Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
03-08-2019, 03:00 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
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मैने बाइक स्टार्ट की और मार्केट मैं चला गया….वहाँ इधर उधर घूमता रहा….और तकरीबन आधे घंटे बाद मैं फिर से आज़म के घर के तरफ चल पड़ा…जैसे ही मैं आज़म के घर के नज़दीक पहुँचा तो, मेरे मोबाइल रिंग करने लगा…..मैने ब्रेक लगाई और अपना मोबाइल निकाल कर देखा तो अब्बू की कॉल आ रही थी….मैने कॉल पिक की तो दूसरी जानिब से अब्बू की आवाज़ आइ…. “कहाँ हो बर्खूदर… ?” 
मैं: जी अब्बू सलाम…

अब्बू: सलाम बेटा….कहाँ हो….?

मैं: जी वो मैं अपने दोस्त के घर जा रहा था…

अब्बू: अच्छा यार वो नाज़िया की कॉल आई थी….उसने बताया कि वो घर पहुँच गयी है… और तुम काफ़ी देर से घर से बाहर हो….

मैं: क्या…..?

अब्बू: हां….अब ऐसा करो….जल्दी से घर जाओ…और नाज़िया से पूछ लो कि, घर में किसी समान की ज़रूरत तो नही है….बाज़ार से लेके देना….

मैं: जी अब्बू….

मैने कॉल कट की और सोचने लगा कि, नाज़िया तो एक महीने की छुट्टी लेकर गयी थी… फिर वो ऐसे अचानक वापिस कैसे आ गयी…..मैने बाइक टर्न की और घर की तरफ चल पड़ा….20 मिनिट बाद मैं घर के बाहर था….मैने बाइक का हॉर्न मारा तो थोड़ी देर बाद नाज़िया ने गेट खोला….और मुझे देख कर हल्की सी स्माइल दी…मैने नाज़िया को इग्नोर किया और बाइक अंदर करके स्टॅंड पर लगाई….”कोई समान लाना हो तो बता दो… मैं ले आता हूँ….” मैने बिना नाज़िया की तरफ देखते हुए कहा….नाज़िया बिना कुछ बोले अपने रूम में चली गयी….मैं बाहर सहन में चारपाई पर बैठ गया…. और सोचने लगा कि ये अचानक ऐसे क्यों वापिस आ गयी है….

थोड़ी देर बाद नाज़िया अपने रूम से बाहर आई….और उसने मुझे एक लिस्ट और पैसे पकड़ाए….मैने एक बार लिस्ट देखी जिसमे घर का कुछ राशन का समान था… मैने पैसे जेब मे डाले और फिर अब्बू की बाइक लेकर मार्केट चला गया….सारा समान खरीद कर नाज़िया को दिया और फिर थोड़ी देर घर पर रुका..पर मेरा दिल वहाँ नही लग रहा था…..मैं उठ कर बाहर चला आया…..और फ़ैज़ के घर की तरफ चल पड़ा…. जैसे ही मैं फ़ैज़ के घर के करीब पहुँचा तो, फ़ैज़ मुझे बाइक पर बैठा नज़र आया… फ़ैज़ ने मुझे देख कर बाइक मेरे पास आकर रोक ली….” कहाँ जा रहे हो…..?” मैने फ़ैज़ से हाथ मिलाया और पूछा….”चल बैठ सिटी जा रहा हूँ…..दोस्तो ने खाने पीने का प्रोग्राम बनाया है…..” खाने पीने से फ़ैज़ का मतलब शराब से था….नाज़िया को देख कर मेरा मूड भी पता नही क्यों खराब था….

इस लिए बिना कुछ सोचे समझे…..मैं उसकी बाइक के पीछे बैठ गया….और हम सिटी आ गये….वहाँ दोस्तो के साथ मोज मस्ती करते रहे….आज नाज़िया की वजह से मैने कुछ ज़यादा ही शराब पी ली थी….कुछ ज़यादा ही नशा हो गया था….खैर सिटी में हमें काफ़ी देर हो चुकी थी….शाम के 5 बजे हम वहाँ से गाओं वापिस आ गये…. फ़ैज़ ने मुझे मेरे घर के बाहर उतार दिया…..और वो अपने घर चला गया….मैने डोर बेल बजाई तो थोड़ी देर बाद नाज़िया ने गेट खोला….जैसे ही उसने गेट खोला मैं नाज़िया को देख कर एक दम से चोंक गया…..नाज़िया ने वाइट कलर की कमीज़ और ऑरेंज कलर की शलवार पहनी हुई थी….नाज़िया ने फुल मेकप किया हुआ था….जैसे कहीं जाने की तैयारी में हो…ऐसी खूबसूरती कि किसी का भी दिल बहक जाए….

पर जैसे ही मैं नाज़िया को इग्नोर करके अंदर जाने के लिए आगे बढ़ा…तो नाज़िया को मेरी सांसो से शराब की स्मेल आ गयी….और वो मुझपर बरस पड़ी 

नाज़िया: कहाँ था इतनी देर क्यों लगा दी… शराब पी कर कहीं गिर तो नही गया ऐसे यहाँ नही चले गा अपनी उम्र तो देखो क्या हालत बना रखी है घर पर अगर तुम्हारे अब्बू नही है तो इसका मतलब ये नही कि तुम जो दिल में आए करते रहो….

नाज़िया की बातों को अनसुना करते हुए मैं सीधा अपने रूम में आ गया….और जैसे ही मैं बेड पर लेटा…नाज़िया भी अंदर आ गयी…
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03-08-2019, 03:00 PM,
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नाज़िया:मेरी बात का जवाब नही दिया देख कैसी हालत बना रखी है 

मैं: आप यहाँ से जाएँ मेरा मूड ठीक नही है

और ये कह कर मैं बेड से उठा और रूम से बाहर निकल कर छत पर आ गया बदल आसमान पर छाए हुए थे जैसे ही मैं ऊपेर पहुँचा अचानक तेज बारिश शुरू हो गयी नाज़िया भी मेरे पीछे आ गयी थी….हम दोनों छत पर भीग गये 

नाज़िया: ये सब क्या है समीर…..तुम्हे ये सब करते हुए ज़रा भी शरम नही आई…. कि अगर तुम्हारे अब्बू को पता चलेगा तो उनपर क्या बीतेगी….

मैं: (हम दोनो अभी भी दोनो बारिश में खड़े थे और पूरी तरह भीग चुके थे ) तुम्हे इन्सब से क्या मतलब तुम जाओ यहाँ से…अपना काम करो…

नाज़िया: ऐसे कैसे जाऊं मुझे तुम्हारी बहुत फिकर हो रही थी आख़िर बात क्या है…जो तुमने शराब भी पीनी शुरू कर दी…..

नाज़िया की शलवार कमीज़ भीग कर उसके बदन से चिपक चुकी थी….नाज़िया ने दुपट्टा भी नही लिया हुआ था…. जैसे ही मैने खीज कर नाज़िया की तरफ देखा तो कुछ पलों के लिए पलकें झपकाना भी भूल गया…उसकी वाइट कलर की कमीज़ पूरी तरह से गीली होकर उसके जिस्म से चिपकी हुई थी….और नाज़िया ने नीचे ब्रा भी नही पहनी हुई थी…उसके मम्मे और निपल्स सॉफ दिखाई दे रहे थे…मुझसे बर्दास्त करना मुस्किल हो रहा था…मैने आप को बड़ी मुस्किल से कंट्रोल में किया….और दूसरी तरफ घूम गया नाज़िया ने मुझे मेरे बाजू से पकड़ कर झटके से सीधा किया..

नाज़िया; चुप क्यों है…..?

अब एक बार फिर से मेरी नज़र के सामने उसकी गीली कमीज़ में से झाँकते उसके 38 साइज़ के मम्मे और बड़े-2 निपल्स थे…मुझ से अब बर्दास्त नही हो रहा था हम दोनो छत पर बने स्टोर रूम के साथ खड़े थे…मैने अपने बाजू को झटकते हुए उसे अपना हाथ छुड़ा लिया और नाज़िया को धक्का देकर स्टोर रूम की दीवार से लगा दिया 

मैं: तू क्या मेरी बीवी है साली जो मुझसे इतने सवाल जवाब कर रही है….जा जाकर अपना काम कर….

नाज़िया;क्या कहा तुमने (और नाज़िया ने मुझे एक जोरदार थप्पड़ मेरे गाल पर जड दिया)

मुझे उस वक़्त इतना गुस्सा आया कि मैं गुस्से से लाल हो गया और आगे बढ़ कर नाज़िया को कंधों से पकड़ कर दीवार से सटा दिया और उसके होंटो पर अपने होन्ट रख दिए नाज़िया ने मुझे ज़ोर लगा कर धक्का दिया और एक और थप्पड़ मेरे गाल पर जड दिया..

मेरी नज़रें नाज़िया के मम्मों पर गढ़ी हुई थी जो सॉफ दिख रही थी जब नाज़िया को अपनी हालत का पता चला तो उसने सर झुका लिया और अपने मम्मों को अपने बाजुओं से छिपाते हुए स्टोर रूम के अंदर भाग गयी….मेरा लंड अब पूरी तरह हार्ड हो चुका था….मैं भी उसके पीछे अंदर आ गया नाज़िया ने अपने दोनो हाथों से अपने मम्मों को ढक रखा था….नाज़िया की पीठ मेरी तरफ थी…और मैं उसके पीछे खड़ा था 

नाज़िया:वहीं रुक जाओ ये ठीक नही है मुझसे बुरा कोई नही होगा अगर एक कदम भी आगे बढ़े तो….

नाज़िया की शलवार गीली होकर उसकी रानों और बुन्द से एक दम चिपकी हुई थी… जिसे देख कर मेरा लंड पेंट में झटके पे झटके खा रहा था,….मुझसे रहा ना गया और मैने आगे बढ़ कर मैने नाज़िया को पीछे से बाहों मे भर लिया…जैसे ही मैने नाज़िया को अपनी बाजुओं मे लिया…मेरा फुल हार्ड लंड सीधा नाज़िया की शलवार के ऊपेर से उसकी बुन्द की लाइन में जा फँसा….मैने अपने दोनो हाथो से उसकी कमर को पकड़ा हुआ था…जैसे ही नाज़िया को इस बात का अंदाज़ा हुआ कि, मामला हद से आगे बढ़ रहा है…तो उसने अपने दोनो हाथो को अपने मम्मों से हटा कर मेरे दोनो हाथो को पकड़ा और मेरे बाजुओं से निकलने की कॉसिश करने लगी….

मैने भी नाज़िया के हाथो को पकड़ते हुए उसे साइड में दीवार के साथ लगा दिया…नाज़िया की फ्रंट साइड दीवार से दब गयी….”अहह समीर ये क्या कर रहे हो….” इससे पहले कि नाज़िया को कुछ समझ आता. मैने झुक कर नाज़िया की इलास्टिक वाली सलवार को नीचे खेंच दिया…”पागल मत बनो समीर अगर यही सब करना है तो मुझसे बुरा कोई ना होगा….छोड़ो मुझे जाने दो….” नाज़िया ने मुझसे अलग होने के जदोजेहद करते हुए कहा….

लेकिन तब तक मैं अपने पेंट को नीचे सरका चुका था…मैने अपने लंड को हाथ मे लेकर दो टीन बार ही नाज़िया की बुन्द की लाइन में रगड़ा था कि, मेरा लंड पूरी सख्ती से खड़ा हो गया….मेरा साढ़े 8 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड हवा मे पूरी शिद्दत के साथ झटके खाने लगा….मैने अपने लंड की कॅप को नाज़िया की बुन्द की लाइन में रगड़ते हुए, थोड़ा सा घुटनो को बेंड किया…और फिर उसकी टाँगो के दर्मियान से अपने लंड को गुज़ारते हुए, अपने लंड की कॅप को नाज़िया की फुद्दि के सुराख पर सेट करके ज़ोर दार शॉट मारा….मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि की दीवारो से रगड़ ख़ाता हुआ एक ही बार- में पूरा का पूरा अंदर जा घुसा….
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03-08-2019, 03:00 PM,
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नाज़िया की फुद्दि एक दम खुसक थी..जैसे मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि को चीरता हुआ अंदर घुसा नाज़िया दर्द से एक दम चीख उठी…..”या खुदा मर गयी……” 

लेकिन मेरे सर पर तो, वहसी जानवर सवार हो चुका था…मैने नाज़िया के बालों को एक हाथ से पकड़ कर पीछे की तरफ खेंचा और दूसरे हाथ से नाज़िया की लेफ्ट मम्मे को कमीज़ के ऊपेर से दबाते हुए शॉट लगाने शुरू कर दिए….नाज़िया ने अपने फेस को घुमा कर मेरी तरफ देखा तो, उसकी आँखो में आँसू थे…

.”खुदा के लिए मुझ पर तरश खाओ….अहह समीर धीरे ओह हइई अम्मी….काढ़ ले समीर…..” नाज़िया ने दर्द से चिल्लाते हुए कहा,…..

उसकी फुद्दि एक दम खुसक थी…जिसकी वजह से उसे दर्द हो रहा था…लेकिन मुझ पर उसकी दर्द भरी आवाज़ों का कोई असर ना हो रहा था…मैं अपनी ही धुन मे लगतार अपने लंड को नाज़िया की चूत के अंदर बाहर कर रहा था….

मैने और ज़ोर से नाज़िया के बालो को पकड़ कर खींचा तो उसका सर पीछे की ओर हो गया….मैने लंड को पूरी रफतार से नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….”अब बोल मुझ पर हुकम चलाएगी……ये ले साली ले पूरा लंड ले अंदर…” मैने नाज़िया के बालों को छोड़ा और उसकी कमर को दोनो तरफ से पकड़ कर अपने लंड को उसकी फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…

.”अह्ह्ह्ह सीईईईईईईई समीर ओह्ह्ह्ह्ह हट जाओ….अहह छोड़ो मुझे……हइईए ओह अह्ह्ह्ह आह समीर…” कुछ ही देर मे नाज़िया की फुद्दि भी गीली होनी शुरू हो गयी…..अब नाज़िया बिल्कुल भी जदोजेहद नही कर रही थी…..

उसके मूह से आह ओह्ह्ह्ह अहह सीईईईई समीर बस यही लफ़्ज निकल रहे थे… और नाज़िया अपने दोनो हाथो को दीवार पर रख कर खड़ी थी….मेरे धक्के इतने जबरदस्त थे कि, नाज़िया का पूरा बदन हिल रहा था….मेरा लंड एक दम से नाज़िया की फुददी से बाहर आ गया….और वो हुआ जिसका मुझे अंदाज़ा भी ना था….जैसे ही मैने अपने लंड को पकड़ कर दोबारा से नाज़िया की फुद्दि में डालना चाहा….तो नाज़िया ने मजीद अपनी रानों को और खोल लिया…और अपने पैरो की एडियों को उठा कर पंजो के बल हो गयी… जिससे नाज़िया की फुद्दि का सूराख बिल्कुल मेरे लंड के लेवेल पर आ गया था…ये सब देख कर मेरा लंड जो पहले से फुल हार्ड था और ज़यादा सख़्त होने लगा….मैने लंड की कॅप को नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर रख कर जैसे ही हल्का सा दबाया तो, तो इस बार मेरा लंड नाज़िया की गीली फुद्दि को चीरता हुआ आसानी से अंदर चला गया….

“सीईईईईईईई अह्ह्ह्ह नाज़िया तुम्हारी फुद्दि बहुत गरम है……” मैने फिर से अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए नाज़िया को चोदना शुरू कर दिया….नाज़िया की आहो पुकार एक बार फिर से शुरू हो गयी….बाहर बारिश का शोर और अंदर नाज़िया की सिसकारियाँ….जब मेरी राने पीछे से नाज़िया की मोटी बुन्द से टकराती तो पूरे रूम में थप-2 की आवाज़ गूँज जाती….मुझे अहसास हो रहा था कि, नाज़िया भी बड़े गैर मामूली तरीके से अपनी बुन्द को पीछे की तरफ पुश कर रही है….हालाकी मैं श्योर नही था…..पर ये सब महसूस करके मेरे जिस्म का सारा खून मेरे लंड की रगो में इकट्ठा होना शुरू हो गया….और फिर एक के बाद एक मेरे लंड से लेस्दार पिचकारियाँ निकल कर नाज़िया की फुद्दि को गीला करने लगी….जैसे ही मेरा लंड थोडा सा ढीला हुआ, और मैने अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि से बाहर निकाला तो नाज़िया एक दम से नीचे पैरो के बल बैठ गयी… 
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03-08-2019, 03:00 PM,
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मैं कुछ पलों के लिए नाज़िया को ऐसे ही पीछे से देखता रहा….पता नही क्यों पर नाज़िया से बात करने की मुझमे कोई हिम्मत नही हो रही थी….मैने अपनी पेंट ऊपेर की और बिना कुछ बोले नीचे आ गया….नीचे रूम में पहुँच कर मैने अपने गीले कपड़े चेंज किए और डोर बंद करके बेड पर लेट गया….मैने डोर की कुण्डी नही लगाई थी….बेड पर रज़ाई ओढ़ कर लेटते ही पता नही कब नींद आ गयी….

मेरी आँख रात के 8 बजे तब खुली जब मुझे अहसास हुआ कि, कोई मुझे मेरे कंधे से पकड़ कर हिला रहा है…..जैसे ही मैने आँख खोल कर देखा तो सामने नाज़िया खड़ी थी….और रूम की लाइट ऑन थी….और नाज़िया ने हाथ में खाने की प्लेट पकड़ी हुई थी….नाज़िया को इस तरह अपने रूम में देख कर मैं एक दम से चोंक गया…और उठ कर बैठ गया…..जैसे ही मैं उठ कर बैठा तो, सामने का नज़ारा देख मेरी आँखे खुली खुली रह गयी….नाज़िया ने वही महरूण कलर की शॉर्ट नाइटी पहनी हुई थी….जो मैने उसे खरीद कर दी थी….नाज़िया के होंटो पर रेड कलर का लिप पैंट लगा हुआ था…और ट्यूब लाइट की रोशनी में उसके होन्ट एक दम ग्लॉसी लग रहे थे…

जब नाज़िया ने मुझे अपनी तरफ ऐसे घूर कर देखते हुए देखा तो उसने अपनी नज़रें झुका ली….”समीर खाना खा लो…” नाज़िया ने मेरी तरफ प्लेट बढ़ाते हुए कहा…. 

“मुझे नही खाना….मुझे भूख नही है…” मैने अपने फेस को दूसरी तरफ घुमा लिया…. 

“समीर एक तो सारी ग़लती तुम्हारी है….और ऊपेर से नाराज़ भी तुम हो रहे हो….” नाज़िया ने थोड़ा सीरीयस होते हुए कहा…तो मैने नाज़िया की तरफ देखा तो उसने होंटो पर स्माइल लाते हुए कहा….”समीर आख़िर तुम मुझे इतना परेशान क्यों कर रहे हो….आख़िर मैने तुम्हारा क्या बिगाड़ा है…” नाज़िया ने थाली की प्लेट टेबल पर रखते हुए कहा.....

“मैं तुम्हे परेशान करता हूँ….देखो मैने तुमसे पहले भी काफ़ी दफ़ा कहा है कि, मेरे रास्ते में ना आया करो….तुम ही बिनावजह मेरे कामो में टाँग अड़ाती हो….तुम्हें क्या शॉंक है मेरे मामले में टाँग अड़ाने का….”मैने बेड से नीचे उतर कर बाहर जाते हुए कहा….

.”पता नही समीर पर मुझे अब….” नाज़िया बोलते-2 चुप हो गयी….मेरी पीठ नाज़िया की तरफ थी….मैं बाथरूम जाने वाला था…पर नाज़िया की अधूरी बात सुन कर रुक गया,….

.मैने मूड कर नाज़िया की तरफ देखा तो उसने अपने सर को झुका लिया…और अपने दोनो हाथो की उंगलियों को आपस में फँसा कर मलते हुए सरगोशी से भरी आवाज़ मैं बोली…” समीर वो तुम मुझे इस तरह परेशान ना किया करो….मैने कभी तुम्हारे बारे में बुरा नही सोचा….” ये कह कर नाज़िया मेरे पास से गुजर कर अपने रूम में चली गयी,…

.मैं बाथरूम में गया….और पेशाब करते हुए सोचने लगा कि, शायद नाज़िया कहना कुछ और चाहती थी….लेकिन वो कह नही पे…..खैर मैंने उस बात की तरफ ज़यादा ध्यान नही दिया और बाथरूम से फारिघ् होकर बाहर आया….और खाना खा कर फिर से बेड पर लेट गया….

थोड़ी देर पहले ही मैं 4 घंटे सोने के बाद उठा था…..इस लिए अब आँखो में नींद का नामो निशान नही था….मैं काफ़ी देर तक बेड पर करवटें बदलता रहा…. रह रह कर आँखो के सामने नाज़िया आ जाती…..जिसमे उसने वही नाइटी पहनी हुई थी…जिसमे मैं उसका हुश्न ऐसे झलक रहा था….जैसे आसमान से उतरी हुई अप्सरा हो…नाज़िया के बारे में सोच-2 कर मेरा लंड फिर से मेरी शलवार में खड़ा हो गया था….मुझे नज़ाने क्यों ऐसा लग रहा था कि, नाज़िया मुझसे कुछ छुपा रही है….वो अपने दिल की फीलिंग मुझसे छुपाने की कॉसिश कर रही है….शायद नाज़िया को मेरा साथ अच्छा लगने लगा है….ये सब सोचते हुए पता नही क्यों पर मैं अपने आप को नाज़िया के रूम में जाने से ना रोक सका…मैं बेड से नीचे उतरा…और रूम का डोर खोल कर रूम से बाहर आया….बाहर एक दम अंधेरा था….मैने नाज़िया के रूम के डोर के सामने जाकर जैसे ही डोर को हल्का सा पुश किया तो, उस वक़्त मेरी हैरत का कोई ठिकाना ना रहा…जब डोर धीरे-2 खुल गया….

और मैं दबे पाँव नाज़िया के रूम में एंटर हुआ तो मुझे एक और शॉक लगा….नाज़िया बेड पर लेटी हुई थी….उसकी नाइटी उसकी कमर पर इकट्ठी हुई पड़ी थी….नाज़िया की पूरी की पूरी टाँगे एक दम नंगी थी….रूम में हीटर ऑन था….जिसकी वजह से रूम में काफ़ी गर्माहट थी….मैने धीरे से डोर को बंद किया और मैं धीरे से नाज़िया के बेड पर चढ़ा और उनकी टाँगो के सामने बैठ गया…नाज़िया की दोनो टाँगो में बहुत गॅप था….और नाज़िया की फुद्दि मुझे सॉफ दिखाई दे रही थी…..बिना बालो की फुद्दि जो कि पूरी तरह से सफेद गाढ़े पानी से लबलबा रही थी…..मेरा लंड मेरी शलवार में झटके खाने लगा….
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03-08-2019, 03:00 PM,
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मेने नाज़िया की फुद्दि की तरफ देखते हुए, अपने लंड को शलवार से बाहर निकाला, और तेज़ी से अपने लंड को हिलाने लगा…. जब नाज़िया की फुद्दि का सूराख सिकुड़ता और फेलता उसे देख मैं और मस्त हो जाता….अब भला सिर्फ़ देख कर लंड हिलाने से कहाँ चैन मिलने वाला था….मैं धीरे -2 नाज़िया के दोनो पैरो के बीच उल्टा लेट गया. और नाज़िया की फुद्दि के पास अपनी नाक को लेजाते हुए नाज़िया की फुद्दि को सुघने लगा….

नाज़िया की फुद्दि से जो महक आ रही थी........वो सच में मदहोश कर देने वाली थी...जिसे सूंघ कर मैं अपने लंड को और तेज़ी से हिलाने लगा....पर अब इतने से कहाँ सबर होने वाला था. नाज़िया की फुद्दि से गाढ़ा सफेद पानी बहता हुआ उनकी बुन्द के सूराख की तरफ जा रहा था. और उसकी बुन्द का सूराख भी उनकी फुद्दि से निकले पानी से सना हुआ था.....मेरी हालत खराब होती जा रही थी....मैं सेक्स की मस्ती में इतना चूर हो गया था कि, अब मैं कुछ भी करने को तैयार था….

मेने अपने राइट हॅंड की बड़ी उंगली को नाज़िया की फुददी के लिप्स के बीच में रख दिया...जैसे ही मेने अपनी उंगली को नाज़िया की फुददी के लिप्स के बीच गुलाबी लबबाते हुए सूराख पर रखा तो नाज़िया के बदन ने हल्का सा झटका खाया...जो मुझे सॉफ महसूस हुआ.....पर ये सोच कर कि नाज़िया तो सोई हुई है.....मैने कोई खास ध्यान नही दया....और उसकी फुद्दि के लिप्स के बीच धीरे-2 अपनी उंगली को फेरने लगा.....मेरी उंगली उसकी फुद्दि से निकल रहे गाढ़े सफेद पानी से एक दम गीली हो गयी....

मैं दूसरे हाथ से अब और तेज़ी से अपने लंड को हिलाने लगा.....और एक हाथ की उंगलियों की मदद से नाज़िया की फुद्दि के लिप्स पूरी खोल कर फेला दिए..जिससे अब उसकी फुद्दि का सूराख मुझे सॉफ नज़र आने लगा....अब मेरी बर्दास्त से बाहर होता जा रहा था....नाज़िया की फुद्दि का सूराख अब कुछ और ज़्यादा ही सिकुड़ने और फेलने लगा था.....घर और नाज़िया के रूम में एक दम सन्नाटा छाया हुआ था....मुझे नाज़िया की तेज होती सांसो की आवाज़ भी सॉफ सुनाई दी रही थी...

पर नाज़िया की फुद्दि का गुलाबी सूराख देख कर मैं अपने होश खो बैठा था.....और बिना किसी परवाह के नाज़िया की फुद्दि के सूराख को देखते हुए अपने लंड को तेज़ी से हिला रहा था...मेने फिर से नाज़िया की फुद्दि के लिप्स के बीच अपनी उंगली को फेरना शुरू कर दया.....मैं उठा और रूम की लाइट ऑफ कर दी...और 0 वॉट का बल्ब ऑन कर दिया....उसकी हलकी रोशनी रूम में फेली हुई थी....मैं बेड पर चढ़ा और नाज़िया की टाँगो के बीच जाकर घुटनों के बल बैठ गया.....मेने अपनी शलवार को नीचे सरका कर अपनी पिंडलियों तक सरका दया....और फिर एक बार नाज़िया के चेहरे की तरफ नज़र डाली... उसकी आँखे बंद थी.....पर उसकी साँसे अब बहुत तेज़ी से चल रही थी.....मैने एक हाथ से अपने लंड को पकड़ा

और बड़ी ही अहतयात के साथ अपने लंड की कॅप को नाज़िया की फुद्दि के लिप्स के बीच रख कर दबाया, तो कॅप नाज़िया की फुद्दि के लिप्स को फेलाता हुआ फुद्दि के सूराख पर जा लगा....तभी नाज़िया की कमर ने एक जबरदस्त झटका खाया....मेने घबरते हुए नाज़िया के चेहरे की तरफ देखा वो अभी भी गहरी नींद मे थी...पर अब उसकी आँखो की पलकें मानो जैसे कांप रहो हो.....पर वासना के नशे में चूर मेने अभी भी कोई खास ध्यान नही दिया...फिर मेने अपने लंड को पकड़ कर नाज़िया की फुद्दि के लिप्स के बीच रगड़ा....दो तीन बार रगड़ने से ही, मेरे लंड का कॅप नाज़िया की फुद्दि के सूराख से निकल रहे कामरस से एक दम गीला हो गया.....

नाज़िया की फुद्दि की गरमी मुझे अपने लंड की कॅप पर महसूस हो रही थी....जैसे मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि की गरमी से पिघल जाएगा.... मैने अपने लंड की कॅप को नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर सेट किया....और फिर कुछ पल के लिए रुक कर नाज़िया के चेहरे की तरफ देखा...जब इत्सानन हो गया कि, नाज़िया गहरी नींद में है, मैने अपने लंड की कॅप को धीरे-2 नाज़िया की फुद्दि के सूराख पर दबाना शुरू कर दिया. मेरे लंड का मोटा और सख़्त कॅप नाज़िया की फुद्दि के सूराख को फेलाता हुआ अंदर घुसने लगा...जैसे मेरे लंड का कॅप नाज़िया की फुद्दि के सूराख में घुसा तो मेने अपनी नज़रें नाज़िया के चेहरे पर टिका ली....अपने दोनो हाथों को नाज़िया के मम्मों के बगल बिस्तर पर टिका दिया....और अपनी बुन्द को आगे की ओर धकेलते हुए अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि के सूराख मे धीरे-2 घुसने लगा.....
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03-08-2019, 03:00 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
नाज़िया की फुद्दि इतना पानी छोड़ रही थी कि, मेरा लंड फिसलता हुआ धीरे-2 नाज़िया की फुद्दि की गहराइयों मे उतरता जा रहा था....और नाज़िया की फुद्दि की दीवारे मेरे लंड की कॅप पर रगड़ खा कर मेरे बदन मे सरसराहट पैदा करती जा रही थी....कुछ ही पलों में मेरा साढ़े 8 इंच का लंड पूरा का पूरा नाज़िया की फुद्दि में समा चुका था.....मेने देखा कि, नाज़िया के होन्ट अब हल्के से खुले हुए थे...और हल्का-2 कांप रहे थे....उसकी साँसे अब बेहद तेज़ी से चल रही थी....और उसकी आँखो की पलके अब कुछ ज़्यादा ही हिल रही थी....


पर नाज़िया की फुद्दि की गरमी अपने लंड पर महसूस करके मैं एक दम मस्त हो चुका था... मैने धीरे-2 नाज़िया के चेहरे की ओर देखते हुए अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया....जब मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि की दीवारो से रगड़ ख़ाता. मैं मस्ती मे एक दम मदहोश जाता...अब मैं पूरे रिदम के साथ अपना लंड नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर कर रहा था….तभी मुझे महसूस हुआ कि नाज़िया कि फुद्दि थोड़ा सा ऊपेर की तरफ उठ गयी है….जिससे मेरा लंड स्मूद्ली नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर होने लगा था….


पर फिर भी मेने इस तरफ कोई ध्यान नही दिया…..मेरे धक्कों की रफ़्तार धीरे-2 बढ़ रही थी. मेरा लंड नाज़िया की फुद्दि से निकल रहे कामरस से भीगा हुआ अंदर बाहर हो रहा था. मेरी आँखे भी हल्की-2 बंद होने लगी थी…


तभी अचानक से मुझे मेरे कंधो पर हाथों की पकड़ महसूस हुई, मैं एक पल के लिए चोन्का और नाज़िया के चेहरे की तरफ देखा तो मेरी हैरत का कोई ठिकाना नही रहा….नाज़िया की आँखे पूरी खुली हुई थी….और साथ ही उनका मूह भी हैरत से पूरा खुला हुआ था….”समीर ये ये ये क्या कर रहे हो तुम….उफ्फ हाईए अम्मी हटो पीछे उफ़फ्फ़ “ नाज़िया की आवाज़ मे गुस्सा था….पर उसका चेहरा उसका साथ नही दे रहा था. और ना ही उसका बदन….मेने पीछे सर घुमा कर देखा तो,


नाज़िया ने अपनी टाँगो को उठाया हुआ था…जैसे खुद ही वो चुदना चाहती हो….मेने अपने लंड को कॅप तक नाज़िया की फुद्दि से बाहर खींचा और फिर नाज़िया के चेहरे की तरफ देखा….”समीर तुम सुन रहे हो ना हटो पीछे वरना मुझसे बुरा कोई ना होगा…तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ये सब मेरे साथ करने की….” मैने दिल ही दिल मे सोचा, साली ने अपनी टाँगे तो ऐसे उठा रखी है….जैसे लंड के लिए तड़प रही हो….और ऊपेर-2 से मेरे सामने नाटक कर रही है…”तुमने सुना नही हटो पीछे अब तुम्हारी खैर नही आने दो तुम्हारे अब्बू अहह अम्मी हइई मर गयी मैं….”


मेने अपने लंड को पूरी ताक़त के साथ एक ही बार मे पूरा का पूरा नाज़िया की फुद्दि मे घुसा दिया….ये देख नाज़िया का मूह ऐसे खुल गया…जैसे उसमे किसी ने लंड फँसा रखा हो…नाज़िया ने मेरे कंधो को कस के पकड़ा और पीछे की ओर धकेलने लगी…पर तब मैं अपने लंड को तीन चार बार नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर कर चुका था….”हाई मैं मर गयी. ” मैं नाज़िया की बात की परवाह किए बिना अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर करना जारी रखा….अब मैं पूरी रफ़्तार से अपने लंड को अंदर बाहर कर रहा था…

मेने अपने लंड को नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर करते हुए, नाज़िया के होंटो को अपने होंटो में भर लिया. और अपनी बुन्द उछाल-2 नाज़िया की फुद्दि मे अपना लंड डालने लगा…नाज़िया की आवाज़ अब मेरे मूह मे घुट कर रह गयी थी.. वो सिर्फ़ उम्म्म ह्म्म्म उन्न्ञणन् कर रही थी…और साथ मुझे पीछे धकेलने की कॉसिश कर रही थी.. पर नाज़िया की टाँगे अब और ऊपेर को उठ चुकी थी…जिससे उसकी फुद्दि का सूराख अब और ऊपेर खुल कर सामने आ चुका था…मैं एक दम जोश से भर उठा, और अपने लंड को कॅप तक बाहर निकाल-2 कर नाज़िया की फुद्दि मे अंदर बाहर करने लगा…नाज़िया के हाथ अब मेरे कंधो से होते हुए पीठ पर आ चुके थे…..मेने नाज़िया के होंटो से अपने होंटो को हटाया और नाज़िया की आँखो मे देखते हुए अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा…नाज़िया रुआंसी सी आवाज़ में बोली… “समीर तुम मेरे ये साथ ऐसा क्यों कर रहे हो….अगर किसी को पता चला तो मैं कही की नही रहूंगी….”

मैं: आह नाज़िया मेरी जान तू फिकर ना कर….किसी को कुछ नही पता चलेगा….
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03-08-2019, 03:00 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैने नाज़िया की टाँगो को घुटनो से मोड़ कर अपने कंधो पर रख दिया…..और खुद उसके ऊपेर झुक कर ताबडतोड़ झटके लगाने शुरू कर दिए….नाज़िया की बुन्द टांगे कंधो पर होने की वजह से बिस्तर से ऊपेर उठ चुकी थी….और मैं अपने लंड को पूरा बाहर निकाल -2 कर नाज़िया की फुद्दि में ठोक रहा था…मेरी रानो की जडे जब नाज़िया की मोटी बुन्द से टकराती तो पूरे रूम में थप-2 की आवाज़ गूँज जाती….

नाज़िया: अह्ह्ह्ह समीर धीरे उफ़फ्फ़ आहह आराम से अह्ह्ह्ह….

नाज़िया अब मस्ती में आँखे बंद किए हुए अपनी बुन्द को धीरे-2 ऊपेर उछालने लगी थी. शायद उसकी बुन्द से मेरे टट्टों के तरकराने की आवाज़ सुन कर वो शरमा रही थी…मेरा लंड किसी एंजिन के पिस्टन की तरह नाज़िया की फुद्दि के अंदर बाहर हो रहा था….तभी नाज़िया ने मेरे कंधो को अपनी पूरी ताक़त से कस के पकड़ लिया…उसका बदन झटके खाने लगा…और वो तेज़ी से अपनी बुन्द को ऊपेर की ओर उछालने लगी….”हाए समीर अह्ह्ह्ह उंह मैं गेययी अह्ह्ह्ह ओह सीईईईईईई ह्म्म्म्म ह्म्म्म्म्मम अहह सीईईईईईई” और फिर नाज़िया एक दम से काँपते हुए फारिघ् होने लगी….


उसकी फुद्दि की दीवारे मेरे लंड को अपने अंदर जैसे निचोड़ने लगी थी….मैं भी फारिघ् होने के बेहद करीब था…मेने नाज़िया की टाँगो को अपने कंधे से नीचे उतारा और अपना लंड नाज़िया की फुद्दि से बाहर निकाल कर तेज़ी से हिलाने लगा…मेरे लंड से वीर्य की बोछार होने लगी…. वीर्य की पिचकारियाँ सीधा नाज़िया की पे फुद्दि पर गिरने लगी….नाज़िया हैरत भरी नज़रों से ये सब देख रही थी….मेने उसकी फुद्दि को बाहर से अपने वीर्य से पूरा भर दिया था….

जब मैं फारिघ् होने के बाद शांत हुआ तो, मेने देखा कि मेरा वीरे नाज़िया की फुद्दि के लिप्स के बीच से बहता हुआ उसकी बुन्द के सूराख तक जा रहा है…जिसे नाज़िया अपनी बुन्द के सूराख पर अपनी उंगली लगा कर देख रही थी…और बुरा सा मूह बना कर मुझे देखती…मैं मुस्कुराता हुआ उठा और उठ कर बाथरूम मे चला गया…

मैं बाथरूम मे गया और वहाँ पहुँच कर अपने लंड को पानी से धोया जो नाज़िया की फुद्दि के पानी से एक दम सना हुआ था…अपने लंड को सॉफ किया और नाज़िया के रूम की तरफ चला गया….. जैसे ही मैं नाज़िया के रूम मे पहुँचा तो नाज़िया ने बेड पर लेटे हुए मेरी तरफ देखा और बेड से नीचे उतरी अपनी चप्पल पहन कर रूम से बाहर जाने लगी.......नाज़िया ने अपने नंगे जिस्म पर वही नाइटी पहनी और रूम से बाहर निकल गयी...
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03-08-2019, 03:01 PM,
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नाज़िया बाहर बाथरूम मे चली गयी….और मैं पानी पीने के लिए किचन मे चला गया….पानी पीने के बाद जब मैं नाज़िया के रूम मे पहुँचा तो, देखा कि नाज़िया बेड पर घुटनो के बल थी….और आगे की तरफ झुक कर बेडशीट को ठीक कर रही थी….उसकी बाहर की तरफ निकली बुन्द देख कर मेरा मन फिर से मचल उठा…मैने आगे बढ़ कर पीछे नाज़िया की बूँद को मुत्थियों में भर कर मसलना शुरू कर दिया…..”अहह सीईईईईईईईई समीर…..” नाज़िया ने सिसकते हुए गर्दन घुमा कर पीछे की तरफ देखा पर उसने कोई रियेक्शन नही दिया…..और आगे की तरफ खिसकती गयी…..नाज़िया ने रज़ाई पकड़ी और अपने ऊपए लेकर करवट के बल लेट गयी…. उसकी पीठ मेरी तरफ थी…… वो फिर से ऐसे रिएक्ट कर रही थी…..जैसे हम दोनो के दर्मियान कुछ हो ही ना….पर मैं आज अपने दोनो के बीच की सारी दूरियाँ मिटा देना चाहता था…

मैं बेड पर चढ़ा और रज़ाई के अंदर घुस गया….और पीछे से नाज़िया को अपनी बाज़ों मैं लेकर उसके जिस्म से लग गया…..नाज़िया की पूरी बॅक साइड मेरे फ्रंट से टच हो रही थी….यहाँ तक कि मुझे अपना आधा खड़ा लंड भी उसकी नंगी बुन्द के पार्ट्स के दर्मियान महसूस हो रहा था…. 

मैं: क्या हुआ नाराज़ हो….?

मैने अपने हाथ को धीरे उसके पेट पर फेरते हुए कहा….और साथ ही धीरे-2 अपने लंड को उसकी बुन्द की लाइन में दबाने लगा….

.”समीर…..” नाज़िया ने सरगोशी से भरी पर बड़ी ही सीरीयस आवाज़ में मेरा नाम लिया….

.”हां बोलो….क्या बात है….?” मैने धीरे-2 अपने हाथ को नाइटी के ऊपेर से नाज़िया के राइट मम्मे पर रख कर दबाते हुए कहा….

”समीर हम जो भी कर रहे है वो ठीक नही है…हम दोनो के बीच से सब कुछ नही होना चाहिए…..” 

मैं: क्यों क्या हुआ…नाज़िया मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ…..

नाज़िया: शायद तुम सच कह रहे हो समीर…..पर ये मुनकीन नही है….हम दोनो को ऐसे रिश्ते में नही पड़ना चाहिए…जिसका कोई अंज़ाम ही ना हो…..

मैं: मैं कुछ समझा नही….देखो तुम खुल के बात करो….

नाज़िया: देखो समीर…..मैं तुम्हे पहले भी ये बता चुकी हूँ कि, तुम्हारे अब्बू अब मुझसे प्यार नही करते…और वो अब दूसरी शादी करना चाहते है….

मैं: तो क्या तुम भी अब्बू से अलग होने के बाद दूसरी शादी करना चाहती हो…

नाज़िया: नही समीर…..मैं थक चुकी हूँ… मैं सिर्फ़ यही कहना चाहती हूँ….. आज नही तो कल तुम्हारे अब्बू मुझसे इस बारे में ज़रूर बात करेंगे….और फिर मुझे मजबूरन उनको तलाक़ देना पड़ेगा…फिर मुझे और नज़ीबा को ये घर हमेशा के लिए छोड़ कर जाना पड़ेगा…..और मैं नही चाहती कि, तुम मेरे पीछे अपनी लाइफ बर्बाद करो…..तुम्हारे आगे सारी जिंदगी पड़ी है….तुम्हारा फ्यूचर तुम्हारे अब्बू के साथ है…मेरे पीछे पड़ कर तुम्हे क्या मिलेगा…सिर्फ़ बदनामी ही मिलीगी….ये दुनिया हमारे इस बेनाम रिश्ते को कभी कबूल नही करेगी….मैं अकेली होती तो और बात थी….पर नज़ीबा…..मुझे उसके फ्यूचर के बारे में भी सोचना है….समीर तुम समझदार हो….मुझे उम्मीद है कि तुम मेरी बात को समझोगे…..

मैं: मैं सब समझता हूँ नाज़िया…..पर मैं अब तुम्हारे बिना नही रह सकता…. तुम मुझ पर भरोसा रखो….तुम्हारी तरफ कोई आँख भी उठा के नही देखेगा….मैं वादा करता हूँ…तुम्हारी इज़्ज़त पर कोई दाग नही आएगा….पर प्लीज़ मुझसे दूर मत होना… मैं सब कुछ संभाल लूँगा…मुझे एक बार मोका देकर तो देखो….

नाज़िया: समीर मुझे कुछ समझ में नही आ रहा…..और तुम भी तो समझने की कॉसिश नही कर रहे….समीर मुझे सोचने के लिए थोड़ा सा वक़्त दो…..

मैं: ठीक है सोच लो…पर एक बात याद रखना….अगर तुम मुझसे दूर हुई तो, मैं जिंदा नही रह पाउन्गा….
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03-08-2019, 03:01 PM,
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नाज़िया: समीर पागलो जैसी बाते मत करो….अभी तुम्हारी उम्र नही ये सब सोचने की….चलो मान लो कि अगर मैं मान भी लूँ तो तुम बताओ जब तुम्हारे अब्बू दूसरी शादी कर लेंगे…..तो तुम क्या करोगे….तुम उन्हे रोक सकते हो दूसरी शादी करने से…..

मैं: शायद नही….

नाज़िया: तो फिर क्या करोगे….क्योंकि मैं इतनी गिरी हुई और मजबूर नही हूँ कि तुम्हारे अब्बू मेरे होते हुए दूसरी शादी कर लें और मैं यहीं इस घर में बैठी रहूं… तुम क्या चाहते हो तुम्हारे अब्बू की दूसरी शादी के बाद मैं यही रहूं….

मैं: नही….ये फैंसला तुम्हारा है….

नाज़िया: तो फिर क्या तुम अपने अब्बू को छोड़ कर मेरे साथ रहोगे….दुनिया क्या कहेगी…तुम्हें अच्छा लगेगा कि तुम मेरे ऊपेर बोझ बनो और दुनिया तुम्हे ताने दे….

मैं: नही…..फिर तुम ही बताओ मैं क्या करूँ…..

नाज़िया: समीर अपनी स्टडी पर ध्यान दो…और जल्द से जल्द सेट्ल हो जाओ…फिर बाद मे देखेंगे….ताकि अगर कल को तुम्हे अपने अब्बू से अलग भी होना पड़े तो तुम्हे किसी के ऊपेर बोझ ना बनना पड़े….और मुझे भी सोचने का वक़्त दो…. अब तुम अपने रूम मे जाकर सो जाओ….. 

नाज़िया ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने मम्मे से हटा दिया….नाज़िया की बातों को सुन कर मैं सुन्न हो चुका था….आख़िर मेरा वजूद ही क्या था…अगर नाज़िया और अब्बू का डाइवोर्स हो जाता तो मजबूरन मुझे अब्बू के साथ रहना पड़ता….और अगर नाज़िया के साथ रहता तो दुनिया वाले नाज़िया और मुझे जीने नही देते…मैं वहाँ से उठ कर अपने रूम में आ गया….और फिर बेड पर रज़ाई लेकर लेट गया…और सोचने लगा कि अब क्या करूँ…..और अपनी मुसीबतों से पार पाने का एक ही रास्ता नज़र आ रहा था कि, मुझे अब जल्द से जल्द इनडिपेंडेंट बनना है….यही सब सोचते-2 पता नही चला कब नींद आ गयी….

अगले दिन जब आँख खुली तो, देखा कि नाज़िया बॅंक जाने के लिए तैयार थी….”समीर नाश्ता बना दिया है खा लेना….मैं बॅंक जा रही हूँ….” नाज़िया ने अपना पर्स उठाया और बाहर चली गयी…

.”दोस्तो दो दिन इस तरह गुजर गये….नाज़िया से मेरी नॉर्मली बात होती पर उससे ज़यादा कुछ ना हुआ….तीसरे दिन दोपहर का वक़्त था….और दो दिन बाद फिर से कॉलेज शुरू होना था…मैं घर पर बैठा अकेला बोर हो रहा था….मैं सबा के घर भी जाकर आ चुका था….सबा दो दिनो से किसी रिश्तेदार के घर गयी हुई थी.. सुमेरा चाची और रीदा के घर भी जाना मुनकीन नही था….क्योंकि रीदा का शोहार गल्फ से एक महीने की छुट्टी पर वापिस आया हुआ था…और इस वक़्त सुमेरा चाची के घर पर ही था….

जब घर पर बैठे-2 बोर हो गया तो, सोचा क्यों ना सिटी जाकर किसी दोस्त से मिल लूँ.. मैने अब्बू की बाइक बाहर निकाली और घर को लॉक लगा कर सिटी की तरफ चल पड़ा… घर से निकलने से पहले ही मैने अपने एक दोस्त को कॉल करके बस स्टॅंड पर बुला लिया था….दोस्त को बस स्टॅंड से पिक किया और हम दोनो एक रेस्टोरेंट में पहुँच गये… वहाँ हमने खाने के लिए ऑर्डर किया और इधर उधर की बातें करने लगे….तभी मेरी नज़र सबीना पर पड़ी….वो दूसरी रो के टेबल पर किसी औरत के साथ बैठी हुई थी…. उसे देख कर नज़ाने क्यों मेरा खून खोलने लगा….मैं सोचने लगा कि, अगर सबीना अब्बू की जिंदगी में ना होती तो, आज ना तो नाज़िया दुखी होती और ना ही मैं….मुझे सबीना पर बहुत गुस्सा आ रहा था….वो तो मेरे अब्बू को भी धोखा दे रही थी….पर मैने दिल ही दिल मे सोच लिया था चाहे कुछ भी हो जाए…

इसको इसके किए की सज़ा तो देनी ही है…तभी वो लेडी जो उसके साथ बैठी थी वो सबीना से बोली….”यार कोई चक्कर चला ना…मेरे बेटे ने इस साल 12थ कर ली है… और तुम तो जानती ही हो कि, हमारे पास इतने पैसे नही है कि, उसे मजीद पढ़ा सके…यार तुम्हारी तो ऊपेर तक बड़ी पहुँच है….मेरे बेटे को किसी गवर्नमेंट जॉब पर लगा दे…”

सबीना: घबरा ना यार….तुम फिकर मत करो…..मार्च मैं हमारी बॅंक नये पोस्ट निकालने वाली है….तुम्हारे बेटे की सेट्टिंग करवा दूँगी….वैसे भी एक आध को तो जॉब दिलवा ही सकती हूँ….

सबीन हवा में बातें नही कर रही थी….यहाँ तक मैं उसे जानता था…उसका काफ़ी रसूख् था….उसके वालिद की भी काफ़ी चलती थी…..सबीना की बात सुन कर मुझे आइडिया आया और मैने मन ही मन सोचा कि, ये साली ही अब मेरी मुसीबतों का हल करेगी… अब किसी तरह इसे अपने काबू में करना होगा….थोड़ी देर बाद वेटर हमारा ऑर्डर ले आया….हमने जल्दी -2 खाना खाया…और फिर मैने अपने दोस्त को उसके घर छोड़ा और सबीना के घर की तरफ चल पड़ा….मैने डोर बेल बजाई तो, थोड़ी देर बाद अहमद ने गेट खोला….और मुझे देख मुस्कराते हुए बोला….”और जी ख़ान साहब कैसे हो…?”

मैं: मैं ठीक हूँ….आज़म कहाँ है….?

अहमद: वो तो जी घूमने गये है अपने मामू के घर…..

मैं: और तुम्हारी मालकिन…..

अहमद: वो तो जी बॅंक में है…

मैं: ओह्ह अच्छा…यार वो क्या मैं आपनी गर्लफ्रेंड को आज वहाँ कोठी पर लेकर जा सकता हूँ…

अहमद: नही नही साह जी….आज तो वो मालकिन के होने वाले शोहार आने वाले है.. आज नही….फिर किसी दिन का प्रोग्राम रख लो….मैं भी वही जाने वाला था….

मैं: अच्छा वैसे कितने बजे आना है उनको….

अहमद: मालकिन और वो अंकल तो शाम को 6 बजे पहुँचेंगे ….

मैं: चल ठीक है फिर मैं चलता हूँ…

अहमद: रूको शाह जी…..वैसे आज क्या प्रोग्राम है….

मैं: बोलो अहमद….

अहमद: वही मिलते है अपने पुराने अड्डे पर….

मैं: कितने बजे मिलोगे…..

अहमद: 6 बजे मालकिन और अंकल आ जाएँगे….उसके बाद 6:30 बजे मिलते है…हम अपना प्रोग्राम बना लेंगे और तब तक वो दोनो अपना एंजाय कर लेंगे….

मैं: ठीक है…..तो 6: 30 बजे मिलते है…

अहमद: ठीक है शाह जी….
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03-08-2019, 03:01 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
उसके बाद मैं वहाँ से गाओं वापिस आ गया…शाम को नाज़िया 6 बजे घर वापिस आई… मैने पहले से ही बहाना सोच के रखा था कि, मुझे नाज़िया को क्या कहना है… नाज़िया ने कपड़े चेंज किए और फ्रेश होकर किचन मे रात का खाना बनाने के लिए चली गयी…..मैं उठ कर रूम से बाहर आया….और किचन के डोर के साथ पीठ लगा कर खड़ा हो गया….नाज़िया ने गर्दन घुमा कर मेरी तरफ देखा और फिर से अपने काम में लग गयी…

..”मेरे लिए खाना मत बनाना…..?” मैने नाज़िया की तरफ देखते हुए कहा….तो नाज़िया ने पलट कर मेरी तरफ देखा और बोली…..” क्यों क्या हुआ….?”

मैं: वो आज मैं अपने दोस्त के घर जा रहा हूँ….उसकी बर्तडे पार्टी है…इसीलिए रात वही रहूँगा….

नाज़िया: पर समीर मैं घर पर अकेली कैसे रहूंगी…..

मैं: क्यों तुम्हे अकेले डर लगता है…?

नाज़िया: नही समीर फिर भी…..

मैं: जाना ज़रूरी है….वरना दोस्त ने नाराज़ हो जाना है….

नाज़िया: ठीक है……




नाज़िया ने गहरी साँस ली और फिर से काम में लग गयी….मैं अपने रूम में आया और जल्दी-2 तैयार हुआ और नाज़िया को बता कर घर से निकल गया…मेन रोड पर पहुँच कर मैने बस पकड़ी और मैं 6:30 वही उसी जगह पर पहुँच गया….जहाँ पर मैने और अहमद ने शराब पी थी.. और मुझे अहमद वही बाहर खड़ा नज़र आ गया….. मैने अहमद से हाथ मिलाया….”तो आ गये शाह जी…..मैने तो सोचा कि शायद आप इतनी ठंड मे ना आएँ…..”

मैं: यार आना तो था ही….अच्छा तुम रूको….मैं बॉटल लेकर आता हूँ….

मैने वहाँ से शराब की एक बॉटल ली और हम उस शॉप के अंदर चले गये… वहाँ पहुँच कर मैने चिकन ऑर्डर किया….और फिर जाम का दौर शुरू हो गया….हम दोनो पहले इधर उधर की बातें करते रहे….और फिर जब एक पेग ख़तम हुआ….तो मैने अहमद से पूछा….”और सुनाओ….वो तुम्हारे अंकल आ गये है या नही…” अहमद ने फिर से ग्लास में दूसरा पेग बनाते हुए मेरी तरफ देखा और मुस्कुराते हुए बोला….”हां आ गये है….वहाँ भी जाम का दौर शुरू है…”

मैं: अच्छा….तो आज तो फिर तुम्हारी ऐश होने वाली है….?

अहमद ने थोड़ा सा शरमाते हुए मेरी तरफ देखा और दूसरा पेग खींच कर बोला… “ कहाँ ख़ान शहाब यार मैं तो तंग आ गया हूँ….सिर्फ़ पैसो के लिए ये सारे काम कर रहा हूँ…यार इन औरतों ने तो मुझे चूस कर रख दिया है….” अहमद ने थोड़ा गुस्से में कहा….और फिर तीसरा पेग बना कर भी खेंच लिया

…”क्यों क्या हुआ… यार तेरी तो मोज है…फिर तू ऐसी बात क्यों कर रहा है….” मैने अपना दूसरा पेग बनाया और पीने लगा…

अहमद: अब क्या बताऊ ख़ान साहब….इससे पहले मैं अपने गाओं के पास ही एक बड़े ज़मींदार के घर में काम करता था…उसके दो बेटे थे….बड़े बेटे की मौत हो गयी थी….उसकी पत्नी जो उस टाइम 40 के आसपास थी….उसने मुझे अपने जाल मे ऐसा फँसाया कि, क्या बताऊ…फिर एक दिन छोटे बेटे की वाइफ ने हम दोनो को देख लिया और फिर मैं उन्दोनो जेठानी देवरानी के जाल में ऐसा फँसा कि 4 साल में उन्होने ने मेरा सब कुछ चूस लिया….फिर एक दिन उनके ससुर को मुझ पर शक हो गया…पर उन्होने बात दबा ली…कि उनकी बेज़्जती ना हो और मुझे काम से निकाल दिया….उसके बाद मैं यहाँ पर आ गया…

मैं: यार पर सेक्स तो मैं भी करता हूँ…..ऐसा तो नही होता….

अहमद: शाह जी आप मैं और मुझे बहुत फरक है….मुझ ग़रीब को जो सुखी रूखी मिलती थी…खा लेता था….ताक़त कहाँ से आनी थी…जो थी वो उल्टा उन्होने निचोड़ ली….

अहमद की बात पूरी होने के बाद हम दोनो ठहाका लगा कर हँसने लगे…”अहमद ने अपना चोथा पेग भरा और अपना ग्लास उठा कर मुझे देखते हुए बोला…”और रही सही कसर इसने पूरी कर दी हाहाहा….”

आज मेरा प्लान कामयाब हो रहा था….अहमद आधे से ज़यादा बॉटल पी चुका था और मैने अभी तक दूसरा पेग ही पकड़ा हुआ था…धीरे-2 अहमद ने अपनी बॉटल ख़तम कर दी…अहमद एक दम नशे में चूर हो चुका था…और उससे बोला भी नही जा रहा था…7:30 बज चुके थे….अहमद ने दीवार पर लगी घड़ी पर नज़र डाली और फिर लड़खड़ाती हुई ज़ुबान मे बोला…..”शाह जी आप तो लेट हो रहे हो…आपको अब घर चले जाना चाहिए….”

मैं: यार चला तो जाउ….पर घर पर अब्बू को पता चला कि मैं पीकर आया हूँ तो बहुत नाराज़ होंगे….यार कुछ कर ना…मैं इस हालत में घर नही जा सकता….

अहमद: शाह जी मेरे होते हुए घबराने की ज़रूरत नही है….आप मेरे साथ चलो… आज यही कोठी पर सो जाना….

मैं: पर यार वो तेरी मालकिन और अंकल….

अहमद: शाह जी मेरे होते हुए घबराने की ज़रूरत नही…अंकल तो शराब पीकर ऐसे सोते है….कि सुबह ही उठना है….और रही बात मालकिन की तो, ऊपेर इतने रूम खाली हैं उनको क्या पता चलना है….

मैं: चल ठीक है…
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