Mastram Kahani वासना का असर
08-15-2018, 11:37 AM,
#1
Lightbulb  Mastram Kahani वासना का असर
वासना का असर (बुआ स्पेशल)

दोस्तो एक कहानी और पेश है इस कहानी को स्टोरीटेलर ने लिखा है एंजाय कीजिए
वो मेरे दादा दादी की दुलारी बेटी और मेरे पापा की प्यारी बहन थी। वो मेरी बुआ थी। मैं अपने घर में सबसे छोटा था सो मेरे जन्म से पहले उनकी शादी हो चुकी थी। इकलौती होने के कारण सबकी प्यारी थी बुआ.. औसत लंबाई और देसीपन मोटापा लिए औरत..एक भरपूर बदन वाली औरत..बड़े बड़े स्तन और चौड़े नितम्ब वाली औरत..एक शादी-शुदा औरत..हाँ मुझे ये चीज उनमे सबसे अच्छी लगती थी की वो एक शादी-शुदा औरत थी।
ये वो समय था जब मैं सेक्स के लिए पागल था..किशोर अवस्था में कदम रखे हुए मुझे 3-4 वर्ष हो चुके थे..और हाथ से काम चलाना भी सीख चूका था। हालाँकि मैंने अभी तक सेक्स नहीं किया था लेकिन मैं सेक्स के लिए मरता था और उसकी भारी कमी थी मेरे जिंदगी में अतः थक हार के मै हाथ-जग्गनाथ की सरन लेता था।
मै बुआ के बारे में कतई गलत विचार नहीं रखता था, हाँ वो मुझे सेक्सी लगती थी पर सम्भोग के बारे में या कभी हस्त-मैथुन करते हुए मैंने उनके बारे में कभी नहीं सोचा था या कहिये उस दिन से पहले कभी नहीं सोचा था..तो उस दिन की ओर आते है..
उस दिन बुआ आई हुई थी फूफा जी के साथ और वो लोग मेरे बगल वाले कमरे में सो रहे थे, दोनों कमरे के बीच में एक रोसनदान थी। मै जगा हुआ था और तभी मुझे पलंग के चरमराने की आवाज़ आई..फिर एक लये में पायल छमकने की आवाज़ और फिर चूड़ियों की खनखनाहट और मेरे कान खड़े हो गए। मेरी बुआ सेक्स कर रही थी या यूँ कहे चुद रही थी वो भी बड़े मजे में..ये सोचते ही हम दोनों खड़े हो गय..मै और मेरा भूखा लिंग। खड़ा होते ही मैंने रोसनदान तक कैसे जाऊ ये सोचा..जैसे तैसे पोहोचा लेकिन किस्मत मेरे साथ नहीं थी अंदर घुप्प अँधेरा था..लेकिन बंधू मैंने हिम्मत नहीं हारी..और वो भूखा लंड ही कैसा जो इतनी जल्दी हार मान जाये। मैंने अपने कान लगा दिए..आँखों के सहारे ना सही कानो के सहारे ही लंड को कुछ राहत मिल जाए। कुछ मिनटों के बाद ही बुआ की कराहने की आवाज़ आयी..
आह..आह.. उह..उह..उह..उह..आह.. हम्मफ..
मैंने अपने तंबू से बम्बू निकाला और लगा पिटने..माहौल और गर्म होने लगा था..बुआ की आवाज़ आयी..
"उफ़ ज़ोर लगाओ ना..तेजी से करो.."
पता नहीं गति परिवर्तन हुआ या नहीं लेकिन फूफा जी की आवाज़ आयी..
"हहह..कुत्ती.. मादरचोद कुछ गन्दा बोल भोसड़ी.."
अब मेरा लिंग तो सुपर-मैन बन चूका था बिलकुल सीधा उड़ा चला जा रहा था..
"आह..बहनचोद जोड़ लगा के चोद ना..लौडे में जान नहीं है मादरचोद..उह..उह.."
और मै झड़ गया.. मेरे लिंग की आजतक की सबसे मज्जे वाली पिटाई थी.. मै नीचे उतर आया और अपने बेड पे लेट गया।
"तो मेरी बुआ एक चुदासी और गर्म औरत भी है सिर्फ देखने में ही नहीं वी अंदर से भी सेक्सी है..अगर मै उन्हें चोदूगा तो..लेकिन मै उन्हें कैसे चोद सकता हूँ..वो मुझे चोदने नहीं देगी और फूफा जी उस्से संतुष्ट रखते है..फिर कैसे.."
ये सब मेरे अंदर आने वाले विचार थे, फिर मुझे लगा ये असंभव है..मै बुआ के साथ कुछ नहीं कर सकता वो मुझे कभी करने ही नहीं देगी और मैंने कोशिश भी की और सबको पता चल गया फिर तो बेटा तेरा ही बम्बू तेरे ही अंदर घुसा दीया जाएगा।
अबतक दूसरे कमरे का तूफान भी थम चुका था..मैने भी इस विचार लपेट के दिमाग के कोने में डाला और अपने लिंग की तरह सो गया..लेकिन मुझे पता था अगली सुबह मै जब जगूंगा तो बुआ के प्रति मेरा नजरिया बदला हुआ रहेगा और मेरे अंदर जो वासना उसके लिए पैदा हुई है..उसकी पूर्ति के लिए मैं कोशिश जरूर करूँगा.. पूरी कोशिश उस शुद्ध वासना पूर्ति के लिए।
आज की सुबह कुछ अलग थी। मैने जागने के साथ ही यह महसूस किया था.. मेरे खडे लिंग ने भी इस बात को पुख्ता किया की सच में आज की सुबह कुछ अलग है। कमरे से बाहर निकलने के कुछ ही मिनटों बाद वो मुझे नजर आयी.. गोरी रंगत लिए हुआ उसका चेहरा, लाल और गुलाबी के मिश्रण लिए हुए उसके होंठ, वो उसका कामुक गला, और गले के नीचे..ब्रा, ब्लाउज़, और साड़ी के पल्लू में लिपटे उसके भाड़ी..गुदाज..बड़े से स्तन। उसके माँगो में सिंदूर दिख रही थी और गले में मंगल सूत्र भी..वो एक सेक्सी..कामुक और चुदासी लेकिन अच्छि चरित्र की एक शादी-शुदा औरत थी और मेरी अपनी सगी बुआ थी। मुझे और मेरे लिंग को पूरी तरह से जगाने के लिए ये काफी था। पर मेरे दिल को कुछ और भी चाहिए था और जल्दी ही उसने शायद मेरे दिल की सुन ली..और पीछे पलट गयी। हाय उसके नितम्ब बडे थे और काफी चौड़े भी।
"घोड़ी बना के चूत लेने में ज्यादा मजा आएगा"
मेरे दिल ने मेरे दिमाग से कहा। दिल और दिमाग की बात सुन मेरे लंड ने ऐसी ठुमकी लगाई जैसे उसने सुबह सुबह गांजा मार लिया हो।
गर्मी का मौसम था और सबलोग नास्ते और नहाने वैगरह के काम से फ्री हो गए थे..बुआ के वापस लौटने का प्रोग्राम शाम का बना था इसलिए वो कमरे में लेटी आराम कर रही थी। मै ऐसे ही टहलते हुए उसके कमरे के पास गया। वो बिस्तर पे लेटी हुई थी..गर्मी के कारण उसने साड़ी के पल्लू को अपने बड़े से स्तन से हटा रखा था..मुझे वहां से खड़े-खड़े उसके स्तन की घाटी दिख रही थी और इस दृश्य ने मेरे लिंग में फिर से जान फूंक दी। मै कमरे के अंदर गया और उसके बगल में लेट गया ये बोलते हुए गर्मी काफी है और घर में सबसे ठंडा कमरा यही है। वो शायद सोने की कोशिस कर रही थी..और जरुरत भी थी, कल रात उसकी अच्छि रगड़ाई हुई थी। 
उसने करवट बदली.. अब उसकी पीठ मेरे तरफ थी। मैने उसके चिकने पीठ को देखा और फिर मेरी नजर उसके कमर से होते हुए उसके नितम्ब पे आके ठहर गए। उफ़्फ़.. उसने आज चड्डी नहीं पहनी थी..उसके गांड के दरार में फंसी उसकी साड़ी इस बात का सबूत था। ये दृश्य मेरे लंड के लिए काफी था और मेरे लिए भी। अब मेरा रूकना मुश्किल था। पर मैं कुछ कर भी नहीं सकता था..लेकिन मैं मुठ जरूर मार सकता था और मै चाहता था कि मैं उसके चौड़े गांड को देख के मुठ मारू। मैने अपने पैंट को हल्का नीचे सरकाया और अपने लण्ड को बाहर निकाला और हौले हौले उसपे हाथ फिराना सुरु कर दिया। मुझे डर भी लग रहा था। पर वासना भी कोई चीज होती है बरखुदार।
मुझे पता नहीं मेरे अंदर इतनी हिम्मत कहाँ से आगयी थी..शायद ये अब तक पढ़ी गयी सेक्सी कहानियो का असर था..मैने हौले से अपने लण्ड को उसकी गांड के पास ले गया था और फिर मैंने हलके से टच करवाया..शायद उसे पता भी नहीं चला होगा लेकिन मेरे लिए ये काफी था। मै झठ से उठा और छत के सीढियो के पास जा अपनी वासना मिटायी वो भी खुद अपनी हाथो से।
…..
शाम को उसके जाने का वक़्त आगया था और मैंने अभी तक ऐसा कुछ भी नहीं किया था जो मेरे शुद्व वासना पूर्ति में सहायक हो। शायद मेरी फट रही थी..हाँ मेरी फट ही रही थी। वो कैसे मेरे साथ सम्भोग करने के लिए तैयार होगी..फूफा जी भी अच्छे खासे तगड़े मर्द है और रात को उसकी रगड़ाई भी अच्छी कर रहे थे इसलिए उसके जिंदगी में सेक्स की तो कोई कमी होगी नहीं..फिर कैसे??
मेरा दिमाग अब तक की पढ़ी गयी सारी कहानियो के बारे में सोच रहा था पर यहाँ पे कहानियो के सारे ट्रिक फैल हो रहे थे..उसके जीवन में सेक्स की कमी नहीं थी..ना ही वो बुरी चरित्र की औरत थी। 
अब वो जा रही थी सो मुझे उसके सेक्सी चरण छूने पड़ते। मै उसके पैर छूने के लिए झुका और उन्ही एक से दो सेकंड में मेरे दिमाग में एक विचार कौंधा.. जाते-जाते मै उसके चूत को जरूर छू सकता हूँ। पैर छूने के बाद उपर उठने वक़्त मैंने थोड़ी जल्दीबाजी दिखाई और बिलकुल उसे सट्ट के उपर उठना सुरु किया और कुछ ही देर में मेरा सिर उसके पेट के निचले हिस्से के पास था..उसके दोनों जाँघों के जोड़ के पास। मैंने अपने सर को वहाँ थोड़ा दबाया और मुझे कुछ खुर-खुराहट सी लगी..शायद उसके चूत के झांट थे। ये सब कुछ ही सेकंडों में हुआ था..पर मेरे अंदर आग लगाने के लिए काफी था। सर ऊपर उठाने के बाद मैंने उसके आँखों में देखा..मुझे वहां हल्की आश्चर्य और कौतुक का मिश्रण दिखा..और उसे भी मेरी आँखों में उत्तेजना और वासना की लहर दिखी होगी..शायद उसने महसुस कर लिया था की मैने ये सब जान-बूझ के किया है।
और वो चली गयी..।
लेकिन मेरे दिल और दिमाग ने ये सोच लिया था कि जब भी अगली मुलाक़ात होगी तो मेरा ये वासना..मेरा ये शुद्व वासना पूरी ताकत से वार करेगा अपनी ही सेक्सी..कामुक..चुदासी और गुदाज बदन वाली शादी-शुदा बुआ पे।
और वो वक़्त जल्दी ही आगया……।
उसके जाने के बाद ना जाने मैने अपने शुक्राणुओं को वीर्य के रूप में कितनी बार नाजायज बहाया और हाँ इसमे मेरे हाथो का पूर्ण योगदान था। कितनी राते मैंने अपने सोच में उसके साथ तरह तरह से सम्भोग किया था..अपने सपने में उसके उस वयस्क और गदराए शरीर का तरह तरह से भोग किया था। मेरे सोच में वो अक्सर बोहोत ही कामुक हो जाती थी..और अश्लील बातें करती थी..
"आह मै तुम्हारी बुआ हूँ, बुआ माँ सामान होती है..आह..और तुम अपनी माँ सामान बुआ को चोद रहे हो..ओह..उफ़.."
उस चुदासी शादि-शुदा बुआ के कामुक होंठो से निकले ये अत्याधिक अश्लील बातें मेरे लण्ड में प्रचण्ड शक्ति भर देती थी और मै उसके बड़े और भाड़ी चुँची को मसलते हुए अपने कठोर लण्ड को उसके लप-लपाती,पूरी तरह से गीली चूत में जड तक धाँस देता था..उसके मुँह से एक जोरदार "आह" निकलती थी और उसके कमर उसके चौडे गांड सहित मेरे लण्ड पे आगे-पीछे होने लगते थे जैसे वो बरसो से अपने चुदासी चूत के आग को संभाले हुए हो..और मै उसके चुँची के निप्पल को अँगूठे और ऊँगली के बीच मसलते हुए हौले से उसके कानों के पास जा के फुसफुसाता था..
"उफ़..बुआ तुम मेरी माँ होती तो भी मैं तुम्हे चोद देता..क्योंकी तुम एक चुद्दक्कड़ औरत हो..बिलकुल रंडी की तरह"
उसकी साँसे जरुरत से ज्यादा तेज हो जाती थी और एक जोरदार हुंकार के बाद वो अपने गांड को मेरे लण्ड पे ऐसे पटकती थी जैसे वो मेरे कमर सहित मेरे लण्ड को अंदर अपने चूत में घुसा लेना चाहती हो..उसके बड़े से और गुदाज मस्त चुँची बोहोत झुल रहे थे..मैं उन्हे ठीक से पकड नहीं पा रहा था और फिर उसकी आँखें मेरी आँखों से मिलती है..मेरी आँखों में झांकते हुए वो गुर्राती थी..
"आह..जोर से चोदो.. हम्म..रंडी हु मै तो रंडी की तरह चोदो..आह..फाड़ सकते हो तो फाड़ दो अपनी रंडी बुआ की चूत.. ओह्ह..ओह्ह.."
Reply


Messages In This Thread
Mastram Kahani वासना का असर - by sexstories - 08-15-2018, 11:37 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  बाप का माल {मेरी gf बन गयी मेरी बाप की wife.} sexstories 72 2,464 6 hours ago
Last Post: sexstories
  Incest Maa beta se pati patni (completed) sexstories 35 1,781 7 hours ago
Last Post: sexstories
  Thriller Sex Kahani - मोड़... जिंदगी के sexstories 21 15,490 06-22-2024, 11:12 PM
Last Post: sexstories
  Incest Sex kahani - Masoom Larki sexstories 12 7,424 06-22-2024, 10:40 PM
Last Post: sexstories
Wink Antarvasnasex Ek Aam si Larki sexstories 29 5,063 06-22-2024, 10:33 PM
Last Post: sexstories
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,759,019 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 577,778 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,344,832 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 1,028,989 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,806,795 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68



Users browsing this thread: 2 Guest(s)