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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
नजीबा मेरी बगल में लेट गयी….उसने अपना सर मेरी चेस्ट पर रख लिया….और मेरी चेस्ट को सहलाते हुए बोली….”समीर कोई गड़बड़ तो नही होगी…? “
मेने फेस घुमा कर नजीबा की तरफ देखा….”क्या गड़बड़….”
नजीबा मेरी बात सुन कर शरमाने लगी…..”यही कि अगर मैं पेट से हो गयी तो….” मेने नजीबा की तरफ करवट बदली और उसके होंठो को चूमते हुए बोला….”कुछ नही होगा…मेरे पास प्रेगॅनेन्सी रोकने वाली टॅबलेट है….खा लेना”
नजीबा मेरी बात सुन कर फिर से शरमाने लगी….”अच्छा जी अगर टॅबलेट फैल हो गयी तो….” मेने उसकी तरफ करवट बदली और उसे अपनी बाहों में भर कर बोला… “तो क्या फिर मेरे बच्चे को जनम दे देना….” नजीबा ने मेरी चेस्ट पर मुक्का मारते हुए कहा…..”अच्छा जी अम्मी को क्या कहूँगी….”
“कह देना के समीर का बच्चा है…” नजीबा मेरी बात सुन कर फिर से शरमाते हुए मुस्कुराने लगी….हम एक दूसरे की तरफ मूह किए करवट के बल लेटे हुए थी….
मेरा मुरझाया हुआ लंड नजीबा की थाइस के बीच में रगड़ खा रहा था…जिसे महसूस करके नजीबा का बदन बीच-2 में कांप जाता…नजीबा की फुद्दि की गरमी से मेरा लंड कुछ ही पॅलो में फिर से खड़ा हो चुका था…पर में वैसे ही नजीबा को अपनी बाहों में लिए हुए लेटा रहा….नजीबा मुझसे ऐसे चिपकी हुई थी….कि हम दोनो के बीच में से हवा के गुजरने की भी जगह नही थी…नजीबा का बदन भट्टी की तरह दहक रहा था….नजीबा के बदन में कोई भी हलचल नही हो रही थी….मैं सोच रहा था कि, शायद नजीबा सो चुकी है…पर अचानक से नजीबा ने अपना एक हाथ नीचे लेजाते हुए मेरे लंड को मुट्ठी में भर लिया….और अपनी एक टाँग उठा कर मेरी कमर पर रखते हुए, मेरे लंड की कॅप को अपनी फुद्दि के सूराख पर सेट कर दिया…
जैसे ही मेरे लंड का कॅप नजीबा की फुद्दि के सूराख पर लगा, तो नजीबा की कमर ने जबरदस्त झटका खाया…..”उंह समीरर…..” नजीबा के मूह से मस्ती भरी आह निकल गये….उसने धीरे-2 अपनी कमर को मेरी तरफ पुश करते हुए, अपनी फुद्दि को मेरे लंड की कॅप पर दबाना शुरू किया तो, मेरे लंड का कॅप नजीबा की फुद्दि के सूराख को फैलाता हुआ अंदर जा घुसा…मेने भी अपनी कमर को आगे की तरफ पुश क्या, तो नजीबा एक दम से मस्ती से सिसकते हुए मुझसे पागलो की तरह लिपट गयी….और अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए हिलने लगी….मेरा लंड नजीबा की फुद्दि के अंदर बाहर होने लगा था….“आह, आह, आह, आह, ओह, समीर…..फक, आपका ये तो मुझे पागल कर देगा…..” नजीबा ने अब और तेज़ी से कमर हिलाते हुए सिसकारियाँ भरना शुरू कर दिया था….
और में भी अपनी कमर को और तेज़ी से हिलाते हुए उसके लय में लय मिला रहा था…” आइ’म सो हॅपी समीर, आइ’म सो हॅपी, आइ’म सो हॅपी, ओह फक मी… ओह मेरे खुदा… नजीबा एक दम मदहोश होकर सिसकारियाँ भर रही थी….उसकी सिसकारियाँ पूरे रूम में गूंजने लगी…
“नजीबा तुम सच में बहुत सेक्सी हो…..मुझे यकीन नही हो रहा….कि तुम मेरी बाहों में हो….”
मैं: ओह्ह्ह नजीबा…..प्लीज़ अपनी फुद्दि के पानी को मेरे लंड पर छोड़ो….…
नजीबा: रूको ख़ान सहाब, ये लो…जितना मरज़ी लो….ये फुद्दि भी आपकी है…और इसका पानी भी आपका है….
मैं: आहह नजीबा मेरा होने वाला है…..
नजीबा: हां कर लो ख़ान सहाब…….आपको नही पता आपको पाने के लिए मैं कितना तरसी हूँ….. मुझे और कस्के जफ्फि डालो ख़ान सहाब….मेरे जिस्म के हर हिस्से को रगाडो….मेरे जिस्म को प्यार करो समीर…ओह समीरररर आपकी बीवी ओह्ह आपकी नजीबा का काम भी होने वाला है…. सीईईईईई ओह समीर…
नजीबा का बदन बुरी तरह कँपने लगा….और वो तेज साँसे लेते हुए धीरे-2 शांत पड़ गयी….मेरा लंड भी दूसरी बार अपना लावा उगल चुका था…हम दोनो सर्द दिन में भी पसीने से तरबतर हो चुके थे….पर हम अभी भी एक दूसरे के होंठो को पागलो के तरह चूस रहे थे….करीब 10 मिनिट बाद हम नॉर्मल हुए तो, नजीबा बेड से नीचे उतर कर बाथरूम में चली गयी…और फिर थोड़ी देर बाद आकर अपने कपढ़े पहन कर मेरे पास आई और मेरे होंठो को चूमते हुए बोली….”समीर अब में जाउ….?” नजीबा की आँखो में प्यार ही प्यार भरा हुआ था….मेने उसे अपनी बाहों में भर लिया..और उसकी गर्दन पर अपने होंठो को रगड़ते हुए बोला….
मैं: जाना ज़रूरी है क्या…..?
नजीबा: जाना तो पड़ेगा ही…स्कूल का टाइम ख़तम हो रहा है…अगर मुझे देर हुई तो कहीं मामी अम्मी को फोन नही कर दें….प्राब्लम हो जाएगी…..
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मैं नजीबा से अलग हुआ और बेड से उतर कर अपना अंडरवेर पहना और उसे प्रेगॅनेन्सी रोकने वाली टॅब्लेट्स दी…और कहा कि, वो दो घंटे बाद इसे खा ले…उसके बाद में बाथरूम में चला गया….और जब फ्रेश होकर आया तो, नजीबा बाथरूम में चली गयी….उसके बाद मेने अब्बू की बाइक निकाली और उसे उसकी मामी के गाँव के बाहर तक छोड़ आया….रास्ते में नजीबा ने कल फिर आने का वादा किया…. नजीबा बहुत खुश लग रही थी….खैर जब घर पहुँचा तो, 2 बज रहे थे…. मैं अपने रूम में जाकर बेड पर लेट गया….फिर पता नही चला कब आँख लग गयी…. जब आँख खुली तो, शाम के 5 बज चुके थी…मेने मूह हाथ धोया और घर को लॉक करके सबा के घर की तरफ चल पड़ा…मेने जाकर डोर बेल बजाई तो थोड़ी देर बाद सबा ने डोर खोला….उसने मुझे देख कर स्माइल की और मुझे अंदर आने को कहा….
मैं: फ़ैज़ है घर पर….
सबा: हां ऊपेर है….आओ…..
मैं सबा के साथ ऊपेर आ गया….फ़ैज़ ऊपेर हॉल में बैठा टीवी देख रहा था… मुझे देख कर उसने खड़े होकर हाथ मिलाया….और फिर मुझे अपने साथ सोफे पर बैठने को कहा….मैं फ़ैज़ के साथ सोफे पर बैठ गया…
फ़ैज़: अम्मी चाइ बना लो….
सबा: अभी बना कर लाती हूँ….
सबा चाइ बनाने किचन में चली गयी….”और सूनाओ भाई कहाँ रहते हो आजकल… कॉलेज क्यों नही आए….?” फ़ैज़ ने टीवी की ओर देखते हुए कहा….”वो यार तबीयत खराब थी….इसलिए नही आया……?”
फ़ैज़: क्या बात है मियाँ…..आज कल तुम्हारी तबयत बहुत खराब रहने लगी है.. किसी अच्छे डॉक्टर से इलाज शुरू कर्वाओ….या फिर कोई और मसला है….
मैं: यार और क्या मसला होना है…तबीयत ही खराब है….
फ़ैज़: अच्छा तुम बैठ कर टीवी देखो……में नहा कर आता हूँ….
मैं: यार ख़ैरियत तो, इस वक़्त सर्दी में नहा रहे हो….?
फ़ैज़: यार वो सुबह सुबह ठंड में नहाने का दिल नही करता….गीजर ऑन किया हुआ है…पानी गरम हो गया होगा…..फिर नहा कर जाना कहाँ है….यही राज़ाई में घुस जाना है….अच्छा तुम बैठो तब में नहा कर आता हूँ…..
फ़ैज़ उठ कर अपने रूम में चला गया…फिर वो टवल और अपने कपढ़े लेकर बाहर बने बाथरूम की तरफ चला गया….सबा किचन के डोर पर खड़ी होकर उसे देख रही थी…हॉल के एंटर्रेन्स पर जाली वाला डोर लगा हुआ था….जो बंद था…पर बाहर का सब कुछ नज़र आ रहा था…..जैसे ही फ़ैज़ ने डोर बंद किया….सबा किचन से निकल कर मेरे पास आ गयी….और मेरे साथ सोफे पर बैठते हुए बोली… “समीर कुछ हुआ तो नही….? “
मेने सबा की तरफ सवालिया नज़रों से देखा और फिर धीरे से बोला होना क्या है…
“ समीर मुझे बहुत डर लग रहा है…कही नाज़िया गाँव में या तुम्हारे अब्बू को नही बता दे…मैं तो जीते जी मर जाउन्गी…..”
मैं: मेने कहा था ना वो किसी को कुछ नही बताएगी….उसके यार का राज़ है मेरे पास तुम घबरा क्यों रही हो….
सबा: क्या….? (सबा ने चोंक कर मेरी तरफ देखा….)
मैं: सच कह रहा हूँ…..तुम घबराओ नही….
सबा ने मुस्कुराते हुए मेरी कमीज़ के नीचे हाथ डाला और शलवार के ऊपेर से मेरे लंड को पकड़ कर दबाने लगी…..उसने दो तीन बार ही मेरे लंड को दबाया था कि, मेरा लंड पूरी तरह सख़्त हो गया…”तोबा समीर तुम खाते क्या हो….ये तो इतनी जल्दी खड़ा हो गया….” सबा ने मुस्कुराते हुए मेरे लंड को दबाना जारी रखा…”
क्यों इस बेचारे को जगा रही हो….फिर ऐसे ही तड़पटा रहेगा….”
सबा: मेरे होते हुए इसे भला तड़पने की क्या ज़रूरत है….(सबा ने एक बार टट्टो से लेकर पूरे लंड को सहलाया और मुस्कुराते हुए खड़ी होकर किचन में चली गयी…)
मेरा लंड फिर से खड़ा हो चुका था….पर फ़ैज़ किसी भी वक्त बाहर आ सकता था… इसलिए में चुप चाप वही बैठा रहा….थोड़ी देर बाद फ़ैज़ भी नहा कर बाहर आ गया…और सबा हमारे लिए चाइ ले आई…हम दोनो इधर उधर की बातें करते रहे… सबा खाने की तैयारी में मशरूफ थी….फिर 7 बजे जैसे ही मैं उठ कर जाने लगा तो, फ़ैज़ ने कहा कि, मैं खाना खा कर ही जाउ…मेने उसे दो तीन बार मना किया पर फ़ैज़ नही माना…और फिर वहाँ से खाना खा कर फ़ैज़ से विदा लेकर बाहर आ आ गया…
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
सबा के घर से खाना खा कर मैं घर जाने के लिए निकला और जैसे ही थोड़ा आगे बढ़ा….पीछे से फ़ैज़ ने मुझे आवाज़ दी….मेने मूड कर देखा तो, फ़ैज़ भागता हुआ मेरे पास आया…
.”क्या हुआ फ़ैज़….ख़ैरियत तो है….?”
फ़ैज़ ने लंबी-2 साँसे ली और बोला….”यार मैं तुम्हे बताना ही भूल गया था….कि दो दिन बाद हम सब लोगो ने कराची घूमने जाने का प्रोग्राम बनाया है….तुम भी चलोगे साथ…हम तीन दिन वहाँ रुकेंगे…खूब मस्ती करने वाले है…होटल भी बुक करवा लिए है…”
मैं: नही यार मैं नही जा पाउन्गा…..तुम्हे तो पता है अब्बू और नाज़िया दोनो घर पर नही है….मैं नही जा सकता….
फ़ैज़: चल ना यार….
मैं: यार समझा कर अब्बू नही मानेगे….तुम लोग घूम आओ….मैं अगली दफ़ा तुम लोगो के साथ चलूँगा….
फ़ैज़: चल यार जैसे तुम्हारी मरज़ी….
उसके बाद फ़ैज़ वापिस चला गया….और मैं घर की तरफ जाने लगा…मेने देखा कि पूरा गाँव एक दम सुनसान पड़ा था…..ठंडी हवा चल रही थी….ठंड बहुत ज़्यादा हो चुकी थी…मैं सुनसान गली में आगे बढ़ रहा था…जैसे ही मैं सुमेरा चाची के घर के सामने से गुज़रा तो, सुमेरा मुझे अपने घर से बाहर निकलती हुई दिखाई दी…. उसने मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते हुए पूछा…. “समीर इस वक़्त कहाँ ठंड में घूम रहे हो….?”
मैं: वो में फ़ैज़ के घर गया था….और आप इस वक़्त कहाँ जा रही है….
सुमेरा: वो भैंस बाहर बँधी है….उसको कमरे में बांधने जा रही थी,…. ठंड तो दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है…
सुमेरा ने अपने घर के सामने वेल छोटे से मकान की तरफ जाते हुए कहा…मैं भी उसके पीछे अंदर आ गया….”रीदा कैसी है….?” मेने सबा के साथ अंदर आते हुए कहा…”वो ठीक है…..?”
मैं: और फ़ारूक़ चाचा कैसे है….?
सुमेरा: वो भी ठीक है….अभी खाना खा कर लेटे है…..
सबा ने बाहर शेड के नीचे बँधी भैंस को खोला और कमरे के अंदर लेजा कर बांधने लगी….अंदर 100 वॉट का बल्ब जल रहा था….सबा ने भैंस को बाँधा और फिर लाइट ऑफ करके बाहर आ गयी….फिर बाहर पड़े चारे को अंदर रखने लगी… मैं सुमेरा के साथ इधर उधर के बातें करने लगा….सुमेरा नीचे बैठ कर बाहर पड़े चारे को इकट्ठा कर रही थी….जब वो नीचे बैठती तो, पीछे से अपनी कमीज़ के पल्ले को अपनी कमर पर चढ़ा लेती….ताकि उसकी कमीज़ पीछे कच्ची ज़मीन पर गंदी नही हो….उसने चारे को टोकरी में भरा…और फिर जब खड़ी होकर टोकरी उठा कर रूम में जाने लगी…तो मेरी नज़र सुमेरा की मोटी बुन्द पर पड़ी…कमीज़ तो पहले से ही उसकी कमर पर इकट्ठी थी….
अब उसकी शलवार भी उसकी बुन्द की दरार में फँसी हुई थी…और चलते हुए उसकी बुन्द के दोनो पार्ट्स अलग-2 नज़र आ रहे थे….ये सब देख मैं तो जैसे अपने होश ही खो बैठा….पता नही मुझे क्या हुआ, कि मेने अपने शलवार को ढीला करके अपने लंड को बाहर निकाल लिया…और सुमेरा की तरफ बढ़ने लगा….सुमेरा इस बात से अंजान थी कि, आगे क्या होने वाला है….सुमेरा जैसे ही चारे की टोकरी रखने के लिए झुकी….मेने सुमेरा के पीछे आते ही, मेने सुमेरा को कमर से दोनो हाथो से पकड़ लाया….और उसकी इलास्टिक वाली शलवार को दोनो हाथो से पकड़ कर झटके से नीचे उसकी रानो तक उतार दिया….मेरा लोहे की रोड की तरह तना हुआ लंड सुमेरा क़ी बुन्द की दरार में जा धंसा…..
सुमेरा: अह्ह्ह्ह हाईए ओह्ह्ह मुंडिया की कर रहे है…..आह छोड़ो मुझे आह उम्ह्ह्ह सीईईई हाईए…..
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
सुमेरा जान बुझ कर मुझसे छूटने की कॉसिश कर रही थी….पर ऐसे करते हुए, वो अपनी बुन्द को मेरे लंड पर दबाते हुए, अपनी बुन्द को गोल-2 घुमा रही थी….”अह्ह्ह्ह समीर ये यी क्या कर रहे हो ओह्ह हट जा पुत्तर फ़ारूक़ घर पर है….और वो आ गया तो मैं उसके मूह दिखाने के लायक नही रहूंगी अह्ह्ह्ह…”
पर उसकी फुद्दि में तो आग लगी हुई थी…..”आह समीर ये तेरा लंड कितना हाईए कितना गरम है….” ये कहते हुए, सुमेरा अपना एक हाथ पीछे ले गयी. और मेरे लंड को अपने मुट्ठी में भर लाया….मेरा पूरा बदन झंझणा गया….”हट जा समीर पुत्तर क्या कर रहा है.. ओह्ह्ह समीर हट जा ना….”
पर उसने अपने मुट्ठी में पकड़े लंड को ऐसे अपनी फुद्दि के सामने कर दिया….जैसे सब अंजाने में हो गया हो….अब मेरा लंड सुमेरा की फुद्दि के लिप्स पर दस्तक देने लगा था….लंड के कॅप की गरमी अपनी फुद्दि के लिप्स पर महसूस करके, सुमेरा एक दम से सिसक उठी…
सुमेरा का पूरा बदन उतेजना में कांप गया….उसने अपने हाथ को जो मेरे लंड पर था….वहाँ से हटाते हुए, सामने दीवार पर दोनो हाथो को टिका लाया….सुमेरा ने सिसकते हुए अपनी बुन्द को पीछे की तरफ धकेला, तो उसकी फुद्दि का सूराख मेरे लंड के कॅप पर दब गया….सुमेरा की फुद्दि के लिप्स ने मेरे लंड के कॅप को जाकड़ कर फुद्दि के सूराख तक जाने का रास्ता दिया. और फुद्दि के सूराख ने सिकुड़ते हुए, मेरे लंड के कॅप को चूम कर वेलकम किया….
सुमेरा: हाईए समीर मेरीए फुद्दि मत मार अहह तेरीए लंड आह मेरी फुद्दि अह्ह्ह्ह मार जल्दी करर कहीं तेरा चाचा नही आ जाईए हाईए….
मैं भला अब कैसे रुक सकता था…मेने सुमेरा की कमर को दोनो तरफ से पकड़ कर एक ज़ोर दार धक्का मारा…मेरा 8 इंच का लंड सुमेरा की फुद्दि की दीवारों को फैलाता हुआ अंदर जा घुसा….अपनी फुद्दि की दीवारो पर लंड के कॅप की रगड़ को महसूस करके, सुमेरा एक दम मस्त हो गयी….उसका पूरा बदन रह-2 कर काँपने लगा….
सुमेरा ने पीछे की तरफ अपना फेस घुमा कर देखा और अपने फेस पर जान बुज कर नाराज़गी लाते हुए बोली….”तुम सच मैं बहुत बिगड़ गये हो… मेरी फुद्दि फाड़ दी….”हाईए ओह्ह्ह्ह धीरीए मार पुत्तर अह्ह्ह्ह अहह अहहा अह्ह्ह्ह चोद अपनी चाची को मार ले फुद्दि मेरी अहाआ….”
मेने सुमेरा की कमर को कस के पकड़ कर धनधन अपना लंड उसकी फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दया….सुमेरा भी अपनी बुन्द को पीछे की और धकेलते हुए, सिसकारिया भर रही थी….मेरी थाइस जब सुमेरा की बुन्द से टकरा कर तप की आवाज़ करती.….
मैं भी बहुत ज़्यादा एग्ज़ाइटेड हो गया था कि, 5 मिनट बाद ही मेरे लंड ने सुमेरा की फुद्दि में झटके खाने शुरू कर दिए…और सुमेरा की फुददी को पानी से भरना शुरू कर दिया…धीरे-2 मेरे धक्को की रफ़्तार कम होने लगी…मुझलो फारिघ् होता देख सुमेरा ने भी तेज़ी से अपनी फुद्दि को पीछे की तरफ लंड पर पटकना शुरू कर दिया…
सुमेरा: सीईईई अहह उंह समीर अह्ह्ह्ह मेरीए फुद्दि मार लीयी आह हइईई सीईईईईई सीईईईई अहह….
सुमेरा भी सिसकते हुए फारिघ् होने लगी….जब सुमेरा की सिसकारियाँ बंद हुई, सुमेरा आगे की तरफ हुई, तो मेरा लंड सुमेरा की फुद्दि से बाहर आ गया…मेरे लंड से लैस्दार पानी की तार बनती हुई नीचे की तरफ लटकने लगी…देखने में ऐसा लग रहा था…मानो सुमेरा की फुद्दि से कोई धागा निकल कर मेरी लंड पर लिपटा हो…
सुमेरा की फुद्दि से पानी बह कर उसकी सलवार पर गिरने लगा….सुमेरा ने फॉरन ही अपने हाथ से अपनी फुद्दि को दबा लिया…और फिर अपने दुपट्टे से अपनी फुद्दि को सॉफ किया, और मेरी तरफ घूमी…उसने देखा कि मेरा खड़ा लंड उसकी फुद्दि से निकले काम रस से एक दम भीगा हुआ है…
उसने इशारे से मुझे को अपने पास बुलाया…और सरगोशी से भरी आवाज़ में बोली…. “रीदा से मिलना है…..?”
मेने शलवार बाँधते हुए मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखा…..तो सुमेरा भी मुस्कुराते हुए बोली…..”रीदा भी तुझे बहुत याद कर रही थी….चल आ तुझे मिलवा देती हूँ…..”
मैं: पर वो चाचा….?
सुमेरा: अर्रे वो तो, शराब पीकर आया था…खाना खा कर बेड पर लेट गया था….अब तक तो सो गया होगा….
मैं: पर अगर वो जाग गया तो…….
सुमेरा: उसको में संभाल लूँगी….वैसे भी वो ऊपेर कम ही जाता है…
सुमेरा ने कपड़े ठीक किया और हम उस घर से निकल कर सुमेरा के घर में आ गये…सुमेरा ने आहिस्ता से गेट बंद किया…..और फिर मुझे गेट के पास खड़े रहने को कहा…और अंदर चली गयी…उसने अंदर जाकर फ़ारूक़ को देखा…और फिर मुझे रूम के डोर पर खड़े होकर ऊपेर जाने का इशारा किया…तो मैं दबे पाँव धीरे-2 सीढ़ियों के पास आ गया….और फिर ऊपेर चला गया…जैसे ही में ऊपेर पहुँचा तो देखा रीदा के रूम का डोर खुला था….
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मेने डोर पर खड़े होकर अंदर देखा तो, रीदा ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़े होकर अपने बालो को खोल रही थी…मैं एक दम से अंदर चला गया…तो रीदा ने चोन्कते हुए मूड पर कर मेरी तरफ देखा…”समीर तुम तुम इस वक़्त यहाँ.. “
मैं: क्यों मुझे यहाँ नही होना चाहिए था…..?मेने भी मुस्कुरा कर जवाब दिया…
.”नही ऐसी बात नही है….पर अब्बू नीचे है…तुम कैसे ऊपेर आ गये….?” रीदा ने जल्दी से रूम का डोर बंद करते हुए कहा….”तुम्हारे अब्बू तो, शराब पीकर और खाना खा कर नशे में चूर कब से सो गये है….”
रीदा: और अम्मी…..? (अब रीदा के होंठो पर मुस्कान आ चुकी थी…और उसने शोखी से चलते हुए मेरे पास आते हुए कहा….)
मैं: उसकी पुस्सी तो, सामने हवेली में ही ठंडी कर दी….
रीदा: (मेरे चेस्ट पर मुक्का मारते हुए…) बड़े गंदे हो तुम….जाओ पहले इसे धो कर आओ…
मैं: किसे…..
रीदा: (धीरे से सरगोशी करते हुए…) अपने लंड को……
मैं: ठीक है तुम भी अपनी फुद्दि को खोल कर बैठो…अभी आता हूँ….
मेने डोर खोला और ऊपेर वाले बाथरूम में जाकर अपने शलवार उतारी और अपने लंड को धो कर शलवार पहन कर वापिस रूम में आ गया…..जब मैं रीदा के रूम में दोबारा पहुँचा तो, रीदा ने बेड के साथ एक चारपाई बिछा रखी थी…जिस पर उसने बिस्तर डाल दिया था…और ऊपेर एक राज़ाई रखी हुई थी….और रीदा उसके ऊपेर लेटी हुई थी…उसने अपने ऊपेर रज़ाई नही ली हुई थी….बेड पर उसके दोनो बेटे सो रहे थे….रूम में 0 वॉट का बल्ब जल रहा था….
जैसे ही मेने रीदा को देखा…कि, उसने पहले से ही अपनी शलवार उतार रखी थी…उसके जिस्म पर क्रीम कलर का पतला सा कमीज़ था….मेने डोर बंद किया और अपनी शलवार और कमीज़ उतार कर टाँग दी…और फिर रीदा की तरफ मुड़ा और अपने मुरझाए हुए लंड को हाथ में लेकर हिलाते हुए धीरे-2 उसकी तरफ बढ़ा…रीदा ने शरमाते हुए करवट ली और फिर पेट के बल उल्टी लेट गयी….अब उसके नंगी मोटी गोश्त से भरी बुन्द मेरी आँखो के सामने थी…मेने चारपाई के किनारे पर बैठते हुए उसके नंगी बुन्द पर हाथ रखते हुए उसे उसके नाम से पुकारा……”रीदा ” जैसे ही मेने अपना हाथ उसकी नंगी बुन्द पर रखा और उसकी बुन्द के एक पार्ट को पकड़ कर दबाया तो, उसका पूरा बदन एक दम से कांप गया….
उसने नीचे बिछी चद्दर को अपने दोनो हाथों से कस्के पकड़ लिया….मैं चारपाई के ऊपेर आया…और अपने घुटनो को रीदा की रानो के दोनो तरफ करके उसकी बुन्द से थोड़ा सा नीचे उसकी रानो के ऊपेर बैठ गया….और उसके दोनो हाथो को पकड़ कर उसकी बुन्द के दोनो पार्ट्स पर रखते हुए कहा…..”चल अपनी बुन्द खोल….” रीदा ने फेस घुमा कर मेरी तरफ देखा…और स्माइल करते हुए बोली…”समीर तुम सच में बहुत गंदे हो गये हो….
”चल खोल ना….?”
रीदा: नही मुझे शरम आती है….
रीदा के बात सुनते ही मेने एक थप्पड़ उसकी बुन्द पर दे मारा…रीदा तो ऐसी हुई,जैसे अभी उछल पड़ेगी….पर मैं उसके ऊपेर बैठा हुआ….”चल खोल नही तो एक और आया…” मेने फिर थप्पड़ दिखाते हुए कहा…तो रीदा ने अपने फेस को बिस्तर पर दबा लिया…और अपने दोनो हाथो से अपनी बुन्द के दोनो पार्ट्स को पकड़ कर दोनो साइड में फैला दिया….जैसे ही उसकी बुन्द का भूरे रंग का सूराख मेरी आँखो के सामने आया…मेने अपनी उंगली को मूह में डाल कर थूक से गीला किया….और सीधा रीदा की बुन्द के सुराख पर लगा दिया….”सीईईईईईई समीर…आहह क्या कर रहे हो…..” रीदा ने सिसकते हुए अपने दांतो से चारपाई पर बिछी चादर को दबा लिया…”उम्ह्ह्ह्ह्ह…” रीदा का चेहरा वासना से एक दम सुर्ख हो गया था…मेने अभी थोड़ी सी उंगली को रीदा की बुन्द के अंदर किया था….कि, रीदा ने दर्द से सिसकते हुए कहा…..
“आह समीर प्लीज़ बच्चे सो रहे है…ये पंगे फिर कभी कर लेना….” मेने रीदा की बुन्द के सूराख से उंगली बाहर निकाली और उसके धीरे-2 उसकी फुद्दि के सूराख की तरफ लेजाने लगा….जैसे-2 मेरी उंगली उसकी फुद्दि के लिप्स को दबाते हुए उसकी फुद्दि के सूराख पर पहुँचाई तो रीदा ने अपनी टाँगो को फैलाते हुए अपनी बुन्द को ऐसे ऊपेर उठाया कि, उसकी फुद्दि बाहर की तरफ निकल आई….
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
उसकी साँसे तेज होने लगी थी….मेरे हाथ की हर हरक़त के साथ उसका बदन बुरी तरह कांप जाता… उसकी नाक से निकलने वाली हर साँस मुझे सॉफ सुनाई दे रही थी…..मेने थोड़ी देर उसकी फुद्दि के लिप्स के बीच अपनी उंगलियों को रगड़ा और फिर उसके ऊपेर से उठ कर उसे सीधा कर पीठ के बल लिटा लिया…मैं बिल्कुल नंगा था….इसीलिए सर्दी लगने लगी थी….मेने राज़ाई को ठीक किया और रीदा के ऊपेर लेटते हुए अपने दोनो के ऊपेर राज़ाई ले ली…..जैसे ही मैं रज़ाई ऊपेर लेकर रीदा के ऊपेर लेटा तो, रीदा ने आपनी बाज़ुओं को मेरी पीठ पर कसते हुए, अपने टाँगो को मेरे नीचे से निकाल कर खोल लिया….जिससे मेरी कमर से नीचे का जिस्म उसकी दोनो थाइस के दर्मियान आ गया… और मेरा फुल हार्ड लंड उसकी फुद्दि के लिप्स पर दब गया….
उसके आँखे बंद थी….और होंठ कांप रहे थी… उसके मम्मे उसकी कमीज़ में कसे हुए थे…उसके दोनो कबूतर उस पिंजरे से बाहर आने को फड़फदा रहे थे…और जैसे ही मेने उसके राइट मम्मे पर अपने हाथ को रख कर उसको दबाया तो, उसने सिसकते हुए अपना हाथ उठा कर मेरे हाथ के ऊपेर रख दिया……
हम दोनो के हाथ कांप रहे थे….पर वासना का नशा अब तक मेरे दिमाग़ पर हावी हो चुका था….मेने उसके मम्मो को धीरे-2 दबाना शुरू कर दिया…वो एक दम से सिसक उठी…”सीईईईई आह धीरे….” मेने उसके मम्मो को दबाते हुए उसके ऊपेर झुकते हुए उसके होंठो पर अपने होंठो को रख दिए….कुछ ही पॅलो में उसने अपने होंठो को खोल दिया….और मेरा साथ देने लगी….मैं पागलो की तरह उसके होंठो को चूस्ते हुए, उसके बदन के हर अंग को अपने हाथों से मसल रहा था…
मेने जैसे ही उसके मम्मो से हाथ हटा कर उसकी कमीज़ को पकड़ कर उतारने की कॉसिश की तो, उसने मेरे हाथों को पकड़ लिया…..”क्या हुआ रीदा…..” मेने उसकी बंद आँखो की तरफ देखते हुए कहा…..
रीदा: (कांपती हुई आवाज़ में) समीर इसे मत खोलो…..
मैं: क्यों तुम अभी करना नही चाहती हो….?
रीदा: वो बच्चो का पता नही कब उठ जाए…..
मैं: तो फिर…
रीदा ने अपनी मदहोशी से भरी आँखो को थोड़ा सा खोल कर मेरी तरफ देखा और फिर अपने कमीज़ को पकड़ कर ऊपेर उठाना शुरू कर दिया….उसने अपनी कमीज़ को गले तक उठा लिया…और फिर से आँखे बंद कर ली…..उसके एक दम सख़्त 38 साइज़ के मम्मे देख कर मुझसे रहा नही गया…..मेने झुक फिर से रीदा के होंठो को फिर से अपने होंठो में भर कर चूसने लगा…
और अपने दोनो हाथो से रीदा के मोटे-2 दोनो मम्मो को दबाने लगा…रीदा का हाथ अब धीरे-2 मेरे लंड की लंबाई चौड़ाई नाप रहा था…अगले ही पल जैसे ही मेरे लंड का कॅप रीदा ने अपनी फुद्दि के लिप्स पर रगड़ा तो.रीदा एक दम सिसकते हुए मचल उठी…”शियीयीयैआइयियीयियी” लंड का कॅप रीदा की दहकती फुद्दि के सूराख पर सेट हो चुका था…उसने मेरे लंड से हाथ हटा कर अपने दोनो हाथों से मेरे कंधो को पकड़ लाया…..उसकी आँखे अभी भी बंद थी…मेने जैसे ही लंड को अंदर की तरफ पुश किया….रीदा का बदन एक दम से तन गया…उसने अपने होंठो को अपने दाँतों में दबा लिया…
लंड का कॅप उसकी फुद्दि के लिप्स को फैलाता हुआ उसकी फुद्दि के सूराख पर जा लगा….”सीईईईईई समीरररर…..” उसने सिसकते हुए, मेरे कंधो पर अपने हाथों के पकड़ कर और कस लिया…उसका पूरा शरीर एक बार फिर बुरी तरह कांप गया…और जैसे ही मेने अपने लंड की कॅप को उसकी फुददी के सूराख पर दबाया…तो उसकी टाँगे अपने आप ऊपेर को उठ गयी….और लंड का कॅप उसकी गीली हो चुकी फुद्दि में अंदर घुसता चला गया…उसकी फुद्दि बेहद गरम थी…..अब उसकी साँसे और तेज हो चुकी थी….
में अपने दोनो हाथों को नीचे लेजाते हुए उसकी टाँगो के नीचे से डाल कर उसकी टाँगो को और ऊपेर उठा दिया…जिससे उसकी फुद्दि का सूराख और ऊपेर की ओर खुल कर आ गया….मेने अपनी पूरी ताक़त इकट्ठा करते हुए एक ज़ोर दार धक्का मारा….तो लंड का कॅप उसकी फुद्दि की दीवारो से रगड़ ख़ाता हुआ और अंदर घुसने लगा…”ओह्ह्ह अहह सीईईईईईईईईईई” उसने सिसकते हुए मेरे कंधो से हाथ हटा कर मेरी पीठ पर अपनी बाहों को कस लिया…..उसके नाख़ून मेरी पीठ के ऊपेर चुभने लगे थे…..
मेने फिर से उसके होंठो को अपने होंठो में भर कर एक और ज़ोर दार शॉट मारा इस बार मेरा लंड पूरा का पूरा रीदा की फुद्दि में समा गया….उसका पूरा बदन कमान की तरह अकड़ गया….. उसने अचानक से मेरी पीठ से अपने हाथों को हटा लिया और मेरे सर के बालो को पकड़ कर सर को ऊपेर की तरफ खेंचा और फिर तेज-2 साँसे लेते हुए मेरी आँखो में देखते हुए अगले ही पल मेरे होंठो को अपने होंठो से लगा दिया…..
मेने भी कोई देर नही की उसके गुलाबी रसीले होंठो को होंठो में भरने मे. अगले ही पल उसने अपने होंठो को ढीला छोड़ कर मेरे सुपुर्द कर दिया…. मैं अब बड़े आराम से उसके होंठो को बार-2 चूस रहा था…पहले नीचे वाले होंठो को एक सिरे से दूसरे सिरे तक अपने होंठो में दबा कर चूस्ता तो फिर ऊपेर वाले होंठ को….मुझे उसकी फुद्दि की दीवारे अपने लंड के इर्द गिर्द कस्ति और फैलती हुई महसूस हो रही थी.
जो इस बात का इशारा थी कि, अब उसकी फुद्दि मेरे लंड की रगड़ खाने के लिए फुदक रही है…..मेने धीरे-2 अपने लंड को उसकी फुद्दि के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया….जैसे ही मेरे लंड का कॅप उसकी फुद्दि की दीवारो से रगड़ ख़ाता हुआ अंदर बाहर होना शुरू हुआ…..रीदा एक दम से सिसक उठी…उसने मेरे होंठो से अपने होंठो को अलग किया….और मेरे बालो को पकड़ कर मेरे होंठो को अपनी गर्दन पर लगा दिया..
मैं रीदा की गर्दन पर अपने होंठो को रगड़ते हुए अपना लंड उसकी फुद्दि के अंदर बाहर कर रहा था…..मैं सीधा होकर घुटनो के बल बैठ गया…..और उसकी फुद्दि में अंदर बाहर हो रहे अपने लंड को देखने लगा….और उसकी टाँगो को घुटनो से मोड़ कर और ऊपेर उठा दिया….उसने शरमाते हुए अपनी आँखे बंद कर ली….उसकी फुद्दि का दाना फूल कर एक दम मोटा हो चुका था…..मेने अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए उसकी फुद्दि के दाने को अपने अंगूठे से ज़ोर से मसल दिया….
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03-08-2019, 02:44 PM,
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RE: Kamukta Story मेरा प्यार मेरी सौतेली मा�...
मेरी बात सुन कर नजीबा ने मुस्कुराते हुए मेरी तरफ देखा…मैं बेड के किनारे पर नीचे खड़ा था…नजीबा के होंठो पर दिलकश मुस्कान देख कर ही मेरा लंड पाजामा के अंदर झटके खाने लगा था…वो उठी और घुटनो के बल बैठ कर घुटनो के बल आगे बढ़ी …..और फिर बेड के किनारे पर आकर उसने घुटनो के बल बैठे-2 ही मेरे गले में आपने बाज़ुओं को डाला…..और मेरे माथे पर किस करते हुए बोली…. “अब तो ये घर मेरा भी है…है नही…तो इसकी सॉफ सफाई कोई बाहर से तो आकर करेगा नही… वैसे भी में यहाँ 2:30 बजे तक हूँ…..सिर्फ़ एक घंटे के लिए इंतजार करिए…. आपकी ये कनीज़ आपकी खिदमत में हाज़िर होती है…..”
मेने भी नजीबा को अपनी बाहों में भर लिया….और उसे अपनी चेस्ट से दबाते हुए बोला….”तुम कनीज़ नही मेरी जान हो….आगे से कभी ऐसा मत कहना….” मेने अपने हाथो को उसके कमर से नीचे लेजाते हुए उसकी बुन्द पर ले गया….और उसकी बुन्द के दोनो पार्ट्स को अपने हाथों में लेकर जैसे ही दबाया,.,…तो नजीबा ने सिसकते हुए अपने बाजुओं को मेरी पीठ पर और कस लिया…हम दोनो के गाल एक दूसरे से जुड़े हुए थे….नजीबा ने अपने फेस को थोड़ा सा पीछे किया और फिर अपनी नशीली आँखो को खोल कर मेरी आँखो में देखते हुए खुद ही अपने होंठो को मेरे होंठो से लगा दिया….जैसे ही मेने नजीबा के होंठो को अपने होंठो में लेकर चूसना शुरू किया…
नजीबा ने अपने होंठो को खोल कर ढीला छोड़ दिया…..पर उसके होंठो को अपने होंठो में दबा -2 कर चूसने लगा….और साथ ही उसकी शलवार से उसकी नरमो मुलायम बुन्द को अलग करके दबाने लगा…जैसे-2 में उसकी बुन्द के दोनो पार्ट्स को फैला कर दबाए जा रहा था…वैसे-2 नजीबा का जोश किसिंग में और बढ़ता जा रहा था… फिर एक दम से नजीबा ने अपने होंठो को मेरे होंठो से अलग किया….और मेरी चेस्ट पर मुक्का मारते हुए बोली….”आप बड़े खराब हो….?”
मेने मुस्कुराते हुए उसके आँखो में देखा तो, उसने अपने फेस को मेरे सीने में छुपा लिया….”क्यों मेने ऐसा क्या कर दिया….?”
नजीबा: मुझे बहका दिया और किया….अब हटो भी….मुझे काम करने दो….
मेने नजीबा की बुन्द से हाथ हटा कर उसके फेस को दोनो हाथो से पकड़ कर ऊपेर उठाया तो देखा उसका फेस एक दम रेड हो चुका था….उसके कान भी सूर्ख होकर दिख रहे थे….नजीबा उस समय आसमान से उतरी हुई परी लग रही थी….उसने मेरी आँखो में देखा और फिर नज़रे झुका ली…मेने उसके माथे को चूमा और सरगोशी से भरी आवाज़ में बोला….”ठीक है…जब तुम्हारा मूड करे…तो मुझे बुला लेना.. में ऊपेर जा रहा हूँ….”
मेने नजीबा को छोड़ा और बाहर आ गया…..और ऊपेर छत पर चला गया….9 बजने में 15 मिनिट बाकी थी….धूप निकली हुई थी….मेने स्टोर रूम से चारपाई निकाली और बाहर धूप में डाल कर एक पिल्लो लेकर लेट गया….और दिल ही दिल में सोचने लगा कि, आज चाहे कुछ भी हो जाए….मेने नजीबा को अपनी दिल की ख्वाहिशों से रूबरू करवा ही देना है…मैं काफ़ी देर तक ऐसे ही लेटा रहा…..धूप बहुत अच्छी लग रही थी….तकरीबन एक घंटे बाद जब में नीचे पहुँचा तो, फर्श पर लगा हुआ संगमरमर एक दम चमक रहा था….जब से नाज़िया गयी थी….तब से घर की सॉफ सफाई भी नही हुई थी…इतने दिनो से में इस घर में कैसे रह रहा था. मैं खुद हैरान था…खैर मुझे नजीबा दिखाई नही दी तो, मेने उसका नाम पुकारा तो, बाथरूम से नजीबा की आवाज़ आई….”आ रही हूँ ख़ान सहाब….”
मैं जल्दी से अपने रूम में जाकर टीवी और डीवीडी ऑन करके कल वाली पोज़ीशन में बैठ गया…आज भी मेने राज़ाई को फोल्ड करके बेड के पुष्ट के साथ लगा दिया था….और वीडियो को स्टार्टिंग पॉइंट पर पॉज़ करके नजीबा के रूम में आने का वेट करने लगा… पर थोड़ा सा इंतजार भी सदियों बीतने जैसा लग रहा था….और जब मुझसे सबर नही हुआ… में बेड से नीचे उतरा और बाहर आया…तो देखा नजीबा बातरूम से निकल कर रूम की तरफ ही आ रही थी….मेने आगे बढ़ कर नजीबा को अपनी बाहों में उठा लिया….”अहह ख़ान सहाब गिराना है मुझे….?” नजीबा ने डरते हुए कहा…. “नही गिराता…..” और फिर नजीबा को रूम की तरफ लेजाने लगा…
मैं नजीबा को गोद में उठाए हुए, रूम की तरफ जाने लगा….मेने रूम में जाकर नजीबा को बेड पर लेटा दिया…..नजीबा ने पीछे रखी राज़ी के साथ टेक लगा ली….मेने उसकी तरफ देखते हुए अपने पाजामा को उतारना शुरू किया तो, नजीबा ने शरामते हुए अपने सर को झुका लिया….पाजामा उतारने के बाद अब मेरे जिस्म पर सिर्फ़ अंडरवेर और वही गरम टी-शर्ट थी….में बेड पर चढ़ा…और नजीबा के दोनो बाज़ुओं को पकड़ कर कल की तरह ही उसे अपनी गोद में बैठा लिया….आज भले ही नजीबा शर्मा रही थी…पर जैसा में कर रहा था….वो मुझे वैसे ही करने दे रही थी….इसलिए आज मुझे उसको कल वाली पोज़ीशन में अपनी गोद में बैठने के लिए ज़्यादा जद्दो जेहद नही करनी पड़ी….मेने डीवीडी का रिमोट उठाया और मूवी चालू की तो, नजीबा ने सर को झुकाए हुए कहा….
“ये क्या ख़ान सहाब इसे तो बंद कर दो….कल देखी तो है…? “
मेने नजीबा के फेस को पीछे की तरफ घुमाया और उसके होंठो को चूमते हुए बोला…ये दूसरी है कल वाली नही है….”
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