MmsBee कोई तो रोक लो
09-11-2020, 01:53 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
लेकिन इस समय छोटी माँ को एरपोर्ट तक छोड़ने के लिए रिया, राज, नितिका, निक्की, बरखा दीदी भी आई थी. उन सबके सामने मैं चाहते हुए भी छोटी माँ से कुछ कह नही पा रहा था.

मगर एक माँ का दिल अपने बच्चों के मन की बात समझता है. यही छोटी माँ के साथ भी हुआ. उन्हो ने मेरा चेहरा देख कर ही, मेरी हालत का अंदाज़ लगा लिया और मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “अरे मैं एक दो दिन के लिए ही तो तुझसे दूर हो रही हूँ. इसमे इतना उदास होने वाली क्या बात है.”

छोटी माँ का इतना कहना था कि, मेरी आँखों मे नमी आ गयी और मैने उन्हे जाने से रोकते हुए कहा.

मैं बोला “आप अभी मत जाइए ना छोटी माँ. दो तीन दिन बाद हम सब साथ ही घर चलेगे.”

मुझे बच्चों की तरह ज़िद करते देख कर, छोटी माँ ने मुझसे लाड करते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “मेरा पागल बेटा, तू तो अमि निमी से भी छोटा बन रहा है. अब ज़िद मत कर और खुशी खुशी मुझे जाने दे. वरना तेरा ये उदास चेहरा देख कर, मैं जा नही पाउन्गी.”

छोटी माँ की बात सुनकर, बरखा दीदी ने आगे आते हुए कहा.

बरखा दीदी बोली “मेरे भाई, आंटी सही कह रही है. उनका अभी चंदा मौसी के पास रहना ज़रूरी है. वो एक दो दिन मे वापस आने की बोल तो रही है. तुम उन्हे खुशी खुशी जाने दो.”

बरखा दीदी की बात सुनकर, मैं चुप करके रह गया. तभी फ्लाइट की घोषणा हो गयी. मगर मेरे चेहरे पर अभी भी 12 बजे हुए थे. जिस वजह से फ्लाइट की घोषणा सुनने के बाद भी, छोटी माँ मेरे पास ही खड़ी रही.

वाणी दीदी खामोशी से सब कुछ देख रही थी. लेकिन फ्लाइट की घोषणा सुनने के बाद भी जब उन्हो ने छोटी माँ को वहाँ से हिलते नही देखा तो, उन्हो ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे समझाते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “तुम बेकार मे परेशान हो रहे हो. मौसी के साथ मैं हूँ और मैं उनका वहाँ पूरा ख़याल रखुगी. तुम्हारी वजह से अब मौसी का मन भी जाने से डोल रहा है. इसलिए तुम परेशान होना बंद करो और हम लोगों को जाने दो.”

वाणी दीदी की बात सुनकर, मैने अपने आपको संभाला और मुस्कुराने की नाकाम कोसिस करते हुए कहा.

मैं बोला “नही दीदी, मैं परेशान नही हूँ. मैने तो वो बात ऐसे ही कह दी थी. आप लोग खुशी खुशी जाइए. मैं यहाँ अमि निमी का ख़याल रखुगा.”

मेरी बात सुनते ही, वाणी दीदी ने मेरी पीठ थपथपाते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “गुड, अब ठीक है. हम वहाँ पहुँचते ही तुम्हे कॉल करेगे. अब हम लोग चलते है.”

इतना कह कर, वाणी दीदी ने छोटी माँ की तरफ देखा. छोटी माँ ने मेरा माथा चूमा और फिर वो फ्लाइट की तरफ बढ़ गयी. मैं उन लोगों को तब तक देखता रहा. जब तक वो मेरी आँखों से ओझल नही हो गयी.

उनकी फ्लाइट के उड़ान भरते ही, हम लोग वापस हॉस्पिटल आ गये. छोटी माँ और वाणी दीदी के चले जाने की वजह से अब कीर्ति और बरखा दीदी, अजय वाले बंगलो मे अकेली पड़ गयी थी.

जिस वजह से शिखा दीदी, कीर्ति लोगों से अपने साथ अमन के घर चलने की बात कहने लगी. लेकिन मैने कीर्ति लोगों के साथ रहने की बात कह कर, वहाँ जाने से मना कर दिया.

मैने प्रिया को भी बता दिया कि, आज अमि निमी अकेली है. इसलिए मैं रात को हॉस्पिटल मे नही रह पाउन्गा. प्रिया ने भी इस बात मे कोई परेशानी नही जताई. प्रिया के 9 बजे तक रुकने के बाद, हम लोग घर आ गये.

घर आकर हम लोगों ने खाना खाया और फिर10:30 बजे सब अपने अपने कमरे मे सोने चले गये. कीर्ति की तबीयत सही ना होने की वजह से अमि निमी के पास बरखा दीदी सोया करती थी.

मुझे उम्मीद थी कि, रात को कीर्ति ज़रूर मेरे पास आएगी. लेकिन जब 12 बजे तक वो मेरे पास नही आई तो, मैं खुद उठ कर उसके पास चला गया. मैं उसके कमरे मे पहुचा तो, वो गहरी नींद मे सोई हुई थी.

उसे गहरी नींद मे देख कर, मेरा मन उसे उठाने का नही किया और मैं वापस अपने कमरे मे आ गया. अपने कमरे मे आकर मैं सुबह कीर्ति से हुई बातों के बारे मे सोचने लगा.

सुबह की कीर्ति की बातों से मुझे ऐसा लग रहा था. जैसे कि वो दुर्जन के बारे मे सब कुछ जानती है. लेकिन सुबह से मुझे उस से बात करने का मौका ही नही मिल सका और अब जब मेरी उस से बात हो सकती थी तो, वो खुद सो चुकी थी.

मैं अभी इसी बारे मे सोच रहा था कि, तभी मेरे कमरे का दरवाजा खुला और कीर्ति अंदर आ गयी. उसे देख कर मैं थोड़ा सा हैरान ज़रूर हुआ. मगर साथ ही इस बात की खुशी भी हुई कि, अब मेरी उस से बात हो सकेगी.

कीर्ति ने कमरे के अंदर आकर दरवाजा बंद किया और मेरे पास आकर बैठ गयी. लेकिन उसके मेरे पास बैठते ही, मैने उसे अपने गले से लगा लिया. कीर्ति ने भी मुझे अपनी बाहों मे ज़ोर से जाकड़ लिया.

कुछ देर तक हम एक दूसरे को अपनी बाहों मे जकड़े बैठे रहे. ना तो कीर्ति ने मुझसे कुछ कहा और ना ही मैने कीर्ति से कुछ कहा. फिर कुछ देर बाद मैने ही बात सुरू करते हुए कहा.

मैं बोला “तू तो बहुत गहरी नींद मे थी. फिर इतनी जल्दी तेरी नींद कैसे खुल गयी.”

कीर्ति बोली “मैं नींद मे नही थी. मैं यही आने वाली थी. लेकिन तभी मुझे किसी के आने की आहट हुई तो, मुझे लगा बरखा दीदी मुझे देखने आई है. इसलिए मैं गहरी नींद मे होने का नाटक कर रही थी.”

“लेकिन फिर मैने उठ कर देखा तो, तुम्हारे कमरे की लाइट जल रही थी और बरखा दीदी के कमरे मे अंधेरा था. तब मुझे समझ मे आया कि, वो बरखा दीदी नही, तुम आए थे.”

मैं बोला “अच्छा हुआ कि, तू आ गयी. वरना मुझे रात भर नींद ही नही आती.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने हंसते हुए कहा.

कीर्ति बोली “नींद तो तुम्हे अभी भी नही आएगी. क्योकि मैं आज तुम्हे रात भर सोने नही दूँगी.”

ये कहते हुए उसने मेरे कंधे पर अपने दाँत गढ़ा दिए. लेकिन मैं ज़रा भी नही हिला. मैं समझ गया कि, अब इसका शरारत करना सुरू हो गया है. इसलिए मैने उस से धीरे से कहा.

मैं बोला “तूने बहुत ज़ोर से मुझे काटा है. ये बात बात पर काटना तुझे किसने सीखा दिया है.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने खिलखिलाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “ये काटना मैने निमी से सीखा है. तुमने देखा नही, उसने वाणी दीदी को कैसे काटा था. एक दिन उसने मुझे भी ऐसे ही काटा था. उसी दिन मैने सोच लिया था कि, उसकी इस हरकत का बदला मैं तुमसे लुगी.”

कीर्ति की इस बात को सुनकर, हैरान होते हुए मैने कहा.

मैं बोला “निमी ने तुझे कब और क्यो काटा था.”

मेरी इस बात पर कीर्ति ने हंसते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुम्हे याद होगा कि, जिस दिन तुम शिखा दीदी की ससुराल खाना खाने के लिए गये थे. उस दिन अमि तुमको कॉल कर रही थी. लेकिन तुमने कॉल नही उठाया था. तब मैने उसकी बात नितिका से करवाई थी.”

“उस समय निमी भी नितिका से बात करने की बात बोल रही थी. मगर नितिका को तैयार होना था इसलिए उसने कॉल रख दिया था. इसी बात से गुस्सा होकर, निमी ने मुझे काट लिया था.”

कीर्ति की बात सुनकर, मेरे दिमाग़ मे उस दिन का नज़ारा घूमने लगा और इसी के साथ मुझे दुर्जन वाली बात भी याद आ गयी. इस बात के याद आते ही, मैने कीर्ति को अपने से अलग करते हुए कहा.

मैं बोला “सुबह तू दुर्जन मामा के बारे मे मुझे क्या बता रही थी. क्या तू जानती है कि, उनकी हमारे परिवार के साथ क्या दुश्मनी है.”

मेरी ये बात सुनकर, कीर्ति बेड से टेक लगा कर बैठ गयी और फिर उसने ठंडी सी साँस भरते हुए कहा.

कीर्ति बोली “हां, मैं जानती हूँ. मुझे इसके बारे मे सब कुछ पता चल गया.”

कीर्ति की बात सुनते ही, मैने बेचैन होते हुए कहा.

मैं बोला “तू क्या जानती है और तुझे ये सब कैसे पता चला.”

कीर्ति बोली “मैं सब कुछ जानती हूँ और ये सब बातें मुझे वाणी दीदी से पता चली है.”

कीर्ति की इस बात पर मैने हैरान होते हुए कहा.

मैं बोला “क्या वाणी दीदी ने तुझे ये सब बातें बताई है.”

कीर्ति बोली “नही, उन्हो ने मुझे कुछ नही बताया. लेकिन मैं जब मौसी और वाणी दीदी के साथ घर वापस गयी थी. तब मैने ये सब बातें वाणी दीदी के मूह से सुनी थी. मैं तुम्हे अपने यहा आने से लेकर, वहाँ जाने तक की सारी बातें बताती हूँ.”

इतना कह कर कीर्ति अपने मुंबई आने से लेकर, कोलकाता वापस जाने तक की बातें बताने लगी.

आगे की कहानी कीर्ति की ज़ुबानी….

निशा भाभी के कहने पर मौसी मुझे अपने साथ मुंबई ले जाने के लिए तैयार हो गयी थी. हम जब फ्लाइट मे थे, तब मोहिनी आंटी ने बताया कि, जो आदमी प्रिया को लेकर भागा था. उसे उन्हो ने शिखा दीदी की शादी मे देखा था.

वो उसे पकड़ने के लिए उसके पिछे भागी थी. लेकिन वो उनके सर पर चोट करके भाग निकला था. मोहिनी आंटी की ये बात सुनते ही, वाणी दीदी ने उन्हे वो तस्वीर दिखाई, जो उन्हो ने गौरंगा के बयान पर बनाई थी.

मोहिनी आंटी उस तस्वीर को देखते ही फ़ौरन पहचान गयी और उन्हो ने इस बात को सॉफ कर दिया कि वाणी दीदी सही आदमी के पिछे है. मोहिनी आंटी के बाद, निशा भाभी ने वो तस्वीर देखने को माँगी.

वाणी दीदी ने जैसे ही वो तस्वीर निशा भाभी को दिखाई, उन्हे एक ज़ोर का झटका सा लगा और उन्हो ने वो तस्वीर बरखा दीदी को दिखाई. बरखा दीदी ने तस्वीर देखते ही, वाणी दीदी से कहा.

बरखा दीदी बोली “दीदी ये तस्वीर तो दुर्जन मामा की है और वो हमारे ही पड़ोस मे रहते है.”

बरखा दीदी के ये बात बोलते ही, वाणी दीदी को समझ मे गया कि, तुम्हारे साथ अचानक ये सब हादसे क्यो हुए. उन्हो ने फ्लाइट से उतरते ही, हम लोगों को हॉस्पिटल भेज दिया और खुद बरखा दीदी और सी.आइ.डी. के कुछ ऑफीसर के साथ दुर्जन के घर के लिए निकल गयी.

लेकिन दुर्जन के घर मे ताला लगा हुआ था और मोहल्ले पड़ोस मे पुच्छने पर पता चला की दुर्जन अपनी लड़की को लेकर कहीं गया है. वाणी दीदी ने इस बात के पता चलते ही, अपने कुछ ऑफीसर को बस स्टॅंड और रेलवे स्टेशन की तरफ दौड़ा दिया और खुद हॉस्पिटल मे हमारे पास आ गयी.

क्योकि दुर्जन को घर से निकले ज़्यादा देर नही हुई थी. इसलिए सी.आइ.डी. ने उन्हे रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार करके अपनी हिरासत मे ले लिया. उनके साथ नेहा भी थी. जिसे हमारे पास हॉस्पिटल मे पहुचा दिया गया.

हॉस्पिटल मे नेहा को उसके माँ बाप से बिछड़ने की सारी बातें बता दी गयी. लेकिन वो इन सब बातों को मानने को तैयार नही थी और दुर्जन के लिए रोती रही. तब वाणी दीदी ने दुर्जन से ही इस बात का खुलासा नेहा के सामने करवाया.

तब जाकर नेहा को इस बात पर यकीन आया. जबकि राज के घर मे राज और रिया के अलावा बाकी सब पहले से जानते थे कि, प्रिया पद्‍मिनी आंटी की बेटी नही है. फिर भी इस बात के खुलने से सबको बहुत गहरा झटका लगा था.

राज के परिवार को नेहा के मिलने की खुशी तो थी, लेकिन वो प्रिया के उनके घर से जाने की बात को लेकर बहुत दुखी और चिंतित थे. इसके बाद जो कुछ भी हुआ सब तुमहरे सामने हुआ.

फिर जिस दिन हम लोग दुर्जन और नेहा को लेकर कोलकाता गये. उस दिन मुझे ये पता चला कि, दुर्जन असल मे चंदा मौसी का पति है और उसने ये सब तुम्हारे परिवार से अपनी दुश्मनी निकालने के लिए किया है.
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RE: MmsBee कोई तो रोक लो - by desiaks - 09-11-2020, 01:53 PM
(कोई तो रोक लो) - by Kprkpr - 07-28-2023, 09:14 AM

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