Maa ki Chudai माँ का चैकअप
08-07-2018, 10:49 PM,
#8
RE: Maa ki Chudai माँ का चैकअप
"हां मा! हमे अपने शरीर का ख़ासा ख़याल रखना चाहिए और तुम्हारा यह नया सेंट तो कमाल का है" ऋषभ ने चन्द गहरी साँसे और ली, तत-पश्चाताप ममता के रूमाल को मेज़ पर रख देता है. अपनी मा की आनंदमाई जिस्मानी सुगंध के तीक्षण प्रवाह के अनियंत्रित बहाव में बह कर भूल-वश उसके मूँह से सत्यता बाहर निकल आई थी परंतु जितनी तीव्रता से वह बहका था उससे कहीं ज़्यादा गति से उसने वापस भी खुद पर काबू पा लिया था.
"अगर एक यौन चिकित्सक ही सैयम, सैयत आदि शब्दो का अर्थ भूल जाए तो क्या खाक वह अपने मरीज़ो का इलाज कर पाएगा ?
ममता अपने पुत्र के पहले प्रत्याशित और फिर अप्रत्याशित कथन पर आश्चर्य-चकित रह जाती है. वह जो कुच्छ सुनने की इच्छुक थी अंजाने में ही सही मगर ऋषभ ने उसकी मननवांच्छित अभिलाषा को पूर्न आवश्या किया था, बस टीस इस बात की रही कि उसके पुत्र ने महज एक साधारण सेंट की संगया दे कर विषय की रोचकता को पल भर में समाप्त कर दिया था.
"बिल्कुल रेशू! मैने कल ही खरीदा था और आज तूने तारीफ़ भी कर दी" ममता ने मुस्कुराने का ढोंग करते हुवे कहा.
"अब मैने झूट क्यों बोला ? भला इंसानी गंध कैसे किसी सेंट समान हो सकती है ? आख़िर क्यों मैं अपने ही बेटे द्वारा प्रशन्षा प्राप्त करने को इतनी व्याकुल हूँ ? क्या रेशू भी अपनी मा के बारे में ही सोच रहा है ?" वह खुद से सवाल करती है और जिसका जवाब ढूँढ पाना उसके लिए कतयि संभव नही था.
"ह्म्‍म्म मा! जो वास्तु वाकाई तारीफ-ए-काबिल हो अपने आप उसके प्रशानशक उस तक पहुँच जाते हैं" प्रत्युत्तर में ऋषभ भी मुस्कुरा दिया. परिस्थिति, संबंध, मर्यादा, लाज का बाधित बंधन था वरना वा कभी अपनी मा से असत्य वचन नही बोलता. यह प्रथम अवसर था जो उसे ममता को इतने करीब से समझने का मौका मिला था, अमूमन तो दोनो सिर्फ़ अपने-अपने कामो में ही व्यस्त रहा करते थे.
मनुष्यों की उत्तेजना को चरमोत्कर्ष के शिखर पर पहुँचाने में लार, थूक, स्पर्श, गंध, पीड़ा इत्यादि के अलावा और भी काई ऐसे एहसास होते हैं जो दिखाई तो नही देते परंतु महसूस ज़रूर किए जाते हैं और उन्ही कुच्छ विशेष एहसासो का परिणाम था जो धीरे-धीरे वे मा-बेटे अब एक-दूसरे के विषय में विचार-मग्न होते जा रहे थे.
"देख ना रेशू! तुझे वापस पसीना आने लगा है, कहीं तू मुझसे कुच्छ छुपा तो नही रहा ना ? कुच्छ ऐसा जिसे तू अपनी मा के समक्ष बताने से झिझक रहा हो" ममता का आंदोलित मन नही माना और इस बार वह जान-बूच्छ कर ऋषभ को विवश करती है कि वा दोबारा से उसके रूमाल को सूँघे, किसी सभ्य भारतीय नारी में अचानक इतना परिवर्तन कैसे आ सकता है गंभीरता-पूर्वक विचारने योग्य बात थी.
"उम्म्म" ऋषभ भी उसे निराश नही करता और उसके रूमाल को पुनः अपने नाथुओं से सटा कर लंबी-लंबी साँसे अंदर खींचने लगता है. ममता से आँख चुराने का तो सवाल ही पैदा नही होता, यक़ीनन उसकी मा के जिस्म की गंध अन्य औरतों से अपेक्षाक्रत ज़्यादा मादक थी और जिसके प्रभाव से जल्द ही उसकी पलकें भारी हो कर बंद होने की कगार पर पहुँचने लगती है.
कौतूहल चंचल अश्व समान होता है, विचारों की वल्गा चाहे जितनी भी ज़ोर से तानो लेकिन वह दौड़ता ही जाता है. ममता अधीर हो उठी थी, अवाक हो कर ऋषभ के चेहरे के भाव पढ़ने का प्रयत्न कर रही थी. चाहती थी कि उसका पुत्र अत्यंत तुरंत स्वीकार कर ले कि वो गंध उसकी मा की ही है और जिसकी तारीफ़ भी वह पूर्व में कर ही चुका था. निश्चित तौर पर तो नही परंतु हमेशा की तरह ही वह अपनी चूत की गहराई में अत्यधिक सिहरन की तीव्र लहर दौड़ती महसूस करने को बेहद आतुर हो चली थी, जिसके एहसास से वह काफ़ी दीनो से वंचित थी.
"माना पहले उसने झूट बोला था मगर दोबारा बोलने की संभावना अब बिल्कुल नही है" उसने मंन ही मंन सोचा और ऋषभ के जवाब की प्रतीक्षा करने लगती है.
"मा! मैं परेशान हूँ" ऋषभ हौले से बुद्बुदाया, उसका कथन और स्वर दोनो एक-दूसरे के परिचायक थे.
ममता को पुष्टिकरण चाहिए था वह भी एक मर्द से, फिर चाहे वह मर्द उसका सगा बेटा ही क्यों ना था. उसने अपने चेहरे की शरमाहट को छुपाने का असफल प्रयास किया और फॉरन चहेक पड़ी.
"हां हां बोल ना, मैं सुनना चाहती हूँ रेशू" उसके अल्फाज़ो में महत्वाकांक्षा की प्रचूरता व्याप्त थी जैसे अपने व्यक्तिगत रहस्य को अपने पुत्र के साथ सांझा करने में उसे बेहद प्रसन्नता हो रही हो.
"तुम पहली बार क्लिनिक पर आई और मैने चाइ-पानी के लिए भी नही पुछा" ऋषभ ने शरारत की, वह बेहद उदासीन लहजे में बोला मानो उस विषय से अपना पिच्छा छुड़ाने की कोशिश कर रहा हो. उसकी मा पहले ही उस पर अपनी भावनाओं को काफ़ी हद्द तक अभिव्यक्त कर चुकी थी और वह नही चाहता था कि इससे ज़्यादा खुलापन्न उनके दरमियाँ उत्पन्न हो.
"मैं यहाँ शीतल से मिलने आई थी" ऋषभ का कथन सुन कर ममता को झटका अवश्य लगता है परंतु वह कर भी क्या सकती थी और पुत्र द्वारा अवमानना हासिल करने के उपरांत ही उसने स्पष्ट-रूप से अपने आगमन का उल्लेख कर दिया.
"शीतल से" ऋषभ चौंका "मगर मा! वह तो नौकरी छोड़ कर वापस अपने घर चली गयी" उसने बताया.
"पर पिच्छले साप्ताह तक तो यहीं थी" स्वयं ममता भी हैरान हो उठती है.
Reply


Messages In This Thread
RE: Maa ki Chudai माँ का चैकअप - by sexstories - 08-07-2018, 10:49 PM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 10,999 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 5,252 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 3,653 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,752,987 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 576,857 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,341,858 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,026,198 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,802,417 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,204,303 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,164,926 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)