RE: Maa ki Chudai माँ का चैकअप
"रेशू" ममता हौले से फुसफुसाई.
"क .. कहाँ ?" उसने सवालिया लहजे में पुछा, हलाकी वह पुच्छना तो कुच्छ और ही चाहती थी लेकिन अत्यंत लाज स्वरूप उसके गले से आवाज़ नही निकल पाती. उसके लिए यह जानना बहुत ज़रूरी था कि उसे अपना संपूर्ण निचला धड़ नंगा करना होगा या मात्र साड़ी उँची करने भर से काम चल जाता.
"यहीं मा और अपना ब्लाउस भी उतार देना" ऋषभ ने विस्फोट किया. बिना पुच्छे ही ममता को अपने प्रश्न का जवाब तो मिला मगर इतनी निर्लज्जता से परिपूर्ण की जिसे सुन कर आकस्मात ही उसकी रूह काँप उठती है.
"ब .. ब .. ब्लाउस! पर .... " ममता बुरी तरह हकला गयी और अपना कथन अधूरा छोड़ते हुवे ऋषभ की आँखों में झाँकने लगती है.
"हां मा! तुम्हे अपना ब्लाउस उतारना होगा. मैं तुम्हारे स्तनो की जाँच भी करूँगा" ऋषभ ने बिना किसी अतिरिक्त झिझक के कहा, उसके चेहरे के स्थिर भाव इस बात के सूचक थे कि वह बेहद गंभीरतापूर्वक वार्तालाप कर रहा था.
"मगर मेरे स्तनो को क्या हुवा रेशू ?" ममता ने शंकित स्वर में पुछा, उसकी आँखें जो पूर्व में उसके पुत्र की आखों से जुड़ी हुई थी अपने आप ही तंग ब्लाउस में क़ैद उसके दोनो मम्मो पर गौर फरमाने लगती हैं.
"तुम्हारी उमर की औरतें अक्सर मेरे क्लिनिक में स्तन कॅन्सर से संबंधित परामर्श लेने आती हैं" ऋषभ ने बताया.
"तो क्या मुझे भी स्तन कॅन्सर है रेशू ?" ममता अचानक से घबरा गयी, कोई भी औरत घबरा जाती. आख़िर ज़िंदगी से बढ़ कर किसी अन्य वस्तु का मोह मनुष्य को कभी हो सका है भला. नही! कभी नही.
"मैने यह तो नही कहा कि तुम्हे स्तन कॅन्सर है, मैं सिर्फ़ एक संभावना व्यक्त कर रहा हूँ मा" ऋषभ ने उसकी घबराहट को दूर करने का प्रयत्न करते हुए कहा.
"इसलिए तुम अपना ब्लाउस और ब्रा दोनो उतार देना मा" कह कर वह मेज़ पर जहाँ-तहाँ फैले पड़े काग़ज़ों को समेटने लगता है. ममता असमजस की स्थिति में फस गयी थी, एक तरफ उसे अपने जवान पुत्र के समक्ष अब पूर्ण रूप से नंगा होना पड़ता और दूसरी तरफ कॅन्सर जैसी ला-इलाज बीमारी का नाम सुनने के बाद उसके दिल ओ दिमाग़ में अंजाना भय भी व्याप्त हो चुका था.
ममता ने कुच्छ गहरी साँसे ले कर खुद को सयांत करने का असफल प्रयत्न किया और तत-पश्चात अपनी कुर्सी से उठने लगती है. उसे अपने घुटने शून्य में परिवर्तित होते जान पड़ते हैं जैसे उनमें रक्त का संचार आकस्मात ही रुक गया हो. जैसे-तैसे वह अपनी कुर्सी से चार कदम पिछे हट पाई और अपनी निगाहें अपने पुत्र के व्यस्त चेहरे पर टिका कर अपनी साड़ी का पल्लू संभालती पिन को खोलने के उद्देश्य से उस तक अपने दोनो हाथ ले जाती है लेकिन तभी ऋषभ उसे अपने कार्य से मुक्त हुवा नज़र आता है.
"मा! यह गहरे रंग की साड़ी तुम्हारी गोरी रंगत पर बहुत फॅब रही है" ऋषभ अपने हाथो को कैंची के आकार में ढाल कर अपनी कुर्सी पर पसरते हुए बोला. अपनी सग़ी मा को प्रत्यक्षरूप से नंगी होते देखना कितना रोमांचकारी पल हो सकता है, जब कि आप खुद एक जवान मर्द की श्रेणी में आते हों.
"थॅंक्स रेशू! तेरे पापा ने पिच्छली सालगिरह पर गिफ्ट की थी" ममता लजाते हुवे बोली. अपने पहले ही प्रयास में वह अपना पल्लू संभालते हुए पिन को खोल चुकी थी.
"वैसे मा! तुम्हारा शारीरिक अनुपात एक-दम पर्फेक्ट है. तुम्हारे मम्मे, कमर और चूतड़ पूरी तरह कपड़ो से ढके होने के बावजूद भी मैं दावे से कह सकता हूँ" ऋषभ अश्लीतापूर्वक बोला, वह स्वयं हैरान था कि कैसे उसके मूँह से इतनी शरम्नाक बात निकल गयी थी.
"धात्ट" ममता के गाल सुर्ख लाल हो उठे, उसका बेटा तो नंगी हुवे बगैर ही उसके छर्हरे बदन का ग्याता हो चला था और निर्लज्जतापूर्ण ढंग से उसे इस बात का स्पष्टीकरण भी कर रहा था. उसने फॉरन अपने पल्लू को नीचे गिराया और इसके बाद पेटिकोट के अंदर खुरसी अपनी साड़ी को भी तीव्रता से बाहर खींचने लगती है, पल-पल की घुटन व शरम से बहाल शायद वह एक ही बार में पूरी तरह से नंगी हो जाना चाहती थी.
"मा! जाने मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि तुम अब भी किसी दबाव में हो" अपनी मा की अचानक से बढ़ती गति को देख ऋषभ ने उसे टोकते हुवे कहा.
"नही तो! मैने सर्टिफिकेट पर सिग्नेचर भी तो किए हैं" ममता ने अपनी अधिकांश खुल चुकी साड़ी अपने हाथो की पकड़ से छोड़ दी और तुरंत वो नीचे गिर कर उसके पैरो में इकट्ठी हो जाती है.
"हां किए तो हैं मगर इतनी जल्दबाज़ी में अपने कपड़े क्यों उतार रही हो ? ऐसा सोचो ना कि तुम ऑफीस से घर लौटने के बाद अपने बंद बेडरूम में चेंज कर रही हो, इससे तुम्हे बहुत राहत महसूस होगी मा" ऋषभ मुस्कुरा कर बोला. ममता की अनियंत्रित धड़कनो का तो कोई पारवार ही शेष ना था, जिसकी धकधकती ध्वनि को वह अपने दिल से कहीं ज़्यादा अपनी स्पन्दन्शील चूत के भीतर सुन पा रही थी, साड़ी से आज़ाद होते ही उसकी पलकें मुन्दने लगती हैं. उसने विचारने में थोड़ा वक़्त लिया कि पहले अपना ब्लाउस उतारे या फिर अपना पेटिकोट मगर निर्णय कर पाना उसकी सहेन-शक्ति से बाहर हो चला था.
"रेशू! तू पहले मेरे स्तनो की जाँच करेगा या मेरी योनि की ?" ममता ने हौले से पुछा मगर उसकी आवाज़ उसके पुत्र तक नही पहुँच पाती, ऋषभ को अंदाज़ा ज़रूर हुआ कि उसकी मा ने उससे कुच्छ कहना चाहा है और जिसे वह सुन नही पाया था.
|