RE: Maa Sex Chudai माँ बेटा और नौकरानी
दुसरे दिन माँ बहुत तृप्त लग रही थी | चलते चलते थोड़े पैर अलग फैला कर चल रही थी | मैं स्कूल के लिए तैयार हुआ और जाने लगा तो माँ ने मुझे बुलाया
“कुनाल बेटे, आज से घोटू तुझे साइकिल पर पंहुचा दिया करेगा” |
मैं थोडा डरा हुआ था | काफी सोचने के बाद मुझे कुछ अंदाजा होने लगा था कि घोटू की मुझमें इतनी दिलचस्पी क्यों थी और उन माँ बेटे ने मिल कर क्यों माँ से अपनी बात कल रात मनवा ली थी | घोटू की कल की बातें याद करके मैं आनाकानी करने लगा |
“माँ , मैं तो रोज जाता हूँ अपनी साइकिल पर घोटू की जरुरत नहीं है” |
मन ही मन डर लग रहा था कि घोटू नाजाने मेरे साथ क्या करे, वैसे माँ को चोदता हुआ उसका लंड मुझे बड़ा प्यारा लगा था | एक बार ऐसा भी लगा था कि उसे चूम लूं | माँ ने मेरे एक ना सूनी वो कामसुख में पागल थी और झुमरी को वचन दे चुकी थी |
नाराज हो कर उसने सीधे मुझे एक तमाचा लगा दिया और डांट कर बोली, “अब मार खाएगा बुरी तरह, चुपचाप घोटू के साथ जा और वो जो कहे वैसा कर, जब घोटू खुद तैयार है तुझे छोड़ने को तो तुझे साइकिल पर जाने की क्या जरुरत है, पिछले हफ्ते गिर पड़ा था तो कैसे घुटना फूट गया था , अब बात ख़त्म” |
मैं रुआंसा घोटू के साथ हो लिया | घोटू मेरे गाल सहला कर प्यार से बोला, “माँ के तमाचे का बुरा नहीं मानते मुन्ना , तू घबराता क्यों है, मैं दुश्मन थोड़े ही हूँ तुम्हारा , बहुत प्यार से स्कूल ले जाऊंगा, माँ जानती हैं कि मैं तुझसे कितना प्यार करता हूँ ,मेरी माँ भी बहुत चाह्ती है तुझे” |
मैं कहने वाला था कि मालूम है, कैसे तुम दोनों मुझे चाहते हो, पर चुप रहा | डर के साथ मैं उत्सुक भी था कि अब क्या होगा | आखिर मैं अपनी रंडी माँ का बेटा जो था | उसका कामुक स्वभाव मुझे विरासत में मिला था | मैंने कहा, “घोटू भैया , अभी तो एक घंटा है , स्कूल शुरू होने में . इतनी जल्दी जा कर मैं क्या करूँगा” |
वो हंस कर बोला, ”चलो तो मुन्ना, मजा करेंगे ,थोड़ी जंगल की सैर कराते हैं तुझे” |
घोटू ने मेरा बस्ता करियर पर लगाया और मुझे साइकिल पर आगे डंडे पर बिठाकर चल दिया | आज वो बहुत मूड में था और गुनगुना रहा था | बार बार झुककर मेरे बालों को चूम लेता था | स्कूल जाते समय एक घना जंगल पड़ता था | वहां वो एक सुनसान जगह पर रुक गया और साइकिल से उतरकर धकेलता हुआ जंगल के अन्दर घनी झाडी के पीछे ले गया | साइकिल खडी करके उसने मुझे उतरने को कहा |
फिर उसने चादर बिछाई और मुझे उसपर बिठाकर खुद मेरे पास बैठ गया | “आओ मुन्ना, थोडा यहाँ छाँव में बैठकर गपशप करते हैं” |
आज वो धोती पहने था | वैसे अक्सर वो पेंट ही पहनता था | मैंने देखा कि उसकी धोती में एक बड़ा तम्बू बन गया था | घोटू का लौड़ा कस कर खड़ा था | घोटू मेरी और बड़े प्यार से देख रहा था | मुझे देखते हुए उसने अपना हाथ धोती के ऊपर से ही अपने लौड़े पर रखा और उसे सहलाने लगा | मैं अब घबरा गया था | पर एक अजीब अनकही चाहत से मेरा मन भर गया था | मैंने पूछा, “हम यहाँ क्यों रुके हैं घोटू और तुम यह क्या कर रहे हो?” उसने कोई जवाब नहीं दिया और अचानक मुझे अपनी गोद में खींचकर मेरे गाल चूमने लगा |
“यह क्या कर रहे हो घोटू भैया? छोडो ना”, मैं घबरा कर चिलाया | पर उसने मेरे मुंह को अपने मुंह से बंद कर दिया और हाफ पेंट के ऊपर से ही मेरे शिश्न पर हाथ फेरने लगा | मुझे अजीब सा लग रहा था और मैं कल की देखी और सुनी बातों को याद कर के घबरा भी रहा था |
उसके चुन्ग्ल से छूटने को मैं हाथ पैर फटकने लगा | घोटू के सख्त बाहुपाश के आग मेरी क्या चलने वाली थी? मेरे होंठों को अपने होंठों में दबा कर चूसते हुए मुझे बाँहों में भींचकर वो मेरे लंड को सहलाता रहा | उसके हाथ ने ऐसा जादू किया कि मेरा लंड कुछ ही देर में तन कर खड़ा हो गया |
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