RE: Mastram Story चमकता सितारा
अब तो ये धोखा ही सही.. पर मैं डॉली को फिर से बांहों में भरना चाहता था।
मैं आगे बढ़ा.. पर मेरे कदम लड़खड़ा गए, जैसे ही मैं गिरने को हुआ.. डॉली ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया।
मैं- मुझे कभी छोड़ कर तो नहीं जाओगी न..?
डॉली- नहीं.. हमेशा तुम्हारी बांहों में ऐसे ही रहूँगी।
मैं- हमेशा ऐसे ही प्यार करोगी मुझे?
डॉली- नहीं इससे बहुत बहुत ज्यादा।
मेरी आँखें अब तक बंद थीं.. तभी डॉली के होंठ मेरे होंठों से मिल गए।
हम दोनों ही आँखों में आंसुओं का सैलाब लिए एक-दूसरे को चूम रहे थे।
जहाँ तक नज़रें जाती.. वहाँ बस अँधेरी रात का सन्नाटा पसरा हुआ था। अगर कोई शोर था तो वो शोर समंदर की लहरों का था।
समंदर की ठंडी नमकीन हवाओं ने जैसे उसके होंठों पर भी नमक की परत चढ़ा दी हो.. मैं उसके होंठों को चूमता हुआ उसमें खोने लगा।
डॉली ने मुझे अपने नीचे कर लिया और मेरे कपड़े उतारने लग गई।
मैंने भी उसके तन से कपड़ों को अलग किया, वो चाँद की रोशनी में डूबी और समंदर के पानी से नहाई हुई परी लग रही थी।
मैं उसके जिस्म को बस निहार रहा था.. पर शायद डॉली को शर्म आ गई, वो अपने हाथों से अपने जिस्म को छुपाने की नाकाम कोशिश करने लग गई।
मैं उसके जिस्म पर जहाँ-जहाँ भी खाली जगह थी.. वहीं उसे चूमने लग गया। डॉली ने अब अपने हाथ हटा लिए थे, अब उसकी आवाज़ में सिसकियाँ ज्यादा थीं।
मैंने उसे पलटा और रेत लगे उसके जिस्म को.. समंदर के पानी से धोने लग गया।
उसके रेत से सने हुए जिस्म को धोते हुए हर उस जगह को भी चूमता जा रहा था। फिर उसके कूल्हों को चूमता हुआ मैंने उसके पीछे के रास्ते में अपनी ऊँगली फंसा दी।
मेरी इस हरकत से वो चिहुंक कर बैठ गई और मुझे लिटा कर मेरे लिंग को अपने हाथों से सहलाते हुए मेरे जिस्म को जोर-जोर से चूमने लग गई।
थोड़ी देर में मेरा लिंग उसके मुँह के अन्दर था। उत्तेजना की वजह से मैंने भीगी रेत को मुठियों से ही निचोड़ दिया और उस रेत से उसके स्तनों की मालिश करने लग गया।
अब हम 69 की अवस्था में आ गए.. मैं उसकी योनि को चूमता हुआ नमकीन पानी से भीगी हुई उँगलियाँ उसकी गांड में घुसाने लग गया।
कभी-कभी जो नमकीन स्वाद मुझे मिलता.. उससे ये तय नहीं कर पा रहा था कि ये समंदर के पानी का असर है या उसकी योनि का नमकीन पानी है।
अब मैंने उसे सीधा किया और अपने लिंग को एक जोरदार झटके से उसकी योनि में समाहित कर दिया। थोड़ी देर इसी आसन में अन्दर-बाहर करने के बाद उसे घोड़ी वाले आसन में लाया और पीछे से जोर-जोर से अपने लिंग को अन्दर-बाहर करने लग गया।
आखिरकार हम दोनों एक साथ अपने प्यार की पराकाष्ठा पर पहुँच गए। हमारे कपड़े भीगते हुए संमदर के साथ किनारे पर तैर रहे थे।
अब कहीं वो समंदर में ना चली जाए.. इस वजह से डॉली उठी और वैसे ही कपड़ों को इकठ्ठा करने लग गई। उसे देख कर ऐसा लग रहा था.. मानो कोई जल-परी जल-क्रीड़ा कर रही हो।
मैं बस दौड़ कर उसके पास गया और उसे पीछे से पकड़ कर अपनी बांहों में भर लिया।
डॉली ने खुद को मुझसे अलग किया और वही भीगे कपड़े पहन लिए। मैंने भी अपने कपड़े डाले और डॉली के साथ उसकी कार तक आ गया। उसने कार में रखी हुई मुझे शराब कि बोतल बढ़ा दी।
थोड़ी देर में हम सामान्य हुए तो डॉली मुझे अपने साथ अपनी कार में घर पर ले गई। घर पर कोई भी नहीं था। कमरे में बेहद हल्की रोशनी थी.. इतना प्रकाश भर था कि हम बस एक-दूसरे को महसूस कर सकते थे।
रास्ते में मैं उसकी कार में शराब ख़त्म कर चुका था.. सो अब मुझे नशा भी छाने लगा था। मैं बिस्तर के पास जाते ही बिस्तर पर गिर पड़ा और डॉली मेरे ऊपर आ गई।
हम एक-दूसरे में डूबते चले गए। जितनी नाराजगी.. जितना भी प्यार मेरे अन्दर डॉली के लिए था.. वो आज मैंने इस पर न्यौछावर कर दिया।
मेरी आँख लग गई।
सुबह-सुबह डॉली की आवाज़ से मैं नींद से जागा।
डॉली अपने भीगे बालों का पानी मेरे गालों पर गिराते हुए बोली- जानेमन जाग भी जाओ।
वो अभी-अभी नहा कर आई थी और अब तक तौलिया में ही थी।
मैंने उसके हाथ को पकड़ बिस्तर पर गिरा दिया और उसके ऊपर आ कर उसके होंठों को चूमने लगा। फिर मैं उसके कानों के पास बोला- नाश्ता बहुत अच्छा था… लंच में क्या दे रही हो?
वो मुझे धकेलते हुए बोली- बदमाश.. जाओ यहाँ से.. आज नाश्ते से ही काम चला लो.. आज कुछ नहीं मिलने वाला।
मैं- कुछ भी कहो.. मैं नहीं छोड़ने वाला हूँ!
फिर मैंने उसके तौलिए को खींच कर अलग कर दिया।
डॉली-नहीं.. प्लीज भगवान् के लिए मुझे छोड़ दो।
मैं-अरे जानेमन.. तुम्हारी चूत में से कितना भी रस ले लूँ.. फिर भी बच ही जाएगा।
यह कहता हुआ मैं उसकी चूत में ऊँगली करने लग गया।
अब डॉली भी बेकाबू हो रही थी। मैंने अपने लिंग को निकाल कर उसके मुँह में दे दिया। वो भी भी तसल्ली से इसे चूसने लग गई.. पर सुबह-सुबह का वक़्त था.. सो मुझे जोर से पेशाब लगी थी।
मैंने डॉली के बालों को पकड़ कर उसे फर्श पर बिठाया और उसके चेहरे पर अपने लिंग को रगड़ता हुआ पेशाब करने लग गया।
डॉली भागने की कोशिश कर रही थी.. पर मैंने उसके बालों को जोर से पकड़ा हुआ था।
जब मैं खाली हुआ तो फिर से अपने लिंग को उसके मुँह में दे दिया। फिर मैं उसे फर्श पर बिखरे हुए उसी पेशाब पर उसे लिटा दिया और उसकी गांड में अपने लिंग को एक ज़ोरदार झटके से घुसा दिया।
उसका पूरा बदन लाल हो गया था। वो जोर से चीखना चाह रही थी.. पर मैंने कोई मौक़ा ना देते हुए उसके मुँह में अपनी चारों उँगलियाँ डाल दी।
मैं जोर-जोर से उसे धक्के लगा रहा था। थोड़ी-थोड़ी देर में मैं लिंग को उसकी गांड से निकाल कर चूत में डालता और फिर से उसे उसकी गांड में डाल देता।
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