Mastram Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
10-04-2018, 11:59 AM,
#74
RE: Mastram Kahani बाप के रंग में रंग गई बेटी
ये तो सचमुच एक सजा से कम नही थी, कनिका जैसी खूबसूरत रांड बेटी सामने नंगी खड़ी हो तो वो कैसे खुद पर काबू रखता, पर वो मनिका को मना भी नही कर सकता था

उसने भारी मन से हाँ भर दी, उसके हां भरने की देर थी कि मनिका ने तुरंत जयसिंग के होठो पर हमला कर दिया,
मनिका अपने मुँह से अजीब-2 सी आवाज़ें निकाल रही थी...और जयसिंह को अपने होंठों के ज़रिए पिये जा रही थी.

जयसिंह ने मनिका को अपनी गोद मे उठा लिया और कनिका के साथ अपने रुम में आ गया

कनिका ने भी दरवाजा बंद कर दिया.

जयसिंह ने इतनी ज़ोर वाली सकिंग पावर आज तक महसूस नही की थी...उसने भी अपने आप को मनिका के हवाले छोड़ दिया..और आराम से खड़ा होकर उसकी स्मूच का लुत्फ़ उठाने लगा.

उसकी आँखे खुली हुई थी और वो पीछे खड़ी कनिका को बिल्कुल करीब से देख पा रहा था...उसने अपनी बाहें मनिका के चारों तरफ लपेट दी और मनिका को उतनी ही तेज़ी से चूमने लगा जितनी ज़ोर से वो चूम रही थी.



कनिका उन्हे किस्स्स करते हुए देखकर यही सोच रही थी की ना जाने किस जन्म का बदला ले रहे है एक दूसरे से जो इतनी ज़ोर से चूम रहे है...कनिका भी उनके बिल्कुल पास खड़ी थी, मनिका की पीठ उसकी तरफ थी

जयसिंह ने अपना हाथ पीछे की तरफ बढ़ाकर कनिका के बूब्स पर रख दिया...और इस तरह से मनिका के साथ-2 कनिका को भी अपने लपेटे में ले लिया जयसिंह ने...कनिका तो अपने पापा के सख़्त हाथों को अपनी कोमल और नन्ही छाती पर महसूस करते ही भलभला उठी...और अपने होंठों को दांतो तले दबाकर अंदर ही अंदर सिसक पड़ी..


कुछ देर तक चूमने के बाद मनिका को जैसे होश आया...उसने आँखे खोली और जयसिंह को बेड पर बैठने को कहा..

मनिका की आँखे खुलते ही जयसिंह ने तुरंत कनिका के बूब्स छोड़ दिए...कनिका को तो मज़ा आना शुरू ही हुआ था की जयसिंह ने हाथ झटक लिए..उसे बहुत बुरा लगा..पर वो कर भी क्या सकती थी...आज उसका दिन नही था...इसलिए ऐसे में उसे आज जो भी मिल रहा था उसके लिए वही बहुत था..

जयसिंह भी जानता था की मनिका को अच्छा प्यार देने की खातिर आज उसे कनिका से दूर ही रहना होगा..


मनिका को चूमते-2 जयसिंह के हाथ उसके बूब्स पर चले गये...मनिका को हमेशा से ही अपने बूब्स पर हाथ लगने के बाद गुदगुदी सी महसूस होती थी...उसने जयसिंह के हाथ वहां से हटाना चाहा पर वो तो शैतान पापा की तरह अपनी बेटी की कमज़ोरी जानने के बाद उसके पीछे ही पड़ गया...और अपना मुँह नीचे करते हुए उसने टी शर्ट के उपर से ही उसके उभरे हुए निप्पल को अपने दांतो में दबोच लिया और ज़ोर से काट लिया.



''आआआआआआआआआआआहह सस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्सस्स....पापाआआआ .....''

एक साथ दो सिसकारियाँ गूँजी थी....मनिका के साथ-2 कनिका भी कसमसा उठी थी.

दोनो ने एकदम से अपनी किस्स तोड़कर कनिका की तरफ देखा तो वो थोड़ा डर सी गयी...कि कहीं उसे कमरे से बाहर जाने के लिए ना बोल दे...वो चुपचाप जाकर कोने में पड़ी चेयर पर जाकर बैठ गयी.
मनिका और जयसिंह मुस्कुरा दिए और एक बार फिर से अपने काम पर लग गये.मनिका उसे चूमने में और जयसिंह उसके बूब्स को दबोचने में ..

अब मनिका अपने जंगली रूप में आने लगी थी...जयसिंह जिस अंदाज से उसके बटन्स को छेड़ रहा था,मनिका अपनी उत्तेजना की सीमा के करीब पहुँचती जा रही थी.

जयसिंह ने अपनी टी शर्ट उतार दी और अपना कसरती बदन मनिका को दिखाया.



जवाब मे मनिका ने भी उतनी ही बेशर्मी से अपनी टी शर्ट को उतार फेंका...जयसिंह ने उसकी टी शर्ट उतारने में मदद की और उतारने के बाद उसे हवा में उछाल दिया .... अब वो सिर्फ़ ब्रा और स्कर्ट में खड़ी थी.



ऐसा लाजवाब हुस्न देखकर जयसिंह का लंड उसके पाजामे में खड़ा हो गया....जिसे आगे बढ़कर मनिका ने अपने हाथो में पकड़ा और ज़ोर से दबा दिया...जयसिंह ने अपना हाथ उसकी कमर पर लेजाकर उसकी ब्रा के हुक्स खोल दिए और अपनी आँखो का इशारा करके उसे नीचे जाने को कहा...

मनिका ने अपने हाथ उसके पाजामे पर रखे और जयसिंह ने उसकी ब्रा पर..और जैसे ही मनिका नीचे बैठी, उसकी ब्रा जयसिंह के हाथ में रह गयी...और नीचे बैठते-2 जयसिंह के पाजामे को मनिका ने नीचे कर दीया..इस तरह से दोनो एक ही साथ नंगे हो गये

जयसिंह का लंड मनिका के चेहरे से किसी डंडे की तरह टकराया..जिसे पकड़कर उसने बड़े प्यार से देखा लेकिन जैसे ही वो उसे चूसने के लिए आगे हुई, जयसिंह ने उसे रोक दिया, बेचारी के मुंह का पानी अंदर ही रह गया..


जयसिंह : "ऐसे नहीं ... पहले रिक्वेस्ट करो, इसे चूसने की परमिशन मांगो ''.

मनिका भी जयसिंह की ये बात सुनकर सोचने लगी की ये क्या हो गया है पापा को, ऐसे मौके पर आकर ये कैसी हरकत कर रहे है, जब वो चूसने के लिए तैयार है ही तो इस तरह की मिन्नतें करवाकर उन्हें क्या मिलेगा.

पर वो बेचारी नहीं जानती थी की आज की रात के लिए जयसिंह ने क्या-२ सोच कर रखा हुआ था, और ये भी उसी सोच का हिस्सा था, जयसिंह जानता था की ये मनिका की तीसरी ही चुदाई है, इसलिए उसकी चुदाई की हर मूमेंट को वो यादगार बना देना चाहता था, ताकि वो उसे उम्र भर याद रखे, इसलिए कदम-२ पर उसने इस तरह के छोटे-२ खेल सोच कर रखे हुए थे.

मनिका ने भी बहस करना सही नहीं समझी , वो उसके मोटे लंड को देखते हुए प्यार भरे स्वर में बोली : "प्लीज , लेट मी सक इट, चूसने दो मुझे ''



जयसिंह (मुस्कुराते हुए) : "यस, सक्क इट , चूसो इसे, मेरे लंड को,मेरी बॉल्स को, चाटो , खा जाओ इन्हे ....."



मनिका ने महसूस किया की ये सब सुनकर उसके शरीर में अजीब-२ सी तरंगे उठने लगी है, वो पहले से ज्यादा उत्तेजित महसूस करने लगी, जयसिंह के लंड को चूसने की अभिलाषा और जोर से उभरने लगी, अब वो समझ गयी थी की पापा ने ये सब किसलिए किया , वो मन ही मन उन्हें थेंक्स बोलते हुए आगे बड़ी और टूट पड़ी जयसिंह की टांगो के बीच ..
.कुछ देर तक उसकी बॉल्स को अच्छी तरह चूसने के बाद एक ही बार में उसके मोटे लंड को अपने मुँह के अंदर निगल गयी.



मनिका ने इस पल का ना जाने कितने पलो से इंतजार किया था...जब से कनिका और मनिका ने सीक्रेट शेयर किये थे तब से ही मनिका के दिमाग़ में बस यही चल रहा था की जब पापा घर पर दोबारा मिलेंगे तो कैसे चुसेगी...कैसे मसलेगी उनके लंड को.

क्योंकि एक बात तो वो समझ ही चुकी थी की उसके पापा को लंड चुसवाना बहुत पसंद है.

अब इस पगली को कौन समझाए की ये काम तो हर मर्द की पहली पसंद है.

मनिका ने पिछले 2 दिनों से इकट्ठी की हुई लार को चाशनी की तरह अपने पापा के लंड पर लपेट कर उसे नहला दिया और ज़ोर -2 से जयसिंह का मीठा लंड चूसने लगी.

ये सब देखकर कनिका का क्या हाल हो रहा था ये बताने की ज़रूरत नही थी.

वो तो अपनी चूत को अपनी जाँघो के बीच दबाकर अपनी संतरे की फांको को आपस में बुरी तरह से मसल रही थी.. और साथ ही साथ अपनी उंगली खुद ही चूस्कर अपने दिल को तसल्ली दे रही थी की वो भी किस्स कर रही है...और दूसरे हाथ से अपनी छातियों को लाल करने में लगी हुई थी.

जयसिंह तो नीचे मुँह करके मनिका की छातियाँ देखकर पागल हुए जा रहा था, उसकी इन्ही तनी हुई कुँवारी छातियो ने ही उसकी तरफ आकर्षित किया था उसे हमेशा से...और अब वही छातियाँ उसके सामने थी...और वो भी पूरी नंगी.

जयसिंह के मुँह मे पानी भर आया...और उसे मालूम था की इस पानी को कहाँ उड़ेलना है...उसने मनिका की बगल में हाथ डालकर उसे किसी बच्चे की तरह उठाकर बेड पर पटक दिया और उसके मुम्मो पर टूट पड़ा...ऐसा लग रहा था जैसे वो दो मीठे स्पॉंज केक खा रहा था जिनपर लगी चेरी को वो मुँह में लेजाकर चुभलाता और अपने दांतो से उसे उखाड़ने की कोशिश भी करता.
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