो क्या जनाब आपने ही तो ऑर्डर दिया था कि, बस मैं पैंटी ना पहन कर आया करूँ….
मैं: तो अब क्यों पहन रही हो….
नाज़िया: हाए क्या बताऊ फ़ारूक़…सुबह से फुद्दि ने पानी छोड़ छोड़ कर सलवार की मत मार दी है….इसलिए पहन रही हूँ…नही तो चेर पर भी दाग लग जाने थे हहा हहा…
मैं: अच्छा बोलो फिर क्या प्रोग्राम है….
नाज़िया: मुझे एक दो दिन का वक़्त दो…जब मुझे सही टाइम का अंदाज़ा होगा…मैं तुम्हे फोन पर बता दूँगी….
मैं: अच्छा ठीक है….
नाज़िया: अच्छा मेरे शोणे अब मुझसे नाराज़ तो नही हो ना….?
मैं: नही….
नाज़िया:उंह लव यू शोणे…
मैं: लव यू टू….
मैं बेड पर लेट गया….कल से थका हुआ था..इसलिए बेड पर लेटते ही नींद आ गयी…. जब आँख खुली तो शाम के 6 बज चुके थे…शाम को 7 बजे नाज़िया घर आ गयी…. उसने कपड़े चेंज किए और किचन में जाकर खाना बनाने लगी… हम दोनो मे वैसे भी बात चीत कम ही होती थी….इसलिए मैं खाना खा कर अपने रूम मे आकर लेट गया…और टीवी देखने लगा….रात के 9 बजे नाज़िया भी काम निपटा कर अपने रूम मे जाने लगी तो, मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया…मैं उठ कर बाहर आया और नाज़िया को आवाज़ दी….”सुनिए…”
नाज़िया: हां बोलो समीर….
मैं: वो मेरे कॉलेज मे मेरा एक दोस्त है….उसके बड़े की परसो शादी है…पिंडी मे उसने मुझे शादी मे इन्वाइट किया है….
नाज़िया: तो तुम पिंडी जाना चाहते हो…
मैं: हां…
नाज़िया: तो अपने अबू से पूछ लो….मैं इसमे तुम्हे कुछ नही कह सकती….
मैं: पूछ तो लेता….पर…
नाज़िया: पर क्या…..?
मैं: वो मुझे तुम्हारी वजह से जाने नही देंगे….
नाज़िया: मेरी वजह से वो क्यों….?
मैं: अबू कहेंगे कि घर पर तुम अकेली हो जाओगी….इसलिए नही जाने देंगे…
नाज़िया: देखो समीर…मैं तुम्हे ना तो हां कर सकती हूँ…और ना इनकार कर सकती हूँ….अगर तुम जाना चाहते हो तो जाओ….पर अगर तुम्हारे अबू को पता चला तो जवाब तुम्हे देना होगा….
मैं: ठीक है अबू को जवाब मैं दूँगा….
मैं अपने रूम मे आ गया….और अंदर से कुण्डी लगाई….और बेड पर लेट कर सोचने लगा कि, मैने नाज़िया की एक प्राब्लम का हल तो कर दिया है…अब देखता हूँ कि, नाज़िया कल क्या कहती है….अभी मैं यही सोच रहा था कि, मेरा मोबाइल बजने लगा…मैने देखा तो, नाज़िया की कॉल थी…मैने जल्दी से कॉल पिक की, कि कही नाज़िया को मेरे मोबाइल की रिंग ना सुनाई दे जाए….
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