Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
08-19-2018, 02:55 PM,
#10
RE: Mastram Kahani काले जादू की दुनिया
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काजल ने अर्जुन की तरफ देखा तो उसने भी हाँ मे सर हिलाया जिसे देख कर काजल मस्ती मे झूम उठी और ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी, “मेरे दोनो भैया...इस वर्ल्ड के बेस्ट भैया है..”

दोनो कारण और अर्जुन अपनी छोटी बहन की बातो पर मुस्कुराए बिना नही रह सके. कारण अंदर आ गया और सोफे पर बैठ गया. सामने अर्जुन बैठा और बीच मे काजल. थोड़ी देर तक शांति फैली रही. कोई किसी से नही बोल रहा था.

काजल जानती थी कि अगर वो कुछ ना बोली तो उसके दोनो भाई ऐसे ही बिना कुछ बोले सारी रात गुज़ार देंगे.

“भैया आपके गिफ्ट मे क्या है...जिसे आपको खोजने मे घंटो लग गये..” काजल करण से बोली.

“तू खुद खोल के देख ले....” करण मुस्कुराता हुआ बोला.

काजल ने जब गिफ्ट के रॅपिंग्स को फाडा तब अंदर उसे एक पुराना आल्बम मिला.
“करण भैया यह तो फोटो आल्बम है....इसमे किसकी फोटोस है..?” काजल उत्सुकतावश बोली.

“अरे बाबा सब मैं ही बताऊ क्या...तू खुद खोल के देख ना...”

काजल ने आल्बम खोला तो उसकी आँखो मे खुशी के आँसुओ की दो बूँदें छलक आई. वो आल्बम उसकी माँ रत्ना और उसके परिवार का था. उस आल्बम मे रत्ना, उनके स्वरगवासी पति हर्षवर्धन राठौड़ और उनके दो छोटे छोटे प्यारे बच्चे अर्जुन और काजल की तस्वीरें थी.

काजल आल्बम देखते देखते अपने अतीत मे पीछे जा कर वो सब कुछ याद करने लगी, जैसा उनके दादा दादी ने बताया था.

आज से करीब 25-26 साल पहले रत्ना देवगढ़ (राजस्थान) के एक बहुत बड़े ज़मींदार की बेटी थी. वो बला की खूबसूरत और बेपनाह हुस्न की मल्लिका थी. आस पास से मीलो दूर तक उनके रूप जैसी कोई और लड़की नही थी.

कहते है कि रत्ना के पिताजी और माताजी ने एक बहुत बड़े यग्य और पूजा करने के बाद रत्ना को जनम दिया था. लेकिन रत्ना के पैदा होने पर नक्षत्र ही कुछ ऐसे थे की उसकी कुंडली मे शैतान का योग बन गया था.

इतनी रूपवान होने के बावजूद कोई भी लड़का रत्ना से शादी करने को तय्यार नही होता था, सबको उसकी कुंडली मे दोष होने से बहुत डर लगता था. एक बार एक हिम्मतवाले नौजवान ने रत्ना के पिताजी से उसका हाथ माँगा. लड़का हैसियत मे उनके बराबर का नही था पर रत्ना के पिताजी कर भी क्या सकते थे, आख़िर जवान बेटी को कब तक घर मे रखते सो उन्होने उसकी शादी उस नौजवान से चुपके से कर दी ताकि बिरादरी मे उनकी खिल्ली ना उड़े.

पर शायद किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था, रत्ना को जैसे ही एक पुत्र प्राप्त हुआ उसका नौजवान पति चल बसा. उसके बाद रत्ना के घरवालो ने उसे वापस मायके बुला लिया.

कुछ महीने ऐसे ही बीत गये जब पास के एक बड़े ज़मींदार हर्षवर्धन को रत्ना पसंद आ गयी. जब उसके घरवाले रत्ना का हाथ माँगने उसके पिताजी के पास गये तब उसके पिताजी ने झूट बोलकर कि रत्ना कुवारि है है उसकी शादी ठीक कर दी. रत्ना के पिताजी को डर था कि हर्षवर्धन की घरवाले अपने बेटे की शादी किसी विधवा से नही करेंगे.

पर रत्ना को यह नागवारा गुजरा. उसे पता था आख़िर सुहागरात को उसके पति हर्षवर्धन को पता चल ही जाएगा कि उसकी पत्नी कुवारि नही है. रत्ना को लगा कि यह धोका होगा अपने होने वाले पति के साथ. इसलिए उसने शादी से ठीक पहले हर्षवर्धन को अकेले मे बुलाया.

वहाँ उसने हर्षवर्धन को सारी बात सच सच बता दी कि वो एक विधवा है और उसका एक बेटा भी है. हर्ष नाराज़ होने के बजाए, रत्ना की ईमानदारी और हिम्मत देख कर बहुत खुश हुआ और उसे और उसके बेटे को अपनाने को तय्यार हो गया. हर्ष ने उस लड़के का नाम करण रखा और उसे अपना नाम भी दिया.

शादी हो गयी और सब खुशी खुशी रहने लगे जब हर्ष के घरवालो को रत्ना की सच्चाई का पता चला तो लोग उसे बदचलन कहने लगे. हर्ष को यह सब बर्दाश्त नही होता था. एक दिन ऐसे ही कुछ गुन्डो के द्वारा अपनी पत्नी के बारे मे गंदी अश्लील बातें सुन कर उसका खून खौल उठा और वो उनसे निहत्थे ही भिड़ गया.

पर उन गुन्डो के पास हथियार थे, भले ही हर्षवर्धन बहुत बालिश्ट था पर इतने सारे गुन्डो और उनके हथियारो के सामने वो टिक नही पाया और उन सब ने हर्ष को मार के नदी मे फेंक दिया. खयि दिन बाद हर्ष की सड़ी गली लाश एक आदमी को मिली जिसने लाश को परिवार के पास रख दिया.

तब तक रत्ना के हर्ष द्वारा अर्जुन और काजल भी पैदा हो गये थे. अपने दूसरे पति की मौत से रत्ना को गहरा सदमा लगा और वो भी उसी नदी मे कूद गयी. लोग कहते है कि वो डूब गयी, यहाँ तक कि उसकी लाश भी आज तक नही मिली. उसके बाद किसी ने उस रूप सुंदरी को नही देखा.

हर्ष के परिवार वालो को सब पता चल चुका था. वो रत्ना और करण को मनहूस समझ रहे थे. इसीलिए उन्होने अपनी सारी ज़मीन अर्जुन और काजल के नाम कर दी और करण को अनाथालय मे डाल दिया.

जब रत्ना की मौत हुई उस समय कारण 20 साल का था, अर्जुन उस से एक साल छोटा 19 साल का था और काजल सबसे छोटी 18 साल की थी. उसके बाद कारण फिर कभी अपने परिवार वालो से ना मिल सका. रत्ना के माता पिता ने भी यही सोचा कि कारण का अनाथालय मे रहना ही बेहतर होगा. पर अनहोनी होनी तो अभी बाकी थी. कुछ महीनो बाद ही लंबी बीमारी से अर्जुन और काजल के दादा दादी और नाना नानी भी चल बसे और वो दोनो भी इस दुनिया मे अकेले रह गये.

समय के साथ तीनो बच्चे बड़े होते गये. करण अपने अनाथालय मे रहकर खूब परिश्रम और मेहनत करता था. उसकी शकल अपनी माँ पर जाने से वो बहुत ही आकर्षक दिखता था. लोग कहते थे कि इतने सुंदर बालक को कोई कैसे अनाथालय मे रख सकता है. सालो की कड़ी मेहनत कारण के लिए रंग लाई और वो मेडिकल के प्रवेश परीक्षा मे अव्वल आया और डॉक्टर बन गया.

उधर भले ही घरवाले करण को भूल गये थे पर काजल उसे नही भूली थी. उसने किसी तरह उस अनाथालय का पता लगा लिया था और जब से रत्ना की मौत हुई थी तब से वो करण से हर रविवार को मिलने जाती थी.

अर्जुन को यह सब पसंद नही था. बचपन से ही वो करण से नफ़रत करता था, वो करण को ही सारी फ़साद की जड़ मानता था. उसे लगता था कि अगर कारण पैदा ना होता तो कोई भी उसकी माँ को बदचलन नही कहता और उसके पिता की मौत भी नही होती. वो इन सब का ज़िम्मेदार कारण को ही मानता था.

आज 12 साल बाद करण एक कामयाब डॉक्टर था जिसके पास पैसो की कोई कमी नही थी, कमी थी तो उनकी जिसे वो परिवार कह सके. वो दिखने मे बहुत ही सुंदर और आकर्षक था, उसका स्वाभाव भी बहुत ही गंभीर था, ज्याद बोलना उसे पसंद नही था, जहाँ ज़रूरत होती वो बस वही बोलता.

अर्जुन राठौड़ उधर एक बहुत बड़ी कन्स्ट्रक्षन कंपनी मे चीफ सिविल इंजिनियर बन गया था. करण के उलट वो बहुत बातूनी और जल्दी गुस्सा हो जाने वाला इंसान था.

हालाँकि अर्जुन भी बहुत आकर्षक था पर अपने बातूनी और मुहफट व्यवहार की वजह से बहुत लोग उस से परेशान रहते थे. लड़कियो से अय्याशि उसका सबसे बड़ा शौक था. उसमे और करण मे फ़र्क बस इतना था कि अर्जुन लड़किया पटाने की कोशिश करता जबकि लड़किया करण को पटाने की कोशिश करती.

जहा अर्जुन को हर महीने नयी लड़की चाहिए थी वही कारण इसके बावजूद कि कितनी लड़किया उसके पीछे भागती हैं, वो सच्चे और सिर्फ़ एक बार होने वाले प्यार पर यकीन रखता था. इसीलिए वो अपनी बचपन की दोस्त निशा से ही प्यार करता था.

काजल बचपन से ही बहुत चुलबुली और शरारती थी. लोग कहते है रूप रंग मे वो बिल्कुल अपनी माँ पर गयी थी. उसका चेहरा बहुत ही मासूम और भोला भाला और खूबसूरत था. बड़े होकर वकील बन ना ही उसका सपना था जिसे वो पूरा कर रही थी.

टू बी कंटिन्यूड...
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