Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
02-06-2019, 05:17 PM,
#37
RE: Nangi Sex Kahani अय्याशी का अंजाम
रश्मि वहाँ से उठ कर बाहर खुली हवा में आ गई और मौके का फायदा उठा कर साजन भी उसके पीछे बाहर आ गया।
साजन- अरे क्या हुआ रश्मि.. तुम बाहर क्यों आ गई? अन्दर मज़ा आ रहा था.. वैसे आप भी अच्छा खेल लेती हो। लगता है पहले भी खेली हुई हो।
रश्मि- अरे ऐसे ही थोड़ी घबराहट हो रही थी.. इसलिए आ गई और हाँ हम लोग हॉस्टल में खूब खेलते थे।
साजन- ओह्ह.. अच्छा ये बात है.. वैसे यहाँ इतना मज़ा नहीं आता.. फार्म पर जो मज़ा आता है।
रश्मि- अच्छा वैसे फार्म पर पैसों से ही खेलते हैं या कुछ और चीज से?
साजन- सॉरी यार.. बुरा मत मानना, यह सवाल तुम जय से पूछ लेना.. तो अच्छा रहेगा..
रश्मि- क्यों कोई खास बात है क्या?
साजन- हाँ बहुत खास बात है.. अच्छा ये जाने दो.. क्या तुम सनडे को पार्टी में आ रही हो?
रश्मि- सनडे को कौन सी पार्टी.. मुझे कुछ नहीं पता?
साजन- वहाँ खूब मज़ा आता है.. सब नाचते-गाते हैं.. मस्ती करते हैं.. कसम से ऐसी पार्टी रोज होनी चाहिए।
रश्मि- ओह्ह.. रियली.. मैं भी आऊँगी.. मगर भाई ने कुछ बताया नहीं..
साजन- ओह्ह.. सॉरी यार.. मैंने तुमको बता दिया.. प्लीज़ तुम अपने भाई को मत कहना कि ये सब मैंने बताया..
रश्मि- अरे इतना डर क्यों रहे हो पार्टी ही तो है..
साजन- सॉरी यार मगर ये कोई नॉर्मल पार्टी नहीं है।
रश्मि- तो कैसी पार्टी है.. मुझे बताओ वरना मैं भाई को बता दूँगी कि तुमने मुझे बताया है? 
साजन ने अपना नाटक शुरू किया कि वो अपने भाई को ना बताए और उसने पार्टी के बारे में विस्तार से रश्मि को सब कुछ बता दिया।
रश्मि- ओह्ह.. तो ये बात है.. मेरे भाई अकेले-अकेले मज़ा लेना चाहते हैं। वैसे अच्छा किया तुमने मुझे बता दिया कि आज ही एंट्री लेनी होगी.. अब देखती हूँ मेरे भाई कैसे मुझे मना करते हैं।
बातों के दौरान रश्मि की आँख में नशा छाने लगा था.. उसकी वासना बढ़ने लगी थी। कपड़े तो जैसे उसको ऐसे लग रहे थे जैसे फुल गर्मी में किसी ने उसको स्वेटर पहना दिया हो।
रश्मि- उफ्फ.. कितनी गर्मी है.. ये कपड़े भी काटने को दौड़ रहे हैं।
रश्मि ने टॉप के ऊपर के 2 बटन खोल दिए.. उसके मम्मों की हल्की झलक साजन को दिखने लग गई थी। यह नज़ारा देख कर उसका मन डोलने लग गया था। 
साजन- क्या हुआ रश्मि.. सब ठीक तो है ना.. मैं कुछ हेल्प करूँ?
रश्मि- पता नहीं क्या हो रहा है.. गर्मी लग रही है.. एक अजीब सा दर्द सता रहा है मुझे..
वो इन्हीं बातों के दौरान अपने होंठ पर जीभ घुमा रही थी.. बहुत सेक्सी अदा के साथ वो अपने हाथ अपने गले से लेकर पेट तक मसल रही थी।
साजन से रहा नहीं गया.. उसने डरते हुए अपना हाथ रश्मि के मम्मों पर रख दिया।
साजन- यहाँ दर्द हो रहा है क्या?

रश्मि कुछ कहती उसके पहले रंगीला वहाँ आ गया और उसने झटके से साजन का हाथ वहाँ से हटा दिया।
रंगीला- साजन ये क्या कर रहे हो?
साजन- क्क्क..कुछ नहीं भाई.. रश्मि को घबराहट हो रही है तो बस..
रंगीला- चुप रहो तुम.. लो रश्मि ये नींबू-पानी पी लो.. आराम मिलेगा..
रश्मि ने रंगीला के हाथ से गिलास लिया और एक झटके में पूरा गिलास गटक गई, तब जाकर उसको थोड़ा सुकून मिला।
रंगीला- अब कैसा महसूस हो रहा है तुम्हें?
रश्मि- हाँ अब थोड़ा ठीक है..
रंगीला- ऐसा करो वो सामने वॉशरूम है.. वहाँ जाकर थोड़ी फ्रेश हो जाओ.. अच्छा लगेगा..
रश्मि वहाँ से चली गई तो रंगीला गुस्से से साजन को घूरने लगा।
साजन- क्या हुआ भाई ऐसे गुस्से में क्यों घूर रहे हो.. आपने जैसा कहा था मैंने उसको बता दिया।
रंगीला- कुत्ता है तू साला कुत्ता.. जहाँ बोटी देखी नहीं.. कि लार टपकाना शुरू.. मैंने सिर्फ़ बात करने को कहा था, उसके मम्मों को दबाने को नहीं कहा था..
साजन- अरे सॉरी भाई.. वो नजारा देख के माइंड हिल गया.. कंट्रोल नहीं हुआ मेरे से..
रंगीला- तेरे चक्कर में अभी सारा किया कराया बेकार हो जाता। यह तो अच्छा हुआ जय ने मुझे बाहर रश्मि को देखने भेज दिया। अब जल्दी से अन्दर जाकर बैठ जा.. नहीं उनको शक हो जाएगा।
साजन- भाई सॉरी.. वैसे ये गोली तो बहुत ख़तरनाक है.. सीधी-साधी लड़की को रंडी बना दिया। वैसे हमारा काम तो हो गया इसका माइंड ब्लॉक करके हमने खेल के लिए ‘हाँ’ करवा ली.. अब ये सेक्स की आग में जल रही है.. कहीं अपने भाई के सामने ही ना नंगी हो जाए हा हा हा हा।
रंगीला- इसका टेन्शन तू मत ले.. जैसे में नशा चढ़ाना जानता हूँ.. वैसे ही उतारना भी मुझे आता है.. अभी नीबू जूस दिया ना.. समझ ले उसका माइंड ठिकाने आ गया.. अब जा तू अन्दर..।
साजन वहाँ से अन्दर चला गया। जय के पूछने पर उसने बहाना बना दिया और हाँ ये भी कहा कि अभी आने के समय गेट के बाहर रश्मि को देखा.. उसके पास गया.. तभी रंगीला भी रश्मि के लिए नींबू जूस लेकर आ गया था।
विजय- भाई अब ये खेल बन्द करो.. रश्मि की तबीयत ठीक नहीं लगती.. चलो घर चलते हैं।
जय- अरे रंगीला ने जूस दे दिया ना.. अब सब ठीक हो जाएगा। रश्मि को ऐसे बाहर रहने की आदत नहीं है ना.. तो थोड़ी घबरा जाती है।
विजय- वो तो ठीक है.. यहाँ से बुलबुल भी जाना है.. एंट्री के लिए..
जय- हाँ तो क्या हुआ.. वहाँ भी चले जाएँगे ना..
विजय- आप कुछ समझते ही नहीं.. पहले रश्मि को घर छोड़ देंगे.. उसके बाद वापस आ जाएँगे। वैसे भी फार्म पर लास्ट बार बियर को मुँह से लगाया था.. आज मौका है.. थोड़ा गला गीला कर लेते हैं।
जय- तू पागल है.. पहले घर जाएगा बाद में वापस आएगा.. हम यहाँ से बियर साथ ले लेंगे। वैसे भी रश्मि को पता है.. हम ड्रिंक करते हैं और रही बात एंट्री की.. तो बुलबुल के बाहर गाड़ी रोक कर रश्मि को कह देंगे.. तुम यहाँ बैठो हम अभी आते हैं। एंट्री में कितना समय लगता है। उसके बाद घर पर दोनों तेरे रूम में आराम से पिएँगे।
विजय- जैसा तुम ठीक समझो भाई.. वैसे ये रश्मि अभी तक आई नहीं.. मैं देख कर आता हूँ।
जय- अरे क्यों इतना टेन्शन लेता है। मैंने रंगीला को भेजा है ना.. वो उसको ले आएगा.. तू बैठ आराम से चल.. तेरी बारी आ गई है।
विजय बुझे मन से वापस बैठ गया और खेल खेलने लगा। कुछ ही देर में रंगीला और रश्मि भी अन्दर आ गए और अपनी जगह बैठ गए।
साजन- अब कैसी तबीयत है रश्मि?
विजय- तू अपनी चाल पर ध्यान दे.. वो ठीक है.. ज़्यादा स्मार्ट मत बन..
साजन- अरे यार मैंने बस ऐसे ही पूछा.. तू इतना भड़क क्यों रहा है?
रश्मि- हे कूल गाइस.. ऐसे झगड़ा मत करो.. और प्लीज़ अब अपना ये खेल बन्द करो.. बहुत समय हो गया है मुझे बड़े जोरों की भूख भी लगी है।
विजय- हाँ मैं भी कब से यही कह रहा हूँ.. मगर भाई तो खेल में एक बार बैठ जाएं.. तो उठने का नाम ही नहीं लेते।
जय- बस बस ये लास्ट राउंड है.. उसके बाद जाएँगे.. मेरी प्यारी बहन को अच्छे से होटल में लेकर जाएँगे.. खाना खाएँगे.. उसके बाद सीधे घर.. क्यों ठीक है ना रश्मि?
रश्मि- जैसा आपको ठीक लगे भाई.. वैसे भी आपकी बात में कैसे टाल सकती हूँ.. मगर आप भी याद रखना.. कभी मेरी बात को इग्नोर मत करना।
जय- अरे नहीं करूँगा मेरी प्यारी बहना.. चलो भाई खेल ओवर.. अब हम जाते हैं।
रंगीला- मैं भी तुम्हारे साथ ही चलता हूँ.. इसी बहाने रश्मि के साथ थोड़ा वक़्त भी बिता लूँगा। एक-दो बार बस घर पर देखा था इसे.. तब तो बहुत चुप-चुप रहती थी मगर आज तो एकदम फ्रेंडली लग रही है।
सब उठकर बाहर जाने लगे.. इस दौरान कुछ देर के लिए रश्मि और साजन साथ हो गए।
साजन- आई एम सॉरी रश्मि.. वो मैंने बाहर तुम्हारे साथ बदतमीज़ी की।
रश्मि- क्या किया तुमने.. मुझे तो कुछ याद नहीं..
साजन समझ गया कि उस समय शायद रश्मि पर नशा कुछ ज़्यादा हावी था.. तो उसने उस बात पर गौर नहीं किया और वैसे भी कुछ पल के लिए ही उसने मम्मों को टच किया था.. तभी रंगीला आ गया था।
साजन- ओह्ह.. कुछ नहीं.. मजाक कर रहा था मैं.. तो ओके.. बाइ.. फिर मिलेंगे..
इसके बाद साजन अलग हो गया और वो चारों एक साथ गाड़ी में एक होटल गए। वहाँ खाने का ऑर्डर दिया और बातें करने लगे।
जय- अरे यार हमारा तो दूसरा प्रोग्राम था ना.. अब क्या करें?
विजय- उसको कैन्सिल कर दो.. अब खाना खाओ और जाकर सो जाओ।
रंगीला- अरे भाई क्या प्रोग्राम था.. कोई मुझे भी बताएगा?
जय- अरे यार कुछ नहीं थोड़ा बियर पीने का मूड था लेकिन रश्मि साथ है तो ठीक नहीं लग रहा।
रश्मि- भाई प्लीज़ मेरी वजह से अपना मूड खराब मत करो.. वैसे भी मुझे पता है आप कई बार ड्रिंक करके घर आते हो.. शुक्र मनाओ.. मॉम का.. जो वो आपको बचा लेती हैं.. नहीं पापा तो पता नहीं क्या करते..
जय- ओह्ह.. थैंक्स माय स्वीट सिस्टर अब यही खाने के साथ थोड़ी सी लगा लेते हैं.. क्यों विजय सही है ना?
विजय- अब रश्मि ने कहा है.. तो मना कैसे कर सकते हैं.. हो जाए क्यों रंगीला.. तुम्हारा क्या इरादा है?
रंगीला- ये भी कोई पूछने की बात है.. रश्मि तुम्हारे लिए कोई जूस ऑर्डर कर दूँ?
रश्मि- हाँ मैं तो खाने के साथ जूस ही लेती हूँ।
जय ने खाने के साथ ड्रिंक का ऑर्डर भी दे दिया और वो सब बातें करने लगे। इस दौरान रंगीला किसी बहाने कुछ देर के लिए उनसे अलग हुआ ताकि अपने शैतानी दिमाग़ का इस्तेमाल कर सके।
थोड़ी देर बाद सब टेबल पर खाना खा रहे थे। इन तीनों ने पहले थोड़ी ड्रिंक ली उसके बाद खाना खाया।
रश्मि तो जूस के साथ ही खाना खा रही थी.. जिसमें रंगीला ने दोबारा गोली मिला दी थी।
खाने के बाद वो बुलबुल के सामने जाकर रुक गए।
जय- चलो भाई विजय जो काम अधूरा है.. पूरा कर आते हैं।
रश्मि- कहाँ जा रहे हो भाई?
जय- अरे बस अभी गए.. और अभी वापस आए.. तुम यहाँ बैठो और रंगीला भी तो यहीं है ना..
रश्मि- नहीं जहाँ आप जा रहे हो.. मुझे भी साथ जाना है..
विजय- अरे रश्मि बस 2 मिनट की तो बात है.. यहीं बैठो ना तुम..
रश्मि- मैंने कहा ना.. मुझे आपके साथ आना है।
जय- अरे यार ये क्या ज़िद हुई?
रश्मि- अगर अब ना कहा ना.. वरना आज के बाद मैं तुम दोनों से बात नहीं करूँगी.. देख लेना हाँ..
विजय- भाई अब रश्मि को नाराज़ भी नहीं कर सकते.. हम ऐसा करते है हम भी नहीं जाते.. चलो घर चलो..
विजय की बात सुनकर रंगीला बस उसके चेहरे की ओर देखने लगा.. जैसे उसके किए कराए पर वो पानी फेरना चाहता हो.. मगर हमारा ईडियट जय जो साथ है.. वो कहाँ ये होने देगा। ये भी रंगीला को पता था.. उसने इशारे से जय को कहा कि कुछ बोलो.. ये क्या कह रहा है?
जय- नहीं.. हम घर नहीं जाएँगे और रश्मि मेरी बात सुनो.. रविवार को यहाँ एक पार्टी है.. हम बस उसकी एंट्री लेने जा रहे हैं।
रश्मि- ओह्ह.. वाउ.. पार्टी है.. मैं भी आऊँगी आपके साथ.. मज़ा आएगा।
विजय- रश्मि वो पार्टी.. तुम्हारे लायक नहीं है.. यहाँ जूस नहीं बियर.. रम.. वोदका.. ये सब पीना पड़ेगा और भी बहुत कुछ होगा यहाँ..
रश्मि- तो क्या हुआ.. थोड़ा पी लूँगी.. मगर आपके साथ आऊँगी जरूर..
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