Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
05-21-2019, 11:23 AM,
#36
RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में
तब तक मेरी दोनों चूचीयां, मेरे ननदोइयों के कब्जे में थीं, वो रंग भी लगा रहे थे, चूची की रगडाई मसलाई भी कर रहे थे. दोनो चूचीओं के बाद दोनों छेद पे भी...ननदोई ने तो गांड का मजा पहले ही ले लिया था तो वो अब बुर में और छोटे नन्दोई गांड में ...मैं फिर सैंडविच बन गयी थी. लेकिन सबसे ज्यादा तो मेरी ननद मेरे मुंह में झड़ने के साथ दोनो ने फिर मेरा फेसीयल किया मेरी चूचीयों पे ...और ननद ने पता नहीं क्या लगाया था की अब ‘जो भी मेरी देह से लगता था ...वो बस चिपक जाता था. घंटे भर मेरी दुरगत कर के ही उन तीनो ने छोड़ा.

बाहर खूब होली की गालीयां, जोगीडा, कबीर....जमीन पे पडी साडी चोली किसी तरह मैने लपेटा, और अंदर गयी की जरा देखू मेरा भाई कहां है.

उस बिचारे की तो मुझसे भी ज्यादा दुरगत हो रही थी. सारी की सारी औरतें यहां तक की मेरी सास भी...तब तक मेरी बडी ननद भी वहां पहुंची और बोली अरे तुम सब अकेले इस कच्ची कली का मजा ले रहे हो. रुक साल्ले, अभी तेरी बहन को खिला पिला के आ रही हूँ अब तेरा नम्बर है चल अभी तुझे गरम गरम हलवा खिलाती हूँ.” मैं सहम गयी की इतनी मुशकिल से तो बची हूं अगर फिर कहीं इन लोगों के चक्कर में पड़ी तो...उन सब की नजर बचा के मैं छत पे पहुंच गयी.

बहोत देर से मैने ‘इनको’ और अपनी जेठानी को नहीं देखा था. शैतान की बात सोचिये और... भुस वाले कमरे में मैने देखा कि भागते हुये मेरी जेठानी घुसीं और उन्के पीछे पीछे उनके देवर यानी मेरे वो रंग लेके. अंदर घुसते ही उन्होने दरवाजा बंद कर दिया. पर उपर एक रोशदान से, जहां मैं खडी थी, अंदर का नजारा साफ साफ दिख रहा था. उन्होंने अपनी भाभी को कस के बांहों में भर लिया और गालों पे कस कस के रंग लगाने लगे. थोडी देर में उनका हाथ सरक के उनकी चोली पे और फिर चोली के अंदर जोबन पे...वो भी न सिर्फ खुशी खुशी रंग लगवा रही थी, बल्की उन्होने भी उनके पाजामे में हाथ डाल के सीधे उनके खूटे को पकड़ लिया. थोड़ी ही देर में दोनों के कपड़े दूर थे और जेठानी मेरी पुवाल पे और वो उनकी जांघों के बीच...और उनकी ८ इंच की मोटी पिचकारी सीधे अपने निशाने पे..देवर भाभी की ये होली देख के मेरा भी मन गन गना गया. और मैं सोचने लगी। की मेरा भी देवर.देवर भाभी की भी होली का मजा ले ले लेती.

सगा देवर चाहे मेरा न हो लेकिन ममरे चचरे गांव के देवरों की कोयी कमी नहीं थी. खास कर फागुन लगने के बाद से सब उसे देख के इशारे करते, सैन मारते गंदे गंदे गाने गाते । और उनमें सुनील सबसे ज्यादा. उसका चचेरा देवर लगता था सटा हुआ घर था उन लोगों के घर के बगल में ही. गबरु पठ्ठा जवान और क्या मछलियां थी हाथों में, खूब तगडा, । सारी लडकियां, औरतें उसे देख के मचल जाती थीं. एक दिन फागुन शुरु ही हुआ । था,फगुनाट वाली बयार चल रही थी की गन्ने के खेत की बीच की पगडंडी पे उसने मुझे रोक लिया और गाते हुए गन्ने के खेत की ओर इशारा कर के बोला,

बोला, बोला, भौजी देबू देबू की जईबू थाना में.''
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RE: Kamvasna मजा पहली होली का, ससुराल में - by sexstories - 05-21-2019, 11:23 AM

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