Mastram Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
10-04-2018, 11:58 AM,
#68
RE: Mastram Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
रात को दोनों बाप बेटी अपनी इच्छाओं से तृप्त हो सम्पूर्ण संतुष्टि से नींद के आगोश में चले गए थे, जयसिंग के लिए तो ये किसी सपने के सच होने जैसा था, कहाँ तो कुछ दिन पहले वो सिर्फ और सिर्फ मनिका के बारे में ही सोच पाता था, और अब तो उसके हाथ मे मनिका और कनिका के रूप में दो बेशकीमती खजाने थे जो खुद उस पर लूटने को तैयार पड़े थे, जयसिंग को अपनी किस्मत पर बड़ा गर्व महसूस हो रहा था, मनिका और कनिका को वो जब चाहे चोद सकता था, पर अब उसकी इच्छा थोड़ी और बढ़ गयी थी, उसके मन मे दोनों को एक साथ चोदन कि इच्छा घर करने लगी थी, पर उसे ये भी पता था कि ये बहुत मुश्किल है, वो रात भर इसी उधेड़बुन में लगा था और हारकर सो गया था,

सुबह के लगभग 5.30 बजने वाले थे, दरवाज़े पर खटपट की हल्की सी आवाज़ सुनकर जयसिंह की नींद टूटी गयी, उसे पता था कि इस समय मधु ही हो सकती है, इसलिए वो उठकर दरवाज़े की तरफ बढ़ने लगा पर तभी कुछ सोचकर उसके कदम एकाएक वही रुक गए, उसके हाथ पांव फूलने लगे, क्योंकि दरवाज़ा खोलने के चक्कर मे वो भूल गया था कि वो तो बिल्कुल नंगा था और तो और कनिका भी बिल्कुल नंगी मस्त नींद की गहराइयों में डूबी पड़ी थी, उनका बिस्तर सुहागरात के बाद पड़े बिस्तर की तरह उथल पुथल था, जयसिंह के कदम वही के वही ठिठक गए, 


उसके होश फाख्ता होने लगे, पर उसने कोशिश करके अपने आपको सम्भाला ओर तुरंत ज़मीन पर पड़े अपने पजामें को अपने पैरों में फंसाया, साथ ही ऊपर से टीशर्ट भी डाल ली, 

फिर जयसिंह ने बिस्तर पर बेसुध लेटी कनिका के नंगे बदन को पास पड़ी चद्दर से ढक दिया

अब जयसिंह दरवाज़ा खोलने के लिए आगे बढ़ा पर ज्यों ही उसने दरवाज़ा खोला उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा, सामने उसकी प्यारी सी बेटी मनिका नाईट ड्रेस में खड़ी थी, मनिका को इस समय वहां देखकर जयसिंह के आश्चर्य का ठिकाना ही न रहा और साथ ही साथ उसके मन मे एक अजीब सा डर भी बैठ गया

"अगर मनिका ने कनिका को इस हालत में देख लिया तो, नही नही मैं उसे नही देखने दूंगा, पर अगर इसे शक हो गया तो, कहीं बनी बनाई बात बिगड़ न जाये, कहि मनिका मुझसे चुदवाना बन्द न कर दे, कितनी मेहनत के बाद ये मेरे हाथ आयी है, मैं इसे ऐसे ही नही जाने दे सकता , मैं मनिका की प्यारी सी चुत को अपने हाथों से नही जाने दूंगा" जयसिंग इन्ही ख्यालो में खोया था कि उसके कानो में मनिका की मधुर आवाज खनकने लगी

"कहाँ खो गए पापा, मुझे अंदर लीजिये ना" मनिका को जयसिंह को हिलाते हुए बोली

"ओह आई एम सॉरी बेटा, वो मेरा ध्यान कहीं ओर था" जयसिंह ने बोलते हुए मनिका को कमरे के अंदर ले लिया
"पर तुम इस समय यहाँ क्या कर रही हो, ओर इतनी जल्दी कैसे उठ गई" जयसिंह ने अंदर घुसते ही मनीका पर अपना सवाल दागा

"अरे पापा मैं तो बस यूं ही उठ गई, वैसे भी कल रात आपके बगैर मुझे नींद ही कहाँ आयी , इसलिए आंखे खुल गयी जल्दी, और उठते ही बस आपसे मिलने की इच्छा हुई, सो यहां आ गई" मनिका ने एक सांस में सब कुछ कह दिया

दरअसल मनिका की चुत रात से ही जयसिंह के लंड के लिए कुलबुला रही थी, और जब सुबह उसकी आंखें खुल गयी तो उसे अब ओर बर्दास्त करना बहुत मुश्किल हो रहा था, इसलिए किसी के भी उठने से पहले ही वो 5.30 बजे ही जयसिंह के कमरे की तरफ चल पड़ी, बाकी घरवाले वैसे भी 6 बजे के बाद ही उठते थे

मनिका की बात सुनकर जयसिंह को उस पर प्यार आ गया, उसे तो यकीन ही नही हो रहा था कि जो मनिका कुछ दिनों पहले उसकी शक्ल भी देखना नही चाहती थी वो आज उसके लिए इतनी तड़प रही है, उसके चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई, 

जयसिंह के लंड में अब हल्का सा तनाव आना शुरू हो गया था, अब उसने वक्त गंवाना बिल्कुल भी उचित नही समझा और बिना किसी चेतावनी के सीधे दरवाज़े के पास ही खड़ी मनिका के होंठो पर हमला कर दिया

इस अचानक हमले से मनिका सम्भल नही पायी और नीचे की तरफ गिरने को हुई पर जयसिंह ने अपने हाथ मनिका की गांड पर सटाकर उसे अपनी बाहों में भर लिया और फिर जोर जोर से उसके होंठ चूसने लगा, मनीका भी अब पूरे जोश में आ गयी थी, उसने भी अब जयसिंह के हमले का जवाब देना शुरू कर दिया और भर भरकर अपने गुलाबी होठो से जयसिंग के होठो को चूमने लगी


धीरे धीरे उनका ये चुम्बन और ज्यादा गहराता जा रहा था, मनिका तो सुध बुध खोकर इस चुम्बन का मजा लेने में डूबी थी, पर जयसिंह को ये पता था कि उनके पास ज्यादा से ज्यादा 20 या 25 मिनट है, इतने समय मे वो कनिका के रहते मनीका को चोद तो नही सकता, पर उससे अपना लंड तो चुसवा ही सकता है, ये सोचते ही उसके लंड ने एक जोरदार तुनकी मारी

जयसिंग ने तुरंत मनिका के एक हाथ को पकड़कर अपने फ़ंफ़नाते लंड पर रख दिया, मनिका भी किसी समझदार शिष्य की भांति उसके लंड को पाजामे के ऊपर से ही मसलने लगी , जयसिंह और मनिका की हवस अब सारी सीमा लांघने को तैयार ओर बेकरार थी, परन्तु जयसिंह को कनिका का भी थोड़ा ध्यान रखना जरूरी था

इधर मनिका धीरे धीरे जयसिंह के पाजामे को नीचे खिसकाने लगी, उसे ये देखकर और भी ज्यादा खुसी हुई कि जयसिंह ने पाजामे के नीचे कुछ नही पहना था क्योंकि वो खुद भी सिर्फ अपना लोअर ही पहन कर आई थी और अपनी कच्छी पहले ही कमरे में उतार आयी थी, अब मनिका ने जयसिंह के लंड को अपने कोमल हाथों से पकड़ लिया, जयसिंह तो मनिका के स्पर्श मात्र से ही और भी ज्यादा उत्तेजित हो उठा,

मनिका को जयसिंह के लंड पर कुछ लगा हुआ महसूस हुआ पर उसने ज्यादा ध्यान न देते हुए उसके लंड को सहलाना जारी रखा
अब मनिका ने जयसिंह के लंड को थाम दुसरे हाथ से उसके सुपाडे को बहुत कोमलता से सहलाया , 
“आआह्ह्ह्ह... मनिका" जयसिंह के मुंह से एक हल्की सिसकारी निकल गयी

मनिका ने एक बार लंड की त्वचा को देखा और फिर जयसिंह के चेहरे की तरफ देखते हुए नीचे झुककर अपने नर्म मुलायम होंठ उसके खड़े लंड के सुपाडे पर रख दिए

“उंहहहहह्ह्ह्हह” जयसिंह धीमे से आहे भरने लगा

मनिका के नाज़ुक होंठ बहुत ही कोमलता से लंड की नर्म त्वचा को जगह जगह चूम रहे थे , धिमे धीमे लंड की कोमल त्वचा पर कुछ पुच पुच करती वो चुम्बन लेने लगी, जयसिंह को अपनी बेटी के नाज़ुक होंठों का स्पर्श उस संवेंदनशील जगह पर बहुत ही प्यारा महसूस हो रहा था

“हाँ .......बेटी....... बहुत अच्छा लग रहा है” जयसिंह की बात सुन मनिका के होंठों पर भी मुस्कान फ़ैल गयी, जयसिंह की बात से थोडा उत्साहित होकर मनिका और भी तेज़ी से लंड के सुपाडे को चूमने लगी, कुछ ही पलों में जयसिंह अपनी बेटी के होंठों के स्पर्श के उस सुखद एहसास में डूबने लगा,



“आआहह... बेटी... प्लीज बेटी ऐसे ही करते रहो” मनिका तो जैसे यही सुनना चाहती थी , उसने लंड को ऊपर उठाया और जड़ से लेकर टोपे तक लंड पर चुम्बनों की बरसात कर दी , फिर उसके होंठ खुले और उसकी जीभ बाहर आई , उसने जीभ की नोंक से लंड की त्वचा को सहलाया , गीली नर्म जीभ का एहसास होते ही जयसिंह के मुख से खुद ब खुद सिसकारी निकल गयी, मनिका की जीभ उस सिसकी को सुन और भी गति से लंड की निचली त्वचा पर रेंगने लगी, परन्तु उसे थोड़ा सा अजीब सा भी महसूस हो रहा था, उसे लग रहा था कि मानो जयसिंग के लंड पर कोई द्रव लगा था जो बाद में सुख गया था और उसका अजीब सा पर अच्छा स्वाद मनिका को अपनी जीभ पर महसूस हो रहा था, पर उसने इसकी ओर ज्यादा ध्यान नही दिया और लंड चुसाई में लगी रही

“अह्ह्हह्ह्ह्ह ............बेटी बहुत अच्छा लग रहा है.. बहुत........बहुत मज़ा आ रहा है” जयसिंह के मुख से लम्बी लम्बी सिसकारियां निकलनी शुरू हो गयी थी, अपने पापा के मुख से आनंदमई सिसकी सुन मनिका के होंठों की मुस्कान उसके पूरे चेहरे पर फ़ैल गयी, उसकी जीभ अब सिर्फ सुपाडे पर ही नहीं बल्कि उसके आस पास तक घूम रही थी , मनिका बेपरवाह अपनी जीभ लंड की जड़ से लेकर सिरे तक घुमा रही थी 
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