Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
08-27-2019, 01:33 PM,
#57
RE: Kamvasna आजाद पंछी जम के चूस.
और भोला भी अपनी राह पर बढ़ता हुआ आगे की ओर बढ़ता ही जा रहा था वो अब आरती की जाँघो के बीच से आगे बढ़ा और अपनी हथेलियो को उसके पेट के ऊपर से एक बार घुमाकर वापस उसकी जाँघो पर ले आया आरती के मुँह से एक बार फिर से एक लंबी सी सिसकारी निकली और फिर वो हाँफने लगी थी भोला की हथेलिया अब आरती के खाली पेट तक भी पहुँचने लगी थी उसका कुर्ता भी अब उसके हाथों के साथ ही उठने लगा था उल्टे हाथों से वो आरति को संभालने के लिए उसके कंधे तक पहुँचा चुका था और कभी-कभी अपनी कमर को भी एक झटका दे देता था सीधे हाथ से आरती को सहलाते हुए जब वो अपनी उंगलियां उसकी कमर के चारो ओर उसकी खाली स्किन पर घुमाने लगा तो आरती का सिर धनुष की तरह ही पीछे हो गया था और भोला के मजबूत हाथो के सहारे के बिना वो शायद पीछे ही गिर जाती पर भोला ने उसे संभाल लिया था

खाली पेट पर आरती ने पहली बार भोला की खुरदरी उंगलियों का एहसास किया था वो उस स्पर्श को सहन नहीं कर पाई थी और अपनी जाँघो को और खोलकर और भी आगे की ओर हो गई थी भोला के लण्ड को कस कर पकड़ रखा था और उसकी पकड़ से अब तो भोला को भी तकलीफ होने लगी थी अपने उल्टे हाथ को वापस लाके उसने आरती की उंगलियों की पकड़ को थोड़ा सा हिलाया और उसे ऊपर नीचे करने का इशारा किया संपनो से जागी आरती की सिर्फ़ थोड़ी सी आखें खुली और फिर अपने कसाब को थोड़ा सा ढीला करके भोला के इशारे को समझ कर अपने हाथों को हल्के से ऊपर-नीचे करने लगी थी पर कसाव तो जैसे उसके बस में नहीं था वो कसता ही जा रहा था उस गरम-गरम लोहे की सलाख पर और तो और जब भोला की उंगलियां आरती के चूड़ीदारर की नाडे को छेड़ने लगी तो आरती जैसे होश में आ गई थी झट से उसका एक हाथ भोला के हाथों को रोकने में लग गया था

आरती- नहीं प्लीज
भोला-
आरती- नहीं प्लीज यहां नहीं कोई आ जाएगा प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज्ज
भोला- कोई नहीं आएगा मेमसाहब प्लीज़्ज़ज्ज्ज्ज्ज्ज मना मत कीजिए प्लीज थोड़ी देर और
आरती सिर्फ़ अपने माथे को हिलाकर ही मना कर पाई थी अब की बार जैसे उसकी आवाज गले में कही गुम हो गई थी रुआंसी सी भोला को एकटक देखती जा रही थी और भोला उसके नाडे को खोल चुका था और धीरे से अपने हाथों से उसके चूड़ीदार को ढीलाकरके थोड़ा सा नीचे कर दिया था उसकी सफेद कलर की डिजाइनर पैंटी की सिर्फ़ एक डोरी उसके सामने थी और सफेद कलर की लेस से उसके गोल्डन ट्राइंगल को नीचे तक ढँकी हुई थी अपनी उंगलियों के जोर से भोला ने अपने हाथों को फिर से आरती की जाँघो के बीच में पहुँचा दिया इस बार सलवार उसके बीच में नहीं थी और था तो सिर्फ़ पैंटी का महीन सा कपड़ा जो की उसकी उंगलियों को उसकी चुत के गीले पन को छूने से नहीं रोक पाया था एक उंगली से उसने उसे भी साइड में कर दिया था और झट से अपनी उंगली को आरती के भीतर तक समा दिया था आरती के मुँह से सिसकारी की लड़ी सी लग गई थी और शरीर को पीछे की ओर धकेल्ति हुई अपनी कमर को और आगे और आगे की और धकेलने की कोशिश करने लगी थी शायद वो भोला की उंगलियों के पास जाना चाहती थी पास और पास सांसों का एक तूफान सा उसके अंदर जनम ले रहा था और वो लगातार उसकी नाक और मुख से सिसकारी और आअह्ह के रूप में निकल रही थी गर्म हुई आरती की हथेलिया अब भोला के एक हाथ को और भी अपने अंदर की ओर इशारा कर रही थी और दूसरे हाथ में जो कुछ था हो उसे निचोड़ते हुए बहुत ही तेजी से अपनी ओर खींचने लगी थी उसकी नमर नरम उंगलियों के स्पर्श से तो भोला अपने काबू से बाहर हो ही चुका था आज उसका दूसरा अनुभव था जब मेमसाहब की नाजुक ऑर कोमल उंगलियां उसके लण्ड को समेटे हुए थी पर इतनी कामुकता जो मेमसाहब के अंदर छुपी थी वो आज वो पहली बार ही देख रहा था वो अपनी उंगलियों का स्पीड धीरे-धीरे उसकी चुत में बढ़ने लगा था उसके गीले पन से वो जान चुका था कि आरती ज़्यादा देर की मेहमान नहीं है पर वो तो अपने काम में लगा रहा और आरती को जितनी जल्दी शांत कर सकता था करने की पूरी कोशिश करने लगा और उधर आरती भी अपने शिखर पर पहुँचने ही वाली थी उसके शरीर में आचनक ही एक बड़ी सी उथल पुथल मची हुई थी जैसे वो लगातार अपनी चुत की ओर जाते हुए महसूस कर रही थी वो एक झटके से आगे बढ़ी, और झट से अपने एक हाथ को अपने दूसरे हाथ से जोड़ दिया और भोला के लण्ड को पूरा का पूरा अपनी हथेलियो में समेटने की कोशिश करने लगी थी


हान्फते हुए कब वो भोला के ऊपर गिर पड़ी उसे पता ही नहीं चला और भोला के पसीने की बदबू या कहिए उस जानवर की खुश्बू जैसे ही उसकी नाक में टकराई वो एक असीम सागार में गोते लगाने लगी थी उसके हाथों की पकड़ अब धीरे-धीरे उस लण्ड पर भी ढीली होने लगी थी पर भोला के हाथों की रफ़्तार अब भी कम नहीं हुई थी इसलिए अपने को संभालते हुए उसने भी अपनी पकड़ फिर से उस मजबूत से लण्ड को फिर से अपनी गिरफ़्त में ले लिया और बड़ी तेजी से जैसे कि भोला का हाथ चल रहा था उसे चलाने लगी अचानक ही भोला की उल्टे हाथ की गिरफ़्त उसके कंधों से लेकर अपने दूसरे कंधो तक पहुँच गई थी और वो झुकी हुई उसके सीने से चिपक गई थी और भोला के लण्ड से गरम-गरम लावा सा उसकी कोमल उंगलियों को छूते हुए नीचे की ओर बह निकला भोला की पकड़ इतनी मजबूत थी कि आरती की सांसें ही रुक गई थी नाक में ढेर सारी पसीने की बदबू के साथ ही उसके दाँत भी भोला के सीने में घुसने की कोशिश करने लगे थे मुख से सांसें लेने की और भोला की पकड़ के आगे लाचार आरती और कर भी क्या सकती थी दोनों थोड़ी देर के लिए वैसे ही पड़े रहे भोला की पकड़ भी सख्ती से आरती की गर्दन के चारो ओर थी और हर झटके में बहुत सा वीर्य वो निकलता जा रहा था।आरती के कोमल हाथों की पकड़ भी उसके लण्ड पर वैसे ही थी जैसे की पहले थी और वही भोला के पेट और सीने के बीच में अपने सिर का सहारा लिए हुए लंबी-लंबी सांसें छोड़ती हुई वो नार्मल होने की कोशिश कर रही थी भोला का भी यही हाल था


लेटे लेटे बहुत देर बार उनके कानों में एक साथ ही बाहर की हलचल की आवाजें उन तक पहुँचने लगी थी आरती एकदम से सचेत हो उठी और बड़ी ही डरी हुई नज़रों से भोला की ओर देखने लगी थी पर भोला को जैसे कोई फरक ही नहीं पड़ रहा था वो लेटे लेटे आरती के बालों के साथ खेल रहा था अपनी चौड़ी और खुरदरी हथेली को वो आरती के सिर पर घुमा रहा था और उसकी नाक से निकलने वाली सांसों को वो अपने शरीर में महसूस कर रहा था आरती के जोर लगाने से वो भी थोड़ा सा सचेत हुआ और आरती पर से अपनी पकड़ ढीली करदी
आरती थोड़ा सा स्ट्रॅगल करने के बाद उठकर अपनी चेयर पर ठीक से बैठने लगी और धीरे से अपनी हथेलियो को भी भोला के लण्ड से आजाद कर लिया अपनी हथेलियों में लगा हुआ वीर्य उसने बेड की चादर पर ही पोन्छ लिया और अपनी चूड़ीदार को पकड़कर ठीक करने लगी उसकी नजर भोला पर नहीं थी पर हाँ बाहर की आवाज पर जरूर थी डर था कि कोई आ ना जाए अपने कपड़ों को ठीक करते हुए जब वो खड़ी हुई तो भोला की नजर चली गई वो एकटक उसे ही देख रहा था उसकी आँखों में अब भी वही भूख थी जो पहले थी अब भी उसकी नजर उसे खा जाने को तैयार थी पर आरती को जाना था आफिस अगर यहां किसी ने देख लिया तो गजब हो जाएगा वो अपने चूड़ीदार को बाँधने के बाद अपनी चुन्नि को नीचे से उठाया और जैसे ही अपने को ढकने लगी कि भोला के एक हाथ ने उसे ऐसा करने से रोक लिया

भोला- रुकिये ना मेमसाहब थोड़ी देर और

आरती- नहीं
भोला की गिरफ़्त चुन्नी से ढीली पड़ गई और आरती ने झट से अपने को ढँक लिया और खड़ी हो गई वो एक बार भोला की ओर देख रही थी और फिर बाहर के दरवाजे की ओर भी उसकी नजर चली जाती थी बाहर के शोर को सुनकर वो डरी हुई थी हिम्मत नहीं हो रही थी कि कैसे जाए बाहर और यह बदमाश तो वैसे ही लेटा हुआ था जैसे कोई चिंता ही नहीं था पर आरती के चहरे पर चिंता की लकीरे साफ देखी जा सकती थी वो कभी भोला तो कभी दरवाजे की ओर ही देख रही थी वो थोड़ा सा चलती हुई दरवाजे तक पहुँची और उसकी गैप से बाहर की ओर देखने लगी थी वहाँ लेबर लोगों का हुजूम लगा हुआ था जो शायद वही रहते है कोई बीड़ी पी रहा था तो कोई कुछ कर रहा था पर हर कोई बाहर ही था आरती के तो होश उड़ गये थे वो पलटकर भोला की ओर देखने लगी चेहरा रुआंसा सा हो गया था रोने को थी वो अब कुछ पल
वो भोला को देखती रही जो अब भी अपने आपको ढके बिना ही वैसे ही लेटा हुआ था उसका मुरझाया हुआ लण्ड भी इतना बड़ा था कि वो लगभग तैयार ही दिख रहा था पर कोई चिंता नहीं थी उसे
आरती- सुनो बाहर बहुत लोग है प्लीज़ उठो मुझे जाना है

भोला- मेमसाहब में तो यहां हूँ दरवाजा भी नहीं रोका है फिर

आरती लगभग दौड़ती हुई सी वापस बेड के पास पहुँची थी

आरती- प्लीज किसी ने देख लिया तो में मर जाऊँगी प्लीज मेरी मदद करो

जैसे भोला के शरीर में एक करेंट दौड़ गया था एक झटके से उठा और अपनी लूँगी को अपने कमर में बाँधने लगा एकटक नजर से वो आरति की ओर देखने लगता आरती डर के मारे थोड़ा सा पीछे की ओर हो गई थी

भोला-, मेरे होते मेमसाहब आप चिंता क्यों करती है साली पूरी दुनियां में आग लगा दूँगा लेकिन मेमसाहब आपको कुछ नहीं होने दूँगा ही ही ही
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