Maa Sex Kahani माँ का आशिक
10-08-2020, 02:07 PM,
#81
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
सब्जी कट चुकी थी इसलिए शहनाज़ खाना बनाने लगी और शादाब छत पर घूमने चला गया। थोड़ी देर खाना बन गया था और दोनो मा बेटे के खाना खाना शुरू किया तो आज शहनाज़ ने अपने हाथ से खाने का निवाला बनाकर अपने बेटे को खिलाया तो शादाब खुशी से झूम उठा और उसने भी शहनाज़ को अपने हाथ से खाना खिलाया। दोनो मा बेटे जल्दी ही खाना खाकर सोने के लिए बेड पर चले गए। शहनाज़ ने एक ढीली सी नाइटी जबकि शादाब ने भी बहुत बारीक कपडे पहन लिया था। बेड पर जाते ही शहनाज़ ने शादाब को अपनी बांहों में भर लिया और अपना सिर उसके कंधे पर टिका दिया तो सादाब ने भी अपनी अम्मी को खुद में समेट लिया और दोनो मा बेटे एक दूसरे से पूरी तरह से चिपक गए।

शहनाज़ आज दिन में हुए हादसे के बारे में सोच रही थी कि किस तरह से शादाब ने उसकी जरा सी भी बुराई बर्दास्त नहीं करी और बिना सोचे समझे रेहाना से लड़ पड़ा। शहनाज़ अपने बेटे की इस बात पर बहुत खुश हुई और उसने शादाब का गाल चूम लिया तो शादाब ने हैरानी से उसकी तरफ देखा तो शहनाज़ बोली:"

" शादाब बेटा जितना प्यार तू मुझसे करता हैं, उससे कहीं ज्यादा मै तुझसे करती हूं मेरे लाल।

शादाब ने बस शहनाज़ को स्माइल किया और चुप हो गया

शहनाज:" बेटा वो मुझे जाहिल और पुराने जमाने की बोल रही थी, मेरे बेटे को मेरी वजह से सुनना पड़ा मुझे इसका दुख हैं शादाब।

शादाब:" अम्मी जाहिल औरत वो खुद हैं जो अपने पति के जिंदा होते हुए भी अपनी बेटे और मुझे भी फसा रही थी।

शहनाज़:" बेटा अब तेरी मा तेरे हिसाब से चलेगी, बदल दे मुझे नए जमाने के हिसाब से शादाब, मैं एक दिन उसकी आंखो में आंखे डाल कर उसे जवाब दूंगी

शादाब को जैसे उसकी बात पर यकीन ही नहीं हुआ इसलिए वो खुशी छिपाते हुए बोला:"

" क्या अम्मी ? क्या कहा आपने प्लीज़ एक बार और बताओ मैंने ठीक से सुना नहीं ?

शहनाज़ जानती थी कि उसका बेटा जान बूझकर दोबारा पूछ रहा हैं इसलिए वो पूरे आत्म विश्वास के साथ बोली:

" बेटा बदल दे मुझे अपने हिसाब से जैसे तू चाहे, मैं उस कमीनी को दिखा दूंगी कि मैं भी जमाने के साथ चल सकती हूं।

शादाब:" ठीक हैं अम्मी, कल से आपकी ट्रेनिंग शुरु, मैं आपको पूरी तरह से बदल दूंगा।

शहनाज़ ने खुश होकर शादाब का गाल चूम लिया और उससे लिपट गई। दोनो मा बेटे एक दूसरे से लिपट कर सो गए। अलग दिन सुबह 5 बजे शादाब और शहनाज़ दोनो उठ गए और शादाब ने अपनी अम्मी को अपने हाथ बहुत हल्की कसरत कराई तो शहनाज़ आज एक अलग ही खुशी महसूस कर रही थी। उसके बाद नाश्ता करने के बाद शादाब शहनाज़ को लेकर शहर की तरफ निकल गया।

शहनाज ने रोड पर चढ़ते ही खुद ही अपना बुर्का उतार दिया और शादाब को एक स्माइल दी तो शादाब समझ गया कि शहनाज़ सचमुच बदल रही हैं। उसके बाद दोनो मॉल में गए और शादाब ने अपनी अम्मी के लिए एक से बढकर ट्रैक सुइट और जिम में कसरत करने के लिए ड्रेस ली, शहनाज़ के लिए उसने उसने कुछ जीन्स और टी शर्ट भी खरीद ली, शहनाज़ आज कुछ बोल नहीं रही थी बल्कि खुश होकर अपनी पसंद के अनुसार ड्रेस खरीद रही थी। जब शॉपिंग का सब काम खत्म हो गया तो शादाब अपनी अम्मी को एक लेडीज सैलून में के गया और उसके बालो को स्टेट किया और एक नए डिजाइन का कट करवा दिया। शहनाज़ अपने आपको शीशे में देखना चाहती थी लेकिन शादाब ने मना कर दिया और बोला:"

" अम्मी जब तक मैं नहीं कहूंगा आप खुद को शीशे में नहीं देखेंगे।

शहनाज़ अपने बेटे की जिद के चलते मजबुर हो गई और उसके बाद शादाब ने अपनी अम्मी को खाना खिलाया और फिर आते हुए एक जिम में अपना और शहनाज़ का रजिस्ट्रेशन करा दिया और उसके बाद दोनो घर की तरफ चल पड़े। आज शहनाज़ बहुत खुश थी इसलिए घर आते ही शादाब से कस कर चिपक गई। दोनो मा बेटे एक दूसरे के दिल की धड़कन सब रहे थे और किसी दूसरी दुनिया में ही पहुंच गए थे। शहनाज़ बोली:"

" शादाब तू मेरा इतना ख्याल रख रहा है बेटा, तुझे कभी कभी मुझ पर बहुत गुस्सा आता होगा कि मैंने तुझे तेरा प्यार नहीं दिया।

शादाब:" अम्मी मैं उस बारे में कोई बात नहीं करना चाहता, आप खुश हो मेरे लिए बहुत हैं।

शहनाज़:" लेकिन मेरा बेटा खुश नहीं हैं, मैं ये जानती हूं शादाब, मैं बहुत बुरी मा हूं ना।

शादाब उसका गाल चूम कर:" अम्मी आप तो दुनिया की सबसे अच्छी अम्मी हो जो अपने बेटे को इतना प्यार करती है।

शहनाज़;" बेटा मुझे थोड़ा टाइम दे, ऐसा नहीं है कि मैं तुझे प्यार नही करती, मैं दुनिया की सबसे अच्छी मा के साथ साथ कुछ और भी बनना चाहती हूं।

शादाब:" कुछ और क्या बनना चाहती हो आप ?

शहनाज़:" बेटा मैं नहीं बोल पाऊंगी, वक़्त आने पर तुझे अपने आप पता चल जाएगा।

शादाब ने मुस्करा कर शहनाज़ को देखा और दोनो मा बेटे घर के काम में लग गए। शहनाज़ खाने की तैयारी करने लगी और शादाब अपने मोबाइल में फिर से मूवी देखने लगा। शादाब की औरत के जिस्म के बारे में जिज्ञासा बढ़ती ही जा रही थी और वो मौका मिलते ही मूवी देखने लगता था।

खाना बन चुका था इसलिए दोनो ने खाना खा लिया और उसके बाद शादाब बोला:"

" अम्मी आज जल्दी सो जाना,कल से आपको जिम करने के लिए जाना हैं।

शहनाज़:" ठीक हैं बेटा, आओ चलते हैं सोने के लिए।

उसके बाद दोनो मा बेटे अपने कपडे बदल कर सोने के लिए चले गए। दोनो रोज की तरह एक दूसरे की बांहों में सो गए। अगले दिन सुबह दोनो जिम के लिए निकल पड़े, शहनाज़ ट्रैक सुट में बहुत खूबसूरत लग रही थीं। दोनो मा बेटे ने एक ही रंग के कपड़े पहने हुए थे तो शादाब बोला:"

" अम्मी एक बात कहूं अगर आपको बुरा ना लगे तो ?

शहनाज़:" हान बोल बेटा मुझे अब तेरी कोई बात बुरी नहीं लगती मेरे बेटा ?

शादाब:" देखो अम्मी, आपको देखने से बिल्कुल भी नहीं लगता कि आप एक जवान बेटे की मा हो, इसलिए मैं चाहता हूं कि मैं आपको जिम में अम्मी ना बुलाऊ?
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10-08-2020, 02:07 PM,
#82
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शहनाज़:" ठीक हैं बेटा, लेकिन फिर क्या कहकर बोलेगा ?

शादाब:" अम्मी मुझे लगता हैं कि मुझे आपको नाज़ कहकर पुकारना चाहिए।

शहनाज़:" ठीक हैं बेटा, मुझे बहुत पसंद आया ये नाम, शहनाज़ का आधा नाम नाज ही होता है।

शादाब:" लेकिन आप मुझे बेटा कहकर बुलाएगी तो मुझे आपकी नाज़ कहने का कोई फायदा नहीं होगा नाज !!

शहनाज अपनें बेटे के मुंह से नाज सुनकर खुश हो गई और बोली:"

" ठीक हैं मैं तुझे बेटा नहीं बल्कि राजा कहकर बुलाऊंगी। अब खुश हो राजा ?

शादाब मुस्कुरा दिया और दोनो मा बेटे जिम एक अंदर घुस गए। अंदर जाते ही शहनाज़ को देखते ही वहां जिम कर रहे लड़को की आंखो में चमक उभर आई। शादाब और शहनाज दोनो से ये सब छुपा ना रह सका और दोनो के दूसरे को देख कर मुस्करा दिए। उसके बाद दोनो ट्रेनर के हिसाब से जिम करने लगे, शहनाज़ का जिस्म पूरी तरह से भरा हुआ था और घर के काम की वजह से बहुत हद तक फिट भी था लेकिन जिम करने की वजह से अब सही जगह पर कट पड़ जाने तय थे।

शादाब बाथरूम करने के लिए गया तो एक लड़का शहनाज को इंप्रेस करने के लिए अा गया और बोला :" मैडम आपका जिस्म तो पहले से ही फिट हैं बस थोड़ी सी मेहनत कीजिए बिल्कुल फिट ही जाएगी आप।

शहनाज़ ने एक तिरछी नजर उसे देखा और फिर से जिम करने लगी तो लड़का बोला:".

" मैडम क्या आप मुझसे दोस्ती कर सकती है?

शहनाज़ को उसकी बात पर यकीन नहीं हुआ, कमीना अपनी मा की उमर की औरत पर लाइन मार रहा हैं इसलिए शहनाज़ बोली :"

" जाइए आप अपना काम कीजिए, अगर राजा अा गया तो आपको दिक्कत ही जाएगी।

लड़का:" अच्छा जो आपके साथ आया है वो राजा हैं, बहुत खूबसूरत है आपका बॉय फ्रेंड मैडम। आपकी जोड़ी एक दम मस्त हैं।

इतना कहकर वो लड़का वहां से चला गया और थोड़ी देर के बाद शादाब भी अा गया तो दोनो मा बेटे घर की तरफ चल पड़े। ऐसे ही मात्र 10 दिन के अंदर ही शहनाज़ के जिस्म पूरी तरह से बदल गया और सीना और चूतड़ पहले से ज्यादा भारी होते चले गए जबकि कमर एक दम पतली सी हो गईं। शहनाज अपने जिस्म में बदलाव तो साफ महसूस कर रही थी लेकिन शीशा नहीं देख रही थी। एक औरत के लिए शीशा ना देख पाना किसी सजा से कम नहीं होता और शहनाज़ हंस कर इस सजा को कुबूल कर रही थी।
अब तो शहनाज़ ने घर में भी शादाब को बेटा बोलना बंद का दिया था और राजा ही बोलती थी वहीं शादाब को शहनाज़ को मा कहकर पुकारें हुए एक लंबा टाइम बीत गया और बस नाज़ ही बुला रहा था।

एक दिन जिम करते हुए एक लड़की ने शहनाज़ को बोला दिया :"

" नाज़ तुम बहुत किस्मत वाली हो तुम्हारा बॉय फ्रेंड एक दम हीरो के जैसा हैं, इतना खूबसूरत लड़का मैंने आज तक नहीं देखा।

शहनाज़ अंदर ही अंदर मुस्करा उठी और लड़की को स्माइल दी, फिर धीरे धीरे बात यहां तक अा गई कि जिम में ही कुछ लडको ने तो शहनाज़ को नाज़ भाभी कहना शुरू कर दिया जिसका उसने बिल्कुल भी विरोध नहीं किया। शादाब अपनी अम्मी में आए इन बदलाव को देख रहा था और खुश था, अब लोगो की नजर में दोनो कपल बन चुके थे। शहनाज़ को विश्वास हो गया था कि सच में उसका जिस्म एकदम जवान हैं और पूरी तरह से कस गया हैं जिम करने की वजह से।

फिर एक दिन वहीं हुआ जिसका शहनाज़ को डर था, जब वो रास्ते से लौट रहे थे तो रेहाना के भेजे हुए गुंडों ने उन पर हमला कर दिया। शादाब ने उनका डटकर सामना किया लेकिन कुछ गुंडे शहनाज़ को खेत में उठा ले गए और शादाब बाकी गुंडों से लड़ता रहा। शादाब शहनाज़ को ले जाते देखकर गुस्से से बाहर उठा और उसके हाथ में एक मोटा लकड़ी का डंडा अा गया तो उसने एक के बाद भी करके गुंडों को पीटना शुरू कर दिया। जल्दी ही सब गुंडे जमीन पर पड़े हुए थे, शादाब शहनाज़ को ढूंढ रहा था लेकिन वो नहीं मिल रही थी।

गुंडे शहनाज़ को एक गन्ने के खेत में उठा ले गए जिस कारण शादाब को शहनाज़ नहीं मिल पा रही थी। दो गुंडों ने शाहनाज के हाथ पैर पकड़ लिए और उसे बांध दिया और एक काले जानवर से दिखने वाले गुंडे ने उसकी सलवार फाड़ दी। शहनाज़ बुरी तरह से रो रही थी और गुंडों के आगे हाथ जोड़ रही थी लेकिन एक गुंडे ने अपना काला गंदा सा लंड लेकर उसकी जांघो के बीच अा गया और एक गुंडे से बोला:"

" जैसे ही मैं इसकी चूत में लंड घुसा दू तो इस साली के मुंह पर तेजाब फेंक देना।

शहनाज़ ने डर के मारे अपनी जांघों को पूरी तरह से भींच लिया और जोर जोर से शादाब को आवाज देने लगी। शादाब को जैसे ही शहनाज की आवाज सुनाई दी तो वो तेजी से खेत में घुस गया और अपने मा को इस हालत में देखते ही उसकी आंखो में खून सवार हो गया और उसने शहनाज़ की टांगो के बीच में घुसे हुए गुंडे के सिर में जोर से वार किया और वो गिर पड़ा। शहनाज़ तेजी के साथ खड़ी हो गई और अपने कपड़े ठीक करने लगीं उसके बाद शादाब ने एक के बाद एक सभी गुंडों की लाशे बिछा दी और शहनाज़ डर के मारे कांपती हुई शादाब से लिपट गई।

शहनाज:_ बेटा अच्छा हुआ तू अा गया,। नहीं तो मैं तो आज किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहती।

शादाब:" अम्मी जब तक मै जिंदा हू कोई आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।

शहनाज़ और शादाब ने मिलकर गुंडों की लाश को गाड़ी में डाल दिया और घर की तरफ चल पड़े। शहनाज़ अभी तक बुरी तरह से डरी हुई थी। बाहर रात गहरा चुकी थी तो शादाब ने सभी गुंडों कि लाशे रेहाना के घर के अंदर फेंक दी और शादाब ने जान बूझकर खून के निशान उसके घर के दरवाजे पर भी बना दिए और दोनो मा बेटे अपने घर की तरफ चल पड़े।

शादाब को भी चोट लगी थी लेकिन बहुत ज्यादा चोट नहीं थी। घर जाकर शादाब ने सबसे पहले अपने खून से रंगे हुए कपडे निकाले और नहाने के लिए घुस गया। शहनाज़ नीचे बने हुए बाथरूम में घुस गई। जल्दी ही दोनो मा बेटे नहाकर कपड़े बदल चुके थे।
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10-08-2020, 02:07 PM,
#83
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दोनो में से किसी को भी भूख नहीं थी इसलिए दोनो शहनाज़ के बेड पर लेट गए। शहनाज़ आज अपने बेटे के बारे में सोच रही थी कि किस तरह से शादाब ने चोट लगने के बाद भी उसे बचाया, नहीं तो आज वो किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहती। शादाब ने सिर्फ उसकी जान ही नहीं बल्कि इज्जत भी बचाई और जब उसकी सलवार फट गई थी तो शादाब ने एक बार भी नजरे उठाकर शहनाज़ की तरफ नहीं देखा था जब तक कि उसने अपने कपड़े ठीक नहीं कर दिए। शहनाज़ ये सब सोचते सोचते आज शहनाज पूरी तरह से अपने बेटे के सामने हार गई। उसने आखिर आज वो फैसला ले ही लिया जो दुनिया और समाज के नियमो के खिलाफ था।

शहनाज ने अपने बेटे के चेहरे को अपने हाथो में भर लिया और उसकी आंखो में देखते हुए बोली:"

" शादाब तूने तो मुझे एक बेटे की तरह प्यार दिया और शौहर की तरह मेरा ध्यान रखा और जान पर खेलकर बचाया, आज मैं तेरे आगे हार गई शादाब।

शादाब ने अपनी अम्मी की आंखो में देखा तो उसे सच्चाई नजर अाई और वो खुश होते हुए बोला : क्या अम्मी सच में ?

शहनाज़ उसके होंठ चूमकर बोली:" शादाब निकाह तो तुमने पहले ही कर लिया था आज मेरा सब कुछ जीत लिया, ये शहनाज़ आज तुम्हे तन मन धन से अपना शौहर मानती हैं।

इतना कहकर शहनाज़ ने शादाब का गाल चन लिया तो शादाब ने शहनाज को अपनी बांहों में भर लिया और बोला :"

" शहनाज़ मैं कहीं सपना तो नहीं देख रहा हूं ?

शहनाज़:" तुम्हारे हर सपने को अब मैं हक़ीक़त में बदल दूंगी। इतना कहकर शहनाज़ बेड पर सीधी लेट गई और शादाब की तरफ देखते हुए बोली:"

" अा जाओ मेरे राजा, आज अपने सुहागरात मनाए।

शादाब को तो जैसे यकीन ही नहीं हो रहा था कि ये सब उसकी अम्मी बोल रही हैं। शादाब ने शहनाज़ का हाथ पकड़ कर उसे बैठा दिया और बोला:"

" शहनाज़ मैं तुम्हारे जिस्म का नहीं बल्कि तुम्हारे प्यार का भूखा हू, अा जाओ मेरी बांहों में।

शहनाज और शादाब दोनो एक दूसरे की बाहों में खो गए और दिन भर के थके होने के कारण उन्हें नींद अा गई।

अगले दिन सुबह जब रेहाना और उसके पति ने अपने पालतू कुत्तों की लाशे अपने घर के अंदर देखी तो दोनो की गांड़ फट गई। घर के बाहर फैला हुआ खून देखकर एक पड़ोसी ने पुलिस को फोन कर दिया। पुलिस अा गई और रेहाना के घर के अंदर घुस गई तो लाशे देखकर दोनो को पकड़ लिया और थाने के गई। पूरा मोहल्ला रेहाना के खिलाफ था, ना कोई गांव और ना ही किसी रिश्तेदार ने उनका पक्ष लिया। चूंकि उनका पहले से ही अपराधिक रिकॉर्ड था इसलिए अदालत ने मर्डर का जिम्मेदार मानते हुए उन्हें जेल भेज दिया। रेहाना सब सच्चाई जानती थी लेकिन बोल नहीं पाई क्योंकि बोलकर भी उसने और ज्यादा फस जाना था।

जब शहनाज़ को ये खबर पता चली तो उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था, उसे अपने बेटे/ पति के दिमाग पर गर्व महसूस हुआ।

जैसे ही शहनाज़ को रेहाना के जेल जाने की खबर मिली तो वो खुशी से झूम उठी और शादाब को अपनी बांहों में भर लिया और बोली:"

" तुमने तो कमाल ही कर दिया राजा, ऐसा बदला लोगे मुझे सपने में भी उम्मीद नहीं थी।

शादाब अपने अम्मी के गाल सहला कर बोला:" आपकी तरफ नजर उठाने वाला का यहीं हाल कर दूंगा मैं नाज।

शहनाज़ अपने बेटे की बात सुनकर उसके गाल को चूमते हुए बोली:" शादाब मैं ऐसे ही पति के सपने देखती थी जो ना सिर्फ मुझे प्यार करे बल्कि मेरी रक्षा भी करे और ये सब खूबी तुम्हारे अंदर हैं मेरे राजा।

शादाब:" अम्मी एक बार आप फिर से सोच लो, कहीं बाद मैं आपको पछतावा ना हो ?

शहनाज़ समझ गई कि शादाब के दिल में अभी उससे पहले हुई गलती की कसक हैं इसलिए शहनाज़ बोली:"

" जान तेरे नाम"

शादाब अपनी अम्मी के इस अंदाज़ पर फिदा हो गया और बोला :" बस शहनाज, अब मैं तुम्हे इतना प्यार दूंगा जिसकी तुमने कल्पना भी नहीं करी होगी।

शहनाज़ उसकी आंख में देखते हुए :" तो करो ना मेरे राजा, मैं तो कब से तड़प रही हूं।

शादाब:" अम्मी मैं आपको पूरी तरह से शारीरिक और मानसिक तौर भी तैयार करना चाहता हूं ताकि आप हमारे इस मधुर मिलन को हमेशा याद रखे।

शहनाज़:" मैं तो सब तरह से तैयार हूं राजा, जब तेरा मन करे मेरे शरीर के ज़र्रे ज़र्रे पर तेरा हक हैं मेरी जान।

इतना कहकर शहनाज़ ने अपने बदन को शादाब की बांहों में ढीला छोड़ दिया तो शादाब ने उसे खुद से चिपका लिया और बोला:"

"ठीक है अम्मी, आप हल्का पानी गर्म करो, मैं बाज़ार जाकर आता हूं, कुछ जरूरी सामान लाना हैं

शहनाज़ ने उसे स्माइल दी और शादाब ने जैसे ही अपने होंठ शहनाज़ की तरफ बढ़ाए तो शहनाज़ के होंठ कांपने लगे क्योंकि ये इज़हार के बाद पहली किस होने जा रही थी। शहनाज़ ने अपनी आंखे बंद कर ली और शादाब ने जान बूझकर शहनाज़ के माथे को चूम लिया तो एक झटके के साथ शहनाज़ की आंखे खुल गई। उसने अपने बेटे को देखा और स्माइल कर दी तो शादाब उसका हाथ थोड़ा जोर से दबा कर बाहर चला गया।
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10-08-2020, 02:07 PM,
#84
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शहनाज़ ने उसे स्माइल दी और शादाब ने जैसे ही अपने होंठ शहनाज़ की तरफ बढ़ाए तो शहनाज़ के होंठ कांपने लगे क्योंकि ये इज़हार के बाद पहली किस होने जा रही थी। शहनाज़ ने अपनी आंखे बंद कर ली और शादाब ने जान बूझकर शहनाज़ के माथे को चूम लिया तो एक झटके के साथ शहनाज़ की आंखे खुल गई। उसने अपने बेटे को देखा और स्माइल कर दी तो शादाब उसका हाथ थोड़ा जोर से दबा कर बाहर चला गया।

शादाब ने बाजार से मिठाई, कुछ सूती चादर, नए टॉवेल के साथ साथ हल्दी, बेसन, बादाम पाउडर, सब कुछ खरीद लिया और फिर घर की तरफ लौट पड़ा जहां शहनाज़ बेताबी से अपने बेटे का इंतजार कर रही थी।

शाहनाज ने पानी गर्म कर दिया था और शादाब का इंतजार कर रही थी। उसे समझ नहीं अा रहा था कि गर्म पानी का क्या काम होगा लेकिन अपने बेटे की हर इच्छा पूरी करना उसका फ़र्ज़ था क्योंकी वो जानती थी कि शादाब की हर बात के पीछे कोई ना कोई लॉजिक जरूर होता हैं। वो अपने बेटे को खुशी से अपना जिस्म सौंपने के लिए तैयार तो हो हुई थी लेकिन उसके अंदर डर अभी भी पनप रहा था क्योंकि वो जानती थी कि शादाब का लंड झेलना उसके लिए कितना मुश्किल होने जा रहा हैं।

शादाब अंदर अा गया तो शहनाज़ उसे देखते ही खुशी से खिल उठी और बोली:"

" अा गए मेरे राजा, क्या लेकर आए हो बाजार से ?

शादाब ने सब कुछ शहनाज़ को दिखा तो शहनाज़ मन ही मन मुस्कुरा उठी और बोली:"

" शादाब तू नहीं जानता कि जब मेरी शादी हुई थी तब भी मुझे हल्दी नहीं लगी थी क्योंकि एक ही दिन में सब कुछ हो गया था।आज पहली बार मेरे शरीर पर हल्दी लगेगी मेरे राजा।

शादाब:" आपक बेटा खुद अपने हाथो से आपको हल्दी लगाएगा मेरी जान, अपनी दुल्हन में खुद तैयार करूंगा।

शहनाज:" हान राजा, मैं भी तुझे खुद हल्दी लगाऊंगी, अपने दूल्हे को मैं भी खुद ही तैयार करूंगी।

शादाब:" वैसे अम्मी ऐसा दुनिया में पहली बार होगा कि कोई अपनी दुल्हन और दूल्हे को खुद तैयार करेगा।

शहनाज:" कमीने अगर मा से। कोई बेटा सुहागरात भी तो पहली ही बार मनाएगा।

इतना कहकर शादाब आज बहुत दिनों के बाद पहले की तरह शर्मा गई और शादाब के गले लग गई तो शादाब बोला:"

"अम्मी जितना शर्माना हैं पहले ही शर्मा लेना, कहीं सुहागरात को शरमाने में ही दिन ना निकल जाए।

शहनाज़ शादाब का हाथ पकड़ कर दबाते हुए बोली:"

"कोई बात नहीं राजा, तू फिर सुहागदिन मना लेना अपनी शहनाज़ के साथ।

शहनाज़ के मुंह से अपनी शहनाज़ सुनकर शादाब मस्ती से भर उठा और बोला:"

" अम्मी प्लीज़ एक बार और बोलो ना अपनी शहनाज़, बहुत अच्छा लगा आपके मुंह से मेरी जान।

शहनाज़ शर्म से लाल हो गई लेकिन बोली:"

" आह मेरे लाल, मेरे राजा, मैं सिर्फ अपने शादाब की शहनाज़ हूं, शादाब की शहनाज़।

शादाब की खुशी देखने लायक थी, उसने शहनाज़ को अपनी बांहों में उठा लिया और झूमने लगा तो शहनाज़ ने अपनी दोनो बांहे उसके गले में लपेट दी।

शहनाज़:" कितना तगड़ा हैं तू राजा, मुझे किसी फूल की तरह से उठा लेता हैं, सचमुच बहुत ताकत हैं तेरे अंदर।

शादाब अपनी तारीफ सुनकर खुशी से झूम उठा और लंड ने भी अपना सिर उठा दिया और शहनाज़ की कमर पर लग गया तो शहनाज़ को उसकी सांसे रुकती हुई सी महसूस हुई। शादाब शहनाज़ की हालत समझ गया और बोला:"

" अम्मी इसके अंदर भी बता दो कितनी ताकत हैं !

इतना कहते हुए शादाब ने अपने लंड को शहनाज़ की कमर में थोड़ा जोर से गड़ा दिया तो शहनाज का जिस्म मस्ती से भर उठा और बोली:"

" इसमें तो तेरे से भी ज्यादा ताकत हैं राजा, मूसल से भी ज्यादा अच्छा कूटता हैं ये, बस गलत चीज कूट देता है मेरे राजा। इसे फर्क नहीं पड़ता चाहे कितनी ही टाइट क्यों ना हो।

शादाब शहनाज़ की आंखो में देखते हुए बोला:"

" उफ्फ अम्मी जान टाइट जब ये टाइट चीज की धज्जियां बना देता हैं तो सोचो जो पहले से ही इतनी मुलायम हैं उसका क्या हाल कर देगा मेरी शहनाज़ !!

शहनाज़:" हाय अल्लाह, मुलायम चीज तो गई काम से, उफ्फ कहां वो मासूम बच्ची और कहां ये खूंखार जानवर!!

शादाब अपने लंड की तारीफ सुनकर खुश हुआ और फिर शहनाज़ को गोद से उतार दिया और बोला:"

" अम्मी आप उबटन तैयार करो, तब तक मैं ये सूती कपड़े पहन कर आता हूं।

इतना कहकर शादाब अंदर चला गया और अपने कपड़े उतार कर सिर्फ एक सूती चादर को अपनी जांघो पर बांध दिया और चल पड़ा। शहनाज़ ने उबटन तैयार कर लिया था और जैसे ही उसने शादाब को सिर्फ लुंगी में देखा तो उसकी आंखे वासना से लाल हो गई, शहनाज़ भी शादाब के आने से पहले ही अपने कपड़े उतार चुकी थी और सिर्फ के नया लाल रंग का टॉवेल उसने अपने सीने पर बांध रखा था जिसमें से उसकी चूचियों की गोलाई नजर आ रही थी।
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10-08-2020, 02:07 PM,
#85
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब बोला:"

" तो अम्मी बताए कि पहले आप अपने दूल्हे हो हल्दी लगाएगी या मैं अपने दुल्हन को लगा दू ?

शहनाज़ शादाब की बात सुनकर अंदर ही अंदर कांप उठी क्योंकि वो जानती थी कि उसका बेटा उसके पूरे जिस्म पर हल्दी लगाएगा तो उसकी हालत क्या हो जाएगी, इसलिए शहनाज़ बोली:"

" बेटा एक काम कर पहले तू ही लगा दे अपनी दुल्हन को हल्दी, ताकि फिर में आराम से तुझे हल्दी लगा दू।

शादाब अपनी अम्मी को बांहों में भर लिया और जैसे ही जोर से पकड़ा तो हाथो के दबाव के कारण शहनाज़ की चूचियां बाहर को छलक सी पड़ी। बस निप्पल को छोड़ कर लगभग पूरी चूची बाहर थी। शहनाज़ अपने बेटे की मजबूत पकड़ से कसमसा उठी और बोली:"

" आह ज़ालिम इतनी जोर से क्यों कसता है मुझे अपनी बांहों में!! लगता हैं जैसे हड्डी तोड़ देगा!

शादाब शहनाज़ की गर्दन चाटते हुए बोला: आह अम्मी , हड्डी नहीं पर और बहुत कुछ तोड़ना हैं मुझे आपका,

इतना कहकर शादाब ने एक हाथ शहनाज़ की गांड़ पर रख दिया तो शहनाज़ तड़प सी उठी और जोर लगाकर उसकी पकड़ से आजाद हो गई और बोली:"

" आह मेरी जान, जो तेरा मन करे तोड़ लेना मेरे राजा, सब कुछ तेरा ही तो हैं, चल अब जल्दी से मुझे हल्दी लगा दे।

शहनाज़ वहीं पड़े हुए एक गद्दे पर लेट गई जो कि शादाब ने अंदर से लाकर बिछा दिया था। शहनाज़ का जिस्म पूरी तरह से कांप रहा था और सांसे तेज होने से चूचियां उछल कूद कर रही थी जिससे शहनाज़ का मुंह शर्म से लाल हो गया और उसने शर्म के मारे हाथो से अपना मुंह छुपा लिया तो शादाब के होंठो पर मुस्कान अा गई और बोला:"

" हाय मेरी शर्मीली अम्मी, तुम्हारी इसी अदा ने तो मुझे तुम्हारा दीवाना बना दिया है।

इतना कहकर उसने शहनाज़ के हाथो पर हल्दी लगानी शुरू कर दी तो अपने बेटे के स्पर्श से शहनाज़ मचल उठी और शादाब ने उसके दोनो हाथो को उसके चेहरे से हटाकर पकड़ लिया तो शहनाज़ की आंखे हया से बंद हो गई और वो मुस्कुरा उठी। शादाब ने शाहनाज के दोनो हाथो पर बहुत अच्छे से हल्दी लगाई और फिर शहनाज़ की गर्दन पर मुंह पर हल्दी लगाने लगा तो शहनाज़ ने अपनी आंखे खोल दी और शादाब की तरफ प्यार भरी नजरो से देखने लगी।

शादाब:" ऐसा क्या देख रही हो शहनाज़ मुझे ?

शहनाज़ को अपने बेटे के मुंह से अपना नाम सुनना बहुत अच्छा लगा और वो बोली:"

" देख रही हूं कि कितने अच्छे से अपनी दुल्हन को हल्दी लगा रहे हो मेरे राजा

शादाब ने हाथ में थोड़ी हल्दी ली और उसके पैरो पर लगाते हुए बोला:"

" अम्मी मैं चाहता हूं कि मेरी दुल्हन दुनिया की सबसे खूबसूरत दुल्हन लगे सुहागरात को, बस इसलिए कर रहा हूं।

शादाब ने शहनाज़ के दोनो पैरो पर अच्छे से हल्दी लगाने के बाद उसकी जांघो में अपना हाथ घुसा दिया तो शहनाज़ का रोम रोम कांप उठा और उसने शर्म के मारे अपने जांघें बंद कर ली तो शादाब उसकी टांगो को खोलने लगा तो शहनाज ने इशारे से मना कर दिया तो शादाब बोला:"

" आह अम्मी, लगाने दो ना प्लीज़ हल्दी मुझे

शहनाज़ अपनी आंखे बंद करते हुए बोली:"

" आह मेरे राजा, ऐसे लगाएगा तो टॉवेल खराब हो जाएगा

शादाब;" हाय अम्मी, उफ्फ रुको में टॉवेल उतार देता हूं, फिर आराम से करता हूं,

शहनाज़ को अपनी गलती का एहसास हुआ कि टॉवेल उतारने से तो पूरी नंगी हो जाएगी, मगर तब तक शादाब टॉवेल की गांठ खोल चुका था। शादाब ने जैसे ही टॉवेल को हटाना चाहा तो शहनाज़ ने उसके हाथ पकड़ लिए और बोली:"

" आह राजा मत कर मेरे लाल, टॉवेल हटाते ही मैं पूरी नंगी....

शहनाज़ ने बीच में ही अपना शर्म के मारे अपनी बात अधूरी छोड़ दी तो शादाब समझ गया कि उसकी मा नंगी हो जाएगी इसलिए वो उसके कान में बोला:"

" हाय अम्मी नंगा तो आपको होना ही हैं, निकाह किया हैं जब मर्जी कर सकता हूं,!!

इतना कहकर शादाब ने टॉवेल जोर से खींचा तो शहनाज़ ने कसकर पकड़ लिया और बोली:"

" आह राजा आज नहीं, सुहागरात को, उफ्फ समझ मेरी जान।

शादाब:" अम्मी लेकिन फिर मैं हल्दी कैसे लगाऊंगा पूरे शरीर पर ?

शहनाज़ कुछ सोचती हैं और फिर बोली :" तू इधर मेरे पास अा जा, मैं बताती हू।

शादाब शहनाज़ के पास बैठ गया तो शहनाज़ ने उसे कहा:"

" अपनी आंखे बंद कर ले मेरे राजा, और जब तक मैं ना कहूं मत खोलना।

शादाब अपनी आंखे बंद करके बैठ गया और शहनाज़ ने अपने दुपट्टे को तीन बार फोल्ड किया और शादाब की आंखो पर बांधने लगी तो शादाब को सब समझ अा गया। जल्दी ही शहनाज ने शादाब की आंखों पर पट्टी बांध दी और बोली:"

" अब कर ले जो तेरा मन करे, लेकिन ध्यान रखना सिर्फ हल्दी लगानी हैं, कहीं से भी मसलना या दबाना नहीं है मेरे राजा।

शादाब:" उफ्फ, अम्मी ये क्या ज़ुल्म हैं मुझ पर, खाना सामने हैं भूख लगी हैं मगर खा नहीं सकता।

शहनाज:" बेटा बस 7 दिन और सब्र कर ले, फिर को तेरा मन करे करना मेरे राजा!!

शादाब ने अब शहनाज़ के जिस्म पर पड़ा टॉवेल हटा दिया तो शहनाज़ का जिस्म पूरी तरह से नंगा होकर खिल उठा। शहनाज़ की 36 के आकार की गोल गोल मोटी मोटी ठोस चूचियां पूरी तरह से छलक उठी। शहनाज़ की चूत का लगभग पूरी तरह से बंद हो चुका छेद अपने गुलाबी रंगत लिए हुए था।

शादाब ने हाथ में हल्दी ली और हाथ शहनाज़ की तरफ बढ़ा दिया तो ये देखकर शहनाज़ की सांसे उखड़ गई और चूचियां उछल कूद करने लगी मानो शादाब को बुलावा दे रही हो। शादाब ने अपना हाथ शहनाज़ के पतले से मुलायम त्वचा वाले पेट पर रख दिया तो शहनाज़ के जिस्म में हलचल मच गई और वो अपनी जांघो को आपस में रगड़ने लगीं। शादाब ने बहुत धीरे धीरे हल्के हाथो से शाहनाज के पेट को अच्छे से हल्दी लगाई और शादाब ने जैसे ही अगली बार हाथ में हल्दी लेकर शहनाज़ की तरफ बढ़ाया तो शहनाज़ जान बूझकर कर पलट गई जिससे शादाब का हाथ उसकी कमर पर जा लगा, शादाब को उम्मीद थी कि इस बार वो अपनी अम्मी की चूचियों को पकड़ कर अच्छे से हल्दी लगाएगा लेकिन जैसे ही कमर पर हाथ लगा तो निराशा के साथ साथ हैरानी शादाब के चेहरे पर साफ नजर अाई जो अपने ही पल मुस्कान में बदल गई और शादाब बोला :"

" उफ्फ अम्मी, मेरी आंखे बंधे होने का फायदा उठा रही हो!

इतना कहकर शादाब ने शहनाज़ की कमर को थोड़ा जोर से दबा दिया तो शहनाज़ के मुंह से आह निकल गई और सिसकते हुए बोली:" " आह मेरे राजा, कोई फायदा नहीं उठा रही, सब कुछ तेरा ही तो हैं शादाब।

शादाब ने जैसे ही शहनाज़ की सिसकी सुनी तो वो जोश में अा गया और शहनाज़ की कमर को थोड़ा ज्यादा ही जोर से रगड़ दिया तो शहनाज़ के होंठो से एक मादक आह निकल पड़ी और वो बोली :" हाय मेरे राजा, हट जा मैं खुद लगा लूंगी, दबाने को मना किया था अभी तुझे ??

शादाब को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अपने कान पकड़ लिए और बोला:"

" उफ्फ आपकी कमर इतनी चिकनी और नाजुक हैं कि मैं खुद को रोक नहीं पाया शहनाज़ !!

शहनाज़ अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई और बोली:"

" माफ किया राजा, बस थोड़ा प्यार से लगा ना, मसल मत अभी मुझे शादाब।
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10-08-2020, 02:08 PM,
#86
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब ने शहनाज़ की कमर पर बहुत प्यार से हल्दी लगाई और फिर हाथ में हल्दी ली और कमर से नीचे की तरफ आने लगा। जैसे जैसे शादाब के हाथ शहनाज़ की गांड़ की तरफ बढ़ रहे थे शहनाज़ की चूत में गीलापन बढ़ता जा रहा था। शादाब ने अपने दोनो हाथ पहली बार शहनाज़ की पूरी नंगी गांड़ पर रख दिए तो शहनाज़ के होंठो से अपने आप एक मस्ती भरी सिसकारियां निकल पड़ी। शादाब ने शहनाज़ की गांड़ को खूब अच्छे से हाथ में भर लिया और हल्का हल्का हाथ फिराने लगा, उफ्फ क्या मस्त मस्त मोटी गांड़ थी शहनाज़ की, एक दम कोरी, बाहर की तरफ निकली हुई , शादाब का मन तो कर रहा था कि उसकी गांड़ को दबा दबा कर लाल कर दे, एक फूल की तरह मसल कर रख दे लेकिन वो मजबूर था। शहनाज़ को अपनी गांड़ पर पड़ते शादाब के हाथ एक अलग ही मजा दे रहे थे क्योंकि उसकी गांड़ पूरी तरह से उसके बेटे के हाथो में समाई हुई थी। उस मनचले ने बिल्कुल ठीक कहा था ये लड़का ही इसकी गांड़ को अच्छे से मसल सकता हैं, शहनाज़ का भी मन तो कर रहा था कि शादाब कम से कम एक बार ही सही अच्छे से उसकी गांड़ मसल दे लेकिन मजबुर थी इसलिए बोल नहीं सकती थी। शादाब ने हाथ में हल्दी ली और शहनाज़ की गांड़ के दोनो पटो पर रगड़ना शुरू कर दिया, शादाब गांड़ को दबा नहीं रहा था बस थोड़ा टाइट हाथो से हल्दी लगा रहा था जिससे शहनाज़ की गांड़ मचल उठी और अपने आप थोड़ा सा ऊपर की तरफ उभर गई तो शादाब शहनाज़ का इशारा समझ गया और उसने हल्दी लेकर थोड़ा सा तगड़ा हाथ गांड़ पर रगड़ा तो शहनाज़ के होंठो से आह निकल पड़ी और जिस्म अपने आप उपर नीचे होने लगा। शादाब ने जोश में आकर शहनाज़ की गांड़ को थोड़ा जोर जोर से रगड़ना शुरू कर दिया तो शहनाज़ के मुंह से निकलती हुई हल्की हल्की सिसकारियां कमरे में गूंजने लगी।

" आह शादाब, उफ्फ क्या मस्त लड़का हैं तू राजा, बाद मसलना या दबाना मत, ऐसे ही रगड़ उफ्फ बेटा बहुत अच्छा लग रहा हैं मुझे ।

शादाब ने शहनाज़ की गांड़ को दाए बाए फैला दिया और थोड़ा सा अन्दर की तरफ हल्दी लगाने लगा तो शहनाज़ की चूत से रस टपकना शुरू हो गया और शहनाज़ अपनी जांघो को जोर जोर से आपस में रगड़ रही थी।

शादाब ने जैसे ही शहनाज़ के गांड़ के छेद के आस पास हल्दी लगाई तो शहनाज़ ने शर्म से घबराकर अपनी टांगे बंद कर ली और बोली:"

," आह मेरे राजा वहां नहीं, उफ्फ गंदी जगह हैं वो शादाब!!

शादाब:" हाय अम्मी, आपका जिस्म का हर हिस्सा एक दम साफ़ हैं कुछ भी गंदा नहीं है मेरी शहनाज,

शहनाज़:" मत कर बेटा,

शादाब:" करने दो मेरी शहनाज़ अपनी जान को, बस थोड़ी सी लगाऊंगा।

शहनाज़:" अच्छा बाद में लगा देना वहां, बस अब खुश

शादाब शहनाज़ की बात सुनकर मुस्कुरा दिया और हाथो में हल्दी लेकर उसकी कमर से उसकी पैर की उंगलियों तक लगाने लगा। कमर से उंगलियों की तरफ आते शादाब के हाथ जैसे ही गांड़ पर आते तो शहनाज़ की गांड़ खुशी में अपने आप थोड़ा सा उभर जाती और शादाब अच्छे से रगड़ देता। आखिर कार जल्दी ही शहनाज़ के पिछले हिस्से पर जब पूरी तरह से हल्दी लग गई तो शहनाज़ अपने आप पलट गई।
शादाब ने हल्दी ली और जैसे ही अपने हाथ टिकाए तो हाथ में शहनाज़ की चूचियां अा गई, शहनाज़ अपनी नंगी चूचियों पर शादाब का पहला स्पर्श महसूस करते हुए सिसक उठी!!

" आह राजा, उफ्फ बस दबाना मत, प्यार से लगा दे हल्दी मुझे सारे जिस्म पर मेरे राजा बेटा।

शादाब ने शहनाज की चूचियों को हाथो में भर लिया तो शहनाज़ का चेहरा लाल सुर्ख होकर दहकने लगा और आंखे मस्ती से खुलने बंद होने लगी। शादाब ने पहली बार अपनी मा की चूचियों को छू रहा था और उसे महसूस हुआ कि सच में शहनाज़ की चूंचियां कुदरत का नायाब नमूना हैं। बिल्कुल कश्मीरी सेब के आकार की, शादाब ने हल्दी लगाने के बहाने हल्का सा दबाव दिया तो चूचियां अकड़ गई और झुकने से मना कर दिया मानो शहनाज़ को चुनौती दे रही हो। शादाब से बर्दास्त नहीं हो रहा था, उसका बहुत मन था कि बस एक बार दबा कर देखे इसलिए वो थोड़ा सा आगे को झुका और शहनाज़ के कान में बोला:"

" आह मेरी मा शहनाज़, उफ्फ क्या मस्त चूचियां हैं, एक दम ठोस, प्लीज़ अम्मी एक बार दबा दू क्या ?

इतना कहकर शादाब ने शहनाज़ का निप्पल हल्दी लगाने के बहाने हल्का सा सहला दिया तो शहनाज़ के होंठो से एक मस्ती भरी आह निकल पड़ी!!

" आह मेरे राजा, पहली बार किसी ने मेरी जवानी की कदर करी हैं, दबा ले शादाब बस एक ही बार दबाना, कहीं ऐसा ना हो कि जोश में आज ही सुहागरात हो जाए।

शादाब ये सुनते ही जोश में अा गया और उसने जोर से शहनाज़ की चूचियों को भींच दिया तो शहनाज़ मस्ती और दर्द से कराह उठी क्योंकि उसके सीने में बहुत मीठा मीठा दर्द हुआ ।

" उफ्फ हाय मेरे बच्चे, थोड़ा प्यार से दबाते हैं राजा, बस अब जल्दी से हल्दी लगा दें

शादाब ने शहनाज़ की दोनो चूचियों को हल्दी से तर कर दिया और उसके हाथ ना चाहते हुए एक बार फिर से मचल उठे और उसने जोर से शहनाज़ की चूचियों को दबा दिया तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी

" आह कमीना कहीं का, उफ्फ मार ही देगा क्या मुझे, मत दबा सुहागरात में सब तेरा ही तो हैं।

शादाब जनता था कि शहनाज़ कैसे मनाना है इसलिए उसने दोनो कान पकड़ लिए तो शहनाज़ मुस्करा उठी। शादाब ने फिर से हल्दी ली और शहनाज़ की चूचियों से पेट और कंधे तक लगाने लगा।

शादाब का भी लंड पूरी तरह से अकड़ चुका था और शहनाज़ की चूत को जैसे पानी पानी हो रही थी। शादाब ने अगली बार हल्दी लेकर शहनाज़ की जांघो पर लगाना शुरू कर दिया तो शहनाज़ की चूत के होंठ अपने आप मस्ती से खुलने बंद होने लगे। शादाब का हाथ जैसे ही जांघ के अंदर की तरफ जाता तो चूत कांप सी जाती। शादाब ने हल्दी ली और दोनो जांघो के जोड़ पर लगाने लगा, शहनाज़ पूरी तरह से तड़प रही थी , उसकी जीभ अपने आप उसके होठों पर घूम रही थी। शादाब का हाथ जैसे ही एक चूत के उपर से गुज़रा तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी।शादाब ने जोश में आकर शहनाज की चूत को मुट्ठी में भर लिया तो शहनाज़ से बर्दाश्त नहीं हुआ और उसकी गांड़ अपने आप उपर नीचे होने लगी और सिसक उठी।

" आह मेरे राजा, मेरे शादाब, इसे मत दबा देना मेरे लाल, बस जल्दी से हल्दी लगा दे।

शादाब ने एक बार चूत पर अच्छे से अपनी उंगली फिराई तो शहनाज़ अपनी कमर को उठा उठा कर पटकने लगी। चूत के आकार को महसूस करते ही शादाब को बेरी की याद आ गई और बोला:"

" हाय अम्मी, ये तो बिल्कुल बेरी है, उफ्फ कितना रस निकल रहा है इसमें से मेरी शहनाज़।

शहनाज़ सिसकते हुए:_

" आहओह नहीं, उस दिन तूने इसमें ही तो उंगली घुसा दी थी मेरे राजा बेरी समझकर। उफ्फ हाय मा जल्दी लगा से मुझे कुछ हो रहा है शादाब।

शादाब चूत के दाने को सहलाते हुए:"

" आह अम्मी, एक बार घुसाने दो ना उंगली फिर से मुझे, उफ्फ कितनी गर्म हैं ये एकदम तपी हुई है शहनाज़।

शहनाज़ तड़पते हुए:" बस कर कमीने, अब भी उंगली ही घुसाएगा क्या, मूसल डालकर कूट देना अच्छे से सुहागरात को,

शादाब चूत पर उपर से नीचे उंगली फेरते हुए:"

" आह अम्मी, इसको मैं ऐसी कूट दूंगा कि आप ज़िन्दगी भर याद रखोगी, मूसल से सारा रस निकाल दूंगा मार मार कर।

शहनाज़ की चूत में तूफान सा उठ रही थी और वो खुद ही अपनी चूत अपने बेटे के हाथ पर रगड़ रही थी और जोर जोर से सिसक रही थी। बस शहनाज़ ने एक झटके के साथ अपनी जांघो को जोर से भींच दिया तो शादाब ने अपना हाथ बाहर निकाल लिया।
शहनाज़ तड़प उठी क्योंकि उसका रस निकलते निकलते रह गया और बोली:"

" आह शादाब मेरी जान, बस रगड़ दे इसको एक बार, चाहे तो दबा से जोर से मेरे राजा, आह निकाल दे मेरा रस !!
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10-08-2020, 02:08 PM,
#87
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब ने शहनाज़ के जिस्म पर चादर डाल दी और अपनी आंखे खोल दी तो देखा कि शहनाज़ का पूरा जिस्म कांप रहा था, चूचियों पर से चादर उछल रही थी।

शादाब:" शहनाज़ अब तो तुम्हारा ये रस सुहागरात को ही निकलेगा मेरी जान।

शहनाज़:' आह बेटा, उफ्फ तब तक तो मैं इस आग से मर ही जाऊंगी, हाय कुछ कर ना तू

शादाब ने शहनाज़ का हाथ पकड़ के उसे गद्दे पाए से उठा दिया और खुद लेट गया तो शहनाज़ समझ गई और उसने अपने हाथ में हल्दी ली और शादाब के बदन पर लगाने लगी। शहनाज़ पूरी तरह से गरम हो रही थी और कुछ भी करके झड़ जाना चाहती थी इसलिए एक हाथ से अपनी चूत सहलाने लगी तो शादाब ने शहनाज़ का हाथ पकड़ लिया और बोला:"

" बस करो अम्मी, थोड़ा सा सब्र रखो, फिर आपका बेटा आपकी सब प्यास बुझा देगा।

शादाब ने शहनाज़ का हाथ अपने बदन पर रख दिया तो शहनाज़ उसे हल्दी लगाने लगी, हालाकि उसकी चूत मर रह रह कर चिंगारी सी उठ रही थी लेकिन फिर भी वो मजबुर थी।

शादाब ने शहनाज़ की छाती को जैसे ही छुआ तो दोनो मा बेटे के साथ सिसक उठे, शहनाज़ ने शादाब निप्पल पर अच्छे से हल्दी लगाई और फिर नीचे की तरफ आने लगी तो उसकी चादर में लंड का उभार देखकर उसकी आंखे डर के मारे एक बार तो बंद ही हो गई। शादाब के होंठो से हंसी छूट गई तो शहनाज़ उसे हल्का सा मारते हुए बोली:"

" उफ्फ कमीने मेरा मजाक उड़ाता है, शर्म नहीं आती तुझे

शादाब अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए:

:" अम्मी इसे देखते ही डर क्यों जाती हैं,

शाहनाज का मुंह शर्म से झुक गया और बोली:'

" साइज देखा हैं तूने इसका, लगता हैं जैसे इंसान का ना होकर किसी राक्षस का हो

शादाब:" उफ्फ अम्मी सबके ऐसे ही होते है, इसमें अलग क्या हैं?

शहनाज़:" ऐसा ही तो नहीं होता राजा, तेरे पापा का मैंने देखा तो नहीं लेकीन इसका आधा भी नहीं था, और रेहाना के लड़के का तो मरियल सा था, ठीक से खड़ा भी नहीं हो रहा था

शादाब का लंड अपने तारीफ सुनकर खुश हो गया और तेज झटका खाया तो शहनाज कांप सी उठी। शहनाज़ ने शादाब की जांघो पर हल्दी लगानी शुरु कर दी तो शादाब की आंखे मस्ती से बंद हो गई जिससे शहनाज़ की शर्म कुछ दूर हुई और वो खूब अच्छे से हल्दी लगाने लगी।
शादाब ने शहनाज़ का हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया और बोला:"

" आह शहनाज़ इस पर हल्दी लगा दे अम्मी !!

शहनाज़ का बदन कांप उठा और हाथ में हल्दी लेकर बोली:"

" शादाब अपनी आंखे मत खोलना बेटा नहीं तो मुझे शर्म आएगी।

शादाब ने अपनी गर्दन हा में हिला दी तो शहनाज़ ने शादाब की चादर के अन्दर हाथ घुसा दिया और जांघों की जड़ में मालिश करने लगी। शादाब पूरी तरह से तड़प रहा और उससे कहीं ज्यादा लंड मचल रहा था। शहनाज़ ने एक हाथ जैसे ही लंड के ऊपर से घुमाया तो शादाब सिसक उठा और बोला:"

" आह अम्मी मेरी जान, चादर उतार कर अच्छे से लगाओ

शहनाज़ ने अपनी आंखे बंद कर ली और धीरे धीरे हाथ आगे ले जाते हुए चादर को पकड़ कर खींच दिया तो लंड आज़ाद होकर लहराने लगा। लंड के आजाद होते ही शादाब की आंखे खुल गई तो उसने देखा कि शहनाज़ का पूरा जिस्म कांप रहा था, चेहरा पूरा लाल भभूका हो रहा था और आंखे बंद थी। शादाब ने अपनी आंखे बंद कर ली और बोला:"

" आह अम्मी, बस अब हल्दी लगा दे जल्दी दे, खूब अच्छे से लगा देना! देर ना कर अब।

शहनाज़ ने पहले धीरे धीरे अपने आंखे खोली और लंड को देखा तो उसकी आंखे डर और शर्म से झिझक सी गई लेकिन फिर से देखने लगी। एक दम लंबा मोटा, किसी लहराते हुए सांप जैसा, शहनाज़ आज जी भर कर लंड देख रही थी। किसी पहाड़ी आलू की तरह से मोटा सुपाड़ा, एक दम लाल सुर्ख मानो गुस्से में लाल हो रहा हो। शहनाज़ की उम्मीदों से कहीं ज्यादा खतरनाक लग रहा था आज ये लंड, शहनाज़ की चूत तो जैसे शांत पड़ गई थी और सब चिंगारी सी बुझ गई थी लंड का ये खौफनाक रूप देखकर।

शहनाज़ ने अपने हाथो में हल्दी ली और कांपते हुए हाथो को लंड की तरफ बढ़ा दिया। जैसे ही लंड पर शहनाज़ के हाथ लगे तो शादाब तड़प उठा और बोला:

" आह अम्मी, उफ्फ मेरी शहनाज़ लगा दे हल्दी हल्दी से पकड़ ले इसे, तेरे लिए ही हैं बस।

शहनाज़ ने लंड को अच्छे से पकड़ लिया और हल्दी लगाने लगी तो शादाब के मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां निकलने लगी।

" आह मेरी नाज़ पूरे लंड पर लगाओ, जड़ तक लगाओ

शहनाज़ अपने बेटे की बात सुनकर समझ गई कि शादाब लंड को जड़ तक घुसा देगा इसलिए जड़ तक हल्दी लगाने के लिए कह रहा है। शहनाज़ ने लंड को को दोनो हाथो की मुट्ठी बनाकर पकड़ लिया और फिर से कम से कम तीन इंच लंड बाहर रह गया। उफ्फ कितना लंबा हैं ये और मोटा तो उससे भी ज्यादा।शहनाज़ लंड को हल्दी से जल्दी लगाने लगी, लंड सुपाड़े पर से एक दम बिल्कुल ठोस था मानो लोहे का बना हो। शहनाज़ से रहा नहीं गया और उसने जोर से सुपाड़ा दबा दिया तो शादाब सिसक उठा।

" आह अम्मी, आपके नाजुक हाथो से ये कहां दब पाएगा

शहनाज़ को ठेस पहुंची और उसने जोर से लंड का सुपाड़ा दबा दिया तो हल्का सा दब गया और शादाब तड़प उठा।

" आह उखड़ ही दोगी क्या शहनाज़ इसे मेरी जान ?

शहनाज़ के होंठो पर मुस्कान अा गई और जोर जोर लंड पर मालिश करने लगी। शादाब का पूरा जिस्म मस्ती से भर उठा और बोला:"
" हाय ऐसे ही अम्मी, उफ्फ आप कितनी अच्छी हैं, आह मुझे कुछ हो रहा हैं हाय शहनाज़।

शहनाज़ ने अपने बेटे को ऐसे तड़पता देख कर लंड पर से अपना हाथ हटा लिया और पेट पर हल्दी लगाने लगी तो शादाब तड़प उठा और उसका हाथ फिर से लंड पर टिका दिया और बोला:'

" हाय सिकी, उफ्फ करो ना अम्मी, निकल जाएगा मेरा उफ्फ

शहनाज़:' तड़प अब तू ऐसे ही सुहागरात तक मेरे राजा।

इतना कहकर वो खड़ी हो गई और पतली सी चादर से उसकी गांड़ साफ नजर आ रही थी।

मा बेटे वहीं छत पर एक दूसरे के सामने ही बैठ कर नहाने लगे। शहनाज़ चादर के अन्दर से शादाब के सामने ही अपनी चूची और चूत साफ करने लगी तो शादाब ने भी अपने लंड को खून हिला हिला कर साफ किया। शहनाज़ की नजरे लंड पर ही टिकी रही और वो अंदर ही अंदर डर महसूस कर रही थी।

उसके बाद दोनो मा बेटे ने एक साथ खाना खाया और एक दूसरे को बांहों में सो गए। पूरी रात शादाब का लंड शहनाज़ की चूत पर कपड़ों के ऊपर से ही झटके मारता रहा और शहनाज़ की चूत रह रह कर टपकती रही लेकिन दोनो मजबूर थे।

अगले दिन सुबह दोनो मा बेटे एक साथ जिम करने गए और उसके बाद सुहागरात के लिए शॉपिंग करने लगे।

शहनाज़:"" बेटा मैं तो सब कुछ तेरी पसंद से लूंगी, जो तेरा मन करे दिला दे मुझे।

शादाब ने शहनाज़ को एक से बढ़कर एक कपडे दिलाए और दोनो ने बाहर ही खाना खाया और उसके बाद घर की तरफ चल पड़े। शाम होने वाली थी इसलिए हल्का हल्का अंधेरा होने लगा था।

शहनाज़:" बेटा थोड़ा तेज चला, अंधेरे में पता नहीं क्यों डर लगता हैं मुझे ?
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10-08-2020, 02:08 PM,
#88
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब ने गाड़ी की रफ्तार बढ़ा दी और दोनो घर पहुंच गए। शहनाज़ ने पानी गर्म किया और सिर्फ कल वाली चादर लपेटकर हल्दी लगाने के लिए तैयार हो गई। आज वो कल के मुकाबले अच्छा महसूस कर रही थी। शादाब भी अा गया तो शहनाज़ उससे बोली:"

" बेटा तुम लेट जाओ, पहले मैं हल्दी लगा देती हूं।

शादाब गद्दे पर लेट गया और शहनाज़ ने हाथ में हल्दी लेकर उसके बदन पर लगाना शुरू कर दिया। शहनाज़ की आंखे फिर से लाल होने लगी और धड़कने बढ़ गई। शहनाज़ ने जैसे ही हल्दी लेने के लिए कड़ाही की तरफ देखा तो शादाब ने अपनी चादर उतार दी और पूरा नंगा हो गया। लंड अभी पूरी तरह से खड़ा हो चुका था इसलिए जैसे ही शहनाज़ ने लंड देखा तो उसकी सांसे फिर से रुक सी गई और माथे पर पसीना छलक उठा।

शादाब:" क्या हुआ शहनाज़ ?

शहनाज़:" उफ्फ राजा ये कैसे फन उठा उठा कर लहरा रहा है किसी नाग की तरह !!

शादाब:" अम्मी डरो मत आप, ये आज नहीं काटेगा आपको, आराम से आप हल्दी लगाओ।

शहनाज़ ने शादाब को स्माइल दी और लंड को एक हाथ से पकड़ लिया और दूसरे से उस पर हल्दी लगाने लगी, आज लंड कल से ज्यादा अकड़ रहा था। मा बेटे दोनो एक साथ तड़प उठे और जल्दी ही शहनाज़ ने शादाब के पूरे जिस्म को हल्दी से ढक सा दिया। शहनाज़ की चूत गीली हो गई थी और चुचियों में अपने आप मीठा मीठा दर्द महसूस हो रहा था।

शादाब:" अम्मी आज आपने बहुत ज्यादा हल्दी लगा दी मुझे, आप एक काम करो लेट जाओ, मैं आपको लगाता हू।

शहनाज़ लंबी लंबी सांस लेती हुई लेट गई और शादाब ने देखा कि हल्दी बहुत कम बची हुई थी क्योंकि उत्तेजना में शहनाज़ ने उसे बहुत ज्यादा हल्दी लगा दी थी। शादाब ने थोड़ी सी हल्दी ली और शहनाज़ के हाथो पर लगाने लगा तो शहनाज़ का जिस्म कापने लगा। हल्दी खत्म हो गई तो शादाब बोला:"

" उफ्फ अम्मी हल्दी तो खत्म हो गई आज, अब कैसे हल्दी लगेगी मेरी दुल्हन को।

शहनाज़:' मैं तैयार करके ले आती हूं, तू रुक थोड़ी देर।

शादाब शहनाज़ के कान में बोला:"
" अम्मी मेरे जिस्म पर ज्यादा हल्दी लग गई है, कहो तो अपने बदन से आपको हल्दी लगा दू।

शहनाज़ को शादाब का सुझाव पसंद अाया लेकिन वो जानती थी कि वो अपने पूरे जिस्म को उसके बदन से रगडेगा। ये सोचकर शहनाज़ की चूत सुलग उठी और उसने शादाब की तरफ देखते हुए कहा:".
" अा जा फिर लगा दे अपनी दुल्हन को हल्दी, देखती हूं कितनी अच्छी लगायेगा।

शादाब पूरी तरह से नंगा था इसलिए वो शहनाज़ के उपर नंगा ही चढ़ गया। जैसे ही दोनो के बदन टकराए तो शहनाज़ के मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी।

" आह शादाब, कितना भारी हैं तू मेरी जान, तू तो पूरा मर्द बन गया है मेरे राजा।

शादाब अपने बदन को शहनाज़ के बदन से रगड़ने लगा और बोला:"

" आह अम्मी आपका बदन बिल्कुल फूलो की तरह नाजुक हैं,

शहनाज़:" कमीने तो मेरे पूरे को पीस कर रख देगा बहुत बुरी तरह से, उफ्फ डर लगता है सोचकर ही मुझे तो राजा।

शादाब का लंड चादर के उपर से शहनाज़ की चूत पर रगड़ रहा था जिससे शहनाज़ का जिस्म हल्के हल्के झटके खा रहा था। शादाब उसके कन्धे सहलाते हुए बोला:"

" आह मेरी शहनाज़, अब मर्द बोल दिया है तो मर्दानगी तो दिखानी पड़ेगी ना अम्मी।

दोनो के बदन हिलने से शहनाज़ के जिस्म पर से चादर सरकने लगी और शहनाज़ बोली:"

" आह राजा, थोड़ा जोर जोर से रगड़ कर लगा हल्दी मुझे।

शादाब ने जैसे ही अपनी चौड़ी छाती पर शहनाज़ की तनी हुई चूचियों पर रगड़ना शुरू किया तो फटने के डर से चादर मानो अपने आप बीच से सरक गई और पहली बार शादाब का पूरा नंगा जिस्म शहनाज़ के जिस्म पर छा गया जिससे शहनाज़ की आंखे मस्ती से बंद हो गई और मुंह से मस्ती भरी सिसकारियां अपने आप निकलने लगी।

" आह शादाब, उफ्फ ये क्या हो गया मेरे राजा, कितना अच्छा लग रहा है, हाय मेरी मा,

शादाब अपना लंड उसकी जांघो में घुसाते हुए बोला:"

" आह मेरी शहनाज़, उफ्फ कितना गर्म हैं तेरा बदन,

शहनाज़ ने अपनी जांघें मस्ती से खोल दी शादाब का लंड चूत से जा टकराया तो शहनाज़ ने अपने दोनो हाथ उसकी गांड़ पर रख दिए और चूत पर दबाने लगी और सिसकते हुए बोली:"

" आह मेरा नंगा शादाब,मेरे राजा बेटा, उफ्फ अच्छे से लगा हल्दी मुझे।

शादाब अपनी छाती को शहनाज़ की चुचियों से रगड़ने लगा तो शहनाज़ एक दम पूरी तरह से मस्त हो हुई और उसकी चूत से रस टपकना शुरू हो गया। जैसे ही शादाब को लगा कि शहनाज़ झड़ सकती हैं तो वो हटने लगा तो शहनाज़ उसे अपने ऊपर खींचने लगी और बोली:"

" आह राजा, और लगा ना हल्दी मुझे, देख मेरी जांघो के बीच ठीक से नहीं लगी है।

शादाब ने अपनी जांघ पर से हल्दी लेकर हाथ से उसकी चूत पर अच्छे से लगा तो शहनाज़ की बोलती बंद हो गई। शादाब उसकी पीठ से अपनी पीठ रगड़ने लगा और दोनो के जिस्म पर पूरी तरह से हल्दी लग गई।

उसके बाद दोनो नहाए और साथ में ही खाना खाया। ये सब अगले छह दिन तक चलता रहा और आखिरकार वो दिन अा ही गया जिसके लिए दोनो मा बेटा तड़प रहे थे, शहनाज़ पिछले छह दिन से जिस्म की आग में जल रही थी। उसकी चूत तो हरदम गीली रही लेकिन खुलकर बह नहीं पाई जिससे उसका पूरा जिस्म अकड़ रहा था। शरीर बहुत पूरी तरह से आग से तप रहा था और रह रह कर चिंगारी सी निकल रही थी। उसकी चूचियां अकड़ कर एकदम सख्त हो गई थी मानो अब बुरी तरह से मसलने, दबाने के बाद ही उनका दर्द खत्म होगा। शहनाज़ की चूत पर हल्दी लगने से एक अलग ही रंगत अा हुई थी जिससे वो अब पहले से ज्यादा खूबसूरत लग रही थी। शहनाज़ को खुद यान नहीं था कि वो आखिरी बार कब चुदी थी इसलिए चूत का छेद पूरी तरह से बंद हो गया था। आज शहनाज़ की चूत के होंठो पर एक अलग ही नशा छाया हुआ था और वो पूरी तरह से रस से भीगे हुए और बेकरारी में एक दूसरे को चूम रहे थे।

शहनाज़ की आंख खुली तो उसने अपने बेटे के लंड को अपनी जांघो में घुसे हुए पाया तो उसके होंठो पर मुस्कान उभर गई। फ्रेश होने के बाद शहनाज़ ने अपने नए कपड़े निकाले और टॉवेल लेकर बाथरूम में घुस गई। आज उसकी चाल में एक अजीब सी मस्ती छाई हुई थी क्योंकि आज वो अपना सब कुछ अपने सपनों के शहजादे अपने बेटे शादाब पर लुटा देना चाहती थी।
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10-08-2020, 02:08 PM,
#89
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शहनाज़ ने बाथरूम में घुस गई और चादर को अपने जिस्म से अलग कर दिया तो उसका बदन पूरा नंगा होकर खिल उठा। उसके हाथ अपने आप अपनी चूचियों पर चले गए तो उसकी आंखे मस्ती से बंद हो गई। उफ्फ कितनी टाइट हो गई है मेरी चूचियां, लगातार जिम करने से उसकी चूचियां सच में एक दम गोल गोल और मस्त हो गई थी। शहनाज़ ने अपनी चूची को हल्का सा दबाया तो उसके मुंह से आह निकल पड़ी। शहनाज़ की चूत आज सुबह से ही गीली हो रही थी, शहनाज़ ने अपने जिस्म को अच्छे से पानी से साफ करना शुरू कर दिया तो सारी हल्दी उतर गई और उसका जिस्म गुलाब की तरह खिल उठा। शहनाज़ की चूत पर हल्के हल्के बाल उग आए थे जो उसे अच्छे नहीं लग रहे थे क्योंकि वो अपने बेटे को एक दम साफ चिकनी चूत गिफ्ट करना चाहती थी इसलिए उसने क्रीम लगाकर सब बाल साफ कर दिए और उसकी चूत बिल्कुल चिकनी हो गई। शहनाज़ ने बंद आंखों के साथ ही एक उंगली अपनी चूत पर फिराई तो उसका जिस्म कांप उठा और मुंह से मस्ती भरी आह निकल पड़ी। शहनाज़ के घुटने कमजोर पड़ने लगे तो वो फर्श पर ही बैठ गई। उसने शॉवर का पाइप लिया और अपनी चूत पर मारने लगी

शहनाज़ अपनी चूत को खूब अच्छे से रगड़ रगड़ कर साफ़ करने लगी मानो युद्ध की तैयारी से पहले अपने आपको तैयार कर रही हो। शहनाज़ ने अपनी चूत के होंठो को पानी से साफ किया और अंदर तक पानी मारने लगी जिससे उसकी चूत एक इंच अंदर तक पूरी तरह से साफ हो गई।

शहनाज ने अपनी चूत पर हाथ फिराया और जब संतुष्ट हो गई कि उसकी चूत पर एक भी बाल नहीं हैं और पूरी तरह से चिकनी और साफ स्वच्छ हो गई है तो उसके होंठ मुस्कुरा उठे और उसने अपने कपड़े पहन लिए और बाहर की तरफ चल पड़ी। उसने शादाब को उठाया तो शादाब उसे नए कपड़ों में देख कर बहुत खुश हुआ और उसका गाल चूम लिया। पिछले 10 दिन से ना शादाब ने अपनी अम्मी के होंठ छुए और मा ही शहनाज़ ने पहल करी। शहनाज़ को उपर से नीचे तक निहारने के बाद शादाब बोला:"

" उफ्फ अम्मी बिल्कुल क़यामत लग रही हो, उफ्फ ये हुस्न ये जवानी,

शहनाज़ अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गई और बोली:'

" शादाब मेरे राजा, अब तो मैं पूरी तरह से तेरी बीवी बन गई हूं, अब तो अम्मी मत बुला मुझे, शहनाज़ ज्यादा अच्छा लगता है मुझे।

शादाब:" ओह अभी आदत पड़ी हुई है ना अम्मी बोलने की मेरी जान, बस इसलिए निकल जाता हैं, धीरे धीरे कम हो जाएगी।

शहनाज़:" अब खड़ा हो जा और नहाकर अा जा, मैं कुछ खाने के लिए बना देती हूं।

शादाब खड़ा हुआ और दोनो हाथो में शहनाज़ की गांड़ को भर लिया तो शहनाज़ एक झटके से अदा के साथ उसकी पकड़ से निकल गई और बोली:"

" उफ्फ इतनी जल्दी ठीक नहीं होती राजा, रात तो होने दे मेरी जान।

शादाब:" उफ्फ अम्मी बर्दाश्त नहीं होता अब, आज देखना मैं आपको कैसे रगड़ रगड़ कर, मसल मसल कर प्यार करूंगा।

शहनाज़:" कमीने वो तो मैं जानती हूं कि आज तू मेरे पूरे जिस्म को अपने मूसल से कूट देगा बुरी तरह से।

शादाब अपने लंड को चादर के उपर से शहनाज़ को दिखा कर सहलाते हुए:"

" आह आम्मि, आज तो आपका ऐसा मसाला कूट दूंगा कि आज मेरे मूसल की दीवानी हो जाओगी मेरी मां।

शहनाज़ उसकी तरफ जीभ निकाल कर किचेन में चली गई और शादाब नहाने के लिएं। शादाब ने चादर उतार दी और नंगा हो गया तो उसका लंड आजाद होकर झटके खाने लगा। शादाब उसे पुचकारते हुए बोला:"

" बस कर मेरे बच्चे, बस आज मिल जाएगी तुझे मेरी मा की चूत, शाम तक सब्र कर।

लंड ने एक तगड़ा झटका खाया मानो अपनी खुश ज़ाहिर कर रहा हो।शादाब नहाने लगा और अपने सारे जिस्म से बाल साफ़ किए और टॉवल बांध कर बाहर निकल गया। शादाब ने अपने कपड़े पहन लिए और शहनाज़ के कमरे में अा गया तो काजू बादाम केसर वाला दूध और देशी घी का हलवा टेबल पर रखा हुआ था। शहनाज़ शादाब की गोद में बैठ गई और दोनो ने एक दूसरे को दूध पिलाया और हलवा खिलाया।

शादाब:" अम्मी थोड़ी देर बाद हम शहर निकल जाएंगे और रात के लिए कुछ जरूरी सामान लाना हैं

रात का नाम सुनते ही शहनाज़ के गाल अपने आप गुलाबी हो उठे और एक बार शादाब की तरफ नजरे उठा कर देखा और फिर शर्मा गई। शादाब ये सब देख कर मुस्कुरा उठा।

थोड़ी देर बाद ही शादाब ने गाड़ी निकाल ली और दोनो मा बेटे शहर की तरफ चल पड़े। शहनाज़ ने आज अपना बुर्का नहीं निकाला और ना ही शादाब ने उसे बुर्का उतारने के लिए कहा।

शादाब:" अम्मी मैं आपको ब्यूटी पार्लर छोड़ दूंगा, वहां मैडम आपको अच्छे से तैयार कर देगी, बस आप शीशा मत देखना अभी।

शहनाज़:" बेटा वो तो मैं पिछले 15 दिन से नहीं देख रही हूं।लेकिन आज दुल्हन बनकर मैं खुद को जरूर देखूंगी।

शादाब:" अम्मी हम दोनों साथ में ही देखेंगे।

दोनो बाते करते हुए शहर पहुंच गए और शादाब ने शहनाज़ को ब्यूटी छोड़ दिया और खुद अपने जिम वाले दोस्तो और कॉलेज वाले दोस्त जो उस दिन निकाह में शामिल थे उन्हें सब को आज 2 बजे के लिए एक पार्टी का बुलावा भेज दिया।

शादाब ने एक हॉल बुक किया और मालिक को सब कुछ समझा उसे जिम्मेदारी दे दी। उसके बाद वो वापिस शहनाज़ को लेने के लिए चल दिया। तीन घंटे हो चुके थे और शहनाज़ का मेक उप भी पूरा हो गया था।

मैडम ने शादाब को आवाज लगाई तो शादाब अंदर चला गया और जैसे ही शहनाज़ को देखा तो उसकी आंखे खुशी से खुली की खुली रह गई। सचमुच वो एक पारी की तरह लग रही थी, उफ्फ माथे पर सजा हुआ टीका, सेब की तरह सुर्ख गाल, लाल सुर्ख होंठ, नाक में एक बाली, गले में शानदार ज्वेलरी, और मेहंदी से रचे हुए लाल हाथ कुल मिलाकर एक सपनो की शहजादी।

शादाब बिना पलके झपकाए एकटक शहनाज़ को देखता रहा तो शहनाज़ की आंखे अपने आप शर्म से झुक गई और उसके होंठो पर स्माइल आ गई।
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10-08-2020, 02:08 PM,
#90
RE: Maa Sex Kahani माँ का आशिक
शादाब बिना पलके झपकाए एकटक शहनाज़ को देखता रहा तो शहनाज़ की आंखे अपने आप शर्म से झुक गई और उसके होंठो पर स्माइल आ गई।

शादाब चलता हुआ उसके पास आया और उसके पीछे आकर खड़ा हो गया और शहनाज़ के चेहरे को हल्का सा उपर उठाया तो शहनाज़ चेहरा अपने आप उठता चला गया। शादाब बोला:"

" शहनाज़ अपनी आंखे बंद कर लो, तुम्हे आज एक बहुत बड़ा झटका लगने वाला हैं।

शहनाज़ ने अपनी आंखे बंद कर ली और शादाब उसे मैडम के सामने ही बांहों में लिए हुए शीशे के सामने के गया और बोला:"

" आंखे खोलो मेरी जान, दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की दुल्हन आपको देखना चाहती हैं।

शहनाज़ ने जैसे ही अपनी आंखे खोली तो उसे जैसे खुद पर यकीन ही नहीं हुआ। वो दीवानी की तरह खुद को देखने लगी और जब उसे एहसास हो गया है कि ये शीशे में उसकी ही फोटो है तो वो खुशी के मारे शादाब से लिपट गई और बोली:"

" ओह शादाब मेरे राजा तुमने तो मुझे पूरी तरह से बदल दिया। तुम्हारे बिना मैं बिल्कुल अधूरी थी मेरी जान।

शादाब:" शहनाज़ मैं आपको और भी बहुत खुशी दूंगा, आप देखती रहो बस।

शहनाज़ शादाब को कसकर गले लगाती हुई:"

" शुक्रिया मेरी ज़िन्दगी में आने के लिए शादाब, ऐसा लग रहा है जैसे मेरी ज़िन्दगी असल में अब शुरू हुई हैं।

उसके बाद दोनो मा बेटे वहां से सीधे हॉल पहुंच गए जहां सब दोस्त उनका ही इंतजार कर रहे थे। ये शहनाज़ के लिए बिल्कुल सरप्राइज था क्योंकि उसे शादाब से ये उम्मीद नहीं थी। शादाब ने अपना हाथ आगे बढाया तो शहनाज़ गाड़ी से उतर गई और शादाब उसका हाथ पकड़े स्टेज की तरफ बढ़ गया। दोनो सामने रखी हुई बड़ी बड़ी सजी हुई कुर्सियों पर बैठ गए।

शहनाज़ की खूबसूरती का असर सब पर हो रहा था। एक के बाद एक दोस्त मुबारकबाद देने लगे। हर कोई शहनाज़ के लिए कोई ना कोई गिफ्ट लेकर आया था जिससे शहनाज़ की खुशी बढ़ गई थी। जिम वाला लड़का आया और शहनाज़ को एक गिफ्ट पैक देते हुए बोला;'

" मुबारक हो भाभी जी, आखिरकार आपको आपका प्यार मिल ही गया।

उसकी बात सुनकर शहनाज़ ने एक बार शादाब की तरफ देखा और दोनो एक साथ मुस्कुरा दिए तो शहनाज़ बोली;"

" प्यार अगर सच्चा हो तो मिल ही जाता है।

उसके बाद सभी लोग खाना खाने लगे तो शादाब और शहनाज़ के लिए भी एक टेबल पर खाना लग गया और दोनो ने बहुत हल्का खाना खाया और उसके बाद एक एक एक करके सभी दोस्त जाने लगे और आखिकार शादाब भी शहनाज़ को लेकर घर की तरफ चल दिया।
दोनो चुप बैठे हुए थे और शहनाज़ का चेहरा लाल भभुका हो रहा था। बीच बीच में वो शादाब की तरफ नजरे चुरा चुरा कर देख रही थी और जैसे ही दोनो की नजरे मिलती तो शहनाज़ शर्मा जाती। आगे आने वाले पलो के बारे में सोच सोच कर उसकी चूत गीली होने लगी थी।

कोई शाम के छह बजे तक वो घर पहुंच गए और शहनाज़ ने अपने आपको पूरी तरह से बुर्के में छुपा लिया था ताकि किसी मोहल्ले वाले को किसी तरह का कोई शक ना हो। शहनाज़ कांपते हुए कदमों से गाड़ी से उतरी हुई और शादाब गाड़ी पार्क करने लगा। शादाब वापिस आया तो शहनाज़ ने उसका हाथ पकड़ लिया और उसके गले लग गई तो शादाब ने शहनाज़ को अपनी बांहों में उठा लिया तो शहनाज़ ने अपनी बांहे शादाब के गले में डाल दी और दोनो मा बेटे एक दूसरे की आंखों में देखने लगे। शादाब उसे बाहों में लिए हुए ही उपर आ गया और जैसे ही शहनाज़ के कमरे को धक्का दिया तो वो खुलता चला गया तो शहनाज़ की आंखे एक बार फिर से खुशी से चमक उठी क्योंकि पूरा कमरे एक सुहागरात के कमरे में तब्दील हो चुका था और दो बेड को जोड़कर एक बहुत बड़ा बेड गोल बेड बनाया जा चुका था जिस पर एक साफ सुथरी सफेद रंग की चादर बिछी हुई थी।

शादाब धीरे धीरे शाहनाज के हाथ पकड़े बेड तक पहुंच गया। शाहनाज ने अभी तक बुर्का पहना हुआ था और उसके हाथ पैर कांप रहे थे। जिस्म में एक अजीब सी गुदगुदी हो रही थी और रह रह कर उसकी सांसे रुक सी रही थी। शहनाज़ ने धीरे से अपने सैंडिल निकाले और बेड पर चढ़ गई और बैठ गई। शादाब ने शहनाज़ का हाथ हल्का सा दबाते हुए कहा:"

" अम्मी आप बैठो मैं अभी आया पांच मिनट में।

शहनाज़ ने बिना मुंह से कुछ बोले अपने गर्दन हिला दी और शादाब कमरे से बाहर अा गया। शादाब किचेन में चला गया और केसर बादाम वाला दूध गर्म करने लगा। सच में शादाब आज बहुत खुश था क्योंकि उसकी अम्मी ने अब हर तरह से उसे अपना लिया था।
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