Maa Sex Story आग्याकारी माँ
11-20-2020, 12:51 PM,
#71
RE: Maa Sex Story आग्याकारी माँ
वो फिर से मेरी ब्रा की तरफ बढ़ा तो मैंने कहा- मैंने कहा था ना कि मेरी एक शर्त होगी तो मैं मेरी शर्त कहूँ?
मेरी बात सुन कर कुणाल झुझलाकर बोला- यह शर्तों का वक्त है क्या जानू?
और फिर जब मुझे गुस्सा होते देखा तो बोला- अच्छा बोल ना, क्या शर्त है?
मैंने कहा- मैं चाहती हूँ कि तुम मुझे ऐसे ही बिना मेरे कपड़े उतारे चरमसुख दो!
आपको याद होगा यही चाहत मैंने सतीश के सामने भी रखी थी.
मेरी बात सुन कर कुणाल पूरी तरह से झुंझला गया और बोला- यार, ऐसे कहीं होता है क्या?
मैंने कहा- हाँ होता है, करो!
मेरी बात सुन कर कुणाल ने मुझे बाँहों में भरा और मेरी पैंटी के ऊपर से ही उसके लंड को मेरी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया, उस वक्त तो ऐसा लग रहा था भाड़ में जाए हर शर्त और बस अभी इसका लंड मैं मेरी चूत में ले लूँ लेकिन मैं देखना चाहती थी कुणाल की नजरों मेँ मेरी चाहत की क्या कीमत है, इसलिए चुदवाने की इच्छा को दबा कर भी मैं अपनी शर्त पर अड़ी रही.
कुणाल थोड़ी देर तक इसी तरह मुझ पर ऊपर चड़ कर मेरी चूत को रगड़ता रहा और फिर बोला- बस यार, अब सहन नहीं होता! प्लीज यार, अंदर डालने दे ना! मैं बाद में तेरी इस शर्त को पूरा कर दूँगा!
और जब तक मैं उसे रोकती, वो मेरी ब्रा उतार चुका था और पैंटी की तरफ हाथ बढ़ा रहा था.
मैंने उससे कहा- अच्छा ठीक है, लेकिन मुझे इसे चूसना है!
और इस बात के लिए कुणाल को ना तो करना ही नहीं था, तो वो तुरंत राजी हो गया.
मेरी बात सुन कर कुणाल बिस्तर पर लेट गया और मैं उसका लंड हाथों में लेकर जोर से हिलाने लगी और जोर जोर से उसके लंड को चूसने लगी, वो भी उसके हाथों से मेरे स्तनों को दबाने की कोशिश कर रहा था और कभी उसके हाथों से मेरे बालों को पकड़ कर सहला रहा था और बीच बीच में मेरा सर जोर से उसके लंड पर दबा भी दे रहा था जिससे उसका लंड मेरे गले तक चला जा रहा था.
मैं भी लंड को अच्छे से चूस रही थी तभी कुणाल ने मेरे सर को जोर से दबाना शुरू कर दिया और वो मचलने भी लगा.
मैं समझ गई थी की कुणाल अब चरम पर पहुँचने की कगार पर है, मैंने मेरे मुँह से उसका लंड निकाला और हाथों से लंड को सहलाते हुए उससे कहा- कुणाल, तुम झड़ने वाले हो तो क्या मैं बाकी हाथ से कर दूँ, मैं मुँह में नहीं लेना चाहती.
कुणाल बोला- प्लीज, मुँह में ही ले ना! मैं बस एक मिनट और लूँगा, नहीं तो मैं अंदर डाल देता हूँ.
और यह कहते ही उसने जबरन लंड मेरे मुँह में डाल दिया और कस कर मेरे मुँह को चोदने लगा और मैं भी उतने ही प्यार से उसे चूसने लगी.
मैंने बस कुछ सेकंड ही उसे चूसा होगा और वो झड़ने लगा और उसने मेरे सर को कस कर पकड़ लिया था और उसके वीर्य की पिचकारी मेरे मुँह के अंदर तक जा रही थी और वो झटके मारता हुआ मेरे मुँह में उसका वीर्य उगलता रहा.
जब वो झटके मार कर शांत हो गया तब उसने मेरे सर को छोड़ा.
उस वक्त बड़ा ही अजीब लग रहा था वो, मुझे उबकाई भी आ रही थी तो जैसे ही कुणाल ने मुझे छोड़ा मैंने वहीं पास में वीर्य उगल दिया और अपने कपड़े उठा कर बाथरूम में चली गई. वहाँ जाकर मैंने अच्छे से कुल्ला किया और मुँह धोया, जींस में से मोबाइल निकाल कर सतीश को एस एम एस किया- मैं नीचे आ रही हूँ, कार के पास आ जा!
मैंने कपड़े पहने और बाथरूम से बाहर निकली तो कुणाल बोला- कहाँ जा रही है, अभी मत जा ना!
मैंने कहा- आज के लिए इतना काफी है शोना, बाकी बाद में!
और जब तक कुणाल कुछ कहता, मैं फ्लैट से बाहर आ चुकी थी.
जब मैं नीचे आई तो सतीश कार में ही था, मैंने कार स्टार्ट की और बिल्डिंग के बाहर निकल गई.
उस दिन और भी कुछ हुआ था जो आपको सतीश ही बताएगा,

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11-20-2020, 12:51 PM,
#72
RE: Maa Sex Story आग्याकारी माँ
जैसा आपने पिछले अपडेट में पढ़ा कि मैं कार में था, ईशा ने कार स्टार्ट की और बिल्डिंग से बाहर निकल आई.
मैंने उससे पूछा- इतनी जल्दी आ गई?
तो बोली- बाद में बात करते हैं !
उसके बाद उसने कार को घर की तरफ मोड़ने के बजाय कल्याणी नगर की तरफ मोड़ लिया, मैंने पूछा- हम कहाँ जा रहे हैं?
तो बोली- कभी चुप भी रह लिया कर ! कितना बोलता है.
उसके यह कहने के बाद कुछ बोलने को बचता ही नहीं था. और थोड़ी देर में हम लोग आयशा के फ़्लैट पर पहुँच चुके थे, हम लोग पहले भी वहाँ कई बार मिले थे शराब पीने के लिए, तो जगह मुझे पहले ही पता थी.
ईशा ने गाड़ी पार्क की और मुझसे बोली- चल !
मुझे लगा कि शनिवार का दिन है, इसका पीने का मन होगा और मेरा भी मूड अलग ही था तो मेरा भी मन था पीने का !मेरे घर पे भी कोई नही था माँ और शिप्रा दिदी से मिलने मुंबई गये थे तो मैं अकेला ही था तो
मैंने कहा- चल ठीक है.
जब फ़्लैट पर पहुँचे तो ताला लगा हुआ था, चाभी ईशा के पास थी ही तो उसने ताला खोला, खुद अंदर चली गई और मुझसे बोली- अब अंदर भी आ जा !
मैं जैसे ही अंदर गया, उसने दरवाजा बंद किया और मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया, मैंने भी उसका साथ देते हुए उसे चूमना शुरू कर दिया और उसे अपनी बाँहों में उठा लिया.
उस वक्त तो वो वो फूल जैसी हल्की लग रही थी, आयशा के फ़्लैट में कोई भी फर्नीचर नहीं था पर हाल में ही एक गद्दा पड़ा हुआ था तो मैंने ईशा को उठा कर उस गद्दे पर ही लिटा दिया और खुद उसके ऊपर आकर लेट गया.
उसके गाल को चूमते हुए मैंने कहा- क्या हुआ यार? तू तो कुणाल के साथ थी? वहाँ से आकर सीधे मुझ पर टूट पड़ी? क्या हुआ? कुणाल के साथ कुछ नहीं हुआ क्या?
तो ईशा बोली- जितना कुणाल को मिलना चाहिए था उसे उससे ज्यादा मिल चुका है, और अब मैं तड़प रही हूँ तो प्लीज बोल मत, कुछ कर !
इन शब्दों के कहते हुए उसकी आँखों में एक अजीब सा दर्द दिखा, उसकी बात सुन कर मैंने उसकी जींस उतार दी, जींस के साथ ही उसकी पैंटी भी उतार दी और मैंने खुद की जींस और अंडरवियर भी उतार दी.
अब हम दोनों ही टीशर्ट में थे !
मैंने मेरे हाथों के अंगूठों से ईशा चूत को फैलाया और मेरे लंड को उसकी गीली हो चुकी चूत पर रख दिया. जब मैंने ईशा की चूत पर हाथ लगाया था तभी समझ में आ गया था की ईशा और कुणाल के बीच चाहे कुछ भी हुआ हो पर सम्भोग नहीं हुआ है क्योंकि ईशा की चूत काफी कसी हुई लग रही थी.
मेरा मन ईशा को थोड़ा सा तड़पाने का था उस वक्त तो मैं उसी हालत में ईशा के ऊपर आ गया और उसके गालों को चूमने लगा और उसके बालों से खेलने लगा.
मेरी इस हरकत पर ईशा गुस्सा दिखाते हुए बोली- अब तू भी मेरी फ़िक्र नहीं करेगा क्या, तू भी मुझे तड़पाना चाहता है क्या ? अब कर ना !
उसकी यह बात सुन कर मैं रुक नहीं सकता था तो रुका भी नहीं, मैं जानता था कि एक हफ्ते में वो वापस से इतना टाईट हो चुकी है कि अगर धक्का लगाऊँगा तो कुछ सेकंड तो इसको दर्द उठेगा ही.
तो मैंने एक हाथ उसकी कमर के नीचे रखा और दूसरे हाथ कोई उसके कंधे के नीचे से ले जाकर उसके सर को सहारा देते हुए उसके बाल सहलाने लगा और ईशा के होंठों को अपने होंठों से बंद करके मैंने एक जोरदार धक्का मार दिया.
मेरे इस धक्के से मेरा पूरा लंड ईशा की चूत की दीवारों को रगड़ते हुए अंदर तक चला गया और ईशा के मुँह से एक घुटी हुई चीख निकली अगर मैंने उसके होंठों को मेरे होंठों से बंद ना कर रखा होता तो यह चीख बहुत तेज ही होती.
मेरे धक्के पर ईशा दर्द के कारण पूरी तरह से एक पल के लिए अकड़ गई उसकी आँखें बाहर की तरफ आ गई और आँखों पलकों के किनारे भीग भी गए थे.
उसे सामान्य होने में कुछ सेकंड लगे उसके बाद मुझसे बोली- तू मेरी जान लेना चाहता है क्या? आराम से नहीं कर सकता क्या?
मैंने कहा- तूने ही तो कहा था कि जल्दी कर, तो मैंने जल्दी की, और तू ही बता तुझे इस दर्द में मजा नहीं आया क्या?
ईशा ने कुछ जवाब नहीं दिया और मैंने भी जवाब का इन्तजार किए बिना उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया. जवाब में ईशा ने भी मेरा पूरा साथ दिया और मेरे होंठों को चूमने लगी.
जब हम दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे तो उसी वक्त ईशा का फोन बजा, मैंने फोन उठाने के लिए अलग होने की कोशिश की तो ईशा बोली- रहने दे ! आयशा का फोन होगा, मैं बाद में निपट लूँगी उससे.

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11-20-2020, 12:51 PM,
#73
RE: Maa Sex Story आग्याकारी माँ
“अरे वो मुझ पर गुस्सा करेगी यार !” मैंने कहा.
मेरी बात सुन कर ईशा बोली- नहीं करेगी, इस बार उसके इरादे नेक नहीं हैं !
मैंने पूछा- क्या मतलब?
तो ईशा बोली- कितना बोलता है तू !
और उसने मेरी गर्दन को हाथों से लपेट कर मेरे होंठों को फिर से चूमना शुरू कर दिया.
हम दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे और मैं नीचे से धक्के मार रहा था.
इसी बीच मेरे हाथ उसके स्तनों पर चलना शुरू हो चुके थे लेकिन मुझे कपड़ों के साथ एक अजीब सा व्यवधान लग रहा था तो मैंने खुद को घुटने के बल बैठ कर ईशा को उसी हालत में उठा कर मेरी जांघों पर बैठा लिया, मैंने मेरे एक हाथ से उसकी कमर को पकड़ा और उसने अपनी टांगों से मेरी कमर को लपेट लिया, बोली- मत परेशान कर ना !
मैंने कहा- शोना, टीशर्ट उतारना है, मजा नहीं आ रहा है.
मेरी बात सुन कर उसने मेरी टीशर्ट बनियान के साथ पकड़ी और उतारने लगी. मैंने भी उसकी कमर छोड़ी, उसका साथ देने के लिए मेरे दोनों हाथ ऊपर उठा दिए और ईशा ने एक झटके में मेरी टीशर्ट बनियान समेत उतार कर अलग फैंक दी.
मैं भी कहाँ रुकने वाला था, मैंने भी ईशा की टीशर्ट पकड़ी और एक झटके में उसे उतार दिया. अब ईशा मेरी बाहों में थी सिर्फ एक ब्रा में, मैंने उस ब्रा को भी उतारने में देर नहीं की और उसके बाद ईशा उसी हालत में मेरे लंड पर झूमने लगी.
उसके बाद मैंने उसके बालों में लगा हुआ रबर खोल दिया और उसके लंबे रेशमी बाल उसके झूमने के साथ हवा मे लहरा रहे थे.
फिर मैंने ईशा के स्तन को अपने मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और ईशा ने मेरे सर को उसके सीने पर जोर से दबा लिया, इस बीच वो लगातार झटके मारती जा रही थी. थोड़ी देर बाद मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया और मेरे चेहरे को उसके बालों से पूरी तरह से ढक लिया.
हम दोनों फिर से एक दूसरे के होंठों को चूमने लगे और मेरा कोई एक हाथ ईशा को कमर से सहारा देता था और दूसरा उसके स्तनों से खेलता रहता था.
ईशा को होंठ चूमना बहुत पंसद थे और मुझे भी, तो हम दोनों की हर बार की चुदाई में एक दूसरे के होंठों को चूमना लगातार होता ही रहता था.
इसी हालत में हम थोड़ी देर एक दूसरे के साथ आनन्द लेते रहे, फिर ईशा बोली- सतीश, मेरा होने वाला है, मुझे नीचे लेटा कर धक्के मार !
मैंने कहा- जो हुकुम मेरे आका !
मैंने ईशा को बिस्तर पर लेटा दिया और लेटते ही ईशा ने दोनों टांगें हवा में उठा ली और मेरे कंधों पर हाथ रख लिया. मैंने उसे तेज तेज धक्के मारना शुरू कर दिया. मैंने कुछ ही धक्के मारे होंगे कि ईशा झड़ना शुरू हो गई और कुछ सेकंड तक मेरे कंधे कस के पकड़ कर झड़ती रही और उस चरमसुख का मजा लेती रही.
उसके झड़ने पर उसके चेहरे पर जो सुकून था, जो संतुष्टि थी वो शब्दों में ब्यान करना नामुमकिन है दोस्तो !
मैं भी उसके झड़ने का मजा लेता रहा और अंदर तक लंड डाल कर बिना हिले उसके ऊपर ही पड़ा रहा और उसे देखता रहा.
कुछ सेकंड या शायद एक मिनट के बाद ईशा थोड़ी सी होश में आई तो बोली- अब ऐसे ही देखते रहेगा या कुछ करेगा भी? आज पहली बार की तरह तुझे बाथरूम जाने के लिए सोचने की जरूरत नहीं पड़ेगी रे !
उसकी बात सुन कर मैंने उसके माथे पर एक बार चूमा और उसे धक्के मारने शुरू कर दिए. वो मेरा साथ तो पूरा दे रही थी लेकिन उसे तकलीफ हो रही थी. यह उसके चेहरे से पता चल रहा था, मैं रुकना चाहता था पर मैं रुकने की हालत में नहीं था क्योंकि मेरा भी बस होने ही वाला था, मैंने ईशा से कहा- मैं भी होने वाला हूँ.
तो बोली- अंदर मत करना, बाहर निकाल ले प्लीज !
और मैंने उसी वक्त लंड बाहर निकाल कर हाथ में पकड़ लिया यह सोच कर कि अब बाकी मूठ मार कर कर लूँगा लेकिन ईशा ने कुछ और ही सोचा हुआ था, लंड निकालते ही उसने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रोक दिया और मुझे नीचे लेटा दिया, पास में से मेरी बनियान उठा कर मेरा लंड पौंछ कर उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगी.
चूंकि मैं झड़ने वाला था तो मैंने ईशा से कहा- शोना, मेरा होने वाला है, तेरे मुँह में ही छूट जाऊँगा.
तो ईशा लंड पर से मुँह हटा कर बोली- तो छूट जा ना ! मैंने तुझे रोका है क्या?

और फिर से उसने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया. ईशा ने कुछ सेकंड ही चूसा होगा कि मैं भी झड़ना शुरू हो गया और दस बारह झटके मार कर मेरा सारा वीर्य मैंने ईशा के मुँह में गिरा दिया.
और जब तक मैं झटके मारता रहा तब तक ईशा मेरे लंड को चूसती रही और थोड़ा बहुत वीर्य उसके होंठों से बाहर भी बह कर आ गया था.
जब मैं पूरी तरह से झड़ गया तब ईशा ने मेरे लंड पर से मुँह हटाया और जो भी उसके मुँह में था वो सब मेरी बनियान पर ही थूक दिया.
मैं कुछ कहता उसके पहले ही ईशा का फोन जो पहले ही तीन बार बज कर बंद हो चुका था एक बार और बज गया.
इस बार ईशा ने फोन उठाया और सीधे बोली- तुझे सब पता है तो इन्तजार नहीं कर सकती क्या? नीचे जा कर कॉफी पी लेती, पैसे में दे देती.
मैं समझ गया कि दूसरी तरफ़ आयशा ही थी.

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11-20-2020, 12:51 PM,
#74
RE: Maa Sex Story आग्याकारी माँ
ईशा की सहेली-आयशा

जैसा कि आपनेईशा और कुणाल के बादमें पढ़ा कि आयशा और ईशा की फोन पर बात हुई.
मैं कुछ कहता उसके पहले ही ईशा का फोन जो पहले ही तीन बार बज कर बंद हो चुका था एक बार और बज गया.
इस बार ईशा ने फोन उठाया और सीधे बोली- तुझे सब पता है तो इन्तजार नहीं कर सकती क्या? नीचे जा कर कॉफी पी लेती, पैसे में दे देती.
मैं समझ गया कि दूसरी तरफ़ आयशा ही थी.
उधर से आयशा ने कुछ कहा और ईशा बोली- ठीक है, देख ले कॉरिडोर में कोई है तो नहीं, मैं दरवाजा खोल रही हूँ, बिना सवाल करे अंदर आ जाना.
मैं अभी भी पूरी तरह से प्राकृतिक अवस्था में ही था और ईशा भी, मैंने ईशा से कहा- ‘क्या पागलपंथी कर रही है, कपड़े तो पहन लेने दे!
तो ईशा ने कहा- कपड़े उठा और अन्दर जाकर पहन ले, मैं दरवाजा खोल रही हूँ, नहीं तो यह जान खा जायेगी.
उसकी बात सुन कर मैं समझ गया था कि ईशा दरवाजा खोलने जा रही है तो मैंने कपड़े उठाये और अंदर जाकर कपड़े पहनने लगा.
बाहर ईशा ने दरवाजा खोला और तुरंत बंद कर दिया. यह बात मुझे दरवाजे के खुलने और बंद होने की आवाज से समझ आ गई.
मैं अंदर के कमरे में था तो अंदर से ही कपड़े पहन कर पेशाब करने चला गया जब तक मैं वापस आया तो ईशा भी कपड़े पहन ही चुकी थी. ईशा की वैसी हालत देख कर आयशा सब समझ ही गई थी और उसे मेरे बारे में सब ईशा ने बता ही दिया था तो मैं थोड़ा झेप रहा था पर आयशा बिल्कुल भी नहीं शरमा रही थी, ना ही ईशा.
मैंने ईशा से कहा- चलें?तो ईशा बोली- तू रुक! आयशा बियर लेकर आई है, तो मैं घर होकर आती हूँ, बाकी लोग भी यही आयेंगे.
मैंने कहा- मैं भी चलता हूँ यार! क्या करूँगा यहाँ रुक कर, तेरे साथ ही वापस आ जाऊँगा.
मेरी बात सुन कर आयशा बोली- हाँ, मैं मानती हूँ कि खूबसूरती में मैं ईशा के आसपास भी नहीं हूँ लेकिन इसका यह मतलब नहीं यार कि मैं इतनी बुरी कम्पनी हूँ कि दो घंटे मेरे साथ नहीं बिता सकता?
यह सुनने के बाद मैं फिर से जाने के लिए तो कह ही नहीं सकता था तो मैंने सिर्फ यही कहा- नहीं यार, ऐसा नहीं है.
‘तो फिर कैसा है?’ आयशा बोली.
‘तू भी काफी आकर्षक है यार!’ मैंने जवाब दिया.
ईशा बीच में शरारती अंदाज में बोली- तुम दोनों लव-बर्ड्स साथ में चोंच लड़ाओ! मैं चली घर, कुछ काम है घर पर!
और आयशा को आँख मारते हुए वो बाहर निकल गई.
उसके जाने के बाद आयशा बोली- आप कुछ कह रहे थे जनाब?मैंने कहा- किस बारे में?आयशा बोली- मेरे आकर्षक होने के बारे में!मैंने कहा- हाँ, तू सच में बहुत आकर्षक है यार!
और हम दोनों ही गद्दे पर बैठ गए.
वो बोली- मैं तो समझती थी कि मैं तुझे अच्छी नहीं लगती और मेरे काले होने के कारण तू मुझे भाव नहीं देता!
मैंने कहा- अरे नहीं रे! ऐसा कुछ नहीं है, और तू बस थोड़ी सी सांवली है, काली थोड़े ही है! पर तू बहुत आकर्षक लगती है.
आयशा ने सवाल किया- अच्छा ऐसा क्या है मुझमें जो आकर्षक है, बता जरा?
मैंने कहा- क्या नहीं है यार आकर्षक तुझमें? तू ऊपर से ले कर नीचे तो तो सेक्सी ही है.
वो मेरे बहुत पास खिसक गई और मेरे चेहरे के पास अपना चेहरा लाकर बोली- तुझे मैं सेक्सी लगती हूँ तो तूने कभी मुझे घास क्यों नहीं डाली?
मैंने कहा- पता नहीं, शायद कभी कोई ऐसा मौका ही नहीं आया!
तो वो तपाक से बोली- तो आज तो है ना!
मैंने कहा- तू पीकर तो नहीं आई है ना बाहर से ही?
तो आयशा बोली- तेरा यह जवाब इसीलिए है ना क्यूँकि मैं खूबसूरत नहीं हूँ!
आयशा को दूसरों की नजरों से खूबसूरत कहूँ या नहीं, वो नहीं पता! पर वो आकर्षक बहुत थी, बड़े ही सलीके से तीन स्टेप में कटे हुए बाल, चेहरे पर कोई मुंहासा या दाग नहीं, बदन से हमेशा ही अच्छे परफ्यूम की महक आती रहती थी, दांत मोतियों जैसे सजे हुए, आँखें बड़ी बड़ी, चेहरा लंबा, गाल भरे हुए, आवाज भी बहुत मीठी, शरीर का अनुपात ऐसा था कि सीने के ही उभार किसी को भी आकर्षित कर लें! और नितम्ब भी उतने ही उन्नत और उसके कपड़े पहनने का ढंग कुछ ऐसा था कि वो उसे और आकर्षित बना देता था.
कुल मिला कर भगवान ने उसे लगभग सम्पूर्ण बना रखा था पर इस सम्पूर्णता में एक कमी भगवान ने यह दे दी थी कि वो बहुत काली थी, सांवली नहीं सच में काली.
मैंने कहा- नहीं रे! ऐसा नहीं है, तू बहुत सुन्दर है लेकिन तू ईशा की बेस्ट फ्रेंड है यार! और फिर बाद में दिक्कत होगी क्यूँकि हम दोनों का कुछ नहीं हो सकता.
वो बोली- कोई दिक्कत नहीं होगी यार, इट्स नो स्ट्रिंग्स अटैच्ड रिलेशन (इस रिश्ते में किसी बंधन की बात नहीं है).
मैंने कहा- पक्का?
तो बोली- हाँ, और तू भी जानता है कि मैं कोई पहली बार नहीं करने जा रही हूँ!
‘वो तो ठीक है लेकिन आज अचानक क्या हो गया यार? जो देखा उसके कारण तो नहीं?’ मैंने पूछा.
तो वो बोली- नहीं रे, आज का तो मैंने ईशा से कहा था कि आज तुझे यहाँ छोड़ कर घर चली जायेगी और मैं निपट लूंगी! लेकिन वो नालायक खुद ही तुझ पर चढ़ गई!
उस वक्त आयशा के बोलने में एक झुंझलाहट थी जिसे देख कर बड़ा मजा आया था. .
‘और जो बाकी लोग आने वाले हैं?’ मैंने कहा तो जवाब मिला- कोई नहीं आ रहा!’
आज फिर से मुझे मामू बनाया गया था!
मैंने फिर पूछा- तो अचानक इस सबकी वजह क्या है? यह सब तो पहले भी हो सकता था?
तो वो बोली- एक तो तू मेरी बेस्ट फ्रेंड का बेस्ट फ्रेंड इसलिए मैंने कभी नहीं सोचा और दूसरा ईशा को जिस तरह से तूने प्यार किया वो सुन कर मैं खुद को रोक नहीं पाई.
और यह बोलते हुए वो अपने दोनों पैर मेरे पैरों के दोनों किनारे रख कर मुझ पर बैठ गई और मेरे होठों को चूमना शुरू कर दिया. मैं भी उसके रेशमी बालों को सहलाते हुए उसे चूमने लगा और हम दोनों की प्रेमक्रीड़ा शुरू हो गई.
आगे क्या हुआ वो जानने के लिए अगले भाग का इन्तजार कीजिए.

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11-20-2020, 12:51 PM,
#75
RE: Maa Sex Story आग्याकारी माँ
और यह बोलते हुए वो अपने दोनों पैर मेरे पैरों के दोनों किनारे रख कर मुझ पर बैठ गई और मेरे होठों को चूमना शुरू कर दिया. मैं भी उसके रेशमी बालों को सहलाते हुए उसे चूमने लगा और हम दोनों की प्रेमक्रीड़ा शुरू हो गई.
मैंने उसके कपड़े उतारने की कोशिश की तो बोली- यहाँ नहीं, कमरे में चलते हैं.
मुझे क्या आपत्ति हो सकती थी, हम दोनों उठे और कमरे में आ गए.
मैं कमरे में पहले आ गया और पलंग पर बैठ गया. आयशा ने आते हुए ही अपनी टीशर्ट उतार दी थी, जब वो कमरे में आई तो जींस और सफ़ेद ब्रा में थी.
उस वक्त वो ऐसे लग रही थी मानो काले संगमरमर से खजुराहो की मूर्ति तराश दी गई हो.
मैंने उसे देखा और उसे बाहों में पकड़ने के लिए आगे बढ़ा तो उसने मुझे रोक दिया और जींस भी उतार दी, अब वो मेरे सामने सफ़ेद ब्रा और पैंटी में खड़ी काले संगेमरमर से बनी हुई सजीव मूर्ति की तरह लग रही थी.
मैं कुछ कहता, उससे पहले ही वो मेरे पास आई और पलंग के नीचे बैठ गई, उसने बड़े प्यार से मेरी जींस का बटन खोला, ज़िप खोली और मेरी जींस उतारने लगी.
मैंने भी उसका साथ दिया और अपनी तशरीफ़ उठा कर जींस निकालने की जगह दे दी.
उसने मेरी जींस निकाल दी और फिर मेरे अंडरवियर को भी उसी तरह से उतार दिया.
उसके बाद मेरे साढ़े पाँच इंच के लंड को उसने हाथ में पकड़ा और मेरी मुठ मारने लगी, मैं भी उसके इस काम के मजे लेने लगा और उसके थोड़ी देर बाद आयशा ने मेरे लंड को अपने मुँह में लिया और चूसने लगी.
वो मेरे लंड को करीब दस मिनट तक ऐसे ही चूसती रही और मैं उसके बाल सहलाता रहा. इस बीच मैंने मेरी टीशर्ट भी उतार दी थी और आयशा की ब्रा के हुक भी खोल दिए, करीब दस मिनट के बाद आयशा लंड को छोड़ कर बोली- क्या तेरा होगा नहीं क्या? इतनी देर में तो लड़के ऐसे चूसने पर खत्म हो जाते हैं?
मैंने कहा- यार, अभी अभी तो हुआ है, इतनी देर में कैसे सब खत्म हो जायेगा, मेरा पहली बार में इतनी जल्दी नहीं होता, यह तो तू दूसरी बार कर कर रही है, अभी तो लगी रह आधे घंटे, तब जा कर कुछ होगा.
वो बोली- ऐसे चैलेंज दे रहा है मुझे?
मैंने कहा- चाहे जो समझ ले यार! लेकिन अभी हाल तो हुआ है इतनी जल्दी कैसे हो जायेगा?
वो बोली- ऐसा है तो देख कैसे होता है!
और यह कह कर उसने मेरे लंड के सुपारे की चमड़ी को पूरा पलट दिया और सुपारे पर अपनी जीभ चलाने लगी, मुझे बड़ा मजा आने लगा, मैं जन्नत की सैर कर रहा था तब.
एक तरफ वो मेरे सुपारे को कभी उसकी जीभ से चाट रही थी तो कभी होंठों से सुपारे को चूसे जा रही थी और हाथ से भी मुठ मारे जा रही थी.
मैं उसके बाल सहला रहा था.
उसने यह दो तीन मिनट ही किया होगा कि मुझे लगने लगा कि मैं छूट जाऊँगा. मेरी इस तड़प को आयशा भी महसूस कर रही थी, उसने मुँह से लंड बाहर निकाला और बोली- क्यों जनाब? आधे घंटे के चैलेंज का क्या हुआ?
मैं अपनी हेकड़ी कहाँ छोड़ने वाला था, मैंने कहा- अभी तो शुरूआत है, आधे घंटे में तो बहुत वक्त बाकी है अभी!
मेरी बात सुन कर आयशा ने और जोर जोर से मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया और मुठ भी मारने लगी..
मैं झड़ने की कगार पर ही था मैंने उसके सर को दबा कर मेरा पूरा लंड उसके मुँह में घुसा दिया और उसने भी ना नहीं की और उसी अवस्था में मेरे लंड को चूसने लगी. उसने थोड़ी ही देर किया होगा कि मैंने उसके मुँह में वीर्य छोड़ना शुरू कर दिया. आयशा ने भी उस सारे वीर्य को बिना बर्बाद किए पूरा गटक लिया.
जब वो पूरी तरह से मुझे चूस चुकी तो बोली- क्या हुआ जनाब? आपका आधा घंटा पूरा होने में तो आधा वक्त ही लगा?
मैंने कहा- हाँ वो तो है! तू सच में बहुत अच्छा चूसती है यार! मैं रुक ही नहीं पाया!
वो बोली- ठीक है, तू थोड़ा रुक जा, मैं कुल्ला करके आती हूँ! फिर अब मेरी बारी है देखें तू क्या करता है?
आयशा कुल्ला करने चली गई और मैं वहीं बिस्तर पर लेट गया.
जब वो वापस आई तो मैं बिस्तर पर लेटा हुआ था, मेरी आँख लग गई थी. वो आकर मेरे बगल में लेट गई और बड़े प्यार से मेरे लंड को सहलाने लगी, उस वक्त मेरा लंड पूरी तरह से मुरझाया हुआ था लेकिन जैसे ही आयशा का हाथ लगा वो वापस अपने आकार में आने लगा और थोड़ी देर में मेरी थकान भी खत्म हो गई.
जब मेरी थकान खत्म हो गई तो मैंने ध्यान दिया कि आयशा ने अपनी पैंटी भी उतार दी थी.
मैंने आयशा को बड़े प्यार से बाँहों में लिया और मैं उसके ऊपर आकर उसे चूमने लगा, आयशा भी मेरा साथ देने लगी, फिर मुझ से बोली- सतीश मुझे नीचे चूमो ना!
मन तो मेरा भी था ही! मैंने उसके होठों को एक बार चूमा और बिना किसी देर के मैं नीचे उसकी चूत पर पहुँच कर उसकी गीली चूत को चाटने-चूमने लगा, साथ ही साथ उसके दोनों स्तन भी दबाता जा रहा था.
मैंने थोड़ी देर ही उसकी चूत का रस पिया होगा कि वो तड़प कर बोलने लगी- सतीश अब मत रुक! प्लीज अब अंदर डाल दे ना! बहुत मन कर रहा है.

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11-20-2020, 12:51 PM,
#76
RE: Maa Sex Story आग्याकारी माँ
मैंने कहा- ठीक है!
मैंने अपनी जींस से बटुआ निकाला, उसमें से कंडोम लिया और उसे चढ़ा कर एक ही झटके में मेरा पूरा लंड आयशा की चूत में डाल दिया, हालांकि वो पहले ही कई बार सब कर चुकी थी पर फिर भी उस झटके से उसके मुँह से भी एक आह निकल ही गई थी.
मुझ से बोली- धीरे प्लीज!मैंने कहा- ओ के सॉरी!और उसे धीरे-धीरे चोदना शुरू कर दिया.
उसके बाद मैंने आयशा को जोर धक्के लगाना शुरू किए, साथ ही साथ मैं उसके स्तनों को चूसता भी जा रहा था, मसलता भी जा रहा था.
मेरे हर धक्के के साथ आयशा के मुँह से एक आह निकल रही थी और चरम सीमा के पास पहुँच रही थी.
मैंने थोड़ी देर ही धक्के लगाए होंगे कि आयशा एक हल्की चीख के साथ झड़ने लगी और उसने मुझे कस कर पकड़ लिया. मैं भी उसके झड़ने के बाद थोड़ी देर के लिए रुक गया, उसने मुझे अपने ऊपर ही लिटा कर रखा.
थोड़ी देर बाद आयशा बोली- तू थक गया क्या?
उसकी बात सुन कर मैंने फिर से धक्के लगाने शुरू कर दिये, शुरुआत में तो उसे तकलीफ हुई पर थोड़ी देर बाद फिर उसे मजा आने लगा. उसके बाद मैंने आयशा को सामने से लेकर अपनी जांघों पर बैठाया, उसने मेरी कमर को लपेटा और हम दोनों ने एक दूसरे को धक्के मारना शुरु कर दिए और मैंने उसके दूध पीने शुरू कर दिए.
मैंने जैसे ही दूध पीने शुरू किए, आयशा फिर से झड़ने लगी. यह बात मुझे अजीब लगी लेकिन मैंने उसे तब झड़ने दिया और वो मुझसे चिपक कर झड़ती रही.
जब वो झड़ गई तो मैंने पूछा- तू इतनी जल्दी कैसे झड़ जाती है यार?
तो बोली- मैं जल्दी झड़ जाती हूँ! लेकिन आज कुछ ज्यादा ही जल्दी हो रही हूँ, पर जल्दी तैयार भी हो जाती हूँ!
और वो बस दो तीन मिनट में फिर से तैयार भी हो गई.
इस बार मैंने उसे बिस्तर पर एक करवट लिटा कर चोदना शुरू किया, इस मुद्रा में मेरा लंड आयशा के बहुत अंदर तक जा रहा था और हर बार अंदर जाने पर आयशा ऐसे चीख रही थी मानो उसे बहुत दर्द हो रहा हो जबकि मैं जानता था वो इस सबका मजा ले रही है.
थोड़ी देर इस मुद्रा में चोदा, फिर वो बोली- मुझे ऊपर आना है!
मैं लेट गया, अब वो मेरे ऊपर चढ़ कर धक्के मार रही थी और मैं उसके बड़े बड़े प्यारे से स्तनों को दबा रहा था.
यह कार्यक्रम भी कुछ ही मिनट चला था कि उसने मेरे होठों को अपने होठों में लिया और वो एक बार फ़िर परमानन्द की तरफ़ बढ़ने लगी और अब मेरा भी मन अब चरमसुख प्राप्ति को कर रहा था.
जब आयशा पूरी तरह से झड़ गई तो मैंने आयशा को नीचे किया और थोड़ी देर तक उसके पास ही लेटा रहा और धीरे धीरे उसे चोदता रहा.
जब मुझे लगा कि आयशा की हालत अब चुदने लायक हो गई है तो मैंने भी तेज धक्के लगाने शुरू किए और इस बार भी आयशा मेरा पूरा साथ दे रही थी, उसके हाथ कभी मेरे बालों में चल रहे थे, कभी मेरी पीठ पर जो मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था.
साथ ही साथ आयशा के मुँह से आह उह… उफ़ सी सी की आवाजें निकलती ही जा रही थी और मैं इन आवाजों से और उत्साहित होकर उसे चोदे जा रहा था.
अचानक मुझे लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ, मैंने आयशा को बाहों में लपेट कर धक्के और तेज कर दिए. तभी आयशा का बदन भी अकड़ने लगा और इस बार हम दोनों ही लगभग चीखते हुए एक साथ झड़ गए.
इसके बाद हम सो गए, रात में उठे तो मैंने उसे दोबारा चोदा और उसकी गाण्ड भी मारी.
गाण्ड मारने के लिए मुझे कोई खास प्रयत्न नहीं करना पड़ा.
मैंने एक बार कहा और वो अश्व-मुद्रा में मेरे सामने आ गई.
तो उस कहानी को लिखने का कोई मतलब नहीं है.

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11-20-2020, 12:52 PM,
#77
RE: Maa Sex Story आग्याकारी माँ
ईशा की चाची ईशा की मुँह बोली चाची, जिन्हें हम आंटी कहते थे, और मेरे बीच की है. यह घटना भी आयशा और मेरी कहानी के तुरंत बाद की ही है. यह कहानी भी मैंने ईशा वाली श्रृंखला में जोड़ कर ही लिखी है क्योंकि इस कहानी की शुरुआत भी ईशा के कारण ही हुई थी.
मैं आप को यह अनुभव सुनाने जा रहा हूँ जो मेरे जीवन के अब तक के सबसे हाहाकारी और प्रलयंकारी अनुभवों में से एक है.
अब मैं कहानी पर आता हूँ.
एक दिन मैं कॉलेज में था कि मेरे पास रमेश अंकल(ईशा की आंटी के पति) का फोन आया, वो मुझसे बोले- तू है कहाँ यार? इतने दिन से दिखा नहीं, यह बता कि घर कब आने वाला है?
मेरे पास उस समय बहुत होमवर्क था तो मैंने कहा- अभी तो जान निकली पड़ी है अंकल, आज और कल तो बिल्कुल फुर्सत नहीं है, पर आप कहिये ना, क्या हुआ?
तो वो बोले- यार, मेरा लैपटॉप काम नहीं कर रहा है, आकर उसे देख ले, और इतने दिन हो गए हमने साथ में खाना नहीं खाया तो डिनर भी साथ में करेंगे.
मैंने कहा- ठीक है अंकल ! मैं शनिवार को आ जाऊँगा, साथ खायेंगे,
वो बोले- बहुत अच्छे !
और हमारी बात खत्म हो गई.
रमेश अंकल जिंदादिल इंसान हैं, हमेशा उनके चेहरे पर एक मुस्कुराहट होती ही है, दुःख करना तो जैसे उनको आता ही नहीं था. उनके साथ रहो तो लगता है कि जिंदगी सच में पूरी तरह से जीने के लिए होती है और नंदिनी आंटी भी बिल्कुल वैसे ही खुशमिजाज और आज में जीने वाली महिला हैं.
शनीवार को मैं अंकल के घर जाने की तैयारी में था, तभी अंकल का फोन आया, बोले- सॉरी यार, आज मिलना नहीं हो सकता, मैं अभी नई दिल्ही के लिए निकल रहा हूँ, फिलहाल मुम्बई हवाई अड्डे पर हूँ.
मैंने पूछा- हुआ क्या है?
तो बोले- स्क्रैप के माल में एक लाट जले हुए लोहे का आ गया है, उसके चक्कर में जाना है, नहीं गया तो काफी नुकसान हो जायेगा.
अंकल का भंगार आयात करने का काम है.
मैंने कहा- ठीक है अंकल, आप जाओ, वो जरूरी है, कोई कागजात रह गए हों तो मुझे बता दीजियेगा, मैं आप को मेल कर दूँगा.
अंकल बोले- वो तो ठीक है लेकिन तू घर चले जाना यार ! नंदिनी तुम दोनों को बहुत मिस करती है, तुम दोनों चले जाते हो तो उसे भी अच्छा लगता है.
मैंने कहा- आप बेकिफ्र जाओ, अंकल मैं और ईशा दोनों चले जायेंगे.
उनसे बात करने के बाद मैंने ईशा को फोन किया और कहा- आज रमेश अंकल के यहाँ चलना है नंदिनी आंटी से मिलने ! अंकल घर पर नहीं हैं.
तो वो बोली- आना तुझे है गधे ! मैं तो यही पर हूँ.
मैंने कहा- ठीक है, मैं भी आता हूँ !
और मैं काम खत्म करके उनके यहाँ जाने के लिए निकल गया. रास्ते में मैंने एक पीला गुलाब भी खरीद लिया था जो आंटी को बहुत पसंद है.
जब मैं उनके घर पहुँचा तो करीब आठ बज चुके थे, मैंने वहाँ जाकर आंटी को हमेशा की तरह “हे गोर्जियस ए रोज फॉर यू !(आप के लिए गुलाब) कहते हुए उनको पीला गुलाब दिया और उन्होंने हमेशा की तरह खुशी खुशी लिया.
फिर आंटी ने मुझ से कहा- तुम बैठो, मैं खाना लगाती हूँ, तीनों साथ में खा लेंगे !
तो ईशा बीच में ही बोल पड़ी- अभी बैठो नहीं ! यह पहले तो जाकर नहायेगा और शेव भी करेगा, कैसा जानवर बना पड़ा है.
और सच भी यही था कि मैं पिछले 6 दिनों से कॉलेज के प्रोजेक्ट की वजहसे, ना ठीक से सोया था ना ही मैंने शेव की थी और ना ही खाना ठीक से खाया था, नहाने की बात तो दूर की है.
मैंने कहा- ठीक है मेरी माँ, पहले नहा ही लेता हूँ मैं.
और मैं नहाने के लिए बाथरूम में जाने लगा तो ईशा ने मुझे लोवर और टीशर्ट दिए और बोली- नहाने के बाद यही पहन लेना, हल्का लगेगा !
और साथ में शेविंग किट भी दे दी. मैं अंकल के यहाँ कई बार रुका था तो वहाँ पर नहाना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं थी और मैं नंदिनी आंटी और अंकल दोनों से ही खुला हुआ था तो यह मेरे लिए सामान्य ही था.
जब मैं नहा कर आया तो बड़ा अच्छा महसूस हो रहा था और खाने की मेज देखी तो मन और खुश हो गया क्योंकि आंटी ने मेरे पसंद का ही खाना बनाया हुआ था.
खाना खाते हुए एक बार आंटी ने मुझ से ईशा और मेरे रिश्ते के बारे में पूछ लिया कि हम दोनो के रिश्ते में कोई और बात भी है क्या अब?
तब तो मेरे गले में निवाला अटक ही गया था, सच मैं बोल नहीं सकता था और झूठ बोलना मुझे पसंद नहीं था तो मैंने बात को अनसुना ही कर दिया और आंटी ने भी दोबारा सवाल नहीं किया.
उसके बाद हम तीनों ही पीने के लिए बैठ गए. ईशा और मैं तो पीते ही थे और आंटी भी हमारे साथ कभी कभी पी लेती थी. उस वक्त आंटी ने बताया कि उन्हें मेरे और ईशा के बारे में सब पता है, ईशा ने ही उन्हें बताया था.
मेरे पास बोलने को कुछ था नहीं तो मैं चुप ही रहा.
बियर पीने के बाद एक तो मुझे थकान थी, दूसरा नींद पूरी नहीं हुई, खाना ज्यादा खा लिया ऊपर से थोड़ी ज्यादा भी बियर पी ली तो मेरी हालत खराब हो चुकी थी, मैंने ईशा से कहा- मुझे मेरे कमरे में छोड़ दे यार ! मैं घर जाऊँगा नहीं और बाइक चलाने जैसे हालात मेरी है नहीं !वैसे भी माँ और शिप्रा दोनो दिदी से मिलने मुम्बई गये थे डैड बिजनेस ट्रिप पर थे घर मे कोई नही था.
तो आंटी बोली- आज तू यही सो जा ! सुबह चले जाना, ईशा को भी घर जाना है उसके.
मैंने कहा- ठीक है !
और उसके बाद मुझे कब नींद लगी, कब सुबह हुई, पता भी नहीं चला. रात में अगर मैं उठा भी तो सिर्फ लघु शंका के लिए और फिर सो गया.
सुबह सुबह सात बजे के आस पास उठ कर सारी (लघु तथा दीर्घ) शंकाओं का समाधान करा और फिर से सो गया.
फिर मेरी नींद करीब 11 बजे खुली लेकिन जब मैंने उठने की कोशिश की तो उठ नहीं पाया.
वजह थी मेरे हाथ रस्सी से बंधे हुए थे, पलंग के दोनो किनारों की तरफ और मेरे पैरों का भी वही हाल था.
मुझे लगा कि यह ईशा की ही शरारत है, वो घर पर भी ऐसे ही परेशान करती रहती थी मुझे हर बार नई शरारतों से तो मैंने ईशा को आवाज देना शुरू कर दिया.
मेरी आवाज सुन कर ईशा तो नहीं आई पर आंटी आ गई.
मैंने उनसे कहा- “कहाँ है वो गधी, आज उसे नहीं छोडूंगा.
तो आंटी बोली- वो अभी तक आई नहीं है.
मुझे कुछ समझ नहीं आया पर मैंने आंटी से कहा- अच्छा ठीक है पर मुझे खोलिए तो !
तो आंटी बोली “अगर खोलना ही होता तो इतनी प्यार से बांधती क्यों तुमको?
आंटी की बात सुन कर मेरा माथा घूम गया कि चक्कर क्या है.
मैंने आंटी से कहा- क्या कह रही हो आंटी?
तो बोली- सच कह रही हूँ, मैंने ही बांधा है और खोलने के लिए नहीं बाँधा.

“पर क्यों?” मैंने सवाल किया.

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11-20-2020, 12:53 PM,
#78
RE: Maa Sex Story आग्याकारी माँ
मुझे कुछ समझ नहीं आया पर मैंने आंटी से कहा- अच्छा ठीक है पर मुझे खोलिए तो !
तो आंटी बोली “अगर खोलना ही होता तो इतनी प्यार से बांधती क्यों तुमको?
आंटी की बात सुन कर मेरा माथा घूम गया कि चक्कर क्या है.
मैंने आंटी से कहा- क्या कह रही हो आंटी?
तो बोली- सच कह रही हूँ, मैंने ही बांधा है और खोलने के लिए नहीं बाँधा.
“पर क्यों?” मैंने सवाल किया.
“तेरा देह शोषण करने के लिए !” आंटी ने जवाब दिया.
मैंने कहा- ऐसे मजाक अच्छे नहीं होते आंटी, खोलो मुझे जल्दी से !
तो मेरी बात सुन कर आंटी वहाँ से उठ कर चली गई जब वो वापस आई तो उनके हाथों एक बड़ा सा पानी का जग था.
मैंने कहा- अब मुझे बिस्तर पर ही नहलाने वाली हो क्या?
तो बोली- नहीं ब्रश करवाने वाली हूँ !
और वो वापस चली गई.
फिर वो वापस आई तो उनके एक हाथ में टूथपेस्ट लगा हुआ ब्रश था और दूसरे हाथ में एक बड़ा सा प्लास्टिक का टब था.
आने के बाद उन्होंने मेरे पैरों के तरफ की रस्सी को थोड़ा ढीला करके मुझे बैठाया और कहा- मुँह खोलो !
और मेरा चेहरा एक हाथ से पकड़ कर मुझे अपने हाथ से ब्रश करवाने लगी, ब्रश करवाने के बाद टब में कुल्ला करवाया और सामान ले कर चली गई.
वापस आई तो हाथ में ट्रे में ब्रेड थी और साथ चाय भी !
अपने ही हाथों से मुझे उन्होंने मक्खन लगी ब्रेड खिलाई और चाय भी पिलाई पर मेरे लाख मिन्नत करने के बाद भी मेरा हाथ नहीं खोला.
मैंने कहा- मुझे बाथरूम जाना है !
तो बोली- थोड़ी देर रोक कर रख लो, कुछ नहीं होगा थोड़ी देर में खोल दूँगी.
मैंने कहा- अगर थोड़ी देर में छोड़ने वाली ही हो तो फिर बाँध कर क्यों रखा है तुमने?
आंटी ने कोई जवाब नहीं दिया और मुझे नाश्ता करा कर सामान लिया और वापस चली गई.
वो थोड़ी देर बाद जब वापस आईं तो उनका पूरा रंग ढंग बदला हुआ था.
इस बार उन्होंने एक बढ़िया सी नाइटी पहन रखी थी जो काफी मादक लग रही थी, परफ्यूम की महक दूर से ही मुझे महसूस हो रही थी, मैं समझ चुका था कि जो आंटी ने कहा है वो मजाक में नहीं कहा उन्होंने, वो सच में इस बात के लिए मूड बना कर बैठी हुई थी कि आज मेरे साथ कुछ न कुछ करना ही है.
मैं इस सब को अभी तक भी स्वीकार नहीं कर पा रहा था क्योंकि चाहे मैं कितना भी बड़ा कमीना रहा हूँ पर आंटी को मैंने कभी इस नजर से देखा नहीं था.
आंटी जब कमर मटकाती हुई मेरे पास आई तो मैंने कहा- प्लीज आंटी, खोल दो और मुझे जाने दो ! अंकल मुझ पर बहुत भरोसा करते हैं, मैं उनके भरोसे को नहीं तोड़ सकता.
तो आंटी बोली- पर भरोसा तुम नहीं, मैं तोड़ रही हूँ ना !
और मुझे खोलने के बजाय मेरे पैरों को उन्होंने वापस से खींच कर कस दिया.
मैं तब चुप हो गया और आंटी पलंग पर चढ़ गईं. मैं छूटने की पूरी कोशिश कर रहा था और हर बार असफल हो रहा था.
“आंटी प्लीज मान जाओ और छोड़ दो मुझे !” मैंने फिर से प्रार्थना की तो आंटी मेरे ऊपर आकर मेरी कमर के थोड़ा नीचे दोनों तरफ पैर रख कर बैठ गई, अपने ऊपर के शरीर का वजन उनके दोनों हाथों पर रखा और मेरे चेहरे के पास अपना चेहरा लाकर मुझ से बोली- बोलो, क्या बोल रहे हो?
अगर उनकी जगह कोई और होती तो मैं तो कभी का खुशी खुशी राजी हो जाता पर बात यहाँ आंटी की थी और मुझे आंटी से ज्यादा अंकल के विश्वास की चिंता थी जो मेरे लिए अंकल कम और दोस्त ज्यादा हैं, और दोस्ती में धोखेबाजी की आदत मुझे कभी भी नहीं रही.
लेकिन उस वक्त तक मेरी हालत खराब हो चुकी थी, एक मन कर रहा था कि कर लूं, क्या फर्क पड़ता है, और दूसरा मन अंकल की वजह से इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं था कि मैं आंटी के साथ शारीरिक संबंध बनाऊँ.
और मेरी इस सोच से परे आंटी अभी भी मुझ पर ही छाई हुई थी, आंटी की गर्म सांसों को मैं तब मेरे चेहरे पर महसूस कर सकता था और उनका रेशमी नाइटी में लिपटा हुआ बदन मेरे शरीर को जगह जगह से छू रहा था.

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11-20-2020, 12:53 PM,
#79
RE: Maa Sex Story आग्याकारी माँ
फिर आंटी ने अपना पूरा वजन मुझ पर छोड़ दिया और एक हाथ से मेरे सर को नीचे से पकड़ा दूसरा हाथ मेरे चेहरे पर रखा और मेरे होंठों पर उन्होंने अपने होंठ रख दिए, होंठ क्या थे अंगारे थे मानो ! और उन्होंने धीरे धीरे मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया, उनके होंठ चूमने का अंदाज बिल्कुल ही निराला था.
एक हाथ उन्होंने मेरे गाल पर रखा था और दूसरे हाथ से सर को सहारा दे रखा था और साथ ही इस तरह से पकड़ रखा था कि मैं चाह कर भी मेरे चेहरे को इधर उधर ना कर सकूं.
आंटी मेरे होंठों को पूरा अपने मुंह में लेती और फिर धीरे धीरे होंठ चूसते हुए बहार निकाल लेती, इसी तरह से वो काफी देर तक मुझे चूसती रही, और अपने शरीर का पूरा वजह मेरे शरीर पर डाल कर अपने स्तनों को मेरे सीने पर और चूत को मेरे सख्त हो चुके लंड पर रगड़ती रही.
मैं चाहे लाख ना कर रहा हूँ पर एक 35 साल की औरत जो गजब की सुंदर हो, शरीर सांचे में ढला हुआ, 34 इन्च के स्तन हों, कमर पर कोई चर्बी नहीं, चेहरे पर कोई दाग नहीं, काले खूबसूरत रेशमी बाल हों और कहीं कोई कमी नहीं और वो मेरे सीने पर अपने स्तन रगड़ रही हो, लंड पर चूत रगड़ रही हो और होंठों को होंठों से चूस रही हो तो भला मेरा
लंड खड़ा कैसे नहीं होता.
थोड़ी देर तक वो ऐसे ही होंठ चूसती रही, स्तन और चूत रगड़ती रही, फिर हट कर मेरे लंड पर हाथ लगाया और बोली- देखो, यह भी वही चाहता है जो मैं चाहती हूँ.
मैंने कहा- आंटी, आपके जैसी सुन्दर और सेक्सी औरत अगर इस तरह का काम करेगी तो किसी भी मर्द लंड तो खड़ा होगा ही ना ! पर मैं आपके साथ नहीं करना चाहता, मैं अभी भी आपसे कह रहा हूँ प्लीज मुझे खोल दो और जाने दो.
मेरी बात का उन पर उल्टा ही असर हो गया उन्होंने मेरे लोअर में हाथ डाल कर मेरे लंड को पकड़ लिया और बोली- रमेश से भी बहुत बड़ा और मोटा है
और फिर अपनी नर्म उंगलियों से मेरे लंड को रगड़ने लगी, मैं मचलने लगा और मेरा मन पूरी तरह से बहक चुका था पर मैंने सिर्फ कहा नहीं उन्हें.
उन्होंने कुछ सेकंड मसला होगा और फिर बोली- देख, तू भी यही चाहता है, पर अब मैं तुझ से पूछूंगी भी नहीं, अब सिर्फ मैं करूँगी और तू जब चाहे तब साथ देना शुरू कर देना.
मैंने आंटी को कोई जवाब नहीं दिया और आंटी ने मेरे होंठों को फिर से चूमना शुरू कर दिया और एक हाथ से मेरे लंड को सहलाती रही, इस बार उनके चूमने में मैं भी उनका साथ दे रहा था.
इसके बाद आंटी ने मेरे लोअर को अंडरवियर समेत नीचे कर दिया और फिर मैं कुछ समझता उसके पहले ही खुद की नाइटी ऊपर करके चूत को मेरे लंड पर टिकाया और एक झटके में मेरा पूरा लंड उनकी चूत के अंदर था.
उस झटके में हम दोनों के ही मुंह से एक आह निकल गई थी.
उसके बाद आंटी ने मुझसे कहा- अब भी तेरी ना ही है क्या?
मैंने कहा- नहीं !
मेरी नहीं का मतलब समर्पण ही था पर आंटी ने तब उसे मेरा इनकार समझा था.
उसके बाद आंटी अपने कूल्हों को जोर जोर से उछाल कर लंड अंदर-बाहर करके चुदवाने लगी और उन्होंने अपने होंठों को मेरे होंठों पर जमा दिया था. वो कभी मेरे होंठों को चूम रही थी, कभी मेरे गालों को और कभी मेरी गर्दन को चूम रही थी साथ ही उनके स्तन मेरे सीने से टकरा रहे थे.
मैं आंटी के स्तन दबाना चाहता था, उनके बालों को पकड़ कर उनके होंठों को चूमना चाहता था, उनकी कमर को मेरी बाहों में लपेटना चाहता था पर मैं कुछ भी नहीं कर सकता था क्योंकि मेरे हाथ बंधे हुए थे.
आंटी अपनी चूत को मेरे लंड पर रख कर खुद को चुदवा रही थी और मुझे चूमे जा रही थी कि अचानक आंटी ने मुझे चूमना बंद कर दिया और मेरे सीने पर दोनों हाथ रख कर मेरे लंड पर बैठ गई, उनके शरीर में ऐंठन होने लगी, उनकी आँखे बंद होने लगी और आंटी झड़ने लगी.
आंटी पूरी ताकत से झड़ी और झड़ कर मेरे ऊपर ही लेट गई, मैं तो अभी भी पूरा भरा हुआ था तो आंटी का हल्का फुल्का शरीर मुझे फूल जैसा ही लग रहा था पर मैं अब नीचे से झटके मार रहा था.
थोड़ी देर बाद जब आंटी सामान्य हुई तो मुझसे बोली- क्या हुआ विश्वामित्र जी? आपका तप तो टूट गया?
मैंने कहा- आंटी, तप तो कभी का टूट गया है अब तो बस इच्छा बची है अब तो खोल दो.
तो बोली- जब तप टूट गया था तो फिर नहीं क्यों कहा था.

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11-20-2020, 12:53 PM,
#80
RE: Maa Sex Story आग्याकारी माँ
मैंने कहा- वो नहीं तो समर्पण वाला नहीं था, उस नहीं का मतलब था कि अब मेरी कोई ना नहीं है, पर आप ही नहीं समझी थी. मुझे अब तो खोलो !
तो आंटी बोली- खोल दूँगी पर अभी तो मैंने शुरूआत की है, और वैसे भी तूने तो हाँ कर ही दी है तो अब मुझे मेरे सारे अरमान पूरे तो करने दे.
मैंने कहा- ऐसे क्या अरमान हैं जो मुझे बाँध कर ही पूरे कर सकती हो? और आप का तो हो गया, मुझे भी तो मेरा करने दो अब.
तो बोली- अभी थोड़ा इन्तजार तो कर, हो जायेगा तेरा भी, और जो अरमान हैं वो भी पता ही चल जायेंगे.
वो उठी, और मुझे वैसे ही छोड़ कर चली गई वो करीब दस मिनट बाद वापस आई. इस बार जब वो वापस आई तो एक नए ही गाऊन में थी.
आंटी कमर मटकाते हुए फिर से मेरे पास आई और मेरी टी शर्ट और उतारने की कोशिश करने लगी लेकिन सफल नहीं हो सकी क्योंकि मेरे हाथ जिस तरह से बंधे हुए थे उस हालात में टीशर्ट ऊपर तो हो सकती थी पर उतर नहीं सकती थी.
मैंने कहा- अब क्या करोगी? अब तो खोलना ही पड़ेगा ना !
तो आंटी ने कहा- खोलूंगी तो नहीं तुझे ! और इसका इन्तजाम मेरे पास है.
वो उठ कर पास में रखी अलमारी से कैंची उठा लाई और बिना कुछ कहे मेरी टी शर्ट के चीथड़े कर दिए.
चीथड़े करने के बाद बड़े ही गुरुर से बोली- अब बता? अभी भी खोलना पड़ेगा क्या कपड़े उतारने के लिए?
इतना कहते हुए उन्होंने मेरी उतरी हुई लोअर और अंडरवियर को भी टुकड़े टुकड़े कर के नीचे फैंक दिया.
अब मैं आंटी के सामने पूरी तरह से प्राक्रतिक अवस्था में पड़ा हुआ था, मजबूर बेबस और बंधा हुआ.
आंटी ने मुझे देखा, फिर मुस्कुराने लगी और मुझे उन पर गुस्सा आ रहा था.
मैंने गुस्से में कहा- क्या कर दिया है यह आपने?
और मेरी बात का जवाब देने के बजाय उन्होंने अपना गाऊन उतार दिया. उन्होंने अंदर गुलाबी रंग की ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी जो बहुत ही खूबसूरत और मादक लग रही थी. उनकी इस हरकत से मैं सारा गुस्सा भूल गया और मेरा लंड फिर से सलामी देने लगा जो दस मिनट के आराम से थोड़ा सा ढीला हो गया था.
गाऊन उतारने के बाद मेरी तरफ देख कर वो बोली- तुम कुछ कह रहे थे?
मैंने कहा- हाँ !!! नही !!
और मेरे सारे शब्द मेरे हलक में ही अटक कर रह गए.
फिर वो मेरे पास आ कर बगल में लेट गई, मेरे बाल सहलाने लगी और मेरे होंठ चूमने लगी, इस तरफ वो बाल सहला रही थी और दूसरी तरफ मेरा कड़क होते चला जा रहा था.
फिर उसके बाद आंटी बोली- अब जो तेरे साथ होने वाला है वो तू जिंदगी भर याद रखेगा.
मैंने कहा- देखते हैं, आप क्या करती हो? क्योंकि ऐसा बहुत कुछ है जो मैंने देखा है तो जरूरी नहीं कि इसे जिंदगी भर याद रख ही लूँगा.

कहानी चलती रहेगी.

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