Mastram Kahani मेरी बेकाबू जवानी
08-31-2018, 04:56 PM,
#9
RE: Mastram Kahani मेरी बेकाबू जवानी
मेरी बेकाबू जवानी--5 
गतान्क से आगे...... 
मे अंकल की पैरो के पास जाके उनको चूमने लगी, मे जैसे जैसे उपर की ओर आगे बढ़ रही थी आज मे पहली बार अंकल का लंड देख रही थी, वो बहुत लंबा और मोटा था, वो 6 इंच लंबा और 2 इंच मोटा था, उनके लंड के आस पास हल्के सफेद बाल थे, उनकी लंड की गोतिया भी बड़ी थी जिसे मेने अपनी चूत के पास महसूस किया था. मे जब उनके लंड के पास आई तो अंकल अपने हाथो के सहारे अपना कमर का भाग उठा के मुझे देख रहे थे और अंकल ने कहा “ जया ये मेरा लंड है, जिसके उपर के भाग को टोपी कहते है और उसके नीचे के चॅम्डी वाले भाग को टोपी को उपर नीचे करने के लिए इस्तेमाल करते है, तुम मेरा लंड अपने हाथ मे लो और इसे बीच से पकड़ के उपर नीचे करो”. मैने ऐसा ही करने के लिए उनके लंड को अपने हाथ से पकड़ लिया और उपर नीचे करने लगी, मेने देखा की अंकल की टोपी वाला भाग एक दम गोरा था और उसमे एक च्छेद भी था और उनकी टोपी की जैसे ही मे चॅम्डी उपर करती तो पूरा अंदर चला जाता और नीचे करते समय वो बाहर आ जाता. अंकल ने कहा ” जया रानी ये लंड ही है जो तुम्हे बहुत खुस रखेगा और तुम्हारे जिस्म की प्यास को भी बुझा ये गा. वक़्त आने पर मे तुम्हे लंड कैसे इतेमाल केरते है जिस्म की प्यास बुजाने के लिए ये बताउन्गा”. फिर में काफ़ी देर तक लंड से खेलती रही, तब अंकल ने कहा “ जया मेरे वाले टोपी भाग को अपने होंठो से चुमलो” मेने अंकल के लंड की टोपी को अपने नाज़ुक होंठो से हल्का सा चूम लिया और फिर धीरे धीरे पूरी टोपी को को चूमने लगी, ऐसा करते मे बहुत शर्मा रही थी और मेरी चूत मे हलकीसी खुजली हो रही थी. अंकल ने अपने हाथ मेरे सिर पे रख दिए और मेरे बालो से खेलने लगे. फिर मेरे सिर को वाहा से हटा के अपने पेट पे ले गये और मेने उनकी नाभि जोकि उनके पानी से भी गी हुई थी, उसमे जीभ घुमा के उसे चाटने लगी, उसका स्वाद उनके पसीने से मिलने के बाद खट्टा और खारा सा लग रहा था. मेने अंकल की छाती को चूमते हुए उनके होंठो को चूमने लगी. हम दोनो काफ़ी मदहोस हो गये थे और एक साथ पानी छोड़ दिया. हम दोनो अपने कपड़े पहनेके सोफे पे बैठ गये. अंकल ने मुझे कहा “ जया कल सुबह तुम मेरे घर पे नही आ ना बलके मे तुम्हारे घर पे आउन्गा, क्यूंकी कल सॅटर्डे है और तुम्हारी कॉलेज दोपहर की होगी तो हम दोनो कॉलेज जाने के समय तक साथ रहेंगे तुम्हारे कमरे मे, तुम अपने मम्मी पापा की चिंता मत करना मे सब संभाल लूँगा, हा और तुम बिना कपड़ो के ही सोना और मैं ठीक 4:45 को तुम्हारे घर पे आजाउन्गा और तुम सिर्फ़ ब्रश ही करना. “ मैं अंकल की बात सुनके उन्हे चुंबन देके अपने घर चली गयी. 



डेट 22-जून-2000. 4:45 को कोल्गेट से ब्रश करके नंगी ही अपने घर के दरवाजे पे अंकल का इंतेज़ार करने लगी. मेने देखा अंकल भी पूरे नंगे थे और सीढ़ियो से उपर आ रहे थे. अंकल ने घर मे आते ही मुझे दबोच लिया और मुझे चूमने लगे. मेने कहा “ राज अंकल दरवाजा तो बंद कर ने दो” तो अंकल ने उसे बंद करके मुझे अपनी बाँहो से उठा ते हुए मेरे कमरे मे ले गये. मेने अपने कमरे को अंकल के पहली बार आने की ख़ुसी मे थोड़ा सा सजाया था. बेड के दोनो ओर फ़ॉल रखे थे और दीवालो पे उनका नाम लिखा था “ राज अंकल माइ लव”. मेने गुलदस्ता से उनका स्वागत किया, अंकल काफ़ी खुस थे. वो मुझे बेड पे लिटा के मेरे पूरे जिस्म को अपने हाथ और होंठो से नोच रहे थे. अंकल मुझे बेड से उठा के बाथरूम ले गये. वाहा हम दोनो नंगे ही खड़े थे. फिर अंकल ने शवर को चालू करके पूरे जिस्म को पानी से भिगो दिया और मेरे हाथ को एक झटका देते हुए मुझे भी पानी के नीचे खड़ा कर दिया. अंकल मेरे होंठो को चूम रहे थे और अपने हाथ मेरी पीठ और गन्ड पे घुमा रहे थे. फिर अंकल ने शवर को बंद करते हुए कहा “ जया अब अपने हाथो से मुझे साबुन लगा के मेरे पूरे जिस्म को साफ करो” मेने ऐसा ही किया और उनका पूरा जिस्म साफ कर दिया. अब उनकी बारी थी मेरे जिस्म को साफ करने की. अंकल ने पहले मेरे हाथो पे साबुन लगाया, फिर मेरे स्तनो को, कमर को, पीठ को, गन्ड को, पैरो को और मूह को साबुन से साफ किया. फिर मेने रुमाल से उन्हे साफ किया और उन्होने मुझे साफ किया. उन्होने मेरे बालो को साफ नही करने दिया. मेरे बालो से मेरे जिस्म पे हल्की सी पानी की बूँद आ रही थी. फिर अंकल ने मुझे बेड पे जाके लेटा दिया और मेरे पूरे जिस्म को अपने होंठो से चूमा, मेरे जिस्म की एक भी ऐसी जगह नही थी जो उनके होंठो से चूमि ना गई हो. फिर मेने उनके सारे जिस्म को चूमा, मेरे भीगे बालो की बजह से उनके जिस्म पे कई जगह पे पानी गिर रहा था और उन्हे वो अच्छा लग रहा था. फिर उन्होने मुझे पीठ के बल लेटा दिया और मेरे उपर लेट गये. उनका लेफ्ट पैर मेरे दोनो पैरो के बिचमे रख के वाहा जगह बनाने लगे, मेने अपने लेफ्ट पैर को थोड़ा सा हवा मे उठा ते ही अंकल ने अपने पैर को मेरी गन्ड की ओर आगे बढ़ाया और मेने अपना पैर उनके पैर के उपर रख दिया, इस तरह से उनका लंड मेरी चूत के पास आने लगा. उन्होने अपने हाथो को मेरे भीगे बालो मे डाल दिया और मुझे अपने जिस्म से दबाते हुए मेरे होंठो, गर्दन, गालो पर चूम ने लगे. उस वक़्त मेरे हाथ अंकल की पीठ पे थे और मैं नाख़ून से उन्हे नोच रही थी. फिर अंकल अपना ज़ोर ढीला करते हुए मेरे बालो को सहलाते रहे और धीरे धीरे मेरे होंठो को चूमने लगे और मुझसे कहा “ जया आजे ये हमारे लिए खास दिन है के हम तुम्हारे घर मे तुम्हारे ही बेड पे नंगा लेटे हुए है और एक दूसरे के जिस्म की प्यास बुझा रहे है, जया हम ये जो कर रहे है वो एक सुरुआत है अपने जिस्म की प्यास बुझाने की, हमे और आगे जाना है, बस तुम वो ही करना जो मे तुम्हे कहु और हा कभी तुम्हे कुछ करनेका मन हो तो मुझे ज़रूर बताना.”. अंकल मेरे होंठो को चूमते हुए आज अपनी जीभ मेरे होंठो के अंदर डाल ना चाहते थे, मेने अपने होंठो और दांतो को थोड़ा सा खोल दिया और अंकल ने जीभ मेरे मुहमे अंदर डाल दी, अंदर जीभ आते ही मे अंकल के जिस्म से ज़ोर से लिपट गयी, अंकल ने मेरे भीगे बालो को मुट्ठी पे लेते हुए कस के पकड़ लिया, अंकल की जीभ मेरे मुहमे आते ही मेरी जीभ से टकरा गयी और हम दोनो की जीभ एक दूसरे को चाटने लगी और अंदर ही अंदर लड़ाई हो रही थी कौन सामने वाले की जीभ पे काबू पाए. अंकल ने अपना दबाव मेरे जिस्म पे और बढ़ाते हुए और मेरे बालो को ज़ालिमो की तरह नोचते हुए ये ऐएहसास जाता रहे थे कि मुझे हर हाल मे जीतना है और मेने अपनी जीभ उन्हे समर्पित करके उनको जिता दिया. अंकल मेरी जीभ को बड़े प्यारे से चूम रहे थे और अपनी जीभ से मुहके हर जगह पे ले जाके अपनी जीत की ख़ुसी जाहिर कर रहे थे. हम दोनो अपना जिस्म ढीला करके एक दूसरे को देख रहे थे. फिर में अंकल को बाजू मे करते हुए उनके उपर लेट गयी और उनके होंठो को चूमने लगी. अंकल थोड़ा उठे और बेड पे ही मुझे अपनी गोद मे बैठा के मेरी कमर को हाथो से ज़ोर से दबोच लिया. इधर मेने अंकल के मुहमे अपनी जीभ डाल दी और अंकल समझ गये कि अब जया भी मेरी जीभ पे जीत हासिल करना चाहती है तो, अंकल ने मेरी जीभ को अपने मुहमे अंदर मे आने दिया और जैसे वो हार चुके थे वैसे मेरी जीभ को जो करना चाहा वो केरने दिया, 
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