Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 02:26 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
मैं मुँह बनाए वापिस कमरे में लौटा...तो पिता जी ने कहा आ गये बेटे मैने कहा हां पिता जी...मैने और कुछ नही जवाब दिया हम फिर नॉर्मल हो गये क्यूंकी पिता की मज़ूद्गी में हमे नॉर्मली ही बिहेव करना होता था.... रात हो गयी थी मैं अपने कमरे में खाना वाना ख़ाके फारिग होके लेटा हुआ था उफ्फ कल तक मेरी माँ यहाँ सोती आई अब यहाँ मेरी बीवी सोएगी यही सब सोच रहा था और चादर पे हाथ फेर रहा था.....माँ की कमी मुझे खल रही थी...बेटा अभी यह हाल है तो आगे क्या होगा? इस बीच दरवाजा चर चरर करके खुला तो पाया कि माँ आई थी उन्होने अपनी पसीनेदार नाइटी को झाड़ते हुए कहा कि अफ बहुत गर्मी है

मैने कहा हां पिता जी आ गये इसलिए काम में घुसी पड़ी हो वो ना होते तो अभी ही तुम्हें बिस्तर पे पटक देता...

.माँ ने कमरे का दरवाजा लगाया और मुझे कहा अच्छा बच्चू तेरी इतनी हिम्मत तू तो बहुत ज़्यादा मुझपे चढ़ने लगा है कैसे चिड रहा है? अभी से यह हाल तो जब शादी होगी तो....

."तो क्या? निशा को साइड करूँगा और तुझे पकडूंगा ....

पकडूंगा अर्थ से माँ समझ गयी कि मैं चुदाई की बात कर रहा था..माँ ने मेरी तरफ हैरत से देखा और कहा हाए अल्लाह इसकी दीवानगी का क्या करूँ जो मेरे प्रति है? .....

मैने सिर्फ़ उसे आँख मारी तो उसने मुझे आँख दिखाई और मुस्कुरा कर झट से अटॅच बाथरूम में घुस गई...

वहाँ से जब वो लौटी तो उसने आल्मिराह से अपनी मेरी दिलाई हुई जिसे रात को अक्सर जो पहनके मेरा साथ सोया करती थी वो नाइटी डाली हुई थी उसके दोनो फिते आज़ु बाज़ू थे उसके...वो काफ़ी पतली चादर जैसी नाइटी थी तो मैने सॉफ पाया माँ ने ब्रा और पैंटी दोनो में से कुछ नही पहना हुआ था...

माँ मेरे साथ . लेट गयी...तो मैं उसके थोड़ा करीब आया तो उसने हाथ मेरी कमर पे रखा...फिर फुसफुसाया ना जाने क्यूँ? मुझे ये सब अभी करना ठीक नही लग रहा तेरे पिता की मज़ूद्गी में

आदम : माँ ऐसी बात है तो फिर चलो मेरे साथ

माँ : कहाँ?

आदम : घर से कहीं दूर और यहाँ तो कुछ कर नही पाएँगे ना

माँ : पागल हो गया है तू मुझे इतनी रात गये कहाँ ले जाएगा? पागल है तेरे पिता क्या कहेंगे?

आदम : देखो पिता का तुम मस्का मुझे मत लगाओ कि उसकी मज़ूद्गी में तुझे ये सब करना ठीक नही लग रहा या डर लग रहा है मेरा मूड बन रहा है बहुत ज़्यादा और मैं जब ज़िद्दी होता हूँ तो किसी की नही सुनता या जाके कह दूं उनको कि आप ददिहाल जाओ

माँ : पागल हो गया है पिता है तेरे और तेरे मोहताज है वो अब ऐसा कुछ ना करना पहले पते की बात सुन पिता तेरे यही एक दुकान ले रहे है दिल्ली से ही सोचके आए थे कुछ जमापूंजी अपनी लगाएँगे वो खाली बैठना नही चाह रहे

आदम : हां पिताजी तो वैसे ऐसे बैठते ही नही खैर अभी (मैने धीरे धीरे माँ की नाइटी के उपर ही उनकी छातियो के उभार पे हाथ रखा और उन्हें मज़बूती से मसला तो माँ हल्की सी चिल्लाई)

माँ : उफ्फ छोड़ ना बेटा अभी ठीक नही है करना आवाज़ें अगर सुन ली तो ग़ज़ब हो जाएगा

मैं थोड़ा सा चिड गया था तो मैने कहा कि ठीक है तुम्हें तो बहाना मिल गया जाओ बात नही करता तुमसे....एक तो पूरे दिन काम का प्रेशर और उपर से तन्हाई काटना कितना मुस्किल हो रहा था कि माँ समझ नही रही थी...उसे क्या मालूम कि मेरी कितनी तलब उठ रही थी चुदाई करने को...बस हालातों को देख रही थी यहाँ मेरी हालत जानने को परे थी

मैं अपने फ्लॅट से बाहर आया उपर सीढ़ियाँ जाती थी मैं धीरे धीरे उपर गया तो राजीव दा के फ्लोर से गुज़ारा शायड सो रहे होंगे दरवाजा लगाया हुआ था बत्तिया भुजी हुई थी...मैं सीडिया वैसे ही अंधेरो में चढ़ता हुआ मोबाइल की टॉर्च जलाए छत पे पहुचा....वहाँ काफ़ी हो हो करके हवाए चल रही थी छत ऐनी टाइम टंकी चेक करने के लिए खुला रहता था....
Reply
12-09-2019, 02:26 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
मैं थोड़ी देर खड़ा चारो तरफ की खामोशी और रोशनदान इमारतो से भरे इलाक़े को देख ही रहा था अपने आस पास कि इतने में मुझे किसी का साया लगा वो आके मेरे पेट से होते हुए कंधे से मुझे जकड़ा मैने पाया माँ मेरी पीठ को चूमते हुए मुझे नज़ाकत भरे चेहरे से देख रही थी....

आदम : क्या माँ? तुम भी ना डरा दिया मुझे

माँ : और अकेला रहना चाहता है डरफोक कहीं का

आदम : मैं जानता था तुम आओगी पर अगर पिता जी ने हमारी मज़ूद्गी का अहसास नही पाया तो

माँ : कभी गहरी नींद से उठे है देख मेरा भी दिल बहुत करता है पर काबू में रखा कर ऐसे दिल को , अब परिवार बढ़ेगा अब तो तेरे पिताजी का भी खाना वाना बनाना पड़ेगा रोज़ वरना दोपहर तो जैसे तैसे खा लिया करती थी अब कुछ दिन में बहू आ जाएगी तो बस

आदम : उफ्फ माँ तू और तेरी सोच धन्य है

माँ मेरी नाक से नाक रगड़ते हुए हँसी...तो मैने उसके होंठ अपने होंठो से जैसे सटा लिए...हम दोनो मुँह की गर्मी एकदुसरे के मुँह में महसूस कर रहे थे..एकदुसरे की ज़ुबान को चूस्ते हुए एक दूसरे के होंठो को प्यासो की तरह चूस रहे थे....मैने माँ को खुद से अलग किया और दरवाजा लगाया..

फिर वापिस हम एकदुसरे से लिपट गये....छत में घना अंधेरा था और काफ़ी खुला और लंबा छत था आस पास की इमारत भी हमारे काफ़ी दूर ही पड़ती थी....आगे मैन रोड था जिससे ट्रक्स गुज़र रहे थे...वो भी काफ़ी दूरी पे....और पीछे औरो के फ्लॅट्स थे...इतनी रात गये कोई हमे देख भी नही पाता..हम वहीं फर्श पे लेट गये...टँकियो के पास फिर एकदुसरे के होंठो को बेतरतीब से चूसने लगे....

माँ : उम्म म्बेटा उफफफ्फ़ कमरे में कर लेते तो पकड़े जाते

आदम : आख़िर कब तक उम्म्म माँ कब तक? (माँ के उपर मैं सवार हम दोनो एकदुसरे को चूमते हुए बात कर रहे थे इस बीच मैने माँ के गले और नाइटी के कपड़े को हल्का सा फाँक किए माँ की गोल गहरी नाभि को चूम लिया)

माँ ने मुझे रोका और कहा कि उसे उपर अच्छा नही लग रहा जी घबरा रहा है उसका...तो मैने माँ को उठाया फिर माँ ने अपनी नाइटी ठीक की....हम दरवाजा लगाए कमरे में लौटे....फिर माँ ने एक बार जायेज़ा लिया पिता जी गहरी नींद में सो रहे थे...फिर हम दोनो अपने कमरे में लौटे और फिर अटॅच बाथरूम में घुसे जो काफ़ी छोटा था...हम दोनो जो भी करते खड़े होके ही कर सकते थे....माँ ने अपनी नाइटी उतार दी और मदरजात नंगी होके मुझे अपने छातियो से चिपका लिया

मैं उसकी छातियो में साँस भरता हुआ उन दोनो पे अपना मुँह रगड़ने लगा....फिर उनपे ज़ुबान भी चलाने लगा तो माँ ने मेरी ठुड्डी से मेरे सर को उपर किया और फिर मेरे होंठ चुस्स डाले उसकी साँसें एकदम भारी थी

मैने उसे अपने तरफ पलट दिया फिर उसे एकदम झुका दिया....अपना मोटा मूसल जैसा लंड उसकी फांको में घुसाते हुए आहिस्ते से अपनी एडी पाओ की उपर किए उसके छेद के भीतरी मुंहाने में डालने लगा..इससे माँ ने गान्ड ढीली छोड़ी लॉडा अंदर सरक गया....इससे माँ का शरीर हल्का सा काँपा उन्होने पूरी ताक़त अपने कुल्हो में भरी और मेरा लंड खा लिया...

उनके छेद में मेरा लंड अंदर तक जैसे ही सरका मैने उसके दोनो बाजुओं को मज़बूती से पकड़े उसके नितंबो में स्ट्रोक्स देने शुरू किए हर चुदाई की थापि से उसके कूल्हें हिल जाते...वो मज़े से आहें दबी आवाज़ में लिए अपनी चुदाई का आनंद प्राप्त कर रही थी...मैने उसे इस बीच खड़ा किया और उसकी गान्ड में अपना लंड घुसाए उसकी चुदाई करता रहा...उसे काफ़ी हिकच हिकच के मैं चोदता रहा...माँ के स्वर में आहों की आवाज़ बढ़ती गयी शायद इस बात का उसे डर था...


माँ तो नोटीस नही करती क्यूंकी चुदाई में हम दोनो मलीन थे...इसलिए जब चरम सीमा का वक़्त आया तो मैने खुद ही खुद पे काबू पाते हुए अपने लंड को माँ की दरार से बाहर खीचा.....और उसी पल टाय्लेट की पिट पे मेरा रस उगलता हुआ गिरने लगा...मैं काँपते हुए वहीं दीवार पे ठिठक गया...माँ इस बीच साँस भरते हुए हान्फ्ते मुझे झड़ते देखने लगी फिर उसने खुद मेरे लंड को आगे पीछे हिलाया और निचोड़ते हुए आखरी बूँद भी मेरे लंड से खीचके निकाल ली...जब मैं शांत पड़ गया तो उसने अपनी उसी नाइटी से ही मेरे लंड को सॉफ किया उसे पोन्छा फिर नाइटी को टाँगगके खुन्टी में फिर शवर ऑन कर दिया हम कुछ देर शवर के नीचे खड़े अपने गुप्तांगो को सॉफ करने लगे...

फिर माँ ने उसी नाइटी के सूखे हिस्से से मेरे गीले बदन को पोछते हुए सॉफ किया और फिर अपना बदन भी पोंच्छा और कहा चल अब तू जा मैं पेशाब करके आती हूँ...मैं बाहर निकल आया तो माँ टांगी चौड़ी किए टाय्लेट पिट के पास अपनी चूत फैलाए पेशाब करने की मुद्रा में बैठ गयी...प्स्स से उसके छेद ने पेशाब की मोटी धार छोड़ी...मैं कमरे में आके सुस्त हो गया कुछ देर बाद माँ ने दूसरी नाइटी पहनी और मेरे बगल में आके सो गयी

पर सच पूछो तो गुपचुप तरीक़ो में चुदाई उतनी रास नही आती जितना हम माँ-बेटे खुलके पूरे घर में चुदाई किया करते थे...अब तो पिता की मज़ूद्गी भी थी...मैं ही सोच रहा था कि शायद माँ अब इसके बाद मुझे अवसर ना दे एक तो शादी की तारीख नज़दीक थी उनकी भी हल्की फुल्की तय्यारियाँ करनी थी जैसे मुझे शेरवानी ये सब दिलाना वग़ैरा वग़ैरा
Reply
12-09-2019, 02:26 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
पर मैं ग़लत था माँ अपने वादे से मुक़री नही क्यूंकी नेक्स्ट डे सनडे था और माँ आज मुझसे काफ़ी हंस खेल के बात कर रही थी....उसने बताया कि सब्ज़िया ख़तम हो गयी हैं तो चल मैने कहा कि सब्ज़ी सबसे अच्छी तो जहाँ किराए का घर था वहीं मिलती है..तो माँ ने कहा ले चल

हम पटरी क्रॉस किए ब्रिड्ज पार कर अपने उसी पुराने इलाक़े में आए....अपने पुराने घर से गुज़रते हुए माँ और मैं सब्ज़ी मंडी पहुचे और वहाँ खरीदारी की...मैने माँ से कहा चल ना थोड़ा घाट घूम आए...माँ ने कहा इतनी रात गये ठीक है चल फिर....हम वहाँ गये जगह एकदम सुनसान था....

घाटी एकदम सुनसान थी..और चारो तरफ तेज़ हवाए चल रही थी..हम कब बाज़ार की भीड़ भाड़ से इतना दूर आ गये मालूम ही नही चला...मैं स्टेंड पर बाइक लगाए देखा कि चाँद की फीकी रोशनी घाट के बीचो बीच नदी में पड़ रही थी जिससे चाँद पानी में छलक रहा था..दूर दूर तक खामोशी छाई हुई थी...

अंजुम : यहाँ तू इतनी रात गये मुझे क्यूँ लाया? बोल तो

आदम : बस यूँ ही

अंजुम : देख ये घाट है तू अगर कुछ ऐसी वैसी हरकत करने की सोच रहा है तो भूल जा

आदम : माँ तुम्हें क्या मैं हर वक्त ऐसी वैसी हरकत करने वाला ही लगता हूँ

अंजुम : क्या मालूम? इस खामोश रात का तू फ़ायदा कब उठा ले?

आदम : छी तेरी सोच तो बहुत गंदी है

अंजुम : हाहाहा (माँ खिलखिलाके हंस पड़ी)

आदम : चल नीचे उतरते है

अंजुम : नही नही साँप होता है अंधेरे में दिखेगा नही नीचे मत जा

आदम : उफ्फ हो तो क्या यहाँ ऐसी ही ठहरें ?

अंजुम के पैर भी खड़े खड़े दुख रहे थे...उसने बेटे की तरफ देखा और फिर घर की बात करने लगी..."तेरे पिता की मज़ूद्गी में कह तो नही पाती हूँ पर तुझसे कहना चाह रही हूँ कि तू बदल तो नही जाएगा ना अगर कल को निशा घर में रहने लगती है"...........


.इस बात को सुनके आदम ने माँ के चेहरे पे हाथ रखा और उसके बेहद नज़दीक आया..."क्यूँ री? तुझे ऐसा लगता है? मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुझे अपना मानता हूँ मैं उन बेटों में से नही जिन्हें सिर्फ़ अपनी ही औरत में दिलचस्पी हो...माँ पहले होती है बाद में बीवी"..........

माँ थोड़ी भावुक हो उठी

हम दोनो अपनी कशमकश में उलझे ही थे...कि इतने में मैने माँ के हाथो से सब्ज़ियो का थेला अपनी बाइक के हॅंडल्स में फँसाया झोला हल्का था इसलिए फटा नही..."माँ अब तो वक़्त भी इतना नही मिल सकेगा हमे कल रात मज़ा पूरा नही मिला"........

.माँ मेरे हालातों को समांझ रही थी..

उसके हाथ मेरे बदन को सहला रहे थे....मैने माँ के तपते होंठो पे होंठ रखे और एक हल्का सा चुम्मा लिया तो माँ ने मुझे धकेलते हुए कहा सस्सह यहाँ नही कोई देख लेगा...मैने चारो तरफ का जायेज़ा लिया कहीं दूर कोई कुत्ता भौंक रहा था...पास में जलते पोल के मरियल से बल्ब की रोशनी से ही हम एकदुसरे को देख पा रहे थे...अचानक बादलो में गर्जन स्टार्ट हो गयी और धीरे धीरे इतनी हद तक बढ़ गयी की हवाए धूल मिट्टी उड़ाने लगी..

आदम : उफ्फ ये क्या एकदम से मौसम के मिज़ाज को क्या हो गया...अफ

माँ : बेटा चल जल्दी घर चल

आदम : रूको माँ मैं देख नही पा रहा आँखो में धुंल चली गयी है अफ

माँ : बेटा संभलके अभी तू सीडियो से फिसल जाता कहा था ना तुझे

गरर गरर करती हुई बादलो में गर्जन शुरू होने लगी तूफान तेज़ हो गया तो मैं और माँ जैसे तैसे बाइक पे बैठे..मैं फुरती से बाइक को तेज़ किया और सीधा रास्ते पे दौड़ा दिया...बाइक की हेडलाइट की रोशनी ही चारो तरफ फैल रही थी...इलाक़ा अब भी दूर था हम खुले सुनसान रास्ते से गुज़र रहे थे जिसके दोनो तरफ बड़े बड़े पैड थे...

."उफ्फ लगता है लोगो ने सिर्फ़ प्लॉट खरीदा है एक का भी मकान नही"

........"बेटा बाढ़ में ये जगह डूब ही जाती है"........

."ह्म".....हम दोनो बातचीत करते हुए आगे बढ़ ही रहे थे कि इतने में किसी पत्थर से बाइक टकराई तो मेरा बॅलेन्स बिगड़ गया..माँ इससे हड़बड़ाई और सीधे लगभग हिछोकले खाने से बाइक की..मुझपर उछल के जैसे गिर पड़ी...उसके भारी स्तन मेरी पीठ से रगड़ खा गये और उनको थोड़ा ठुड्डी में चोट लग गया

"हाए स"......

."माँ तू ठीक है"........

."हां ज़रा सा सस्स ठुड्डी पे लग गया इस्श".....मैने बाइक रोकी फिर हम दोनो उतरे...मैने माँ की ठुड्डी को सहलाया फिर चेहरे की तरफ देखा...."माँ ठीक है ना तू पता नही ये कच्ची सड़क कब बनेगी?"....
Reply
12-09-2019, 02:26 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
."बेटा जाने दे चल अब घर चल".......

"बारिश में भीगते हुए देखो बारिश शुरू हो गयी"........

"अफ हो अब तो सारी सब्ज़िया खराब हो जाएगी जल्दी झोला ले हमे किसी आड़ में जाना चाहिए".....

."हां माँ".......मैं सोच ही रहा था....कि इतने में मेरा ध्यान पीछे के उस खंडहर जैसे घर में गया

"माँ देख उस घर में पेड़ का जड़ निकल आया है लगता है काफ़ी बंद पुराना सा खंडहर है देख दरवाजे की कुण्डी भी टूटी हुई है"......

"अर्रे ना बाबा ना कोई साँप वान्प होगा बेटा रिस्क लेना ठीक नही".......

"तू मौसम का हाल देख वहाँ हम कुछ देर ठहर जाते है फिर जैसे ही थोड़ा बारिश कम होगा घर पहुच जाएगे बदली मौसम है माँ भीग गये तो बीमार हो जाएँगे और अभी मैं नौकरी से छुट्टी वैसे ही लिया हूँ शादी की तारीख के दिन भी बीमार रहूँगा".......

."अर्रे ना ना चल फिर दे झोला दे".......

."लो माँ झोला पकडो"..........

.माँ ने झोला पकड़ा सब्ज़ियो का और उसे अपने पल्लू से ढक लिया

बरसात की बूँदें हमपर बरस रही थी माँ मेरे आगे आगे बढ़ रही थी और मैं टॉर्च जलाए कहीं वो फिसल ना जाए ये सोचके कीचड़ भरे रास्तो में रोशनी टॉर्च की फैक रहा था..मैने सॉफ देखा कि माँ के चूतड़ पेटिकोट के बाहर से ही उभरके दिख रहे थे उफ्फ कितने हिलते चूतड़ थे वो

हम खंडहर जैसे उस घर में प्रवेश किए...तो दरवाजा खुल गया...मैने चारो तरफ एक बार चलके जायेज़ा लिया...तो माँ ना जाने कैसे उस घर को पहचान गयी....काफ़ी हॉंटेड जैसा घर था....माँ दुआ पढ़ रही थी और मुझे और खुद को फूँक के मुस्कुराइ...."बला मुसीबत दूर रहेगी"......

"अच्छा किया चल आ"...मैं माँ का हाथ पकड़े सीडियो से उपर आया एक ही मामला था....एक कमरा नीचे और एक उपर सीडिया पे पैर रखते ही एक ईंट खिसक के नीचे गिर पड़ी मैं बाल बाल बचा वरना नीचे गिरता और मेरा सर फॅट जाता माँ ने मुझे कस कर थामें हुआ था....

हम वापिस नीचे लौटे..."अर्रे माँ तूने मोमबत्तियाँ खरीदी थी बाज़ार में ना ज़रा जला तो"......

."अच्छा ले".....मैने एक मोमबत्ती मांचीस से जलाई उफ्फ पूरा घर रोशन हो गया...मैने देखा दीवारे काफ़ी जर्जर हो गयी थी कभी भी ढह सकती थी...लेकिन फिलहाल तो गिरने के कगार पे नही थी....माँ ने कहा कि यह घर बहुत पुराना है कभी यहाँ दो जने रहा करते थे एक माँ और एक बेटा...

मैं माँ की स्टोरी दिलचस्पी से सुनने लगा....साथ में टूटी खिड़की से झाँका तो मेरी बाइक दूर खड़ी मुझे दिख रही थी जो बारिश में भीग रही थी..."फिर क्या हुआ था?"........

."तू सोचेगा तो हैरत करेगा?"........

"देख हॉरर स्टोरी मत सुनाना मुझे डर लग जाएगा".......

"अर्रे पगले हॉरर कहानी नही है सच्ची घटना है प्रेम संबंध से ही जुड़ी ....


."अच्छा फिर तुझे कैसे पता चला?"......

"अर्रे काकी के साथ आती थी ना घाट पे वहीं सुनी थी इस घर के बारे में ये दास्तान".......

."अच्छा फिर क्या हुआ".......माँ सुनाती गयी और मैं सुनता गया कहानी कुछ इस तरह थी...और जब सुना तो जानके हैरत हुआ प्रेम संबंध वो भी व्यभाचारियो वाला माँ-बेटे के बीच...बाहर तेज़ हवाओं का शोर और बिजलिया कडकने की गूँज़ हमे दहला देती...तो अंदर सुनने की मेरी जिग्यासा जैसे उमड़ रही थी..मैं माँ को बड़े गौर से कहानी नॅरेट करते हुए देख रहा था...

माँ : आज से करीब 20 साल पहले यहाँ एक माँ-बेटे रहते थे....माँ विधवा थी और बेटा मज़दूरी करता था दोनो का घर चलना असंभव सा हो गया था....फिर एक दिन अचानक उसकी माँ एक वैद्य के पास पहुचि वो वैद्य जी उस काकी के जिन्हे मैं जानती हूँ सग़ी मौसेरी चाची लगती थी अब नही रही वो...उन्होने उनसे गर्भ पात गिराने की दवा माँगी....ये सुनके वैद्य जी चौंक उठी उसने पूछा कि कैसे तुम तो विधवा हो?

गवार थी उसे ये ख्याल नही था कि वो औरत किसी और को भी बता सकती है...पर उसने ये राज़ राज़ ही रखा...तो जानने को आया कि उसके बेटे ने उसके साथ ज़बरदस्ती की थी

आदम : क्या ज़बरदस्ती?

माँ : हां असल में उसने अपनी माँ को एकदिन नहाते हुए यही बाहर कमरे से देखा तो उसकी आँखे ठहर गयी एक तो भर जवान औरत उपर से उसका बेटा 22 वर्ष का हट्टा कट्टा जवान अपनी माँ के नंगे जिस्म को देख उसके बदन में जैसे आग उमड़ गयी और उसी रात माँ उसके पास जब लेटी तो उसने नींद का फ़ायदा उठाके माँ के साथ ग़लत हरकत कर दी

आदम : ओह माइ गॉड एक बेटा अपनी माँ की इज़्ज़त कैसे लूट सकता है?
Reply
12-09-2019, 02:26 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
माँ : देख बेटा तेरी दीवानगी हवस नही है उसकी हवस होगी लेकिन बाद में वो हवस माँ के प्रेम में बदल गयी....माँ को दवाइया दी तो वो ठीक ज़रूर हुई पर उसने अपने बेटे को खुद से दूर करने का फ़ैसला किया बेटे ने किसी से रिश्ता नही जोड़ा ना माँ को अपने से अलग होने दिया...धीरे धीरे उसकी माँ को उसकी आदत लग गयी कमाई वहीं करता माँ सिर्फ़ सब्ज़िया बेचती थी...फिर एक दिन इन प्रेम संबंधो के बीच एक तूफान आया जिसने इस घर को वीरान कर दिया



आदम : कैसा तूफान?



माँ : संडास करते वक़्त कोई सिपाही जी थे वो अक्सर सुबह सुबह पास में आया करते थे बस उसने देखा कि विधवा का घर है उसके मन में शैतान घुसा और वो खिड़की से अंदर का जायेज़ा लेने लगा तो जो उसने देखा तू तो जानता है गाँव में ब्रा पैंटी बहुत कम ही पहनी जाती है और लूँगी ही यहाँ की पोशाक है उस औरत का बेटा नगन अवस्था में उसकी माँ के साथ संबंध बना रहा था और यही चीज़ उस सिपाही ने देख लिया...बस फिर क्या था? उसका तो सिर फॅट गया...ना ही सिर्फ़ उसने उन दोनो को रंगे हाथो पकड़ा बल्कि उस औरत के साथ बुरे करम करने की कोशिश की....बेटे ने तुरंत उस सिपाही जी को मारने की कोशिश की पर बेचारा कुछ ना कर पाया...पिट गया...उसने उन दोनो को धमकिया दी कि वो गाँव में ये बात फैला देगा...दोनो डर गये



अगले दिन पूरे ग्राम वासी आए थे यहाँ लेकिन उन माँ-बेटों को खोजा नही गया..दोनो कहीं भाग चुके थे कहीं दूर...और तबसे लेके आजतक ये घर खंडहर ही बना हुआ है..



आदम : ह्म इंट्रेस्टिंग वैसे माँ ग़लती बेटे की थी पर धीरे धीरे उसकी माँ ने आपत्ति इसलिए नही की होगी कि शायद उसके मन में भी बेटे के लिए घृणा और अपने प्रति एक लत सी लग गयी हो एक विधवा औरत थी क्या मालूम कि उसे मन करने लगा हो कि क्सिी मर्द से चुदे



माँ : हाए अल्लाह छी तू भी ना



आदम : हाहहाहा लेकिन जो भी हुआ बहुत बुरा हुआ...



इस बीच हम खामोश हो गये...माँ घर का जायेज़ा लेने लगी तो मैने माँ के पीठ पे बारिश की हल्की बूँदें देखी तो उस पर अपना हाथ रखा माँ पसीने पसीने इस उमस भरी गर्मी में हो रही थी...माँ इससे हड़बड़ाई और उसने मेरी तरफ पलटके देखा....."आज हमे कौन देखेगा? चल आज यही सुहागरात मना ले"......वक़्त भी था और जगह भी रात 9 से पार हो चुका था और नेटवर्क मोबाइल का लग नही रहा था जिससे पिताजी का कॉल आ सके...बरसात तेज़ हो रही थी और अंदर दो जिस्म तन्हाई के इस आलम में पास आने को छटपटा रहे थे...



मैने माँ की साड़ी खीचके उतार दी फिर उसके साया को हटा कर उसके ब्लाउस के हुक को भी खोलते हुए आगे के बटन्स को भी उतार डाले...माँ ने ब्लाउस खुद ही अपने बाज़ुओं से अलग की फिर मेरे आस्तीन पे फँसे शर्ट को अपने दोनो हाथो से खीचके उतार ली..



फिर मैने माँ के बाल क्लिप से खोल दिए..और उनके बिखरते ही मैने उनका चेहरा हाथो में लिया और उनके होंठो को चूसा....माँ ने भी सहमति से अपनी ज़बान मेरे मुँह में धकेली....हम एकदुसरे के होंठो को चूसने लगे....धीरे धीरे सारे कपड़े एक जगह इकहट्टा किए मैने बाहर का जायेज़ा लिया इस मूसलधार बदिश में कौन आता?......मैने माँ को वैसे ही गोद में उठा लिया तो उसने दोनो टांगे मेरे कमर में लपेट ली....



"माँ तू पहले से वज़नदार हो गयी".....



."देख लेटना मत वरना पूरे शरीर पे मिट्टी लगेगी और फिर खुजली होगी अब देखु तू मेरा कितना बोझ उठा सकता है?"......



.मैने माँ की चुचियो को बारी बारी से मुँह में लिए उसकी पीठ दीवार सटा दी...माँ मेरी गोदी में और उसकी बुर के बीचो बीच मेरा तना हुआ लंड....उसने हाथ नीचे ले जाके अपने मुंहाने पे मेरा लंड घुसाया...तो वो पच से अंदर घुसा...फिर मैने माँ के चुतड़ों को कस कर हाथो में मसल्ते हुए उसके पूरे जिस्म को गोदी में लिए दबोचे...करार धक्के पेले...



अयीई ससस्स.......माँ गोदी में जैसे पश्त पड़ गयी उसने मेरे कंधे और गाल को चूमना शुरू किया तो नीचे से मैं उसकी चूत को फ़चा फ़च अपने लंड से चोदने लगा...माँ हर धक्के में काँप उठती....ऐसा सुख कहाँ था?......धीरे धीरे माँ को जब संभालना मुस्किल हो गया तब भी मैं उसे वैसे ही गोदी में उठाए उसकी चुदाई लगातार करता रहा....



फिर माँ को खड़ा किया गोदी से उतारा....फिर उसने झुकक्के मेरे लंड को चुस्स लिया...आज माँ को बिना कहे ही मैने लंड चुसते देखा था...उसने मेरे लंड को मुट्ठी में लेके पहले पचकारा फिर उस पर ज़बान लगाई फिर उसे मुँह में लिए आगे पीछे मसल्ते हुए चूसा....



"अफ माँ आहह ससस्स".....



.स्लूर्रप्प माँ के मुँह से निकलती सिसकियो में अपने लंड की चुसाइ की आवाज़ो को सुन मेरा मन मचल उठा...



फिर लंड चूस्ते हुए उसने खुद ही उठके घोड़ी की मुद्रा की...फिर मैने उसकी चूत पे खखारते हुए अपने थूक को चूत पे पूरा मला उसे गीला किया फिर अपना मोटा लंड उसकी चूत में दुबारा दे घुसाया..



.माँ हल्का काँपी और फिर उसने पूरा लंड अपने अंदर तक खीच लिया उसकी गीली चूत की फ़च फ़च आवाज़ निकल रही थी...और मैं ताबड़तोड़ पाँच धक्को में ही जैसे फारिग होने को हो गया...फिर मैने कुछ देर थामे रहना ही मुनासिब समझा फिर माँ की कमर और पेट को सहलाते हुए कस्स कस कर उसकी चुदाई शुरू की



"आहह सस्स ऐसा ही चोद्द मेरे बाबू आहह ससस्स अपनी बीवी को पीछे से करना बेटा हाहहाहा".......



."कुछ भी आहह ससस्स वाहह क्या मटकते हिलते चूतड़ है तेरे".......माँ के हिलते चुतड़ों को दबोचते हुए थप्पड़ मारते हुए मैने कहा...फिर मैं उसकी दना दन डन चुदाई करने लगा...



कुछ ही देर में मैं संखलन के नज़दीक पहुचा तो माँ ने मुझे रोका नही उसने कस कर अपनी चूत में मेरा लंड भीच लिया जिसकी सख्ती से में झड़ने लगा..."उफफफ्फ़ उहह म्मामा आहह"....मैं काँपते हुए माँ की चूत में गरम गरम वीर्य की धार छोड़ने लगा...जब तक मैने पूरा माँ की चूत को भर नही दिया मैं माँ को वैसे ही कमर से जकड़ा घोड़ी बनाए उससे लिपटा रहा...जब हम दोनो फारिग हुए तो एकदुसरे से अलग हुए



फ्यूक की आवाज़ के साथ लंड की निकलती वीर्य की लार जो माँ के छेद के भीतर तक लार बनके जुड़ी हुई थी लंड को बाहर निकालते ही दरारों से लंड के सुराख से आज़ाद होते हुए निकल रही थी उसे माँ ने अपने हाथो से ही पोंच्छा...फिर हम दोनो थोड़ा हान्फ्ते हुए एकदुसरे को देखके मुस्कुराए....."अब संतुष्ट हुआ तू हाहहाहा".......



.मैं भी माँ की इस बात से हंस पड़ा उसका चेहरा एकदम गुलाबी था हम एकदुसरे के गले लग गये...



कुछ देर बाद बारिश हल्की हो गयी तो हमने अपने कपड़े ठीक से झाड़ते हुए पहने....माँ ने साड़ी इस बीच पूरी तरीके से पहन ली थी...फिर दीवार के कगार पे रखी मोमबत्ती को भुजाया उसे डिब्बे में डाला फिर हम बाहर आए सब्ज़ियो का झोला बाइक के हॅंडल पे फँसाया माँ खड़ी रही तो मैने बाइक स्टार्ट किया माँ मेरे पीछे मुझे कस कर पकड़े बैठी...फिर मैने बाइक को रास्ते की तरफ मोड़ा और फिर हम वहाँ से चल दिए..



मैं बहुत थक गया था फिर भी बाइक और माँ दोनो को संभाले चला रहा था....माँ के चेहरे पे संतुष्टि के भाव थे उसकी ये मुस्कुराहट चुदाई के बाद अक्सर देखने को मिलती थी....शायद ही अब इसके बाद हमे वक़्त मिले....एक बार माँ ने कहा कि तुझे डर लगा?...



मैने कहा नही तो भूत प्रेत कल्पना है माँ क्या मालूम वो माँ-बेटे कही किसी जगह रह रहे हो और एक नये रिश्ते की शुरुआत नये सिरे से की हो...माँ ने कुछ ना कहा बस मेरे कंधो पे सर रखके आँखे मूंद ली उसे जैसे नींद आ गयी थी...



हम वापिस रेल पटरी ब्रिड्ज क्रॉस किए टाउन लौटे फिर अपने फ्लॅट..माँ उतरी और फिर मैने बाइक पार्क की दरवाजे पे दस्तक दी....तो पिताजी ने कहा कहाँ रह गये थे तुम दोनो ऐसे बिना बताए कहीं जाता है कोई?...........



माँ ने कहा बस सब्ज़िया खरीदने गयी तो तूफान शुरू हो गया हमे कहीं ठहरना पड़ा......



पिताजी ने कहा हो सकता है आजकल बदली मौसम चल रहा है तो खैर फिर भी कह कर जाते मैने कितना तेरे नंबर पे ट्राइ किया आदम....



मैने कहा लग नही रहा था मैने भी ट्राइ किया....हम ने थोडी बातचीत की उसके बाद फ्रेश होने बारी बारी से गुसलखाने गये....



माँ आज मेरे साथ नही सोई शायद चुदाई की थकान से खाना वाना बनाने के बाद डिन्नर कर फारिग हुए वो पिताजी के कमरे में ही सो गयी थी....मैं भी पष्ट पड़ गया था तो सो गया...खंडहर में माँ और अपनी चुदाई के सीन ख्वाबो में भी देख रहा था





वो दिन भी आ गया जिसका मुझसे ज़्यादा मेरे घरवालो को इन्तिजार था....मेरे घरवालो से मतलब मेरी माँ और अब पिताजी को भी ...ये एक ऐसा दिन था जहाँ से मैं एक शादी शुदा ज़िंदगी में कदम रखने वाला था...वेंटकेश हॉल के लिए हमे जल्दी निकलना था...पिताजी गाड़ी लेने गये थे और मैं घर में तय्यार हो रहा था राजीव दा ने वादा किया था कि वो पक्का आएँगे पर वो किसी कारणों से ड्यूटी जाने के लिए रुखसत हो गये ....उनकी पत्नी यानी ज्योति भाभी माँ को लेके ब्यूटी पार्लर तय्यार होने ले गयी....



मैं कमरे में अपनी शेरवानी और दूल्हे का सेहरा सब ठीक करते हुए उसे पहनके देख रहा था....मैने इस दिन का कभी ख्याल नही किया था सोचा नही था कि यह दिन भी आ जाएगा...अपने में मुस्कुराते हुए मैं अपने कसे पैंट को ठीक करते हुए शेरवानी के दुपट्टे को ठीक ही कर रहा था कि इतने में कमरे में कोई दस्तक देने लगा....



"अरे बेटा हुआ नही अभी तक तेरा?"........माँ ने आवाज़ लगाई..



मैने आगे बढ़ते हुए दरवाजा खोला तो माँ किसी खूबसूरत मूरत जैसी सजी खड़ी थी...उफ्फ बालों में गजरा क्या साड़ी उन्होने पहनी थी...अफ चेहरे पे मेक अप करने से उनका चेहरा काफ़ी निखर गया था...मैं उसे एकटक देख ही रहा था कि मुझे अहसास हुआ कि वहाँ ज्योति भाभी भी खड़ी है मैं सकपकाया और माँ को चोरी निगाहों से देखने लगा...



ज्योति : उफ्फ आदम शाम होने वाली है 6 बजे तक पहुचना है क्या कर रहे थे इतने देर से अंदर कैसे लड़के हो तुम? आज तुम्हारी शादी है और ये क्या कोई खुश्बू तो लगाओ उफ्फ



माँ और ज्योति भाभी मेरी शेरवानी को ठीक करने लगे...मैं तो बस माँ के झुकने से उसकी खुली पीठ देख रहा था....ज्योति भाभी मेरे दुपट्टे को ठीक करने लगी..."लड़के वाले है ऐसे बन के नही जाएँगे हॅंडसम तो अपना आदम है ही बस और चार चाँद लग रहा है इस शेरवानी में .....ज्योति भाभी माँ के साथ मज़ाक करते हुए बोल उठी...



आदम : क्या भाभी?



माँ : हा हा हा सही कहा तुमने ज्योति आज मेरा आदम लग ही बहुत सुंदर रहा है



ज्योति : ह्म



माँ : अच्छा राजीव नही आएगा



ज्योति : अरे वो बस काम निपटाए आ ही रहे है शरीक़ तो होंगे ही कपड़े भी साथ लेके गये है तय्यार होके आएँगे



आदम : हाहाहा क्या ज्योति भाभी राजीव दा भी ना?



सच में माँ ग़ज़ब ढा रही थी...भाभी ने इत्र मेरे पूरे कपड़ों पे लगाके खुश्बू फैला दी...माँ ने मेरी तरफ देखा...फिर उसने प्यार से मेरे गाल खीचे...किसी की नज़र ना लगे...इतना कहते हुए माँ मेरी तरफ देखने लगी...उसे देखते हुए ही मेरा पाजामे के अंदर ही लंड अंगड़ाइया ले रहा था...काश दुल्हन के रूप मे वो सजी होती...पर वो किसी दुल्हन से कम भी तो लग नही रही थी...



"अरे तुम लोग क्या हो गया अरे आदम को चलना नही है अंजुम"..........पिता ने गाड़ी लिए आवाज़ दी....तो माँ ने बाल्कनी से नीचे झाँकते हुए उन्हें रुकने कहा..."चलो बेटा आओ ज्योति चलो"........दोनो औरतें आगे थी और मैं उनके पीछे....सच में शादी में तो औरतें अप्सरा ही बन जाती है काश राजीव दा संग होते...मन में बुदबुदाते मैं नीचे उतरा..



"आओ बेटा बैठो अरे अंजुम कुछ भूली तो नही ना एक काम करो मैं आगे बैठता हूँ तुम राजीव की वाइफ के साथ पीछे आदम के साथ बैठो".........."जी".......माँ और ज्योति भाभी मेरे आज़ु बाज़ू बैठ गयी फिर हम बातें करने लगे....ड्राइवर को इत्तिला करते ही पिता जी आगे बैठ गये....



हम जल्द ही वेंकटेश हॉल पहुचे...मेरा दिल थोडा धड़क रहा था क्यूंकी ये मेरी ज़िंदगी का सबसे अलग मोड़ था...माँ मुझे सहानुभूति देते हुए मुस्कुरा रही थी....मैं अब तक माँ से नज़र ना हटा पा रहा था और उपर से उसके महंदी से रंगी हाथ भरी चूड़ी कलाईयों वाली मेरे जाँघ पे रखी हुई थी तो मेरा और खड़ा होने लगा.....आज तेरी शादी है और तू माँ को देखके आहें भर रहा है उफ्फ कैसा बेटा है तू? अपने में बड़बड़ाये मैने माँ की तरफ देखा
Reply
12-09-2019, 02:27 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
वेंटकेश हॉल में सबकोई मज़ूद था अच्छी ख़ासी भीड़ थी देखने वाले मुझे बड़ी गौर से देख रहे थे आपस में बातचीत हो रही थी....माँ मेरा कंधा पकड़े चल रही थी उसी बीच महफ़िल में मौज़ूद मेरा ममेरा भाई यानी कि रूपाली का पति मेरे संग चलने लगा...वो मुझे थापि मारते हुए प्रोत्साहित करने लगा..."आज तो लकी डे है तेरा साले मज़े लियो".......माँ ये सुनके अंदर ही अंदर मुस्कुरा पड़ी...



हम ठीक सामने वाली बैठक पे बैठे....हर कोई मुझे और माँ को देख रहा था....फिर मेरे ससुर मेरे साथ आके बैठे...फिर हमारे लिए शरबत आया वहाँ औरतो का बैठना नही था इसलिए माँ मुझे बिठा के गेस्ट लोगो से बात करने लगी....



"और बेटा सब ठीक?".......ससुर जी ने पूछा...



"जी अंकल निशा आई नही"........



"हाहाहा बस तय्यार होके आ रही है".........



"अच्छा".......मैं मुस्कुराते लहज़े में खामोश हो गया इतना कह कर....हर किसी को देख रहा था...और ठीक उसी बीच मैने पाया कि रूपाली भाभी भी मौज़ूद थी...वो राहिल को लिए मेरे पास आई मुझे मुबारकबाद दी...साथ में ससुर जी बैठे थे इसलिए हमने सिर्फ़ एकदुसरे को देखके हल्का मुस्कुराया कोई बात चीत नही की..उसने मेरे कपड़ों को देखके तारीफ किए इशारे से अपना चेहरा वाह किया...मैने सिर्फ़ उसे आँख मारी...बुआ भी आई थी हर कोई आया था



ताहिरा मौसी को मैने माँ से बात करते हुए पाया वो मेरे पास आके गले लगी...फिर उसने मेरे चेहरे पे हाथ फेरा...."अच्छे से रहना खुश रखना जिसके भी साथ रहेगा समझा".......



.ताहिरा मौसी की बात सुनके मैं हां में सर हिलाते हुए मुस्कुराया...शरबत ख़तम किए कॅमरा वाले हमारी तस्वीर ले रहे थे...इस बीच बहुत लोग आए मुबारकबाद दी और महफ़िल में खो गये...मैने गौर किया कि लड़की वालो की तरफ से बहुत लड़के आए हुए थे ससुर जी सबसे मुझे इंट्रोड्यूस कराए कोई ममेरा कोई चचेरा भाई था...कुछ सहेलिया भी आई हुई थी निशा की जिसे देखके मैने उन्हें हेलो किया...



ससुर जी को किसी आदमी ने कान में फुसफुसाया वो बाहर जैसे भागे...मैं देखने लगा तो सबकी निगाह बाहर थी....निशा दुल्हन के लिबास में सजी लाई जा रही थी...वो बला की खूबसूरत लग रही थी काफ़ी गहनो से साड़ी से सजी धजी हुई थी....उसे मेरे पास बिठाया गया फिर सबने तस्वीरें उतारनी शुरू की.....माँ इस बीच मेरे बगल में बैठी थी....निशा ने मुझे शरमाती नज़रों से देखा...मैं सिर्फ़ मुस्कुराया...मैं दो अप्सराओं के बीच जैसे खुद को महसूस कर रहा था....फिर सब निशा से मिलने आने लगे...निशा ने मुझे अपने एक फ्रेंड से मिलवाया वो किसी लड़की के साथ था...बताया कि यह कॉलेज फ्रेंड है मैने उसे हेलो कहा फिर उसकी सहेली ने मेरी खूब तारीफ की तो मैं जैसे शर्माके मुस्कुराया....इतने में राजीव दा आके बैठे



राजीव : और सब ठीक?



आदम : हां राजीव दा



राजीव : आज तुम मेरे जैसे हो जाओगे



हम टहाका लगाए एकदुसरे के गले लग गये....



ससुर जी पिता जी एक संग बैठे हुए थे...माँ निशा की माँ से बातचीत करने लगी साथ में उनके थोड़े रिश्तेदार और मेरी मौसी रूपाली भाभी भी इकट्ठी एक जगह बात कर रही थी....फिर क़ाज़ी आए...हमारे बीच पर्दे की आड़ की गई...उस तरफ निशा के चाचा चाची तो इस तरफ मेरा पूरा परिवार....फिर क़ाज़ी ने निक़ाहनामा में पहले साइन करवाया और फिर रज़ामंदी माँगी....दोनो पक्षो से क़बूल है सुनने के बाद क़ाज़ी ने सबसे हाथ मिलाया....काश इस घड़ी समीर भी मौजूद होता पर दो दिन पहले उसे जब कहा तो उसे बुरा भी लगा और खुश भी हुआ वो तो कुछ और सोच रहा था. कि माँ और मेरा निक़ाह होगा...पर ये संभव कहाँ था? वो स्विट्ज़र्लॅंड शादी के बाद ही चला गया और अभीतक वहाँ से लौटा नही था...



फिर हम एकदुसरे के परिवार वालो के गले लग गये...उस वक़्त माँ को मैने भावुक पाया वो रो रही थी...मुझे उसके आँसू देखे नही गये मैने बस उसे मुस्कुरा कर देखा और चुप हो जाने को कहा....उसके बाद निशा और मैं इकट्ठे बैठके वहीं खाना खाए सब मज़ूद थे...उसके बाद हमारे जाने का वक़्त हो चला....मैं माँ के साथ गाड़ी में पहले ही बैठ गया राजीव दा आगे पिता जी के साथ ससुर जी से बाहर देखते हुए बात कर रहे थे...निशा सबसे रो धोके गाड़ी में बैठी वो सुबक्ते हुए मेरी तरफ देखी....पता नही क्यूँ मेरे हाथ उसे थामने के लिए आगे ना बढ़े माँ उसे समझने लगी...इतने में पिता जी और सभी बैठ गये गाड़ी का गेट लगाते हुए उसके चाचा चाची रोई सूरत लिए हमे वहाँ से विदा किए...



अपने घर पहुचते ही ज्योति भाभी माँ के हर रस्मो रिवाज़ में खड़ी थी....निशा ने वो सारे रस्म निभाए..फिर हम अंदर आए.....रात बहुत हो चुकी थी....माँ पिताजी के साथ अपने कमरे में जा चुकी थी....और मैं बाल्कनी में खड़ा हवाओं को महसूस कर रहा था....राजीव दा ज्योति भाभी हमसे मिलके उपर जा चुके थे....



निशा बिस्तर पे चुपचाप मेरी तरफ देख रही थी मुस्कुराते हुए शरमाते हुए....मैं बिस्तर पे जैसे ही बैठा उसने अपना घूँघट खुद ही उतार डाला...."क्या खामोखाः तुम उतारोगे? सोचा मैं ही ये काम तुम्हारे लिए कर दूं हाहाहा".......



"यू आर सच आ क्लेवर गर्ल निशा".........मैं और वो हंस पड़े...फिर मैं निशा के साथ बैठके इधर उधर की बातें करने लगा....हम एकदम आज करीब बैठे हुए थे...



आदम : देखो निशा इफ़ यू नोट फील कंफर्टबल तो मैं आगे बात नही बढ़ाउंगा



निशा : कैसी बात? (जानती थी मैं चुदाई की ही बात कर रहा हूँ वो मुस्कुराइ)



आदम : उफ्फ हो कान लगाओ ज़रा पास (उसने कान आगे बढ़ाए तो मैने थोडे से धीमे स्वर में कहा चुदाई वो अपने चेहरे पर हाथ रखके मुझे देख शरमा गई)



उसके बाद मैने एकदम से उसे खोलने के लिए उसके रूस लगे गाल को चूमा...तो वो हड़बड़ा उठी मुझे लगा शायद सब कुछ मुझे ही करना पड़ेगा...लेकिन उसने इतने में होंठ पे दाँत से काटा..



.सस्स आहह..मैं चीखा वो हंस पड़ी...जब मैने फिर चेहरा आगे बढ़ाया तो उसने मुझे दूर धकेलते हुए मुस्कुराया....मैने मुस्कुरा कर उसके दोनो गालों को हाथो में भर लिया तो वो एक पल को आँखे मुन्दे गंभीरता से खामोश सी हो गयी....



मेरे होंठ उसके होंठो के साथ जुड़ गये...और मैने कस कर एक करारा चुंबन लिया उसके होंठो का...सस्स एम्म....निशा कसमसाई...उसने अपने होंठ पोछे फिर शर्मा गई ...



"आइ वॉंट टू डू सम्तिंग विद यू".....कहते हुए मैने उसे तकिये पे लेटा दिया....मेरी नज़र उसकी छातियो पे थी आज मैं उसे निवस्त्र देखना चाह रहा था मन बना रहा था जैसे अब ये तेरी ही तो माल है



मैं उठा और अपनी शेरवानी और पाजामा की डोरी खोले सारे कपड़ों से आज़ाद हो गया....इस बीच निशा लेटी शादी के जोड़े में मुझे देख रही थी...मैने अपने कच्छे को जैसे ही नीचे किया मेरा फौलादी लंड उसके सामने कड़क सा खड़ा हो गया उसे देखते हुए बोल पड़ी "हे माँ इतना बड़ा?"......उसकी आँखो में डर और हैरत सॉफ थी....जानती थी अब उसे इसके सहारे ही जीना है इसे अपने अंदर लेना है.....



आदम : आज तुम शादी शुदा हो निशा मेरी बीवी हो अब इस्पे तुम्हारा भी अधिकार है आओ थामो इसे



निशा ने पहले संकोच किया फिर उसने मुट्ठी में लेके मेरे लंड को आगे पीछे मसला उसने कुछ ज़्यादा कस कर मसला जिससे मुझे दर्द हुआ तो वो हँसने लगी..मैने धीरे धीरे उसे खड़ा किया हम बिस्तर के सामने आईने के पास खड़े थे वो लंड सहला रही थी तो मैं उसकी साड़ी उतार रहा था..फिर मैने सारे गहने भी उतार लिए....



आदम : आज एकदुसरे को जानने का वक़्त है निशा ये सुहागरात नही एकदुसरे के करीब आना है



निशा : ठीक है जी



आदम : क्या कहा तुमने जी?



निशा : आप हमारे पति हुए तो ऐसा ही कहेंगे ना आपको



आदम : अफ तुम मुझे पागल कर दोगि हाहाहा



साड़ी ब्लाउस पेटिकोट पैंटी ब्रा गहने चूड़िया सब उतारके मैने एक बिस्तर पे फैंके उसकी टाँगों के बीच गुच्छेदार बाल उगे हुए थे...लगता है आजतक उसने इस जगह पे हाथ तक नही लगाया था....तो मैने उसकी दोनो टाँगों को फैलाते हुए चूत पे हाथ लेके उसे भीचा तो वो मेरे बदन से लिपट गयी...



."उफ्फ क्या नरम चूत है इसकी?"....मैं जैसे ही उसे दो तीन बार दबाया हुंगा तो उसकी चूत मुझे एकदम गरम और गीली जान पड़ी...



मैं उसे बिस्तर पे सीधा लिटाया..फिर टांगे फैलाते हुए वहाँ अपना मुँह लगाया.....निशा अपनी दोनो बगलो को उठाए असीम सुख का मज़ा ले रही थी...मेरा मुँह उसकी चूत को चुस्स रहा था....उफ्फ कितनी फूली हुई चूत है तुम्हारी क्या ये कसी हुई भी है?........मैने उसे उठाते हुए अपने होंठ पे उंगली का इशारा करते हुए लिंग पे उंगली रखी



निशा : समझी नही?



आदम : मुँह में लोगि



निशा : नही नही छि मैने कभी लिया नही है



आदम : उफ्फ तुम देसी औरतें एक बार लो ना प्ल्ज़्ज़



निशा मान नही रही थी मैने उसे ज़बरदस्ती अपना लंड उसके होंठो पे फिराया तो उसने चेहरा झटक दिया....मुझे मज़ा नही मिल रहा था...फिर उसने जब ज़्यादा इन्सिस्ट करने पे हल्का सा मुँह में लिया तो छोड़ दिया...उसे अच्छा नही लग रहा था...तो मैने उसके होंठो को फिर किस किया और उसे लेटा दिया....अपना लंड उसकी चूत में डालना शुरू किया तो वो चीख उठी उसने कस कर अपनी चूत जकड ली



आदम : ढीला छोड़ो



निशा : नही दर्द हो रहा है



आदम : होता है निशा थोड़ा सा कोशिश करो थोड़ा सा



निशा : नही हो पाएगा



उसकी चूत पानी छोड़ रही थी लेकिन दर्द ना बर्दाश्त करने से वो बार बार मना किए जा रही थी...मैने हल्का सा दबाव दिया तो मेरा मोटा लंड उसकी चूत में घिस्सते हुए ही डल गया...वो काँपी...मैने पाया कि जैसे जैसे दरार के अंदर लंड घुस रहा था उसने अपना चेहरा सख्ती से भीच लिया था...जब मैने थोड़ा और दबाव लगाया तो वो चिल्ला उठी...उसने आँसुओं से रो दिया...



मैने उसके आँसू पोछे उसे रिलॅक्स किया....पर वो बोली प्ल्स निकाल दो बहुत दर्द हो रहा है...मैने चूत से लंड को हल्का सा बाहर निकाला हो भी क्यूँ ना? नॉर्मल साइज़ का थोड़ी ही था...उसे झेलना धीरे धीरे ही हो पाता...अभी तो एक रात ही शुरू हुई थी...मैने लंड नही निकाला बल्कि वैसे ही ठहरा रहा चूत की जलन में शायद वो मुझे धकेलने लगी...मैने उसके गाल गले होंठ को चूमा उसके माथे पे आ रहे पसीने को बार बार पोंच्छा....ए सी के पास रखे रिमोट से थोड़ा टेम्परेचर बढ़ाया.....तो माहौल सर्द सा हो गया...
Reply
12-09-2019, 02:27 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
वो काँपते हुए अब शांत हुई तो मैने कस कर एक करारा धक्का लगाया...वो फिर चिल्लाई तो मैने उसके मुँह को कस कर पकड़ा..."सस्सह सब जाग जाएँगे क्या कर रही हो?"......"बहुत दर्द हो रहा है"......दबी आवाज़ में....मैने उसे फिर शांत किया

"बस थोड़ा सा थोड़ा सा"........"आहह सस्स आआआहह उग्घ आहह सस्स"......वो तड़पति रही छटपटाने की नाकाम कोशिश करती रही मैं उसके दोनो हाथो में उंगलिया फँसाए चादर पे उसके हाथो को दबा रहा था..उसकी टाँगों के बीच की चूत में धक्के मारने लगा...उसके आँखो से आँसू सैलाब बनके बहने लगे...

उसके चेहरे से गु गु की आवाज़ आने लगी जैसे दर्द को अब वो गले में ही दबा रही थी....उसने काफ़ी कॉपरेट करने की कोशिश की पर मुझे वो मज़ा नाही आया तो मैने चूत से लंड बाहर निकाल लिया...फिर अपने प्री-कम को पोंच्छा और फिर पास ही उसकी साड़ी से उसकी चूत के मुंहाने को...मैने गौर किया खून हल्का सा आया था..जबकि चुदाई में खून निकलना शुरू में आम होता है...मैने उसकी चूत में जैसे उंगली की तो वो कोई रिक्ट नही की...फिर चूत जैसे उसकी मुझे छीली सी महसूस हुई...

मैने एक अंगूठा उसके गान्ड के छेद में भी घुसाया तो उसने मुझे मना किया बोला उसे काफ़ी दर्द हो रहा है...वैसे भी उसकी गान्ड एकदम सख़्त थी..तो मैने अंगूठा बाहर खीचा फिर चूत के दाने पे अपनी ज़बान लगाया वो फिर जैसे तड़प उठी फिर कामवासना की आग में जलने लगी...
Reply
12-09-2019, 02:27 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
मैं उस पर सवार हुआ फिर जैसे ही प्रवेश किया चूत द्वार जैसे खुल सा गया..ऐसा लग रहा था जैसे सदियो से ना चुदने से दरार सिकुड़ी हुई थी अब किसी लंड के प्रवेश से वो खुल चुकी थी पर खून आना महेज़ इस लिए कि उसने शायद पहले कभी ऐसा लंड ना खाया हो...पर इसका मतलब कि वो पहले कभी

मैं तोड़ा नाराज़ हुआ कशमकश के घेरे में उसे जगाया तो वो निढाल पड़ी हुई थी मैने उससे पूछा देखो निशा ये हमारी पहली रात है...शायद मेरा ऐसा कहने से तुम्हें बुरा लगे पर क्या तुम वर्जिन नही हो?......ये सुनके जैसे उसके भावे उठे वो जैसे मुझे गुस्से से देखने लगी

निशा : तुम मुझपे शक़ कर रहे हो आदम प्ल्ज़्ज़

आदम : नही नही तुम ग़लत!

निशा : ना ही मेरी ज़िंदगी में कोई था और ना ही मैने कभी पहले किसी के साथ ये सब किया है....

आदम : ओके ओके ठीक है ठंडी हो जाओ मुझे मांफ करो चाहे कोई भी सज़ा दे दो

लेकिन निशा उसके चेहरे पे जैसे कोई भाव ही ना फूटा उसे जैसे बुरा लगा हो मैने उसके चरित्र पे जैसे शक़ किया....फिर खामोशी के बाद उसने खुद ही पहेल की..."मुझे दर्द हो रहा है और करोगे क्या?"......

."नही तुम लेट जाओ"........वो कुछ ना बोली वो लेट गयी....हमारी सुहागरात अधूरी ही रह गयी...

मैं उठके कुछ देर तक बाल्कनी और कमरे में टहलता रहा वो मुझे बीच बीच में खामोसी से देख रही थी फिर अचानक मेरे कमरे से चले जाने से...उसे अज़ीब लगा...

माँ करवटें ही सिर्फ़ बदल रही थी....अंजुम की आँखो में नींद नही थी...मैने माँ के कमरे को खुला पाया तो उन्हें देखते हुए पिता जी जो सो रहे थे करवट बदले उधर...मैं माँ के पास आके बैठा और उसे जगाया...माँ ने मेरी तरफ देखा मैं खुले बदन पाजामा पहने हुए था

माँ : बेटा तू इस वक़्त? यहाँ तू अपने कमरे मेी क्यूँ नही है? क्या हुआ? (माँ ने सवालिया निगाहो से पूछा)

आदम : बस माँ तुझसे कुछ बात करनी थी वो दरअसल (माँ को जब बताया तो उसे भी हैरानी हुई)

माँ : उफ्फ बेटा लेकिन ऐसा हम सोच भी तो नही सकते ना तू बात करना उससे

आदम : नाराज़ हो गयी थी बात बिगड़ जाएगी पहली रात है उसका इस घर में प्ल्ज़्ज़ ट्राइ टू अंडरस्टॅंड हो सके तो आप

माँ : ठीक है पर बेटा हो सकता है खून तो निकाला ना तो फिर उसका गुप्ताँग पहले से खुला होने का कोई रीज़न नही बनता

आदम सोच में पड़ गया फिर उसने कहा कि उसे बीवी के साथ मज़ा नही आया....लेकिन उसका दिल बहुत कर रहा है...माँ ने समझा और कहा कि आज नही तो कल सोच लेना भला ये सब कहते हुए भी अंजुम को शरम आ रही थी....

आदम ने मसूकुरा के माँ की तरफ देखा माँ ने पिता पे एक बार नज़र दी तो आदम का अपना चेहरा सहलाने से उसने उसका हाथ झटका..."मैने कहा था ना कि शादी के बाद कम"........

."माँ प्ल्ज़"......

."बेटा ये कोई खेल नही है तेरी बीवी वहाँ अकेले सो रही है और तूऊ उम्म".......मैने माँ को कस कर अपने से लिपटा लिया और उसके कहने से पहले होंठो को किस करना शुरू कर दिया...
Reply
12-09-2019, 02:27 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
अंजुम खुद पे काबू नही कर पा रही थी वो लाख बेटे को धकेलना चाह रही थी पर उस नाज़ुक मोड़ में उसके बस में कुछ नही हो रहा था....आख़िर में पछताते हुए उसे बेटे का हाथ थामें कमरे से बाहर आना पड़ा...फिर आदम ने अपने कमरे का जायेज़ा लिया...उसकी बीवी को नंगा सोया पाए....अंजुम ने फिर उसे इनकार किया पर आदम उसका हाथ पकड़े उसे चौथी माले पे ले गया जो अभीतक खाली पड़ा था....उसी सीडियो पे उसने माँ की नाइटी उसके बदन से अलग की माँ सीडियो पे बैठ गयी...

तो आदम ने अपना पाजामा नीचे किया....फिर जो लंड अभी बीवी की चूत में दाखिल किया था वो अब माँ के मुँह के अंदर बाहर हो रहा था....अंजुम अपने ज़मीर को नही पा रही थी....तन्हाई तो उसकी भी कट नही रही थी उसे कहाँ नीद आई थी आज उसके बेटे की किसी गैर औरत से शादी हुई थी जिसे घर में वो बीवी के रूप में लाया अब उसकी ज़िंदगी उसी के नाम थी भला उसके बीवी का हक़ वो कैसे छीने? पर प्रेम और वासना उसे धिक्कार रही थी इन बातों से...

"एम्म स्लूर्रप्प एम्म"......"ससस्स आहह"......लंड को थामे अंजुम के मुँह में लंड को डाले आदम मज़ा ले रहा था....फिर उसने आहें भरते हुए माँ की निगाहो में देखा...माँ उसे देखते हुए अपने मुँह के गीले थूक से सने उसके लौडे को सहलाने लगी...फिर उठी और वहीं टांगी चौड़ी कर ली आदम मुँह उसके भीतर लाया तो माँ की चूत से निकल रहा नमकीन पानी का स्वाद चखा...उफ्फ माँ की चूत कितनी पनिया रही थी...वो माँ की चुचियो को मसल्ते हुए उसकी चूत पे मुँह घिस रहा था...

अंजुम : बेटा बार बार ऐसा मत करना ससस्स पकड़े जाएँगे

आदम ने जैसे अनसुना किया और वो माँ की चूत में मुँह दबाए उसमें अपनी तीखी ज़ुबान चलाए रखा...माँ की चूत इस अहसास से गरमा गयी...फिर उसने बेटे को हांफता हुआ पाया उसने अपने होंठो को पोछा फिर अपना लंड माँ की चूत में एक ही सास में अंदर दाखिल किया...माँ ने सख्ती से उसे भीच लिया...

"ओह्ह्ह आहह सस्स लगा धक़्की सस्स उम्म्म".........माँ ने सख्ती सा मुँह बनाया...तो बेटा चूत चुदाई करने लगा...अंदर बाहर करते हुए वो माँ को चोदने लगा....माँ उसके कंधे पे एक हाथ रखकर उसे प्रोत्साहन देने लगी...जब आदम ने धक्के तेज़ किए तो वो चीख उठी...उसने सर रेलिंग पे रखते हुए नीचे झाँका सीडियो पे घुप अंधेरा था....उसे बस डर सताया कि कहीं उसकी बीवी ना जाग जाए

आदम ने फिर अपना लॉडा बाहर किया....और माँ के होंठ चूस डाले....माँ ने उसे शांत किया फिर दोनो हान्फ्ते हुए मुद्रा बदले....

"अयीई आहह आहह आहह आहह".........अंजुम अपनी चूत की फांको में लंड को बाहर और भीतर लेते हुए उस पर कूद रही थी...वो जब पश्त पड़ जाती तो आदम के गोदी में अपने नितंबो को रगड़ते हुए बैठ जाती..आदम उसके पेट को सहलाते हुए उसे उठाए अपने लंड पे जैसे कुद रहा था...

अंजुम पूरी जोश से कूद रही थी...बेटे की संतुशी अब चरम सीमा पे थी...उसने कस कर अपनी चूत भीच ली और नितंबो को अंडकोषो पे ही रगड़ते हुए आदम पे जैसे ढह गयी...आदम ने उसे कस कर अपने बाहों में जकड़ा और दोनो हाफने लगे...

अंजुम ने खड़े होके अपनी चूत से उसका टेढ़ा लंड बाहर निकाला फिर बैठके सीडियो पे ही उसके लंड को मुठियाने लगी...कुछ ही देर में उसके लंड ने रस उगल दिया...और बेटा फारिग होने लगा....वो वहीं कुछ देर सुस्ताता रहा....

दोनो कुछ देर तक वहीं सीडियो पे बैठे रहे...."बेटा समझने की कोशिश कर अब तेरी उससे शादी हो गयी है वो ऐसी लड़की नही है जैसा तू सोच रहा है".....

."हो सकता है माँ शायद मुझे ही ऐसा शक़ हुआ हो क्या करूँ?"........

"वहीं तो तू भला अपनी माँ को चोदे किसी और से मिला है कभी जो तुझे इतना औरतों का ग्यान होगा"......

.कैसे कहूँ तुझे अंजुम? कि मैं कितनो से चुदाई का खेल खेल चुका इसी लिए मुझे शक़ हुआ था...रूपाली भाभी भी तडपी थी ताहिरा मौसी तो उम्र्दराज थी तेरी भी चूत भी तो मैने मारी जब तू बहुत तडपी थी लेकिन वो तो तुझसे भी ज़्यादा तडपी शायद मेरे मोटे लंड को झेलने से...

अगर कोई उसकी ज़िंदगी में था भी तो मैं उसे कह चुका था....लेकिन उसने अपनी माँ की कसम खाई थी झूठी नही हो सकती वो कसम........माँ को उसकी माँ की कसम की बात सुनने से ही उसने मुस्कुराया और कहा भला कोई औलाद अपने माँ बाप की झूठी कसम खाएगी....मैने कुछ ना कहा...माँ ने कहा तू जा पहले मैं आई...मैं सीडिया उतर गया....माँ वैसी ही बैठी कशमकश के घेरे में थी....उसे लगा ये उसके बेटे का भ्रम ही होगा एक पल को उसे धोका दादी जैसी मामले हो जाने से चिंता भी हुई...लेकिन शायद ये सिर्फ़ उसका भ्रम था...वो अपने बेटे बहू दोनो को समझाने का बेड़ा उठा लेती है
Reply
12-09-2019, 02:27 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
आदम तौलिया लपेटे नहा कर फारिग हुए कमरे में आया....बरामदे से सूरज सॉफ अपनी किरणें कमरे में फैला रहा था....बिस्तर पे दुल्हन की साड़ी को ही महेज़ ढककर निशा सो रही थी..एक झलक भी जैसे आदम ने उसकी तरफ गौर नही किया उसने उसे वैसे ही सोया छोड़कर आल्मिराह से कपड़े निकाले और तय्यार होने लगा....ऑफीस का वक़्त था सुबह 7 बज चुके थे...

डाइनिंग टेबल पे आदम आके पाता है कि उसके पिता कही नज़र नही आ रहे....इतने में माँ चाइ और नाश्ता लिए डाइनिंग टेबल पे रखती है...."क्या हुआ माँ? पिताजी कही नज़र नही आ रहे?"........

"अरे दूध लेने भेजा है उन्हें ख़तम हो गया था सुबह सुबह तो वहीं हमसे पहले उठते है ना"........

"ठीक है माँ लाओ दो नाश्ता"...........नाश्ते की प्लेट्स डाइनिंग टेबल पे माँ के हाथ से लेते हुए आदम झट से नाश्ते पे टूट पड़ा....

माँ उसे बड़े गौर से देख रही थी..."अभी तक उठी नही वो?".......

."हुहह उससे उम्मीद मत करो फिलहाल नयी नयी आई है अभी मेरे शेड्यूल को जानने में उसे थोड़ा टाइम लगेगा"......

."सही तो कह रहा है तू टाइम तो लगेगा ही आज उसका घर में पहला दिन है...वैसे कल रात फिर कुछ हुआ था क्या?".........माँ ने बेटे को नीवाला लेते देख कहा..

.नीवाले मुँह में लिए आदम ने माँ की तरफ ना में इशारा किया.......माँ को लगा शायद निशा से फिर कुछ गरमा गर्मी हुई हो या फिर चुदाई

"मैं जा रहा हूँ लेकिन माँ मेन उसे कह देना कि कल से वो जागे तुम्हें डॉक्टर ने आराम करने को कहा है क्यूँ बार बार?".........बात बीच में माँ ने काटा

अंजुम : देख आदम वो इस घर की सिर्फ़ बहू नही एक सदस्य भी है तौर तरीके को अपनाना इतना आसान नही मैं भी तो इस दौर से गुज़री हूँ खैर तू जा फिलहाल लेट हो जाएगा वो अपने वक़्त पे उठ जाएगी कल से ऐसा नही होगा मैं उसे धीरे धीरे समझाउंगी तू बीवी लाया है नौकर नही

आदम ने कुछ नही कहा वो तो माँ का दीवाना था...उसे लगा कि उसे इतना ज़ज़्बाती नही होना चाहिए कल तक तो वो भी इस बात को समझता था...आदम ने अपना बॅग लिया और घर से निकल गया....माँ उसके झूठे बर्तन लिए किचन में दुबारा चली गयी...

शायद पर घर की औरतो को एक नये घर में आने में वहाँ अड्जस्ट करने मे वक़्त तो लगता है....अंजुम इस बात को अच्छे से जानती थी...उसे रिश्ते बेहतर करने थे अपने बेटे और उसकी बीवी के बीच...वरना हालत कुछ वैसे ही पैदा हो जाते जिसका उसे ख़ौफ्फ सता रहा था...वहीं दरार जो उसके और उसके पति के बीच कयि सालो पहले शुरू हुई थी.. अगर आज उसका पति उसे समझता या उससे बेपनाह प्यार करता या दोनो एक दूसरे को चाहते तो शायद बेटे के साथ उसका वो व्यभाचार रिश्ता कभी ना पनपता...आख़िर वो एक वासना हो या एक ज़रूरत या फिर बेटे का प्रेम अकेली औरत प्यार ही खोजती है...वहीं अंजुम ने आदम के रूप में अपने बेटे के रूप में पाया था...लेकिन अगर ऐसा कुछ होता ही ना वो सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने पति की ही होती तो शायद ये कहानी ये दास्तान कभी शुरू नही होती ........अपने कशमकश में घिरी अब एक सास की भूंमिका भी अंजुम को निभानी थी...

वक़्त बीतने लगा रिश्तो में....आदम ने तो पत्नी के रूप में यक़ीनन निशा को स्वीकार किया था...लेकिन दिल में अब भी रह रहके माँ के प्रति उसकी लालसा जाग जाया करती थी कभी....धीरे धीरे उसकी माँ का किया वादा वो फासला अब दूरिया बन चुका था....उसे वक़्त ही ना मिलता कि थका हारा ऑफीस से आए और माँ के साथ बिस्तर गरम करे....

क्यूंकी माँ उस वक़्त अपने कमरे में उसके पिताजी के साथ होती...और इधर आदम अपनी बीवी निशा के पास सो रहा होता....उस दिन ऑफीस में जाके भी आदम ने केयी बार निशा को कॉल किया पर फोन निशा का साइलेंट था बजते ही रहा...फिर आदम ने माँ को कॉल किया उसने गुस्से में कहा क्या माँ? इतनी देर से कॉल किए जा रहा हूँ कहाँ है वो?......

.माँ ने कहा बेटा मेरे साथ किचन में क्या हुआ?...आदम चुप हो गया...इस बार माँ थोड़ी नाराज़ हुई..."आदम प्ल्ज़्ज़ अपनी फ्रस्टेशन एक पराए घर की लड़की पे मत निकाल"......

."माँ मैं तो बस!"........

"मैं जानती हूँ तुझे लगा होगा कि वो अब भी सो रही है मैने उससे बात की उसने काफ़ी झिझकते हुए बताया मुझे उसके गुप्तांगों में रह रहके पेन हो रहा है"........आदम खामोश हो गया...माँ ने उसे कहा कि सवर् कर और रिश्ते को वक़्त दे ऐसे यूँ गुस्सा में वो कदम ना उठा जो तेरे खानदान वाले उठाते है..और मैं नही चाहती कि तू अपने पिता के परिवार वालो जैसा आय्याश या फिर शक़्क़ी या अपनी बीवी पे हाथ उठाने वाला बने...आदम ने कुछ नही कहा माँ ने फोन कट कर दिया...

लेकिन माँ थी बुरा लग रहा था उसे कि क्यूँ ऐसा कह दिया?....आख़िर बेटा ही तो है परवाह कर रहा है तेरी...वरना आजकल बीवी घर में आती नही की वो उसके तरफ झुकाव दिए डालते है...लेकिन वो अंजुम थी जिसने आदम के पैदा होने के बाद अपने ज़ज़्बातो पे और अपने सेक्स पे काबू किए किसी तपस्वी की तरह ज़िंदगी काटी...लेकिन अब वो खुद को खुलके एक औरत की तरह जी रही थी अपनी ज़िंदगी...रिश्ते और दीवानगी ये उसे अलग अलग करना था...

धीरे धीरे दिन बीतने लगे....रिश्तो में मिठास तो आयआई लेकिन देरी से...आदम धीरे धीरे माँ को खुद के करीब ना बुलावा देखके चिड़चिड़ा हो गया...तो उस वक़्त उस तन्हाई में उस अकेलेपन में वो जीने लगा...इस बीच निशा ने उस रात के लिए उससे माँफी माँगी क्यूंकी आदम ने उसके बाद से उसे हाथ तक नही लगाया था...वो बार बार पूछी भी कि क्या उसे प्राब्लम है? निशा उसके साथ किसी कॉलेज गर्लफ्रेंड की तरह व्यवहार करती थी कभी कभी तो दोनो ऐसे शरारत करते की मज़ूद्गी का अहसास पाए माँ या पिता जी शरम में पड़ जाते...

माँ को लगने लगा बेटा अब अपना पूरा ध्यान ग्रहस्थी पे लगा रहा है...तो दूसरी ओर माँ निशा को ग्रहणी बनाने की सारी कोशिशें करने लगी...उसे ज़रूरत नही पड़ी...क्यूंकी निशा खुद पे खुद काम करने लगी थी...सुबह उठके नाश्ता तय्यार करना टिफिन पॅक करके आदम के टेबल पे उसके बैठने से पहले रख देना वो ये सब कर रही थी....आदम को लगा शायद ये उसकी ही भूल थी...
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,558,745 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,918 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,257,565 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 950,638 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,687,084 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,109,038 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,999,262 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,216,878 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,090,195 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,526 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 10 Guest(s)