पंजाब दियां रंगीन जट्टीयां - पार्ट - 4
07-02-2020, 01:02 AM,
#1
पंजाब दियां रंगीन जट्टीयां - पार्ट - 4
हेल्लो दोस्तो मे गौरव कुमार स्टोरी का अगला पार्ट लेके हाज़िर हूँ। पिछले पार्ट मे आपने पढ़ा के सुखा और सरबी शहर आकर रहने लग जाते है और बनवारी लाला उन्हे अपने यहा नौकरी पर रख लेता है। तो चलिये स्टोरी को अब आगे बढ़ाते है।<br/><br/>सुखा और सरबी शहर मे आ ग्ये थे, उन्होने अपना गांव का मकान किराये पर दे दिया और व्हा से अपना जरूरी समान ले अए। दिन मे जब सुखा और सरबी काम पर होते तो घर मे उन्के मा बाबू जी रह जाते। सरबी और रोतू का मकान साथ साथ था तो जब भी मौका मिलता दोनो मिलकर बाते करने लगती। जिस मोहल्ले मे इनके मकान थे व्हा सिर्फ धान्का जात के लोग रह्ते थे, बस अकेली रितु बौरनी और सरबी जट्टी रह्ती थी। धान्के मर्द पहले तो रितु पर डोरे डालते थे लेकिन जब से उन्होने सरबी को देखा था तो वह उसके पीछे पैड ग्ये थे। इन धान्को मे भूरा नाम का एक आदमी था जिसकी उमर 30साल और रन्ग का काला था। भूरा से सब डरते थे, चारो तरफ उसकी बदमाशी मशहूर थी, पुलिस ठाणे मे भी उसके खिलाफ कई रिपोर्ट दर्ज थी। जब से उसने सरबी को देखा था वह भी सरबी का दीवाना हो गया। भूरा की रितु के पति के साथ अच्छी दोसती थी वह अक्सर उसके पास आया जाया करता था, वही पर से भूरा सरबी को देखता और कबी कबी सुखे को बुला लेता। भूरा सुखे के साथ दोस्ती करना चाह्ता था। एक दिन जब सुखा कामसे आ रहा था भूरा ने उसे देख लिया और अवाज लगा दी, "ओए सुखे, यहा आ"।<br/>सुखे ने अवाज सुनी भूरा के पास चला गया। "क्या बात है भूरा", सुखे ने पास जाकर पुछा। "अरे बेठ तो जा फिर बात करते है", भूरा ने कुर्सी देते हुए कहा।<br/>"और सुना केसा चल रहा है काम, घर मे सब केसे है"।<br/>"काम अच्छा चल रहा है भूरा, और घर मे सब ठीक ठाक"। सुखे ने बेठ्ते हुए जवाब दिया। "रह्ता कहा है तू आजकल दिखायी ही नही देता"। भूरा ने शराब की बोतल निकलते हुए कहा। "दिखायी केसे दू भूरा पुरा दिन काम पर ही निकल जाता है, टाईम का पता ही नही चलता"। सुखे ने कहा। भूरा ने दो गिलासो मे शराब डाली और सुखे को बोला, "चल फिर उठा सुखे आज तेरी सारी थकान निकल्ता हू"। "अरे नही भूरा मे पीता नही हू"। सुखा बोला। "अरे पी ले एक घूंट से कुच नही होने वाला पी ले"। भूरा ने दबाव देते हुए कहा। सुखे ने गिलास उठाया और शराब पी गया। सुखा शराब कम पीता था। "और डालू" भूरा बोला।<br/>"अरे नही, बस बई यही बहुत है"। सुखा बोला। "किसी चीज की जरूरत हो ते बेजिजक मांग लेना सुखे अज से हम दोस्त है"। भूरे ने सुखे से कहा। "हा बिल्कुल भूरा"। सुखा इत्ना कहता हुआ चला गया।<br/>सुखा घर आया तो सरबी खाना बनए बेठी थी, सुखे को आते उसने पानी का ग्लास्स दिया और पुछा, "खाना दू या अभी रुकोगे"। "अरे नही सरबी मे आज सेठ जी के यहा से खा के आया हू, मे सोने जा रहा हू"। सुखे ने कहा। "अच्छा ठीक है तो मे रितु के यहा जा रही हू सोने, वो अकेली है आज घर मे"। सरबी बोली।<br/>"हा जाओ" सुखे ने जवाब दिया। सरबी ने बर्तन रखे और रितु के घर चली गयी। रितु अज अकेली थी क्यो के उसका पति ट्रक पर चला गया थ। सरबी ने अन्दर आते हुए दरवाजा लगा दिया, "रितु कहा है तू"। "हा इस तरफ आ जा सरबी", रितु ने अन्दर से अवाज लगायी। सरबी आगे चली गयी, वह एक कमरे के दरवाजे से होते हुए आगे दुसरे कमरे मे चली गयी। सरबी कई बार रितु के घर आ चुकी थी लेकिन उसने यह कमर अज पहली बार देखा था। सरबी अन्दर ज्ञी तो रितु बैड पर बेठी थी।<br/>"ये कोनसा कमरा है रितु, बाहर से तो बिल्कुल पता नही चलता, कोई खजाना छुपाती हो क्या यहा" सरबी ने अन्दर आते पुछा। "क्यो, तुमे क्या लगता है क्या करती हूँ मे इस कमरे मे" रितु सरबी को देख बोली। "मुझे क्या पता, कमरा तेरा है तू बता"। सरबी ने बेठ्ते हुए कहा। "कोई ना टाईम आने पे बता दूंगी, वेसे तू बता अज कुछ किया के नही" रितु ने सरबी को छेड़ते हुए पुछा। "मतलब, क्या करना था अज मुझे", सरबी ने हैरानी से पुछा। "अरे बाबा मेरा मतलब सैयां जी के साथ किया के नही" रितु ने सरबी की तरफ हस्कर बोला। सरबी निराश होते हुए बोली, "उसके साथ क्या करना है मुझे"। "मतलब तेरा वाला भी मेरे वाले जेसा ही है" रितु ने पुछा। "तेरे वाले जेसा केसे" सरबी को फिर कुछ समझ नही आया। "अरे यार मतलब नामर्द है, कुछ होता नही क्या उससे" रितु ने पुछा। "कुच कया होगा अन्दर भी नही जा पाता" सरबी ने सर झुका लिया। रितु समझ गयी के सरबी अब भी कुंवारी ही है। "ओह, माफ करना सरबी, क्या है मे बड़बोली हू तो कुछभी पुछ लेती हू" रितु बोली। "तुम क्यो माफी मांग रही हो रितु, अब सिक्का तो अपना ही खोटा है" सरबी नार्मल होते हुए बोली। "अच्छा एक बात पूछू अगर गुस्सा ना करे तो" रितु बोली। "तेरा क्यो गुस्सा करूगी, एक की दो पूँछ"। सरबी ने कहा। "तेरा दिल नही करता कभी करने का" रितु ने लोहा गरम देख कर हथौड़ा मार दिया। "क्या करने का, एक तो तू पहेलिया बहुत बुझाती है, खुल कर बोल ना" सरबी बोली। "अरे मेरा मतलब किसी पराये मर्द को अपने उपर चड़ाया के नही कभी" रितु सरबी को देखकर बोली। "धत्त, पागल है क्या" सरबी मुस्कुराते हुए बोली। "अरे बता ना सरबी इत्ना भी क्या शर्मा रही है" रितु बोली। "हम्म तुम क्या करती हो पहले तुम बताओ" सरबी ने रितु को देखते हुए पूछा। "मै हम्म, मेरा तो जब दिल करता है तो पराया मर्द चढा लेती हू, वेसे अब जाना पहचाना है पराया भी नही रहा" रितु बेशर्मी से बोली। सरबी ये सुनकर सुन्न रह गयी, "हाय तुझे शरम नही आती रितु" सरबी चौन्क्ती हुई बोली। "पहली बार शरम आयी थी लेकिन जब उसके लण्ड ने मजा दिया तो सारी शरम उतर गयी" रितु ने जवाब दिया। "हाय रितु मे तुमे कितनी शरीफ समझती थी और तू कितनी बेशरम है, " सरबी अब भी हैरां थी के रितु केसे अपने पति को छोड पराये मर्द की तारीफ किया जा रही थी। लेकिन मन ही मन मे सरबी को भी रितु को बाते सुनकर मजा आ रहा था। "शरम केसी यार सरबी अब पति से कुछनही होता तो मेरि कया गलती है इसमे, मुझे तो लण्ड का मजा चाहिये ना, तू बता तुझे चाहिये क्या" रितु ने सरबी को कन्धा मारते हुए कहा। सरबी रितु की बात सुनकर थोडा शर्मा गयी "नही नही रितु मुझे नही चाहिये एसा मजा" सरबी सर झुकाती हुई बोली। "जरा सर तो उठाना सरबी" रितु बोली। "कया हुआ" सरबी रितु को देखते हुए बोली।<br/>"अरे अरे ये क्या तेरी आंखे तो कुच और ही बोल रही है सरबी" रितु ने सरबी की आंखो मे देखे हुए कहा।<br/>"क्या हुआ, क्या है मेरि आंखो मे" सरबी रितु को देखकर बोली। "अरे होना कया है, तेरी आंखे तो बता रही है उन्हे पराया मरद चाहिये जो इसकी गहराई को नाप सके" रितु ने सरबी को देख सलवार के उपर से उसकी चुत को छूते हुए बोली। जेसे ही रितु का हाथ सरबी की चुत पर गया सरबी की सिसकी निकल गयी "आह्ह रितु हत ना कया कर रही है"। सरबी रितु की बातो से पुरी गरम हो चुकी थी। "एक बार हा तो बोल सरबी जेसा कहेगी वेसा मर्द लाके दूंगी" रितु ने सरबी को देखते हुए कहा। सरबी रितु को देख रही थ, "लेकिन किसी को पता चल गया तो"।<br/>"किसी को कानो कान खबर नही होगी, मे भी तो करती ही हूँ, कितनो को पता है मेरे बारे मे"। रितु सरबी को देख बोली। सरबी कुछ नही बोली सिर्फ सर हिला कर रितु को हा मे जवाब दिया। रितु भी सरबी का जवाब समझ गयी। "हम्म ये हुई ना बात, मे सुबह ही तेरे लिये कोई मर्द देखती हू, तू फ़िकर मत कर तेरी इस दुलारी को कोई कमी नही आने दूंगी"। रितु सरबी की चुत को हाथ लगते हुए बोली। सरबी भी रितु की बात सुन कर हंस पडी और फिर दोनो सो गयी।
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