Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 02:42 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
अंजुम बेटे से चुदवाते हुए काँप उठ रही थी...उसका बुखार कम हो गया था....उसने कस कर बेटे के लंड को आगे पीछे होने से जकड़ा तो बेटे को अपना लंड किसी सख़्त चीज़ में जकड़ा भीतर माँ की चूत की गहराइयो में महसूस हुआ...."आआआआअहह"........माँ जैसे झड उठ रही थी...लेकिन उसी बीच फ़च्छ से जैसे पानी का फवारा अंजुम ने गहराई से उगला हो...उसकी चूत में फसा लंड के इर्द गिर्द से वो फवारा निकल गया जो चादर को गीला कर गया...

आदम मुस्कुराया....माँ की चूत में बड़ी आग लगी हुई थी....फवारा छूटते ही पेशाब का माँ पश्त पड़ गयी...बेटा गीली चूत को अब और भी तेज़ी से चोदने लगा....माँ की चूत एकदम गीली और चिकनी हो सी गयी थी...

आदम ने एक करारा धक्का मारा...तो अंजुम चीख उठी उसने कस कर बेटे की पीठ पे अपने नाख़ून गढ़ा दिए और उससे लिपट गयी....बेटे ने धक्के पेलते हुए टांगे बिस्तर से उतरते हुए फर्श पे रखा और माँ को कमर से थामे उसकी चूत में धक्के पेलता रहा...."आहह आहह मैं गयी न्हइ आहह".......माँ दर्द से जैसे बिलबिला उठी और चूत की सख्ती ढील में परिवार्तन होते ही बेटे ने लंड बाहर निकाला

पेशाब की एक मोटी धार माँ की चूत से फिर बह निकली....इस बार बेटे के पेट और लंड को गीला करते हुए माँ की चूत ने अपने पेशाब से...उसे जैसे तरबतर कर दिया....इससे माँ की दोनो टांगे काँप उठी...आदम ने दोनो टांगे कंधो पे रखके अपने और फिर चूत के भीतर एक ही झटके में लंड को घुसा दिया...

वो फिर ताबड़तोड़ धक्के लगाने लगा.....इस बीच आदम को अहसास हुआ कि फर्श पे उसके पाओ में लग रही माँ की चूत का पानी जैसे गरम गरम लग रहा था चारो ओर जैसे पेशाब की गंध सी उसे महसूस हुई जो माँ की चूत ने उगली थी...वो माँ के छेद को चौड़ा किए धक्को पे धक्का स्पीड से मारता गया....माँ पसीने पसीने हो चुकी थी...

माँ : आजा बेटे कब तक खड़ा रहेगा पैर दुख जाएँगे तेरी सस्सस्स (माँ ने चुदते हुए कहा)

आदम माँ पे जैसे ढेर हो गया और उसे चूमते हुए उसके उपर नीचे होने लगा...अंजुम पश्त पड़ गयी...जब आदम से रहा ना गया तो वो उठा उसने चूत से लंड बाहर खीचा माँ को उल्टा लिटाया फिर एक टाँग अपने उपर रखी माँ की...फिर उसकी गान्ड की गहराइयो में अपना लंड उतार दिया....छेद खुला हुआ था पहले तो सिकुडा फिर उसने लंड को भीतर जगह बनाने के लिए धीरे धीरे अपना द्वार ढीला किया...गहराइयो तक आते ही माँ को बेटे के लंड की सख़्त चुभन महसूस हुई जो उसे रह रहके गढ़ रहा था...

आदम माँ की गान्ड मारता रहा...उसके हर स्ट्रोक से नितंब बाउन्स हो जाते...माँ के कूल्हें रह रहके उचक रहे थे उनको हाथो से दबाए मज़बूती से आदम उनकी गान्ड फाड़ने लगा...."आहह आहह".........बाहर पिता जी और आदम की पत्नी निशा दोनो गहरी नींद में बेख़बर सोए ये भी ना जाने कि इस कमरे में क्या चल रहा था?

गनीमत थी कि अगर कोई जगा होता तो फ़ौरन भाँप जाता कि कमरे में आहों की आवाज़ें सुनाई दे रही है....चाँद बादलो से हट गया...और इस बीच कमरे मे माँ की गान्ड घिस्सते हुए अपने अंडकोषो से बेटा उसे अपने उपर नीचे करे उसकी गान्ड की गहराइयो को चोद रहा था...

कुछ ही पल में उसने माँ के जिस्म को कस कर जकड़ा छातियो को मसल डाला और अपने गरम गरम वीर्य की धार उसकी गान्ड के भीतर ही उडेलने लगा...बेटे को कांपता देख भीतर वीर्य के गरम गरम अहसास को पाता देख....माँ मुस्कुराइ...बेटा जब हान्फ्ते हुए अपनी पकड़ माँ से ढीली किया तो माँ भी उस पर जैसे ढेर हो गयी....

दोनो हान्फ्ते हुए एकदुसरे के बदन से लिपट गये....बेटे ने रज़ाई अपने और माँ के उपर ओढ़ ली...अंजुम ने बेटे के पसीने भरे माथे को चूमा फिर होंठो को फिर उससे लिपटके सो गयी वो रात जैसे दो बिछड़ी आत्माओ के मिलन जैसा था
.......................................
Reply
12-09-2019, 02:42 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
उस रात उपर के मामले में दोनो मिया बीवी अपनी उखड़ी साँसों पे काबू पाते हुए नंगे ही एकदुसरे से लिपट गये.....राजीव दा अपनी चुदासी बीवी ज्योति के गाल और होंठ को चूमते हुए मुस्कुराए........"भाई कल ड्यूटी भी जाना है सुबह 6 बजे और तुमने तो बस हद ही कर दी हमारा सारा जूस निकाल दिया शरीर का ....

."अभी तो हमारा तीसरा भी नही हुआ है और अभी से यह काहे कह रहे है"......

."ह्म लगता है तीसरा जल्द से जल्द हमारे बीच लाना ही होगा वरना ये सिलसिला तो थमेगा नही"...........राजीव और ज्योति दोनो खिल्लखिला के हंस पड़े...

ज्योति : पता है राजीव जी

राजीव : हां बोलो ज्योति क्या हुआ डार्लिंग? (बीवी सीने से लगी हुई थी)

ज्योति : आज हमने कुछ ऐसा देखा जिससे सुनके शायद आपको विश्वास ना हो

राजीव : क्या देखा? (राजीव दा ने अपनी बीवी का मुँह ताड़ते हुए पूछा)

ज्योति : हम जहाँ डॅन्स क्लास के लिए जाते है ना वहाँ बिंगाली ट्रेडीशनल डॅन्स भी सिखाई जाती है वहाँ पे मैने निशा को देखा आप तो जानते ही है कि वो भी नृत्य करती है)

राजीव : हां हां तो फिर क्या?

ज्योति : तो हम जैसे ही उसके निकालने के बाद सोचे कि उसे पीछे से सर्प्राइज़ दे और बात करे देवर जी (आदम) के लिए तो वो किसी लड़के के साथ बाइक पे बैठी और निकल गयी

राजीव : क्या नही नही शायद हो सकता है कोई भाई होगा?

ज्योति : हमने उसे शादी में भी देखा था उसके साथ उस वक़्त एक लड़की भी थी पर आज वो लड़का निशा के साथ मेरी साथ में एक सहेली बाहर पहले क्लास ख़तम करके निकलती है उसने बताया कुछ टाइम से देख रही है उसे दोनो ऐसा हँसी मज़ाक करते है बाइक पे कि लगे कि कोई कपल हो

राजीव : ये बात तुमने अंजुम आंटी या आदम किसी से ज़िक्र किया

ज्योति : नही शायद उन्हें यकीन ना हो वैसे ही घर का माहौल उनका खराब चल रहा है ऐसे में बताना उनको मुफ़ीद ना रहेगा

राजीव : ह्म कोई बात नही हो सकता है हमारी ही कोई ग़लतफहमी हो पर किसी लड़के के साथ बार बार लिफ्ट लिए जाना और एक बार तो सुना भी कि वो रात गये आई थी क्या उसी लड़के के साथ तो नही थी क्या मालूम आदम और अंजुम आंटी से झूठ बोलके वो उसी से मिलती हो

ज्योति : आप भी ना शक़ की सुई ग़लत जगह मार रहे है..

राजीव : आदम मेरे घर के लड़के जैसा है मेरे छोटे भाई जैसा है मुझे चिंता खा रही है ज्योति तुम नही समझ पओगि ?(ज्योति राजीव दा को शांत करने लगी)

पर राजीव दा खामोशी से बस यही शक़ की सुई बुन रहे थे कि क्या सच में वो कोई निशा का लगता है? या फिर कुछ और बात है....

अगले दिन मेरी नींद तब खुली जब माँ की मज़ूद्गी का अहसास मुझे बाथरूम में हुआ...प्सस्स की आवाज़ आई..तो मेरे कानो ने जैसे मुझे अहसास कराया कि माँ शायद टाँगे चौड़ी किए अपनी चूत से पेशाब की मोटी धार छोड़ रही है...मैं उस आवाज़ को सुनके मुस्कुराया...शायद माँ सुबह उठके फारिग होना चाहती थी...कल रात माँ के साथ बिस्तर पे जो आनंद आया उसके लिए मैं जैसे कयि दिनो के इन्तिजार में था....मैं माँ का ही इन्तिजार करने लगा कि कब उसके मुस्कुराहट भरे चेहरे का दीदार हो....

प्रर्र प्रर करके माँ शायद अपने नितंबो के बीच से पाद छोड़ रही थी...उसके बाद मुझे पिट पे उसके मल त्यागने की आवाज़ सी हुई...मैं चुपचाप तकिये पे सर रखकर सुनता रहा...भीनी भीनी टाय्लेट के अद्खुले दरवाजे से अंदर की महेक बाहर आ रही थी...मैं बिस्तर से उठा और अपने नंगे बदन पे पास रखी पिता जी की लूँगी उठाई और पहन ली....माँ टाय्लेट से फारिग होके जब बाहर आई तो उसने कहा कि अंदर ना जाउ अभी बदबू है उनका पेट खराब हो गया दवाइयो की वजह से...

मैने हँसके कहा अरे माँ मैं तेरे से ही तो जनमा हूँ और वैसे भी शायद तेरे लिए गंदगी हो मेरे लिए ये मनमोहक खुश्बू है जैसे रात को तूने पेशाब से चादर और फर्श जो गीला किया ठीक वैसे...उफ्फ मेरे नथुनो में टाय्लेट के पास खड़ा रहने से अंदर की महेक लग रही थी...मैं बिना कुछ कहे अंदर गया और पेशाब करके बाहर आया....

मैं वैसे ही लूँगी को अड्जस्ट करता हुआ बाहर जब निकला तो पिता जी को अपने कमरे में अंगड़ाई लेता हुआ पाया....निशा नाइटी पहने बाहर का नज़ारा देख रही थी मेरी तरफ निगाह जैसे ही घूमी तो मैने उसे जैसे कड़वे अंदाज़ में देखा...मुँह कड़वा जैसा नही कर लेते वैसा मेरा भाव था...उसने मेरे हालत का जायेज़ा लिया उसने मेरी लूँगी में उभरे हुए लौडे को महसूस किया फिर मेरी तरफ सवालात भरी नज़रो से कहा

निशा : त..तुम कल कहाँ सो रहे थे? पूरी रात कमरे में नही आए

आदम : क्यूँ मेरे आने से ना आने से क्या फरक पड़ता है? माँ के साथ था माँ की तबीयत ठीक नही थी बुखार था उन्हें सोचा अगर रात गये तक़लीफ़ बढ़ गयी तो...इसलिए ?(निशा ने कुछ ना कहा ऐसा जताया जैसे उसे कोई मतलब ही नही पड़ा पर उसे आश्चर्य हुआ कि मैं क्या नंगा ही माँ के साथ सोता हूँ पर उसकी पूछने की हिम्मत नही थी)

और भला सोचती भी क्या? व्याबचारी रिश्ता एक माँ और बेटे के बीच क्या होता है? उसका उसे अंदाज़ा ही क्या होगा मैं तो कभी कभी ये भी सोचता था रंडी को इन्सेस्ट का मतलब भी पता है या नही

खैर निशा फिर किचन में घुस गयी....माँ कल की वहीं सूट और पाज़ामी को पहनके बाहर आई मेरे तरफ निगाह मिलते ही मैने उसके चेहरे को गुलाबी पाया...उसके चेहरे पे जैसे कल रात जो कुछ भी हमारे बीच हुआ उसकी संतुष्टि थी....एक उमर दराज़ औरत थी वो भला चुदाई की इच्छा उसे क्यूँ ना होगी? उसे एक भरपूर मर्द चाहिए था और वो कमी मैं पूरा करता था..उसने एक झलक किचन में निशा को पाया और फिर पिता जी के कमरे में चली गयी..पिता जी पूछे तबीयत कैसी है तो बोली अभी बेहतर है...कह कर वो पिता जी से गफलत में लग गयी...

मैं नहाने घुसा तो पाया मेरे लिए चाइ हाज़िर थी...

."आज लेट जाओगे"...निशा ने फिर टोका उसको मेरे घर में होने की भी चैन नही थी....

"नही आज सनडे है"....

मेरी बात सुनके निशा को अपनी भूल का जैसे अहसास हुआ वो अपना चाइ की प्याली ली और कमरे में ही चली गयी...चाइ के दो कप वहीं छोड़ गयी....मैने माँ बाबा को आवाज़ दी....वो आके चाइ पीने लगे...चाइ की चुस्किया लेते वक़्त माँ मुझसे पूछ रही थी कि अभी उसके तेवर कैसे है? मैने कहा फिलहाल तो कम है...माँ और मैं निशा का मज़ाक उड़ा रहे थे तो पिता जी हमारे बर्ताव में बदलपन देखके ना में सर हिलाए...

इतने में राजीव दा को सीडियो से नीचे अपने द्वार पे उपस्थित पाता हूँ...."अरे राजीव दा आज आप सनडे छुट्टी?".....

"हाहाहा ऐसी किस्मत कहाँ यार? वो तो ड्यूटी के लिए शाम को जाना है पॉलिसीए की नौकरी ही ऐसी है ससुर साला जब तक दौरा ना करो एक दिन भी चैन नही"....

."आपका फ़र्ज़ जो इतना बड़ा है राजीव दा आइए ना चाइ पीजिए"......

."बस बस मैं सोचा हाल चाल पूछता चलूं और अंकल कैसे हो?".......

."बस बेटा ठीक"......पिता जे ने कहा....

"और आंटी आप?".......राजीव ने माँ से पूछा तो माँ ने भी जवाब दिया मुस्कुराई....

राजीव कशमकश में घिरा सा था वो सोच रहा था घर में शांत माहौल है ऐसे में ज्योति ने जो निशा को बाइक पे किसी के साथ बैठने की जो बात कही थी उसे कहना आदम या उसके माँ बाबा के बीच कहना ठीक ना रहेगा यही सोचके राजीव दा ने पहलू बदला..
Reply
12-09-2019, 02:42 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
उस रात उपर के मामले में दोनो मिया बीवी अपनी उखड़ी साँसों पे काबू पाते हुए नंगे ही एकदुसरे से लिपट गये.....राजीव दा अपनी चुदासी बीवी ज्योति के गाल और होंठ को चूमते हुए मुस्कुराए........"भाई कल ड्यूटी भी जाना है सुबह 6 बजे और तुमने तो बस हद ही कर दी हमारा सारा जूस निकाल दिया शरीर का ....

."अभी तो हमारा तीसरा भी नही हुआ है और अभी से यह काहे कह रहे है"......

."ह्म लगता है तीसरा जल्द से जल्द हमारे बीच लाना ही होगा वरना ये सिलसिला तो थमेगा नही"...........राजीव और ज्योति दोनो खिल्लखिला के हंस पड़े...

ज्योति : पता है राजीव जी

राजीव : हां बोलो ज्योति क्या हुआ डार्लिंग? (बीवी सीने से लगी हुई थी)

ज्योति : आज हमने कुछ ऐसा देखा जिससे सुनके शायद आपको विश्वास ना हो

राजीव : क्या देखा? (राजीव दा ने अपनी बीवी का मुँह ताड़ते हुए पूछा)

ज्योति : हम जहाँ डॅन्स क्लास के लिए जाते है ना वहाँ बिंगाली ट्रेडीशनल डॅन्स भी सिखाई जाती है वहाँ पे मैने निशा को देखा आप तो जानते ही है कि वो भी नृत्य करती है)

राजीव : हां हां तो फिर क्या?

ज्योति : तो हम जैसे ही उसके निकालने के बाद सोचे कि उसे पीछे से सर्प्राइज़ दे और बात करे देवर जी (आदम) के लिए तो वो किसी लड़के के साथ बाइक पे बैठी और निकल गयी

राजीव : क्या नही नही शायद हो सकता है कोई भाई होगा?

ज्योति : हमने उसे शादी में भी देखा था उसके साथ उस वक़्त एक लड़की भी थी पर आज वो लड़का निशा के साथ मेरी साथ में एक सहेली बाहर पहले क्लास ख़तम करके निकलती है उसने बताया कुछ टाइम से देख रही है उसे दोनो ऐसा हँसी मज़ाक करते है बाइक पे कि लगे कि कोई कपल हो

राजीव : ये बात तुमने अंजुम आंटी या आदम किसी से ज़िक्र किया

ज्योति : नही शायद उन्हें यकीन ना हो वैसे ही घर का माहौल उनका खराब चल रहा है ऐसे में बताना उनको मुफ़ीद ना रहेगा

राजीव : ह्म कोई बात नही हो सकता है हमारी ही कोई ग़लतफहमी हो पर किसी लड़के के साथ बार बार लिफ्ट लिए जाना और एक बार तो सुना भी कि वो रात गये आई थी क्या उसी लड़के के साथ तो नही थी क्या मालूम आदम और अंजुम आंटी से झूठ बोलके वो उसी से मिलती हो

ज्योति : आप भी ना शक़ की सुई ग़लत जगह मार रहे है..

राजीव : आदम मेरे घर के लड़के जैसा है मेरे छोटे भाई जैसा है मुझे चिंता खा रही है ज्योति तुम नही समझ पओगि ?(ज्योति राजीव दा को शांत करने लगी)

पर राजीव दा खामोशी से बस यही शक़ की सुई बुन रहे थे कि क्या सच में वो कोई निशा का लगता है? या फिर कुछ और बात है....

अगले दिन मेरी नींद तब खुली जब माँ की मज़ूद्गी का अहसास मुझे बाथरूम में हुआ...प्सस्स की आवाज़ आई..तो मेरे कानो ने जैसे मुझे अहसास कराया कि माँ शायद टाँगे चौड़ी किए अपनी चूत से पेशाब की मोटी धार छोड़ रही है...मैं उस आवाज़ को सुनके मुस्कुराया...शायद माँ सुबह उठके फारिग होना चाहती थी...कल रात माँ के साथ बिस्तर पे जो आनंद आया उसके लिए मैं जैसे कयि दिनो के इन्तिजार में था....मैं माँ का ही इन्तिजार करने लगा कि कब उसके मुस्कुराहट भरे चेहरे का दीदार हो....

प्रर्र प्रर करके माँ शायद अपने नितंबो के बीच से पाद छोड़ रही थी...उसके बाद मुझे पिट पे उसके मल त्यागने की आवाज़ सी हुई...मैं चुपचाप तकिये पे सर रखकर सुनता रहा...भीनी भीनी टाय्लेट के अद्खुले दरवाजे से अंदर की महेक बाहर आ रही थी...मैं बिस्तर से उठा और अपने नंगे बदन पे पास रखी पिता जी की लूँगी उठाई और पहन ली....माँ टाय्लेट से फारिग होके जब बाहर आई तो उसने कहा कि अंदर ना जाउ अभी बदबू है उनका पेट खराब हो गया दवाइयो की वजह से...

मैने हँसके कहा अरे माँ मैं तेरे से ही तो जनमा हूँ और वैसे भी शायद तेरे लिए गंदगी हो मेरे लिए ये मनमोहक खुश्बू है जैसे रात को तूने पेशाब से चादर और फर्श जो गीला किया ठीक वैसे...उफ्फ मेरे नथुनो में टाय्लेट के पास खड़ा रहने से अंदर की महेक लग रही थी...मैं बिना कुछ कहे अंदर गया और पेशाब करके बाहर आया....

मैं वैसे ही लूँगी को अड्जस्ट करता हुआ बाहर जब निकला तो पिता जी को अपने कमरे में अंगड़ाई लेता हुआ पाया....निशा नाइटी पहने बाहर का नज़ारा देख रही थी मेरी तरफ निगाह जैसे ही घूमी तो मैने उसे जैसे कड़वे अंदाज़ में देखा...मुँह कड़वा जैसा नही कर लेते वैसा मेरा भाव था...उसने मेरे हालत का जायेज़ा लिया उसने मेरी लूँगी में उभरे हुए लौडे को महसूस किया फिर मेरी तरफ सवालात भरी नज़रो से कहा

निशा : त..तुम कल कहाँ सो रहे थे? पूरी रात कमरे में नही आए

आदम : क्यूँ मेरे आने से ना आने से क्या फरक पड़ता है? माँ के साथ था माँ की तबीयत ठीक नही थी बुखार था उन्हें सोचा अगर रात गये तक़लीफ़ बढ़ गयी तो...इसलिए ?(निशा ने कुछ ना कहा ऐसा जताया जैसे उसे कोई मतलब ही नही पड़ा पर उसे आश्चर्य हुआ कि मैं क्या नंगा ही माँ के साथ सोता हूँ पर उसकी पूछने की हिम्मत नही थी)

और भला सोचती भी क्या? व्याबचारी रिश्ता एक माँ और बेटे के बीच क्या होता है? उसका उसे अंदाज़ा ही क्या होगा मैं तो कभी कभी ये भी सोचता था रंडी को इन्सेस्ट का मतलब भी पता है या नही

खैर निशा फिर किचन में घुस गयी....माँ कल की वहीं सूट और पाज़ामी को पहनके बाहर आई मेरे तरफ निगाह मिलते ही मैने उसके चेहरे को गुलाबी पाया...उसके चेहरे पे जैसे कल रात जो कुछ भी हमारे बीच हुआ उसकी संतुष्टि थी....एक उमर दराज़ औरत थी वो भला चुदाई की इच्छा उसे क्यूँ ना होगी? उसे एक भरपूर मर्द चाहिए था और वो कमी मैं पूरा करता था..उसने एक झलक किचन में निशा को पाया और फिर पिता जी के कमरे में चली गयी..पिता जी पूछे तबीयत कैसी है तो बोली अभी बेहतर है...कह कर वो पिता जी से गफलत में लग गयी...

मैं नहाने घुसा तो पाया मेरे लिए चाइ हाज़िर थी...

."आज लेट जाओगे"...निशा ने फिर टोका उसको मेरे घर में होने की भी चैन नही थी....

"नही आज सनडे है"....

मेरी बात सुनके निशा को अपनी भूल का जैसे अहसास हुआ वो अपना चाइ की प्याली ली और कमरे में ही चली गयी...चाइ के दो कप वहीं छोड़ गयी....मैने माँ बाबा को आवाज़ दी....वो आके चाइ पीने लगे...चाइ की चुस्किया लेते वक़्त माँ मुझसे पूछ रही थी कि अभी उसके तेवर कैसे है? मैने कहा फिलहाल तो कम है...माँ और मैं निशा का मज़ाक उड़ा रहे थे तो पिता जी हमारे बर्ताव में बदलपन देखके ना में सर हिलाए...

इतने में राजीव दा को सीडियो से नीचे अपने द्वार पे उपस्थित पाता हूँ...."अरे राजीव दा आज आप सनडे छुट्टी?".....

"हाहाहा ऐसी किस्मत कहाँ यार? वो तो ड्यूटी के लिए शाम को जाना है पॉलिसीए की नौकरी ही ऐसी है ससुर साला जब तक दौरा ना करो एक दिन भी चैन नही"....

."आपका फ़र्ज़ जो इतना बड़ा है राजीव दा आइए ना चाइ पीजिए"......

."बस बस मैं सोचा हाल चाल पूछता चलूं और अंकल कैसे हो?".......

."बस बेटा ठीक"......पिता जे ने कहा....

"और आंटी आप?".......राजीव ने माँ से पूछा तो माँ ने भी जवाब दिया मुस्कुराई....

राजीव कशमकश में घिरा सा था वो सोच रहा था घर में शांत माहौल है ऐसे में ज्योति ने जो निशा को बाइक पे किसी के साथ बैठने की जो बात कही थी उसे कहना आदम या उसके माँ बाबा के बीच कहना ठीक ना रहेगा यही सोचके राजीव दा ने पहलू बदला..
Reply
12-09-2019, 02:43 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
उस रात उपर के मामले में दोनो मिया बीवी अपनी उखड़ी साँसों पे काबू पाते हुए नंगे ही एकदुसरे से लिपट गये.....राजीव दा अपनी चुदासी बीवी ज्योति के गाल और होंठ को चूमते हुए मुस्कुराए........"भाई कल ड्यूटी भी जाना है सुबह 6 बजे और तुमने तो बस हद ही कर दी हमारा सारा जूस निकाल दिया शरीर का ....

."अभी तो हमारा तीसरा भी नही हुआ है और अभी से यह काहे कह रहे है"......

."ह्म लगता है तीसरा जल्द से जल्द हमारे बीच लाना ही होगा वरना ये सिलसिला तो थमेगा नही"...........राजीव और ज्योति दोनो खिल्लखिला के हंस पड़े...

ज्योति : पता है राजीव जी

राजीव : हां बोलो ज्योति क्या हुआ डार्लिंग? (बीवी सीने से लगी हुई थी)

ज्योति : आज हमने कुछ ऐसा देखा जिससे सुनके शायद आपको विश्वास ना हो

राजीव : क्या देखा? (राजीव दा ने अपनी बीवी का मुँह ताड़ते हुए पूछा)

ज्योति : हम जहाँ डॅन्स क्लास के लिए जाते है ना वहाँ बिंगाली ट्रेडीशनल डॅन्स भी सिखाई जाती है वहाँ पे मैने निशा को देखा आप तो जानते ही है कि वो भी नृत्य करती है)

राजीव : हां हां तो फिर क्या?

ज्योति : तो हम जैसे ही उसके निकालने के बाद सोचे कि उसे पीछे से सर्प्राइज़ दे और बात करे देवर जी (आदम) के लिए तो वो किसी लड़के के साथ बाइक पे बैठी और निकल गयी

राजीव : क्या नही नही शायद हो सकता है कोई भाई होगा?

ज्योति : हमने उसे शादी में भी देखा था उसके साथ उस वक़्त एक लड़की भी थी पर आज वो लड़का निशा के साथ मेरी साथ में एक सहेली बाहर पहले क्लास ख़तम करके निकलती है उसने बताया कुछ टाइम से देख रही है उसे दोनो ऐसा हँसी मज़ाक करते है बाइक पे कि लगे कि कोई कपल हो

राजीव : ये बात तुमने अंजुम आंटी या आदम किसी से ज़िक्र किया

ज्योति : नही शायद उन्हें यकीन ना हो वैसे ही घर का माहौल उनका खराब चल रहा है ऐसे में बताना उनको मुफ़ीद ना रहेगा

राजीव : ह्म कोई बात नही हो सकता है हमारी ही कोई ग़लतफहमी हो पर किसी लड़के के साथ बार बार लिफ्ट लिए जाना और एक बार तो सुना भी कि वो रात गये आई थी क्या उसी लड़के के साथ तो नही थी क्या मालूम आदम और अंजुम आंटी से झूठ बोलके वो उसी से मिलती हो

ज्योति : आप भी ना शक़ की सुई ग़लत जगह मार रहे है..

राजीव : आदम मेरे घर के लड़के जैसा है मेरे छोटे भाई जैसा है मुझे चिंता खा रही है ज्योति तुम नही समझ पओगि ?(ज्योति राजीव दा को शांत करने लगी)

पर राजीव दा खामोशी से बस यही शक़ की सुई बुन रहे थे कि क्या सच में वो कोई निशा का लगता है? या फिर कुछ और बात है....

अगले दिन मेरी नींद तब खुली जब माँ की मज़ूद्गी का अहसास मुझे बाथरूम में हुआ...प्सस्स की आवाज़ आई..तो मेरे कानो ने जैसे मुझे अहसास कराया कि माँ शायद टाँगे चौड़ी किए अपनी चूत से पेशाब की मोटी धार छोड़ रही है...मैं उस आवाज़ को सुनके मुस्कुराया...शायद माँ सुबह उठके फारिग होना चाहती थी...कल रात माँ के साथ बिस्तर पे जो आनंद आया उसके लिए मैं जैसे कयि दिनो के इन्तिजार में था....मैं माँ का ही इन्तिजार करने लगा कि कब उसके मुस्कुराहट भरे चेहरे का दीदार हो....

प्रर्र प्रर करके माँ शायद अपने नितंबो के बीच से पाद छोड़ रही थी...उसके बाद मुझे पिट पे उसके मल त्यागने की आवाज़ सी हुई...मैं चुपचाप तकिये पे सर रखकर सुनता रहा...भीनी भीनी टाय्लेट के अद्खुले दरवाजे से अंदर की महेक बाहर आ रही थी...मैं बिस्तर से उठा और अपने नंगे बदन पे पास रखी पिता जी की लूँगी उठाई और पहन ली....माँ टाय्लेट से फारिग होके जब बाहर आई तो उसने कहा कि अंदर ना जाउ अभी बदबू है उनका पेट खराब हो गया दवाइयो की वजह से...

मैने हँसके कहा अरे माँ मैं तेरे से ही तो जनमा हूँ और वैसे भी शायद तेरे लिए गंदगी हो मेरे लिए ये मनमोहक खुश्बू है जैसे रात को तूने पेशाब से चादर और फर्श जो गीला किया ठीक वैसे...उफ्फ मेरे नथुनो में टाय्लेट के पास खड़ा रहने से अंदर की महेक लग रही थी...मैं बिना कुछ कहे अंदर गया और पेशाब करके बाहर आया....

मैं वैसे ही लूँगी को अड्जस्ट करता हुआ बाहर जब निकला तो पिता जी को अपने कमरे में अंगड़ाई लेता हुआ पाया....निशा नाइटी पहने बाहर का नज़ारा देख रही थी मेरी तरफ निगाह जैसे ही घूमी तो मैने उसे जैसे कड़वे अंदाज़ में देखा...मुँह कड़वा जैसा नही कर लेते वैसा मेरा भाव था...उसने मेरे हालत का जायेज़ा लिया उसने मेरी लूँगी में उभरे हुए लौडे को महसूस किया फिर मेरी तरफ सवालात भरी नज़रो से कहा

निशा : त..तुम कल कहाँ सो रहे थे? पूरी रात कमरे में नही आए

आदम : क्यूँ मेरे आने से ना आने से क्या फरक पड़ता है? माँ के साथ था माँ की तबीयत ठीक नही थी बुखार था उन्हें सोचा अगर रात गये तक़लीफ़ बढ़ गयी तो...इसलिए ?(निशा ने कुछ ना कहा ऐसा जताया जैसे उसे कोई मतलब ही नही पड़ा पर उसे आश्चर्य हुआ कि मैं क्या नंगा ही माँ के साथ सोता हूँ पर उसकी पूछने की हिम्मत नही थी)

और भला सोचती भी क्या? व्याबचारी रिश्ता एक माँ और बेटे के बीच क्या होता है? उसका उसे अंदाज़ा ही क्या होगा मैं तो कभी कभी ये भी सोचता था रंडी को इन्सेस्ट का मतलब भी पता है या नही

खैर निशा फिर किचन में घुस गयी....माँ कल की वहीं सूट और पाज़ामी को पहनके बाहर आई मेरे तरफ निगाह मिलते ही मैने उसके चेहरे को गुलाबी पाया...उसके चेहरे पे जैसे कल रात जो कुछ भी हमारे बीच हुआ उसकी संतुष्टि थी....एक उमर दराज़ औरत थी वो भला चुदाई की इच्छा उसे क्यूँ ना होगी? उसे एक भरपूर मर्द चाहिए था और वो कमी मैं पूरा करता था..उसने एक झलक किचन में निशा को पाया और फिर पिता जी के कमरे में चली गयी..पिता जी पूछे तबीयत कैसी है तो बोली अभी बेहतर है...कह कर वो पिता जी से गफलत में लग गयी...

मैं नहाने घुसा तो पाया मेरे लिए चाइ हाज़िर थी...

."आज लेट जाओगे"...निशा ने फिर टोका उसको मेरे घर में होने की भी चैन नही थी....

"नही आज सनडे है"....

मेरी बात सुनके निशा को अपनी भूल का जैसे अहसास हुआ वो अपना चाइ की प्याली ली और कमरे में ही चली गयी...चाइ के दो कप वहीं छोड़ गयी....मैने माँ बाबा को आवाज़ दी....वो आके चाइ पीने लगे...चाइ की चुस्किया लेते वक़्त माँ मुझसे पूछ रही थी कि अभी उसके तेवर कैसे है? मैने कहा फिलहाल तो कम है...माँ और मैं निशा का मज़ाक उड़ा रहे थे तो पिता जी हमारे बर्ताव में बदलपन देखके ना में सर हिलाए...

इतने में राजीव दा को सीडियो से नीचे अपने द्वार पे उपस्थित पाता हूँ...."अरे राजीव दा आज आप सनडे छुट्टी?".....

"हाहाहा ऐसी किस्मत कहाँ यार? वो तो ड्यूटी के लिए शाम को जाना है पॉलिसीए की नौकरी ही ऐसी है ससुर साला जब तक दौरा ना करो एक दिन भी चैन नही"....

."आपका फ़र्ज़ जो इतना बड़ा है राजीव दा आइए ना चाइ पीजिए"......

."बस बस मैं सोचा हाल चाल पूछता चलूं और अंकल कैसे हो?".......

."बस बेटा ठीक"......पिता जे ने कहा....

"और आंटी आप?".......राजीव ने माँ से पूछा तो माँ ने भी जवाब दिया मुस्कुराई....

राजीव कशमकश में घिरा सा था वो सोच रहा था घर में शांत माहौल है ऐसे में ज्योति ने जो निशा को बाइक पे किसी के साथ बैठने की जो बात कही थी उसे कहना आदम या उसके माँ बाबा के बीच कहना ठीक ना रहेगा यही सोचके राजीव दा ने पहलू बदला..
!
Reply
12-09-2019, 02:43 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
अभी सब हँसी खुशी बात कर रहे थे कि द्वार पे कोई और भी उपस्थित हुआ....आदम की निगाह सामने गुज़री तो माँ भी उसे देखने लगी राजीव दा तो उसे पहले से ही ताड़ रहे थे...सामने बिशल की भेजी हुई नौकरानी जिसका नाम लज्जो कुमारी था 20 वर्षीए खड़ी थी..उमर के हिसाब से बदन गोल मटोल था 60 किलो की तो वजन होगी उसकी साड़ी से जैसे फटके उसके स्तन और नितंब बाहर जैसे आने को थे...राजीव दा उसके फिगर को देखके हल्के से सिसक उठे...शादी शुदा थे ऐसी औरतो को ताड़ना उनके लिए आम था...और मेरा तो उसे देखते ही खुद पे काबू पाना मुस्किल हो गया...लाज्जो उसी ताड़ी पिलाने वाली की बेटी थी जो ठेका पे ताड़ी पिलाती थी...भोजपुरी थी जो यहाँ बेंगाल में बस गयी थी अपने माता पिता के साथ....माँ तो बूढ़ी थी इसलिए उसका बदन इतना गातीला और सुडोल नही था...लाज्जो को देखके लगा जैसे की दो बच्चो की माँ हो...लेकिन अंदाज़ बिल्कुल ठीक था मेरा कि कोरी कली थी

अंजुम : बेटा ये कौन है? (माँ ने सवाल किया)

आदम : ह्म अच्छा है आप और पिता जी यहाँ मौज़ूद है...?(इतने में निशा कमरे से बाहर निकली तो लाज्जो को घुर्रा उसने मैने उस पर एक नज़र डाली और फिर सबको कहना शुरू किया)

आदम : खैर मैं बताता चलूं ये आजसे हमारे घर की कामवाली है सारा काम अब यही करेगी बर्तन पोछा से लेके खाने बनाने में भी मदद तक करेगी

अंजुम मेरे पास आके आहिस्ते से कही "बेटा पर पैसे? तुझे तो बताया ना कि चोर".....

."माँ अब हालत ऐसे बन गये है कि रखने के सिवाह नौकरानी मेरे पास कोई चारा नही था"....

."पर बेटा"..........

"माँ प्ल्ज़्ज़ ये मैं तुम्हारी खातिर कर रहा हूँ लाज्जो".......मैने माँ को शांत किया एका एक सबको लज्जो का परिचय कराते हुए उसके पास आया...शायद गर्मी में आने से उसके बदन से पसीने की भभक उठ रही थी....

निशा से बोल ना फूटा...उसे तो मालूम था कि घर के कामो से तो वो उब जाती थी...या ठीक तरीके से तो खाना भी उससे ना बनता था...इसलिए उसने एक बार भी मुझे टोका नही..वो फॅट से जैसे आई थी वैसे अंदर चली गयी....मन ही मन मुझे कोसते हुए "मुझपे खर्चा करने पे इनकी फाटती है और माँ की सेवा के लिए कामवाली को भी हाइयर कर लिया हुहह"....दिल ही दिल में बड़बड़ाये अपनी भादास निकालते हुए निशा जैसे चिड गयी..

लज्जो को मैने 2000 रुपये में फिक्स कर लिया था...वो काफ़ी हासमुख और चटपटिया टाइप की लड़की थी इसलिए मुझसे रह रहके बात कर रही थी और माँ से भी...राजीव दा ने जाते जाते मुझे कहा कि चलो अच्छा है दिल बहलाने को कोई तो मिला ...पर मैने उनका जवाब हँसके टाला मैं जानता था दिल बहलाने के लिए तो ढेरो है.....पर दिल लगाने के लिए तो सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे लिए मेरी माँ ही एक्मात्र है

लाज्जो फ़ौरन घर का कामकाज संभालने लगी....उसके आने से एक तरह से मैं थोड़ा हल्का हो गया था माँ के प्रति...उसे मैने सख़्त हिदायत दी थी कि माँ की सेवा करने में कोई कमी ना रहे....वो इतनी ज़्यादा घर आके घुलमिल गयी कि माँ से काम काज निपटाए उनसे बात करने लग जाती या फिर उनके पैर दबाने या कोई दर्द हो तो उसकी मालिश करने लग जाती....इस बीच माँ ने मुझे उसके बारे में इतना बताया कि वो दिल की बहुत मुलायम है और उसकी शादी हो चुकी है लेकिन गौना नही हुआ है अभीतक सुना है कि पति कोलकाता में नौकरी करता है..

खैर मैं तो नौकरी में व्यस्त रहता था....कभी कभी जल्दी घर लौट आता तो उससे मुलाक़ात हो जाया करती थी....वो काम करते वक़्त अपनी पल्लू को लपेटे अपने कमर में खोस्के काम करती थी जिससे उसके उभरी हुई दूध की टँकिया सॉफ उभरी हुई ब्लाउस से दिखती थी और यही नही ब्लाउस पे निपल्स भी सॉफ मुझे नज़र आते थे...उसकी तोंद निकली पेट और गोल गहरी नाभि पे जब पसीना होता था तो ऐसा लगता था...जैसे लंड का पानी निकल जाएगा....

मैं जानता था खुले विचारो के साथ साथ वो मेरे सामने इतनी खुली खुली सी क्यूँ रहती है? क्यूंकी लाज्जो ने एक आध बार मुझे अपनी बीवी से झगड़ते देखा था...और माँ ने यही ग़लती कर दी दिल के हाल-ए-दर्द को उस गैर के आगे ब्यान कर दिया....वो भी जैसे माँ की तरह निशा को हमेशा मुँह बिच्काये देखती थी....निशा उससे दूर ही रहती थी वो उसे अपने कमरे की सफाई के वक़्त कभी कभी चिढ़ते हुए कुछ कह देती तो वो ये चुगली माँ को लगा देती थी तो माँ निशा को डाँट देती थी...लाज्जो जैसे मुझ जैसे कमाऊ और हॅंडसम शहरी गोरे लड़के को देखके आहें भरती थी..पर मैने कभी उसे भाव नही दिया..बस इस लिए वो जैसे पीछे हट जाती थी..मैं हमेशा उसके मटकते चुतड़ों को ना चाहते हुए भी नोटीस करता था...पसीने से भरा होने से पेटिकोट का कपड़ा जैसे गोल गोल चुतड़ों के बीच धँस जाता था

____________________

ट्रिंग ट्रिनज्ज्ग...."हेलो?".........

."हे निशा डार्लिंग व्हाट'स अप?"......अपने और अपने संग लेटी उस नंगी औरत के उपर चादर डालते हुए...सिगरेट का कश लगाए हान्फ्ते हुए संजीब ने कहा

निशा : हाई संजीब कुछ ख़ास नही बस दम घूँट रहा है (अंजान संजीब से बात करते हुए काश ये बात उसके कमरे में लेटी उस औरत को उसकी बाहों में चिपका देख कह पाती )

संजीब : हाहाहा यू नो व्हाट निशा? कम इंटो माइ हाउस आइ विल बी वेट

निशा : नो संजीब उसकी माँ नोटीस कर लेगी

संजीब : ओके देन आइ विल

निशा : नो संजीब नो ऐसा ना करना फँस जाएँगे

संजीब : ओह क़'मोन मैं अपना परिचय वहीं दूँगा ना वहीं तुम्हारा जिगरी कॉलेज फ्रेंड

निशा कहती रह गयी संजीब ने फोन कट कर दिया....निशा को जैसे उसके आने का ख़ौफ़ सताया पर वो कर भी क्या सकती थी? संजीव काफ़ी ज़िद्दी था वो कुछ भी कर सकता भला मिलने उसके ससुराल क्यूँ नही आ सकता?

उधर संजीब के साथ वो औरत भी बेशर्मी और बेहयाई से उसके लिंग को हाथो से मसल रही थी...संजीब निशा के विश्वास पे टहाका लगाके हंस रहा था...

औरत : उफ्फ कब तक लोगे इसकी?

संजीब : शी ईज़ आन अब्सेशन बेबी (औरत के गाल उंगलियो से सहलाते हुए)

औरत : फिर भी

संजीब : इस्पे तो कॉलेज से हाथ मार रहा हूँ अब शादी के बाद यू नो आइ लव मॅरीड बौडी'स बस वैसा ही कुछ मज़े ले रहा हूँ

औरत : हाहाहा मुझसे ज़्यादा सख़्त चूत है क्या इसकी?

संजीब : हाहाहा चोद चोद कर खोल चुका और बची कूची कसर इसके पति ने भी खोल डाली है एनीवे तुम ये पैसे लो और जब तक मैं ना कहूँ आना मत समझी ना

औरत : आप कहे हुज़ूर और हम ना माने (नोटो के बंड्ल को हाथो में लिए चूमते हुए)

औरत वैसी ही बिस्तर से नंगी उठी और अपने कपड़े उठाने लगी....संजीब जैसा घिनोना इंसान किस हद तक जा सकता था इसका अंदाज़ा शायद निशा जैसी औरतो को नही था जिन्हें ये लगता था कि सम्टाइम्ज़ मुहब्बत ईज़ हेवेन..लेकिन उसे ये ना मालूम था कि संजीब का उससे यूँ मिलना उसका यूँ उसके ज़िंदगी में लौटके आना महेज़ उसका फ़ायदा उठाना था....निशा तो अंजुम और आदम की ज़िंदगी में दरार तो पैदा करी ही थी लेकिन बदले में आज उसे उन अटूट प्रेम के बंधन को तोड़ने का नतीजा सॉफ संजीब जैसे धोकेबाज़ को पाके मिला था


उधर निशा डर रही थी कि कहीं संजीब घर ना आ जाए कहीं...उसकी सास से भेट ना हो जाए या फिर कही आदम को मालूम ना चल जाए....उस वक़्त लाज्जो हमेशा की तरह घर आके बर्तन धो रही थी....तो उसे किसी की आहट हुई उसने देखा संजीब खड़ा है तो गैर आदमी को देख अंजुम को आवाज़ दी

अंजुम : क्या हुआ?

लज्जो : जी यह (उसने बस इशारा किया और किचन में चली गई)

लज्जो उसे जैसे पहचानने की नाकाम कोशिशें कर रही थी..."ऐसा लग क्यूँ रहा है? कि इस मरद को कही देखा है?".....अपने में सोच बुन्ते हुए लज्जो बरतने धोने लगी...

अंजुम : हां आप?

संजीब : जी मैं संजीब निशा का दोस्त

एक पल को निशा बौखलाए दौड़ी उसके अपने ससुराल में प्रस्तुत देख चौंक उठी..तो इधर अंजुम उसे एकटक घूर्रने लगी जैसे उसे आभास हुआ हो कि मेहमान नही उसके घर को उजाड़ने वाला राक्षस सामने खड़ा है वो पास आया उसने अंजुम के पैर छुए...उससे फेमिलियर होने लगा...

अंजुम : क.खुश रहो आओ बैठो? (अभिवादन जताते हुए निशा चाइ बनाने किचन में चली गयी)

संजीब : जी मैं यही रहता हूँ वो मेरे पिता वकील साहेब है आड्वोकेट!

निशा ने फुरती से चाइ की ट्रे टेबल पे रखी और ऐसे मासूमियत पर सहमे हुए उसे घूरा कि अंजुम को शक़ ना हो जाए...

."अच्छा करते क्या हो?".......

"जी बिज़्नेस है"......

"अच्छा शादी में हाँ हां याद आया चलो आप लोग बात करो".......अंजुम बिना कहे वहाँ से उठके अपने कमरे में आई उसके पति ने सवाल किया कौन आया हुआ है? तो उसने कस कर पति को रोकते हुए कहा

अंजुम : उसका कोई दोस्त है

पति : तुम आदम को बताई?

अंजुम : घर आए मेहमान की बात बताना इतना ज़रूरी नही आने दो उसे बता दूँगी वैसे भी निशा उसके लिए आगे आगे कर रही थी जैसे चाइ नाश्ता देने की कोशिश मुझे अच्छा नही लगा तो मैं आ गयी

पिताजी ने कुछ ना कहा..."तुम यहाँ क्यूँ आए?"....दबे स्वर में निशा ने कहा

संजीब : तुमसे मिलने

निशा : यह मेरा ससुराल है तुम सीधे मेरी सास से मिल लिए कहीं वो अपने बेटे को ना बता दे फिर तो वो मुझसे सवालात करने लग जाएगा

संजीब : हाहाहा मैने उन्हें तुम्हारा भाई बताया है इसलिए डरो मत और सुनो आज रात की पार्टी में आना है कहा था ना वादा किया था ना तुमने

निशा : हां किया था पर प्ल्ज़ तुम अभी यहाँ से जाओ मैं पक्का आ जाउन्गी

संजीब : ओके आज ठीक रात 9 बजे शार्प

निशा : ओके बाबा अब जाओ भी
Reply
12-09-2019, 02:43 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
संजीब उठा उसने चाहा कि निशा को अपनी बाहों में भर ले पर वहाँ सबकी मज़ूद्गी का अहसास उसे था बाहर तक छोड़ने निशा उसे आई तो लाज्जो ने एक बार फिर उसे देखते देखते आख़िर में पहचान लिया...वो जैसे निशा को देखते हुए झेंप गयी काम करने लगी....संजीब फिर से अंजुम के कमरे में उसे नमस्ते करने आया और वहाँ से चला गया....निशा वापिस कमरे में चली गयी...इस बीच अंजुम जैसे किचन में आई....तो लाज्जो ने उसका हाथ पकड़ लिया कस कर.

लज्जो : ये कौन था?

अंजुम : क्या जानू बेटा ? सुना है कि तेरी भाभी का कोई भाई लगता है

लज्जो : हुहह भाई (एक पल को लाज्जो रुक गयी उसने आगे ना कहा कि वो कौन था बस इतना कहा कि वो देखा देखा लग रहा है अंजुम ने पूछा भी पर उसने फिर ज़्यादा कुछ नही कहा तो अंजुम चुपचाप काम में व्यस्त हो गयी)........
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

"चियर्स चियर्स ये लीजिए अरे आप भी लीजिए सर यू आर दा शो स्टॉपर ऑफ माइ पार्टी हाहाहा"......

."वाक़ई मानना पड़ेगा मिस्टर संजीब आपकी ये पार्टी काफ़ी रॉकिंग है"......

"थॅंक यू थॅंक यू"......

.सीने पे हाथ रखते हुए...."लेकिन पार्टी में एक कमी है दोस्तो".....

"बोलिए सर कैसी कमी?".....

."वी वन्ना देसी हॉट चिक टू गेट सम फन बेबी"....

."ओह्ह्ह हो हो हो हाहहा".........टहाका लगते कीमती सूट बूट में...4 तोंद निकले करीब करीब 50 के उपर के संजीब के आज़ु बाज़ू खड़े टहाका लगाए हँसी मज़ाक कर रहे थे...

कहने को बिज़्नेस्मेन थे लेकिन हवस सड़क के उस छिछोरे टपोरी से भी बदतर ऐसे ही लोग ज़िम्मेदार होते है अपनी हसरत पूरी करने के लिए किसी के हँसते खेलते घर को उजाड़ना चाहे वो औरत किसी के घर की बीवी हो बेटी हो या फिर कुछ और .....संजीब ये सुनके शरमाया जो खुद भी राइज़ सा बना उनके साथ मज़ूद था...पीछे पार्टी में हल्की हल्की म्यूज़िक बज रही थी जाम और शाम का मज़ा दोनो लिए जा रहा था लेकिन संजीब जानता था मुश्टन्डो को वादें के अनुसार शादी शुदा औरत को चोदने की इच्छा हो रही थी...अगर उसने वैसी औरत उनके सामने पेश की तो शायद उसका स्पॉन्सेर्स मिलना तो बिज़्नेस के लिए सोने पे सुहागा जैसा....वो इसी फ़ायदे के चक्कर में ये कमिटमेंट कर चुका था पार्टी में उन बिज़्नेस्मेन को कि आप आइए मज़ा हम देंगे

"अरे रंजीत सर प्लीज़ कम डाउन बस आती ही होगी पर थोड़ा नखरेबाज़ है तो थोड़ा सा यू नो"......

"वी कॅन हॅंडल दा चिक्स ऑन और ओवन् संजीब वैसे भी हम जैसे मर्दो की कंपनी तो कोई भी औरत पाना चाहेगी पेश करो जल्द से जल्द सवर् नही हो रहा ये शराब तो बस गले की प्यास बुझा रही है जिस्म की नही"......रंजीत जो उनमें से 2न्ड वाला बिज़्नेसमॅन था उसने बड़ी अदाओ से कहा....

संजीब : अरे सवर् में ही तो मज़ा है बस आप भी श्याम सर और बाकी के हमारे सुशील सर और आलम सर जी की तरह इन्तिजार कीजिए

आलम : क्यूंकी इन्तिजार का फल मीठा होता है बस आज खुश कर ही दो संजीब स्पोन्सर हमारी तरफ से पक्का क्रोरोडो में कमाओगे हाहाहा (संजीब लालच में पड़ गया)

इतने में निशा साड़ी पहनी हिचकते हुए अंदर आई...उसने देखा कि पार्टी चका चौंध थी...उसने संजीब को ढूँढा और उसके पास आई..."हियर कम्ज़ माइ लेडी टू गेंटल्मन ये है मेरी लकी चर्म माइ स्वीट वाइफ निशा"........ये सुनके निशा काठ सी गयी...एका एक संजीब ने उसकी कमर पे अपने हाथ लपेट लिए उसके पेट को हल्का सा दबाते हुए उसने उसकी आँखो में देखा...चारो बुड्ढे शराब के ग्लास को खाली करके उसे गुलाबी निगाहो से ताड़ रहे थे...निशा उन्हें देखके हिचकिचाई...

निशा : संजीब ये क्या कह रहे हो? ! (संजीब ने निशा के होंठ पे उंगली रखी)

संजीब : देखो निशा ये मेरे बिज़्नेस्मेन है अगर इन्हें हमारा ये आटिट्यूड पसंद आया और उन्हें खुश किया तो बहुत कुछ मिलेगा समझ रही हो ना दुगनी तरक़्क़ी फिर हम और तुम

निशा : पर तुमने मुझे अपनी पत्नी क्यूँ कह डाला?
Reply
12-09-2019, 02:43 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
संजीब : अरे मेरी जान जैसा मैने कहा था वैसा ही तो कर रही हो जल्दी से घर में जाओ वहाँ इन्तिजार करो मैं आ रहा हूँ

निशा : ओके

संजीब : सुनो ये मेरी तरफ से इसे पी लो वाहह बालों में गजरा आइ लाइक देसी चिक

निशा : शट अप मैं इन्तिजार कर रही हूँ जल्दी आना

संजीब : बिल्कुल जानेमन

निशा के मटकते चुतड़ों को देख चारो बूढो ने जैसे अंगड़ाई ली उनके लंड खड़े हो गये थे...संजीब ने सॉफ नोटीस किया..."एनितिंग एल्स सर".....

."वाक़ई तुम्हारी बीवी बड़ी हॉट है"....

."ह्म रियली".....तारीफ सुन मन ही मन जाल बुनते हुए जैसे संजीब मुस्कुराया...असल में जो ड्रिंक निशा अंदर लेके गयी थी उसमें दो टॅब्लेट्स घोले हुए थे...अंदर निशा आके साड़ी को ठीक किए ड्रिंक करने लगी...उसे हल्का हल्का चस्का जो बैठा हुआ था...ग्लास ख़तम किए उसने लिपस्टिक निकाला और उसे अपने होंठो पे लगाया...फिर गजरा ठीक किया उसे लगा शायद संजीब सबको निपटाके उसके साथ आज रात बिस्तर गरम करेगा कह कर भी झूठ अंजुम और अपने पति आदम को आई थी कि पार्टी में जाउन्गी देरी होगी तो सहेलिया छोड़ देगी...आदम तो आने वाला था नही वहाँ पे...

जैसे ही निशा ने पाँच मिनट ही वहाँ बिताया होगा...वो मूतने के लहज़े से उठी तो उसका सर घूम गया और वो वहीं गिर पड़ी...अपने सर को पकड़े इस कदर चक्कर आ जाने से उसके आँखो में घर जैसे उठ रहा था जैसे गिर रहा था...हेवी डोस नशे के तेहेत उसे धीरे अपना सुध बुध खोना पड़ा...वो वहीं सोफे पे आँखे मुन्दे जैसे ढह गयी...

संजीब काफ़ी तेज़ था..उसने सबको जाने की अनुमति दी...ख़ास कोई आए तो थे नही इसलिए एका एक सब चले गये....जब वो अंदर आया तो पाया उसकी एक दोस्त निशा को जगा रही थी....संजीब मुस्कुराया और उसके पास आया "छोड़ दो कोई बात नही ज़्यादा ड्रिंक कर लिया होगा ऐसे में इसका घर जाना ठीक नही"....

."पर अगर इसका पति".....

"स्शह नो पति शी ईज़ माइन"......लड़की मुस्कुराइ

"ओके डियर आइ आम गोयिंग टेक केर हर पर्सनली"....आँख मारते हुए लड़की घर से चली गयी...

बुड्ढे अंदर आए....संजीब को मालूम था कि निशा कभी राज़ी नही होगी इसलिए ये कदम उसके लिए बेहतर था...उसने निशा को अपनी बीवी झूठी बताया और उसे अपनी गोद में उठाया और एका एक सीडिया चढ़ने लगा...

."क्या हुआ इसे?".....

"कुछ नही बस थोड़ा नशे में है".......

."हाहाहा अरे आलम नशे में ही रहना अच्छा है ताकि इसे दर्द का अहसास ना रहे".....

."हाहाहा वाक़ई संजीब तुमने आज हमारा जी खुश कर दिया".......पीछे पीछे चारो कमरे में दाखिल हुए

निशा बदकिस्मत थी पति के प्यार को धोका देने का अंजाम आज उसे कुदरत ने सॉफ तौर से दिया था....निशा को बस इतना मालूम था कि कुछ 4 नही 4 से ज़्यादा लोग है और उसके आज़ु बाज़ू खड़े है...उसे अहसास हुआ संजीब के बिस्तर पे खुद के होने का....धीरे धीरे संजीब ने उसके गाल को चूमा और उसे आँख मारी...

."संजीब व्हेअर यू गोयिंग? संजिब्ब उम्म संजिब्ब".....

"मैं यही हूँ ना बाबू बस 1 घंटे में आया"....इतना कहते हुए निशा को बड़बड़ाती हालत में उसे छोड़ संजीब घर से बाहर निकला

उसके बाद निशा के उपर चारो जैसे सवार हो गये...रंजीत ने उसकी साड़ी के पल्लू को गिरा दिया तो दूसरे ने उसके हाथ को कस कर थामा उसे सहलाया निशा छुड़ाने लगी पर होश हवस में ना होने से वो कुछ कर नही पा रही थी बार बार उसे बिस्तर पे गिरना पड़ता....उसके बाद जैसे सुशील ने उसके ब्लाउस के बटन्स खोले तो नाभि को सहलाते हुए उसके डोरी को खोलते हुए जैसे श्याम बुड्ढे ने उसके पैंटी सहित उसे टाँगो से निवस्त्र कर दिया...

बाहर संजीब सिगरेट का कश फूँक रहा था...अंदर से चारो की आहें भरने की आवाज़ सुनाई दे रही थी...वो अपने जीन्स के उपर से लौडे को सहला रहा था

"सस्स बस बेबी टेक इट ऑल हाहाहा"........

संजीब वहीं जीन्स को नीचे किए दरवाजे को हल्का सा खोले उन लोगो को निशा के जिस्मो के साथ खेलते देख मस्तिया रहा था...

आलम और सुशील के लंड निशा के दोनो हाथो में थे वो चाह के भी जब उसे ना हाथ में ली तो रंजीत जो ज़्यादा ठर्क मिज़ाज़ था उसने आगे बढ़के दोनो निपल्स को जैसे चुन्टी से मसल दिया....
Reply
12-09-2019, 02:43 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
ईईई सस्सस्स....निशा चीखी...एक की निगाह उसकी चिकनी चूत पे हुई वो उस पर अपनी ज़ुबान फेर रहा था...रंजीत उसकी दोनो चुचियो को बारी बारी से चूस रहा था..

."वाहह ससस्स क्या जन्नत है क्या औरत है?"....श्याम ने जैसे चूत को गहराई से चुसते चाटते हुए कहा वो एकदम नंगी उन चारो नंगे बूढो के सुस्त लौडो के नीचे दबी हुई थी....

आलम और सुशील का उसे मज़बूरन में हिलाना पड़ा...तो रंजीत ने चूस चूस के जैसे चुचियो को लाल कर डाला....फिर श्याम ने देखा चूत गीला हुआ तो उसमें तीन उंगली बेतरतीब ढंग से डाल दी...और आगे पीछे उंगली करने लगा...

इसस्सह आहह आअहह सस्स अहहह".....लौडो को मसल्ति उंगली से चुदती निशा उन चारो बूढो की आज भेट चढ़ चुकी थी...

एका एक मुद्रा बदली और निशा के मुँह में बारी बारी से सबने अपना लंड चुस्वाया...निशा के पास कोई चारा नही था उसे कुछ समझ नही आ रहा था उसके साथ क्या हो रहा है?

अओउ अओउू अओउ....अब निशा लंड को जड़ तक चुसते हुए छोड़के हाफ़ती फिर उसे मुँह में भर लेती पीछे उसकी गुदाज गान्ड को दबोचते मसल्ते लाल करते हुए उसकी चूत के अंदर बाहर रंजीत डाल रहा था...निशा चुदती रही...और मुँह में उसके सुशील का लंड...दोनो हाथो में बाकी के बूढो का लंड मसल्ते हुए....

फिर मुद्रा बदली इस बार रंजीत हटा तो आलम आ गया अपने कटी चॅम्डी वाले लंड से वो सतसट निशा की चूत की अच्छे से चुदाई करने लगे...चोदने वाले बूढो के लौडो पे एक कॉंडम चढ़ा होता था.....निशा चुदती रही और फिर मुद्रा बदली इस बार वो आलम के लंड पे कूद रही थी और बारी बारी से आज़ु बाज़ू खड़े एक एक बुड्ढे का लंड कभी इसका तो कभी उसका मुँह में लेके चुसती....ऐसी गंगबांग चुदाई का मज़ा बाहर खड़ा संजीब मज़े से ले रहा था...
Reply
12-09-2019, 02:43 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
गजरे को बालों से समेट ते हुए उसके फूल झड रहे थे फर्श पे...और निशा की कमर को दबोचे आलम उसकी चूत में ही जैसे फारिग होने लगा...."अब तू हट मेरी बारी"....

.हाफते हुए रंजीत ने निशा को अपनी गोद में उठाया और उसकी बेढंगे तौर से चुदाई की जिससे चूत का हिस्सा इतना ज़्यादा खुलके चौड़ा हो गया कि अब निशा को इतने नशे में भी जलन हो रही थी "आहह आहह"........

"रिलॅक्स बेबी रिलॅक्स बी माइ बिच"......कहते हुए पीछे खड़े लॉडा मसल्ते दोनो बुड्ढे उसके पीठ और गाल गले कंधे को चूम रहे थे..

उसके ठीक बाद रंजीत भी खल्लास होने लगा....उसने कस कर नितंबो को दबोचा और अपना बेतहासा पानी चूत की सख्ती में ही झाड़ दिया...जब उसने कॉंडम सहित अपने लंड को बाहर खीचा तो जैसे कॉंडम फटके उसका रस छूटने लगा....

इधर पश्त पड़ी हाँफती निशा नंगी लेटी हुई श्याम और सुशील की नज़रों में आई वो उसके सामने खड़े हो गये....सुशील ने आगे बढ़के उसके होंठो को बेतहाशा चूसा और चूमा...तो श्याम ने उसकी गान्ड की फांको में अपनी जीब डालते हुए उसे चाटा...

."वाहह उंगली उगली कर".......सुशील ने अपना लंड निशा को चुस्वाते हुए जैसे श्याम से कहा.

.श्याम ने ठीक वैसा किया और उसकी उंगली जैसे ही अंदर गयी तो उसे सख्ती महसूस हुई...

"लगता है इसके पति ने इसकी गान्ड नही मारी".......

"तो तू मार दे".....निशा को शुशील ने तुरंत उल्टा लिटाया और उसके नितंबो को फैलाते हुए उसके सिकुड़ते छेद में ढेर सारा थूक डाला....निशा जैसे कसमस कर रही थी...जैसे ही लंड अंदर आधा ही गया होगा कि निशा ज़ोर से चिल्लाई...

इस दर्द के अहसास से उसकी आँखे जैसे बाहर आने को गयी....सुशील मुस्कुराया....

"आहह और नही होगा बहुत सख़्त है यार छिल गया लंड"......

."तू छोड़ निकाल ले"...

.श्याम ने ठीक वैसा ही किया....जैसे उसने पुकछ से लंड बाहर खीचा तो श्याम ने देखा कि छेद थोड़ा खुल गया था और सिकुड रहा था और बंद हो रहा था उसने काफ़ी बेदर्दी से चूत में उंगली करना शुरू किया...निशा उसे झेलती रही...और जब उसकी आत्म इच्छा उसे जवाब देने लगी...तो बस वो ज़ोर से चीखी....आअहह..उसके बाद बेतहाशा पानी सुशील अपना मुँह खोले उसके नमकीन स्वाद को चखता हुआ जैसे चूत के छोड़ते पानी को चख रहा था...

जब निशा पूरी तरीके से थक के चुर्र हो गयी तो उसने निशा की एक टाँग उठाई और उसकी बराबर चुदाई करनी शुरू की....श्याम सुसताने लगा....सुशील रंजीत और आलम से भी देर तक निशा की चुदाई करता रहा फ़च फ़च्छ किए गीली चूत से लंड अंदर बाहर निकलता और बाहर होता जा रहा था...जब उसने कस कर निशा के पेट को दबाया तो निशा को नशे में महसूस हुआ किसी गरम चीज़ का...

श्याम ने तुरंत उसे झाड़ा...."अबे तेरा लीक हो रहा है"......

."ओह शिट"....सुशील ने तुरंत लॉडा बाहर खीचा तो पाया चूत से लच्छेदार रस बाहर आ रहा था...उसने तुरंत टिश्यू पेपर से चूत को सॉफ किया....सुशील को धकेलते हुए श्याम ने दोनो टांगे निशा की अपने कंधे पे रखके और उसकी चूत मे लंड घुसाया...अब तक की चुदाई चार चार बूढो से थकि हारी निशा बेसूध पड़ी हुई थी उसके पूरे बदन पे पसीना पसीना बह रहा था...

निशा हाफ़ती रही नशे में ही सिसकती रही...और श्याम चूत से लंड अंदर बाहर करता रहा निशा बेशुध जैसे अब रोने लगी थी उसे हल्का हल्का पेन हो रहा था...जब श्याम उसके उपर से उठा तो वो फारिग हो चुका था...चारो पश्त पड़ी नंगी निशा के उपर से हटे सिगरेट का काश लेते रहे....फिर चारो ने अपने हाथो से निशा के पूरे नंगे बदन पे जैसे नोटो के बंडल्स बरसाए...निशा नोटो के बंड्ल से दब गयी...वो बेहोश हो चुकी थी..

उन लोगो ने बाहर आके हान्फ्ते हुए अपने पसीने को पोंच्छा फिर सामने खड़े संजीब को पाया जो अपने लौडे से रस उगल रहा था..वो लोग टहाका लगाकर हँसे...

संजीब ने तुरंत टिश्यू पेपर से अपना लंड सॉफ किया और जीन्स पहनी फिर चारो उससे गले मिले

"वाहह संजीब मज़ा करा दिया तुमने आज वाक़ई दिल खुश कर दिया".....

."तो मेरा प्रमोशन?".......

"समझो डील फाइनल ऐश करो युवर वाइफ ईज़ डॅम हॉट"......इतना कहते हुए चारो टहाका लगाए वहाँ से चले गये बड़ी सी कार में....उनके जाने के बाद धीरे से संजीब अंदर आया

अंदर पसीना और सिगरेट के धुए की महेक आ रही थी बिस्तर की चादर बिखरी हुई थी....निशा बेशुध नंगी पसीने पसीने एकदम नोटो के बंडल्स को जैसे ओढ़े सो रही थी....

वो निशा के पास आया फिर उसके गाल को लिक्क किया..अपनी गीले ज़ुबान से
Reply
12-09-2019, 02:44 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
निशा रोए जा रही थी वक़्त 11 बज चुका था...

"रो मत निशा जो हुआ उसमें हमारा बस नही था तुम्हें पता है मुझे जान से मारने की धमकी दी गयी थी"........

निशा जैसे विश्वास नही कर पाई कि संजीब कैसे घड़ियाली आँसू बहा रहा था....उसने सुबक्ते हुए कहा पर मेरी ज़िंदगी तो बर्बाद हो गयी ना अब मैं क्या मुँह दिखाउन्गी? अगर आदम को मालूम चला तो ना जाने मेरे साथ और उसके घरवाले भी मेरे साथ क्या सुलूक कर बैठेंगे?

संजीब : देखो निशा कुछ नही होता तुम नशे में थी और मैं मज़बूर था अगर मैं उन्हें तुम्हें प्रस्तुत ना करता तो मेरा मुँह देखती तुम

निशा : पर क्यूँ उन्होने ऐसा किया?

संजीब : वो लोग हमारे रिश्ते के बारे में जान गये थे आए दिन ब्लॅकमेल कर रहे थे मुझे कह रहे थे कि मेरे पापा को बता देंगे और मैं तुमसे जुदा नही होना चाहता था...मैने उनसे भारी क़र्ज़ ले रखा था जिसकी कीमत अदा कर पाना मेरे बस की बात नही

निशा जैसे धिक्कार भरी नज़रों से संजीब को देख रही थी....पर संजीब ने इस कदर उसे अपने प्यार में फँसा रखा था कि रंडी एक पल को मान गयी..फिर उसने संजीब से कहा कि अब क्या करू? संजीब ने उसे एक गोली ग्लास के सहित टेबल से उठाके दी..

"इसे ले लो उसके बाद भूल जाओ कि ये रात कभी गुज़री थी"....

."क्या तुम सच में मुझसे प्यार करते हो?"......

"मैं चाह कर भी तुमसे जुदा नही हो सकता जो हुआ सो हुआ अब वो लोग हमे परेशान भी नही करेंगे".......

"इसकी क्या गारंटी है कि वो हमे दुबारा"........

"मैं कह रहा हूँ ना सस्सह अब चुप पियो इसे खमोखाः उसकी फिकर कर रही हो जिसके साथ तुम्हें कुछ मिलने वाला नही सिर्फ़ ताने और तंगी के"......

.संजीब के बदन से जैसे निशा लिपट के आँसू बहाने लगी...संजीब उसके मखमल से बदन को चूमता और सहलाता हुआ मन ही मन मुस्कुराया

संजीब : तुम्हारे जिस्म पे तुमपे अब मेरा हक़ है मैं इसका मालिक हूँ मैं जैसे चाहे तुझे चोदु तुझे इस्तेमांल करूँ तू सिर्फ़ मेरी है हाहहाहा ससस्स तू भूल जा इस रात को पगली पर मेरे लिए तो ये दीवाली है दीवाली हाहहा (टहाका लगाए जैसे संजीब मन ही मन निशा को कस कर अपने बाहों में थाम लेता है)
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,558,667 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,910 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,257,517 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 950,611 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,687,035 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,108,991 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,999,193 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,216,572 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,090,064 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,520 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 11 Guest(s)