12-09-2019, 01:30 PM,
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sexstories
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RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
अंजुम शरमा गयी जैसे सोफीया ने उसकी चोरी पकड़ ली हो...उसने फिर अपने पति की हरकतों के बारे में बताना शुरू किया एक पल को उसका चेहरा फिर उदास सा हो गया..सोफीया समझाती रही कि अब टेन्षन ना ले बेटा आ गया है अब उसके सिवाह किसी पे भी ध्यान देने की ज़रूरत नही सब ठीक हो जाएगा खुदा पे भरोसा रखो और ये ना सोचो कि ये गुनाह है पाप है...कुछ देर तक दोनो ऐसे ही वार्तालाप करती रही...बीच में बेटों ने आके दोनो का ध्यान तोड़ा....
रात का डिन्नर ख़तम होने के बाद समीर जैसे आदम से गले लग्के भावुक हो गया इधर अंजुम भी आँसू पोंछ रही थी...सोफीया आंटी भी आदम और अंजुम के गले मिली..
."वाक़ई ऐसा लग रहा है जैसे रिश्ता जुड़ सा गया है आप लोगो को सच में हम दोनो बहुत मिस करेंगे"........आदम भी अपने आँसू पोंछने लगा
आदम : कोई बात नही आंटी हम तो कॉंटॅक्ट में रहेंगे ही साथ ही साथ रोज़ आपसे बात करेंगे
अंजुम : और हां समीर बेटा माँ का पूरा ख्याल रखना
समीर : जी आंटी तू भी सुन ले आदम आराम से रहना कोई कमी ना पड़े....माँ का खूब ख्याल रखना आंटी अब तेरी ज़िम्मेदारी है
अंजुम और आदम दोनो शरमा गये...सोफीया भी मुस्कुरा पड़ी...
."हाहाहा तू भी ध्यान रखना".....इतना कहते हुए दोनो दोस्त फिर एकदुसरे के गले मिले..समीर उन्हें सी ऑफ की बात कहने लगा तो आदम ने बताया गाड़ी सुबह 4 की है तो इसलिए खामोखाः वो इतना दूर जाएगा वो लोग चले जाएँगे फिकर ना करे..आख़िर में दोनो माँ-बेटे वहाँ से रुखसत हुए...समीर की आँखो में आँसू उमड़ पड़े...अपने दोस्त के बिछड़ने से....माँ ने उसके कंधे पे हाथ रखा तो समीर भावुक होके उसके सीने से लग गया...सोफीया उसे चुप कराने लगी उसके बालों पे हाथ फेरते हुए दोनो अंदर चले आए
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20 तारीख की सुबह 4 बजे आदम अपने पिता से विदाई लेता है....जो चुपचाप सिर्फ़ इतना बोले कि अपना ख्याल रखे कोई प्राब्लम हो रास्ते में तो कॉल करे...आदम ने कॅट्सी निभाने के लिए सिर्फ़ हां में सर हिलाया....माँ ने भी ज़्यादा पति से कोई बात नही की....पिता उन्हें जाते हुए देख रहा था....
गनीमत थी कि सुबह खाली रास्ते की वजह से दोनो आधे घंटे पहले रेलवे स्टेशन पहुच गये....वहाँ से कुली किए अपना सामान प्लॅटफॉर्म में खड़ी रेल गाड़ी में ले आए...जल्दी अपना कोच ढूँढा और अपनी सीट के नीचे समान को अड्जस्ट किया....दोनो कुछ देर तक काम काज में फसे थे....माँ ने कहा कि अब बाहर ना जाए ट्रेन चलने वाली है...आदम बस मुस्कुराया वो खिड़की से बाहर झाँक रहा था...कुछ ही देर में ट्रेन में दो मिया बीवी जो बिहारी थे वो सामने आके कोच अपना दाखिल हुए बैठ गये....वो दोनो बिना माँ-बेटे की परवाह किए सामान रखने के बाद एकदुसरे के साथ छेड़ छाड़ और गंदे गंदे मज़ाक कर रहे थे....आदम को उनसे मतलब तो नही था पर माँ उन्हें देखके मुस्कुरा रही थी आदम को कोहनी मार कर उन दोनो को देखने का इशारा कर रही थी...आदम भी मन ही मन हंस पड़ा...
ट्रेन छूट पड़ी....अपनी सीट ठीक किए माँ का बिस्तर लगाए आदम उपर की सीट पे आके बैठ गया हालाँकि उसे नींद तो नही आती थी ट्रेन में इसलिए सामान को बार बार चेक कर रहा था नीचे झाँक कर....दोनो बिहारी मिया बीवी सो गये थे...आदम भी उबासी लेता हुआ माँ की तरफ देखता है जो थकि होने से सो गयी थी...आदम भी चुपचाप सो जाता था...रैल्गाड़ी काफ़ी रफ़्तार से चल पड़ी थी...सुबह 4 बजे उठने की वजह से उसे बड़ी नींद लग रही थी इसलिए वो नींद की आगोश में कुछ ही देर में आ गया
कुछ घंटो बाद जब अंजुम की नींद खुली तो उसने पाया कि गाड़ी तेज़ रफ़्तार में चल रही थी क्यूंकी पूरी बौगी काँप रही थी...स्पीड शायद रात को ज़्यादा बढ़ा दी थी ट्रेन ड्राइवर ने...वैसे भी 24 घंटे का रास्ता था..वो उठके एक बार खड़ी होके आदम की बर्थ में झाँकति है तो पाती है कि बेटा गहरी नींद में सो रहा है....उसे अच्छा ही लगा कि बेटा इतना थक हारके सामान लिए अपनी नींद खराब किए माँ के साथ रैल्गाड़ी में चढ़ा था....उसे सोने देना ही माँ ने बेहतर समझा....और फिर वो लेट गयी
उसे अहसास हुआ कि उसे जोरो की पेशाब लग रही है..अंजुम ने अपने चप्पल पहने और दुपट्टा ठीक करते हुए टाय्लेट के पास आई...इस वक़्त वहाँ कोई नही मज़ूद था...वो टाय्लेट में घुस गयी....वही बैठके पिट के पास अपनी चूत से ज़ोर की पेशाब की धार छोड़ी प्सस्ससस्स......उसे इतनी ज़ोर की पेशाब लगी कि करीब 10 मिनट तक उसकी चूत की पानी की मोटी धार छोड़ती रही मूतने के बाद फारिग होके उसने अपने गुप्तांगों पे नल से पानी हाथो में लिए उसे हाथो से ही धोया फिर जंपर को मुँह से दबाए पाजामा ठीक किए उसे पहनते हुए प्यज़ामे की डोरी को बाँधने लगी..उसे जल्दी जल्दी वापिस जाने का मन कर रहा था क्यूंकी अकेले आई थी बेटा बौगी में अकेला सो रहा था...वो जैसे बाहर आई एकदम से घबरा गयी क्यूंकी एक 42 वर्ष उमर का शॅक्स काली टोपी और काले कोट और सफेद शर्ट और पॅंट पहना उसके सामने खड़ा हुआ था..जानने में आया कि ये टीटी है
अंजुम उसे चौंकते हुए देखने लगी...उसने मुस्कुरा कर माँफी माँगी..अचानक उसके माथे पे शिकन की लहर दौड़ पड़ी..अंजुम उसे खुद को घूर्रते देख अज़ीब निगाहो से देखते हुए वापिस अपनी बौगी की तरफ बढ़ गयी....वो उसे जाते हुए देख रहा था.....जब वो बौगी में आई तब तक ट्रेन कोई नये स्टेशन पे आके रुकने को हुई थी...आदम को जागते देख माँ ने उसकी चादर को ठीक करके उसे उधाने लगी....आदम ने आँखे खोली
आदम : मों कहाँ थी तुम? मैं अभी उठा था तो तुम थी नही मुझे लगा टाय्लेट गयी हो
अंजुम : हां रात से नही किया था...उपर से गॅस बन रहा है ना यहाँ तो फारिग भी नही हो सकते
आदम : हां कोई बात नही
अंजुम : अच्छा तू सो जा ना
आदम : ह्म अब नींद खुल गयी है बाद में आराम कर लेंगे (आदम वैसे ही लेटे रहा माँ अपने बर्थ पे आके लेट गयी)
कोच की लाइट्स ऑफ थी इसलिए अंजुम की नज़र आने जाने वाले को नोटीस कर रही थी....कुछ पॅसेंजर्स थे तो कुछ करम्चारि...आस पास के लोग सभी सो रहे थे...इतने में अंजुम ने नोटीस किया कि वो टीटी बर्थो में झाँकता हुआ सबको सोया देख आगे बढ़ गया....अंजुम को थोड़ा अज़ीब लगा उसे ऐसा लगा जैसे इस टीटी को उसने पहले कभी देखा है....चेहरा रौबदार था मुच्छे थी भरा पूरा बदन था...उमर भी 40 से कही ज़्यादा उपर लग रही थी....अंजुम ने भी सोचा शायद उसका वेहेम हो लेकिन टीटी उसे ऐसे घूर्र रहा था उसे थोड़ा अज़ीब लगा...लेकिन उसने इस बात को ज़्यादा महत्व नही दिया
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