RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
बात उसकी सही थी.मैं फ्लैश बैक में चली गयी. सुहाग रात के चार, पांच दिन के अंदर ही,मेरे पिछवाड़े का... शुरुआत तो उन्होने दो दिन के अंदर ही कर दी थी. मुझे अब तक याद है, उस दिन मैने शलवार सूट पहन रखा था, जो थोडा टाईट था और मेरे मम्मे और नितंब खूब उभर के दिख रहे थे. रानू ने मेरे चूतड पे चिकोटी काटके चिढाया,
* भाभी लगता है, आपके पिछवाडे काफी खुजली मच रही है. आज आपकी गांड बचने वाली नहीं है, अगर आपको इस ड्रेस में भैया ने देख लिया.”
* डरती हूं क्या तुम्हारे भैया से, जब से आयी हूं लगातार तो चालू रहते हैं बाकी और कुछ तो बचा नहीं अब ये भी कब तक बचेगी.” चूतड मटका के मैने जवाब दिया.और तब तक वो आ भी गये. उन्होने एक हाथ से खूब कस के मेरे चूतड़ को दबोच लिया और उनकी । एक उंगली मेरे कसी शलवार में, गांड के कैक में घुस गयी. उनसे बचने के लिये मैं रजायी में घुस गयी अपनी सास की बगल में. उनकी बगल में मेरी जेठानी और छोटी ननद बैठी थीं. वह भी रजायी में मेरी बगल में घुस के बैठ गये और अपना एक हाथ मेरे कंधे पे रख दिया.
छेड छाड सिर्फ कोयी उनकी जागीर तो थी नहीं. सासू के बगल में मैं थोडा सेफ भी महसूस कर रही थी. और रजायी के अंदर हाथ भी थोडा बोल्ड हो जाता है. मैने पाजामे के उपर हाथ रखा तो उनका खूटा पूरी तरह खडा था. मैने शरारत से उसे हल्के से दबा दिया,
और उनकी ओर मुस्करा के देखा.बेचारे, चाह के भी...अब मैने और बोल्ड होके हाथ उनके पाजामें में डाल के सुपाडे को खोल लिया. पूरी तरह फूला और गरम था. उसे सहलाते । सहलाते, मैने अपने लम्बे नाखून से उनके पीहोल को छेड दिया. जोश में आके उन्होंने मेरे मम्मे कस के दबा दिये. उनके चेहरे से उत्तेजना साफ दिख रही थी. वह उठ के बगल के कमरे में चले गये जो मेरी छोटी ननद का रीडींग रूम था. बड़ी मुश्किल से मेरी ननद और जेठानी ने अपनी मुस्कान दबायी.
* जाइये , जाइये भाभी, अभी आपका बुलावा आ रहा होगा.” शैतानी से मेरी छोटी ननद बोली. हम लोगों का दिन दहाडे का ये काम तो सुहाग रात के अगले दिन से ही चालू हो गया था. पहली बार तो मेरी जेठानी जबरदस्ती मुझे कमरों में दिन में कर आयी, और उसके बाद से तो वो मेरी ननदें और यहां की सासू जी भी...बड़ा खुला मामला था मेरी ससुराल में..एक बार तो मुझसे जरा सी देर हो गयी तो सासु मेरी बोली, बहू जाओ ना बेचारा इंतजार कर रहा होगा.
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