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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
नाज़िया: हम तो कल से तुम्हारा वेट कर रहे थे…कल ही आ जाते…
मैं उसके बात पर कुछ नही बोल पाया….”अच्छा तुम बैठो…में वेटर को भेजती हूँ…तुम्हारे लिए खाने पीने का समान यही ला दे….” उसके बाद नाज़िया नजीबा को बहाने से अपने साथ ले गयी….मेने वहाँ खाना खाया…इसके इलावा और करता भी क्या वहाँ पर…नजीबा आते जाते हुए मुझे देख कर स्माइल कर देती…लेकिन हम दोनो में कोई बात नही हुई….ऐसे ही वक़्त गुजर गया….और शाम को में घर वापिस आ गया…आज रात को भी अबू नाज़िया और नजीबा को वही रुकना था….इसलिए मेने रास्ते से थोड़ा बहुत खाने पीने का समान खरीद लिया..कि जब भूख लगेगी तो खा लूँगा….
घर आकर और कोई ख़ास बात नही हुई….फ्रेश होने के बाद में शाम के 7 बजे घर को लॉक लगा कर ऐसे गाओं में घूमने निकल गया…अंधेरा हो चुका था…रास्ते में कुछ बचपन के यार दोस्त मिल गये…कुछ देर उनके पास रुका और फिर ऐसे ही टहलते हुए में गाओं से बाहर उस जगह पहुच गया..जहा अब सबा की हवेली थी.. मतलब अब यहाँ सबा की भैंसे बाँधी जाती थी….अभी में हवेली से कुछ दूर ही था कि, मेरी नज़र ज़ेशन पर पड़ी…वो किसी लड़के के साथ बाहर जा रहा था खेतो की तरफ….मुझे पता था कि, रानी घर पर अकेली होगी….उसके जाने के बाद मेने जाकर हवेली के गेट को खटखटाया तो थोड़ी देर बाद रानी अंदर से बाहर आई…मुझे देखते ही उसके फेस ख़ुसी से खिल गया…..
रानी: गनीमत तो है….आज सरकार खुद हमारे दरवाजे पर…
रानी ने मुस्कुराते हुए कहा….तो मेने भी स्माइल करते हुए कहा…”ऐसे ही चक्कर लगाने निकला था…ज़ेशन को बाहर जाते देखा तो आ गया….” रानी ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे अंदर ले गयी….अपने रूम में लेजा कर मुझे चारपाई पर बैठा कर खुद मेरे साथ जुड़ कर बैठ गये….”आप दो दिन बाद तैयार रहना…..”
मैं: दो दिन बाद किस लिए….?
रानी: दो दिन बाद मेने बड़ी बेहन के घर जाना है…साथ वाले गाओं में ही उसका घर है….आप मेरे साथ चलना….
मैं: मेने वहाँ जाकर क्या करना है…अगर किसी ने मेरे बारे में पूछा तो क्या जवाब दोगी….
रानी: कोई नही पूछने वाला वहाँ पर….परसो मेरी बड़ी बेहन ने अपने खाविंद के साथ लाहोर जाना है…..उनकी बेटी अज़ारा घर पर अकेली होगी….इसलिए मेरी बेहन ने कहा कि में दो दिन उनकी बेटी के पास रुक जाउ….
मैं: क्या हुआ उनके और बच्चे नही है….वो भी तो होंगे…..
रानी: दो बेटी है….दोनो लाहोर में जॉब करते है….उनसे मिलने जा रहे है….
मैं: और तुम अपनी भतीजी को क्या कहोगी…कि में कॉन हूँ….
रानी ने मेरी बात सुन कर ऐसे मुस्कुराइ…जैसे उसके जेहन में कोई बात चल रही हो… “अब ऐसे ही मुस्कुराती रहोगी या फिर बताओगि भी….” मेने थोड़ा सा खीजते हुए कहा तो, रानी हंसते हुए बोली….”याद है नही उस दिन मेने आपको गुब्बारा लाने को कहा था..”
मैं: हां याद है….
रानी: पता है वो क्यों कहा था….
मैं: अब मुझे क्या पता,…तुमने कहा था….
रानी: वो अज़ारा के लिए ही लाने को कहा था….
मैं: क्या….
रानी: हाहः हहा हां सच कह रही हूँ…वो जो अज़ारा है ना…है तो इतनी सी… लेकिन गश्ती को अभी से लंड लेने का बड़ा शॉंक है….आप साथ चलो उसकी भी दिलवा दूँगी..
मैं: कही मुझे फँसाने का इरादा तो नही है तुम्हारा…..
राणा: तोब्बा….मैं भला ऐसा क्यों सोचने लगी….असल में बात ये है कि, कोई 1 साल पहले की बात है….में अपनी बड़ी बेहन के घर गयी हुई थी….उस वक़्त भी मेरे जीजा जी और बड़ी बेहन लाहोर गये हुए थे….रात को जब में सो रही थी…तो मुझे बाहर किचन से किसी की आवाज़ आई…मेने जब उठ कर देखा तो, अज़ारा की चारपाई खाली थी…और अज़ारा रूम में नही थी…जब में बाहर गयी तो देखा कि वो अपने गाओं के एक लड़के के साथ किचन में लगी हुई थी…
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
अगली सुबह मेरे आँख 6 बजे खुल गयी….वो इसलिए कि, बाहर डोर बेल बज रही थी… मेने बाहर जाकर गेट खोला तो देखा अबू और नाज़िया आ गये थे…पर नजीबा साथ नही थी…वो मुझे बाद में पता चला कि, नजीबा कुछ दिन अपनी मामी के घर पर रहेगी….वो दोनो अंदर आ गये….अबू तो आते ही फ्रेश होने चले गये…जबकि नाज़िया किचन में जाकर नाश्ते की तैयारी करने लगी…में अपने रूम में आ गया….और बेड पर लेटा ही था की, फिर से सो गया….तकरीबन 9 बजे अबू ने रूम में आकर मुझे उठाया और कॉलेज जाने के लिए तैयार होने को कहा…और बाहर चले गये…. में रूम से बाहर आया तो देखा की नाज़िया अपने रूम में थी….अबू जा चुके थे… मैं सीधा बाथरूम में चला गया…..और फ्रेश होकर नहा धो कर जब बाहर आया तो, देखा नाज़िया तैयार थी…और मेरे लिए टेबल पर खाना लगा रही थी….
मैं सीधा जाकर खाने की टेबल पर बैठ गया….हम दोनो में कोई बात चीत नही हुई….वैसे भी हम दोनो के बीच बात कम ही होती थी….वो फिर से अंदर जाकर बॅंक जाने के लिए तैयारी करने लगी….मेने खाना खाया और उठ कर अपने रूम में आ गया…..मेने अपना बॅग तैयार कर लिया था….सिर्फ़ कपड़े पहनना बाकी था…बाकी सब तैयारी मेने कर रखी थी…मैं अब इसी इंतजार में था कि, कब नाज़िया घर से निकले और में नयी ड्रेस पहन कर बस स्टॉप पर पहुचु….थोड़ी देर बाद नाज़िया मेरे रूम के डोर पर आई….मुझे ऐसे ही बैठे देख कर बोली…”आज कॉलेज नही जाना…?”
मैं: जाना तो है…बस तैयार होने वाला था…फ़ैज़ आने वाला होगा….उसकी बाइक पर जल्दी पहुच जाते है….
नाज़िया मेरा जवाब सुन कर बोली….”ठीक है..मैं जा रही हूँ….घर को ठीक से लॉक कर देना….” मेने हां में सर हिलाया तो नाज़िया बॅंक के लिए निकल गयी…उसके गेट से बाहर होते ही, मेने जल्दी से अपने कपड़े पहने….अपना बॅग उठाया और घर को लॉक लगा कर बस स्टॉप की तरफ चल पड़ा….रास्ते में मेने अपने चेहरे पर रुमाल बाँध लिया था…जब में बस स्टॉप पर पहुचा तो, मेरी नज़र नाज़िया पर पड़ी…वो मुझे ही देख रही थी….शायद वो मेरे चेहरे पर बँधे हुए रुमाल से मुझे पहचान गयी थी….उसने जो शॉल ओढ़ रखा था…उससे उसने अपने चेहरे को कवर किया हुआ था…लेकिन पिछले वाक़ए की वजह से मेरे जेहन में ये बात बैठ चुकी थी कि, शायद में नाज़िया को समझने में ग़लती कर रहा हूँ….
वो मुझसे कभी भी फँसने वाली नही है…अभी में यही सब सोच रहा था कि, बस आ गयी….इस बार में नाज़िया से पहले बस में चढ़ गया….दरअसल में उसे जताना चाहता था कि, अगर उसे मुझ मे कोई इंटेरेस्ट नही है तो, मुझे भी कोई परवाह नही है….जब में बस में चढ़ा और बस के बीचो बीच जाकर खड़ा हुआ तो, किसी ने मेरे बाज़ू को पकड़ा….मेने हड़बड़ा कर पीछे देखा तो, नाज़िया भीड़ में से निकल कर मेरे आगे आने की कॉसिश कर रही थी…मेने भी थोड़ा साइड में होकर उसे आगे आने की जगह दे दी…..
आज मेने सोच लिया था कि, मेने अपनी तरफ से शुरुआत नही करनी है….अगर नाज़िया को मुझ मे कोई इंटेरेस्ट होगा तो वो खुद कुछ ना कुछ रेस्पॉन्स देगी….बस चल पड़ी.. नाज़िया मेरे आगे खड़ी थी….मेरे पीछे कुछ औरतें बुरखा पहने खड़ी थी. और कुछ औरतें नाज़िया के आगे थी….वो सब अपने ध्यान में खड़े थे….भीड़ ज़्यादा थी….नाज़िया की पूरी बॅक मेरे फ्रंट से गैर मामूली तरीके से टच हो रही थी…. पर मेने भी सोच रखा था कि, मेने शुरुआत नही करनी है…मेने अपने लेफ्ट हॅंड से बस की छत के नीचे लगे पाइप को पकड़ रखा था…दूसरा हाथ नीचे लटक रहा था....एक दम से बस हिली तो झटके लगने की वजह से मेरा नीचे वाला हाथ नाज़िया की बुन्द से टकरा गया….नाज़िया के मुँह से हल्की सी आह की आवाज़ निकल गयी…..
अभी बस में खड़े लोग सम्भल भी नही पाए थे कि, बस ड्राइवर ने एक झटके से तेज ब्रेक लगाई….सब आगे की तरफ झुके तो, मेरे नीचे वाला हाथ बेखायाली से नाज़िया की बुन्द पर दब गया…..”उफ़फ्फ़ यारो पूछो मत वो अहसास गजब का था….उसकी नरम नाज़ुक गोश्त से भरी गोल सी बुन्द पर मेरे हाथ का पूरा पंजा था….मुझे अहसास हो गया था कि, आज नाज़िया ने मेरे दिल के मुराद पूरी कर दी है…वो आज शलवार के नीचे से पैंटी पहन कर नही आई थी….मेरा लंड तो, उसी वक़्त खड़ा हो गया था.. जब मेरे हाथ के पंजे के नीचे नाज़िया की नरम बुन्द का गोश्त आया था….मेने नाज़िया के जिस्म को भी काँपता हुआ महसूस किया…..फिर मेने अपने आप को संभाला और सीधा खड़ा हो गया….मेने अपना हाथ नाज़िया की बुन्द से हटा लिया….थोड़ी देर मैं वैसे ही खड़ा रहा….
फिर मेने चारो तरफ देख कर धीरे से अपना हाथ नीचे करके नाज़िया की कमीज़ के पल्ले को ऊपर उठा दिया…. और अपना लंड नाज़िया की सलवार के ऊपेर से उसकी बुन्द की लाइन में फँसा दया नाज़िया के पैर काँपने लगे… नाज़िया ने नीचे पेंटी नही पहनी हुई थी लंड का टोपा पेंट के अंदर से नाज़िया की बुन्द के छेद पर सलवार के ऊपेर जा टिका… नाज़िया के जिस्म में मस्ती की लहर दौड़ गयी….मुझे अहसास हो रहा था कि वो भी गरम होने लगी थी… नाज़िया ने सर्दी होने के कारण शॉल ओढ़ रखी थी… मेने अपना हाथ नाज़िया की कमर पर रख दिया....मेरा हाथ शॉल के अंदर था… इसलिए किसी की नज़र नही पड़ सकती थी….नाज़िया तो जैसे वही बर्फ की तरह जम गयी….में अपना हाथ बढ़ा कर नाज़िया के पेट पर ले गया….
उफ़फ्फ़ क्या कहूँ दोस्तो….नाज़िया के जिस्म का हर हिसा इतना नरम था कि, पूछो मत.. मेरा लंड जो पहले से खड़ा था…अब तो लोहे की रोड जैसा सख़्त हो चुका था….मेरे लंड का टोपा नाज़िया की बुन्द की लाइन में घुस्सा हुआ उसकी बुन्द के सुराख पर जबरदस्त दबाव डाल रहा था….नाज़िया के जिस्म में हो रही हलचल इस बात का सबूत थी कि, उसे भी मजीद मेरे लंड के टोपे का गरम अहसास अपनी बुन्द के सुराख पर हो रहा है….. मैं अपने एक हाथ से उसके पेट को धीरे-2 सहला रहा था….जिसे उसका जिस्म हल्के-2 झटके ख़ाता…और उसकी बुन्द पीछे की ओर मेरे लंड पर दब जाती….मेरा हाथ जो उसके पेट पर था,….वो नाज़िया ने जो शाल लपेट रखी थी…उसके अंदर था….जिसकी वजह से कोई देख नही सकता था….आज किस्मत मुझ पर महरबान लग रही थी….अचानक फिर से बस ज़ोर से हिली….जिसकी वजह से सब उछल पड़े…और नाज़िया जो अब तक अपनी टाँगो को आपस में जोड़े खड़ी थी….उसके टांगे थोड़ी सी खुल गयी…उस धक्के की वजह से मेरे लंड का टोपा उसकी बुन्द के सुराख से खिसक कर आगे सरकता चला गया….और उसकी रानो के बीच से होता हुआ उसकी फुद्दि के ठीक ऊपेर जाकर मेरा टोपा जा लगा…
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
उस वक़्त मेरा लंड लोहे के रोड की तरह सख़्त खड़ा था….जिसकी वजह से मेरा लंड सरक कर नाज़िया की सलवार के ऊपेर से उसकी फुद्दि के होंठों पर रगड़ खा गया नाज़िया की आँखें बंद हो गयी… उसके जिस्म में करेंट की लहर दौड़ गयी…अपनी फुद्दि पर मेरे जवान लंड की दस्तक पा कर उसकी फुद्दि ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया मेने पेट से हाथ हटा कर पीछे कर लिया… मेने चारो तरफ देखा…किसी का भी ध्यान हम दोनो की तरफ नही था…मेने झुक कर धीरे से नाज़िया के कान में कहा “बहुत मज़ा आ रहा है ज़रा सी टाँगें और खोल लो ना…” नाज़िया भी पूरी तरह गरम हो चुकी थी…उसके पैर ढीले पड़ चुके थे….मेरी बात सुन कर वो वैसे ही खड़ी रही…फिर कुछ पलों बाद मुझे अहसास हुआ कि, उसने अपनी थाइस को खोल लिया है..मेने अपना हाथ नाज़िया की बुन्द पर रख दिया और धीरे उसकी बुन्द को सहलाने लगा फिर मेने बीच वाली उंगली को नाज़िया की बुन्द की लाइन में डाल कर बुन्द के छेद को धीरे-2 रगड़ने लगा…
मुझे नाज़िया की तेज चलती साँसे सॉफ महसूस हो रही थी….मेने हाथ को धीरे -2 उसकी बुन्द को सहलाते हुए उसकी रानो के बीच से ले जाते हुए उसकी फुद्दि की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया…..मेरी उंगलियाँ सीधा उसकी फडी के छेद पर जा टकराई… जैसे ही मुझे नाज़िया की फुद्दि की गरमी का अहसास हुआ…मेने अपनी उंगलयों को धीरे-2 उसकी फुद्दि के लिप्स पर दबाना शुरू कर दिया…नाज़िया की फुद्दि से पानी बह कर उसकी सलवार को गीला करने लगा था… ये इस बात का सबूत था कि, वो किस क़दर गरम हो चुकी थी…. मेरे लंड का तो बुरा हाल था….लेकिन मुझे उस वक़्त नाज़िया की फुद्दि से हाथ हटाना पड़ा….जब फॅक्टरी वाला स्टॉप आ गया….काफ़ी लोग नीचे उतर गये… बस में कुछ सीट्स खाली हो गयी थी….इसलिए अब मजबूरन नाज़िया को सीट पर बैठना पड़ा…
आज नाज़िया की खामोशी और उसकी रज़ामंदी से मेरी हिम्मत पूरे जोश में थी… मैं आज सीधा नाज़िया के साथ जाकर बैठ गया….बस फिर से चल पड़ी….मैं नाज़िया के साथ बैठ तो गया था….लेकिन मुझे समझ में नही आ रहा था कि, में बात कहाँ से शुरू करूँ….क्या बोलू और क्या नही बोलू….एक डर ये भी था कि, कही नाज़िया मेरी आवाज़ नही पहचान ले….नही तो सारी मेंहनत जाया हो जाती….में अभी इसी उलझन में था कि, नाज़िया की काँपति हुई आवाज़ मेरे कानो में पड़ी….”अब तो नाराज़ नही हो ना आप… “ नाज़िया की ये बात सुन कर मेरे दिल की धड़कने तेज हो गयी….भले ही मेने जो भी आज नाज़िया के साथ किया था…वो उसकी मरजी से किया था…नाज़िया ने भी किसी बात का बुरा नही माना था…पर फिर भी उसके इन वर्ड्स ने सॉफ जाहिर कर दिया था… वो ये सब अपनी रज़ामंदी से कर दी थी….मेने डरते हुए खुसक गले से अपनी आवाज़ बदलने की कॉसिश करते हुए कहा….”जी…..”
नाज़िया: (धीरे से सरगोशी भरी आवाज़ में….) फ़ारूक़ मेरी आप से एक रिक्वेस्ट है….
मैं: जी कहिए…..
नाज़िया: आइन्दा बस में ये सब मत करें…..अगर किसी ने देख लिया तो, मेरी बहुत बदनामी हो जाएगी….
मैं: ठीक है…पर…
अभी में कुछ बोलने ही वाला था कि नाज़िया ने मुझे बीच में टोक दिया….और धीरे से बोली…”हम कही बाहर मिल लिया करेंगे….पर बस में प्लीज़ ये सब नही करें…’
मैं: ठीक है….
मेरी तो जैसे दिल की मुराद पूरी हो गयी थी….मेरा बस नही चल रहा था… नही तो में ख़ुसी के मारे बच्चो की तरह उछलने लग जाता…
मैं: पर मिलेंगे कहाँ पर…..
नाज़िया: अभी कुछ नही कह सकती…जब मोका मिलेगा तो बता दूँगी….
मैं: ठीक है….
उसके बाद मेरा कॉलेज आ गया…..में नीचे उतरा और कॉलेज चला गया…वो सारा दिन में मस्ती में झूमता रहा….अभी में कॉलेज के अंदर ही पहुचा था कि, मेरी नज़र फ़ैज़ पर पड़ी…फ़ैज़ हमारी क्लास के कुछ लड़कों के साथ खड़ा था… में उनके पास पहुचा और सबसे हाथ मिलाया…हालचाल पूछा…..तो फ़ैज़ बोला…”अच्छा हुआ समीर तू भी आ गया…”
मैं: क्या हुआ….?
फ़ैज़: यार आज इक़बाल के घर पर कोई नही है….हम सब ने प्लान बनाया है कि, आज इक़बाल के घर पर चल कर पार्टी करते है…थोड़ी मोज मस्ती भी कर लेनी चाहिए…पढ़ाई तो रोज करते है….
मैं: नही यार तुम लोग जाओ और एंजाय करो….मेरा मूड नही है….
फ़ैज़: चल नही यार…रोज रोज थोड़े नही ऐसे ऐश करने के मोके मिलते है….
फ़ैज़ और मेरे क्लासमेट की ज़िद्द के आगे मेने हार मान ली और उनके साथ जाने के लिए राज़ी हो गया….सब ने अपनी बाइक्स बाहर निकाली और हम इक़बाल के घर की ओर चल दिए… थोड़ी देर बाद हम इक़बाल के घर पर थे….इक़बाल ने पहले से ही सारा बंदोबस्त कर रखा था…बीयर्स की बॉटल मँगवा रखी थी…हम सब उसके घर के बड़े से लीविंग एरिया में बैठे हुए गॅप शॅप मार रहे थे…..कि फ़ैज़ ने इक़बाल से बोला….
फ़ैज़: यार जिस के लिए आए है….वो तो लेकर आ….
इक़बाल: अभी लाता हूँ…..(इक़बाल मुस्कुराता हुआ अंदर चला गया….)
और थोड़ी देर बाद जब वो बाहर आया तो, उसके हाथ में एक डीवीडी थी…..”ये क्या है….” मेने फ़ैज़ की तरफ देखते हुए पूछा….तो फ़ैज़ ने मुस्कुराते हुए कहा… “इसमें जवानी का खेल है…” में समझ गया कि, इन सब ने अडल्ट वीडियो देखने का प्रोग्राम बनाया हुआ है…..इक़बाल ने टीवी और डीवीडी प्लेयर ऑन किया और उसमें डीवीडी डाल कर सामने सोफे पर आकर बैठ गया….जैसे ही वो वीडियो शुरू हुई, तो में उसके टाइटल देख कर शॉक्ड हो गया…..मेने पहले भी कई बार अडल्ट्स मूवी देखी थी… लेकिन ऐसा टाइटल पहली बार देख रहा था….
टीवी स्क्रीन पर बड़े-2 वर्ड्स में लिखा हुआ था….” में माइ वाइफ आंड मदर- इन-लॉ “ मेने कभी सोचा भी नही था कि, ऐसी अडल्ट्स फिल्म भी बनती होंगी….जो इंसानो को उनके रिश्ते देखने का नज़रिया ही बदल दें…..अब में पूरी डीटेल में तो नही बताउन्गा….कि उस वीडियो में कैसे -2 सीन थे…पर एक ज़रूरी बात ज़रूर बताउन्गा कि, जिसने मेरी आने वाली जिंदगी पर बड़ा गहरा असर डाला था…उसमें एक जवान लड़के के सर पर अपनी वाइफ की माँ से सेक्स करने का जुनून सवार हो जाता है…उस वीडियो में यही दिखाया गया था कि, वो कैसे अपनी सास को पटाता है….और फिर कैसे अपनी वाइफ और अपनी सास को अपने साथ एक ही बिस्तर सोने के लिए राज़ी करता है….
दोस्तो ये सिर्फ़ में जानता हूँ कि, उस समय मेरा क्या हाल हो रहा था…मुझे उस सास में नाज़िया और अपनी पत्नी के रूप में नजीबा नज़र आ रही थी….लेकिन हक़ीक़त में ऐसा होना मुस्किल ही नही नामुमकिन था….मेरा दिमाग़ खराब हो रहा था… लंड तो पेंट को फाड़ कर बाहर आकर बग़ावत करने पर आमादा हो गया था…अब लंड तो लंड है ना दोस्तो….उसके पास दिमाग़ तो होता ही नही…और यही हाल मेरे लंड का था… अब उसे कॉन समझाता कि, ये पासिबल नही है….खैर जैसे तैसे मूवी ख़तम हुई, और फिर बियर का दौर शुरू हुआ….मेने एक ग्लास पिया….और दोस्तो से किसी काम का बहाना बना कर बाहर आ गया….
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
वहाँ से निकल कर में सीधा बस स्टॅंड पर आ गया….11 बज चुके थे…इसलिए कॉलेज जाने का भी कोई फ़ायदा नही था….थोड़ी देर वहाँ वेट करने के बाद मुझे गाओं के लिए बस मिल गयी…..जैसे ही में बस में चढ़ा तो, में नजीबा को बस में देख कर हैरान हो गया….उसने मुझे देखा तो उसका फेस गुलाब की तरह खिल उठा… नजीबा ने ग्रीन कलर की कमीज़ और वाइट कलर की शलवार यूनिफॉर्म पहनी हुई थी…. में उसके पास जाकर बैठ गया…. “तुम ,,,,,,, स्कूल जल्दी बंद हो गया क्या… “ मेने नजीबा के स्कूल बॅग की तरफ देखते हुए कहा….
नजीबा: नही असल में मुझे आज घर जाना था…वहाँ से मुझे अपने कुछ ड्रेसस लेने थे….
मैं: क्यों अभी और कितने दिन मामी के घर पर रुकोगी….
नजीबा: पता नही अम्मी से पूछा था….बोल रही थी कि, कुछ दिन और अपनी मामी के पास रुक जाओ….उनको अभी अपनी बेटी की कमी महसूस होती होगी…
मैं: अच्छा ठीक है….
हम दोनो इधेर उधर के बातें करने लगे…थोड़ी देर बाद हम दोनो गाओं पहुच गये…हम बस से उतरे और घर की तरफ जाने लगे…बस में नजीबा मेरे साथ जुड़ कर बैठी थी…जिसकी वजह से मेरा लंड पेंट में पूरे रास्ते खड़ा रहा था….घर के गेट पर पहुच कर मेने लॉक खोला…और हम दोनो अंदर आ गये….अंदर आने के बाद मेने गेट लॉक किया…और अपने रूम की तरफ चला गया….नजीबा अपने रूम में चली गयी….उस वीडियो ने तो मेरा दिमाग़ खराब कर दिया…दिल में बस उस लड़के की जगह खुद को देख रहा था….और लड़के की वाइफ और सास की जगह नजीबा और नाज़िया को…. काश ये सब मुमकिन होता…पर असल जिंदगी में ये सब होना अगर नामुमकिन नही तो मुश्किल ज़रूर है….
मेने अपने रूम में बेड पर लेटा हुआ, यही सब सोच रहा था….कि एक तरफ नजीबा है….जो पता नही क्यों मेरे प्यार में इस क़दर दीवानी है कि अगर में उसे अभी जाकर अपनी बाहों में भर लूँ….तो वो मुझे फुद्दि देने से इनकार भी नही करेगी… और दूसरी तरफ नाज़िया जो मेरे नक़ाब पॉश रूप से अपनी जिस्म की आग बुजाना चाहती है. में दोनो को अलग चोद तो सकता था…लेकिन दोनो को एक साथ कभी नही…
मैं यही सब सोच रहा था….मेने टाइम देखा तो 12 बज रहे थी….घर आए हुए भी 20 मिनिट हो चुके थे..में बेड से उठा और रूम से बाहर आकर नजीबा के रूम की तरफ गया…जब मैं नजीबा के रूम के डोर पर पहुचा तो, नजीबा के रूम का डोर बंद था…डोर पूरी तरह से बंद नही था….थोड़ा खुला हुआ था… इसलिए में बेपरवाही से डोर को धक्का देता हुआ अंदर चला गया….ये सब इतनी तेज़ी से हुआ कि, कुछ समझ नही आया…नजीबा बेड के किनारे घुटनो के बल बैठी हुई थी…. उसने अपने हाथ में ब्रा पकड़ी हुई थी…शायद वो ब्रा पहनने वाली थी…जब में रूम में दाखिल हुआ था….वो बेड के किनारे ऊपेर से एक दम नंगी बैठी हुई थी…उसका फेस दीवार की तरफ था….नीचे उसने अभी तक स्कूल यूनिफॉर्म की शलवार पहनी हुई थी….
ऐसे अचानक डोर खुलने की आवाज़ सुन कर नजीबा एक दम से घबरा गयी….उसे और कुछ तो नही सूझा…उसने बेड पर रखी हुई रज़ाई को जल्दी से खोला और अपने ऊपेर ले लिया….उसके चेहरे पर खोफ़ सॉफ नज़र आ रहा था….शायद उसे इस बात का पता नही था कि, में अचानक से अंदर आ जाउन्गा…और नही मुझे पता था कि, अंदर नजीबा इस हाल में होगी…नजीबा अपने आप रज़ाई से कवर कर चुकी थी….में कुछ पलों के लिए तो जैसे वहीं सुन्न हो गया था…हालाँकि मेने नजीबा की नंगी पीठ ही देख पाया था….मैं मूड कर वापिस बाहर जाने लगा तो, पीछे से नजीबा की काँपती हुई आवाज़ आई…”कोई काम था…..”
मैं नजीबा की तरफ मुड़ा….क्योंकि अब नजीबा अपने आप को रज़ाई से कवर कर चुकी थी…इसलिए मेने उसकी तरफ मुड़ना ठीक समझा…”नही कुछ नही…सॉरी वो में मुझे ऐसे अंदर नही आना चाहिए था….”
नजीबा: इट्स ओके.
मेरी नज़र नजीबा की ब्रा पर पड़ी…उसके हाथ से डर की वजह से निकल कर नीचे फर्श पर गिर चुकी थी….मैं बेड की तरफ बढ़ा….तो नजीबा मुझे अजीब सी नज़रों से देखने लगी…जैसे सोच रही हो कि, शायद में उसका फ़ायदा उठाने वाला हूँ.. मेने बेड के पास जाकर झुक कर नजीबा की ब्रा उठाई और उसकी तरफ बढ़ाते हुए बोला…” डोर बंद करके चेंज किया करो…” मेरे हाथ की उंगलियों में लटकती अपनी ब्रा को नजीबा ने बड़ी तेज़ी से खींच कर रज़ाई के अंदर छुपा लिया…और सर झुका कर शरमाते हुए मुस्कराने लगी….में बेड के किनारे पर बैठ गया… नजीबा ने फिर से मुझे हैरत से देखा पर बोली कुछ नही….
मैं: नजीबा एक बात पूछूँ…..
नजीबा: जी….
मैं: तुम्हारी ब्रा का साइज़ क्या है….
नजीबा: या खुदा तोबा…..
नजीबा रज़ाई के अंदर अपने घुटनो को मोड़ कर बैठी हुई थी….मेरी बात सुन कर उसने अपने सर को अपने घुटनो में छुपा लिया….उसके गाल और कान दोनो शरम से लाल सुर्ख हो चुके थे…..”बताओ तो सही…..” मेने नजीबा की बाज़ू पर हाथ रखते हुए कहा…
पर नजीबा कुछ नही बोली…”मुझे नही बताना….?” मेने फिर से धड़कते हुए दिल के साथ पूछा…..तो नजीबा ने अपनी ब्रा जो कि उसने रज़ाई के अंदर छुपा ली थी….उसे बाहर निकाल कर मेरी तरफ बढ़ा दिया….मेने उसकी ब्रा को पकड़ा और उस पर लगे साइज़ के टॅग को देखने लगा…
मैं: ओह्ह तो तुम्हारे मम्मो का साइज़ 32 है…..बहुत बड़े मम्मे है तुम्हारे…
नजीबा अभी भी अपने फेस को घुटनो में छुपाए हुए बैठी थी….उसने शरमाते हुए मेरे चेस्ट पर मुक्का दे मारा…..मुक्का तो ज़ोर का नही लगा पर मेने आह कुछ ज़्यादा ही ज़ोर से कर दी…..नजीबा ने फॉरन सर उठा कर परेशानी से मेरी तरफ देखा…”ज़ोर से लगी क्या…” नजीबा ने फिकर्मन्दि से कहा तो, मेने मुस्करा कर नजीबा का हाथ पकड़ कर नही में सर हिला दिया….हम दोनो एक दूसरे की आँखो में देख रहे थे….मुझे नजीबा की आँखो में अपने लिए बेपनाह प्यार नज़र आ रहा था…..मेने धीरे -2 अपने होंठो को नजीबा के गुलाबी होंठो की तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया…नजीबा का फेस सुर्ख हो कर दहक रहा था…..नजीबा ने शरमा कर अपने फेस को दूसरी तरफ कर लिया…..”प्लीज़ नजीबा…..” मेने इलतजा करते हुए कहा….तो नजीबा शरमाते हुए नही में सर हिलाने लगी…..
“अच्छा ठीक है…” में उठ कर जाने लगा तो नजीबा ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे बेड के ऊपेर खींच लिया.....,मेने उसके फेस की तरफ देखा…उसके फेस को देख कर लग रहा था कि, जैसे अभी उसके गालो से खून निकल आएगा….उसने अपनी आँखे बंद कर रखी थी….ये उसकी रज़ामंदी का पैगाम थी…..मेने नजीबा के फेस को अपने दोनो हाथो में लेकर अपने होंठो को नजीबा के होंठो पर लगा दिया….नजीबा के बदन ने जबरदस्त झटका खाया….वो थोड़ा सा पीछे होने लगी तो, मेने आगे बढ़ कर उसे अपनी बाहों में भर लिया….और अपनी टाँगो से रज़ाई को एक तरफ से उठा कर रज़ाई के अंदर घुस्स गया….
और अगले ही पल मानो मैने बिजली की नंगी तारों को छू लिया हो......
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
.में ने मुँह दूसरी तरफ़ कर लिया और हाथ साइड पे कर लिया नजीबा ने फिर मुझ देखा और बोली नाराज़ हो गये
में चुप रहा नजीबा ने फिर पूछा में ने कोई जवाब ना दिया
नजीबा अपना हाथ पीछे ले गई और मेरा हाथ पकड़ के अपनी कमर पे बुन्द की क़रीब रख दिया और मेने हाथ वहीं रखा कोई हरकत ना की नजीबा अपना सिर मेरी चेस्ट पर रखते हुए बोली समीर कर लो जो करना है…..
मेने नजीबा की तरफ देखा…पर मुझे उसका फेस नज़र नही आया….उसने अपने फेस को मेरी चेस्ट पर रखा हुआ था….मेने अपने दोनो हाथो को नजीबा की बुन्द पर शलवार के ऊपेर से रखा…और धीरे-2 नजीबा की शलवार के ऊपेर से नजीबा की बुन्द पर हाथ फेरते हुए, मेने अपने हाथो की उंगलियों को नजीबा की शलवार के इलास्टिक में फँसा दिया….”मुझ पर भरोसा रखो….में तुम्हारे ऊपेर किसी तरह का दाग नही लगने दूँगा…” मेने नजीबा की शलवार की इलास्टिक को धीरे-2 नीचे करना शुरू कर दिया….जैसे ही नजीबा की शलवार थोड़ी सी नीचे हुई तो, नजीबा ने अपनी बुन्द को थोड़ा सा ऊपेर उठा लिया…
मेने नजीबा की शलवार और पैंटी दोनो को एक साथ ही उसकी थाइ तक नीचे उतार दिया….नजीबा के मम्मे मेरी चेस्ट पर दबे हुए थे….मुझे अजीब सा सकून मिल रहा था नजीबा के नंगे मम्मो को अपनी चेस्ट पर महसूस करके….नजीबा की शलवार और पैंटी को उसकी थाइ तक नीचे करके मेने उसके नंगी बुन्द को अपने हाथो में दबोच कर जैसे ही दबाया तो, नजीबा मस्ती में सिसकते हुए मुझसे कस्के लिपट गयी…..”सीईईईईईईईईईई ख़ान शहाब….” ऊफ्फ नजीबा ने ठीक उसी अंदाज़ में मुझे बुलाया था….जैसे नाज़िया जब अच्छे मूड में होती है तो अबू को बुलाती है…
मेरा लंड तो मेरे पेंट फाड़ कर बाहर आने को उतावला हो गया….मेने धीरे-2 नजीबा की बुन्द पर एक हाथ फेरते हुए अपना दूसरा हाथ नजीबा की फुद्दि और अपने लंड के बीच लेजाना शुरू कर दिया…मेने अपनी पेंट की ज़िप खोली और अपना पूरी तरह सख़्त लंड बाहर निकाल कर नजीबा की दोनो टाँगो के दर्मयान लेजा कर नजीबा की फुद्दि के लिप्प्स पर लगा दिया…जैसे ही मेने अपने लंड को नजीबा की फुद्दि पर लगाया तो, नजीबा के बदन ने ज़ोर से झटका खाया….
”ओह ये क्या….” नजीबा ने परेशानी भरे अंदाज़ में कहा
…”कुछ नही होता मेरी जान…मुझ पर भरोसा रखो….और अपनी दोनो टाँगो को बंद कर लो….” मेने नजीबा के फेस को अपने दोनो हाथ में लेकर उसके फेस की तरफ देखा तो, उसका फेस अब और ज़्यादा सुर्ख लाल हो चुका था…
उसकी आँखे मस्ती में बंद हो चुकी थी….उसके गुलाबी रस से भरे लब काँप रहे थे…मेने उसके गुलाबी होंठो को एक बार फिर से अपने होंठो में भर कर चूसना शुरू कर दिया….नजीबा ने मेरा साथ देना शुरू कर दिया था…उसने फॉरन अपने होंठो को खोल कर ढीला छोड़ दिया….अब में नजीबा के होंठो को पूरे जोश ख़रोश के साथ चूस रहा था….नजीबा ने नीचे से अपनी टाँगो के बीच में मेरे लंड को दबा लिया…में अपना एक हाथ नजीबा के फेस से हटा कर नजीबा की बूँद पर ले गया… और उसकी बूँद के पार्ट्स के बीच हाथ फेरते हुए मेने अपने लंड को पीछे से पकड़ कर नजीबा की फुद्दि पर मजीब पूरे ज़ोर से दबा दिया….
और साथ ही धीरे-2 ऐसे घस्से लगाने शुरू कर दिए…जैसे में नजीबा की फुद्दि में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा होऊ….मेरे लंड का टोपा नजीबा की गरम कोरी फुद्दि के लिप्स के बीच रगड़ खाने लगा…..ऊपेर में कभी नजीबा के ऊपेर वाले होंठो को चूस्ता तो कभी नीचे वाले होंठ….मेने जी भर के नजीबा के होंठो को चूसा…नजीबा ने भी अपने होंठो को मेरे होंठो से अलग करने के लिए कॉसिश नही की, मेने अपने घस्सो की रफ़्तार को मजीद बढ़ा दिया था….नजीबा की फुद्दि से पानी निकल कर मेरे लंड को गीला करने लगा था….लंड को फुद्दि पर रगड़ते हुए मेने अपने होंठो को नजीबा के होंठो से अलग किया…और नीचे झुक कर नजीबा के लेफ्ट मम्मे को जैसे ही अपने मुँह में लेकर सक करना शुरू किया….तो नजीबा ने मदहोश होकर अपनी दोनो बाज़ुओ को मेरे सर के पीछे लेजा कर कस लिया….
नजीबा भी फुल गरम हो चुकी थी….उसकी फुद्दि से लगतार पानी बाहर आ रहा था… जिससे मेरा लंड गीला होकर आसानी से नजीबा की फुददी के ऊपेर रगड़ खा रहा था…”सीईइ ओह खाअन शहाब्ब्बब मैं पागल हो जाउन्गि….” नजीबा ने भी अपनी बुन्द को हिलाना शुरू कर दिया…नजीबा की सिसकारियाँ सुन कर मुझे और जोश आ रहा था… नजीबा ने मेरे सर को दोनो हाथो से पकड़ कर पीछे किया…तो नजीबा का लेफ्ट मम्मा मेरे मुँह से बाहर आ गया…मेने नजीबा के चेहरे की तरफ देखा तो, उसकी आँखे मस्ती में अभी भी बंद थी….”ख़ान सहाब ये भी आपकी है….ओह….” नजीबा ने मेरे सर को पकड़े हुए मेरे होंठो को अपने दूसरे मम्मे पर लगा दिया….. मेने भी वक़्त ज़ाया किए बिना नजीबा के दूसरे मम्मे को मुँह लेकर सक करना शुरू कर दिया….
अब में नजीबा के नीचे आराम से लेटा हुआ उसके मम्मे को सक कर रहा था… और नजीबा खुद अपनी बुन्द को हिला -2 कर अपनी फुद्दि पर रगड़ रही थी….”ओह्ह्ह मुझे कुछ हो रहा है…..”
नजीबा ने अपनी फुद्दि को पूरी रफ़्तार से मेरे लंड पर रगड़ते हुए कहा.,….”जो हो रहा है होने दो जान….मज़ा आ रहा है या नही….?”
नजीबा: सीईईईई हां बहुत…..अहह उंह सीईईईईईईईई समीर…….
नजीबा ने आखरी कुछ सेकेंड्स अपनी बुन्द को इस रफ़्तार से हिलाया कि, पूरा का पूरा बेड हिल गया…मेने कभी सोचा भी नही था कि, नजीबा जैसी शरीफ लड़की, सेक्स के टाइम इतनी हॉट हो सकती है….फारिघ् होते हुए उसका कमर तेज़ी से झटके खाने लगी…और वो बहाल होकर मेरे ऊफेर गिरी ही थी कि, मेरे लंड ने भी पानी छोड़ना शुरू कर दिया… जो सीधा नजीबा की फुद्दि के लिप्स पर गिरने लगा….हम दोनो उखड़ी हुई साँसे लेते हुए अपनी सांसो के दुरस्त होने का इंतजार कर रहे थे….जैसे ही नजीबा की साँसे दुरस्त हुई नजीबा मेरे ऊपेर से उठी और बेड से नीचे उतर कर फर्श पर पड़ी अपनी ब्रा को फुर्ती से उठा कर पहनने लगी…..में नजीबा के नंगे जिस्म को घूर रहा था…उसकी शलवार और पैंटी उसकी थाइस पर अटकी हुई थी….”आँखे बंद करिए…..मुझे शरम आती है….” नजीबा ने मेरी तरफ पीठ करके खड़े होते हुए कहा….नजीबा ने ड्रेसिंग टेबल पर रखा हुआ एक पुराना कपड़ा उठाया और अपनी टाँगो को खोल कर अपनी फुद्दि को सॉफ करने लगी……
नजीबा ने फुद्दि सॉफ करने के बाद उस कपड़े को टेबल पर रख दिया…मैं बेड से उठा और उसके पास जाकर खड़ा हो गया….और उसी कपड़े को उठा कर अपने लंड को सॉफ करने लगा….नजीबा ने फॉरन ही अपनी आँखे नीचे कर ली…”आगे से तुम्हे ही इसे सॉफ करना पड़ेगा…” मेने अपने लंड को सॉफ करते हुए कहा…मेने नजीबा की आँखो में देखा तो, वो शरमाते हुए मुस्कुरा रही थी…मेने अपने लंड को सॉफ किया और अपनी पेंट को ज़िप के अंदर करके अपनी ज़िप बंद कर ली….नजीबा ने भी अपनी शलवार ऊपेर करके बाँध ली थी…
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
अबू: असल बात तो अब बताने वाला हूँ…..मेरी प्रमोशन हो रही है…. मुझे ब्रांच मॅनेजर बना रहे है…उसके लिए मुझे अड्वान्स ट्रनिंग के लिए लाहोर भेज रहे है….
नाज़िया: ये बड़ी ख़ुसी के बात है….पर मुझसे ज़यादा ज़रूरत आपको है इस मोबाइल की…
अबू: मेने अपने लिए भी खरीद लिया है…तुम फिकर नही करो….
उसके बाद मेने जल्दी-2 खाना ख़तम किया और उठ कर अपने रूम में चला गया….और अपने नये मोबाइल के फंक्षन चेक करने लगा….आज में बेहद खुश था….मोबाइल हाथ में आते ही एक आइडिया दिमाग़ में आ गया..अब मुझे कल सुबह होने का इंतजार था…वैसे भी कल मुझे रानी के साथ उसके बड़ी बेहन के घर जाना था… रानी ने मुझसे वादा किया था कि, वो अपनी बड़ी बेहन की बेटी अज़ारा की फुद्दि दिलवाने का वादा किया था….खैर जैसे तैसे रात हुई और फिर अगली सुबह…फ्राइडे का दिन था… इसलिए अबू और नाज़िया दोनो घर पर थे..मेरा भी कॉलेज ऑफ था…नाश्ते के बाद ही नाज़िया और अबू ने नाज़िया के भाई के घर जाने के फैंसला कर लिया था…जैसे ही वो दोनो तैयार होकर घर से निकले…में भी अपनी तैयारी में लग गया….
तैयार होकर मेने घर को लॉक किया और रानी के घर के तरफ चल पड़ा…जब में उसके घर के बाहर पहुचा तो, उसी वक़्त रानी भी तैयार होकर घर से बाहर निकल रही थी…उसने एक बार मेरी तरफ देख कर स्माइल की और फिर चुप चाप रोड की तरफ जाने लगी…बाहर गली में गाओं के लोग भी आ जा रहे थे….इसलिए वहाँ बात करना मुनासिब नही था….में थोड़ा आगे जाकर वापिस मुड़ा और रोड की तरफ चल दिया…थोड़ी देर बाद मैं मेन रोड पर पहुच गया…जहाँ रानी बस का वेट कर रही थी…रोड पर गाओं वालो की कुछ दुकाने भी थी…इसलिए हम दोनो ने वहाँ भी कोई बात नही की, थोड़ी देर बाद बस आ गयी….हमारे स्टॉप से हम दोनो ही बस में चढ़े थे…हम दोनो एक साथ बैठ गये….
जैसे बस चली तो, रानी ने धीरे से कहा…”मेने तो सोचा कि आप भूल गये हो… में कब से बार-2 बाहर आकर देख रही थी….”
मैं: में भूला नही था…नाज़िया और अबू के जाने का वेट कर रहा था….
रानी: अपनी अम्मी को नाम नहीं लेकर बुलाते है…
मैं: देखो रानी वो मेरी अम्मी नही है…वो मेरी अम्मी के जगह मेरे दिल में कभी नही ले सकती….
रानी: अच्छा ख़ान सहाब गुस्सा नही करो…आइन्दा ऐसे बात नही करूँगी…. अच्छा ये बताएँ कि जनाब कभी मुझे याद भी करते है कि नही…
मैं: रोज करता हूँ……
रानी: झूट कितना झूट बोलते हो आप….
मैं: क्यों…
रानी: अगर याद करते तो, दो दिन तक अपनी शकल भी क्यों नही दिखाई…
मैं: अब क्या करूँ…ये देखो तुम्हे देखते ही मेरा लंड कैसे खड़ा हो जाता हो… अगर तुम सामने होती तो, वही पकड़ चोदने लग जाता….
रानी: तोबा….इसको ढक कर रखो किसी ने देख लिए तो बड़ी गड़बड़ हो जानी है….
मेने शलवार के ऊपेर से अपने लंड को पकड़ा हुआ था….मेने अपने हाथ से लंड छोड़ दिया….”गुब्बारा लाए हो…” रानी ने मुस्कुराते हुए कहा…. “हां लाया हूँ…पर इसकी क्या गारंटी है कि तुम्हारी वो छोटी बेहन अज़ारा मुझे अपनी फुद्दि दे देगी….”
रानी: रानी जो वादा करती है निभाती भी है….
मैं: अच्छा चलो देखते है….अब आगे क्या करना है….
रानी: जब स्टॉप आएगा तो तुम मेरे पीछे बस से उतर जाना….और थोड़ा फासला बना कर चलते रहना…और मेरी बड़ी बेहन का घर देख कर वापिस आ जाना…अभी आपी और उनके शोहार घर पर होंगे…..दोपहर से पहले चले जाएँगे…रात को वापिस आ जाना..
मैं: रात को….?
रानी: हां क्यों क्या हुआ डर लगता है रात को हाहाहा….
मैं: डर नही लगता….रात को अगर उन गाओं वालो ने देख लिया तो….
रानी: आपी का घर गाओं से थोड़ा बाहर खेतो में है…गाओं के अंदर नही जाना पड़ेगा….शाम 7 बजे वाली लास्ट बस पकड़ कर आ जाना…कुछ नही होता…
मैं: अच्छा ठीक है…
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थोड़ी देर बाद वो स्टॉप आ गया….जहा पर हमें उतरना था….मैं और रानी बस से नीचे उतरे तो, रोड एक दम सुनसान था….रानी ने चारो तरफ देखा और बोली… “ अब तुम मेरे पीछे आना….थोड़ा फाँसला रख कर…..” मेने हां में सर हिला दिया और थोड़ा फाँसला बना कर रानी के पीछे-2 चलने लगा…में रोड से गाओं 1 किमी दूर था… और 5 मिनिट चलने के बाद हम गाओं के बाहर पहुच गये थे…रानी ने मूड कर पीछे मेरी तरफ देखा और गाओं के शुरुआत में ही बने हुए एक छोटे से घर की तरफ इशारा किया…..उस घर में सिर्फ़ एक ही रूम और किचन नज़र आ रहा था…. साइड्स की बाउंड्री 6-7 फीट उँची थी….रानी उस घर की तरफ जाने लगी….और मुझे इशारा कर दिया कि, यही वो घर है…
मैं वही से वापिस लौट आया….और में रोड पर आकर बस का इंतजार करने लगा…आधा घंटे तक इंतजार करने के बाद मुझे बस मिल गयी…में बस में चढ़ा और सिटी की टिकेट ले ली….जहा में कॉलेज जाता था…अब कल रात के बनाए हुए प्लान पर काम करने का वक़्त आ गया था….आधे घंटे बाद में सिटी पहुच गया…बस से उतर कर में सीधा टेलिकॉम के दुकान पर गया…और वहाँ से एक नया नंबर पर्चेस कर लिया….मेने नये नंबर को उसी वक़्त मोबाइल में डाल लिया….ड्युयल सिम फोन होने का यही तो फ़ायदा है…दुकान दार ने बताया कि, कल सुबह तक मेरा नया नंबर शुरू हो जाएगा…मेने दुकान वाले को पैसे दिए…और बस पकड़ कर घर आ गया…उस दिन शाम तक और कोई ख़ास बात नही हुई…में पूरा दिन नाज़िया और नजीबा के बारे में सोचता रहा….और आने वाले दिनो के लिए नये -2 प्लान बनाता रहा… शाम के 6 बजे मैं रानी की बेहन के गाओं जाने के लिए तैयार हो रहा था…और सोच ही रहा था कि, अबू आने वाले होंगे….उनसे क्या बहाना बना कर जाउ…
पता नही अबू रात भर बाहर जाने के लिए राज़ी होंगे भी कि नही…मैं यही सोच रहा था कि, मेरा मोबाइल बजने लगा….मेने कॉल पिक की तो, दूसरी तरफ से अबू की आवाज़ आए….”हेलो समीर….”
मैं: जी अबू कहिए….
अबू: बेटा हम आज रात नही आ सकेंगे…..
मैं: क्यों क्या हुआ….
अबू: वो नाज़िया के भाई साहब ज़िद्द कर रहे है….रुकने के लिए….तो हम लोग कल सुबह आएँगे…..
मैं: जी…
उसके बाद अबू ने मुझे घर पर रहने की हिदायत दी और कॉल कट कर दी….मैं जल्दी से तैयार हुआ….और घर को लॉक करके मेन रोड की तरफ चल पड़ा…शाम के 6:30 बज चुके थे…बाहर ठंड पूरे ज़ोर की पड़ रही थी….चारो तरफ धुन्द चाहने लगी थी….गाओं से मेन रोड तक जो सड़क जाती थी…अब उस पर इक्का दुक्का लोग ही नज़र आ रहे थे…10 मिनिट में मैं मेन रोड पर पहुच गया…. और वहाँ खड़ा होकर बस का इंतजार करने लगा….दिल में अजीब सा डर था… आज पहली बार में बिना अबू की जानकारी के घर से बाहर रहने वाला था…दिल में ये खोफ़ भी था कि, कही अबू को इस बात का पता नही चल जाए…
पर फुद्दि के चक्कर में मेने डर पर काबू कर दिया….थोड़ी देर बाद बस आ गयी… में बस में चढ़ा….बस में भीड़ ज़्यादा नही थी….इसलिए सीट मिल गयी… बस में बैठे हुए भी यही सब दिमाग़ में आ रहा था कि, कही कुछ गड़बड़ नही हो जाए….मेने बस की खिड़की से बाहर देखा तो, पूरी तरह अंधेरा हो चुका था… 20 मिनिट बाद वो स्टॉप आ गया….जहाँ पर मुझे उतरना था….मैं बस से नीचे उतरा और अपना मोबाइल निकाल कर टाइम देखा तो,7 बजने में 5 मिनिट बाकी थे…में दिल ही दिल में दुआ कर रहा था…कि रानी मुझे घर के मेन गेट पर ही मिल जाए…. मैं मेन रोड पर उतर कर गाओं की तरफ जाने वाले रोड की तरफ बढ़ने लगा….वो रास्ता तो एक दम सुनसान था…ना तो कोई शख्स नज़र आ रहा था….
और ना ही कोई जानवर जैसे-2 में गाओं के नज़दीक पहुच रहा था…वैसे -2 मुझे गाओं के घरो में जलती हुई बत्तियाँ नज़र आने लगी….आख़िर कार में वहाँ पहुच गया….जहा से मुझे रानी की बेहन के घर के लिए मुड़ना था…मेने गहरी साँस ली और उस तरफ बढ़ने लगा….मेने दूर से ही देख लिया था कि, उस घर का मेन गेट पूरा खुला हुआ था…उस तरफ ना तो कोई और घर था….और वो रास्ता उस घर के पास पहुच कर ख़तम हो जाता था….आगे सिर्फ़ खेत ही खेत थे….में दिल में यही दुआ कर रहा था कि, उस घर में रानी और उसके भतीजी के इलावा और कोई ना हो….
क्योंकि अगर वहाँ कोई और होता और मुझे वहाँ देख लेता तो, मुझे जवाब देना मुस्किल हो जाता कि, मैं इधर क्या लेने आया हूँ….खैर में धड़कते दिल के साथ आगे बढ़ता रहा था….अब मुझे गेट से अंदर रूम तक नज़ारा सॉफ दिखाई दे रहा था…अंदर सामने एक रूम था…रूम से आगे एक साइड में छोटा सा किचन था….और रूम और किचन के ऊपेर बरामदा था….और उस वक़्त मेरी जान में जान आई.,..जब मेने रानी को उस बरामदे में चारपाई पर बैठे देखा….उसका ध्यान भी बाहर की तरफ था… जब में उस घर के पास पहुचा तो, रानी उठ कर गेट पर आ गयी….क्योंकि अंदर तो, बल्ब जल रहा था….लेकिन बाहर अंधेरा था….इसलिए रानी को पूरा यकीन नही था कि, कॉन आ रहा है….जब तक कि में उसके घर के पास पहुच नही गया….
मुझे देखते ही रानी से स्माइल की और मुझे अंदर आने का इशारा किया…जैसे में अंदर गया…..रानी ने जल्दी से गेट की कुण्डी लगा दी….और मेरा बाज़ू पकड़ कर मुझे अंदर की तरफ लेजाने लगी….” अज़ारा….” रानी ने अंदर जाते हुए आवाज़ लगाई….तो एक लड़की किचन से निकल कर बाहर आई…ओह्ह तो ये है अज़ारा….
अज़ारा सच में वैसी थी….जैसा रानी ने मुझे बताया था….उसकी हाइट मुश्किल से 4 फीट 11 इंच थी….जिस्म रानी की तरह दुबला पतला था…मम्मे एक दम कसे हुए थे…उसने वाइट कलर का सलवार कमीज़ पहना हुआ था,…..उसकी कमीज़ में से उसकी ब्लॅक कलर की ब्रा सॉफ नज़र आ रही थी…उम्र भी कुछ ख़ास नही थी…नैन नक्श तीखे थे….पर उसका रंग रानी के मुक़ाबले कही सॉफ था…गोरा कहना भी ग़लत नही होगा….उसके जिस्म पर ब्रा में क़ैद मम्मे उसके जिस्म से अलग ही नज़र आ रहे थे…उसने मुझे देख कर स्माइल की और धीरे से बोली….”सलाम…” मेने भी जवाब दिया तो, रानी ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे चारपाई पर बैठा लिया….और खुद मेरे साथ बैठ गयी…थोड़ी देर बाद अज़ारा किचन से बाहर आई….उसके हाथ में पानी का ग्लास था….मेने पानी पिया….तो रानी बोली….
रानी: कोई तकलीफ़ तो नही हुई यहाँ आने में….
मैं: नही आराम से पहुच गया….
तभी अज़ारा ने रानी को किचन के अंदर बुलाया….”खाला ज़रा यहा आएँ….” रानी उठ कर किचन में चली गयी…..मेने देखा कि, किचन का डोर नही था….थोड़ी देर बाद रानी बाहर आई…और मेरा हाथ पकड़ कर बोली….”चलो अंदर जाकर बैठते है… बाहर बहुत सर्दी है…” मैं बिना कुछ बोले उठ कर रानी के साथ अंदर चला गया… अंदर एक तरफ एक डबल बेड था…पुराने ज़माने का…दूसरी तरफ पेटी थी.. जिसके ऊपेर कुछ रज़ाईयाँ और बिस्तर रखे हुए थे….”अब आराम से जूते उतार कर बैठ जाऊ.. में थोड़ी देर में आती हूँ….” रानी बाहर की तरफ जाने लगी…और जाते-2 उसने बरामदे की लाइट ऑफ कर दी…. मेने जूते खोले और बेड पर आराम से बैठ गया… मुझे थोड़ा अजीब सा लग रहा था….अंज़ान जगह भी थी….
फिर रानी करीब 10 मिनिट बाद अंदर आई….उसके हाथ में एक थाली थी…. उसने वो थाली मेरे आगे रख दी….”ये क्या है….में खाना खा कर आया हूँ…” मेने रानी की तरफ देखते हुए कहा….तो रानी मुस्कुराते हुए बोली….”अच्छा ठीक है…थोड़ा सा खा लो….” वैसे भी में जो दोपहर का बचा था…वही खा कर आया था…भूक भी लगी थी….इसलिए चुपचाप खाना खाने लगा..रानी बाहर चली गयी…..इस मर्तबा उसने कुछ ज़्यादा ही देर लगा दी थी….शायद वो और अज़ारा दोनो किचन में खाना खाने लगी थी….
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