Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
12-09-2019, 02:46 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
निशा ने जैसे ही आहट पाई तो वो उठके संजीब को दरवाजे पे प्रस्तुत पाई....वो झट से दौड़ते हुए उसके गले से लिपट गयी...संजीब ऐसे ही लज्जो के बदन को घुर्रे गरमाया हुआ था और उपर से कयि दिनो की ठरक निशा से ना मिलने को हो रही थी....वो बेढंगे तरीके निशा की पीठ और ज़ुल्फो को सहलाता हुआ उसके नितंबो को साड़ी के उपर से ही दबाने लगा...तो निशा ने उसे अपने से दूर किया..

निशा : संजीब ये क्या कर रहे हो? मुझे तुम्हें कुछ बताना है

संजीब : हाहाहा बस कयि दिनो की जैसे प्यास लगी हुई है..

निशा : नही संजीब पहले तुम्हें मेरी बात सुननी होगी (संजीब को कमरे में खीचते हुए दरवाजा बंद करते हुए)

संजीब : अरे जब घर पे कोई नही है तो दरवाजा लगाने की क्या ज़रूरत? और तुम्हारे चेहरे का रंग उतरा उतरा सा क्यूँ है? कयि दफ़ा कॉल भी करना चाहा तो तुमने रिसीव तक नही किया

निशा : मुझे प्ल्ज़्ज़ बचा लो संजीब मेरा जीना मुहाल हो गया है इस घर में...मेरा पति जानवर है जानवर मुझे दिन रात टॉर्चर कर रहा है वो (संजीब ने उसे शांत किया फिर ना चाहते हुए भी उस मतलबपरस्त इंसान ने पूछा कि आख़िर बात क्या है?)

एका एक निशा उसे बताने लगी कि आदम को सबकुछ मालूम चल चुका है..उन दोनो के नाजायेज़ संबंध के बारे में....कयि दफ़ा तो दोनो को उसने रंगे हाथो भी मिलते हुए पकड़ा था...जैसे जैसे संजीब को मालूम चलता गया वैसे वैसे उसके पाँव जैसे काँप उठे...उसकी फॅट गयी ये सुनके कि पति को सबकुछ मालूम चल गया है...बेरहाल अब उसका निशा के पास रुकना ख़तरे से खाली नही था...अब उसकी वो क्या मदद कर सकता था? उसने तो सोचा ऐसे ही संबंध बनाउन्गा और उसके पति को कुछ मालूम नही चल पाएगा...फिर भी संजीब ने सोचा कि चलो निशा को आश्वासन देके एक आखरी ही बार क्यूँ ना उसके साथ चुदाई की जाए...

संजीब उसे हाथ लगाने लगा फिर अपने मनिप्युलेटिव बातों में निशा को फिर फँसाने लगा..."देखो निशा जो हुआ सो हुआ तुम इतना फिकर क्यूँ करती हो? मुझसे संजीब पाटिल से तुम्हे दूर करने की उसकी इतनी ताक़त नही...एक कॉल घमाउन्गा ना तो साले को डोमेस्टिक वाय्लेन्स के तेहेत अपनी बीवी को पीटने के जुर्म में अंदर हो जाना पड़ेगा तुम फिकर मत करो"........

."नही संजीब तुम बस मुझे अब यहाँ से निकाल लो"......

"देखो निशा मैं ऐसा नही कर सकता हमारी सिचुयेशन ठीक नही है पर मैं वादा करता हूँ कि मैं तुम्हें उस जानवर से दूर कर लूँगा".......संजीब वादा करने पे भी जैसे लड़खड़ा रहा था...वो आख़िर एक शादी शुदा औरत को अपने सर क्यूँ बांधना चाहेगा?...उसकी ज़रूरत तो निशा से सिर्फ़ संबंध बनाने तक ही थी या तो अपनी ज़रूरत पूरी करवाने पर...

निशा ने उसे बताया कि उसे किस तरह आदम ने सज़ा दी है..किस तरह उसके साथ ज़बरदस्ती की? उसे कितना दर्द झेलना पड़ा....संजीब तो मज़े ले रहा था....निशा ने अपनी साड़ी उतारी और फिर ब्लाउस...तो संजीब ने उसकी ब्रा को खीचके नीचे किया तो पाया उसकी छातियाँ लटक चुकी थी और चुचियो पे लाल लाल निशान थे....यही नही उसकी नाभि के नीचे भी संजीब ने जब हाथ फिराया तो वहाँ भी उसे दाग दिखे ये सब चुदाई के वक़्त की निशानिया थी जो निशा ने सही थी...

संजीब : जाने दो उस कमीने की बात छोड़ो फिलहाल इतने दिनो बाद हम मिले है कम से कम इस कुछ पॅलो को तो एक साथ बिताए

निशा : पर संजीब तुम पक्का मुझे निजात दिला दोगे ना प्ल्ज़्ज़

संजीब : अरे मेरी जान सस्शह डरो मत मैं हूँ ना चलो अब घूम जाओ

निशा पलट गयी और साथ ही साथ संजीब ने उसे झुका दिया तो जैसे वो झुकी तो उसके नितंबो पे हाथ फेरते हुए जैसे ही संजीब ने एक उंगली गान्ड की गहराइयो में दाखिल करनी चाही...तो छेद ने घपप से उंगली को अंदर सरका लिया वो अस्चर्य से निशा की नितंबो को घूर्र रहा था और उसने हाथ से जैसे ही निशा की चूत भी उंगली डालना चाही तो महसूस हुआ कि चूत का भोसड़ा बन चुका था...उसकी एक उंगली नही बल्कि पाँचो की पाँच उंगली आसानी से अंदर बाहर हो रही थी...निशा की ढीली चूत और गान्ड का भोसड़ा बना देख संजीब खिजला गया
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12-09-2019, 02:46 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
उसे ऐसा लगा जैसे किसी कोठे की रंडी या किसी उमर दराज़ आंटी की ढीली चूत में वो उंगलिया पेल रहा था...उसे अहसास ही नही हुआ कि उंगली कब अंदर जा रही थी और कब बाहर आ रही थी....चोद चोद के निशा की भोसड़ी बन चुकी थी....संजीब खिजलाए स्वर में निशा से दूर हो गया...

संजीब : रहने दो अब क्या मारु? अब तो बिल्कुल मज़ा नही आएगा

निशा : क्या कहा तुमने मज़ा? संजीब ये तुम क्या कह रहे हो?

संजीब : आइ थिंक मुझे अब जाना चाहिए

निशा : संजीब ऐसा क्यूँ कह रहे हो? प्लस्स मेरी बात तो सुनो कुछ तो मेरी मदद करो तुमने अभी तो कहा था कि!

संजीब : ह..हां निशा मैं आता हूँ ना मैं फिर आता हूँ तुम कॉल कर देना ओके अभी शायद मुझे यहाँ रुकना ठीक नही लग रहा कभी भी तुम्हारा पति आ सकता है

संजीब का असल बदला रूप देख निशा जैसे हैरान हो गयी....उसने संजीब को कस कर थाम लिया और उससे पूछा कि क्यूँ वो ऐसा बर्ताव कर रहा है? क्या हुआ उसके वादें का उसने तो जीवन भर साथ निभाने की कसम खाई? खुद ही तो उस दिन मुलाक़ात बनाई उसी के चलते उसने कॉंप्रमाइज़ किया उन पाँच बूढ़ो के साथ नशे के हालत में चुर्र भी उसने अपना उन्हें अपना जिस्म सौंप दिया.....केवल उसी के चलते...

.संजीब मन ही मन खुद को कोसने लगा कि साला क्यूँ यहाँ आ गया? ये तो गले पड़ने लगी...अब भला उसमें उसे क्या मज़ा आता? वो तो कुँवारी और सख़्त चूत का दीवाना था....पर यहाँ तो उसके नसीब में फँसना ही था...वो जैसे तैसे निशा को शांत किए वहाँ से जाना अभी चाह ही रहा था...

कि इतने में दरवाजे पे दस्तक हुई...दोनो कठुआ गये...एकदुसरे का मुँह देखने लगे....अभी दोनो खामोश थे दस्तक दरवाजे पे होती ही जा रही थी....

."लगता है तुम्हारे घर से कोई आ गया अब क्या करें?"......एका एक संजीब सहमे हुए अंदाज़ में बोला...तो निशा ने दरवाजे के पास जाके पूछा "कौन है?".........कुछ देर बाद आवाज़ आई

लाज्जो : निशा दीदी दरवाजा खोलिए मैं हूँ असल में अंजुम काकी का कॉल आया है वो लोग आ रहे है तो सोचा आपको बता दूं अंजुम काकी आपसे कुछ बात करना चाहती है

जान में जान जैसे निशा के आई उसने आगे बढ़के झट से दरवाजा खोला...तो सामने सिर्फ़ लाज्जो नही वहाँ उसका पति आदम बगल में उसकी माँ अंजुम...साथ में उसका पति यानी आदम के पिता जी....दूसरी ओर निशा के चाचा-चाची पीछे ज्योति भाभी और राजीव दा भी खड़े थे सब एकटक उसे और पीछे पलंग पे बैठे संजीब की ओर देख रहे थे...संजीब सकपकाई नज़रों इधर उधर फैरने लगा...निशा जिसे अहसास ही नही हुआ कि उसके बदन पे साड़ी का पल्लू नही था वो झट से गिरी साड़ी को उठाए पल्लू चढ़ाने लगी बौखलाई नज़रों से सबको एकटक देखने लगी....सब उसे जैसे खा जाने वाली नज़रों से घूर रहे थे उसके चाचा चाची भी घृणा भरी नज़रो से उसे देख रहे थे अंजुम की भी निगाहो में जैसे हीन-भावना भरी हुई थी....

अंजुम : तो ये कार्य क्रम चल रहा है अंदर परिवार की गैर मज़ूद्गी में ये कर रही है आपकी बेटी और जिसे आप हमारे घर की बहू कहते हो समधी जी देखिए किस तरह से घर की इज़्ज़त को घर में ही नीलाम की जा रही है क्यूँ निशा? अब बोल क्यूँ नही फुट रहा कहो कि मैं तुम्हारे साथ बुरे बर्ताव से पेश आती हूँ कहो कि ये सब झूठ है रानी का पति संजीब है कहो की साड़ी का पल्लू ग़लती से गिर गया संजीब तो यहाँ बस मिलने आया था...

आदम : अरे माँ ये क्या कहेगी ये तो है ही बेशरम बेहया औरत जो कहेगा अब ये कुत्ता कहेगा मादरचोद निकल बाहाररर (जैसे आदम संजीब पे टूट पड़ा)

निशा उसे छुड़ाने लगी आदम ने कस कर दो तीन थप्पड़ तो संजीब को झाड़ दिए और उसके गले को कस कर दबोच लिया "मादरचोद आज तू मरेगा बहेन के चोद तूने मेरे घर में आग लगाया है मादरचोद"........

."आदम प्ल्ज़्ज़ छोड़ दो उसे बेटा प्लज़्ज़्ज़ छोड़ो उसे".......

."आदम बेटा छोड़ो उसे छोड़ो"......राजीव दा अंजुम और उसके पिता तीनो मिलके आदम को संजीब से अलग करने लगे...उसकी पकड़ काफ़ी मज़बूत थी राजीव दा ने ही पूरी ताक़त से संजीब से आदम को अलग किया...लगे हाथो पोलीस वाले का भी एक तमाचा खाए जैसे संजीब वहीं गश ख़ाके गिर पड़ा...

वो जैसे उठना चाहा तो अंजुम ने उसे एक उल्टे हाथ का थप्पड़ मारा...निशा जो संजीब को छुड़ाने की कोशिश कर रही थी अंजुम ने आगे बढ़के उसे भी एक कस कर तमाचा लगाया...निशा गाल पकड़े वहीं रोने लगी...
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12-09-2019, 02:46 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
राजीव : आदम आदम तुम कुछ मत करो शांत हो जाओ अब इसका हिसाब थाने में होगा...

आदम को ज्योति भाभी और लाज्जो दोनो शांत करने लगे...सब कमरे में घुस चुके थे.....निशा के चाचा चुपचाप खड़े हुए थे...उसकी बीवी ही आगे बढ़के निशा को झींझोरते हुए थप्पड़ मारे जा रही थी...

."पूछिए इससे ज़रा क्या कमी रह गयी थी मेरे बेटे के प्यार में? पूरी रज़ामंदी से शादी करवाई थी दोनो की क्या चाहिए इसे? जबसे आई मेरे बेटे की ज़िंदगी में उसके नाक में दम करके रखा है इस कुतिया ने हम तो इसके लिए बेटे से अलग भी होना चाह रहे थे इसलिए सोचा कि अपने ससुराल जाके बात करूँ लेकिन हमे नही मालूम था कि ये इतनी बड़ी धोखेबाज़ औरत निकलेगी अरे जब संजीब ही चाहिए था तो मेरे बेटे के गले क्यूँ पड़ी? बोल ना रे हरामजादि बोल".........

.आदम आगे बढ़के माँ के गुस्से को शांत करने लगा...

"मिस्टर संजीब अब तुम यही अपना ब्यान दोगे या फिर थाने ले जाके यहाँ से भी ज़्यादा सूताई करूँ वो तो वैसे भी होगा तो इसलिए चुपचाप इनस्पेक्टर राजीव के आगे सबकुछ उगल दो".....राजीव दा ने उसे धमकाते हुए कहा...एका एक उनकी आवाज़ में सख्ती की बदलाव आई संजीब वैसे ही डर से कांपें जा रहा था होंठ से खून निकल रहा था उसके...

फिर संजीब ने अपना गुनाह काबुल किया कि कैसे वो हर औरत के पीछे अपनी हसरत को पूरा करने के लिए उनके साथ हमबिस्तर होने के लिए घिनोने से भी घिनोना काम करता है....ताकि वो या तो पट जाए या धमकी से मान जाए....निशा उसके कॉलेज से ही प्रेमिका थी.....निशा का कुँवारापन उसी ने ही तोड़ा था...साथ ही साथ संबंध शादी से पहले तक था..उसके बाद निशा से उसका जी भर गया जब सुना कि उसकी शादी होने को है...

इस बीच निशा के चाचा चाची ने संजीब को अपनी तरफ भी दो-तीन जड़ दिए...और सबको बताया कि ये उसकी बेटी के हाथ धोके पीछे पड़ा हुआ था...राजीव दा ने बीच में उन्हें रोका और कहा कि अब आप लोगो को कुछ कहने की ज़रूरत नही आप लोग अंजान थे और आपके अंजानेपन ने मेरे छोटे भाई आदम की ज़िंदगी खराब कर दी....वो दोनो चुपचाप खामोश हो गये

राजीव : कंटिन्यू कर चल (संजीब फिर ब्यान देने लगा सबके सामने)

संजीब ने अब तक हुए सारे वाक़ये बताए...उसने बताया निशा तो उसकी हवस मिटाने की एक ज़रिया थी वो तो सोच रहा था कि ऐसे ही वो आदम की पत्नी बनी रहेगी और जब तक उसका जी ना भर जाए तब तक निशा के साथ प्यार का नाटक करता रहेगा और उसे अपने घर या फिर उसके घर आके अपनी हसरत को मिटाता रहेगा उसकी जैसे उसे लत लगी हुई थी.....उसने ये बताया कि 4 बूढ़ो के साथ निशा ने जो चुदाई की वो उसकी प्रमोशन के लिए उसने की थी ताकि उसके बिज़्नेस में उसे वृधि हो...कोई लड़की तय्यार नही हो रही थी इसलिए निशा को ही झूठ मूट का उसने अपने अपना बीवी बनाया और उसके राज़ी ना होने के डर में दो गोलिया नशे की मिला डाली जिससे निशा उस पार्टी की रात बदहवास हो गयी तो सबने मिलके उसके साथ! (कहते कहते संजीब रुक गया)

हर कोई जैसे निंदा कर रहा था खुलेआम निशा के कुकर्म और उसके किए कारनामे सब का एक एक चिट्ठा ब्यान करता जा रहा था संजीब....निशा तो जैसे उसे घृणा भरी नज़रो से घुरते हुए मुँह फाडे हुई थी उसके साथ धोखा हुआ और उसे मालूम तक नही

उसके बाद राजीव ने पूरा ब्यान लिया फिर मुस्कुरा कर सबको बताना शुरू किया

राजीव : ये सब अंजुम आंटी को क्रेडिट जाता है कि उन्होने अपने बेटे की ज़िंदगी बचाने के लिए इतना बड़ा फ़ैसला लिया...ना ही सिर्फ़ निशा जैसी बेवफा और मतलबी औरत का राज सबके सामने उठाया...बल्कि आदम की ज़िंदगी को भी नेस्ता नाबूद से बचाया और यही नही अंजुम आंटी आदम को आपसे पहले हमसे पहले सब मालूम चल गया था क्यूंकी जिस दिन मैने रानी से पूछताछ की जो निशा की सहेली थी तो उसने सॉफ बताया कि पार्टी की उस रात आदम संजीब के घर तक आया था...(एका एक अंजुम जैसे बेटे की तरफ देखने लगी और आदम भी नज़रें झुकाए हुए था संजीब का तो जैसे दिमाग़ खराब हो गया ये सब सुनके) क्यूँ संजीब अब ये फोन जो तुम्हारे यहाँ से तुम्हारे पर्सनल एमएमएस बनाए सीडीज़ के साथ चोरी की गयी थी वो मेरे पास है देखना चाहते है तो देखो

संजीब : प..पर आपके पास! ?(संजीब आँखे बड़ी किए कह उठा)

राजीव : जी तुझपे शक़ था इसलिए मैने तेरे घर पे चोरी करवाई ताकि तेरी चोरी को सरेआम सबूतो के साथ पेश कर सकूँ
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12-09-2019, 02:47 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
संजीब एक टक राजीव को से घूर्र रहा था.....राजीव खामोश हुआ तो आदम ने आगे आके निशा की तरफ देखा..

आदम : आज घर का हर कोई सामने खड़ा है कह डालो सबसे कि मैने तुम्हें 1 महीने तक टॉर्चर किया कह डालो कि सबकुछ सुनने के बाद जैसे खौलता तेज़ाब अपने गले से अंदर घोंटता रहा....कह डालो सबसे कि तुम मुझपे घरेलू हिंसा का केस करवाओगी अभी कुछ देर पहले कमरे में यही बात चीत हो रही थी ना बोलो ?(निशा से बोल ना फूटा वो अपने सितमो को बताके करती भी क्या? अब तो सारे सबूत और उसका परिवार भी उसके खिलाफ हो चुका था)

आदम : लाज्जो यक़ीनन मेरे घर की कामवाली है पर हमारी सदस्य की तरह है इसने उस दिन मुझे बताया ना होता कि रोज़ की तरह इस बार भी देर रात को नही बल्कि अगले दिन निशा घर लौटी पार्टी से इसने तो बताया ही साथ ही साथ मेरे पूछने पे इसने मुझे सबकुछ बता दिया कि इस संजीब से ये निशा अह्मेद कयि दिनो से फसि हुई है जिसने लाज्जो की सहेली को प्रेग्नेंट तक किया (लाज्जो अपनी तारीफ सुने जैसे शरम से लाल हो गयी आदम के मुँह से अपनी तारीफ सुनी)

राजीव : ये एक बार तो अंदर गया लेकिन लगता है फिर जाने का मन बनाया जो इसने फिर ऐसी नीच हरकत की...

आदम ने तुरंत निशा के चाचा चाची और अपने माँ बाप की मज़ूद्गी में सबके सामने निशा को डाइवोर्स देने का एलन किया....उसने अपने साथ डाइवोर्स पेपर जो दो दिन पहले से उसने बनवा लिए थे निशा के सामने फैका निशा जैसे कठोर सी बुत बनी खड़ी जैसे आदम की तरफ देख रही थी....

उसके चाचा चाची आदम को कुछ कह ना सके क्यूंकी आदम ने उन दोनो को खामोश कर दिया...उसी बीच राजीव ने संजीब को घँसीटते हुए कॉन्स्टेबल को बुलाया और उसे गिरफ्तार किए थाने ले गया....निशा को उसी वक़्त अंजुम ने घर से निकाल दिया....लाख बहसा बहसी के बावजूद उसके चाचा चाची को उसी वक़्त अपनी बेटी निशा को ले जाना पड़ा....दो परिवार में दरार जैसे पड़ गयी....

निशा को तलाक़ दिए आदम को 3 महीने हो चुके थे....वो कठोर सा हो गया था...प्यार मुहब्बत शादी इन सबसे उसका विश्वास उठ चुका था...वो अब पहले जैसा हो चुका था....निशा के जाने के बाद से ही आदम ऑफीस से घर देर रात को ही आता और अपने कमरे में ही खा पीके सो जाता ना ढंग से अंजुम से बात करता ना पिता से....अंजुम बेटे को समझने की कोशिश कर रही थी पर बेटे के दिल में उसके प्रति वैसा ही गुस्सा उमड़ सा गया था जो गुस्सा उसके अंदर पहले था माँ बाप से जुदा होने के बाद...

अंजुम इसी वजह से बेटे को फिर नॉर्मल करने की कोशिश करने लगी...लेकिन वो हँसी मज़ाक बिल्कुल नही पसंद करता था...माँ उसके लिए चिंता में व्यस्त रहने लगी....पिता जी ने देखा कि घर का माहौल अब शांत है तो वो अपने बड़े भाई के साथ कुछ महीनो के लिए कोलकाता चले गये....पर अंजुम बेटे को छोड़ कर नही गयी...राजीव दा भी आदम को लाख समझाए उसे कहा कि अब भूल जाए सब और जिंदगी को हँसी खुशी जिए अब उसे फिकर नही करनी किसी के लिए....बड़ी मुस्किल से कोर्ट केस हुआ और ठीक तलाक़ के 1 महीने बाद ही निशा को उसके परिवार वाले बढ़ती बदनामी से बचाने के लिए घर बैचकर किसी ग्रामीण क्षेत्र मे उसे अपने साथ लिए चले गये...सुना था कि उसे गर्भ ठहर गया था...लेकिन आदम किसी भी सूरत में उसे स्वीकार नही करना चाह रहा था उसने सॉफ कह दिया था कि वो उसका नही उसके यार से हुआ होगा...उसका परिवार कुछ कर नही पाया और तब तक वो लोग वहाँ से जाने की तय्यारी कर चुके थे....संजीब को उसका बाप बचा ना सका और उसे जैल हो गयी...

एक बार फिर अकेलेपन की तन्हाई में आदम अपनी माँ के साथ बिताए उन हसीन पलों को याद कर रहा था....काश वो दिन वो वक़्त वापिस आ पाते....उस दिन अंजुम को सब्ज़िया लाने के लिए मार्केट जाना पड़ गया....लाज्जो शाम को जाती थी...उसने अंजुम की अनुपस्थिति में आदम के पास आई उसने पाया आदम बियर पी रहा था...
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12-09-2019, 02:47 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
लज्जो : आदम बाबू आप इतना नशा ना कीजिए ऐसे कब तक दुख में डूबे से रहेंगे

आदम : तुम मुझे लगा कि तुम चली गयी

लाज्जो : आपकी अम्मा ने कहा कि जब तक ना लौटू तुम घर पे रहना तो इसलिए मैं यही ठहर गयी और किनके घरो का काम होता है? बस आप ही के घर तो कम बच जाता है (लाज्जो पास ही फर्श पे टांगे चौड़ी किए उसके सामने बैठ गयी)

आदम : पता है लाज्जो मैं तेरा शुक्रियादा कैसे अदा करू? तूने ना ही सिर्फ़ मुझे उस कुतिया से वाक़िफ़ कराया बल्कि मेरी माँ को भी तूने आराम दिया

लज्जो : हाहाहा बाबू जब तक गौना नही होगा हमरा पति हमको लेने आएगा नही तब तक तो हम आपकी और इस घर की सेवा कर ही सकते है ना

आदम : ह्म्म्म्म

लाज्जो ने देखा कि मौका अच्छा है...उस दिन आदम को निशा की रफ और हार्डकोर चुदाई उसने अपनी आँखो से साकी थी...अफ तबसे ही उसके मन में आदम के लिए बुरे ख्यालात आने लगे थे उसका झूलता वो 8 इंच का लंड उसके ज़हन में अब भी जैसे घूम रहा था..एका एक नशे में आदम को देख लाज्जो की नज़र उसके पैंट के उपर थी

लज्जो : काश हम बेकवर्ड के ना होते बाबू तो आपकी जिंदगी भर सेवा करते (जिंदगी भर का मतलब शादी करके पत्नी बनके सेवा करना )

आदम : हाहहा लाज्जो मुझे अब शादी ब्याह में कोई इंटेरेस्ट नही जाने दे वो सब बात आज तू बड़ा मेरे पास बैठी पैसा चाहिए क्या

लाज्जो : हाए राम हम से आप ऐसी उम्मीद करते है क्या हम आपके साथ दो मिनट बैठके बतिया भी नही सकते अगर ऐसा है तो अभी उठके हम जावत है

आदम : अरे नही नही लाज्जो बैठ जाओ प्ल्ज़्ज़ मैं बहुत अकेला हूँ आज तू नही जानती मुझपे क्या गुज़र रही है?

लाज्जो : आप भूल जाओ ना उसे क्यूँ खुद को दर्द पहुचा रहे हो आपकी ज़िंदगी कितनी पड़ी हुई है ऐसे यूँ अपने जवानी को शराब और दुख में खराब ना करो

आदम : मैं उस रांड़ को तो कबका भूल गया हूँ लाज्जो दरअसल माँ से दूरिया जैसे बन गयी है बस उसी के लिए तू तो दिल में सब बात रखी है तुझसे छुपाउंगा नही अपने ज़िंदगी की हर बात तुझसे शेर करूँगा

लज्जो : तो कहिए ना बाबू

आदम : लेकिन क्या तू पक्का वादा करती है कि जो मैं कहूँगा वो किसीसे नही कहेगी

लज्जो : आप कह कर तो देखिए

आदम : तो ठीक है सुन (आदम बताता चला गया उसे अपने पास्ट के बारे में अपने उन व्याबचार रिश्तो के बारे में जब उसे नया नया सेक्स करने का चस्का लगा हुआ था किस तरह उसने अपने ही परिवार में औरतो को पटाना शुरू किया और फिर कैसे चंपा नाम की रंडी के साथ फस गया था...फिर कैसे उससे दिल भी दे बैठा और आज भी उसके मौत के गम में शोक में डूबा रहता है....फिर उसने बताया वो बात जिसे सुन लज्जो हैरत में हो उठी)
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12-09-2019, 02:47 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
लज्जो : क्या ? अंजुम काकी के साथ आपका संबंध

आदम : हां ठीक ही सुना अंजुम मेरी माँ ही नही इस घर में मेरी औरत की तरह मेरे साथ रहती थी हमारे अटूट प्यार की कीमत कोई ना जाने

लाज्जो : ये बात तो मैने सिर्फ़ सुनी थी कि व्याबचारी रिश्ता कुछ ऐसा ही होता है...लेकिन आज जैसे असलियत में एक बेटे और माँ की प्रेम भरी कहानी जैसे सुनी वाक़ई आदम बाबू आपका दिल बहुत बड़ा है दुनिया चाहे ये बात सुनके हँसी मज़ाक उड़ाए या फिर घिन करे...लेकिन सच में किस्मतवालो का होता है ऐसा संबंध

आदम : अब तू बता क्या तू ये सब बात कभी किसी के आगे?

लज्जो : अगर कहूँ तो आपका जूता मेरा सर हम कभी आपको अपना मुँह ना दिखाए भला जिस थाली में खाए उसी में छेद करे..अगर आपकी परवाह ना होती तो हम काहे को आपकी और परिवार की मदद करते...

आदम खामोश हो गया तो लाज्जो शर्मा उठी जैसे मन ही मन सोच रही हो कि अब तो कह डाल.....दुखी का आलम है आदम बाबू ऐसे में शोक में डूबे हुए है अगर उन्हें खुश किया तो अपने दिल की बढ़ास पूरी हो जाएँगी जो 2000 की तनख़्वाह मिलती है वो 2000 से ज़्यादा देंगे साथ में अपने मन की हसरत भी

लाज्जो वैसे ही आदम के सामने साड़ी नही पहनी थी ज़्यादातर ब्लाउस और पेटिकोट में होती कभी कभी पसीने से इतना तरबतर हो जाती थी की उसके निपल्स सॉफ झलकते थे ब्लाउस से...तो कभी ब्लाउस से तो उच्काये चुचियो को जैसे प्रस्तुत उसके सामने झुक झुक के दिखाने की कोशिश करती थी ताकि वो बढ़के और उसने एक आध बार अपने नितंबो के बीच फसे पेटिकोट को घुरते आदम को देखा भी था तो कभी अपनी छातियो को भी घुरते पर उस वक़्त तो निशा थी अब तो वो अकेले थे....और ऐसे में उनके मुँह से कामुक भरी व्याबचारी रिश्तो की दास्तान सुन उसकी टाँगों के बीच का हिस्सा वैसे ही गरमा गया था...

लाज्जो उठ खड़ी हुई एका एक आदम के पास आई उसके कंधे को सहलाई और जैसे झुकी तो ब्लाउस के एक बटन टूटा होने से चुचियाँ सॉफ आदम के चेहरे के करीब...आदम उन्हें देखते हुए मुँह फैरने लगा पर धीरे धीरे पजामे से ही उसका लॉडा अकड़ गया....लाज्जो की निगाह तंबू बने पाजामे पे हुई तो एका एक वो और भी ज़्यादा झुक गयी आदम के पास....आदम को उसके बदन की पसीने की महेक लगने लगी नाक में...तो उसने उसके चेहरे को घूरा एक तक लाज्जो भी उसे ही घूर्र रही थी

लाज्जो : एक बात कहे बाबू (वैसे ही झुकी अवस्था में)

आदम : बोल

लज्जो : हम एक बात सदियो से हम में जैसे दबाए हुए है माँ ने हमसे ये बात छुपाई थी पर बाबूजी से अक्सर लड़ाई के बीच मालूम चलता था हमे जब छोटे थे

आदम : क्या ? (उसके बदन की महेक और उसके आँखो में झाँकते हुए)

लाज्जो : हम आपके भाई बिशल की सौतेली बहन है

आदम : क्या ?

लाज्जो : ह्म सुनके चौंक उठे ना ये हमारे तरफ से भी आपको एक वादा है कि आप ना कहे

आदम : पर कैसे?

लाज्जो : हाहाहा हमारी माँ ताड़ी पिलाती थी आपके मौसा जी को (रूपाली भाभी के ससुर यानी आदम के मौसा जी ) वो गुंडे मवाली है ना तो आया करते थे ठेले पे माँ ही अक्सर उनको ताड़ी पिलाती थी उस पल माँ हमारी उनके करीब आ गयी और फिर! देखिए ये सब बात बताईएएगा नही वरना बवाल हो जाएगा

आदम : लगता है तू भी हालत की मारी है नही बताउन्गा तूने भी तो मेरा राज़ अभी कुछ देर पहले सुना तो इसका मतलब मेरे मौसा जी ने तेरी माँ के साथ
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12-09-2019, 02:47 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
एका एक लाज्जो शरमाई "पिता जी के ज़िंदा रहने के बाद तक भी माँ आपके मौसा जी से ठेले में ताड़ी पिलाने के बाद उन्हें मुक़रार जगह पे ले जाया करती थी वहीं वो दोनो रासलीला रचाते थे ..........मैं एका एक हंस पड़ा..तो लाज्जो शरमाई.

लाज्जो : किसी को मालूम नही बाबू खासकरके आपके भाई तक को नही मत बताइयेगा हम जानत है सब....उसके बाद तो साल हो गये हमरे बापू को बच्चा नही हुआ और हमे ही उन्होने पाला पोसा और शादी तय करवा दिया मरर्ने से पहले

आदम : ह्म जाने दे इस्पे तेरा क्या कसूर? तभी तू राज़ी हुई मेरे यहाँ काम करने के लिए

लज्जो : हमारा दिल सॉफ है बाबूजी हम काहे को ऐसा मतलबपरस्ती सोच रखेंगे कि वो हमरा दुश्मन वो हमारा सगा वो सौतेला....खून का रिश्ता तो आपसे भी हुआ ना

आदम : मतलब तू मेरी बहन हुई इस हिसाब से तुझे राखी बाँध देता हूँ हाहहा

लज्जो : बाबू ये क्या बोल रहे है? आप हमरे भैया बन जाना चावत है

आदम : हाहहा तेरा ये शरमाना मुझे अच्छा लगता है माँ अभी इतने जल्दी घर नही आएगी तू एक काम कर

लज्जो : कहिए ना क्या काम करना है?

आदम : देख मैं किसी पे ज़ोर ज़बरदस्ती नही करता तू अब पर्सनल है और अब तो तू मेरी बहन भी हुई तो चल एक काम कर कल तू ताड़ी लेके आना और मुझे पिलाना और फिलहाल यहाँ कुछ देर ठहर मैं तुझे घर तक छोड़ दूँगा रात हो जाएगी

लज्जो : लेकिन माँ अगर पूछी तो आपकी माँ? और हमरी तो नाराज़ होगी कि हम देर क्यूँ किए?

आदम : मैं हूँ ना वैसे भी वो हमारे परिवार से अंजान नही मैं कह दूँगा कोई बहाना...

आदम जानता था घर पे माँ नही थी और ये अच्छा मौका था लाज्जो को देखके उसके अंदर भी जैसे हवस जाग उठ रही थी....उसने पहले लाज्जो से पहेल करना चाहा था...पर लाज्जो खुद ब खुद उसकी तरफ खीची चली आई...आदम ने तुरंत उसके हाथ को अपने पाजामे के उपर रखा..तो लाज्जो शरमाई उसने कस कर आदम के पाजामे के उपर से लिंग को सहलाया वो काफ़ी मोटा और लंबा था और काफ़ी सख़्त भी

उसकी मोटाई और लंबाई से ही वो थूक घोंट रही थी...आदम ने एका एक लाज्जो के गालों का एक चुम्मा लिया....और उसे नज़ाकत भरी नज़रों से घूरा.....लाज्जो शरमाने लगी....अंजुम काकी की गैरमज़ूद्गी उसे भी भा रही थी....

लाज्जो : मांफ कीजिएगा आशु बाबू अगर आपकी माँ आ गयी तो

आदम : अरे लाज्जो माँ को आने में टाइम तो लगेगा ना तब तक हम थोड़ा देर एक दूसरे के साथ टाइम स्पेंड कर सकते है ना अकेले में...यही तो तू चाहती थी (लाज्जो के जैसे गाल शरम से लाल हो गये )

लज्जो : ज.जीई ये हमने कब चाहा था?

आदम : अपने दिल पे हाथ रखके कह कि तूने नही चाहा था

लाज्जो ने कोई जवाब नही दिया शरम से उसके गाल एकदम टमाटर की तरह लाल हो गये....आदम खड़ा हुआ और उसके हाथ को अपने हाथो में लिए उसे एक बार चुम...फिर उसने लाज्जो की साड़ी को टाँगों से उपर उठाना चाहा...तो लाज्जो डर डर के खुले दरवाजे की तरफ देख रही थी..
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12-09-2019, 02:47 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
लज्जो : बाबू रुकिये तो ज़रा दरवाजा खुला है कहीं आपकी काकी हमे यूँ रंगे हाथो देख ना ले

आदम : ओह्ह अच्छा जा गेट लगा दे मैं तेरा कमरे में इन्तिजार कर रहा हूँ

इतना कहते हुए आदम अपने कमरे में घुस गया....लाज्जो झटपट दरवाजा लगाए...कमरे में प्रवेश करती है तो देखती है आदम खुले बदन है और उसका पाजामा में उसका लिंग एकदम तोप की तरह सख्ती से उभार बनाए खड़ा है...ऐसा लग रहा है जैसे पाजामे में कोई बहुत बड़ी चीज़ छुपी हुई हो

लाज्जो के तो हाथ पाँव काँपने लगे...लेकिन कामवासना की आग उसे धीरे धीरे आदम के पास जाने को मज़बूर कर रही थी....लाज्जो आगे बढ़ी और उसने पाजामे को उसी पल नीचे खिसका दिया....उफ्फ आदम का मोटा लंबा लिंग उसके सामने झूलने लगा...जिसपे हाथो की पकड़ बिठाए लाज्जो ने धीरे धीरे उसे आगे पीछे चमड़ी को किए सहलाया...

आदम : आहह लज्जो ससस्स तेरे हाथो ने तो कमाल कर दिया (आहें भरते हुए)

लज्जो : बाबू जी ए तो बहुत विशाल है इतना मोटा और लंबा निशा को तो काफ़ी दर्द होता होगा

आदम : हाहाहा छोड़ उस रंडी की बात ये लंड तो तेरी काकी जी की भी चूत में दाखिल हो चुका और सोच उन्हें कितना मज़ा मिला होगा?

लाज्जो : बाबू जी हमने सुना है कि ऐसे बड़े मोटे लंड तो हबशियो के होते है और अंग्रेज़ो के फिर आपका इतना विशाल कैसे हुआ?

आदम : हाहहा बताया ना वैद्य जी वाली बात तू मुझे थोड़ा टाइम दे मैं तेरे लिए उनके वहाँ से ऐसा दवाई लाउन्गा कि जिससे तेरी ये चुचियाँ और भी सुडोल और मोटे मोटे तरबूज़ो की तरह हो जाएँगी
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12-09-2019, 02:47 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
लाज्जो : बाबू जी हमने सुना है कि ऐसे बड़े मोटे लंड तो हबशियो के होते है और अंग्रेज़ो के फिर आपका इतना विशाल कैसे हुआ?

आदम : हाहहा बताया ना वैद्य जी वाली बात तू मुझे थोड़ा टाइम दे मैं तेरे लिए उनके वहाँ से ऐसा दवाई लाउन्गा कि जिससे तेरी ये चुचियाँ और भी सुडोल और मोटे मोटे तरबूज़ो की तरह हो जाएँगी

लाजो ने शर्मा गई लेकिन वो खड़ी खड़ी आदम के लंड को हाथो में लिए मुठिया भी रही थी.....आदम ने झुकके थोड़ा उसके गले और गाल को चूमा तो जैसे लाजो काँप उठी.....आदम मुस्कुराया उसने धीरे धीरे साड़ी को उपर करना शुरू किया और फिर एकदम उपर किए उसने डोरी खोलनी चाही

लाजो : बाबू अभी हम फ्री ना है काकी आ जाएगी

आदम : क्यूँ? तू नही चाहती कि मैं ये सब तेरे साथ करूँ क्या तुझे अपने पति के लिए कुँवारापन बचाना है

लाजो : हाहाहा हमरा पति तो ऐसे ही कितनो बार आए हमारे साथ चुदाई की कोशिश भी कर चुका है शादी जो हो गयी हमसे एक बार इसी बहाने उसने हमे खेतो में ले जाके हमारी इन छातियो को खूब भीचा था हाथो से....लेकिन सच कहे बाबू जी आपके जितना बड़ा उनका नही है झूठ ना बोलेंगे

आदम : हाहाहा अरे तो क्या हुआ? ये भी तेरा ही है चल अब नीचे झुक जा

लाजो संकोच करने लगी उसे मालूम था कि आदम उसे क्या करने को कह रहा है?.....उसने तुरंत लाजो की साड़ी पेटिकोट सहित जब उपर किया तो फिर उसके चुतड़ों के बीच नाक रगड़ते हुए उन दोनो नितंबो को हाथो में लिए खूब मसला वो इतना भारी भरकम विशाल थे कि
दोनो हाथो में सामना मुश्किल ही था...

आदम ने लाजो के दोनो चुतड़ों को भीचते दबाते हुए उसने लाजो को पहले शरमो लिहाज से खोलने के लिए उल्टा कर दिया...लाजो खुद पे खुद टाँगों को फैलाए झुक गयी...उसने आदम के आदेश अनुसार अपने नितंबो को भी फैला लिया जिससे उसका छेद सॉफ आदम के सामने
प्रस्तुत था...इर्द गिर्द पसीने छूटने से उसमें गंध आ रही थी...

आदम ने उसके छेद के मुआने पे अपनी जीब लगाई और नितंबो के बीच मुँह घुसाए उस छेद पे ज़ुबान चलाई..."सस्स ईई आहह ससस्स श बाबूजी"....सिसक उठी लाजो...अपने नितंबो को हाथो से लगभग चीरते हुए वो जैसे आदम के मुँह को अपने नितंबो के बीच दबाने की भी चाह
कर रही थी...

आदम ने छेद को चाटते हुए गीला कर दिया थूक से फिर एक उंगली जैसे अंदर सर्कायि...तो लाजो सिसक उठी उईईईईई...आदम को उसकी गान्ड की सख्ती का अहसास हुआ...उसने फिर लाजो को अपने सामने सीधा घुमाया लेकिन गान्ड के अंदर उंगली करता रहा....जिससे लाजो ने
आहिस्ते आहिस्ते से अपने चुतड़ों पर से सख्ती को ढीला छोड़ दिया....जिससे उंगली आसानी से गान्ड के अंदर बाहर होने लगी...लाजो इससे
आँखे मुन्दे आदम के बालों पे हाथ फेर रही थी...

आदम ने जब दो उंगली एक साथ डालनी चाही तो वो मुस्किल से अंदर घुस पाई पर इससे लाजो को मीठा मीठा दर्द होने लगा...."आहह आहिस्ते बाबूजी दर्द होता है"......."अरे पगली इसी में तो मज़ा है थोड़ा खुल जाएगी तो आसानी से अंदर ले पाएगी ये तो जायेज़ा कर रहा हूँ तेरे सख़्त छेदवा का".........आदम ने बिहारी टोन में कहा
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12-09-2019, 02:47 PM,
RE: Maa Sex Kahani माँ को पाने की हसरत
लाजो शरमाई...वो खड़ी अपनी गान्ड की दरारो में आदम को उंगली करने से ना रोक सकी...आदम ने नितंबो से उंगली खीच के निकाली और उसे सूँघा....वाहह जब उसने फिर छेद की तरफ देखा तो छेद सिकुड रहा था...उसने फिर नितंबो पे एक आध थप्पड़ बरसाए और फिर उन्हें
भीचा फिर छेद में उंगली पे लगाए थूक से सीधा प्रवेश किया...

तो लाजो की गान्ड की दरारो के भीतर उंगली आसानी से घुस गयी...इससे लाजो ने गान्ड को सख़्त किया और एक ज़ोरदार पाद मारा...प्र्र्रर.....आदम हंस पड़ा लाजो भी खिलखिलाए हंस पड़ी....तो आदम ने उंगली निकाली फिर उठके उसे अपने सीने से लगाया.....लाजो आदम के बाज़ुओ को सहला रही थी...

आदम के होंठ लाजो के होंठ से टकराए और दोनो एकदुसरे को देसी स्मूच करने लगे....ज़ुबान मुँह में डाले थूक घोंटते हुए एकदुसरे के होंठो को बेदर्दी से चूस्ते हुए दोनो एकदुसरे को पागलो की तरह किस करने लगे...लाजो को इतना करारा आदम ने स्मूच किया कि वो बदहवास हो गयी उसके मुँह से दबी सिसकिया निकल रही थी......जब आदम ने उसे किस करना छोड़ दूर किया तो लाजो को अपने होंठो में जलन सी हो रही थी...वो अपने गीले होंठ को पोंछते हुए आदम को नज़ाकत से देखने लगी..

आदम अपना हाथ में मोटा लंड लिए चमड़ी को आगे पीछे मसल रहा था....लाजो झट से झुक गयी फिर उसने अपना मुँह खोला "हाए दय्या ये
तो काफ़ी मोटा है"....मन ही मन आँखे बड़ी बड़ी किए लाजो ने लिंग को एक बार अच्छे से घुरते हुए सोचा

आदम अपना लिंग जैसे ही उसके मुँह के पास लाया....लाजो ने घप्प से उसे मुँह में लेके चुस्सना शुरू कर दिया...उसे बड़े चाव से मुँह के अंदर बाहर किए चुसते हुए उसे बड़े आहिस्ते आहिस्ते चुस्सती जा रही थी उसका सुपाडा इतना मोटा था कि उसके इर्द गिर्द ज़ुबान फेरते हुए
उसने उसे जड़ तक चूसने की कोशिश की हलक तक जाते ही जैसे लाजो की आँखे बड़ी बड़ी हो गयी...

अओउू अओउुुुउउ अओउुुउउ...लाजो के सर को कस कर थामे हुए हलाक तक अपना लंड घुसाए...आदम वैसे ही उसे थामें रहा...जब कुछ सेकेंड बाद उसने अपना लंड मुँह से बाहर खीचा तो लाजो की जान में जान आई लंड थूक से साना हुआ था...."फिर लो".....आदम ने इतना कहा और लाजो के मुँह में अपना लंड डाला...लाजो फिर उसे चुसते हुए हलाक तक लेने की कोशिश करने लगी....तो इस बीच बालों को समइते आदम ने जैसे एक करारा धक्का मुँह के भीतर पेला लाजो के आँखो से आँसू आ गये फिर भी उसके मुँह को दबाए आदम रहा.

जब उसने मुँह से लंड बाहर खीचा तो लंड थूक से पूरा गीला हो चुका था....लाजो ने फिर उसे हाथो में लिए आगे पीछे मसला फिर उसे मुँह में
\ लेके चूसा...."अओउ ओउ एम्म्म एम्म"......काफ़ी देर की चुसाइ के बाद आदम ने उसे रोका...

उसने लाजो को उठाया और पलंग पे लेटा दिया.....उसना अपना लिंग उसकी सूजी फूली चूत के मुंहाने पे अभी घिस्सना शुरू ही किया था कि
इतने में दरवाजे पे घंटी बजी..."अरे यार माँ इतने जल्दी इसस्सह".........आदम जैसे खिजला गया..

लाजो ने तुरंत आदम को अपने से दूर धकेला और अपनी पेटिकोट की डोरी झट से बाँधी...फिर साड़ी को अपने बदन पे लपेट लिया....आदम ने तुरंत जैसे तैसे प्यज़ामे को पहना पर उभार के चलते माँ को शक़ ना हो जाए इसलिए उसने काफ़ी अहेतियात से दरवाजा खोला और एक आड़ हो गया....
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