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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैने अपना मोबाइल निकाला और रात को नाज़िया से मोबाइल पर हुई बात जिसकी रेकॉर्डिंग मैने सेव कर रखी थी..उसे चालू किया….जैसे ही उसने वो रेकॉर्डिंग सुनी… नाज़िया के फेस कर रंग पीला पड़ गया….”जाओ अब जिसे जाकर बताना है बता दो… कोई भी मुझे गुनेहगार नही कहेगा….सब तुम्हे ही ग़लत कहेंगे….” मेरी बात सुन कर नाज़िया कुछ ना बोली…और आगे जाने लगी….मैने नाज़िया का हाथ पकड़ लिया…”हाथ छोड़ो मेरा…..” नाज़िया ने मेरी तरफ गुस्से से देखते हुए कहा….उसकी नाक गुस्से से फूल रही थी….”बाइक पर बैठ जाओ…इतनी रात में ऐसे अकेला जाना ठीक ना होगा..”
नाज़िया: मैने कहा ना तुमसे हाथ छोड़ो मेरा….छोड़ो मुझे….
मुझे और कुछ तो सूझा नही….मैने एक और जोरदार थप्पड़ नाज़िया के गाल पे दे मारा… नाज़िया हैरत से अपने गाल पर हाथ रख कर मुझे रुवासि आँखो से देखने लगी…”बैठती हो कि नही….” मैने फिर से मारने के लिए हाथ उठाया ही था कि, नाज़िया सर झुकाए बाइक पर बैठ गयी…मैने बाइक स्टार्ट की और हम गाओं की तरफ चल पड़े.. रास्ते में नाज़िया पीछे बैठी हिचकयाँ लेती रोती रही….
घर पहुँचते ही नाज़िया बाइक से नीचे उतर गयी…उसने गेट का लॉक खोला और बिना पीछे देखे सीधा अपने रूम में चली गयी….मैने बाइक अंदर की और गेट की कुण्डी लगा कर अपने रूम मे आ गया….घबरा तो मैं भी थोड़ा सा गया था… पर मुझे पूरा यकीन था कि, नाज़िया आज रात जो भी हुआ है…उसके बारे मे किसी को कुछ भी नही बताएगी…
उस रात जेहन मे यही ख्याल आते रहे….पता नही कब नींद आए…..जब उठा तो, 8 बज चुके थे….मैं उठ कर बाहर आया तो देखा नाज़िया किचन में खाना बना रही थी…मैं सीधा बाथरूम में चला गया….और जब फ्रेश होकर बाहर आया तो, देखा कि टेबल पर खाना लगा हुआ था..मैं नाश्ता करने बैठ गया….थोड़ी देर बाद नाज़िया किचन से बाहर आई…उसने हाथ में नाश्ते के प्लेट और चाइ का कप पकड़ा हुआ था…वो किचन से बाहर निकल कर अपने रूम में जाने लगी तो, मेरी नज़र नाज़िया के चेहरे पर पड़ी….उसके होंटो के पास कट का निशान लगा हुआ था….वहाँ से स्किन में हल्का सूजा हुआ भी नज़र आ रहा था….वो हिस्सा पूरा लाल सुर्ख हो चुका था. मैं अंदर से पूरा हिल गया था….
मैं अंदर ही अंदर खुद को कोस रहा था….कि आख़िर मैने नाज़िया पर हाथ क्यों उठाया….मुझसे रहा ना गया….मैने नाश्ता छोड़ा और उठ कर नाज़िया के रूम मे गया….नाज़िया बेड के किनारे पर बैठी हुई थी….उसने अभी नाश्ता शुरू भी नही किया था…मुझे रूम में देख कर नाज़िया ने चोंक कर खोफ़जदा आँखो से मेरी तरफ देखा..मैं बेड की तरफ बढ़ा…और सर झुका कर उसके सामने खड़ा हो गया… मुझे कुछ समझ में नही आ रहा था कि, मैं कहाँ से बात शुरू करूँ…
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
.”तुम यहाँ क्या लेने आए हो…” नाज़िया ने सहमी से आवाज़ में पूछा….
मैं: आइ आम सॉरी….आइ आम रियली सॉरी…..मैं तुम्हे हर्ट नही करना चाहता था….
मैने सर उठा कर नाज़िया की तरफ देखा तो वो मुझे अजीब सी नज़रों से देख रही थी….”प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो….मेरी वजह से तुम्हे बहुत चोट पहुँची है…आइ आम रियली सॉरी…”
नाज़िया: तुम जिस जखम के लिए माफी माँग रहे हो….उसके लिए मैं तुम्हे माफ़ भी कर देती….और ये जखम दो तीन दिन में भर भी जाते….पर जो जखम तुमने मेरी रूह को दिए है….वो कभी नही भरेंगे…और उसके लिए मैं तुम्हे ता उम्र माफ़ नही करूँगी…..
मैं: वो मैं मैं बहक गया था….प्लीज़ मुझे मुआफ़ कर दो….
नाज़िया: बहक गये थी….तुमने मेरे खिलाफ इतनी बड़ी साज़िश की….और तुम कहते हो तुम बहक गये थे….इतने दिनो से मेरे साथ खेल खेल रहे थे….तुम्हे एक बार भी अहसास नही हुआ कि, तुम कितना बड़ा गुनाह करने जा रहे हो….इंसान हमेशा कुछ लम्हो के लिए बहकता है…पर तुम तो, इतने दिनो से मेरे साथ इतना गंदा खेल खेल रहे थे….समीर जो गुनाह तुमने किया है….उसके लिए मुआफी ना तो मेरे पास है…और ना ही खुदा के पास….
मैं: इसमे मेरा कोई कसूर नही है….
नाज़िया: वाह……अगर इसमे तुम्हारा कसूर नही है तो किसका है….तुम्हारे अब्बू की परवरिश का….हां बोलो…क्या तुम्हारे अब्बू ने तुम्हे यही सब सिखाया है..
मैं: इंसान को सब कुछ माँ बाप तो नही सिखाते ना….कुछ इंसान वक़्त के साथ खुद ही सीख जाता है…
नाज़िया: वाह तुम्हे तो ये सब बोलते हुए भी शरम आनी चाहिए….वक़्त और तुज़ुर्बे से तुमने यही सब सीखा है…
मैं: (अब मेरा गुस्सा आसमान पर था…और मैं किसी बॉम्ब की तरह फटने वाला था…) हां यही सब सीखा है…मैं तुमसे प्यार करता हूँ…वक़्त ने मुझे तुमसे प्यार करना सिखाया है…मैं जब भी तुम्हे देखता हूँ….मैं खुद को भूल जाता हूँ…भूल जाता हूँ कि तुम मेरे अब्बू की दूसरी बीवी हो….भूल जाता हूँ कि, हम दोनो की उम्र में कितना फ़र्क है…बस याद रहता है….तुम्हारी ये खूबसूरत आँखे… तुम्हारे ये गुलाब जैसे होन्ट….तुम्हारा गोरा जिस्म….जिसने मुझे पागल कर दिया है… हर वक़्त हर लमहे तुम्हे पाने के खवाब देखता रहता था…हर पल तुम्हे बाहों में लेकर प्यार करने की ज़रूरत महसूस करता था…पर तुम नही समझो गी…
नाज़िया: वाहा वाह….(नाज़िया ने क्लॅप करते हुए कहा….) तो तुमने बड़ा अच्छा तरीका निकाला अपने प्यार कर इज़हार करने का…तुमने मुझे धोके से इस्तेमाल किया है…
मैं: अगर मैं धोकेबाज हूँ…तो तुम भी कोई दूध के धूलि हुई नही हो….तुम भी तो धोका दे रही थी अब्बू को….उनकी पीठ पीछे फ़ारूक़ यानी मेरे साथ तुम खुद अपनी मरज़ी से नही गयी थी वहाँ पर….पर सच यही है कि, तुम्हे भी किसी अपने की तलाश थी…और मुझे भी….और अगर मैं तुम्हे कहता भी कि, मैं तुम्हे प्यार करता हूँ तो क्या तुम मान जाती…नही ना…मैं तुम्हारे प्यार इश्क में इस क़दर पागल हो गया था कि, मुझे तुम्हे पाने का एक यही रास्ता नज़र आया….
नाज़िया: झूठ और कितना झूठ बोलोगे तुम…..तुम्हे सिर्फ़ सेक्स करना था मुझसे और कुछ नही…तुम मुझसे प्यार नही करते…तुम्हे मेरी बॉडी अच्छी लगती थी….सच यही है कि, तुम इस जिस्म को पाना चाहते थे मुझे नही….
मैं: हाँ अगर सिर्फ़ सेक्स ही करना होता तो, इस दुनिया में तुम ही अकेली औरत नही हो… कई खूबसूरत औरतें और लडकयाँ मेरे आगे पीछे घूमती है….जब चाहू उन्हे चोद सकता हूँ….मेरे एक इशारे पर कई लडकयाँ और औरतें नंगी होने को तैयार हो जाती है….
नाज़िया: खवाब देखना अच्छी बात है….देखते रहो….तुम हवस के शिकार हो और कुछ नही…
मैं: अच्छा तो तुम्हे यकीन नही….अब देखना…मैं तुम्हारे सामने ही इसी घर में इसी गाओं की कितने औरतों को चोदता हूँ….
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैं नाज़िया के रूम से बाहर आ गया….नाज़िया बॅंक जाने के लिए तैयार भी नही हुई थी…और वो सूजा हुआ मुँह लेकर बॅंक जा भी नही सकती थी….मैने नाश्ता किया और अपने रूम में जाकर बेड पर लेट गया….पता नही क्या-2 सोचता रहा…कैसे-2 ख़याल दिमाग़ में आ रहे..जैसे ही 10 बजे मैं उठ कर अपने रूम से बाहर आया और नाज़िया के रूम की तरफ देखा….डोर खुला हुआ था…पर आगे परदा किया हुआ था…मैं घर से निकल कर बाहर आ गया….मैने फ़ैज़ के घर लॅंडलाइन नंबर पर कॉल किया…जो सबा के रूम में था….थोड़ी देर बाद सबा ने फोन उठाया….
सबा: हेलो…
मैं: हेलो सबा… मैं समीर बोल रहा हूँ….
सबा: समीर हां बोलो….आज कैसे याद आ गयी मेरी…..
मैं: मुझे तुमसे ज़रूरी काम था….
सबा: हां बताओ…
मैं: तुम्हे याद है….तुमने मुझसे कहा था कि, जब मुझे ज़रूरत होगी…तुम मेरे लिए कुछ भी करने को तैयार हो जाओगी….
सबा: हां अच्छी तरह याद है…बताओ तो सही क्या बात है…..
मैं: बात ये है कि तुम्हे अभी मेरे घर पर आना है….
सबा: अभी….
मैं: हां….
सबा: पर हुआ क्या बताओ तो सही…
मैं: सबा देखो नाज़िया घर पर है…और उसकी मज़ूदगी मे मैने तुम्हारी लेनी है….
सबा: समीर पागल तो नही हो गये….पता भी है क्या कह रहे है तुम…..
मैं: बस उस वक़्त बड़ी-2 बातें करनी ही आती थी….अब जब वक़्त आया तो मुकर गयी….
सबा: नही वो बात नही समीर…नाज़िया के सामने……अगर उसने देख लिया तो…
मैं: यही तो मैं चाहता हूँ….
सबा: तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नही हो गया समीर….उसने पूरे गाओं को बता देना है…और मैने कही का नही रहना….क्यों इस उम्र में मेरी बदनामी करवाना चाहते हो….
मैं: वो देखेगी भी और किसी को बताएगी भी नही….
सबा: ये कैसे हो सकता है….क्यों मुझे मरवाना है….
मैं: तुम डरती हो….?
सबा: बात डरने की नही है समीर….
मैं: तो फिर देखो नाज़िया किसी को कुछ नही कहेगी…वो अपना मुँह नही खोल सकती…
सबा: वो क्यों….
मैं: वो इसलिए कि नाज़िया की दुखती नब्ज़ मेरे हाथ में है…जब चाहूं तो उसे दबा सकता हूँ…उसका एक ऐसा राज़ मेरे पास है कि, वो अपनी ज़ुबान तक नही खोलगी…
सबा: तुम्हे पूरा यकीन है ना कि, वो किसी को कुछ नही कहेगी….
मैं: हां पूरा यकीन है…अब तुम जल्दी से घर आ जाओ…..
मैने कॉल कट की और घर आ गया….मैने अंदर से गेट को कुण्डी लगा दी…और सबा के आने का इंतजार अपने रूम में आकर करने लगा…10:30 बजे बाहर डोर बेल बजी… मैं अपनी जगह बैठा रहा….मैं चाहता था कि, नाज़िया खुद जाकर गेट खोले….डोर बेल फिर से बज़ी….मेरा ध्यान बाहर ही था..थोड़ी देर बाद नाज़िया रूम से निकल कर बाहर गयी..और फिर मुझे गेट के खुलने की आवाज़ सुनाई दी….मैं अपने रूम के डोर पर आया और बाहर देखा तो, सबा खड़ी थी…उसने नाज़िया को सलाम किया…
नाज़िया सबा को पहली बार देख रही थी…पर वो फ़ैज़ को अच्छी तरह जानती थी…”जी… आप….” नाज़िया ने सबा को देखते हुए पूछा…
.”मैं फ़ैज़ की अम्मी हूँ सबा…” सबा ने मुस्करा कर जवाब दिया….
“ओह्ह आए अंदर आइए…” सबा अंदर आ गयी…नाज़िया सबा को गेट के साथ वाले रूम में ले गये…जिसे हम ड्रॉयिंग रूम की तरह यूज़ करते थे.. उसके साथ वाला रूम नजीबा का था….मैने अपनी कमीज़ उतार दी..और शलवार के ऊपेर से अपने लंड को दबाने लगा….मैं जल्द से जल्द अपने लंड को खड़ा कर लेना चाहता था….मुझे पता था कि, नाज़िया मुझे बुलाने के लिए मेरे रूम में ज़रूर आएगी…
मैने 6-7 बार लंड को दबाया ही था कि, लंड फुल हार्ड हो गया…तभी नाज़िया रूम में आई…मैं बेड पर बैठा हुआ था…उसने मेरी तरफ देखा और बोली…”फ़ैज़ की अम्मी आई है…तुमसे मिलने….”
मैं: मुझसे मिलने क्यों….?
नाज़िया: मुझे क्या पता…जाकर मिल लो…..मैं चाइ बनाने जा रही हूँ…तुम पीओगे..
मैं: नही…
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैं बेड से खड़ा हुआ था…तो नाज़िया की नज़र शलवार में खड़े मेरे लंड पर पड़ी… उसने शलवार को आगे से ऊपेर उठा रखा था….ऊपेर से मेने टीशर्ट पहन ली थी….उसके नज़रे मेरे लंड पर अटकी हुई थी…..जैसे ही मैं बाहर जाने लगा तो, नाज़िया ने काँपती हुई आवाज़ से कहा….”कपड़े तो पहन लो….”
मैने नाज़िया की तरफ देखा पर बोला कुछ नही….और रूम से बाहर निकल कर ड्रॉयिंग रूम में आ गया… जब मैं ड्रॉयिंग रूम में पहुँचा तो, देख सबा भी सहमी से बैठी थी…. मैं सबा के सामने खड़ा हो गया…उसने भी एक बार मेरी शलवार में खड़े लंड को देखा और फिर सवालिया नज़रों से मेरी तरफ देखते हुए बोली….
सबा: समीर कुछ होगा तो नही…
मैं: कुछ नही होगा…अगर कुछ होना होता तो, मैं इतना बड़ा कदम उठाता ही क्यों…बस इतना समझ लो कि तुम ये सब करके मेरी बहुत बड़ी मदद कर रही हो…
सबा: अगर ये बात है तो, मैं भी कुछ भी करने के लिए तैयार हूँ….
मैं: अच्छा ठीक है…तुम यही बैठो…जैसे ही मैं तुम्हे कहूँगा शुरू हो जाना…
सबा ने हां मैं सर हिलाया तो, मैं रूम के डोर के पास आकर खड़ा हो गया… और किचन की तरफ देखते हुए अपने लंड को शलवार से बाहर निकाल कर हिलाने लगा…थोड़ी देर बाद नाज़िया मुझे किचन से बाहर आती हुई नज़र आई….मैं जल्दी से सोफे पर सबा के पास जाकर बैठ गया….रूम के डोर पर परदा लगा हुआ था…पर साइड से अंदर देखा जा सकता था….
मैने सबा के हाथ को पकड़ कर अपने लंड पर रखा और उसके होंटो को अपने होंटो में लेकर चूसना शुरू कर दिया…फिर मैने जैसे ही उसके होंटो पर अपने होंटो का दबाव बढ़ाया तो, उसने अपने होंटो को ढीला छोड़ दिया….मैं उसके होंटो को अपने होंटो में दबा-2 कर चूसने लगा…उसके होंटो को अपने दाँतों से काटने लगा….वो साँस लेने के लिए अपने होंटो को मेरे होंटो से अलग करती और फिर मेरे चेहरे को अपने हाथो से पकड़ कर अपने होंटो पर झुका देती…इतनी देर में नाज़िया को रूम के अंदर आ जाना चाहिए था…अगर वो अंदर नही आई थी…तो इसका मतलब सॉफ था कि, या तो वो मुझे और सबा को इस हाल में देख कर वापिस जा चुकी थी….या फिर दीवार की आड़ से छुप कर हमे देख रही थी…मैने सबा के होंटो को चूस्ते हुए बाहर देखा पर मुझे नाज़िया नज़र नही आई….सबा लगातार मेरे लंड को हिलाए जा रही थी…
मैने फिर से उसके होंटो को अपने होंटो में भर कर उसके होंटो को चूसने लगा…सबा ने अपने दोनो हाथों को नीचे लेजाते हुए, अपनी इलास्टिक्क वाली शलवार को उतार दिया…..और फिर मेरा एक हाथ पकड़ कर अपनी पैंटी के अंदर डाल दिया. और फिर अपने होंटो को मेरे होंटो से अलग करते हुए मेरी आँखो में झाँकते हुए बोली “सीईई देखो ना समीर….ये कितनी गीली है….सुबह से तुम्हारे बारे में सोच -2 कर पानी छोड़ रही है…”
मैने उसकी फुद्दि के लिप्स में जैसे ही अपनी उंगलियों को फिराया तो, मेरी हैरानी का ठिकाना नही रहा….उसकी फुद्दि उसके अंदर से निकल रहे गाढ़े लेसदार पानी से सरोबार थी….उसकी पैंटी भी नीचे से गील हो चुकी थी….मैने भी उसके आँखो में देखते हुए, उसकी फुद्दि के सुराख पर जैसे ही अपनी दो उंगलियों को दबाया तो, मेरी उंगलियाँ उसकी फुद्दि में फिसलती हुई अंदर चली गयी….
“ओह उम्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह समीर….सुबह से मेरी फुद्दि में खुजली हो रही थी.…समीर…..प्लीज़ मुझे चोदो ना” मैने सबा की फुददी में तेज़ी से अपनी उंगलियों को अंदर बाहर करना शुरू कर दिया…मैने अपने दूसरा हाथ ऊपेर लेजाते हुए उसकी कमीज़ को ऊपेर करना शुरू कर दिया…तो, उसने खुद भी अपने हाथो अपनी कमीज़ और ब्रा को ऊपेर उठा दिया.....जैसे ही सबा के कसे हुए मम्मे उसकी ब्रा की क़ैद से आज़ाद हुए.....मैं सबा के मम्मो पर घुरते हुए टूट पड़ा....और उसके तने हुए निपल को मुँह में लेकर पागलो की तरह चूसने लगा...."उंह समीररर ओह्ह्ह्ह चूस लो मेरे दूध...अह्ह्ह्ह तेज-2 चूसो उम्ह्ह्ह्ह्ह" मैने सबा के दूसरे निपल को अपनी उंगलियों में लेकर जैसे ही दबाना शुरू किया तो, सबा ने अपने मम्मे को पकड़ कर मेरे मुँह में और धकेलना शुरू कर दिया....
सबा अब पूरी तरह मदहोश हो चुकी थी....वो अपने हाथ से मेरे लंड को तेज़ी से हिला रही थी....मैं उसके मम्मे को और ज़ोर-2 से चूसने लगा....तो उसने भी मेरे लंड को तेज़ी से हिलाना शुरू कर दिया...फिर सबा एक दम से अलग हुई, और अपनी पैंटी को उतार कर वही सोफे पर फेंक दिया...सबा खड़ी हुई और उसने मुझे सोफे पर धक्का देकर बैठा दिया....और खुद मेरे एक साइड पर सोफे पर चढ़ते हुए, मेरे लंड को पकड़ कर अपनी जीभ निकाली और फिर लंड के कॅप को जीभ पर मारते हुए मेरी आँखो में झाँका.......
सबा: समीर तुम्हारा लॉलीपोप बहुत टेस्टी है.....दिल करता है...इसे दिन भर चुस्ती रहूं....
ये कहते हुए सबा ने मेरे लंड की कॅप को अपने होंटो में भर लिया... और फिर अपने होंटो का दबाव मेरे लंड के कॅप पर बढ़ाते हुए धीरे-2 अंदर बाहर करने लगी...मैने सबा के बालो पकड़ कर उसके सर को अपने लंड पर दबाना शुरू कर दिया...अचानक से मेरी नज़र डोर पर पड़ी...बाहर नाज़िया आँखे फाडे देख रही थी...धीरे-2 सबा की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी....वो और तेज़ी से मेरे लंड के चुप्पे लगाने लगी थी.....
फिर सबा एक दम से उठी और अपनी फुद्दि मे अपनी उंगलियों को घुसाते हुए दो चार बार अंदर बाहर किया और फिर अपनी उंगलियों पर लगे फुद्दि से निकले कामरस को मेरे लंड के कॅप के चारो तरफ फेलाते हुए मलने लगी....
और अगले ही पल सबा मेरे ऊपेर दोनो तरफ टाँगे फेला कर बैठ गयी....मैने अपने लंड को पकड़ कर उसकी फुद्दि के सुराख पर जैसे ही लगाया तो सबा एक दम से सिसक उठी....उसने अपनी दोनो हाथो को मेरे चेस्ट पर रखा और धीरे-2 अपनी बुन्द को नीचे की ओर दबाने लगी.... उसकी फुद्दि का सुराख मेरे लंड के कॅप के चारो तरफ फेलने लगा...और मेरे लंड का कॅप उसकी फुद्दि के सुराख को फैलाता हुआ अंदर जा घुसा....कुछ ही पलों में सबा की फुद्दि में मेरा पूरा लंड अंदर बाहर हो रहा था...मैं लगतार सबा की बुन्द के दोनो पार्ट्स को फैला-2 कर दबा रहा था....और बीच -2 में सबा की बुन्द पर थप्पड़ जड देता...
सबा की गोरे-2 चुतड़ों पर मेरी उंगलयों के लाल निशान छप्प चुके थे.....वो और भी मदहोश होकर तेज़ी से अपनी बुन्द को ऊपेर नीचे उछालने लगी थी...."ओह्ह्ह्ह हाईए समीर चोद मुझे….अह्ह्ह्ह तेरा लंड मैं तो तेरे लंड की गुलाम हो गयी हूँ… समीर....ओह्ह्ह्ह आज कितने दिनो बाद फुद्दि को सकून आया है….कल मेरी बुन्द की खुजली भी मिटा देना….तुम्हारे लंड को वहाँ लिए हुए भी कई दिन हो गये है… ओह्ह्ह हाईए मेरी फुद्दि ने अह्ह्ह ओह्ह्ह समीर.....ओह्ह्ह्ह मूत गइई ओह्ह्ह साली उंह.......
बाहर नाज़िया हैरत भरी नज़रों से हम दोनो की तरफ देख रही थी…मैं सीधा उसे नही देख रहा था….तिरछी नज़रो से देख रहा था…जैसे ही मेरे लंड ने सबा की फुद्दि में पानी छोड़ा….तो मैने सीधे-2 नाज़िया की तरफ देखा….जैसे ही हमारी नज़रें मिली…मैने मुस्कराते हुए उसे आँख मार दी…नाज़िया फॉरन वहाँ से पीछे हट गयी….सबा मेरे ऊपेर से उठ कर सोफे पर बैठ गयी….और अपनी पैंटी उठा कर पहले उसने मेरे लंड को सॉफ किया और फिर अपनी फुद्दि को…..मैने शलवार पहनी और सबा को एक शोप्पर दिया…जिसमे उसने अपनी पैंटी डाली और अपने कपड़े पहनने लगी… “अब खुश हो….” सबा ने मुस्कराते हुए कहा…
मैं: हां बहुत खुश हूँ….
सबा: अब देखना कही वो कोई बेखेड़ा ना खड़ा कर दे….
मैं: मैने कहा ना फिकर करने की कोई ज़रूरत नही….कुछ नही होता…अभी तक कुछ हुआ क्या…
उसके बाद सबा चली गयी….मैनें गेट बंद किया और जैसे ही मूड कर अपने रूम में जाने लगा तो, देखा नाज़िया बरामदे में खड़ी मेरे तरफ देख रही थी… उसका चेहरा गुस्से से सुर्ख हो रहा था…और वो लंबी-2 साँस ले रही थी…
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
नाज़िया की आँखे गुस्से से लाल हो रही थी…..वो अपनी नाक से लंबी-2 साँस खेंचते हुए मुझे घूर कर देख रही थी…मैं अपने रूम की तरफ बढ़ा….मैं भी उसके आँखो में आँखे डाले आगे बढ़ रहा था…और हर तरह के हालात के लिए तैयार था… मैं उसके आँखो में देखते हुए साइड से होकर आगे जाने लगा तो, नाज़िया की उँची आवाज़ कानो में पड़ी….”रूको….”
मैं वही रुक गया…..और नाज़िया की तरफ मुड़ा…वो अभी भी बाहर की तरफ फेस किए खड़ी थी….”हां बोलो….”
नाज़िया ने घूम कर मेरी तरफ फेस किया और एक लंबी साँस लेन के बाद बोली….” तुमने इस घर को क्या समझ रखा है…..?” नाज़िया ने अपनी जहर बरसाती आँखो से मुझे देखते हुए कहा….उसकी आँखो से ऐसे लग रहा था….जैसे वो अभी मेरा कतल कर देगी….
“मेरा घर है…..मैं जो चाहे जो करूँ….तुम्हे क्या..?” पर मैने भी सोच लिया था कि ईंट का जवाब पत्थर से देना है…
नाज़िया: क्या कहा तुमने तुम्हारा घर हाँ….और तुम इस घर की बड़ी इज़्ज़त बना रहे हो… इस घर को रंडी खाना समझ रखा है तुमने तो…मैं इस घर में ये सब हरगिज़ नही होने दूँगी….आइन्दा तुमने कभी इस घर में कोई ऐसी हरक़त क़ी तो, मैं तुम्हारे अब्बू को बता दूँगी…
मैं: हाहहः जिस दिन तुम ये बात अब्बू को बताओगि….वो दिन तुम्हारा इस घर में आखरी दिन होगा…अब्बू को सब बता दूँगा…वो खुद तुम्हे घर से धक्के देकर बाहर निकाल देंगे…..और रही बात घर की तो, इस घर में क्या होगा और क्या नही होगा वो मेरी मरज़ी से होगा…तुम्हारी नही….
नाज़िया: तुम्हारी ग़लत फेहमी है…
मैं: अच्छा….रोक सकती हो तो रोक लो….
मैने वही खड़े-2 अपनी शलवार का नाडा खोल कर अपने लंड को बाहर निकाल लिया…और नाज़िया के सामने खड़े-2 ही अपने लंड को हिलाने लगा….”ले उखाड़ ले मेरा लंड जो तूने उखाड़ना है….” गुस्से और जोश में मैं पागल हो गया था….और उस गुस्से और जोश में मेरा लंड पूरा खड़ा हो गया था…ये सब इतनी तेज़ी से हुआ था कि, नाज़िया को कुछ सोचने समझने का मोका भी नही मिला…..नाज़िया हैरत से आँखे फाडे कभी मेरे चेहरे तो कभी मेरे सख़्त तने हुए 8 इंच लंबे लंड को देखती…”क्यों पसंद है…अगर पसंद है तो हां बोल दो….आगे से इस घर में और कोई औरत नही आएगी…” मैने आँख मार कर नाज़िया को कहा…तो नाज़िया ऐसे हड़बड़ाई जैसे किसी ख्वाब से जागी हो….
नाज़िया: अपनी हद में रहो….( और नाज़िया ने मेरी तरफ अपनी पीठ कर ली….)
मैने अपने लंड को हिलाते हुए नाज़िया के बिल्कुल पास चला गया….मैं उसके ठीक पीछे खड़ा था…और नाज़िया की साँसे बहुत तेज चल रही थी…मैने अपने होंटो को उसके कान के पास लेजा कर धीरे से सरगोशी में कहा…”क्यों क्या हुआ…मूह क्यों घुमा लिया… ये वही लंड है….जिससे तुम रोज बस में अपनी बुन्द के बीच मे लेकर खड़ी होती थी…अब क्या हो गया….”
नाज़िया के जिस्म में झुरजुरी सी दौड़ गयी….और नाज़िया वहाँ से तेज़ी से पलट कर अपने रूम मे जाते हुए बोली….”मूज़े तुम जैसे बदतमीज़ और गँवार इंसान के मूह नही लगना…
.मैं वहाँ खड़ा मुस्करता रहा..फिर अपनी शलवार ऊपेर की और अपने रूम मे आ गया….और बेड पर लेट गया…
बेड पर लेटा हुआ था….दिल में अजीब सा सकून था…ऐसे ही लेटे-2 नींद आ गयी….जब आँख खुली तो दोपहर के 2 बज रहे थी…मैं अंगड़ाई लेता हुआ बाहर आने लगा तो, मुझे दूसरे रूम से नाज़िया की आवाज़ आई….वो किसी से फोन पर बात कर रही थी…जब मैं रूम के डोर के पास जाकर खड़ा तो अहसास हुआ कि, नाज़िया अपनी अम्मी से बात कर रही थी….बातो से लग रहा था कि, उसकी अम्मी की तबीयत खराब है…”जी अम्मी वैसे भी मैं काफ़ी दिनो से सोच रही थी कि छुट्टी लेकर कुछ दिन आपके पास आ जाउ….जी नजीबा के तो स्कूल शुरू है…जी वो नही आ पाएगी मेरे साथ….”
अच्छा तो, पता चला कि नाज़िया अपनी अम्मी के घर जा रही थी…वो भी कल…तो नाज़िया ने कुछ दिनो के लिए मुझसे पीछा छुड़ाने का रास्ता खोज ही लिया था…मैं वहाँ से हट कर बाथरूम में चला गया…फ्रेश होकर अपने रूम में आया…और कपढ़े पहन कर घूमने के लिए निकल गया…ऐसे ही घूमते हुए मैं फ़ैज़ के घर चला गया… वहाँ बैठ कर उससे कॉलेज की बातें करने लगा…
फ़ैज़: तुम आज कॉलेज क्यों नही आए…
मई: ऐसे ही यार तबीयत ठीक नही थी…..
फ़ैज़: अर्रे यार सुन आज हम सब ने कॉलेज में प्लान बनाया था कि, हम कराची जा रहे है घूमने तुम भी चलो….
मैं: नही यार तुम जाओ…मेरा मूड नही है…
फ़ैज़: चल ना यार…3 दिन बाद जाना है…..
मैं: यार सच में घर पर कोई नही है अब्बू लाहोर गये हुए ट्रनिंग के लिए….समझा कर ना….
फ़ैज़: अच्छा चल यार तेरी मरजी…अच्छा तू बैठ मैं ज़रा बाथरूम होकर आता हूँ..
फ़ैज़ जैसे ही उठ कर हॉल का जाली वाला गेट खोल कर बाहर गया….तो सबा बाहर खुले में धूप सेक रही थी….उठ कर अंदर आ गयी….मैं हॉल मे सोफे पर बैठे हुए था…. सबा मेरे पास आई…और सोफे पर बैठ कर उसने थोड़ा परेशानी भरे अंदाज में पूछा…”समीर कुछ हुआ तो नही मेरे आने के बाद…..” मैने ना में सर हिला दिया…तो सबा ने एक बार जाली वाले गेट से बाहर देखा….वहाँ से सामने बाथरूम नज़र आता था…फिर सबा ने मेरी कमीज़ के नीचे से हाथ डाल कर मेरे लंड को शलवार के ऊपेर से पकड़ कर धीरे-2 दबाना शुरू कर दिया…”अच्छा किया तुमने फ़ैज़ को मना कर दिया….”
मैं: क्यों क्या हुआ….?
सबा: सुनो मेरे दूर के रिश्ते में मेरी फुफो है इस्लामाबाद में….वो काफ़ी दिनो से बीमार है….मैने उनका पता लेने जाना है…वो अकेली रहती है…घर काफ़ी बड़ा है… तुम मेरे साथ चलना…वहाँ तुम जैसे चाहे हम कर सकते है….
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