08-19-2018, 03:09 PM,
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RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
“निशा मॅटर्निटी क्लिनिक.....ह्म्म्मI अब तो अंदर जाना ही पड़ेगा....एक बार आचार्य के आ जाने के बाद मुझे यह मौका दोबारा नही मिलेगा....क्या पता ऐसी ख़तरनाक जगह से मैं वापस जिंदा लौट पाउ भी या नही...” एक गहरी साँस लेकर करण क्लिनिक के अंदर घुस गया.
करण ने आज एक ब्लॅक बिज़्नेस फॉर्मल सूट पहना था जिसमे सफेद शर्ट पर ब्लॅक टाइ उसपर बहुत जच रही थी, क्यूकी उसे पता था जिससे वो मिलने जा रहा है उसे करण पे फॉर्मल सूट्स बहुत पसंद थे.
करण किसी फिल्म के हीरो की तरह स्मार्ट और हॅंडसम था. जब वो रिसेप्षन तक पहुचा तो वहाँ पे बैठी रिसेप्षनिस्ट एक स्मार्ट और हॅंडसम आदमी को आँख फाडे देखती रह गयी.
करण के लिए यह सब आम बात थी. वह जहाँ जाता वही पर लड़किया उसपर फिदा हो जाती, पर वो सिर्फ़ एक लड़की पर फिदा था जिस से वो बहुत ज़्यादा प्यार करता था. उसने आँख फाड़ती रिसेप्षनिस्ट को देखा और मुस्कुरा कर बोला, “हेलो.....मुझे डॉक्टर. निशा से मिलना है...!!!”
“सर बिना अपायंटमेंट के आप निशा मेडम से नही मिल सकते.”
“जी मेरा उनसे मिलना ज़रूरी है...”
“सर आप अपना नाम बताइए मैं निशा मेडम से बात कर के देखती हू...”
“करण ऱाठोड...”
“ओके सर...जस्ट आ मिनिट.” और फिर रिसेप्षनिस्ट निशा के कॅबिन का फोन डाइयल करने लगी. करण यह सब देख कर मुस्कुरा रहा था.
“हेलो मेडम...यहाँ पर कोई करण सर आपसे मिलना आए है...अगर आप कहे तो मैं उन्हे आपके कॅबिन मे भेज दूं..”
फोन पर से कुछ आवाज़ आई जिसे सुनकर रिसेप्षनिस्ट करण से बोली, “आइ आम सॉरी सर निशा मेडम कह रही है कि वो किसी करण रठोड को नही जानती है..”
करण यह सुनकर चौंक गया, “लगता है अभी तक नाराज़ है मुझसे...” उसने मन मे सोचा.
“आप एक काम करिए मेरी उनसे फोन पर बात करा दीजिए...”
“आइ आम सॉरी सर, निशा मेडम के क्लियर इन्स्ट्रक्षन्स है कि कोई भी उनसे बात नही करेगा...अगर आपको बात ही करना है तो मैण आपको परसो का अपायंटमेंट दे सकती हू..”
“परसो तक का तो टाइम नही है मेरे पास...” करण फुसफुसाया.
“सर आपने कुछ कहा...???”
“जी नही मैने कुछ नही कहा.....आइ आम सॉरी..” करण पलट के जाने लगा जब सामने के कॅबिन का दरवाज़ा खुला और उसमे से एक खूबसूरत अप्सरा निकल के आई. निशा के हुस्न को देख कर यही अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि जिस करण के पीछे मेडिकल कॉलेज की पूरी लड़किया भागती थी वो सिर्फ़ निशा के पीछे भागता था. निशा से खूबसूरत करण ने आज तक कोई लड़की नही देखी थी.
खूबसूरती और दिमाग़ का अनोखा संगम था निशा मे. वह इतनी सुंदर थी की मेडिकल कॉलेज मे पार्ट टाइम टीवी आड्स और फॅशन डिज़ाइनर्स के लिए मोडीलिंग और फोटोशूटस भी करती थी. लेकिन समय निकाल कर पढ़ती भी इतना थी कि अपने बॅच की टॉपर हुआ करती थी. कॉलेज मे सभी लड़के निशा पे फिदा थे. पर उसका दिल आया भी तो करण पर. जब करण और निशा के प्यार के बारे मे सबको पता चला तो ना जाने कितने लड़के लड़कियो के दिल टूटे थे.
साँचे मे ढला निशा का जिस्म जैसे भगवान ने खुद फ़ुर्सत मे बनाया था. वो आमिरा दस्तूर (आक्ट्रेस) की बिल्कुल ट्रू कॉपी लगती थी. 34-26-36 का साइज़ ज़ीरो फिगर और उसपर एक स्लिम ब्लू साड़ी उसे बिल्कुल कातिलाना बना रहा था. अब आँखे फाड़ के देखने की बारी करण की थी.
“निशा मेडम यही है करण राठोड...यह कह रहे है कि यह आपको जानते है...” रिसेप्षनिस्ट ने निशा को अपनी ओर आते हुए देखा.
“स्वाती....मैं इन्हे नही जानती...” निशा ने एक अदा से रिसेप्षनिस्ट को कहा पर उसकी आँखे करण को ही घूर रही थी.
“मेडम आप कहिए तो मैं सेक्यूरिटी बुलाऊ..?” रिसेप्षनिस्ट बोली.
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RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
करण निशा के पास जाकर उसको चुप करना चाहता था पर निशा ने उसे बीच मे ही रोक दिया, “पास मत आना मेरे...एक नंबर के धोकेबाज हो तुम...पहले बहुत बड़े वादे किए थे तुमने...पर जब मेरी शादी तय होने लगी तो किसी कायर की तरह दूसरी लड़कियो के बाँहो मे छुप गये...आइ हेट यू करण...मैं दोबारा तुम्हारी शकल भी नही देखना चाहती..” निशा बोलते हुए बिलख बिलख कर रोने लगी.
करण को समझ मे नही आ रहा था कि वो निशा को यह सब कैसे समझाए. उसने मायूस होकर कहा, “ठीक है निशा...मैं आज के बाद दोबारा अपनी शकल कभी तुम्हे नही दिखाउन्गा....पर जाते जाते तुम्हे कुछ दिखाना चाहता हू...” कहते हुए करण की आँखे नम हो गयी.
उसने अपना कोट उतार दिया. निशा के समझ मे कुछ नही आया. फिर करण ने अपना टाइ खोला और शर्ट भी उतार दिया. कपड़े उतारते ही निशा ने देखा कि कारण की छाती पूरी छल्नी है. उसे इस सब पर यकीन नही हुआ. करण पीछे मूड गया, उसकी पीठ पर भी नाखूनो के गहरे जख्म थे.
“ओह्ह माइ गॉड...” निशा अपने मूह पर हाथ रखते हुए बोली.
“इसी वजह से मैं परसो नही आ पाया...वो तो मेरी किस्मत थी मैं बच गया नही तो आज तुम्हारे सामने खड़ा होने के बजाए कही दो गज ज़मीन के नीचे दफ़्न होता..” करण ने अपने आँसू पोछते हुए कहा.
“ये...ये सब कैसे हुआ करण...” निशा दौड़ के करण के पास गयी और उसके जख़्मो को च्छू कर देखने लगी.
“तुम्हे अभी भी लगता है कि मैं किसी लड़की के साथ था..?.” करण के पूछने पर निशा कुछ नही बोल पाई.
“तुम्हे ड्रेसिंग की ज़रूरत है नही तो इन जख़्मो से तुम्हे इन्फेक्षन हो सकता है...”
करण उसका हाथ पकड़ते हुए, “इन्हे ड्रेसिंग की नही बल्कि तुम्हारे कोमल हाथो के स्पर्श की ज़रूरत है...” करण ने कहा और निशा उसकी गहरी आँखो मे डूब गयी.
“तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो ना....” निशा लगातार करण की आँखो मे देखे जा रही थी..
“अपनी जान से भी ज़्यादा....” करण ने भी निशा की आँखो मे देखते हुए जवाब दिया.
“तो फिर आज रात मेरे घर चलो....”
“पर निशा इतनी रात को तुम्हारे घर...उपर से तुम्हारे मम्मी पापा भी होंगे वहाँ...मुझे नही लगता है कि मेरा वहाँ जाना ठीक होगा.”
निशा ने करण के होंटो पर अपनी उंगली रख दी, “ष्ह्ह्ह......जैसा मैं कहती हू बस वैसा करो...” निशा की आँखो मे आज एक अलग ही नशा लग रहा था.
क्लिनिक को गार्ड द्वारा बंद करवाने के बाद दोनो निशा की कार मे उसके घर पहुच गये. रात को घर की रखवाली कर रहे वॉचमन ने गेट खोला और वो दोनो अंदर आ गये.
“निशा पर तुम्हारे मम्मी पापा..?” करण कार से उतरता हुआ बोला.
“वो लोग आज रात घर पर नही है...मेरी सगाई की तय्यारी मे पुणे गये है...अब कल सुबह ही लौटेंगे..” निशा ने करण का हाथ पकड़ के घर के अंदर खीचते हुए कहा.
“पर निशा हमे ऐसा नही करना चाहिए....” करण इतनी रात मे अकेले एक लड़की के घर आने मे थोड़ा संकोच कर रहा था.
“पर वर कुछ नही....उपर मेरा बेडरूम है आ जाओ...” कहते हुए निशा अदा से चलती हुई उपर अपने कमरे मे चली गयी. करण को उसकी चाल आज कुछ बदली बदली सी लग रही थी. आज से पहले निशा करण को सिर्फ़ अपने आपको किस करने देती थी उसने आज तक करण को इस से आगे बढ़ने नही दिया. पर आज उसकी आँखो मे अलग सा नशा था, एक अलग सी कशिश थी.
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08-19-2018, 03:10 PM,
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RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
करण धड़कते दिल से धीरे धीरे उपर जाने लगा. उसके दिमाग़ मे हर तरह की बातें चल रही थी. अपनी माँ का सपना, आचार्य का मार्गदर्शन, त्रिकाल द्वारा सलमा का बलात्कार और हत्या, अपनी प्यारी बहन का त्रिकाल के चंगुल मे फस जाना और अब उसकी प्रेमिका की सगाई वो भी अगले ही दिन.
अपने ही ख़यालो मे खोया करण जब निशा के कमरे मे पहुचा तो निशा वहाँ नही थी. उसने देखा कि निशा की सेक्सी ब्लू साड़ी और उसकी मॅचिंग ब्लू ब्लाउस वही बिस्तर पर पड़ी थी. साथ ही मे काली रंग की रेशमी डिज़ाइनर ब्रा और बिल्कुल पतली सी एक मॅचिंग डिज़ाइनर पैंटी पड़ी थी.
करण ने जब सर घुमा के देखा तो बाथरूम का दरवाज़ा आधा खुला हुआ था और अंदर से शवर से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी. करण ने मुस्कुराते हुए निशा की ब्रा उठा ली और सूंघने लगा.
“उम्म्म्म.....वाह !!!..” करण ब्रा से आती निशा के पसीने की गंध सूंघ कर उत्तेजित हो गया. उसने तुरंत निशा की पैंटी भी उठा ली और चूत की जगह पर नाक लगाकर सूंघने लगा.
“वूव्व.....क्या गंध है...” करण एक गहरी साँस लेता हुआ अपने मन मे सोचने लगा.
पैंटी से आती निशा की पसीने और पेशाब की गंध से करण की नाक भर गयी जिसे सूंघ कर वो पागल सा हो गया. करण इस से ज़्यादा उत्तेजित आज तक कभी नही हुआ था और वो भी सिर्फ़ निशा की उतरी हुई ब्रा और पैंटी से.
एक जवान औरत के पसीने और पेशाब की गंध भी इतनी मादक हो सकती है आज करण ने जाना था. उसने तुरंत निशा की पैंटी को जहाँ वो उसकी चूत से चिपकी रहती है चूसने लगा. किसी पागल कुत्ते की तरह वो पैंटी को ही चाटने लगा. वो अपने जीभ पर निशा की पैंटी से निकली पसीना और पेशाब का गीलापन महसूस करने लगा.
करण इतना उत्तेजित हो गया कि उसका हल्लबि लॉडा उसके पॅंट मे ही खड़ा होने लगा. उसने देखा कि निशा की ब्लू ब्लाउज पर बगल आर्म्पाइट वाला हिस्सा गीला है. उसने ब्लाउस को उठाया और अपनी नाक के पास ले जाकर एक गहरी साँस लिया.
“अहह........कितनी मादक गंध आ रही है ब्लाउस से..” उसने मन मे सोचा. निशा की ब्लाउस से उठती तेज़ पसीने की गंध ने करण का सुध बुध सब छीन लिया था. उसे यह भी एहसास नही हुआ कि निशा उसे बाथरूम के दरवाज़े से देख रही है.
जब करण को होश आया तो उसने पाया कि उसके एक हाथ मे निशा की ब्रा और पैंटी है और दूसरे हाथ मे ब्लाउस जिसकी मादक गंध वो ले रहा था. उसने जब सर घुमा के देखा तो निशा दरवाज़े से सर बाहर निकाल के उसे देख रही थी और एक मादक मुस्कान हंस रही थी.
“मैं कपड़े और तौलिया लेना भूल गयी...क्या तुम मेरे वॉर्डरोब से मेरे कपड़े और तौलिया दे दोगे...” निशा ने यह बात इतनी मादकता से कही कि करण को लगा कि वो वही पॅंट मे ही झड जाएगा.
निशा का ऐसा सेक्सी रूप करण ने आज तक नही देखा था. जो निशा उसकी गर्लफ्रेंड होने के बावजूद उसे हाथ भी नही लगाने देती थी यह कहकर कि शादी के बाद ही वो सेक्स करेगी, आज खुद इतनी सेक्सी हरकते कर रही थी.
उसने करण को बहुत तडपाया था, जहा बाकी प्रेमी प्रेमिका शादी से पहले ही संभोग मे जुट जाते है वही निशा का कहना था कि वो अपनी परंपरा और संस्कार के मुताबिक अपने पति से ही शारीरिक संबंध बनाएगी. और इन सब मे बेचारा करण सिर्फ़ हिला के रह जाता था, पर वो निशा की बहुत इज़्ज़त भी करता था इसीलिए उसने अपनी वासना पर सिर्फ़ निशा के लिए काबू रखा और कभी भी निशा की मर्ज़ी के खिलाफ उसे हाथ नही लगाया.
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“सोच क्या रहे हो...मुझे मेरे कपड़े दो..” निशा की आवाज़ मे मादकता ही मादकता भरी थी.
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