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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
एक घंटे में दो बार फारिघ् होने के बाद में और सबा दोनो थक चुके थे…और अपनी उखड़ी हुई सांसो को दुरस्त कर रहे थे…..इस घर का जो खोफ़ मेरे जेहन में यहाँ आने से पहले था….वो पूरी तरह निकल चुका था….मुझे लेटे-2 ही ख़याल आया कि, थोड़ी देर पहले में यहाँ आने से कैसे डर रहा था….यहाँ तो ऐसा कुछ भी नही है…..फिर लोग इस जगह के पास से भी क्यों नही गुजरना चाहते…. क्यों लोग इस जगह को मनहूस कहते है….मैने सबा की तरफ फेस करके करवट के बल लेटते हुए उसके एक मम्मे के निपल को अपने हाथ के उंगलियों में लेकर दबाना शुरू कर दिया….
तो सबा ने भी करवट के बल होते हुए मेरी तरफ फेस कर लिया….और मेरे बालो में अपने हाथ की उंगलयों को बड़े प्यार से घुमाने लगी…” चाची एक बात पूछूँ…” मैने सबा के मम्मे से हाथ हटा कर उसकी कमर से पीछे ले जाते हुए उसकी बुन्द पर फेरते हुए कहा
…”हां पूछो पर मुझे यहाँ तो चाची मत बुलाओ…मुझे बड़ा अच्छा लगता है….जब तुम मुझे मेरे नाम लेकर बुलाते हो……”
मैं: अच्छा ठीक है….ये बताओ कि लोग इस जगह से इतना खोफ़ क्यों खाते है…?
सबा: (मेरी बात सुन कर मुस्कुराते हुए बोली….) लोग तो पागल है…..उन्हे कुछ भी नही पता…..इसके पीछे एक बड़ी लंबी कहानी है….
मैं: तो फिर बताओ क्या कहानी है इसके पीछे….
सबा: अभी बताऊ…..(सबा ने मेरी तरफ सवालिया नज़रों से देखते हुए पूछा…)
मैं: हां अभी तो बहुत टाइम है….थोड़ी देर रेस्ट भी हो जाएगा……
सबा : तो सुनो फिर…..ये बात बहुत अरसे पहले की है….उस वक़्त फ़ैज़ बहुत छोटा था…में फ़ैज़ के अब्बू के साथ बड़ी खुस थी….घर में मेरे सास ससुर फ़ैज़ के अब्बू में और फ़ैज़ ही थे….घर में किसी चीज़ के तंगी नही थी… नौकर चाकर सब रखे थे फ़ैज़ के दादा जी ने…कि उनकी बहू को काम नही करना पड़े….
फिर कुछ महीनो के बाद फ़ैज़ के अब्बू मेरे शोहार की मौत हो गयी…..में टूट गयी थी…कुछ दिन तक घर में बड़ा दुख वाला महॉल रहा था…तब मेरी उम्र सिर्फ़ 20 साल थी….फ़ैज़ के अब्बू की मौत के 7 महीने बाद मेरे वालिद और वालिदा मुझे ले जाने आ गये…..वो मेरी दूसरी शादी करना चाहते थे….उस वक़्त मेरी उम्र ही क्या थी. … लेकिन फ़ैज़ के दादा जी इस बात के लिए राज़ी नही हुए…मेरे वालिद की उनके साथ बड़ी बहस हुई….झगड़ा भी हुआ…लेकिन फ़ैज़ के दादा जी नही माने….और कहने लगे कि, उन्होने ने अगर मेरी शादी करनी है….तो वो फ़ैज़ को कभी साथ नही भेजेंगे….फ़ैज़ उनके पास रहेगा…फ़ैज़ उनके बेटे की आखरी निशानी है….
में बीच में फँस गयी थी……फिर अम्मी अब्बू ने कहा कि, अगर वो फ़ैज़ को नही भेजना चाहते तो नही सही…लेकिन वो मेरा दूसरा निकाह ज़रूर करेंगे…पर फ़ैज़ के दादा जी इस पर भी राज़ी नही हुए….धीरे-2 घर में कलेश बढ़ता जा रहा था… मुझे अब वो घर काट खाने को दौड़ता था….फ़ैज़ के अब्बू को गुज़रे दो साल हो चुके थे….पर अभी तक फ़ैज़ के दादा जी अपनी ज़िद्द पर अटके हुए थे….में उस घर में क़ैद से होकर रह गयी थी….एक दिन मेरे सब्र ने भी जवाब दे दिया…और गुस्से में आकर में अपने सास ससुर के साथ झगड़ा कर बैठी…तो फ़ैज़ के दादा जी ने मुझसे कहा कि, आख़िर तुम्हे यहाँ किस बात की तंगी है…मैं अपने होश में नही थी… गुस्सा सर पे सवार था…मेरे मूह से निकल गया कि, मुझे मर्द की कमी महसूस होती है….उस दिन फ़ैज़ के दादा जी ने मुझे एक बात क्लियर कर दी…..कि वो मेरे दूसरी शादी नही होने देंगे…..उनके रुतबे रुबाब के आगे हम सब ने हार मान ली….
मेरे अम्मी अब्बू ने भी मुझे मेरे हाल पर छोड़ दिया…भाई और भाभीया तो पहले से ही मुझे ख़ास पसंद नही करती थी….मैने भी अपने आप को समझा लिया कि, अब मुझे यही जिंदगी ज़ीनी है….मैने अपना दिल फ़ैज़ की तरफ लगा लिया….में रोज सुबह उठती घर का सारा काम काज करती थी……एक दिन सुबह के 5 बजे की बात है… में सुबह 5 बजे उठ जाती थी…क्योंकि सुबह सुबह फ़ैज़ के दादा जी 5 बजे उठ कर हमारे घर के सामने जो घर है ना वहाँ पर हवेली हुआ करती थी…वहाँ पर हमारी भैंसी बँधी होती थी…फ़ैज़ के दादा जी उठ कर भैसो को पानी चारा देने के लिए चले जाया करते थे….और दूध निकाल कर वापिस आते थे….वैसे भैंसो के रखवाली के लिए उन्होने एक आज़म नाम का नौकर रखा हुआ था…वो अपनी बीवी के साथ उसी हवेली में रहता था…..
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
हवेली में ही उसका कमरा था…आज़म ज़्यादातर खेतो में रखवाली करता था…वो सुबह -2 निकल जाता था…कभी फसलों को पानी देने के लिए तो, कभी भैंसो का चारा लेने के लिए…उस दिन मैने उठ कर चाइ बनाई और अपनी सास ससुर को देने के लिए उनके रूम में गयी तो, मेरे ससुर हवेली से अभी वापिस नही आए थे…मैने सास को चाइ दी…तो सास ने मुझसे कहा कि, जाओ जाकर अपने ससुर साहब को बुला लाओ…नही तो चाइ ठंडी हो जानी है….मैने चाइ के कप वही रखे और घर से बाहर आकर सामने हवेली में चली गयी….सर्दियों का मौसम था…और 5:30 बजे थे…इसलिए बाहर अभी भी अंधेरा था…जब में हवेली में दाखिल हुई थी…मुझे भैंसो वाले रूम से ससुर जी की आवाज़ आई….
में दबे पावं उस रूम की तरफ बढ़ने लगी…जहाँ मेरे ससुर जी अपनी भैंसो को बाँधते थे…में जैसे ही दरवाजे के पास पहुचि और अंदर झाँका तो मेरे दिल की धड़कने तेज हो गयी…अंदर ससुर जी आज़म की बीवी को बाहों में लिए हुए थे…और नरगिस उनकी बाहों में तड़प रही थी…ससुर जी के हाथ नरगिस की बुन्द पर थी…और शावलार के ऊपेर से उसकी बूँद को दबा रहे थे….
नरगिस: उईईइ अम्मी क्या कर रहे हैं कोई आ जाएगा…..
ससुर: कोई नही आएगा जान…
और ससुर जी ने उसके होंठो को अपने होंठो में ले लिया और चूसने लगी…मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था…मेरी फुद्दि में खुजली होने लगी….और मेरी फुद्दि ने पानी छोड़ना चालू कर दिया नरगिस उस समय सिर्फ़ मेंहरूण कलर के शलवार कमीज़ में थी…ससुर शलवार के ऊपेर से उसकी गान्ड को मसल रहे थे…और नरगिस आह ओह्ह्ह करने लगी तभी ससुर ने उसके होंठो को चूस्ते हुए…उसकी कमीज़ को ऊपेर उठाना चालू कर दिया….जैसे ही नरगिस की कमीज़ ऊपेर हुई… उसके गोरे गोरे 40 साइज़ के मम्मे उछल कर बाहर आ गये…उसने नीचे ब्रा नही पहनी थी…ससुर ने झट से नरगिस के मम्मे को मूह में ले लिया, और चूसना चालू कर दिया….मेरी तो हालत देख कर ही खराब हो रही थी…मेरा एक हाथ मेरी फुद्दि को शलवार के ऊपेर से सहला रहा था…और दूसरे साथ से में अपने मम्मे को मसल रही थी…
ससुर तेज़ी से नरगिस के एक मम्मे को चूस रहा था…और दूसरे हाथ से दूसरे मम्मे को मसल रहा था…नरगिस की कामुक सिसकारियाँ सुन कर में और भी गरम होने लगी…मेरी पैंटी गीली होने लगी…ससुर ने अपनी शलवार को निकाल कर फेंक कर खुन्टे से टाँग दिया…मेरे हाथ पैर एक दम से सुन्न पड़ गये…मेरी नज़र ससुर जी के काले फन्फनाते लंड पर जम गयी…इतना मोटा और लंबा लंड मेरे आज तक नही देखा था…मेरी फुद्दि की फांके फुदकने लगी…नरगिस पैरो के बल नीचे बैठ गयी…और काले लंड की चॅम्डी को टोपे से पीछे कर दिया….मेरे जिस्म में देख कर ही मस्ती की लहर दौड़ गयी…ससुर जी का गुलाबी टोपा किसी छोटे सेब जितना मोटा था…नरगिस ने एक दो बार लंड को हिलाया, और फिर अपनी जीभ को बाहर निकाल कर वो लंड के टोपे पर चारों तरफ घुमा – 2 कर चाटने लगी
ससुर: क्या कर रही हो जानेमन… पूरा मूह में लेकर चूस ना….
और नरगिस ने पूरा मूह खोल कर लंड के टोपे को अंदर ले लिया, और टोपे को चूसने लगी…लंड का टोपा नरगिस के थूक से गीला होकर चमकने लगा….नरगिस तेज़ी से लंड को मूह के अंदर बाहर करके चूस रही थी….
ससुर सहाब: अब बस करो… चल आ..
और ससुर ने वहाँ रखी तरपाल को नीचे ज़मीन पर बिछा दिया….नरगिस तेज़ी से उसपर लेट गयी, और अपनी शलवार को खोल कर घुटनो तक उतार दिया…और अपनी टाँगो को घुटनो से मोड़ ऊपेर उठा कर अपनी जाँघो को फेला दिया…उसकी फुद्दि एक दम सॉफ थी….फुद्दि पर बालो का कोई नामो निशान नही था….ससुर जी नरगिस की रानो के बीच में आकर बैठ गये…और अपने लंड के टोपे को उसकी फुद्दि के छेद पर लगा कर जोरदार धक्का मारा….
नरगिस: अहह मर गई, जी क्या करते हो, आराम से करो ना
और ससुर ने नरगिस की टाँगों को उठा कर अपने कंधों पर रख लिया और , तेज़ी से अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा….लंड फॅच-2 की आवाज़ से अंदर बाहर होने लगा…नरगिस की सिसकारियाँ मुझे सॉफ सुनाई दे रही थी…जिसे सुन कर मेरी फुद्दि की आग और भड़कने लगी…ससुर करीब 10 मिनट उसे लगतार चोदता रहा…फिर कुछ देर बाद दोनो शांत पड़ गये…ससुर खड़ा हो गया… नरगिस भी खड़ी हो गयी, और अपने कपड़े ठीक करने लगी…ससुर ने अपनी शलवार पहन ली…नरगिस कपड़े ठीक करके दूध दुहुने बैठ गये…
और ससुर बाहर आने लगा…में एक दम से डर गयी…और वापिस मूड कर आने लगी…बाहर अभी भी अंधेरा था…में अपने घर में आ गयी..पर जैसे ही में डोर बंद करने लगी…ससुर आ गया, और डोर को धकेल कर अंदर आ गया…
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
में कुछ नही बोली और वैसे ही आँखें बंद किए लेटी रही….उन्होने मेरे एक मम्मे के निपल को मूह में ले लिया और चूसने लगे….में मस्ती में आह ओह ओह कर रही थी….मुझे आज भी याद है, में उस वक़्त इतनी गरम हो चुकी थी… कि मेरी फुद्दि की फाँकें कभी उनके लंड के टोपे पर कस्ति तो कभी फेलति…अब वो मेरे मम्मो को चूसने के साथ मसल भी रहे थे….में वासना के लहरों में डूबी जा रही थी….फुद्दि में सरसराहट होने लगी…और मेरी कमर खुद ब खुद ऊपेर की तरफ उठने लगी, और लंड का टोपा मेरी फुददी के छेद में चला गया…मेरे मूह से अहह निकल गयी….होंठो पर कामुक मुस्कान आ गयी…
.दहाकति हुई फुद्दि में लंड के गरम टोपे ने आग में पेट्रोल का काम किया….और में और मचल उठी….और मस्ती में आकर अपनी बाहों को उनके गले में डाल कर कस लिया….मेरी हालत देख उन्होने मेरे होंठो को अपने होंठो में ले लिया और चूसने लगे…अपनी फुद्दि के पानी का स्वाद मेरे मूह में घुलने लगा…वो धीरे-2 मेरे दोनो होंठो को चूस रहे थे…और अपने दोनो हाथों से मेरे मम्मो को मसल रहे थे….मैने अपने हाथों से उनकी पीठ को सहलाना चालू कर दिया….
और उन्होने ने भी मस्ती में आकर अपनी पूरी ताक़त लगा कर जोरदार धक्का मारा….लंड मेरी फुद्दि की दीवारों को फेलाता हुआ अंदर घुसने लगा…लंड के मोटे टोपे की रगड़ मेरी फुद्दि क दीवारो को फेलाता हुआ अंदर घुस गया, और सीधा मेरी बच्चेदानी से जा टकराया….मेरी तो जैसे जान ही निकल गयी…दर्द के साथ-2 मस्ती की लहर ने मेरे बदन को जिंज़ोर कर रख दिया…मेरी फुद्दि की फाँकें फड़फड़ाने लगी…
ससुर: आहह सबा तुम्हारी फुद्दि तो सच में बहुत टाइट है…..मज्जा आ गया….देख तेरी फुद्दि कैसे मेरे लंड को दबा रही है…..
में ससुर जी की बातों को सुन कर शरम से मरी जा रही थी….पर मेने सच में महसूस किया कि, मेरी फुद्दि की दीवारें ससुर जी के लंड पर अंदर ही अंदर कस और फैल रही हैं….जैसे मेरे बरसों की प्यासी फुद्दि अपने प्यास बुझाने के लिए, लंड को निचोड़ कर सारा रस पी लेना चाहती हो….
ससुर जी ने मेरी टाँगों को अपने कंधों पर रख लिया…और अपना लंड मेरी फुद्दि में आदर बाहर करने लगी….लंड का टोपा मेरी फुद्दि की दीवारो पर रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बाहर होने लगा….और लंड का टोपा मेरी बच्चेदानी के मूह पर जाकर चोट करने लगा…में एक दम गरम हो चुकी थी…और मस्ती के दरिया में गोते खा रही थी…
ससुर का लंड मेरी फुद्दि के पानी से एक दम गीला हो गया था…और लंड फॅच-2 की आवाज़ के साथ अंदर बाहर हो रहा था…..में अब अपने आप में नही थी…में अपने दाँतों में होंठो को दबा ससुर जी के लंड से चुदवा के मस्त हो चुकी थी…में अपनी आँखें बंद किए, अपने ससुर जी के लंड को अपनी फुद्दि में महसूस करके फारिघ् होने के करीब पहुच रही थी…..ससुर जी के जांघे जब मेरी बुन्द से टकराती, तो थप-2 की आवाज़ पूरे कमरे में गूँज जाती, फॅच-2 और थप-2 की आवाज़ सुन कर मेरी फुद्दि में और ज़्यादा खुजली होने लगी…और में अपने आप को रोक ना सकी….मैने अपनी गान्ड को ऊपेर की तरफ उठाना चालू कर दिया…मेरी गान्ड चारपाई के बिस्तर से 3-4 इंच ऊपेर की तरफ उठ रही थी…और लंड तेज़ी से अंदर बाहर होने लगा…
मेरी उतेजना देख ससुर जी और भी जोश में आ गये…और पूरी ताक़त के साथ मेरी फुद्दि को अपने लंड से चोदने लगे… में झड़ने के बहुत करीब थी….और ससुर जी का लंड भी पानी छोड़ने वाला था….
ससुर: अह्ह्ह्ह सबा मेरा लंड पानी छोड़ने वाला है….अहह अहह
में: आह सीईईईईई उंह उंह
और मेरा पूरा बदन अकड़ने लगा….में आज पहली बार दो सालो के बाद फारिघ् हो रही थी….में इतनी मस्त हो गयी थी, कि में पागलों के तरह अपनी गान्ड को ऊपेर उछालने लगी…और मेरी फुद्दि ने बरसों का जमा हुआ पानी उगलना चालू कर दिया…ससुर जी भी मेरी कामुकता के आगे पस्त हो गये…और अपने लंड से पानी की बोछार करने लगी…में चारपाई पर एक दम शांत लेट गयी…में एक दम पुरसकून हो गयी…में करीब 10 मिनट तक ऐसे ही लेटी रही….ससुर जी मेरे ऊपेर से उठ गये थे…मेने अपनी आँखों को खोला जिसमे वासना का नशा भरा हुआ था…ससुर जी ने अपनी शलवार कमीज़ पहन ली थी…
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मेने अपने घुटनो को थोड़ा सा मोड़ा और झुक कर अपने लंड की कॅप को सबा की फुद्दि के सुराख पर सेट किया….जैसे लंड का गरम और मोटा कॅप सबा की फुद्दि के गीले सुराख पर लगा…तो सबा के मूह से आह निकल गयी….और उसने अपनी टाँगो को मजीद खोल लिया…कि में आसानी से उसकी फुद्दि मार सकूँ….”ले मार ले अपनी गस्ति की फुद्दि…” सबा ने अपनी बुन्द को पीछे के तरफ पुश करते हुए कहा….” तो मेरे लंड का कॅप सबा की गीली फुद्दि के लिप्पस को खोलता हुआ अंदर जाने लगा….मुझे अपने लंड की कॅप पर मजीब सरसराहट महसूस हो रही थी….
सबा तब तक अपनी गान्ड को पीछे की तरफ पुश करती रही…जब तक कि मेरा पूरा लंड सबा की फुद्दि में नही घुस्स गया….मेने अपने हाथो को सबा की कमीज़ के अंदर डाल कर उसके मम्मो को पकड़ कर खेंचते हुए अपने लंड को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…सबा भी पूरी तरह मस्त होकर कोड़ी हुई खड़ी थी..और मेरे लंड को फुद्दि में लेकर मज़ा ले रही थी…..मेने 5-6 मिनट तक जम कर सबा की फुद्दि उसी पोज़ में मारी…और सबा की फुद्दि को खड़े-2 पानी -2 कर दिया….
हम ने अपने कपड़े ठीक किए….”अब हमे चलना चाहिए….” सबा ने मेरी तरफ देखते हुए कहा….मेने अपनी कलाई पर बँधी घड़ी में टाइम देखा तो 1 बजने वाला था….मेने भी हां में सर हिला दिया…”कल किसी को भेज कर इस घर की सॉफ सफाई करवा देती हूँ….नीचे बड़ी अजीब सी स्मेल आ रही थी….और बिस्तरों को भी धूप लगवाने को कह दूँगी….”
हम दोनो नीचे आए…मेने अपनी जॅकेट पहनी और सबा ने अपना बुरखा पहना… सबा ने रूम को लॉक किया और रूम्स के चाबी वही मीटर के पास रख दी…फिर हम घर से बाहर निकले और सबा ने घर को लॉक कर दिया…हम उस कच्चे रास्ते पर चलने लगे….तो सबा ने घर की चाबी मुझे देते हुए बोली…”ये चाबी तुम अपने पास रख लो….”
मेने सबा की तरफ सवालियाँ नज़रो से देखा….तो सबा मुस्कुराते हुए बोली…”फ़ैज़ के दादा जी और मेरे सिवाए किसी को पता नही है कि, ये घर हमारा है…तुम ये चाबी अपने पास रखो….और कल सुबह-2 आकर घर का लॉक खोल देना..में किसी को भेज दूँगी…तुम सॉफ सफाई करवा लेना..और बिस्तरों को भी धूप लगवा देना…तुम्हे काम करने की ज़रूरत नही….जिसे भेजूँगी वो सब कर लेगी…”
में: कर लेगी मतलब किसी औरत को भेजो गे आप….
सबा: हां वो नरगिस थी नही जो हमारे यहाँ काम करती थी…जिसका फ़ैज़ के दादा जी के साथ चक्कर था….
में: हाँ पर वो तो अब इस दुनिया में नही रही….
सबा: हां उसका खाविंद भी इस दुनिया में नही रहा….लेकिन उसके बेटा और बहू हमारे पास ही काम करते है…रानी नाम है उसका….उसको उसके खाविंद के साथ भेज दूँगी….
में: पर तुम उससे कह कर क्या भेजोगी….उसे पता नही चलेगा कि ये घर तुम्हारा है….
सबा: तो क्या हुआ…उसकी सास को भी पता था…
में: तो फिर में क्यों यहाँ आऊ….वो सोचेंगे ऩही कि में यहा क्या कर रहा हूँ..
सबा: सोचने दो….वैसे भी उनमें इतनी हिम्मत नही कि, वो मेरे खिलाफ एक लफ़्ज भी बोले….ज़ीशान तो वैसे भी मेरा इतना करज़दार है कि, वो मूह खोल ही नही सकता…और उसकी बीवी रानी की पूछो ही मत…
में: क्यों क्या हुआ…..
सबा: उसे तो मेने रंगे हाथो पकड़ लिया था…ज़ेशन खेतो में काम देखता है… तो उसकी बीवी रानी यहा हम अब भैंसे बाँधते है वहाँ भैंसो का काम करती है..वही दो कमरे दिए है….
एक दिन में सुबह दूध लेने उधर गयी तो, रानी अपनी फूफी के बेटे से अपने माममे चुसवा रही थी….उसकी फूफी का बेटा उससे मिलने आया हुआ था….तब मेने उसको पकड़ लिया….तब से वो मुझसे इतना डरती है कि, वो अपनी ज़ुबान कभी नही खोलगी.. वैसे भी उनकी औकात नही है कि हमारे सामने मूह खोले…
में: लेकिन वो अपनी ही फूफी के बेटे से पर क्यों….
सबा: मुझे पक्का तो नही पता…लेकिन मेने सुना है ज़ेशन एक नंबर. का गान्डू है… हमारे खेतों में जीतने भी मजदूर है….सब ने उसकी गान्ड मारी हुई है…. उसे तो खुद अपनी गान्ड में लंड चाहिए….वो खाक अपनी बीवी को लंड देता होगा…तू डर मत….कुछ नही होता वैसे भी तूने सफाई ही तो करवानी है…
में: तो तुम भी तो आ सकती हो…..
सबा: में आउन्गि बाद में…..मुझे कल कुछ काम है….11 बजे तक फारिघ् होकर आ जाउन्गि…तब तक सॉफ सफाई भी हो जाएगी…
अभी हम कुछ ही दूर आए थी….कि सबा एक दम रुक गयी…और मेरी तरफ घूमते हुए उसने शलवार के ऊपेर से मेरे लंड को पकड़ लिया….और मेरे लंड जो कि ढीला था. उसे पकड़ कर दबाते हुए बोली….”तुम डरो नही….तुम्हारे पास ये है …इसके लिए तो, में तुम्हारी तरफ तेज हवा भी नही आने दूं….” सबा जिस अंदाज़ से मेरे लंड को दबा रही थी….उसकी आँखो में शोखी सॉफ नज़र आ रही थी…मेरा लंड थोड़ा सा सख़्त हो गया था….सबा ने देखा कि अभी छोटे वाला रोड काफ़ी दूर है…और दूर -2 तक कोई नज़र नही आ रहा….दोनो तरफ वैसे भी गन्ने की फसल खड़ी थी…सबा ने मेरी शलवार का नाडा ढीला करना शुरू कर दिया….
में: ये क्या कर रही हो…अगर कोई आ गया फिर देखना क्या बनता है हमारा…
सबा: हाहाहा तुम सच में बड़े डरपोक हो….मेरे होते हुए कोई तुम्हारी तरफ आँख भी नही उठा कर देख सकता….
में: वो तो ठीक है…पर अब ये क्या कर रही हो….
सबा ने मेरी शलवार को ढीला करके लंड बाहर निकाल लिया...”समीर तुम्हारा लंड बड़ा प्यारा है…इसने जो सकून मेरी फुद्दि को दिया है….
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