RE: Maa Beti Chudai माँ का आँचल और बहन की लाज़
शांति ने शशांक के चेहरे को अपने हाथों से थामते हुए अपनी ओर किया , उसकी आँखों में देखते हुए कहा ..
" पर बेटा मैं तुम्हारी माँ हूँ ..क्या कोई अपनी माँ से इस तरेह प्यार करता है..??."
शांति की आवाज़ में एक माँ की ममता , प्यार , दर्द और विवशता भरी थी .
" मैं जानता हूँ मोम ..पर मैने कहा ना आप के दो रूप हैं एक मोम का और दूसरा एक औरत का ...मैं आप की औरत से प्यार करता हूँ...... एक मर्द की तरेह ..मैं भी तो एक मर्द हूँ ना माँ "
शशांक की आवाज़ में कितना दर्द ,कितनी कशिश और तड़प थी शांति भी आखीर एक औरत थी , समझ सकती थी ..
जिस तरेह बिना किसी हिचकिचाहट ,बिना किसी रुकावट , जितने सॉफ सॉफ लफ़्ज़ों और जितनी सहजता से शशांक अपनी बात कहता जा रहा था..शांति दंग थी .. वो महसूस कर सकती थी कि शशांक जो भी कह रहा है....यह उसके दिल की गहराइयों से निकली आवाज़ है ..
शांति की मुश्किल बढ़ गयी थी ..वो बहोत बड़े पेश-ओ-पेश में थी ...
उसकी बातों ने उसे झकझोर दिया था ....
पर वो एक व्याहता औरत और माँ भी थी ...जो उसे इस हद तक जाने को रोक रहा था ...वो बहोत परेशान हो जाती है ....
" मोम तुम परेशान मत हो ..." शशांक शांति की परेशानी समझता था " देखो तुम यह मत समझना कि मुझ पर कोई जुनून सवार है ..बिल्कुल नहीं मोम..मैं पूरे होश-ओ-हवास में हूँ ...आप के लिए मेरा प्यार सिर्फ़ सेक्स नहीं ...एक पूजा है ...मैं आप की इज़्ज़त पर कभी भी आँच नहीं आने दूँगा .... आप मुझे एक औरत का प्यार नहीं दे सकतीं ..मत दीजिए ..पर मुझे मत रोकिए ....मेरी जिंदगी..मेरी शांति मेरा सब कुछ मत छीनिए प्लीज़ .....आप का प्यार मेरा सहारा है ....जब तक आप के अंदर की माँ आपके अंदर की औरत को इज़ाज़त नहीं देती ,,मैं आप को शर्मिंदगी का एक भी मौका नहीं दूँगा ...बिलीव मी ..एक भी मौका नहीं दूँगा ..पर मुझे कभी मत कहना कि मैं आप से प्यार नहीं करूँ ..कभी नहीं...आइ लव यू ..आइ लव यू ...मोम आइ लव यू .."
और वो फूट पड़ता है..उसकी आँखों से आँसू की धार बहती है .... फफक फफक के रोता है शशांक ..बच्चों की तरेह ..
शांति के अंदर की औरत शशांक की हालत पर रो पड़ती है ..इतना प्यार ..उफफफफफफफ्फ़ ..कितनी अभागन है यह औरत ....उसे ले नहीं सकती ..
पर एक माँ अपने बेटे की हालत पर बहोत दूखी हो जाती है .... उसे गले लगाती है .." मत रो बेटे , मत रो ..समय का इंतेज़ार करो बेटा ...समय बड़ा बलवान है .... सब ठीक करेगा "
दोनों माँ बेटे आँसू बहा रहे हैं ..बेटा अपने प्यार की मजबूरी पर ...माँ अपने बेटे की हालत पर..
और एक औरत बस मूक दर्शक है ..सन्न है.......क्योंकि शांति की औरत उसकी माँ और पत्नी की छवि के अंदर जाने कब से दबी पड़ी है ..कभी उठ पाएगी ...?????????
आज शशांक ने शांति की औरत की बेबसी और लाचारी को ललकार दिया था ...
शशांक अपने आँसू पोंछता है ... मोम के चेहरे को अपने हथेली से थामता है और उसके माथे को चूमता हुआ कहता है " मोम ...आप का आँचल मैला नहीं होगा ...विश्वास रखो ... " वो उठ ता है और बाहर निकल जाता है..
शांति के होश-ओ-हवस गूं हैं अपने बेटे का अपने पर प्यार देख .... कहाँ तो वो अपने बेटे को समझना चाहती थी पर वाह रे बेटा....उस ने तो उसे ही प्यार का पाठ समझा दिया अच्छी तारेह ...काश वो भी उसे प्यार कर पाती....काश.......
शांति को एक गाना याद आता है " ना उम्र की सीमा हो ना जन्म का हो बंधन ... जब प्यार करे कोई तो देखे केवल मन" कितना सटीक गाना था यह उसकी मजबूरी पर ......
तभी बाहर कार के हॉर्न की आवाज़ आती है ....शांति की तंद्रा भंग हो जाती है ...शायद शिव आ गये थे
वो बीस्तर से उठ ती है हाथ मुँह धो कर वापस आ जाती है एक पत्नी के रूप में ...
अपने पति का इंतेज़ार करती है....
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