RE: Maa Sex Kahani माँ का और सेक्स एडवेंचर
एक दिन मेरे मोम और डैड शहर से बाहर गये हुए थे। मैं सोकर उठी और तैयार होकर नाश्ता किया। तब मेरा भाई मेरे साथ था, वो थोड़ा परेशान था।
मैंने उससे पूछा- क्या हुआ भाई?
भाई- “कुछ नहीं दीदी कुछ खास बात नहीं है…”
मैं- “तो तू इतना परेशान क्यों लग रहा है?”
भाई- “कुछ नहीं दीदी…”
मैं- “बताओ ना, मैं शायद तेरी कोई हेल्प कर पाऊँ…”
भाई- “नहीं दीदी, आप कोई हेल्प नहीं कर पाओगी…”
मैं- “बता तो शायद कोई हेल्प कर पाऊँ…”
भाई- “दीदी नई बस्ती में एक क्लब है, उसपर हमारा कोई 15 लाख रूपया बाकी है, और वो पेमेंट नहीं कर रहे। लास्ट टाइम मोम थीं तो वो ले आई थी समझा बुझाकर पता नहीं कैसे? वो गुंडे लोग हैं, कोई भी पेमेंट लेने जाता है तो उसे डरा धमका कर वापस भेज देते हैं। परसों एक पेमेंट करनी है और मोम डैड बाहर हैं। पता नहीं कैसे क्या करूँ? समझ में नहीं आ रहा…”
मैं- “बताओ अगर मैं कोई हेल्प कर सकती हूँ तो?”
भाई- “उसमें आप क्या हेल्प कर पाओगी?”
मैं- “क्या मैं कोशिश करूँ?”
भाई- “कैसी कोशिश दीदी?”
मैं- “कहो तो मैं पेमेंट लेने की कोशिश करूँ…”
भाई- “अगर डैड को पता चल गया तो?”
मैं- “कैसे पता चलेगा, अगर हम में से कोई बताएगा ही नहीं तो?”
भाई- “ओके थैंक्स दीदी…”
मैं- “कब जाना है?”
भाई- “उसका क्लब 12:00 बजे खुल जाता है और तब वहाँ काफी लोग हो जाते हैं, उससे पहले…”
मैं- “ओके। मैं तैयार होकर आती हूँ…”
भाई- “दीदी, वहाँ आप हमारी कलेक्सन एजेंट बनकर जाना और वैसी ही ड्रेस पहनना…”
मैं- “ओके भाई…”
भाई- “थैंक्स दीदी…”
मैं चेंज करने चली जाती हूँ और सोचती हूँ क्या पहनूं? मैं एक सफेद ब्रा पहनती हूँ साटिन का, साटिन की ही सफेद पैंटी और ऊपर से स्लिप और लोवर। मैं स्कर्ट जिसके सारे बटन आगे को होते हैं, और स्लिप के ऊपर एक जैकेट, स्कर्ट जो मेरे घुटनों तक होती है और मेकप करके बाहर आती हूँ।
मैं- “भाई, कैसी लग रही हूँ?”
भाई- “सच आ हाट गर्ल…”
मैं- “थैंक्स… अड्रेस और पेपर्स दो…”
भाई मुझे दो पेपर्स देता है- “इसमें सब डीटेल्स है…”
मैं- “ओके, अब मैं जाती हूँ…”
मैं अड्रेस पूछते हुए उस एरिया में पहुँचती हूँ और कार रोड पर पार्क कर देती हूँ और अड्रेस पूछते हुए गली में चली जाती हूँ। दो तीन गलियों के बाद उसका अड्रेस मिलता है। मैं अंदर जाती हूँ। वो जगह एक क्लब है, जहाँ लोग जुआ खेलने और दारू पीने आते हैं। गुण्डों का इलाका होने की वजह से वहां पोलिस भी जाने से डरती है।
मैं भी डरते-डरते अंदर जाती हूँ और पूछती हूँ- अकरम जी कहां मिलेंगे?
कोई 8-10 लोग वहां जुआ खेल रहे होते हैं, और दारू पी रहे होते हैं। एक मुझे इशारे से बताता है की वो है अकरम जी। वो कुछ खा रहे होते हैं। मैं उनके सामने चेयर पर जाकर बैठ जाती हूँ, और सिगरेट जलाती हूँ। पर वो मेरी ओर कोई ध्यान नहीं देते और उठकर अपने रूम की तरफ चले जाते हैं।
मैं उठती हूँ, अपनी सिगरेट बुझाती हूँ और गुस्से में वापस लौटने को होती हूँ। तभी अपने भाई के बारे में सोचती हूँ, और फिर रुक जाती हूँ। वो रूम के बाहर खड़ा होकर मेरा इंतेजार कर रहे होते हैं। मैं उनकी ओर चली जाती हूँ। वो गेट पर खड़े रहते हैं, और मैं उनको छूते हुए रूम में चली जाती हूँ।
अकरम अंदर आते हैं और पूछते हैं- “हाँ… अब बोल कौन है तू?”
मैं- “सर, मैं आदित्य ट्रेडिंग से आई हूँ। आपकी ओर कुछ पेमेंट है जो काफी लेट हो गई है, इसलिए मुझे मेरे बास ने आपके पास भेजा है…”
अकरम- “पहले तो कोई और आता था…”
मैं- “जी, इस बार मैंने अभी जाय्न किया है इसीलिए बास ने मुझे भेजा है…” और पेपर पर्स से निकालकर उसके हाथ में पकड़ा देती हूँ।
वो पेपर नहीं खोलता, पेपर फोल्ड करता है और मुझे खींचते हुए मेरी ब्रा में घुसा देता है, और पास पड़ी चेयर पर झटके से मुझे बैठा देता है। फिर मेरे माथे से उंगली फेरते हुए मेरे होंठों तक आता है, फिर मेरे पीछे आ जाता है और मेरा पर्स मेरे कंधे से उतारकर अलग कर देता है। फिर पीछे खड़ा होकर मेरी जैकेट का बटन खोलता है।
मैं उठने को होती हूँ तो मुझे धक्का देकर फिर बिठा देता है। मैं डरकर बैठ जाती हूँ, और वो मेरे हाथ पीछे करके चेयर से बाँध देता है, मुझे बहुत दर्द होता है पर मैं डर के कारण चुप हो जाती हूँ। फिर वो मेरी स्लिप में हाथ डालकर बहुत कसकर मेरी चूचियां दबाता है।
मुझे बहुत दर्द होता है और मैं चिल्ला पड़ती हूँ- “आअह्ह्ह…”
फिर वो आगे आता है और मेरी स्कर्ट के सारे बटन खोलता है।
मैं उससे बोलती हूँ- “प्लीज़्ज़ नहीं…”
पर अकरम नहीं सुनता और स्लिप ऊपर करके मेरी पैंटी भी झटके से उतार देता है। शर्म से मेरी आँखें बंद होने लगती हैं, और वो मेरी जांघों को सहलाता है तो मेरे अंदर एक करेंट सा दौड़ने लगता है।
थोड़ी देर बाद वो मुझसे दूर जाकर खड़ा हो जाता है और बोलता है- “जब तक अब तुम नहीं कहोगी, मैं तुम्हें अब हाथ भी नहीं लगाऊँगा…”
तब तक मैं थोड़ी गरम हो चुकी होती हूँ और अपनी आँखें बंद कर लेती हूँ। बंद आँखों में भी मुझे उसके मजबूत बदन का एहसास होता है। वो दरवाजे पर खड़ा होकर अपना लण्ड सहलाता है, पैंट में हाथ डालकर। मैं नहीं नहीं ही बड़बड़ाती रहती हूँ। पर सोचती हूँ की जब इतना कुछ हो गया है, तो कुछ भी करके भाई के लिए पेमेंट भी निकलवानी है।
मैं साइड में बनी खिड़की की ओर देखती हूँ, और सोचती हूँ कि इसे जो करना है कर ले पर प्लीज़्ज़… कोई देखे नहीं और मैं उसकी ओर देखकर कहती हूँ- “प्लीज़्ज़… प्लीज़्ज़ चोदो मुझे… मैं तुमसे भीख मांग रही हूँ प्लीज़्ज़… चोदो मुझे… प्लीज़्ज़ चोदो मुझे…”
अकरम मेरे पास आता है और कुछ नहीं बोलता सिर्फ मेरी आँखों में देखता है।
अकरम को मेरी आँखों में सेक्स की भूख साफ नजर आती है। वो सीधे बिना कुछ बोले अपना लण्ड मेरी चूत पर रखता है और एक झटके से अंदर डाल देता है।
मुझे बहुत बुरी तरह दर्द होता है और कसकर चीख निकल जाती है- “आअह्ह्ह… मर्रर गई…”
अकरम रुक जाता है और बोलता है- “साली चीख मत… वरना सब खिड़की पर आकर हमारी लाइव चुदाई देखेंगे…”
अभी तक उसका आधा लण्ड भी अंदर नहीं गया था। मैं उससे बोलती हूँ- “प्लीज़्ज़… निकाल लो, मैं मर जाऊँगी…”
अकरम बोला- “मैंने कोई जबरदस्ती तो नहीं की ना? जब तू मुझसे चुदाने की भीख माँग रही थी तभी डाला मैंने, अब सजा भुगत…” और मेरे मुँह पर हाथ रखकर एक जोर का झटका मारता है।
फिर मेरी चीख ‘गूँ-गूँ-गूँ’ करके मेरे मुँह में ही रह जाती है, पर दर्द बहुत होता है। मैं अपनी टांगें उत्तेजना में फैलाकर चेयर पर आगे को हो जाती हूँ। फिर वो अपना लण्ड पूरा बाहर निकालता है, और एक झटके में फिर से अंदर पेल देता है। मैं फिर चीख पड़ती हूँ, शायद बाहर तक आवाज जरूर गई होगी। फिर वो लगातार अंदर-बाहर करता है फुल स्पीड में।
मैं रोने जैसी हो जाती हूँ और चिल्लाती हूँ- “उउईई माँऽऽ मर गई…” अब उसकी स्पीड और बढ़ जाती है और मैं बुरी तरह से चीखती हूँ- “आआह्ह्ह… आआह्ह्ह… उफफ्फ़… उफफ्फ़… मर गईई माँऽऽ…” और 5-6 मिनट की चुदाई के बाद झड़ जाती हूँ। मेरी चूत स्लिपरी हो जाती है।
अकरम अपनी स्पीड और बढ़ा देता है। फिर अचानक वो धीरे हो जाता है। मैं थोड़ा रिलैक्स हो जाती हूँ। पर वो मुझे रिलैक्स होने का ज्यादा टाइम नहीं देता और फिर पूरा लण्ड बाहर निकालकर एक झटके से अंदर पेल देता है और वहीं रुक जाता है। फिर वहीं से अंदर की ओर छोटे-छोटे झटके देता है।
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