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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मेने खाना ख़तम किया और अपना मोबाइल निकाल कर टाइम देखा तो, 8 बज चुके थे…मैं बेड से नीचे उतरा और प्लेट उठा कर जब रूम से बाहर आया तो, देखा कि, रानी और अज़ारा दोनो बर्तन सॉफ कर रही थी….रानी ने मेरी तरफ पलट कर देखा और मुझे हाथ में प्लेट लेकर खड़े देख कर रानी ने जल्दी से मेरे हाथ से प्लेट ले ली. और मुस्कुराते हुए बोली…. “मैं उठा कर ले आती…आप क्यों तकलीफ़ कर रहे है…” मैं रानी की बात का कोई जवाब नही दे पाया….और प्लेट देकर में सहन में एक तरफ बने बाथरूम में चला गया….मेने वहाँ जाकर हाथ मुँह धोया और जब रूम की तरफ वापिस आने लगा तो, रूम के अंदर डोर पर रानी हाथ में टवल लिए खड़ी थी….
हम दोनो एक दूसरे की आँखो में देख रहे थे….और रानी होंठो में मुस्करा रही थी….में रानी के पास जाकर खड़ा हो गया…और टवल से हाथ सॉफ करने लगा… “थोड़ी देर और…..” रानी ने मुस्कुराते हुए कहा….और फिर टवल को टाँग कर बाहर चली गयी…में बेड पर फिर से पुष्ट के साथ पीठ लगा कर बैठ गया…ठंड बहुत ज़्यादा हो गयी थी….हाथ पैर भी काँपने लगे थे…तभी अज़ारा रूम में अंदर आई….उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर सर झुका कर बेड के सामने की तरफ पड़ी पेटी की तरफ बढ़ी….और वहाँ से एक राज़ाई उठा कर उसने बेड पर रख दी….” राज़ाई ले लो…ठंड हो गयी है…” में चुप चाप अज़ारा की तरफ देखता रहा….फिर उसने एक बिस्तर उठाया और बाहर चली गयी…..मुझे ये सब बड़ा अजीब सा लग रहा था….और सोच रहा था कि, घर में एक रूम है….में कैसे एक साथ एक ही रूम में रानी के साथ करूँगा…क्योंकि मुझे अभी भी यकीन नही था कि, अज़ारा मुझे देने के लिए राज़ी हो जाएगी…
मैं बैठा यही सब सोच रहा था कि, रानी रूम के अंदर आई….उसने अंदर आकर डोर बंद किया और कुण्डी लगा दी…रानी ने अपने ऊपेर चादर ली हुई थी….रानी ने चद्दर उतार कर सामने पेटी के ऊपेर रखी और मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखने लगी…..”क्या हुआ ऐसे क्या देख रही हो…..” मेने रानी की तरफ देखते हुए पूछा उसके आँखो में अजीब सी शरारत नज़र आ रही थी….
रानी: सोच रही हूँ….आज तुम मेरी कैसे -2 लेने वाले हो….हाहहाहा
मैं: जैसे तुम कहोगी वैसे ले लूँगा….बोल कैसे –2 देने का इरादा है….
रानी: जैसे तुम्हारी मर्ज़ी आए वैसे करो…..मेने कॉन से तुम्हे रोकना है….
मैं बेड से नीचे उतरा और रानी की तरफ देखते हुए बोला….”ठीक है मैं पेशाब करके आता हूँ….तब तक तुम कपड़े उतार बेड पर लेट कर मेरा इंतजार करो….” मेने डोर खोला और बाहर आ गया…बाहर आकर मेने किचन की तरफ देखा तो, अज़ारा किचन में नीचे तिरपाल पर अपना बिस्तर बिछा कर राज़ाई में घुसी हुई थी… उसने एक बार मेरी तरफ देखा और फिर शर्मा कर अपनी नज़ारे घुमा ली… में बाथरूम में चला गया…और वहाँ से फारिघ् होकर जब रूम में वापिस आया तो, रानी राज़ाई के अंदर लेटी हुई थी….मेने डोर बंद किया और पेटी के पास जाकर अपने कपड़े उतारने लगा…
रानी बेड पर रज़ाई ओढ़ कर लेटी हुई मुझे हवस से भरी नॅज़ारो से देख रही थी.. मेने अपने सारे कपड़े उतार कर पेटी पर रख दिए…जैसे ही मेने अपना अंडरवेर उतरा तो मेरा लंड जो उस वक़्त फुल हार्ड हो चुका था…बाहर आते ही हवा में झटके खाने लगा….”सीईइ समीर ये तो कितना सख़्त खड़ा है….” रानी ने मेरे लंड को प्यासी नज़रों से देखते हुए कहा….तो में धीरे -2 बेड की तरफ बढ़ा….”लाइट ऑफ कर दो….” रानी ने मुस्कुराते हुए कहा,….
मैं: रहने दो नही….अंधेरे में मज़ा नही आएगा….
रानी: नही ख़ान साहब लाइट बंद कर दो….ये घर गाओं से बाहर है….दूर से ही लाइट जलती हुई नज़र आ जाती है….इसलिए बंद कर दो….कोई शक नही करे…. इसलिए बोल रही हूँ….
मेने अपनी जॅकेट से अपना मोबाइल निकाला और उसकी फ्लश लाइट ऑन करके लाइट बंद की और
और उस बेड की तरफ बढ़ने लगा….उसकी फ्लश लाइट की रोशनी में रानी का साँवले रंग का जिस्म बहुत ज़्यादा चमक रहा था… जैसे ही मैं उसकी तरफ बढ़ा….रानी पीछे की तरफ धीरे-2 लेट गयी….मेने बेड पर चढ़ कर रज़ाई को उसके जिस्म पर से हटा दिया….उफ्फ…..क्या सीन था….रानी के जिस्म सिर्फ़ लाइट पिंक कलर का ब्रा था….उसका बाकी जिस्म बिल्कुल नंगा था….
उसने अपने बाजू से अपने चेहरे को ढक रखा था….रानी अपनी टाँगो को आपस मैं जोड़ कर लेटी हुई थी…..मेने रानी की टाँगो को पकड़ कर अलग किया और उसकी फुद्दि बेपर्दा हुई, तो उसने शरमा कर करवट बदल ली..और फिर पेट के बल लेट गयी….आज मैं पहली बार उसकी बाहर की तरफ निकली हुई गोल गोश्त से भरी बुन्द को पूरी लाइट में देख रहा था….मेने उसकी बुन्द पर अपने हाथ की हथेली रखते हुए धीरे सहलाना शुरू कर दिया….”शियीयीयीयियी उंह” रानी एक दम से सिसक उठी…..
जैसे ही मेरे ठंडे हाथ उसके बुन्द पर लगे….उसका पूरा बदन काँप गया…मेने फिर उसी हाथ से उसकी ब्रा के स्ट्रॅप्स को पकड़ कर उसके कंधो से सरकाते हुए उसकी बाज़ुओ से निकाल दिए….उसके मम्मे भी अब बाहर आ चुकी थी….पर बेड पर बिछाए हुए बिस्तर पर दबी हुई थी…मेने रानी की थाइस को फेलाया और खुद उसके टाँगो के बीच में बैठ गया….और फिर उसे हाथ से गाइड करते हुए, धीरे-2 डॉगी स्टाइल में ले आया…..रानी भी मेरे हाथ के इशारे से डॉगी स्टाइल में आ चुकी थी…..
मेरे एक हाथ में मोबाइल था…इसीलिए मैं सिर्फ़ एक हाथ को इस्तेमाल कर सकता था…इस लिए रानी भी मेरा पूरा साथ दे रही थी…. मेने अपने खाली हाथ से रानी की फुद्दि के लिप्स को पकड़ कर फेला दिया…उसकी फुद्दि का सूराख और लिप्स दोनो ही उसकी फुद्दि से निकल रहे गाढ़े पानी से लबरेज थे….”ओह्ह रानी तुम्हारी फुद्दि तो पहले से बहुत गीली है…..देख साली कैसे पानी निकाल रही है…..” मेने अपनी एक उंगली को रानी की फुद्दि में घुसा दिया….रानी मस्ती में एक दम से सिसक उठी…..”शियीयीयी इोह समीरर जीए…. ये तो पूरा दिन नही सुखी…इस लम्हे के इंतजार में….” मेने धीरे-2 अपनी उंगली को रानी की फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….”क्यों पूरे दिन से क्यों पानी छोड़ रही है तेरी फुद्दि ? “
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैं थोड़ी देर वहाँ खड़ा रहा और फिर सोचा अंदर जाकर देखता हूँ कि दोनो आपस में क्या बात कर रही है….मैं धीरे से बाथरूम से बाहर आया रूम की तरफ जाने लगा…किचन के पास पहुच कर मैने किचन की विंडो से अंदर झाँका तो, अज़ारा वहाँ नही थी…वो रूम में जा चुकी थी….मैं धीरे रूम के डोर के पास पहुचा और दीवार की आड से अंदर देखने लगा….अंदर रानी शलवार कमीज़ पहन कर बेड पर बैठी थी….और अज़ारा उसके साथ नीचे पैर लटका कर बैठी हुई थी….
अज़ारा: खाला आप को कहाँ से मिल गया ये….तोबा मुझे तो लग रहा था…जैसे बेड ही तोड़ देगा…हाहाहा….
रानी: चुप धीरे बोल….अब बोल क्या प्रोग्राम है…..
अज़ारा: मेरा क्या प्रोग्राम होना है…..आप ऐश करो…..हाहाहा
रानी: तुम्हारा दिल नही कर रहा….हाहाहा झूट मत बोलना…फुद्दि तो तेरी भी गीली हो गयी होगी…..
अज़ारा: हाहाहा सच्ची खाला….जब वो घस्से मार रहा था…तुम्हारी बुन्द और उसकी रानो की टकराने की आवाज़ बाहर तक आ रही थी…..सीईईईईई हाए क्या बताऊ खाला मेरी फुद्दि का तो वो आवाज़ें सुन सुन कर बुरा हाल हो रखा है….
रानी: गश्ती दिल भी कर रहा है….और नखरे भी कर रही है….जल्दी बोल आने वाला होगा….
अज़ारा: रहने दो खाला….आप मस्ती करो उसके साथ मैं ठीक हूँ….
रानी: ऐसे कैसे ठीक हो….तुम यहाँ बैठो मैं उसे भेजती हूँ,….वैसे भी अब तो तुम्हे किसी बात का डर नही होना चाहिए…10 दिन बाद तेरी शादी है….ऐसा मौका बार -2 नही आएगा….तुम रूको मैं उसे अंदर भेजती हूँ….
अज़ारा: पर खाला रूको तो सही….
रानी: लगता है तुम ऐसे नही मनोगी….
रानी अज़ारा की तरफ बढ़ी….और उसे धक्का देकर बेड पर गिरा दिया….इससे पहले कि अज़ारा सम्भल पाती रानी ने उसकी शलवार को दोनो तरफ से पकड़ा और उसकी इलास्टिक वाली शलवार को एक झटके से खेंच कर उसके जिस्म से अलग करके नीचे फैंक दिया… “आहह खाला कुछ तो शरम करिए….अगर वो अंदर आ गया तो….?” अज़ारा ने पीछे की तरफ होते हुए कहा…
.”तो क्या आ जाएगा तो, उसे कपड़े नही उतारने पड़ेंगे… खुली हुई फुद्दि मारने को मिल जाएगी हाहाहा….” रानी ने बेड पर चढ़ कर अज़ारा को अपने नीचे लिया और ज़बरदस्ती उसके कमीज़ भी उतार दी….रानी के आगे अज़ारा की एक भी ना चली….उसने कुछ ही लम्हो में अज़ारा के सारे कपड़े उतार दिए….
फिर रानी बेड से नीचे उतरी और अज़ारा के कपड़ो को हाथ मे लेकर बाहर आ गयी….इससे पहले कि अज़ारा कुछ बोलती रानी उठ कर बाहर आ गयी….मुझे डोर पर खड़ा देख कर रानी ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा और फिर शलवार के ऊपेर से मेरे लंड को पकड़ कर दबाते हुए बोली….”बड़ी जल्दी खड़ा हो गया है….अज़ारा की फुद्दि लेने का सुन कर….हाहाहा….” मैने रानी के बात का कोई जवाब ना दिया….”जाओ अंदर और हां वो जो गुब्बारे लाए थे ना…अब उसको यूज़ मत करना…गश्ती की 10 दिन बाद शादी है…कोई फरक नही पड़ता….”
रानी ने मेरे लंड को दो तीन बार हिलाया ही था कि, मेरा लंड पूरी तरह सख़्त हो गया…”गश्ती की फुद्दि मार-2 कर लाल कर देना….” रानी ने आँख मार कर कहा और मेरा लंड छोड़ दिया…मैने एक बार रानी की तरफ देखा और रूम में चला गया….
जैसे ही मैं रूम में दाखिल हुआ, तो देखा अज़ारा एक दम नंगी खड़ी थी. मुझे देखते ही वो एक दम से शरमा गयी…..और अपने मम्मो को अपने हाथो में छुपाने की कॉसिश करते हुए नीचे पैरो के बल बैठ गयी….अज़ारा अपने आपको अपनी बाहों में समेटे हुए, दीवार के साथ कोने में दुबक कर पैरो के बल बैठी थी.....और मैं धीरे-2 अज़ारा की तरफ बढ़ रहा था....,
मेरे कदमो की आहट सुन कर अपने आप में सिमटती जा रही थी. और कुछ ही पल में ठीके उसके पीछे खड़ा था.....और अज़ारा मेरे सामने बिल्कुल नंगी बैठी हुई थी…मेरा लंड फुल हार्ड हो चुका था….मैने अपनी शलवार को उतार कर पैटी पर फेंक दिया….मेने एक हाथ से अज़ारा के सर को पकड़ कर अपनी तरफ घुमाया तो उसने बैठे-2 ही अपने फेस को ऊपेर उठा कर मेरी तरफ देखा....उसकी साँसे उखड़ी हुई थी...और आगे आने वाले पॅलो मैं क्या होने वाला है....ये सोच कर उसका दिल जोरो से धड़क रहा था....मेने दूसरे हाथ से अज़ारा के एक हाथ को पकड़ा और उसे अपनी तरफ घुमाने लगा.....
जैसे ही अज़ारा बैठे-2 मेरी तरफ घूमी तो उसके नज़र मेरी जाँघो के बीच में झूलते हुए मुन्सल जैसे लंड पर पड़ी.....तो उसने एक लंबी साँस लेते हुए मेरी आँखो में देखा.....मेने अज़ारा का जो हाथ पकड़ा हुआ था. उसे अपनी राइट थाइ पर रख लिया.....मेरा लंड अज़ारा के फेस के ठीक सामने कुछ इंचो के फँसले पर मेरी थाइस के बीच में लटका हुआ था. जिसे देख कर उसकी साँसे अब और तेज हो चली थी.....
"समीर......" उसने मेरे लंड को देख कर गरम होते हुए कहा.....और अगले ही पल उसने अपने दूसरे हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी जीभ बाहर निकालते हुए मेरे लंड की एक साइड से लंड को चाटना शुरू कर दिया....
अज़ारा एक दम गरम हो चुकी थी....जैसे ही अज़ारा की गरम और गीली जीभ मेरे लंड की फूली हुई नसों पर लगी तो मेरे बदन और लंड में करेंट सा दौड़ गया. मुझे अपने लंड की नसों में खून का दौरा एक दम तेज होता हुआ महसूस हो रहा था....मुझे यकीन नही हो रहा था कि अज़ारा इतनी तेज लड़की निकले गी….उसकी जगह कोई और होती तो अब तक अपनी आँखे भी ना खोलती….
अज़ारा अपनी गरम जीभ को मेरे लंड पर रगड़ रही थी….और उसकी गरम साँसे इस बात का सबूत थी कि, वो किस कदर गरम हो चुकी है….अज़ारा ने मेरे लंड को जड से लेकर कॅप तक चाटा…..और फिर कॅप की चमड़ी को पीछे खिसका कर मेरी लाल कॅप को वासना भरी नज़रो से देखते हुए मेरी आँखो में देखा… और फिर से नज़रे लंड की कॅप पर टिकाते हुए, अपने होंटो को लंड की कॅप पर झुकाना शुरू कर दिया…और अगले ही पल मेरे लंड का लाल दहाकता हुआ कॅप अज़ारा के होंटो के बीच में था….
अज़ारा अपने रसीले होंटो में मेरे लंड के कॅप को दबाए हुए बहुत हॉट लग रही थी…..उसे देख कर कोई कह नही सकता था कि, ये अज़ारा कुछ देर पहले ऐसे शरमा रही होगी कि, जैसे आज तक इसने किसी लड़के की तरफ आँख उठा कर नही देखा हो…और अब किसी रंडी की तरह मेरे लंड की कॅप को अपने होंटो के बीच में दबा-2 कर चूस रही थी…अज़ारा के दोनो हाथ मेरी थाइस को सहला रहे थे…और मैं अज़ारा के सर के पकड़ कर अपने लंड की कॅप को उसके मुँह के अंदर बाहर करता हुआ मस्ती में सिसक रहा था……
अज़ारा अब पूरे रंग में आ चुकी थी….और अब मेरे लंड को 4 इंच तक अपने मुँह के अंदर बाहर करते हुए चूस रही थी….मेरे लंड की नसें और फूल चुकी थी…मेने अज़ारा के मुँह से अपना लंड बाहर निकाला और उसे पकड़ कर बेड के पास ले गया…और उसे ज़मीन पर ही डॉगी स्टाइल मे करके उसके पीछे आ गया. अज़ारा ने अपने दोनो हाथों को बेड के ऊपेर रख लिया….मैं अज़ारा के पीछे आया, और नीचे घुटनो के बल बैठते हुए, उसकी बुन्द को पकड़ कर फेला दिया. और फिर उसकी फुद्दि जो कि पहले ही पानी से गीली हो रही थी…उसके लिप्स को फेलाते हुए उसकी फुद्दि के सुराख पर अपना मुँह रख दिया…..
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
जैसे ही मेने अज़ारा की फुद्दि के गुलाबी सुराख को अपनी जीभ निकाल कर रगड़ा अज़ारा एक दम से सिसक उठी….उसने बेड शीट को कस्के दोनो हाथों से पकड़ लिया… “उंह ओह समीर सीईईईईईईई उंह “ अज़ारा ने सिसकते हुए पीछे की तरफ अपना फेस घुमा कर देखा….अज़ारा की आँखो में अब वासना का नशा और मस्ती के लाल डोरे तैर रहे थे….जिसे देख कर लग रहा था कि, वो कामवासना से बहाल हो चुकी है… मेरी गरम जीभ को अपनी फुद्दि के सुराख पर महसूस करते ही, उसने अपनी थाइस को और फेला दिया, और पीछे से अपनी बुन्द ऊपेर की तरफ उठाते हुए अपनी फुद्दि को और बाहर की तरफ निकाल लिया…..
अज़ारा की फुद्दि का दाना किसी अंगूर की तरह मोटा और फूला हुआ था…. जिसे देख मैं अपने आप को रोक ना सका और अज़ारा की फुद्दि के दाने को अपने होंटो में भर कर दबाते हुए चूसना शुरू कर दया…… “ओह सीईईईईई उंह सीईईई आह आह ह अहह उंघह ओह समीरर ओह अज़ारा की सिसकारियाँ पूरे रूम में गूँज रही थी…और उसकी कमर तेज़ी से झटके खा रही थी…जैसे वो अपनी फुद्दि मेरे होंटो पर खुद ही रगड़ रही हो….”ओह्ह्ह्ह समीर बस अह्ह्ह्ह अब डालो ना अंदर अह्ह्ह्ह……”
मैं एक दम से घुटनो के बल सीधा बैठा और अपने लंड को पकड़ कर कॅप को अज़ारा की फुद्दि के लिप्स के बीच रगड़ा तो मोटे कॅप का दबाव पढ़ते ही, अज़ारा की फुद्दि के लिप्स फेल गये…और मेरे लंड का मोटा दिखता हुआ कॅप अज़ारा की फुद्दि के सुराख पर जा लगा….लंड के कॅप की गरमी को अपनी लबलबाती फुद्दि के सुराख पर अज़ारा एक दम से सिसक उठी……”ओह्ह समीररर हां अंदर कर भी दो अब…..”
मेने अज़ारा के खुले हुए बालो को पकड़ कर अपनी कमर को आगे की ओर दबाना शुरू कर दिया….मेरे लंड का कॅप अज़ारा की टाइट फुद्दि के सुराख को फेलाता हुआ अंदर घुसने लगा तो, अज़ारा ने भी मस्ती में आकर अपनी बुन्द को पीछे की ओर दबाते हुए, अपनी फुद्दि को मेरे लंड के कॅप पर दबाना शुरू कर दिया…लंड का कॅप अज़ारा की फुद्दि से निकले उसके कामरस से चिकना होकर अंदर की ओर घुसने लगा. और जैसे ही मेरे लंड का कॅप अज़ारा की फुद्दि के सुराख में घुसा तो, अज़ारा का बदन एक दम से अकड़ गया…
उसने पीछे की ओर देखते हुए अपनी बुन्द को गोल गोल घुमाना शुरू कर दिया…और अगले ही पल मेने अज़ारा के खुले हुए बालों को पकड़ कर पीछे की तरफ खेंचा तो अज़ारा ने अपनी गर्दन किसी हीट में आई हुई घोड़ी की तरह ऊपेर उठा ली…और अपनी बुन्द को पीछे की ओर ज़ोर से धकेला….मेरा आधे से ज़्यादा लंड अज़ारा की फुद्दि में घुस गया….और फिर मेने बचे लंड को एक ज़ोर दार धक्का मार कर अज़ारा की फुद्दि की गहराईयो में उतार दिया…..”ओह्ह्ह्ह अहह समीर ओह …” मेरा लंड अज़ारा की फुद्दि में जड तक घुस कर फँसा हुआ था….
और अज़ारा मस्ती में आकर अपनी बुन्द को गोल गोल घुमा रही थी…..जिससे मेरा लंड अज़ारा की फुद्दि की दीवारों पर रगड़ खाने लगा….मेने अज़ारा के बालो को पकड़ते हुए, तेज़ी से अपना लंड उसकी फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.....मेरे जबरदस्त धक्को से अज़ारा हीट मे आई हुई घोड़ी की तरह हिना हिना रही थी....और सिसकारियाँ भरते हुए अपनी बुन्द को पीछे की तरफ धकेल रही थी.....मेरे मोटे लंड ने अज़ारा की फुद्दि के लिप्स को बुरी तरह से खोल रखा था.....और मेरे लंड का कॅप उसकी फुद्दि की दीवारों से रगड़-2 कर अंदर बाहर हो रहा था.....
जिस जोश और वहशी पन के साथ मैं अज़ारा को चोद रहा था, उसे कई गुना जोश के साथ अज़ारा अपनी बुन्द पीछे की तरफ धकेलते हुए मेरे लंड को अपनी फुद्दि की गहराइयों में ले रही थी....."अह्ह्ह्ह समीर हाआँ और ज़ोर से पूरा अंदर डाल दो ओह्ह्ह्ह समीर उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह जैसे खाला को चोद रहे थे…वैसे ही मेरी फुद्दि को भी चीर दो........
मैं नीचे फर्श पर घुटनो के बल बैठा हुआ था....इसलिए अब मेरे घुटने सख़्त फर्श पर दर्द करने लगे थे....मैं एक दम से अपने पैरो पे आया और लगभग अज़ारा की बूँद के ऊपेर सवार हो गया....अज़ारा ने एक बार फिर से पीछे मूड कर देखा और मुस्कुराते हुए अपनी बुन्द को और तेज़ी से पीछे की ओर धकेलने लगी......मैने भी फिर से अपने लंड को अज़ारा की फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया.....इस पोज़िशन में मेरे धक्को की रफ़्तार सच में किसी एंजिन के पिस्टन के तरह हो गयी थी.....
अज़ारा: अह्ह्ह्ह ओह समीर उफ़फ्फ़ धीरीए ओह उंह
अज़ारा ने सिसकते हुए अपने दोनो हाथों को पीछे लाते हुए मेरी दोनो टाँगो की पिंदलियों को पकड़ लिया, उसके मम्मे बेड पर दबे हुए थे... अब मेने अज़ारा के बालो को एक हाथ से पकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ से अज़ारा के एक कंधे को....अज़ारा की फुद्दि से उसका कामरस बह कर नीचे की तरफ लैस्दार लार की तरह लटक रहा था.....
अज़ारा: अह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह समीर ओह मेरा काम होने वाला है…..
मैं: क्या….?
अज़ारा: समीर मैं फारिघ् होने वाली हूँ….
और फिर अज़ारा का बदन एक दम से काँपने लगा.....उसने अपनी बुन्द को पीछे की ओर दबाते हुए, मेरी थाइस से पूरी तरह सटा लिया....और अगले ही पल उसकी फुद्दि में मेरे लंड ने भी उलटी करनी शुरू कर दी... मैं एक दम से निढाल होकर उसके ऊपेर गिर गया....अज़ारा की फुद्दि में बहुत तेज कॉंट्रॅक्षन हो रहा था....जैसे उसकी फुद्दि अंदर ही अंदर मेरे लंड को निचोड़ रही हो.....
मैं अज़ारा के ऊपेर से उठा और बेड पर पीठ के बल लेट गया.....मेरी टांगे बेड से नीचे लटक रही थी....अज़ारा थोड़ी देर बाद सीधी हुई, और मेरी थाइस पर लंड के पास अपने गालों को लगा कर अपना सर रख लिया...और फिर मेरा लंड जिस पर उसकी फुद्दि से निकला हुआ पानी लगा हुआ था....उसे पकड़ कर ऊपेर से नीचे हिलाने लगी....फिर लंड के कॅप पर लगे हुए अपनी फुद्दि के कामरस को अपने अंगूठे से सॉफ करते हुए, लंड के कॅप को मुँह में भर कर चूसना शुरू कर दिया....
अज़ारा उस कुत्ति की तरह मेरे लंड को चाट रही थी....जब कोई कुत्ति हीट में आकर कुत्ते के लंड को चाटती है....ठीक वैसे ही वो मेरे लंड को मुँह में लिए हुए चूस रही थी....फिर उसने मेरे लंड को मुँह से बाहर निकाला और मेरी बगल में लेट गयी.....
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैं और अज़ारा अपनी उखड़ी हुई सांसो को दुरस्त करने की कॉसिश कर रही थी…थोड़ी देर बाद अज़ारा उठी और पैटी पर पड़ी एक पुरानी चद्दर को लपेट कर बाहर चली गयी…मुझे किचन से दोनो के हंस-2 कर बातें करने की आवाज़ आ रही थी…थोड़ी देर बाद रानी रूम में एंटर हुई….उसने मुझे बेड पर नंगा लेटा देखा तो मुस्कराते हुए बोली….”हां जी पड़ गयी कलेजे को ठंडक अब तो खुश हो ना….”
मैने रानी के तरफ देखा और मुस्कराते हुए हां मैं सर हिला दिया…”जाओ उसने अंदर ले आओ…. अभी तो सारी रात पड़ी है….अब तो हम तीनो में कोई परदा नही है…” मैं रानी की बात सुन कर मुस्कुराने लगा और बेड से उठ कर अपनी शलवार पहनी और ऊपेर से सिर्फ़ जॅकेट पहन कर बाहर जाने लगा….
जाते-2 मैने रानी की बुन्द को मुट्ठी में लेकर कस्के दबा दिया…..और बाहर आ गया… अज़ारा किचन मे नही थी…उसकी शलवार कमीज़ अभी भी किचन मे ही बिस्तर पर पड़ी हुई थी…मैं बाथरूम की तरफ गया तो, मुझे अंदर से अज़ारा के पेशाब करने की आवाज़ सुनाई दी….जिसे सुन कर मेरा लंड फिर से हार्ड होने लगा…मैं एक दम से बाथरूम में घुस गया…डोर की जगह एक परदा लगा हुआ था….जब मैं अंदर पहुचा तो, अज़ारा पेशाब करके खड़ी हो चुकी थी….मुझे अचानक अंदर देख कर वो थोड़ा घबराई और फिर शरमाते हुए उसने सर को झुका लिया….”आपको शरम नही आती लड़कियों को ऐसे पेशाब करते हुए देखते हुए…”
मैं: अगर शरम करता तो, आज तुम्हारी फुद्दि कैसे मिलती….
अज़ारा: तोबा आप कैसे बोलते है….
मैने अज़ारा हाथ पकड़ कर पानी तरफ खेंचा तो, वो मेरे साथ लग गयी…और सरगोशी से भरी आवाज़ मैं बोली…”खाला आ जाएगे…”
मैने उसके फेस को अपने हाथो में लेकर ऊपेर उठाया और उसके होंटो को अपने होंटो में लेकर चूस्ते हुए कहा.. “उसने ही तो तुम्हे लाने भेजा है…बोलो क्या इरादा है…” अज़ारा मेरी बात सुन कर कुछ ना बोली…उसने मेरी चेस्ट पर अपना फेस छुपा लिया…मैने उसको बाजुओं में लेते हुए चद्दर के नीचे से हाथ डाल कर उसकी नंगी बुन्द को अपने हाथों मे लेकड़ धीरे-2 दबाना शुरू कर दिया…
.”सीईईईईईईई समीर……” अज़ारा ने सिसकते हुए मेरी जॅकेट को कस्के पकड़ लिया…. “अब अंदर भी चलना है कि, यही शुरू हो गये हो तुम दोनो शरम करो….” बाहर से रानी की आवाज़ आई तो, हम दोनो हड़बड़ा गये… जब हम बाथरूम से बाहर आए तो, रानी बाहर नही थी….वो रूम मे जा चुकी थी….
हम दोनो जैसे रूम में एंटर हुए तो देखा रानी आईने के सामने खड़ी होकर अपने खुले हुए बालों को सवार रही थी....उसने ने फेस घुमा कर एक बार हम दोनो की तरफ देखा....मैं जाकर बेड पर लेट गया. अज़ारा भी मेरे साथ बेड पर चढ़ गयी. और मेरे लंड को शलवार के ऊपेर से एक हाथ से सहलाने लगी...अज़ारा की आँखो वासना की खुमारी शाम से ही भरी हुई थी....मेने अपना एक हाथ अज़ारा के सर के पीछे लेजाते हुए उसके खुले हुए बालो को कस्के पकड़ा और उसके सर को नीचे की ओर दबाते हुए उसके रसीले होंटो को अपने होंटो में भर लिया.....
अगले ही पल हम वाइल्ड्ली एक दूसरे के होंटो को चूस रहे थे...और अज़ारा अब मेरी शलवार के ऊपेर से मेरे लंड को तेज़ी से हिला रही थी...उधर आयने के सामने खड़ी रानी हमारी तरफ पलटी.....अज़ारा तुमसे तो सबर ही नही हो रहा है....लगता है तेरी फुद्दि में शाम से आग लगी हुई है...." अज़ारा ने अपने होंटो को मेरे होंटो से अलग काया...और फिर कमर के पास बैठते हुए मेरी शलवार को पकड़ कर नीचे सरकाते हुए मेरे बदन से अलग कर दया......
अज़ारा ने मेरे लंड को जो थोड़ा सा खड़ा हो चुका था...उसको अपने दोनो हाथों से पकड़ते हुए लंड के कॅप की चमड़ी को पीछे की ओर सरकते हुए उसे जीभ निकाल कर चारो तरफ से चाटना शुरू कर दिया. जैसे ही अज़ारा की जीभ मेरे लंड के कॅप पर लगी. मैं एक दम से सिसक उठा...एक हाथ से अपने लंड को पकड़ा और दूसरे हाथ से अज़ारा के बालो को और उसके मुँह में अपने लंड के कॅप को घुसा दिया....
अज़ारा ने भी मँज़ी हुई गश्ती के तरह मेरे लंड के मोटे कॅप को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दया....बेड के किनारे खड़ी रानी ये देख कर एक दम से हैरान थी....पर अपनी आँखो के सामने अपनी भतीजी को इस तरह मेरा लंड चूस्ते हुए देख कर वो भी मदहोश हो चुकी थी....रानी ने मेरी ओर देखते हुए अपनी शलवार कमीज़ को पकड़ कर उतार दया और उसे बेड पर फेंकते हुए एक दम से ऊपेर आ गयी....
रानी ने मेरे ऊपेर झुकते हुए मेरे होंटो के करीब अपने होंटो को लाते हुए कहा..."समीर मेरे होंटो को चूसो काट खाओ मेरे होंटो को...." और ये कहते हुए रानी ने मेरे होंटो पर झपट पड़ी और पागलो की तरह मेरे होंटो को चूसने लगी....मेने भी रानी के नीचे वाले होन्ट को अपने होंटो में लेकर चूस्ते हुए अपने दांतो से काटना शुरू कर दिया....अब मैं अपने दोनो हाथो से अपने चेस्ट के ऊपेर झूल रहे रानी के मम्मो को ज़ोर ज़ोर से मसल रहा था.....और अज़ारा मेरे आधे से ज़्यादा लंड को मुँह में लेकर पूरे जोशो ख़रोश के साथ उसके चुप्पे लगा रही थी....
रानी एक दम से ऊपेर हुई और फिर मेरी तरफ पीठ करके अपनी एक टाँग को मेरी दूसरी तरफ करके मेरे फेस के ऊपेर अपनी फुद्दि ले आई, और अपनी फुद्दि के लिप्स को अपने दोनो हाथों से फैलाते हुए, धीरे -2 अपनी फुद्दि को मेरे मुँह के ऊपेर करने लगी....मेने भी अपनी जीभ निकाल कर उसे नोक दार बनाते हुए रानी की फुद्दि के गुलाबी लबलबा रहे सुराख के अंदर घुसा दया....
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03-08-2019, 02:04 PM,
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
अगली सुबे 5 बजे अलार्म बजा और मैं उठ गया….बाथरूम मे जाकर फ्रेश हुआ और रूम मे आकर अज़ारा और रानी को उठाया…और बताया कि अब मुझे निकलना होगा.. मैने कपड़े पहनने लगा….अज़ारा जल्दी से उठ कर बाथरूम मे गयी…फ्रेश होकर उसने चाइ बनाई…मैं चाइ पी कर वहाँ से निकल कर मैन रोड पर आ गया…मुझे डर था कि, कही अबू और नाज़िया सुबह-2 जल्दी घर ना पहुच जाए…अबू अगर अकेले होते तो, जल्द बाज़ी नही करते…पर मुझे नाज़िया का डर था…मैं जानता था कि, नाज़िया मेरी वजह से (यानी नक़ाब पोश समीर की वजह से वो बस मिस नही करना चाहेगी…) इसलिए मैं उनके घर पहुचने से पहले घर पहुँचना चाहता था…अभी तक अंधेरा था… पहली बस भी 8 बजे से पहले नही मिलने वाली थी….
रोड एक दम सुनसान था….मैं पैदल ही अपने गाओं के तरफ जाने लगा….पर वहाँ से गाओं भी 20 किमी दूर था…और ना ही मुझे कोई सवारी नज़र आ रही थी…मैं पैदल चलता हुआ जा रहा था कि, मुझे पीछे से कुछ आवाज़ सुनाई दी…मैने मूड कर देखा तो, पीछे एक रेहड़ा घोड़ा गाड़ी वाला आ रहा था…बाद मैं मुझे पता चला कि, वो सख्स रोज सुबह -2 सिटी की सब्जी मंडी मे सब्जियाँ लेने जाता है…और वहाँ से सब्जियाँ लाकर अपनी दुकान पर बेचता है….
मैने उसे हाथ दिया तो उसने अपनी घोड़ा गाड़ी रोकी…और बोला….” हां जी कहिए…”
मैं: वो मुझे **** गाओं तक जाना है….अभी कोई बस नही मिल रही क्या आप मुझे वहाँ तक छोड़ देंगे….
आदमी: आजाओ बैठो जी छोड़ देते है…..
मैं उसके घोड़ा गाड़ी मे बैठ गया….पैदल चलने से अच्छा था…कि रेहड़े पर ही चला जाता….खैर तकरीबन 45 मिनिट लगे होंगे गाओं के मोड़ तक पहुचने तक. गाँव के मोड़ पर पहुच कर मैने मोबाइल निकाल कर टाइम देखा तो, 6:30 बज रहे थी…मैं घर पहुचा तो, गली सुनसान थी….मैने राहत की साँस ली और घर का लॉक खोला….और अंदर आकर कुण्डी लगाई और अपने रूम मे आकर बेड पर लेट गया… मैने अपने मोबाइल मैं फिर से 9 बजे का अलार्म सेट किया…रात को ठीक से नींद पूरी नही हुई थी…..इसलिए सोचा थोड़ा और सो लेता हूँ….लेटते ही नींद आ गयी… फिर आँख तब खुली जब मोबाइल का अलार्म बजने लगा…
मैं उठ कर बाथरूम मे गया….और वहाँ से फारिघ् होकर अभी बाहर ही आया था कि, डोर बेल बजी…मैने गेट खोला तो सामने अबू और नाज़िया खड़े थे…अबू ने मोटर साइकल अंदर की और जल्दी से रूम मे चले गये….नाज़िया ने हाथ मे लंच बॉक्स पकड़ा हुआ था….उसने अंदर आकर लंच बॉक्स को टेबल पर रखा और किचन मे प्लेट्स लेकर टेबल रखते हुए बोली…”समीर इसमे खाना है…खा लो….तुम्हारे अबू को आज ट्रनिंग के लिए लाहोर जाना है…..मैं पॅकिंग मे उनकी मदद कर दूं…” मैने नाज़िया की बात का कोई जवाब नही दिया और बैठ कर लंच बॉक्स खोला और खाना खाने लगा…अबू शायद कल ही पॅकिंग करके गये थे….इसलिए उन्हे ज़यादा टाइम ना लगा और थोड़ी देर बाद वो अपना सूटकेस लेकर बाहर आए और मुझसे बोले…
अबू: समीर अपना नाज़िया और घर का ख़याल रखना….
मैं: जी…..
अबू: और हां अब तुम बड़े हो गये हो….मेरी गैर मोजूदगी मे घर की ज़िमेदारी तुम्हारी है….घर का भी ख़याल रखना…
मैं: जी अबू आप बेफिकर होकर ट्रंनिंग पर जाए….
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03-08-2019, 02:04 PM,
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
उसके बाद अबू घर से निकल गये…और नाज़िया अपने रूम मे जाकर तैयार होने लगी…. आज मुझे अपने प्लान पर अगला कदम बढ़ाना था…..सब कुछ दिमाग़ मे सेट हो चुका था…और मैं दिल ही दिल दुआ कर रहा था….कि जैसा मैं सोच रहा हूँ.. वैसे ही हो…खाना खाने के बाद मैं अपने रूम मे आ गया….थोड़ी देर बाद नाज़िया मेरे रूम के डोर पर आई…और मुझसे बोली….”समीर मैं जेया रही हूँ… घर को अच्छी तरह लॉक लगा कर जाना….” मैने नाज़िया से कोई बात ना की…और नाज़िया के बाहर जाते ही मैने जल्दी से तैयार होना शुरू कर दिया…मैने जल्दी से कपड़े पहने और घर को लॉक करके मैन रोड की तरफ चल पड़ा…घर से निकलते हुए मैने कागज के एक छोटे टुकड़े पर अपना दूसरा मोबाइल नंबर..जो कल खरीदा था….उसे लिख कर अपनी पॉकेट में डाल लिया….
मैं जल्दी से मेन रोड की तरफ जाने लगा….जब मेन रोड पर पहुचा तो, देखा कि नाज़िया वही खड़ी थी…मैने अपने चेहरे को रुमाल से ढक रखा था… मैं नाज़िया से थोडे फाँसले पर खड़ा हो गया….मैने जब नाज़िया की तरफ देखा तो, वो मेरी तरफ देख कर आँखो ही आँखो मे मुस्कुरा रही थी…खैर थोड़ी देर मे बस आ गयी… हम बस मे चढ़े….तो पहले वाले दिनो की तरह से हमारी पोज़िशन सेट हो गयी…. भीड़ आज भी थी….नाज़िया मेरे आगे खड़ी थी….उसकी पीठ मेरे फ्रंट साइड से फुल टच हो रही थी….आज नाज़िया ने ब्लॅक कलर का कमीज़ और डार्क पिंक कलर की शलवार पहनी हुई थी….उसकी ब्लॅक कलर की कमीज़ पर डार्क पिंक कलर के डिज़ाइनर पॅच लगे हुए थे….
आज मैं कुछ ज़यादा ही जोश मे था….मैने अपने लेफ्ट हॅंड से ऊपेर सपोर्ट के लिए लगे पाइप को पकड़ा हुआ था….और राइट हॅंड नीचे था…मैने चारो तरफ देखा और अपना राइट हॅंड साइड से नाज़िया की राइट रान पर रख दिया…उसके नरम और मुलायम थाइ पर मेरा हाथ लगते ही नाज़िया का जिस्म कांप गया…उसने फेस घुमा कर मेरी तरफ देखा तो, मैने उसकी थाइ पर हाथ रखे उसे पीछे की तरफ पुश किया तो, आज वो खुद बिना किसी जदो जेहद के पीछे हो गयी….”उफ़फ्फ़ मेरी बुरी हालत हो गयी….मेरा लंड तो नाज़िया की क़यामत खेज खूबसूरती को देख कर पहले से खड़ा था.. जैसे ही उसने अपनी बुन्द को पीछे मेरे लंड पर पुश किया…मेरा लंड फुल हार्ड हो गया….और उसकी कमीज़ और शलवार के ऊपेर से उसकी बुन्द के दोनो पार्ट्स के बीच मे जाकर फँस गया….नाज़िया भी मेरे लंड की हार्डनेस को अपनी बुन्द के बीच महसूस करके गरम होने लगी थे…वो धीरे-2 गैर मामूली तरीके से अपनी बुन्द को पीछे की तरफ पुश कर रही थी….और मैं अपने एक हाथ से उसकी राइट थाइ को सहला रहा था…..
मैने अपने हाथ को उसकी थाइ से आगे लेजाते हुए उसकी फुद्दि के तरफ बढ़ाना शुरू कर दिया…जैसे ही नाज़िया को इस बात का अहसास हुआ कि, मैं क्या करने जा रहा हूँ…नाज़िया ने मेरा हाथ पकड़ लिया….और पीछे घूम कर मेरी तरफ देखा और ना मे इशारा किया…थोड़ी देर बाद पहला स्टॉप आ गया….बस आधी खाली हो गयी…हम दोनो साथ में बैठ गये….जैसे ही बस चली मैने अपनी पॉकेट से वो पर्ची निकाली..जिसे पर मैने मोबाइल नंबर लिखा हुआ था…और वो नाज़िया की तरफ बढ़ा दी….नाज़िया ने चारो तरफ देखा कि, कोई हमारी तरफ तो नही देख रहा…जब उसे यकीन हो गया तो, उसने मेरे हाथ से पर्ची ली और धीरे से बोली…”ये क्या है….?”
मैं: मेरा मोबाइल नंबर है….
नाज़िया: ओह्ह….मैं तुम्हे अभी इस नंबर पर कॉल करती हूँ….तुम्हारे पास मेरा नंबर भी आ जाएगा…..
मैं: ठीक है….
नाज़िया ने पर्स से अपना मोबाइल निकाल और उस पर्ची पर लिखे नंबर को डाइयल किया तो मेरा मोबाइल बजने लगा….नाज़िया ने फॉरन कॉल कट कर दी…. “ये मेरा नंबर है सेव कर लो…”
मैं: ठीक है बाद में कर लूँगा….
नाज़िया: पर फ़ारूक़ प्लीज़ ये नंबर किसी और को मत दे देना….
मैं: मुझे पागल समझा है क्या….नही देता…अच्छा ये तो बताओ कि तुम्हे कॉल कब करूँ….
नाज़िया: आज दोपहर को 2 बजे कॉल करना…नही रहने दो मैं खुद करूँगी…. 2 बजे लंच टाइम होता है….
मैं: ठीक है…..
नाज़िया: देखो फ़ारूक़ तुम मुझे कभी भी कॉल मत करना…जब भी मुझे बात करनी होगी मैं तुम्हे मिस कॉल दे दिया करूँगी….फिर सबसे अलहिदा होकर मुझे कॉल कर लिया करना….
मैं: और कोई हुकम….
नाज़िया: हहा बस इतना ही औरत हूँ ना ख़याल रखना पड़ता है इन बातों का…
ऐसे ही बातें -2 करते मेरा कॉलेज आ गया….मैं बस से नीचे उतर गया…अब बस देर थी तो नाज़िया के साथ किसी ऐसी जगह मीटिंग फिक्स करने की जहाँ मैं उसे जी भर कर चोद सकता…..खैर मैं कॉलेज से 1 बजे निकल कर बस पकड़ कर गाओं आ गया…
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