RE: Mastram Kahani मेरी बेकाबू जवानी
पति जी ने मुझे सुबह को उठाया और मैं अपने घर चली गयी. में घर जाके फ्रेश होके कॉलेज के लिए निकल पड़ी. जैसे ही मैं पति जी के घर मे घुसने वाली थी के पति जी मुझे पकड़ के चूमने लगे और हम दोनो एक दूसरे को देर तक चूमते रहे. पति जी ने मुझे कहा “ जया आज मैं तुम्हे कॉलेज छोड़ने आउन्गा, तुम्हारी नयी गाड़ी मे”. मेने देखा कि पति जी ने अपने जिस्म के उपर एक कपड़ा भी नही पहना था, तो मेने आश्चर्य से पति जी की ओर देखते हुए पूछा कि “ पति जी आप तो बिल्कुल नंगे है और मुझे कॉलेज छोड़ने आएँगे”. इस पर पति जी ने कहा “ अरे मेरी पगली हम दोनो तो पार्किंग मे से सीधे गाड़ी मे बैठ के कॉलेज के लिए चले जाएँगे तो उसमे कपड़े की क्या ज़रूरत, और तुम्हे पता नही है इस गाड़ी मे अंदर कौन बैठा है वो बाहर से नही दिखता और मुझे थोड़े ही कॉलेज जाना है”. और इतना कहते ही पति जी मेरे हाथ को पकड़ के मुझे पार्किंग मे गाड़ी के पास ले जाके गाड़ी चालू करके कॉलेज के लिए निकल पड़े. मेरे घर से कॉलेज जाने के लिए करीब पैदेल 20 मिनट लगते है, लेकिन मेने देखा कि पति जी ने गाड़ी को किसी और रास्ते से ले लिया, हालाकी मुझे सूरत सिटी के रास्ते के बारे मे ज़्यादा जानकारी नही थी इस लिए मे चुप बैठी रही.
एक बड़ा सा रोड आया, जिस के उपर कुछ गाडिया ही दौड़ रही थी. पति जी ने गाड़ी को एक छोटे से बगीचे के पास जाके खड़ी कर दिया. उन्होने मुझे पीछे की सीट पे जाने के लिए इशारा किया और खुद भी पीछे की सीट पे आके मेरे बाजू राइट साइड मे बैठ गये. उन्होने अपने लेफ्ट हाथ को मेरी गर्दन मे डाल दिया और मेरे होंठो को चूमने लगे. फिर थोड़ी देर के बाद उन्होने मेरी कॉलेज के ड्रेस के शर्ट के पहले बटन को अपने राइट हाथ से खोला और मेरी गर्दन के पास जाके वाहा से चूमते हुए नीचे जाने लगे. उनके ऐसा करते ही मेने अपने दोनो हाथो से उनके चेहरे को पकड़ के उपर किया और उनसे धीमी आवाज़ मे कहा “ पति जी आप मुझे नंगा मत कीजिए, मुझे कॉलेज के लिए जाना है”. पति जी ने मुझे गुस्से भरी आँखो से देखा, मैं बहुत डर गयी थी. उन्होने मेरा कहना अनसुना किया और जहा रुके थे वही से चूमना सुरू किया. पति जी ने धीरे धीरे मेरे शर्ट के सारे बटन को खोला और हर बटन के खोलने पर उस के नीचे नंगे जिस्म को चूमा. उन्होने मेरे शर्ट को अपने दोनो हाथो से मेरे स्तन के उपर से हटा दिया और मेरे दोनो स्तन को अपने हाथो से दबा दिया, मैने ईक सिसकारी ली और अपने जिस्म को ढीला छोड़ दिया.
पति जी तो पहले से ही नंगे थे, इसलिए जैसे ही वो मेरे होंठो को चूमने के लिए मेरे उपर झुके, उनका लंड मेरी स्कर्ट के उपर लगने लगा. उनके लंड के उपर थोड़ा सा पानी आ गया था, जिस ने मेरी स्कर्ट को थोड़ा सा गीला कर दिया. मेने ये महसूस करते ही अपने हाथो से स्कर्ट को हटाते हुए लंड को चूत के पास ले जाके रख दिया. मेरे मन मे तो पति जी के द्वारा किया जा रहा प्यार और कॉलेज जाने का डर चल रहा था, इसलिए मैं किसी एक पर ध्यान ना टिका सकी. ये जानते ही पति जी ने मेरे होंठो को चूमना छोड़ दिया और मेरे से अलग हो गये और मुझे उपर से नीचे तक देखने लगे. फिर पति जी ने कहा “ जया अपने कॉलेज ड्रेस को निकाल के बाजू मे रख दो. मेने पति जी की आज्ञा का पालन करते हुए अपने शर्ट और स्कर्ट को अपने जिस्म से निकाल के बाजू मे रख दिया और अब मैं भी पति जी की तरह बिल्कुल नंगी हो के अपनी गाड़ी मे बैठी थी. मेने अपने सिर को नीचे झुकाए पति जी के लंड को देख रही थी, तभी पति जी ने मेरे हाथो को अपने लंड के उपर रख दिया. फिर अपने हाथो से मेरे हाथो के उपर रख के लंड के उपर की चॅम्डी को नीचे से इपर करने लगे और कुछ देर के बाद अपने हाथो को मेरे हाथो के उपर से छोड़ दिया. मेने अपने आप पति जी के लंड के उपर की चॅम्डी को अपने हाथ उपर नीचे करने लगी.
लंड की उपर चॅम्डी को उपर नीचे करते हुए मेने देखा कि पति जी के लंड को नीचे करते वक़्त पति जी का लंड बिना चॅम्डी का हो जाता था. उनके लंड की चॅम्डी के नीचे का भाग काफ़ी गोरा था और वो कोई चिकन की बोटी जैसा था, मानो के चिकन लॉलीपोप जैसा. मुझे खाने चिकन लॉलीपोप बहुत पसंद था, इसलिए मेने पति जी से कहा “ पति जी आपका लंड तो एक दम चिकन लॉलीपोप के जैसा है” तो उस पर पति जी ने कहा “ हा जया रानी ये तुम्हारे लिए ही बना है. मेने तुम्हारी मम्मी से बात की थी के तुम्हे खाने मे क्या क्या पसंद है तो मुझे पता चला कि तुम्हे चिकन लॉलीपोप बहुत ही पसंद है. इसलिए मेने अपने लंड को कसरत करा के खास तुम्हारे लिए चिकन लॉलीपोप के जैसा बनाया है”. लंड को उपर नीचे करते हुए मेने पति जी से कहा “ आप को दर्द भी हुवा होगा जब आपने अपने लंड को सिर्फ़ मेरे लिए चिकन लॉलीपोप के जैसा बनाया”. पति जी ने कहा “ अरे मेरी जया रानी मेने तुम्हे पहले भी बताया था कि तुम्हारी ख़ुसी के लिए मैं कुछ भी कर सकता हू, ये तो बहुत ही मामूली चीज़ है”. मेरे दिल मे पति जी के लिए बहुत सा लगाव आ गया और मेने सीट पे से उठ के पति जी के पैरो को च्छू लिया. पति जी ने मुझे तुरंत ही मेरे कंधो से पकड़ के मुझे सीट पे लिटा दिया और खुद मेरे उपर लेट गये. पति जी ने मेरे बालो को अपने दोनो हाथो से पकड़ के उपर की ओर खिचा और मेरे होंठो को चूमने लगे.
मेने पति जी सीट पे से गिर ना जावे इस लिए अपने पैरो को फेलाते हुए पति जी के पैरो के लिए अपने पैरो के बीच मे जगह बना दी. थोड़ी देर तक होंठो को चूमने के बाद पति जी ने मेरे पैरो के बीच मे बैठ के मेरे दोनो पैरो को अपनी छाती के पास ले जाके रख दिया. अपने मोटे से लंड को मेरी चूत मे डाल दिया और मेरी कमर के दोनो बाजू को अपने हाथो से पकड़ के लंड और चूत की चुदाई शुरू कर दी. मेरे दोनो हाथ मेरे जिस्म के उपर थे, मेरे जिस्म मे बहुत सी आग लगी थी और पूरे जिस्म मे आग की लहरे दौड़ रही थी, इसलिए मेने अपने दोनो हाथो को मेरे सिर के पीछे ले जाके सीट के किनारे को पकड़ लिया. इधर मेरे ऐसा करने से ही पति जी लंड को चूत मे तेज़ी से अंदर बाहर करने लगे. मेरे जिस्म मे कुछ अजीब सा हो रहा था, इस वक़्त मे बस पति जी के लंड को मेरी चूत मे अंदर बाहर हो रहा था उसे ही महसूस कर रही थी. मेने हर वक़्त अहसास किया की लंड के अंदर जाते ही मेरी चूत मे हल्का दर्द हो ता है और लंड मेरी चूत की चॅम्डी को और अंदर करता हुवा अपने लिए जगह बना ने लगता था.
मैं ये सब सोच के पागल हो रही थी और मेरे पूरे जिस्म के उपर इस पागल पन का नासा छा रहा था. पति जी ने ये महसूस करते ही मेरे उपर झुक के मेरे होंठो को चूम के मुझे और पागल बना दिया. मेने तुरंत ही अपने जिस्म को कड़क करके अपनी चूत का पानी छोड़ दिया. पति जी ने मेरी चूत से पानी छूट ते ही लंड को बाहर निकाल दिया. पति जी ने तुरंत ही मेरी चूत के पास अपना मूह ले जाके मेरी चूत मे से निकले पानी को पी लिया और मेने अपने दोनो हाथो से उनके सिर को पकड़ के अपनी चूत मे और अंदर तक धकेल ने लगी. फिर पति जी ने खड़े होके कहा “ जया सुबह सुबह तुम्हारी जैसी कमसिन और नादान लड़की की चूत का पानी पीने का मज़ा ही कुछ अलग है. चलो अब तुम अपना कॉलेज ड्रेस पहेनॉ और हम तुम्हारी कॉलेज चलते है.
कॉलेज मे जाते ही दरवाजे पे खड़े चोकीदार ने दरवाजा खोला और गाड़ी अंदर जा पोहचि और मेने गाड़ी मे से बाहर निकल के पति जी को बाइ किया और अपने क्लास मे जा के बैठ गयी. रीसेसस होते ही मैं सीधे प्रिन्सिपल के ऑफीस मे जाके उनसे घर जाने की छुट्टी के लिए कहा. हमारे प्रिन्सिपल भी एक 55 साल के बुढ्ढे इंसान ही है. प्रिन्सिपल ने मुझे उपर से नीचे तक देखा और फिर कहा “ आज राज जी आए थे तुम्हे छोड़ने “ तो मेने कहा “ हा, वो हमारे घर के मालिक है, हम उनके घर के उपर के माले पे किराए के घर मे रहते है”. और प्रिन्सिपल ने मुझे घर जाने की इजाज़त दे दी. दोस्तो इस तरह मैं अपने पति के साथ अपनी ससुराल पहुच गई और हमने अपना खेल खेलना शुरू कर दिया जब मैं अठारह साल की हुई तो पति जी और मैने हमारी शादी की बात अपने मा बाप को बता दी पहले तो मम्मी पापा बहुत नाराज़ हुए लेकिन मेरी ज़िद के आगे वो मान गये अब मैं अपने पति राज शर्मा के साथ रहती हूँ और राज जी मेरी रोज चुदाई करते है मैं भी उनसे अपनी चूत गान्ड उछाल उछाल कर मरवाती हूँ
दोस्तो ये कहानी यही समाप्त होती फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त................................
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