RE: Mastram Story चमकता सितारा
मेरी बहन ने भी हमें ज्वाइन कर लिया।
‘मैं भी हूँ इस परिवार में.. एक फ़ोन कॉल तो किया नहीं गया। सब कितने परेशान थे।’
मैंने कुछ बोलने की कोशिश की तो मेरे गले ने मेरा साथ नहीं दिया। आवाज़ अन्दर ही दब कर रह गई। बस हम सब एक-दूसरे को पकड़ के रोए जा रहे थे।
पापा- बस भी करो। तुम सबने तो रोने में सास-बहू वाले सीरियल को भी पीछे छोड़ दिया है.. अब हमारा बेटा सुपरस्टार बन गया है। कम से कम खुश तो हो जाओ।
मुझे सबसे अलग करते हुए मुझे शांत करने लग गए।
मैंने अपने जज्बातों को किसी तरह काबू में किया। अब सब मुझे घेर कर बैठ गए थे। मैंने सबको देखा.. पर चाचा और चाची वहाँ नहीं थे.. सो मैंने पूछ लिया- चाचा जी भी आने वाले थे न..?
पापा ने कोमल को इशारा किया और वो बाकी को कमरे में लाने चली गई। मैं सबसे बातें करने लग गया। थोड़ी देर में कोमल कमरे में दाखिल हुई।
मैंने पूछा- चाचा जी कहाँ हैं?
तभी कमरे में डॉली के मम्मी-पापा दाखिल हुए। मेरी आवाज़ गले तक ही आकर रुक गई।
डॉली की मम्मी- बेटा हम तुम्हारे गुनहगार हैं.. हमें जो सज़ा देना है दे दो। हममें इतनी हिम्मत नहीं कि हम तुमसे नज़रें भी मिला सकें।
वे दोनों अपने हाथ जोड़ते हुए कहने लगे- हमें माफ़ कर दो। जिन हाथों से अपनी बेटी का कन्यादान करना था हमें हमने उन्हीं हाथों से उसके हर अरमानों का गला घोंट दिया.. उसे मार डाला।
मैं बिस्तर से उठ कर उनके पास गया और उनके हाथ पकड़ कर बोला- अगर मैंने अपना प्यार खोया है.. तो आपने भी तो अपनी बेटी को खो दिया। मेरा प्यार तो महज़ चंद सालों का था.. पर आपके प्यार के सामने वो कुछ भी नहीं था। मैं जानता हूँ कि मैं जितना तड़पा हूँ.. डॉली के लिए.. उससे कई ज्यादा दुःख आपको हुआ है। मैं डॉली की कमी पूरी नहीं कर सकता.. पर आपका बेटा तो बन ही सकता हूँ। डॉली भी होती तो वो कभी ये नहीं चाहती कि उसकी वजह से आपकी आँखों में आंसू आयें और माँ-बाप तो बच्चों को आशीर्वाद देते हैं.. उनसे माफ़ी नहीं मांगते।
उसके मम्मी-पापा ने मुझे गले से लगा लिया। तभी काजल और कोमल कमरे में आईं।
कोमल- बहुत हुआ रोना-धोना सबका.. अब चलिए खाना तैयार है और विजय तुम्हें कल के लिए तैयारी भी करनी है। कल फिल्म का आखिरी शॉट है।
काजल- और जहाँ तक मुझे पता चला है कल वहाँ जाने-माने फिल्म क्रिटिक्स और मीडिया वाले होंगे.. सो कल गलती की कोई गुंजाइश नहीं है। अगर तुमने गलती की.. तो हो सकता है ये पहली फिल्म ही.. तुम्हारी आखिरी फिल्म बन जाए।
मेरे पापा- बेटा मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ।
मैं- हाँ कहिए।
‘आज़ जब मैंने टीवी पर तुम्हारी खबर देखा तो एक बार तो बहुत बुरा लगा कि तुमने यहाँ आकर मुझे एक कॉल भी नहीं किया.. पर जब उन्होंने तुम्हारे काम के बारे में बातें की और तुम्हारी फिल्म के कुछ सीन दिखाए.. तब मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया। तुमने ऐसे वक़्त में ये मुकाम हासिल किया है.. जहाँ कोई दूसरा होता तो शायद फिर से खड़े होने की आस तक छोड़ देता। कल जो भी हो.. पर मेरे और हम सब के लिए तुम एक सुपरस्टार हो।
मैं- मैं तो आप सब का बेटा बन कर ही खुश हूँ।
फिर हम सब डिनर हॉल की ओर चल दिए। उस रात हमने खूब मस्ती की और जैसा कि मैंने सोचा था किसी ने मुझे सोने नहीं दिया।
दूसरे दिन सुबह सुबह मैं शूटिंग पर जाने के लिए तैयार हो गया। काजल की कार और ड्राईवर के साथ मैं लोकेशन की तरफ चल पड़ा। रास्ते में कहीं मेरे पुतले जलाए जा रहे थे.. तो कहीं मेरे नाम से नारेबाजियाँ हो रही थीं। लोकेशन के पास मीडिया वालों की पूरी फ़ौज खड़ी थी।
आज वहाँ यशराज से जुड़े सारे बड़े नाम मौजूद थे। मैं अन्दर दाखिल हुआ और अपनी वैन में बैठ गया। थोड़ी देर में कोमल मेरी वैन में दाखिल हुई।
कोमल- मेरी तरफ देखो।
मैं उसे दखने लगा।
‘पता है.. क्यों मैं तुम्हें अपने साथ यहाँ लाई थी..? क्यूँ मैंने तुम पर इतना भरोसा किया? क्यूँ तुम्हें एक्टिंग करने को कहती थी?’
मैं- क्यूँ?
कोमल ने मेरे सीने पर हाथ रखते हुए कहा- इस दिल की वजह से.. एक्टिंग दिल से की जाती है और जिसका दिल जितना साफ़ है.. उसकी एक्टिंग में उतनी ही गहराई होती है। फरेब से भरे दिल.. दिखावा तो कर सकते हैं.. पर कभी एक्टिंग नहीं कर सकते। खुद पर यकीन करो और सच्चे दिल से किरदार में डूब जाओ.. भूल जाना कि सामने जो खड़ा है.. उसके साथ विजय का कोई रिश्ता है। बस एक बात याद रखना कि तुम वो हो.. जो इन स्क्रिप्ट के चंद पन्नों में लिखा है। ये याद भी मत करना कि तुम्हारी कोई दुनिया है.. जो इस स्क्रिप्ट से बाहर है। तुम खुद को भूलने आए थे न यहाँ.. आज ही सही वक़्त है.. खुद को भूल जाने का..
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