Mastram Kahani प्रीत का रंग गुलाबी
11-17-2018, 12:36 AM,
#4
RE: Mastram Kahani प्रीत का रंग गुलाबी
संयुक्ता ने चंद्रभान की तरफ देखा अपनी जलती निगाहों से एक बार फिर से उन्होंने अपनी रानी को बीच राह में ही छोड़ दिया था पर हर बार की तरह आज वो अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाई और बोली- क्या हुआ महाराज आजकल आपमें पहले जैसा दम नहीं रहा हमारी प्यास नहीं बुझा पाते है आप 

महाराज को ये बाते तीर की तरह चुभी पर वो शांत स्वर में बोले – संयुक्ता कोई आम औरत हो तो वो हमारे आगे पानी मांगती है पर आप हद से ज्यादा कामुक है 

आपको शांत करना इस धरती के किसी इन्सान के बस की नहीं और बढती हुई उम्र के बावजूद आपकी कामुकता बढती जा रही है अब आपको देख कर कौन कह सकता है की आप दो बच्चो की माँ है आपके लिए उम्र तो जैसे थम ही गयी है 

संयुक्त- अब आप बातो की जल्लेबी ना उतरिये यु रोज रोज हमे प्यासा छोड़ना ठीक नही है गुस्से से तम्ताते हुए उसने कहा और फिर वो शिविर से बाहर निकल गयी 

मन ही मन महाराज को हजारो गलिया बकते हुए संयुक्ता तालाब के पानी में उतर गयी पर जिस्म की इस प्यास को चैन नहीं मिला मिले भी तो जैसे बल्कि ये ठंडा पानी उस अगन को और भड़का रहा था जिसको महाराज ने अधुरा छोड़ दिया था उस शांत तालाब में खड़ी संयुक्ता जल रही थी उस अगन में जिसे वो पानी बुझा नहीं सकता था हार कर उसने अपनी उंगलियों से अपनी योनी को सहलाना शुरू किया हर बार की तरह 

धीरे धीरे वो उन्माद संयुक्ता पे हावी होने लगा उसके आँखे बंद होने लगी और बदन कांपने लगा एक, दो फिर तीन उंगलिया उसने अपनी योनी में घुसेड ली थी उसका हाथ बहुत तेजी से चल रहा था अपनी आहों को मुह में ही दबाते हुए महारानी अपने आप को शांत करने की भरपूर कोशिश कर रही थी पर इस समय उन्हें उंगलियों की नहीं बल्कि एक लंड की आवश्यकता थी

एक ऐसे मर्द की आवश्यकता थी जो उनको अपनी मजबूत बाँहों में पीस डाले रौंद डाले उनके सम्पूर्ण अस्तित्व को कोई ऐसा जो उनकी इस अधूरी प्यास को बादल बन कर बरसा दे 

अपने ख्यालो में गुम महारानी अपने हाथ को तेजी से चलाते हुए झड़ने लगी और फिर निढाल होकर तालाब के किनारे पड़ गयी बहुत देर तक वो आँखे बंद किये नंगी ही गीली मिटटी में लेटी रही तन कुछ देर के लिए शांत अवश्य हो गया था पर मन की प्यास अभी बाकी थी 

रात अपने अपने हिस्से में कट रही थी इधर संयुक्ता अपनी अगन में जल रही थी उधर मोहन के दिलो दिमाग पे मोहिनी छाई हुई थी कैसे उसने बड़ी ही शालीनता से मोहन से बात की थी कैसे वो मीठा पानी उसके लिए वो इतनी दूर से लाती थी आँखों आँखों में रात कट रही थी पर नींद थी की जैसे किसी प्रेमिका की तरह रूठ ही गयी थी मोहन का जी तो कर रहा था की दौड़ कर मोहिनी की पास चला जाए उसे ऐसे लग रहा था की जैसे वो अभी भी वही होगी दिमाग में हज़ार ख्याल आये उसे हार कर वो बिस्तर से उठा और जाके शिव मंदिर की सीढियों पर जा बैठा

अब मन को समझाए भी तो कैसे मन बावला मन चंचल हुआ बार बार भटके जितना उसको काबू करे उतना ही वो भटके मनमानी करे अपनी खैर रात थी कट ही गयी सुबह सूरज ने दस्तक दी 

“भाई , माँ ने कहा है की जंगल से कुछ जड़ी बूटिया लानी है अब ढूँढने में पता नहीं कितना समय लगे तो तू मेरे साथ चल ”आँखे मटकाते हुए चकोर ने मोहन से कहा 

मोहन का जरा भी मन नहीं था माँ के कहे को टाल भी तो नहीं सकता था वो दोनों भाई बहन चल पड़े जंगल की और दरअसल आजकल मोहन अपनी बहन से थोडा दूर रहने की पूरी कोशिश करता था शायद ये एक झिझक थी जवानी थी या फिर शर्म थी की वो अपनी बहन के प्रति आकर्षित होता जा रहा था चकोर अपने स्वाभाव अनुसार चुहलबाजी करते हुए जा रही थी कुछ जड़ी बूटिया मिल गयी थी कुछ नहीं तो खोजते खोजते वो जंगल में काफी अन्दर तक आ गए थे 


और तभी एक कन्दरा के पास चकोर को एक पानी का झरना दिखा जिसे देखते ही उसका मस्तमौला स्वभाव जाग उठा वो चहकते हुए बोली- भाई देख झरना मैं तो जा रही हु नहाने इस से पहले मोहन कुछ कहता चकोर भागी झरने की और मोहन वही रह गया अब नहाना भी था और कपडे भीगने का भी डर था तो चकोर ने अपने सारे कपडे पास में रखे और नंगी ही पहुच गयी झरने के निचे 

उसका यौवन और खिल गया जैसे हु उसने अपने बदन को रगडा उसका हाथ उसकी छातियो पर आया उसे मोहन का वो मजबूत स्पर्श याद आ गया मारे लाज के वो खुद से ही शर्मा गयी 

उसने कुछ सोचा और फिर आवाज दी – मोहन आजा तू भी नहा ले 

मोहन – जीजी आपके सामने मैं कैसे नहा सकता हु 

चकोर- मेरे सामने क्यों नहीं नहा सकता मैं क्या कोई पराई हु क्या मैंने कभी तुझे नहाते हुए नहीं देखा चल आजा तेरी थकान भी उतर जाएगी देख मैं बड़ी हु तुझे मेरा कहना मानना ही पड़ेगा तू आजा 

मोहन- पर जीजी , आप समझो जरा मैं आपके आगे कैसे निर्वास्त्र होके 

चकोर- मैं यहाँ हु तू थोडा सा दूर नहाले ऐसा है तो 

मोहन को चकोर की ये बात जंच गयी थोड़ी दूरी पर ही झरने का पानी इकठ्ठा हो रहा था उधर मोहन नहाने लगा इधर चकोर पूरी मस्ती से ठन्डे पानी का मजा ले रही थी अठखेलिया कर रही थी पर यही उसे भारी पड़ गया उसका पाँव एक चिकने पत्थर पर पड़ा 

और वो कुलहो के बल चट्टान से टकराई और उसकी चीख गूंजी बहन की चीख सुन कर मोहन घबराया और नंगा ही चकोर की और भागा देखा तो चकोर पड़ी थी दर्द में कहारती हुई पर उसका ध्यान दर्द से हाथ कर अपनी बहन के गुदाज जिस्म पर था 

“आह, भाई उठाओ मुझे ”

“मैं कैसे इस निर्वस्त्र अवस्था में ”

चकोर- इधर मेरी टांग टूट गयी है तुझे शर्म लिहाज की पड़ी है उठाना मुझे 

मोहन जैसे ही आगे को हुआ चकोर की नजर उसके लंड पर पड़ी जो उसकी दोनों टांगो के बीच झूल रहा था किसी केले की तरह उसकी निगाह वही जम गयी उफ्फ्फ भाई कितना बड़ा हथियार है तुम्हारा थो मोहन ने चकोर की बगल में हाथ डाला और उसे उठाने लगा तभी उसकी कोहनी चकोर की छाती से टकराई चकोर ने एक गहरी आह भरी 

मोहन ने उसको गोद में उठाया तो उसका लंड बहन के नितम्बो से रगड़ खा गया दोनों के बदन में सुरसुराहट हो गयी मोहन उसे साफ जमीन पर ले आया चकोर को उसे पेड़ के सहारे बिठा दिया पर दर्द बहुत था उसको 

मोहन- कहा चोट लगी 

वो- कुल्हे पर लगी है तुम देखो जरा 

अब मरता क्या ना करता मोहन चकोर पेड़ का सहारा लेकर उसकी तरफ पीठ करके हो गयी उसके भारी भरकम तरबूज जैसे कुल्हे मोहन की आँखों के सामने थे 

चकोर- हाथ लगा कर देखो जरा कही कुल्हे की हड्डी तो नहीं टूट गयी जोड़ से 

मोहन ने बहन के चूतडो को छुआ तो उसे भी एक अलग एहसास हुआ रुई से भी ज्यादा मुलायम चकोर के नितम्ब और बीच में वो दरार उसने दोनों हाथो से कुलहो को फैलाया तो उसे गांड का छेद और चूत दोनों नजर आने लगे मोहन के माथे से पसीना बह चला उसके लंड ने एक झटका खाया और उसका लंड तन गया

इधर चकोर को एक सुक्कून सा मिला जब मोहन उसके चूतडो को दबाने लगा उसकी चूत बहने लगी जिस से आपस में चिपकी दोनों टाँगे गीली होने लगी वो थोडा सा आगे को हुआ और उसका लंड चकोर की गांड की दरार से टकरा गया चकोर के जिस्म में जैसे बिजलिया से दौड़ पड़ी 

और तभी शायद चकोर के पैर में किसी चींटी ने काटा तो वो थोडा सा पीछे को हुई और ऐसा करते हु मोहन का लंड उसकी गांड की दरार में अच्छी तरह से फिर हो गया चकोर के बदन में एक रोमांच सा दौड़ गया 

“जीजी ”

“श्हश्श्स चुप रहो “
Reply


Messages In This Thread
RE: Mastram Kahani प्रीत का रंग गुलाबी - by sexstories - 11-17-2018, 12:36 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 2,198 10 hours ago
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 1,064 11 hours ago
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 880 11 hours ago
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,743,108 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 575,016 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,337,343 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,020,673 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,795,171 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,198,697 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 3,155,074 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)