Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
07-17-2018, 12:26 PM,
#27
RE: Kamukta Story हवस मारा भिखारी बिचारा
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अब आगे
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भूरे का आदमी गंगू को लेकर एक आलीशान बार कम केसीनो मे पहुँचा....वो बार कम केसीनो आज तक गंगू ने बाहर से ही देखा था, अक्सर वो वहाँ बैठकर भीख माँगा करता था, भूरे के आदमी के साथ गंगू को अंदर जाता हुआ देखकर वहाँ का दरबान भी चोंक गया, वो गंगू को अच्छी तरह से जानता था,पर भूरे के आदमी के साथ उसको अंदर जाता हुआ देखकर वो भी उसको सिर्फ़ सलाम ठोकने के अलावा कुछ नही कर सकता था..

गंगू भी अपने आप को मिल रहे ऐसे ट्रीटमेंट से काफ़ी खुश था..

अंदर पहुँचकर उसने जो नज़ारा देखा,उसकी तो गंगू ने कल्पना भी नही की थी...चारों तरफ गोल टेबल पर जुआ चल रहा था, लाखों की बाजिया चल रही थी...दारू और बियर के ग्लास हर टेबल पर थे...आधी नंगी लड़किया सर्व कर रही थी...ऐसा माहौल तो उसने एक फिल्म मे देखा था..पर असल जिंदगी मे ऐसा देखने को मिलेगा, ये उसने सोचा भी नही था.

भूरे का आदमी उसको एक झालर वाले केबिन मे ले गया..कोने मे एक बड़े से टेबल पर भूरे बैठ हुआ था...और उसके साथ ही एक मोटा सा आदमी, जिसकी घनी मूंछे थी,वो सिगार पीता हुआ अपनी गोद मे बैठी लड़की के मुम्मे दबा रहा था,जो उपर से पूरी नंगी थी..

भूरे : "भाई, ये है वो गंगू...और गंगू, ये है नेहाल भाई...''

नेहाल भाई को अपने सामने बैठा देखकर गंगू की तो हिम्मत ही नही हुई कुछ कहने की...कहाँ वो झुग्गी मे रहने वाला एक अपाहिज भिखारी और कहाँ अंडरवर्ल्ड का डॉन नेहाल भाई..

नेहाल ने उसको उपर से नीचे तक देखा और बोला : "अच्छा काम किया तूने कल...तेरी वजह से आज मेरा सिर उँचा हो गया...अगर वो माल पकड़ा जाता तो करोड़ो का नुकसान तो होता ही, मेरा नाम भी खराब होता मार्केट मे..इसलिए तुझे यहाँ बुलवाया,अच्छे आदमियों की कद्र करता है ये निहाल..''

उसका एक हाथ लगातार उस लड़की का मुम्मा दबाता रहा , और वो लड़की भी बड़े मज़े-ले लेकर अपने मुम्मे दबवा रही थी.

गंगू की नज़रें उसके उभरे हुए निप्पल्स को घूर रही थी..जो इतने लंबे थे की उन्हे मुँह मे लेकर चूसने मे मज़ा ही आ जाए कसम से.

गंगू को लड़की की तरफ घूरते देखकर नेहाल समझ गया की उसके मन मे क्या चल रहा है...उसने धीरे से उस लड़की के कान मे कुछ कहा और वो उठ खड़ी हुई, उसने एक छोटी सी स्कर्ट पहनी हुई थी...और शायद अंदर कच्छी भी नही थी...और वो मटकती हुई गंगू के पास आई और उसका हाथ पकड़कर एक कुर्सी पर बिठाया...और खुद उसकी गोद मे बैठ गयी.

नेहाल : "आज पहली बार नेहाल अपनी लड़की को किसी के साथ शेयर कर रहा है...आज की रात तू मज़े कर इसके साथ..''

और इतना कहकर वो उठ खड़ा हुआ और भूरे सिंह के कान मे कुछ फुसफुसाया....और फिर अपने आदमियो के साथ बाहर निकल गया.

उसके जाने के बाद भूरे ने गंगू को देखा और ज़ोर-2 से हँसने लगा.

भूरे : "साले ...तूने तो भाई पर जादू चला दिया है...इस छमिया पर तो मेरी नज़र थी इतने दिनों से...और देख , ये तेरी गोद मे बैठी हुई है...हा हा...मज़े है तेरे..''

गंगू सच मे अपने आप को किसी रियासत का राजा समझ रहा था...नेहाल भाई का खास आदमी, जिसे उन्होने अपनी रखैल दे डाली...

उसने अपनी छाती फुलाई और अपने खुरदुरे हाथ उस गोरी लड़की की ब्रेस्ट पर जमा कर ज़ोर से दबा दिया..

ऐसा लगा जैसे किसी मक्खन के गोले को हाथ मे पकड़ लिया हो उसने...उसकी उंगलियाँ अंदर तक धँसती चली गयी..ऐसी चिकनी त्वचा तो उसने आज तक नही देखी थी..और उसके शरीर से उठ रही महक भी काफ़ी नशीली थी...जैसे पूरी रात शराब मे डुबो कर रखा हो उसको...नशा सा छा रहा था गंगू के सिर पर.

भूरे ने ये तो सोचा भी नही था की नेहाल भाई गंगू को हिनल जैसी लड़की दे देंगे..

हिनल पर उसकी काफ़ी समय से नज़र थी..पर नेहाल भाई के डर से उसकी तरफ कोई आँख उठा कर भी नही देखता था...और नेहाल भाई भी काफ़ी ऐय्याश टाइप का आदमी था, उसको दूसरो के सामने सेक्स करने मे काफ़ी मज़ा आता था, या ये कह लो की अपना लंबा लंड और मर्दानगी सबके सामने दिखाने मे वो फक्र महसूस करता था.

और हिनल को भी कुछ ऐसी ही आदत पड़ चुकी थी, नेहाल के लंबे लंड से चुदाई करवाने मे उसको काफ़ी आनंद मिलता था, ख़ासकर जब उसके चमचे और बॉडीगार्ड उसकी चुदाई होते हुए साफ़ देख रहे हो...उनके खड़े होते लॅंड देखकर वो और भी ज़्यादा उत्तेजित हो जाती थी..और खूब उछल-2 कर चुदाई करवाती थी.

गंगू को देखकर एक बार तो उसने भी नाक सिकोडी, क्योंकि उसका हुलिया था ही फकिरों जैसा...पर वो नही जानती थी की वो सच मे एक भिखारी है..जब नेहाल भाई के कहने पर वो उसकी गोद मे आकर बैठी, तो उसकी बलिष्ट बाजुओं और सख़्त छाती को महसूस करके वो जान गयी की बंदे मे काफ़ी दम है...और वो खुली आँखों से ही उसके लंड को अपने अंदर लेने के सपने देखने लगी.

उधर भूरे मन मे सोच रहा था की कैसे गंगू को आज ज़मीन पर लाया जाए, साला दो दिन में एकदम से उड़ने लगा है..

उधर भूरे मन मे सोच रहा था की कैसे गंगू को आज ज़मीन पर लाया जाए, साला दो दिन में एकदम से उड़ने लगा है..

वैसे दोस्तो, देखा जाए तो हमारे आस-पास वाले लोग ही हमारी तरक्की से जलते हैं, उन्हे ये बात हरगिज़ हजम नही होती की उनके सामने पैदा हुआ इंसान उनसे भी उपर निकल जाए...ऐसी जलन की भावना ही इंसान को एक दूसरे का दुश्मन भी बना देती है..

और यही सब इस वक़्त भूरे सोच रहा था गंगू के बारे मे.

गंगू तो बिजी था हिनल के हुस्न को सूंघने मे, भूरे ने सबके लिए शराब और चिकन मँगवाया और साथ ही ताश के पत्ते भी..

वो जुआ खेलने मे एक नंबर का उस्ताद था...और गंगू को जो एकदम से इतने पैसे मिले थे,उनकी गर्मी उतारकर ही उसको उसके भिखारीपन का एहसास करवाया जा सकता था.

गंगू ने शराब के दो गिलास पी लिए , अब तक हिनल ने उसके लॅंलंड को बाहर निकालकर चूसना शुरू कर दिया था, पहले तो गंगू को बड़ा ताज्जुब हुआ , पर जब वो आधी नंगी होकर बैठ सकती है तो ये काम भी आसान है उसके लिए...वो मज़े से अपने लंड की चुसाई का आनंद लेने लगा.

इतने मे भूरे ने ताश के पत्ते बाँटने शुरू कर दिए.

गंगू को कोई खास तजुर्बा नही था खेलने का, पर फिर भी शराब का नशा और जेब मे पड़े पैसों की गर्मी की वजह से उसने खेलना शुरू कर दिया.

कुल बीस हज़ार रुपय थे गंगू के पास,घर पर तो रखने की कोई जगह नही थी, इसलिए वो पैसे साथ ही उठा लाया था...10 भूरे ने ही दिए थे और 10 मुम्मेथ ख़ान ने.

4 बाजियों के बाद वो लगभग 10 हज़ार रुपय हार गया भूरे से..

अब उसका माथा ठनका ...वो तो सही से खेलना भी नही जानता था, इसलिए हार रहा था..और ऐसे ही चलता रहा तो उसके सारे पैसे ख़त्म हो जाएँगे, जिनकी गर्मी को महसूस करके वो ये भी भूल चुका था की वो एक भिखारी है.

अब तक उसका लंड भी खड़ा हो चुका था..वो सीधा तो मना करना नही चाहता था भूरे को, वरना वो उसको फट्टू समझता..इसलिए उसने बहाना किया और एकदम से हिनल को अपनी गोद मे उठा कर सेंट्रल टेबल पर लिटा दिया और उसकी टाँगो को फैला कर उसकी बुर चाटने लगा.

हिनल तो वैसे भी एक नंबर की चुड़दक़्कड़ थी, उसको तो ऐसे कामो मे मज़ा मिलता था..अपनी जवानी को सबके सामने दिखा कर वो तृप्त सी हो जाती थी..और आज उसका टेस्ट भी तो बदल दिया था नेहाल भाई ने, उसको गंगू के हवाले करके...

काफ़ी समय से सिर्फ़ नेहाल से चुदाई करवाते हुए वो भी बोर हो चुकी थी और आज ऐसे गठीले इंसान के सामने अपने आपको नंगा बिछाकर वो भी मस्ती मे झूम रही थी.

भूरे भी समझ गया की थोड़ी देर के ब्रेक की ज़रूरत है शायद गंगू को...वैसे भी खड़े लंड को जल्द से जल्द काम पर लगा देना चाहिए,वरना सही नही होता.

वो भी आराम से अपने साथियों के साथ बैठकर गंगू की चुदाई के तरीके देखने लगा..उसके और उसके साथियो ने पहले भी कई बार हिनल को नेहाल के लंबे लंड के नीचे मचलता देखा था, पर आज गंगू के लंड का स्वाद लेते हुए पहली बार देखना था सभी को.

गंगू ने हिनल की टांगे अपनी गर्दन पर लेपेटी और अपना मुँह उसकी चूत से लगा दिया..और उठ खड़ा हुआ..हिनल का नंगा शरीर उसकी गर्दन से लटककर झूल गया...पर बेचारी चीखने के अलावा कुछ नही कर सकती थी..उसकी मोटी-2 ब्रेस्ट हवा मे ऐसे उछल रही थी जैसे बाहर ही निकल आएँगी..

''आआयययययययययययययययययययययययययीीई साले, खा जा मेरी चूत को.............अहह .......हहााआ....''
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