RE: Long Sex Kahani सोलहवां सावन
रतजगा : कामिनी भाभी के घर
कामिनी भाभी हम लोगों का इंतजार कर रहीं थीं। मुझसे तो वो खूब जोश से गले मिलीं और उनके 38डीडी जोबन ने मेरे 32सी किशोर जोबनों को एकदम दबाकर रख दिया। सबसे मुझे दिखाकर कहने लगीं-
“सबसे ज्यादा तो मुझे इसी माल का इंतजार था…”
थोड़ी देर तो ऐसे ही गाने चलते रहे पर जब चमेली भाभी ने ढोलक ली तब मैं समझ गयी कि अब क्या होने वाला है। चमेली भाभी ने एक सोहर शुरू किया-
सासू जो आयें चरुआ चढ़ाने, जो आयें चरुआ चढ़ाने,
उनको तो मैं नेग दिलाय दूंगी, नेग लेवे में जो ठनगन करिहें,
नेग लेवे में जो ठनगन करिहें, मुन्ने के, अरे मुन्ने के नाना से उनको चुदाय दूंगी।
देवरा जो आये बंसी बजाये, जो आये बंसी बजाये,
उनको तो मैं नेग दिलाय दूंगी, नेग लेवे में जो ठनगन करिहें,
नेग लेवे में जो ठनगन करिहें, अरे उनकी अरे उनकी गाण्ड में बंसी घुसाय दूंगी।
ननदी जो गये कजरा लगाये, अरे छिनरी जो गये कजरा लगाये,
उनको तो मैं नेग दिलाय दूंगी, नेग लेवे में जो ठनगन करिहें,
नेग लेवे में जो ठनगन करिहें, उनकी भोंसड़ी में कजरौटा घुसाय दूंगी।
अरे अपने देवर से प्यारे रवीन्द्र से उनको चुदाय दूंगी… (भाभी ने जोड़ा।)
राकी से उसको चुदाय दूंगी। (चम्पा भाभी कहां चुप रहने वाली थीं।)
मैंने भाभी को चिढ़ाया- “पर भाभी, गा तो चमेली भाभी रही हैं और उनकी ननद तो आप, चन्दा हैं।
कामिनी भाभी ने मेरा साथ दिया- “ठीक तो कह रही है, अरे नाम लेके गाओ…”
पूरबी ने मुझे चिढ़ाते भाभी से कहा- “अरे राकी से भी, बड़ी कैपिसिटी है, आपकी ननद में…”
चम्पा भाभी को तो मौका मिल गया-
“अरे कातिक में दूर-दूर से लोग अपनी कुतिया लेकर आते हैं, नंबर लगता है, राकी को ऐसा मत समझो…”
भाभी बड़े भोलेपन से मेरे कंधे पर हाथ रखकर मेरी ओर इशारा करके बोलीं।
“अबकी मैं भी ले आऊँगी अपनी… इस कातिक में…”
कामिनी भाभी बोलीं, “ठीक है, तुम्हारी वाली का नंबर पहले लगावा दूंगी। और नंबर क्या उसका नंबर तो हर रोज लगेगा …”
बाहर बादल उमड़ घुमड़ रहे थे। गीता को भी जोश आ गया, वो बोली- “भाभी वो बादल वाला सुनाऊँ…”
“हां हां सुनाओ…” चमेली भाभी और मेरी भाभी एक साथ बोलीं। चन्दा भी गीता का साथ दे रही थी।
बिन बदरा के बिजुरिया कैसे चमके, हो रामा कैसे चमके, बिन बदरा के बिजुरिया,
अरे हमरी ननदी छिनार के गाल चमके, अरे गुड्डी रानी के दोनों गाल चमकें,
अरे उनकी चोली के, अरे उनकी चोली के भीतर अरे गुड्डी रानी के दोनों अनार झलकें
जांघon के बीच में अरे जांघon के बीच में अरे गुड्डी छिनार के दरार झलके।
बिन बदरा के बिजुरिया कैसे चमके, हो रामा कैसे चमके
चमेली भाभी ने पूछा- “कैसी लगी…”
मैंने आँखें नचाकर, मुश्कुराकर कहा- “भाभी मिरच जरा कम थii…”
कामिनी भाभी ने पूरबी की ओर देखकर कहा- “ये तो तुम ननद सालiयों के लिये चैलेंज है…”
पूरबी और उनका साथ देने के लिये मेरी भाभी चालू हो gयीं-
अरे हमरे खेत में सरसों फुलायी, अरे सरसों फुलायी
गुड्डी रानी की अरे गुड्डी साली की हुई चुदाई,
अरे, रवीन्द्र की बहना की, गुड्डी की हुई चुदाई,
भाभी ने फिर दूसरा गाना शुरू किया और अबकी पूरबी साथ दे रही थी-
अरे मोती झलके लाली बेसरiया में, मोती झलके,
हमरी ननदी रानी ने, गुड्डी रानी ने एक किया, दो किया, साढ़े तीन किया,
हिंदू मूसलमान किया, कोरी, चमार किया,
अरे 900 गुंडे बनारस के, अरे 900 छैले पटना के, मोती झलके,
अरे मोती झलके लाली बेसरiया में, मोती झलके,
हमरी ननदी छिनार ने, गुड्डी छिनार ने एक किया, do किया, साढ़े तीन किया,
हमro भतार किया, भतro के सार किया, उनके सब यार किया,
अरे 900 गदहे एलवल के, अरे 900 भंfuये कालीनगंज के, अरे मोती झलके
(q जिस मुहल्ले में रहती थी उसका नाम एलवल था, और मेरी गाली के बाहर धोबियों के घर होने से, काफी गधे बंधे रहते थे, इसलिये मजाक में उसे, गधे वाली गाली कहते थे और हमारे शहर में जो रेड लाइट एरिया थी, उसका नाम कालीन गंज था।) मेरी भाभी ने मुश्कुराकर पूछा- “क्यों आया मजा, अब तो नाम साफ-साफ है ना” मैं मुश्कुरा कर रह गयी।
कामिनी भाभी ने कहा- “मैं असली तेज मिरच वाली सुनाती हूंz” पूरबी ने ढोलक थामी और चम्पा भाभी ने उनका साथ देना शुरू किया-
अरे गुड्डी छिनार, हमरा जादी, वो तो कुत्ता चोदी, गदहा चोदी,
हमरे देवर के मुँह पे आपन चूची रगड़े,
उनके लण्ड बुर रगड़े, अपनी गाण्ड रगड़े,
अपने भाई के मुँह पे आपन चूची रगड़े, अपनी बुर रगड़ेz (भाभी ने जोड़ा।)
अरे गुड्डी छिनार, हraमजादी, वो तो कुत्ता चोदी, गदहा चोदी
“क्यों गदहों के साथ भी, अभी तक तो कुत्तों की बात थी…” पूरबी ने मुझे चिढ़ाते हुए कहा.
“अरे जब ये अपनी गली के बाहर चूतड़ मटकाती हुई निकलती है, तो गदहों के भी लण्ड खड़े हो जाते हैं…” भाभी आज पूरे मूड में थीं।
“क्यों मिरचा लगा…” कामिनी भाभी ने पूछा।
“हां भाभी, बहुत तेज, लेकिन मजा तो मुझे में ही आता है…” मैं मुश्कुराकर कर बोली।
तभी किसी बड़ी औरत ने कहा- “अरे लड़का हुआ है तो थोड़ा नाच भी तो होना चाहिये, कौन आयेगा नाचने…”
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