RE: Muslim Sex Kahani अम्मी और खाला को चोदा
वो कुछ देर सोचती रहीं फिर ठंडी साँस ले कर बोलीं – “शाकिर, हम बहुत बड़ा गुनाह करने जा रहे है मगर लगता है मेरे पास तुम्हारी ख्वाहिश को पूरा करने के अलावा कोई चारा नहीं है।“
मेरे दिल में फुलझडियाँ छूटनें लगीं। मैंने अपना एक हाथ आगे कर के अम्मी का एक मोटा मम्मा पकड़ लिया। उन्होंने सर मोड़ कर मेरी तरफ देखा और कहा कि – “अभी मेरी जहनी हालत बहुत खराब है। क्या तुम कल तक सब्र नहीं कर सकते।“ मैंने कहा कि कल छोटे भाई बहन यहाँ होंगे। अम्मी ने जवाब दिया कि वे उन्हें दोबारा नाना के घर भेज देंगी वैसे भी वो वहाँ जाने की हमेशा ज़िद करते हैं। उन्होंने कहा कि वो मुनासिब माहौल बना कर फुर्सत से ये करना चाहती हैं क्योंकि वो इस तजुर्बे को यादगार बनाना चाहती थीं।
मैंने कहा – “ठीक है। मगर अम्मी, ये तो बतायें के आख़िर आप राशिद से चुदवाने पर क्यों राज़ी हुईं? क्या अब्बू आपकी जिस्मानी ज़रूरतें पूरी नहीं करते?”
अम्मी मेरे सवालात सुन कर थोड़ी परेशान हो गयीं। फिर कहने लगीं – “शाकिर, ये बातें कोई औरत अपने बेटे से नहीं करती मगर मैं तुम्हें बता ही देती हूँ कि मर्दों की तरह औरतों की भी जिस्मानी ज़रूरत होती है। पिछले कई सालों से तुम्हारे अब्बू ने मुझ में दिलचस्पी लेना बहुत कम कर दिया है। इसलिये मैंने राशिद के साथ ये काम कर लिया जो मुझे नहीं करना चाहिये था। पहल उस की तरफ से हुई थी और मुझे उसी वक़्त उसे रोक देना चाहिये था।“
वो वाज़ेह तौर पर शर्मिंदा नज़र आ रही थीं और इस गुफ्तगू से दामन बचाना चाहती थीं। मैंने भी उन्हें मज़ीद परेशान करना मुनासिब नहीं समझा और चुप हो गया। अम्मी कुछ देर बाद उठ कर बेडरूम से बाहर चली गयीं। मैं बेसब्री से अगले दिन का इंतज़ार करने लगा।
मैं अम्मी के कहने पर उस वक़्त तो खामोश हो गया लेकिन अगले दिन तक सब्र करना मुझे बड़ा मुश्किल लग रहा था। मैं वक़्त ज़ाया किये बगैर फौरी तौर पर अम्मी की चूत हासिल करना चाहता था। हर गुज़रते लम्हे के साथ मेरी ये खाहिश बढ़ती ही जा रही थी। शाम को मेरे भाई-बहन घर वापस आ गये। मौका मिला तो मैंने अलहदगी में अम्मी से कहा कि हो सके तो वो रात को मेरे कमरे में आ जायें तो मैं आज ही उन्हें चोद लुँगा। मेरे कमरे मे किसी के भी आने का डर नहीं था क्योंकि अब्बू भी कुछ दिनों के लिये कराची गये हुए थे।
मेरे दोनों छोटे बहन-भाई एक कमरे में अलग सोते थे जबकि उनके बिल्कुल साथ वाला कमरा मेरा था। अम्मी और अब्बू अपने अलहदा बेडरूम में सोया करते थे। रात के पिछले पहर भाई-बहन के सो जाने के बाद अम्मी खामोशी से मेरे कमरे में आ सकती थीं और मैं उन्हें आराम से चोद सकता था। किसी को कानोकान खबर ना होती। मेरी बात सुन कर अम्मी कुछ सोचने लगीं और फिर बोलीं कि – “ठीक है मैं रात बारह बजे के बाद थोड़ा मूड बना कर तुम्हारे कमरे में आऊँगी।“ दोनों बहन भाई भी कोई दस बजे के करीब सो गये और मैं अपने कमरे में चला आया।
नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी। आज की रात मेरी ज़िंदगी की बड़ी ख़ास रात थी। मुझे आज रात अपनी अम्मी को चोदना था जो अगरचे मेरी सग़ी अम्मी थीं मगर एक बड़ी खूबसूरत और पुरकशिश औरत भी थीं। दुनिया में ऐसे बहुत कम लोग होंगे जिन्होंने ज़िंदगी में सब से पहले जिस औरत को चोदा वो उनकी अपनी अम्मी थी। अपनी अम्मी की चूत लेने का ख़याल मेरे जज़्बात को बड़ी बुरी तरह भड़का रहा था। मैं मुसलसल सोच रहा था कि जब मेरा लंड अम्मी की चूत के अंदर जायेगा और मैं उनकी चूत में घस्से मारूँगा तो कैसा महसूस होगा। मुझे अपने जिस्म में खून की गर्दिश तेज़ होती महसूस हो रही थी।
पता नहीं कितनी ही ब्लू फिल्मों के मंज़र बड़ी तेज़ी से मेरे ज़हन में घूम रहे थे। यही सब कुछ सोचते हुए मेरा लंड अकड़ चुका था और मुझे अब ये खौफ लाहक़ हो गया था के कहीं अम्मी के आने और उनकी चूत लेने से पहले ही मैं खल्लास ना हो जाऊँ। फिर तो सारा मज़ा किरकिरा हो जायेगा। मैं बड़ी बेसब्री से बारह बजने का इंतज़ार करने लगा। मुझे अम्मी की मूड बना कर आने की बात भी समझ नहीं आ रही थी। फिर मालूम नहीं कब मेरी आँख लग गयी।
कोई साढ़े-बारह बजे अम्मी कमरे में दाखिल हुईं। दरवाज़े की चटखनी बंद करने और उनकी सैंडल की ऊँची हील की आवाज़ से में जाग गया। कमरे में लाईट ऑफ थी लेकिन रोशनदान में से काफ़ी रोशनी आ रही थी और मैं अम्मी को बिल्कुल साफ़ तौर से देख सकता था। वो बेहद सज-संवर के फिरोज़ी रंग का जोड़ा पहन कर आयी थीं और उन्होंने दुपट्टा नहीं ओढ़ा हुआ था। उनके भरे हुए मम्मे अपनी पूरी उठान के साथ तने हुए नज़र आ रहे थे। वो सीधी आ कर मेरे बेड पर बैठ गयीं। उनके चेहरे पर अलग क़िस्म का तासुर था। ऐसा लगता था जैसे वो मेरी अम्मी ना हों बल्कि कोई और औरत हों। पता नहीं ये उनका कौन सा अंदाज़ था। शायद चूत मरवाने से पहले वो हमेशा ऐसी ही हो जाती थीं या शायद मुझे चूत देने की ख़याल से उनके अंदाज़ बदले हुए थे। मैं कुछ कह नहीं सकता था। हम दोनों ही थोड़ी देर खामोश रहे। मुझे तो समझ ही नहीं आ रहा था कि उन से क्या बात करूँ।
बिल-आख़िर मैंने हिम्मत कर के अम्मी का एक बाज़ू पकड़ कर उन्हें अपनी तरफ खींचा। उन्होंने मुझे रोका नहीं और खुद मेरे ऊपर झुक गयीं और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये। तब मुझे एहसास हुआ कि उन्होंने शराब पी हुई थी। अब मैं समझा कि वो शराब पी कर मूड बना रही थीं। मैंने भी एक हाथ उनके गले में डाला और उनके होठों को चूमते हुए दूसरे हाथ से उनके मम्मों को मसलने लगा। अम्मी के मम्मे बड़े-बड़े और वज़नी थे और ब्रा के अंदर होने के बावजूद मुझे उन्हें मसलते हुए ऐसा लग रहा था जैसे मैंने उनके नंगे मम्मों को हाथों में पकड़ रखा हो। उनकी ब्रा शायद बहुत महीन कपड़े से बनी थी। मैंने उनके मम्मों को ज़रा ज़ोर से दबाया तो उनके मुँह से हल्की सी सिसकी निकल गयी। उन्होंने अपने मम्मों पर से मेरे हाथ हटाया और मेरे कान के पास मुँह ला कर पूछा कि क्या मैंने पहले कभी सैक्स किया है?
यही सवाल मुझ से नज़ीर ने भी किया था जब वो पिंडी में अम्बरीन खाला की चूत मार रहा था। मुझे अपनी ना-तजुर्बेकारी पर बड़ी शर्मिंदगी महसूस हुई मगर मैंने बहरहाल ‘नहीं’ में सर हिला दिया। अम्मी ने कहा कि मैं उनके मम्मे आहिस्ता दबाऊँ क्योंकि ज़ोर से दबाने पर तकलीफ़ होती है। ये सुन कर मैंने दोबारा अम्मी के तने हुए भरपूर मम्मों की तरफ हाथ बढ़ाया लेकिन उन्होंने फिर मुझे रोक दिया और उठ कर लाईट ऑन कर दी।
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