Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन
03-08-2019, 02:53 PM,
RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
पर ऊपेर के सारे रूम्स खाली थे….सिर्फ़ हैदर वाले रूम में समान सेट था…थोड़ी देर बाद नीलम किचिन से बाहर आई….और सीढ़ियों की तरफ जाते हुए बोली…”आओ…” में नीलम के पीछे -2 ऊपर आ गया….ऊपर पहुँचा कर उसने बाहर गली की तरफ जो पहला रूम था…उसका डोर खोला….और मुझे अंदर आने को कहा…अंदर पहुँच कर नीलम ने लाइट ऑन की….तो देखा कि रूम एक दम सॉफ था….उसमे एक तरफ डबल बेड था…और उसके सामने बाहर गॅलरी में खुलने वाली विंडोस थी…. और उन विंडोस के ठीक साथ स्टडी टेबल और एककुर्सी लगी थे…..और विंडोस के साथ ही एक और डोर था….जो गॅलरी में खुलता था….बाहर से भी गॅलरी में जाया जा सकता था….

नीलम: ये लो समीर….ये है रूम….यहाँ तुम आराम से अपनी स्टडी कर सकते है…

मैं: जी…..

नीलम: ये रूम हमने ख़ासतोर पर हैदर के लिए बनवाया था…दोपहर के बाद शाम तक इस विंडोस से यहाँ सूरज की रोशनी रहती है….अब तुम यहाँ अड़जस्ट हो जाओ…और फ्रेश होकर नीचे आ जाओ….तब तक में खाना बनाती हूँ…. सामने बाथरूम और टाय्लेट भी है…तुम पहले फ्रेश हो जाओ….बाथरूम में गीजर है… पानी गरम कर है….

मैं: जी….

नीलम जैसे ही नीचे जाने लगी तो, उसकी नज़र बेड पर पड़े न्यूज़ पेपर्स पर पड़ी….”ये साना के अब्बू भी ना….यहाँ दिल करता वहाँ कुछ भी फैंक देते है…” ये कहते हुए नीलम बेड पर चढ़ने लगी तो, उसका अंदाज़ कुछ ऐसा था कि, में तो पूरी तरह हिल गया…वो आगे को झुकी और उसने अपने दोनो हाथो को बेड पर टिकाया और फिर दोनो घुटनो को बेड के किनारे पर रखा और फिर डॉगी स्टाइल में चलते हुए न्यूज़ पेपर तक जाने लगी …..में ठीक नीलम के पीछे खड़ा था… और जैसे ही वो डॉगी स्टाइल में हुई तो, मेरी नज़र नीलम की बेइंतिहा चौड़ी बुन्द पर पड़ी…..”उफफफ्फ़….मेरी तो दिल की धड़कनें बंद होते होते रह गयी…. बेखयाली में नीलम की कमीज़ का पल्ला पीछे से उसकी बूंद से ऊपेर चढ़ गया था…. 


और तो और उसकी शलवार की सिलाई भी बीच में फटी हुई थी….और मेरी नज़र सीधा काले बालो से भरी उसकी फुद्दि पर पड़ी….तो मेरा लंड पेंट के अंदर से फटने को तैयार हो गया….ये नज़ारा कुछ पलों का मेहमान था….पर इस नज़ारे ने मेरे अंदर आग लगा दी थी….ऊपर से उसकी चौड़ी और मोटी बुन्द को देख कर मेरा बुरा हाल हो चुका था….दिल तो कर रहा था कि, अभी अपनी पेंट उतारू…और इस पोज़िशन में अपना लंड उसकी चौड़ी बुन्द के बीच में डाल कर घस्से मारु…. पर अफ़सोस में ये नही कर सकता था,,….नीलम ने वहाँ पड़े न्यूज़ पेपर उठाए… और फिर सीधी होकर नीचे उतरी,….

मैं जानबूज कर दूसरी तरफ मूह करके खड़ा हो गया….और फिर वो न्यूसपेपर लेकर नीचे चले गयी….वो तो नीचे चली गयी…और मुझ पर बहुत बड़ा जुलम कर गयी…उसके जाने के बाद मेने अपने लंड और मन दोनो को समझाया…कि बेटा नही… हर जगह कुत्ते की तरफ ज़ुबान बाहर नही निकालते….फिर मेने अपना कपड़ों वाला बॅग खोला और उसमे से एक पाजामा और टी-शर्ट और टवल निकाल कर बेड पर रखा…और फिर अंडरवेर को छोड़ कर अपने सारे कपड़े उतारे और टवल कमर पर लपेट कर बाथरूम में चला गया…पर ठर्की इंसान कहाँ अपनी आदतों और करतूतों से बाज़ आता है…

जैसे ही बाथरूम में पहुँचा कर मेने कमर से टवल निकाल कर हॅंगर पर टांगा तो, मेरी नज़र अंडरवेर में एक दम सख़्त खड़े लंड पर पड़ी….और अगले ही पल फिर से नीलम की मोटी और चौड़ी बुन्द मेरी नज़रों के सामने आ गयी….”उफ्फ आज तक इतनी चौड़ी बुन्द नही देखी थी….मेरा ध्यान वहाँ से हट नही पा रहा था… लंड तो ऐसी हो गया था….जैसे सूज गया हो….मेने अंडरवेर के ऊपेर से अपने लंड को दबाना शुरू कर दिया….और लंड तो और हार्ड होता जा रहा था….खैर मेने आप को समझाया कि हर जगहा ऐसी सोच रखना ठीक नही होता…मेने हाथ मूह धोया और टवल से अपना मूह पोन्छते हुए बाथरूम से बाहर आया और रूम में दाखिल हुआ….मुझे इस बात का बिल्कुल भी पता नही था कि, यूयेसेस वक़्त नीलम रूम में थी… और मेरे जिस्म पर सिर्फ़ एक अंडरवेर ही था….और उस अंडरवेर को भी लंड ने बीचो- बीच ऐसे बाहर की तरफ पुश कर रखा था…

जैसे लंड अंडरवेर के कपड़े का इम्तिहान ले रहा हो….कि देखता हूँ साले मुझे कब तक क़ैद करके रखता है….मुझे आज़ादी चाहिए….और जैसे ही मैं रूम में दाखिल हुआ मेरी नज़र नीलम पर पड़ी…उसकी पीठ मेरी तरफ थी…वो कदमो की आवाज़ सुन कर एक दम से मूडी और उसकी नज़र जैसे ही मुझसे टकराई तो, एक पल के लिए मानो जैसे वक़्त वही ठहर गया हो….वो ऊपए रज़ाई रखने आई थी….उसकी नज़र कुछ पलों के लिए मेरे अंडरवेर में बने टेंट पर पड़ी….और फिर उसने फॉरन ही नज़रें दूसरी तरफ कर ली….”वो वो में रज़ाई रखने आई थी….” मुझे नीलम की आवाज़ में कपकपि सी महसूस हुई…” मेने भी मोके की नज़ाकत को देखते हुए फॉरन अपनी कमर पर टवल पर लपेट लिया…”सा सॉरी वो मुझे नही पता था कि, आप यहाँ होंगी…मेने सर को झुकाते हुए कहा…”

कोई बात नही…” तुम नीचे आ जाओ…. में खाना बना रही हूँ….”

मैं: जी…..

उसके बाद वो मेरे पास से गुजरते हुए नीचे जाने लगी….तो अचानक से मेरा ध्यान नीलम मामी के फेस पर पड़ा…और मेने एक चीज़ नोटीस की कि वो सर झुकाए मुस्कुरा रही थी….और अपनी शर्माहट वाली मुस्कान को छुपाने की कॉसिश कर रही थे…नीलम मामी की एज वक़्त 37 साल की थे….जैसे ही वो नीचे गयी तो, मेने सोचने लगा कि, मेने जो अभी देखा कि वो सच था….या फिर मेरा वेहम था… पर मेने इस ओर ज़्यादा ध्यान नही दिया… मेने कपढ़े पहने और 
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