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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैने सबा की तरफ देखा तो, उसकी नज़रें फ़ैज़ की तरफ थी….उसके चेहरे से कुछ भी जाहिर नही हो रहा था…..”ठीक है चला जाता हूँ….” मैने चाइ पीते हुए कहा…”जाओ अम्मी इसके साथ चली जाओ….”
सबा ने एक बार मेरी तरफ देखा और बाहर जाते हुए बोली….”ठीक मैं तैयार होकर आती हूँ…
.मैने चाइ ख़तम की और फ़ैज़ के साथ नीचे आ गया…मैने बाइक स्टार्ट करके घर से बाहर निकाली और सबा चाची के आने का इंतजार करने लगा….थोड़ी देर बाद सबा चाची बाहर आई…मेरे मूह से वाह निकलते-2 बचा…सबा चाची इस उमर मे भी कयामत ढा रही थी…..उसने ब्लॅक कलर का प्रिंटेड कमीज़ पहना हुआ था.. और नीचे वाइट कलर की पाजामी पहनी हुई थी….वो जल्दी से मेरे पीछे बाइक पर बैठ गयी….मैने फ़ैज़ की तरफ देखा तो, उसने कहा…”अब जल्दी जाओ….आज बादल भी हो गये है…कही रास्ते मे ही बरसात ना शुरू हो जाए…”
मैने बाइक चला दी….और दूसरे गाओं जाने के लिए मैने रोड की तरफ टर्न लिया ही था कि, सबा चाची ने मुझे टोक दिया…..”इस तरफ से नही दूसरी तरफ कच्चे रास्ते से चलो… उधर से जल्दी पहुच जाएँगे……”
मैं: चाची कोई ख़ास फरक नही पड़ना….ज़्यादा से ज़्यादा 5 मिनट का फ़र्क पड़ेगा…और ऊपेर से रास्ता भी कच्चा है….
चाची: मैने कहा ना इधर से चलना है….
मैं: ठीक है जैसे आप कहें….
मैने बाइक कच्चे रास्ते की तरफ मोड़ दी…मैं ये सोच रहा था कि, सबा चाची ने इस तरफ से चलने का क्यों कहा….इस तरफ से कोई खास फरक तो पड़ना नही है… ऊपेर से उँचे नीचे रास्ते पर झटके अलग लगने है…कही चाची दूसरे मूड मे तो नही है….खैर हम कच्चे रास्ते पर पहुच गये….ये रास्ता खेतों के बीच से होकर जाता था…दोनो तरफ गन्ने के खेत थी….बाइक चलते हुए सायँ-2 की अजीब से आवाज़ आ रही थी…उस वक़्त वहाँ ना तो, किसी इंसान का नामो निशान नज़र आ रहा था…और ना किसी जानवर का….ऊपेर से कच्चे रास्ते मे गड्ढे इतने थे कि, बाइक की स्पीड बहुत स्लो हो गये थे…जब हम सबा चाची के घर से निकले थे…तो हम दोनो के बीच बहुत गॅप था….लेकिन बाइक के गड्ढो मे उछलने के कारण अब मुझे सबा चाची की फ्रंट साइड मुझे अपनी पीठ पर फील हो रही थी…मैं ये तो नही कहूँगा कि, उनके मम्मे मेरे पीठ से रगड खा रहे थे….
क्यों कि सबा चाची ने अपना एक हाथ मेरे कंधे पर रखा हुआ था….जिससे उनके मम्मे मेरी पीठ पर टच होने से बचे हुए थे….हां बीच मे जब बाइक का टाइयर गड्ढे पर पड़ता और बाइक उछलती तो उस वक़्त उसके मम्मे मेरे पीठ से ज़रूर टकरा जाते…सबा चाची उँची कद काठी की औरत थी….उस वक़्त भी उसकी हाइट मेरे और फ़ैज़ जितनी थी….मेरे पीछे बैठे होने के बावजूद भी वो आगे सब देख रही थी…..और मुझे हिदायत दे रही थी कि, सामने . है इधर बाइक कर लो उधर कर लो….और जब बाइक गड्ढे मे पढ़ कर उछलती तो हम दोनो हँसने लग जाते…अभी हम आधे रास्ते मे ही पहुचे थे कि सामने ऐसा मंज़र आया कि, हमारी हँसी एक दम से बंद हो गयी….सामने एक कुत्ता कुत्ति पर चढ़ा हुआ फुद्दि मार रहा था…. कुत्ता फुल स्पीड से अपने लंड को कुत्ति की फुद्दि मे घुसाए जा रहा था….मुझे सबा चाची का तो पता नही…लेकिन जब तक हम उस कुत्ते कुत्ति से आगे नही निकल गये…
तब तक वो मंज़र मैं देखता रहा….जब हम पास से गुज़रे तो, मैने फेस साइड मे करके भी देखा……तो पीछे से सबा चाची की आवाज़ आई….उसने बड़ी मुश्किल से अपनी हँसी को रोका….लेकिन फिर भी थोड़ा सा हंसते हुए बोली….”समीर आगे ध्यान दो ….”
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैं थोड़ा शर्मिंदा सा हो गया….और आगे देखने लगा….अभी हम कुछ ही आगे पहुचे थे कि, एक दम से बारिश शुरू हो गयी…..बारिश भी इतनी ज़ोर से पड़ी कि, हमें वही रुकना पड़ा…..मैने बाइक को एक आम के दरख़्त के नीचे रोक दिया…आम का दरख़्त काफ़ी घाना था….इसलिए उसके नीचे बारिश का पानी कम आ रहा था…
हम दोनो आम के पेड़ के नीचे खड़े हो गये….”उफ़फ्फ़ इस बारिश को भी अभी शुरू होना था….” सबा चाची ने आसमान की तरफ देखते हुए कहा…
.”मैने तो पहले ही आप से कहा था कि, सड़क के तरफ से चलते है…वहाँ से जाते तो, किसी दुकान पर रुक भी जाते…अब क्या करें..थोड़ी देर बाद तो, इसके पत्तों से भी पानी नीचे आना शुरू हो जाना है….”
सबा: मुझे क्या पता था कि बारिश शुरू हो जानी है….वापिसी के वक़्त मे रोड से ही आएँगे तोबा ग़लती हो गयी….
हम वही खड़े होकर बारिश बंद होने का वेट करने लगा….बारिश के साथ-2 बड़ी तेज हवा चलने लगी थी….एक तो सर्दी का मौसम और ऊपेर से बारिश….और ऊपेर से तेज ठंडी हवा….लेकिन उस तेज हवा ने तो, मेरे अंदर आग लगा दी….उस वक़्त जब मेरी नज़र सबा चाची की तरफ पड़ी…उसका ध्यान मेरी तरफ ना था… मैं थोड़ा पीछे दरख़्त के तने के साथ खड़ा था….और सबा चाची थोड़ा आगे थी…. हवा से सबा चाची की कमीज़ का पल्ला उड़ रहा था….जिससे सबा चाची की गान्ड से पल्ला हट चुका था…वाइट कलर की तंग पाजामी मे सबा चाची की बुन्द सॉफ नज़र आ रही थी…क्या मोटी बुन्द थी….मेरा तो लंड ही मेरे पेंट मे टाइट होना शुरू हो गया….और ऊपेर से सबा चाची ने नीचे रेड कलर के पैंटी पहनी हुई थी….जो उसकी पाजामी मे से सॉफ नज़र आ रही थी….
मैं सबा चाची की बूँद को घुरे जा रहा…मेरा ध्यान तो सबा चाची की तरफ थी ही नही….तभी सबा चाची ने फेस घुमा कर मेरी तरफ देखा….और मुझे अपनी बूँद की तरफ घुरते हुए देख लिया….लेकिन तब भी मेरा ध्यान सबा चाची की बूँद पर ही अटका हुआ था…और सबा चाची ने मेरे पेंट मे तने हुए लंड को भी देख लिया था….अचानक मैने सबा चाची के फेस की तरफ देखा तो, मैने शर्मिंदा होकर नज़रें नीचे कर ली…..
”बड़े बेशर्म हो तुम….लगता है फ़ैसल भाई शहाब से तुम्हारी शिकायत करनी ही पड़ेगी…..” मैने गोर किया कि, सबा चाची के चेहरे पर मुस्कान थी…..
मैं: कॉन सी शिकायत….मैने तो कुछ नही किया…..
सबा: अच्छा तुम इतने भी भोले नही हो…जितने तुम दिखते हो…
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैं और सबा चाची उनके घर पहुँचे तो, सबा चाची ने बाइक से नीचे उतर कर गेट खोला और मैने बाइक अंदर कर दी….जैसे ही मैने बाइक से उतर कर स्टॅंड लगाना शुरू किया तो, मेरी नज़र कमरे के बाहर बैठे, फ़ैज़ के दादा दादी पर पड़ी…मैने देखा कि, फ़ैज़ के दादा जी अब उमर के हिसाब से काफ़ी बूढ़े हो चुके थे…उनके कंधे झुके हुए थे…..और काफ़ी कमजोर भी लग रहे थे….उनसे दुआ सलाम करने के बाद मैं सबा चाची के साथ ऊपर आ गया…..ऊपेर चार रूम्स एक हॉल और किचन था….सभी रूम्स मे अटॅच्ड बाथरूम थे….
मैं सीधा फ़ैज़ के रूम मे चला गया…फ़ैज़ बेड पर लेटा हुआ था…..”और फ़ैज़ भाई कैसे हो….अब तबीयत कैसी है तुम्हारी….” मैने फ़ैज़ के पास बैठते हुए कहा…
“यार मेडिसिन ली है….थोड़ी देर बाद फ़र्क पड़ जाएगा……अच्छा यार तुम लोग रास्ते मे भीगे तो नही….बड़ी तेज बारिश शुरू हो गयी थी…..”
मैं: नही हम एक दुकान पर रुक गये थे….
फ़ैज़: चलो अच्छा किया…..यार मेरा एक काम ही कर दो…..
मैं: हां बोलो क्या काम है…..
फ़ैज़: यार जाकर अम्मी से कह दो….मेरे लिए रात के खाने मे कुछ हल्का सा बना दें….
मैं: ठीक है कह देता हूँ…
मैं वहाँ से निकल कर बाहर आया तो, मुझे किचन से कुछ आवाज़ आई…तो मे किचन की तरफ चला गया…अंदर सबा चाची उन्ही कपड़ों मे खाना बना रही थी….” वो फ़ैज़ कह रहा है कि, उसके लिए रात के खाने मे कुछ हल्का सा बना दें….” मैने सबा चाची के पास जाते हुए कहा…और अपना हाथ सबा चाची की कमर पर रख दिया… सबा चाची ने एक बार मेरी तरफ देखा और धीरे से बोली….”फ़ैज़ क्या कर रहा है….?”
मैं: बेड पर लेटा हुआ है….बुखार है उसे…..
सबा: उसके लिए खिचड़ी रखी है….(सबा ने कुक्कर की तरफ इशारा करते हुए कहा…) और तुम क्या खाओगे….
मैं: जो भी आप बना लो…..
मैने सबा चाची की कमर को धीरे -2 सहलाते हुए कहा…..”अच्छा तुम जाकर फ़ैज़ के पास बैठो….मैं थोड़ी देर मे खाना तैयार करके लाती हूँ….नीचे मेरे सास ससुर भी भूखे होंगे….”
मैं सबा की कमर पर हाथ फेरते, अपना हाथ नीचे ले गया…और उसकी बुन्द के गोश्त को अपने हाथ मे लेकर मसल दिया…. सबा के जिस्म को झटका सा लगा और उसने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा….”क्यों आग लगा रहे हो….तुम तो खाना खा कर चले जाओगे….फिर सारी रात मे तंग होती फिरुन्गि….”
मैं: मेरे होते हुए तंग होने की क्या ज़रूरत है…(मैने सबा चाची को आँख मारते हुए कहा….)
तो सबा चाची मुस्कुराने लगी….”अब जाओ भी कही फ़ैज़ उठ कर इधर ना आ जाए…” सबा चाची ने मेरा हाथ अपनी गान्ड से हटाते हुए कहा….तो मैं बिना कुछ बोले बाहर आ गया….और फ़ैज़ के रूम मे चला गया…फ़ैज़ से इधर उधर के बातें करने लगा….करीब 15 मिनट बाद सबा चाची फ़ैज़ के लिए खाना ले आई….और साथ मे पानी के बॉटल और ग्लास भी…..सबा चाची ने फ़ैज़ को बेड पर ही खाना दे दिया….और बाहर जाते हुए बोली….”समीर बेटा तुम थोड़ी देर रूको पहले मैं अम्मी अबू को खन्ना दे आउ….फिर तुम्हारे लिए भी खाना लगा देती हूँ…”
मैं: जी……
करीब 15 मिनट बाद सबा चाची मेरे लिए भी खाना ले आई….मैने खाना खाया और हाथ धो कर फ़ैज़ के पास आया और बोला….”अच्छा यार अब मैं चलता हूँ…..कल मिलूँगा तुमसे….”
फ़ैज़: अच्छा ठीक है…..
मैं जैसे ही बाहर आया तो, देखा कि सबा चाची किचन के डोर पर खड़ी थी….सबा चाची अपनी कपड़े बदल चुकी थी….उसने उस वक़्त येल्लो कलर का पतला सा शलवार कमीज़ पहना हुआ था…और ऊपेर चद्दर ओढ़ रखी थी….”जा रहे हो…?” सबा चाची ने मुझसे पूछा तो मैने हां मे सर हिला दिया…
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
नजीबा ने गेट खोला तो मैने अंदर आ चला गया…..नजीबा ने गेट लॉक किया…और जैसे ही मेरी तरफ मूडी तो मैने उससे खाने का पूछा…”तुमने खाना तो खा लिया था ना….?”
मेरी बात सुन कर नजीबा ने हां मे सर हिला दिया…एक बार फिर से बारिश होने के आसार बन रहे थे…मैं अपने रूम की तरफ जाने लगा तो नजीबा ने मेरा हाथ पकड़ लिया…मैने उसकी तरफ पलट कर सवालियाँ नज़रो से उसकी तरफ देखा तो, उसने अपने गुलाबी अधरो पर मुस्कान लाते हुए मुझसे कहा….”थॅंक्स….”
मैं: थॅंक्स पर किस लिए……
नजीबा: आपने मेरे लिए खाना जो भेजा…..
मैं: अब इसमे थॅंक्स बोलने वाली क्या बात है…
नजीबा: आप ऊपेर से जीतना चाहे गुस्सा निकालते है….लेकिन मे जानती हूँ कि, आपको मेरी बहुत परवाह है….
नजीबा ने अभी भी मेरा हाथ अपने हाथ मे पकड़ रखा था….मैं मूड कर फिर से अपने रूम मे जाने लगा तो, नजीबा ने मेरा हाथ ना छोड़ा….मैने फिर से उसकी तरफ देखा, इस बार उसने अपने सर को झुका लिया…
.”क्या हुआ कुछ और कहना है…..” मैने देखा कि नजीबा की साँसे तेज चल रही थी….उसके गाल सुर्ख हो रहे थे…फिर नजीबा ने अचानक वो किया जिसके बारे मे मैने सोचा भी ना था…. नजीबा एक दम से मुझसे लिपट गयी…उसने अपने दोनो बाजुओं को मेरी बगलों से गुजारते हुए पीछे लेजा कर मेरी पीठ पर कस लिया….”उफफफफफफ्फ़ मे तो मरते-2 बचा… क्या नरम अहसास था….नजीबा के 30 साइज़ के मम्मे मेरे सीने मे धँस गये…
नजीबा को भी इस बात का अहसास ज़रूर होगा….लेकिन उसने अपने मम्मो को मेरे सीने से दूर करने की कॉसिश नही की…..बेखुदी मे मेरे हाथ खुद ब खुद नजीबा के कंधो से होते हुए उसकी पीठ पर आ गये…मैं नजीबा के मम्मो को अपने सीने पर रगड़ ख़ाता महसूस करके पिघलता जा रहा था…..”नजीबा ये सब क्या है…क्या कर रही हो तुम…..” मैने नजीबा के कंधो को पकड़ा और पीछे हटाने के कॉसिश की…लेकिन जैसे ही मैने उसको पीछे पुश करना चाहा….उसने अपनी बाजुओं को मेरी पीठ पर और कस लिया
…”मुझे बर्दास्त नही होता…..जब आप मुझसे नाराज़ होते हो…मैं आपको नाराज़ नही देख सकती….” नजीबा ने कांपति आवाज़ मे कहा….
”नजीबा मुझे लगता है तुम्हे इश्क़ हो गया है…..” मेरी बात सुनते ही नजीबा ने मुझे अपनी बाहों मे और कस लिया….
“यस आइ लव यू…..आइ रियली लव यू…” नजीबा ने शर्ट के ऊपेर से ही मेरी चेस्ट को चूमते हुए कहा….उसकी आवाज़ और लाल सुर्ख चेहरे को देख कर सॉफ पता लगाया जा सकता था कि, नजीबा की हालत उस वक़्त कैसी हो गयी थी….
”प्लीज़ समीर मुझे प्यार करो…. प्लीज़ लव मी…..प्लीज़….” उसने मेरी शर्ट के ऊपेर खुले हुए हिस्से पर चूमना शुरू कर दिया…
मैं तो उसके होंटो की गर्माहट को अपनी गर्दन के करीब महसूस करके पागल ही हो गया…मैने नजीबा के फेस को दोनो हाथो मे पकड़ कर अपने फेस के सामने किया तो देखा उसका चेहरा एक दम लाल सुर्ख हो चुका था…
मैं: नजीबा….(मैने सरगोशी से भरी आवाज़ मे कहा….)
नजीबा: जी……
मैं: नजीबा तुम्हारे होंठ बहुत खूबसूरत है….तुम्हारे इन गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंटो को देख कर मे बहक रहा हूँ….
नजीबा: ये सब आपके लिए है….
मैने अपने होंटो को नजीबा के होंटो की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया….और फिर जैसे ही मेरे होन्ट नजीबा के होंटो से टच हुए, तो नजीबा का पूरा बदन थरथरा गया….और अगले ही पल मैने नजीबा के थरथराते जिस्म को अपनी बाहों मे कसकर उसके होंटो का रस पीना शुरू कर दिया….मैं एक दम पागल हो चुका था…और उसके नरम और रसीले होंटो को जबरदस्त तरीके से चूसना शुरू कर दिया था…नजीबा की तरफ से किसी भी तरह की कोई जदो जेहद ना थी…..पर उसका जिस्म मस्ती मे बुरी तरह काँप रहा था….मैं भी बुरी तरह बहक गया था…मैने नजीबा के होंटो से अपने होंटो को अलग किया तो मैने उसके चेहरे की ओर देखा….उसका गोरा चेहरा ऐसा हो गया था….मानो किसी ने उसके गालो को बैदर्दी से रगड़ दिया हो… मैने देखा कि, नजीबा के नीचे वाले होन्ट के पास लाल रंग का निशान बन गया था…
जो कि शायद मेरे चूसने से बना था..उसकी आँखे अभी भी बंद थी…होन्ट काँप रहे थे….साँसे उखड़ी हुई थी….मानो मेरे अगले कदम का वेट कर रही हो… मैने थोड़ा सा झुक कर नजीबा को अपनी बाहों मे उठा लिया…उसने भी शरमा कर अपने चेहरे को मेरे सीने मे छुपा लिया….और मैं उसे अपनी बाहों मे उठाए हुए उसके कमरे मे ले आया….रूम मे जाने के बाद मैने उसे बेड पर लेटा दिया… और एक बार फिर से गौर से उसके चेहरे को देखा…जो मस्ती और खुमारी मे दहक रहा था…उसने अपनी आँखो को हल्का सा खोल कर मेरी तरफ देखा…और फिर मुस्कुराते हुए अपनी आँखे बंद कर ली…” ऐसे ना देखो…..”
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