RE: Muslim Sex Kahani अम्मी और खाला को चोदा
मैंने बड़ी मुश्किल से खुद को अम्मी की गाँड की दरार में उंगली डालने से रोका। मैंने इससे पहले कभी अम्मी का जिस्म दबाते हुए उनके चूतड़ों को हाथ नहीं लगाया था इसलिये मुझे डर था कि कहीं वो बुरा ना मान जायें मगर वो चुपचाप लेटी रहीं और में इसी तरह उन्हें दबाता रहा। मेरा लंड अकड़ कर तन चुका था। तीन-चार दफ़ा अम्मी की गाँड का इसी तरह लुत्फ़ लेने के बाद मैंने एक क़दम और आगे बढ़ने का इरादा किया। मैं अपना हाथ उनकी बगल की तरफ ले गया और साइड से उनके एक मोटे मम्मे को आहिस्ता से दबाया। पहले तो उन्होंने किसी क़िस्म का रिऐक्शन ज़ाहिर नहीं किया लेकिन जब मैंने दोबारा ज़रा बे-बाकी से उनके मम्मे को हाथ में लेने की कोशिश की तो वो एक दम सीधी हो कर बैठ गयीं और बड़े गुस्से से बोलीं – “ये क्या कर रहे हो तुम शाकिर! तुम्हें शरम आनी चाहिये। मैं तुम्हारी अम्मी हूँ। पहले तुमने मेरी कमर के नीचे टटोला और अब सीने को हाथ लगा रहे हो।”
उनका चेहरा गुस्से से लाल हो गया था। अगरचे मुझे पहले ही तवक्को थी कि वो इस तरह का रद्द-ए-अमल ज़ाहिर कर सकती हैं और मैं जानता था के मुझे इसके बाद क्या करना था। लेकिन फिर भी उनका गुस्सा देख कर मेरा दिल लरज़ गया। मैंने कहा कि – “मैंने कुछ गलत नहीं किया। मैं तो आप को दबा रहा था।” उन्होंने जवाब दिया के मैं उनके सीने को टटोल रहा था जो बड़ी बे-शर्मी की बात है। ये कह कर वो गुस्से में बिस्तर से नीचे उतरने लगीं। अब मेरे पास इसके अलावा कोई चारा नहीं बचा था के में उन्हें बता देता कि मैं उनकी शरम-ओ-हया से बड़ी अच्छी तरह वाक़िफ़ हूँ। मैंने कहा – “अम्मी, जब आप राशिद को अपनी चूत देती हैं उस वक्त तो आपको कोई शरम महसूस नहीं होती! आज मैंने आप के मम्मे को ज़रा-सा हाथ लगा लिया तो आप इतना गुस्सा कर रही हैं।”
मेरे मुँह से इस तरह के जुमले को सुन कर अम्मी जैसे सन्नाटे में आ गयीं। उनके चेहरे के तासुरात फौरन बदल गये और मुँह खुला का खुला रह गया। बिस्तर से नीचे लटकी हुई उनकी टाँगें लटकती ही रहीं और वो वहीं बैठी रह गयीं। मेरे इस ज़बरदस्त हमले ने उन्हें संभलने का मौका नहीं दिया था। उनकी हालत देख कर मेरा खौफ बिल्कुल ख़तम हो गया। इससे पहले के वो कोई जवाब देतीं मैंने कहा – “अम्मी, मेहरबानी कर के अब झूठ ना बोलियेगा कि आपका और राशिद का कोई ताल्लुक नहीं है क्योंकि मैं अपनी आँखों से उसे आपको चोदते हुए देख चुका हूँ और मेरे पास इस का सबूत भी है।”
मैंने जल्दी से अपना मोबाइल निकाल कर उन्हें उनकी और राशिद की तस्वीरें दिखाईं। तस्वीरें अगरचे दूर से ली गयी थीं और थोड़ी धुंधली थीं मगर अम्मी और राशिद को साफ़ पहचाना जा सकता था। राशिद ने पीछे से अम्मी की चूत में अपना लंड डाला हुआ था और अम्मी बेड पर हाथ रखे नीचे झुकी हुई उससे अपनी चूत मरवा रही थीं। तस्वीरें देख कर अम्मी का चेहरा हल्दी की तरह ज़र्द हो गया और उनके चेहरे से सारा गुस्सा यक्सर गायब हो गया। अब उनकी आँखों में खौफ और खजालत के आसार थे। ऐसा महसूस होता था जैसे उन्होंने कोई बड़ी खौफनाक बला देख ली हो। उनकी आँखों से खौफ़ झलक रहा था।
उन्होंने कुछ देर सर नीचे झुकाये रखा और फिर बोलीं कि राशिद ने उन्हें वरगला कर उनके साथ ये सब किया है और वो अपनी हरकत पर बहुत शर्मिंदा हैं। वाक़य उन से बहुत बड़ी गलती हुई है। फिर अचानक उन्होंने रोना शुरू कर दिया। मैं जानता था के वो सफ़ेद झूठ बोल रही हैं। मैंने अपनी आँखों से अम्मी को मस्त होकर राशिद से चुदते हुए देखा था। वो जो कुछ कर रही थीं अपनी मर्ज़ी से और बड़ी खुशी से कर रही थीं। ये रोना धोना सिर्फ इसलिये था के उनका राज़ फ़ाश हो गया था।
मैं अम्मी के पास बेड पर बैठ गया और उनके जिस्म के गिर्द अपने बाज़ू डाल कर उन्हें अपनी तरफ खींचा। उन्होंने कोई मुज़ाहीमत तो नहीं की बल्कि वे और ज्यादा शिद्दत से रोने लगीं। मैं थोड़ा सा परेशान हुआ कि अब क्या करूँ। मैंने अम्मी से कहा कि वो फिक्र ना करें। मैं उनके और राशिद के बारे में किसी से कुछ नहीं कहुँगा। ये राज़ हमेशा मेरे सीने में ही दफ़न रहेगा। ये सुनना था के अम्मी ने रोना बंद कर दिया और बड़ी हैरत से मेरी तरफ देखा। मैंने फिर कहा कि – “अम्मी जो होना था वो हो चुका है। मैं अपना मुँह बंद रखुँगा मगर आप ये वादा करें के आइन्दा कभी राशिद को अपने क़रीब नहीं आने देंगी।“ उन्होंने जल्दी से जवाब दिया कि बिल्कुल ऐसा ही होगा।
अगरचे अब अम्मी इस पोज़िशन में नहीं थीं कि मेरी किसी बात को टाल सकतीं और मैं उनसे हर क़िस्म का मुतालबा कर सकता था मगर ना जाने क्यों मतलब की बात ज़ुबान पर लाते हुए अब भी मैं घबरा रहा था। बहरहाल मैंने दिल मज़बूत कर के अम्मी के गाल को चूम लिया। उन्होंने मेरी गिरफ्त से निकलने की कोशिश नहीं की मगर बिल्कुल ना-महसूस तरीक़े से अपने जिस्म को सिमटा लिया। मैंने हिम्मत कर के कहा – “अम्मी, मैं एक बार आप के साथ वो ही करना चाहता हूँ जो राशिद ने किया है। मगर मैं आपको आपकी मरज़ी से चोदना चाहता हूँ। अगर आपको मुझसे चुदवाना कबूल नहीं तो मैं आप को मजबूर नहीं करूँगा। बस मेरी यही दरखास्त होगी कि राशिद कभी आप के क़रीब नज़र ना आये।” मेरी बात सुन कर अम्मी कुछ सोचने लगीं। उन्होंने किसी क़िस्म का रद्दे-ए-अमल ज़ाहिर नहीं किया जो मेरे लिये हैरानगी का बाइस था।
कुछ देर सोच में डूबे रहने के बाद अम्मी ने कहा कि – “तुम कब इतने बड़े हो गये मुझे पता ही नहीं चला। वैसे मैं कुछ दिनों से तुम्हारे अंदर एक तब्दीली सी महसूस कर रही थी और मुझे शक था कि तुम्हारी नज़रें बदली हुई हैं।“ ये बात भी मेरे लिये हैरान-कुन थी कि अम्मी को अंदाज़ा हो गया था कि मैं उन्हें चोदने का ख्वाहिशमंद था। मैंने पूछा के उन्हें कैसे इस बात का पता चला। उन्होंने जवाब दिया मैं औरत को मर्द की नज़र का फौरन पता चल जाता है चाहे वो मर्द उसका बेटा ही क्यों ना हो। मैंने उन्हें अपनी गिरफ्त से आज़ाद किया और कहा – “अब इन बातों को छोड़ें और ये बतायें कि क्या आप मुझे चूत देंगी?
अम्मी अब काफ़ी हद तक संभल चुकी थीं। उन्होंने कहा – “शाकिर, तुम जो करना चाहते हो उस के बाद मेरा और तुम्हारा रिश्ता हमेशा के लिये बदल जायेगा। इसलिये अच्छी तरह सोच लो।“
मैंने जवाब दिया – “अम्मी, आप राशिद से भी चुदवा रही थीं... आप का और उसका रिश्ता तो नहीं बदला। वो जब यहाँ आता था तो आप दोनों को देख कर कोई ये नहीं कह सकता था के आप का भांजा आपको चोद रहा है। फिर भला हमारा रिश्ता क्यों बदल जायेगा। मैं आप की चूत ले कर भी हमेशा आप का बेटा रहूँगा। मेरे और आपके जिस्मानी रिश्ते के बारे में किसी को कभी कुछ पता नहीं चलेगा। सब कुछ वैसा ही रहेगा जैसा पहले था।“ उनके पास इस दलील का कोई जवाब नहीं था।
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