RE: Mastram Kahani यकीन करना मुश्किल है
उन्होने मुझे अचानक से अपनी बाहों मे खींच लिया और सीधा मे गालो को चूमने लगे और फिर मुझे बिस्तर पर लिटा कर मुझसे कस कर चिपक गये, मैं इस के लिए तैयार ना थी और उनसे कहने लगी कि मैं अपने गहने उतार लेती हूँ.
इस पर उन्होने मुझे अलग कर दिया और मेरी तरफ देखने लगे, मैने उन्हे देखे बिना अपने सारे ज़ेवर उतार कर अलमारी मे रख दिए और बिस्तर पर उनके करीब आ कर लेट गयी. उन्होने मुझे फिर से बाहों मे कस लिया और उनके हाथ मेरी पीठ पर थे और धीरे धीरे वो मेरे टॉप के बटन खोलने लगे.मैने हाथ पीछे लेजकर उन्हे रोकना चाहा ही था कि उन्होने अपने एक हाथ से मेरे हाथ रोक लिए. अब चेहरे से अपने होंठ हटा कर उन्होने मेरे होंठो पर अपने होंठ रख दिए और मेरे निचले होंठ को अपने उपर के होंठ से चूसने लगे, मेरे सारे बदन मे झुरजुरी सी होने लगी, आज तक किसी ने मेरे होंटो पर इस तरहा किस नही किया था, मैं भी उनका साथ देने लगी, अब उन्होने मेरे टॉप के सारे बटन खोल दिए थे और अब मेरे टॉप को निकालना चाहते थे,इसके लिए उन्होने मुझे थोड़ा दूर किया तो मेरी आँखें उनकी आँखो से मिली और मैने शरमा कर अपनी आँखें बंद कर दी. एक झटके मे मेरा टॉप उतर गया और फिर दोबारा उन्होने उसी तरहा मेरी ब्रा के हुक भी खोल दिए और मेरी ब्रा को मेरे बदन से आज़ाद किया. मैने अपने दोनो हाथ अपने सीने पे लगा लिए लेकिन उन्होने फिर बड़ी तेज़ी से मेरे हाथ हटा दिए. मैं बहुत शर्म महसूस कर रही थी,
लेकिन अब उनका ध्यान मेरी आँखो पर नही बल्कि मेरे नंगे सीने पर था.
अब उनके हाथ मेरे नर्म सीने पर आ गये, जिससे मेरी मूह से अया सीईईईईई की आवाज़ आई.
अब उन्होने मुझे मेरी पीठ के बल लिटा दिया और मेरे निपल्स पर अपना मूह रख दिया, ऐसा अहसास मुझे पहले नही हुआ था, अब मैं अपने आपे मे ना रही और उनके सर को अपने सीने मे दबाने लगी ऐसा लगा जैसे मैं किसी तेज़ धारा मे बही जा रही हूँ. उनका एक हाथ मेरे दूसरे सीने पर था.
मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी शर्म गाह मे से कुछ रिस रहा है. अब उन्होने मेरी लहगे के नाडे मे हाथ डाला जिसके लिए मैं तैयार ना थी, एक झटके मे मेरा लहगा खुल गया.
वो अब उठ गये और मेरे लहगे को नीचे कर दिया. मेरे जिस्म पर पर मेरी पैंटी के अलावा कुछ ना था, उन्होने एक नज़र मेरी सफेद टाँगो को देखा और फिर मेरी पैंटी की एलास्टिक को पकड़ कर मेरी पैंटी नीचे करने लगे, मैने कस कर अपनी पैंटी को पकड़ लिया लेकिन उनकी ज़िद के आगे कुछ ना कर सकी.
तुरंत उन्होने मेरी टाँगो के बीच बैठ कर मेरी पैंटी नीचे सरका दी.
अब मैं बिस्तर पर बिल्कुल नंगी लेटी थी और दोनो हाथो से अपना मूह छिपाए थी. मैं शर्म से गढ़ी जा रही थी. आज तक मुझे किसी ने ऐसी हालत मे देखो हो ये मुझे याद नही है. कुछ देर वो इसी तरहा देखते रहे और एक उंगली मेरी टाँगो के बीच मे ले गये.मैं एक दम सिसक उठी, हाअइईई,उफफफफफफफफफ्फ़,सीईईईईई
शौकत: तुम्हारी चूत तो बड़ी शानदार है. इतनी गुलाबी और भरी हुई.
मैं कुछ बोल ही ना सकी, कुछ देर तक कोई हरकत ना हुई तो मैने अपने हाथ हटा कर देखना चाहा तो क्या देखती हूँ कि मेरे शौहर अपने सारे कपड़े उतार चुके
थे और बिल्कुल नंगे मेरी टाँगो के बीच मे आकर बैठ गये. मुझे अंदाज़ा नही था कि आदमी लोगो का इतना बड़ा हो सकता है.
अब उन्होने मेरी टाँगो को हवा मे उठाया और अपना औज़ार मेरे मुहाने पर रख दिया.
कुछ देर वो उसे इसी तरहा रगड़ते रहे और फिर अचानक उन्होने एक ज़ोर का झटका मारा और पूरी तरहा मेरे अंदर दाखिल हुए, ये इतनी ज़ोर का धक्का था कि मैं चीख उठी,ऐसा लगा कि किसी तेज़ ब्लेड ने मेरी खाल को चाक कर दिया हो. शौकत शायद इस बात के लिए तैय्यार थे और उन्होने धक्का देते ही मेरे मूह पर हाथ रख दिया जिससे मेरी चीख कमरे मे ही रही.अब वो लगातार धक्के दिए जा रहे थे और मैं जैसे सातवे आसमान मे थी, अब मैं खुल कर आवाज़ निकाल रही थी,, उफफफफफफफफफफफफफ्फ़,हइई
,आआआआआआअहह, सीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
ये लगभग कुछ देर चला होगा कि मुझे लगा की मुझमे से कोई फव्वारा फूटने वाला हो और अचानक मेरे अंदर से गाढ़ा चिपचिपा पानी निकल पड़ा, इस अनोखे से एहसास ने ना जाने मुझे शुरुआत मे हुआ दर्द भुला दिया था, मुझे अपनी बहेन रीना की बात याद आई कि "आज की रात के बाद तू कुँवारी नही रहेगी"
कुछ देर मे शौकत ने भी एक फव्वारे मेरे अंदर छोड़ दिया और मुझपर ही लेट कर वो अपनी सांसो को अपने क़ब्ज़े मे करने लगे. हम कुछ देर इसी तरहा लेटे रहे और
फिर अपने कपड़े पहेन कर सो गये.
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