Maa Sex Story आग्याकारी माँ
11-20-2020, 12:50 PM,
#68
RE: Maa Sex Story आग्याकारी माँ
अब वो सिर्फ लाल रंग की पैंटी और ब्रा में थी जिसमें से उसके स्तन बाहर निकलने को बेचैन हो रहे थे.
मैंने ईशा को हल्का सा ऊपर उठाया और पीछे से उसकी ब्रा के हुक को खोलने लगा, और फिर उसकी तरफ देख कर मैंने उससे कहा- अब तो निकाल सकता हूँ ना?

तो उसने सिर्फ हाँ में सर हिला दिया.
उसके बाद मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला और बिना उसकी ब्रा को उसके सीने पर से हटाये मैं उसकी पैंटी उतारने लगा तो वो बोली- रुक ना !
और उसने मेरी टीशर्ट उतार दी और बोली- तू घूम कर अपनी टाँगें मेरे सर की तरफ कर और फिर उतार इसे.
मैं नहीं जानता था कि वो क्या करने वाली है लेकिन जैसा उसने कहा, मैंने वैसा ही किया और जब मैं धीरे धीरे उसकी पैंटी उतार रहा था तो उसी वक्त वो मेरा लोअर और अंडरवियर भी उतार रही थी.
जब मैंने उसकी पैंटी उतारी तो उसी वक्त मैं भी पूरा प्राकृतिक अवस्था में आ चुका था पर मेरा लंड तना हुआ था.
मैं उसकी चूत को चूसना चाहता था और मुझे लगा भी कि वो 69 करना चाहेगी पर वो मुझ से बोली- अब तू जैसा चाहे वैसा कर मैं कुछ नहीं करने वाली अब.
मैंने कहा- ठीक है !
और मैं पलट कर वापस सामान्य स्थिति में आ गया..
अभी भी ईशा की ब्रा उसके उभारों पर ही थी और उसने दोनों हाथों से चूत को ढक रखा था.
मैंने उसके हाथों को हटाने की कोशिश नहीं की पर उसके स्तनों पर पड़ी हुई खुली ब्रा को मैंने उसके कंधों पर से नीचे करना शुरू कर दिया और धीरे धीरे ब्रा को मैं उसकी बाँहों से सरकाता हुआ उसकी चूत पर लेकर आया और उसकी ही ब्रा से उसकी चूत को ढक कर उसे सहलाने लगा जो पहले ही गीली हो चुकी थी और उसके हाथों को मैंने वहाँ से हटा दिया.
उसके बाद मैंने ब्रा को भी हटा कर नीचे फैंक दिया.
क्या गजब की सुन्दर लग रही थी ! ऐसा लगता था जैसे बदन का एक एक हिस्सा सांचे में ढाल कर बनाया हो ! कहीं से भी जरा सा भी ज्यादा नहीं, कम नहीं ! ऐसा लगता था मानो खजुराहो की कोई मूर्ति सजीव रूप ले कर आ गई हो. बदन पर एक भी दाग नहीं ! और पूरी चिकनी चूत सिर्फ थोड़े से बाल चूत के ऊपर थे जो जानबूझ कर छोड़े हुए लग रहे थे.
मैंने उसे देख कर उसकी चूत पर एक चुम्बन दे दिया और फिर मैं उसकी चूत को चाटने लगा तो मचलने लगी और मचलते हुए ही बोली- मुझे इस बार इस तरह से स्खलित नहीं होना पर इस बार तू अंदर डाल कर ही मुझे स्खलित करवाएगा, समझ गया ना?
मैंने उसकी चूत को चूसना बंद कर दिया और उसकी चूत को फैला कर देखा तो उसकी कुँवारी चूत का कुंवारापन दिख रहा था.
वो बोली- क्या कर रहा है?
मैंने कहा- कुछ नहीं ! सिर्फ तेरी चूत का कुंवारापन देख रहा हूँ.
बोली- अब और नहीं सतीश… अब मुझे करना है, जल्दी कर अब !
मैंने कहा- वैसलीन कहाँ है? तू जरूर लाई होगी.
तो उसने मुस्कुराते हुए लेटे लेटे ही तकिये के नीचे से वैसलीन निकाल कर मुझे दे दी…
मैंने थोड़ी सी वैसलीन मेरे लंड पर लगाई, थोड़ी उसकी चूत के किनारों पर और उसकी चूत पर लंड रख दिया…
मैंने उससे कहा- चीखेगी तो नहीं?
बोली- पता नहीं.
तो मैंने लंड को वापस हटा लिया और उसकी चूत पर लंड से चोट मारने लगा…
मेरी इस हरकत से उसे मजा तो बहुत आया पर बोली- अब और मत तड़पा ना ! अंदर डाल दे.
मैंने कहा- ठीक है !
और उसकी चूत को फैला कर लंड टिकाने की जगह बनाई और उसकी टांगें पकड़ कर जैसे ही थोड़ा सा धक्का मारा तो वो दर्द से बिलबिला गई जबकि मेरा लंड तो सिर्फ उसकी कुंवारी चूत से टकराया ही था, अगर मैंने उसकी टांगों को कस कर पकड़ नहीं रखा होता तो मेरा लंड वहाँ से हट ही जाता.
पर चूंकि इस एक धक्के से मेरा लंड पूरी तरह से जगह पर आ चुका था तो यह तय था कि अब सिर्फ एक और तेज धक्का उसकी चूत को फाड़ते हुए अंदर चले जायेगा.
मैंने ईशा से कहा- अब बिल्कुल मत हिलना, बिल्कुल भी नहीं.
उसने इशारे से हाँ की.
उसके बाद मैं ईशा के ऊपर लेट गया और उसके होंठों को अपने होंठों से बंद करके चूसने लगा दिया और ईशा अपने हाथों से मेरे सर को पकड़ कर मेरा साथ दे रही थी, मेरे दोनों हाथों से मैंने उसकी जांघों को पकड़ रखा था.
मैंने ईशा को चूमना छोड़ कर उससे कहा- ईशा, अगले पल में जो होने वाला है उसके बाद कभी भी पहले जैसा नहीं हो पायेगा ! सोच ले?
वो बोली- पहले से सोचा हुआ है, अब तू आगे बढ़ !
उसका इतना कहना था कि मैंने उसके होंठों को फिर से होंठों में भर लिया और एक जोरदार धक्के से मेरा लंड मैंने उसकी चूत में घुसा दिया जो उसकी कौमार्य झिल्ली को फाड़ता हुआ अंदर चला गया.
उस वक्त ईशा दर्द से तड़प उठी थी, अगर मैंने ईशा का मुँह अपने मुँह से बंद ना किया हुआ होता तो वो इतनी जोर से चीखी होती कि आसपास के कमरों वाले तो जरूर सुन लेते.और मेरे होंठों से उसके होंठ बंद होने के बाद भी उसके मुँह से एक घुटी सी चीख निकल ही गई.
मैंने ईशा के होंठों को छोड़ा और देखा तो उसकी आँखों से आंसू निकल रहे थे … पर उसकी आँखों में एक अजीब सी खुशी भी थी.
मैंने कहा- तू रो रही है?
तो बोली- नहीं रे ! दर्द के कारण आंसू आ गए थे !
हालांकि उसे दर्द तब भी हो रहा था जो उसके चेहरे से मुझे पता चल रहा था.
मैंने कहा- थोड़ी देर रुकते हैं !
तो बोली- नहीं, मुझे बाहर निकाल कर दिखा !
मैं पीछे खींच कर लंड बाहर निकालने लगा तो बोली- रुक जरा..
और उसने अपनी कमर और कूल्हों के नीचे तौलिया खिसका दिया ताकि चादर पर खून न लगे.
जब मैंने लंड निकाला तो वो पूरी तरह खून से सना हुआ था जैसे कोई चाकू किसी के पेट में घुसने के बाद खून से सना हो.
उसने मेरे लंड को बड़े प्यार से देखा और फिर तकिये के नीचे से एक छोटा से टावेल निकाल कर उसे साफ कर दिया और बोली- मेरी चूत भी साफ़ कर दे ना.
मैंने उसकी चूत के आसपास जो खून लगा था और जो बह कर आ रहा था वो साफ़ करा किया और थोड़ी देर तक उसकी चूत पर ही तौलिया रख कर खून साफ करता रहा.
तब तक उसका दर्द कम हो चुका था शायद तो बोली- चल अब करते हैं.
मैंने कहा- फिर से दर्द होगा !
तो बोली- सहन कर लूँगी.
मैंने कहा- इस बार होंठ नहीं बंद करूँगा और चीखना मत !
तो बोली- हाँ ! नहीं चीखूँगी.
मैंने नीचे से तौलिया हटा दिया और फिर से उसकी चूत पर लंड रखा, टांगे पकड़ी और एक धक्का मारा, मेरा साढ़े पाँच इंच तक लंड उसकी चूत को चीरता हुआ आधा अंदर चला गया, इस बार ईशा चीखी नहीं लेकिन दर्द इस बार भी उसे बहुत हुआ था.
वो बोली- रुक जा जरा !
मैंने कहा- एक धक्का और ! फिर पूरा अंदर हो जायेगा, बाबू, फिर रुक जाऊँगा.
और यह कहते हुए मैंने एक धक्का और मार कर पूरा 9 इंच लंड उसकी चूत में अंदर तक घुसा दिया.
इस बार उसके मुँह से दर्द से एक चीख निकल ही गई थी, मैंने उसकी टांगो को छोड़ कर दोनों हाथों को उसके दोनों स्तनों पर रख कर उसके स्तन दबाने लगा और होंठों से उसके होंठों को चूसने लगा. मैं थोड़ी देर तक यही करता रहा और उसे भी आराम मिलने लगा था और ईशा ने भी मेरे कंधो और बालों पर अपने हाथ चलाना शुरू कर दिए थे.
जब मुझे लगा कि ईशा का दर्द कम हो गया है तो मैंने नीचे से धक्का मारा और ईशा ने भी एक मस्ती भरी सिसकारी ली तो मुझे यकीन हो गया कि अब उसे कोई दर्द नहीं है.
मैंने ईशा के होंठों को चूमना बंद किया तो वो बोली- अब मेरी अगली चाहत बताने का वक्त है.
मैंने पूछा- वो क्या?
तो उसने पास में से दूसरी चादर उठाई और बोली- अब हम इसे ओढ़ कर करेंगे बाकी का काम.
वो चाहत तो मेरी भी थी तो ईशा ने उस चादर को मुझे औढ़ा दिया और अब चादर के बाहर सिर्फ हम दोनों के सर दिख रहे थे.
ईशा ने मेरी कमर को अपनी टांगों में लपेट लिया और मैंने उसकी पीठ को एक हाथ में लपेटा हुआ था और दूसरे हाथ से मैं उसके जूड़ा बने बालों को सहला रहा था. ईशा ने अपने दोनों हाथों से मुझे जकड़ रखा था, मैं नीचे से धक्के मार रहा था.
और उस हालत में वो चिकनी चादर और मजा बढ़ा रही थी. हर धक्के पर उसके मुँह से एक आह निकल रही थी.
हम दोनों ने इसी तरह से चार पांच मिनट किया होगा कि वो झड़ने लगी, उसका बदन झटके मारने लगा और मैं उसके हर झटके पर उसे धक्के मार रहा था. मेरा हर धक्का उसे चरमसुख के और पास ले जा रहा था.
जब वो पूरी तरह से झड़ गई तो पहले जैसी ही निढाल सी हो गई, मैं अभी भी बाकी था पर इस बार मेरा मन रुकने का नहीं था..
मैंने कहा- ईशा साथ दे पायेगी मेरा?
तो बोली- बस दो मिनट दे दे…
मैंने कुछ नहीं कहा पर उसके एक स्तन को मुँह में लेकर पीने लगा और दूसरे स्तन को हाथ से दबाने लगा.
मैंने थोड़ी ही देर यह किया होगा कि वो फिर से जोश में आ गई और उसने मुझे फिर से पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया और मैंने भी धक्के मारना शुरू कर दिया.
मैं अब पूरी ताकत से धक्के मार रहा था और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. इस बीच कभी मैं उसके दूध पीने लगता था, कभी हाथों से दबाता था और कभी उसके होंठों को चूसने लगता था.
हम दोनों थोड़ी देर तक इसी तरह से एक दूसरे से प्यार करते रहे और फिर जब मुझे लगा कि मैं छुटने वाला हूँ तो मैंने ईशा से कहा- मैं छूटने वाला हूँ, मुझे निकालना पड़ेगा, मैंने कंडोम नहीं लगाया है.
वो बोली- मैं भी आने वाली हूँ और तू अंदर ही आ जा, चिंता की बात नहीं है.
उसकी बात सुन कर मैंने उसे और तेज धक्के लगाना शुरू कर दिए और उसका बदन भी अकड़ना शुरू हो गया. तभी मैं सारा वीर्य उसकी चूत में फव्वारे की तरह छोड़ने लगा और वो मेरे साथ ही झड़ने लगी. हम दोनों एक दूसरे को कस कर पकड़ कर एक साथ झड़ने का आनन्द लेते रहे.

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